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Jan 16, 2013

KBC मेँ 5 करोङ जितने वाली पहली महिला को पुछे गये सवाल...


1. छोले के साथ परोसे जाते है?-भटुरे

3.पंजाब की पारम्परीक कसीदाकारी है?-
फुलवारी

... 5. शरीर का सबसे लम्बा आँरगन है?- त्वचा
6. किसने कहा था 'उनका सपना मुंबई को शंघाई
बनाना है?- विलासराव देशमुख

7. सीरस, स्ट्रटस, क्युमूल्स किसके प्रकार है?- बादल

8. किस खेल का नाम एक जगह के नाम पर पङा है? -
मेराथन

9. 1610 मेँ सबसे पहले शनी ग्रह को टेलिस्कोप
की सहायता से किसने देखा था?-
गैलीलियो गैलीली

10. कौनसे नेता सबसे अधिक समय तक कांग्रेस
पार्टी के अध्यक्ष रहे है- सोनिया गाँधी
11. 1846 मेँ गुलाब सिँह ने अंग्रेजो से 75 लाख रुपए मेँ
क्या खरीदा था?- कश्मीर

12.डाँ. सुभाष मुखर्जी द्वारा IVF तकनीक से
विकसीत भारत की पहली टेस्ट ट्युब बेबी का नाम है
- दुर्गा

13. दुनिया की दुसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी K2 पर
सफलतापूर्वक चढने वाली पहली महिला है।-
वांडा रुत्कीविच

Jan 25, 2011

सिर्फ 14 हजार लगाकर खड़ा कर लिया करोड़ों का बिजनेस

अगर आपसे कहा जाए की महज 14 हजार रुपए का इस्तेमाल कर के करोडों का कारोबार कीजिए तो आपको ये नामुमकिन सा लगेगा। लेकिन यह कारनामा विनीत वाजपेयी नाम के शख्स ने कर दिखाया है। सिर्फ 14,000 रुपये और दो किराये पर लिए हुए कंप्यूटर की बदौलत आज वे देश की सबसे बड़ी डिजिटल मीडिया कंपनी खड़ी कर चुके हैं। इनकी कंपनी मैग्नानॅ साल्यूशंस के ग्राहकों में भारती, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एचसीएल, मारुति और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी कई बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं। दुनिया भर में इस कंपनी के ग्राहकों में 600 से अधिक कंपनियां शामिल हैं। वाजपेयी बताते हैं, “जब मैंने कारोबार शुरू किया था, उस समय मुझे यह बताने वाला कोई नहीं था कि क्या सही है और क्या गलत। मैंने काम करते-करते सब सीखा। कई बार मैंने ऐसी गलतियां भी कीं, जिनसे मुझे झटका लगा।” आज वाजपेयी 33 साल के हैं। 22 साल की उम्र में उन्होंने अपने कारोबार की शुरूआत की थी। वे खुद बताते हैं कि जब उन्होंने कारोबार शुरु किय था उस समय उनके पास सिर्फ 14,000 रुपये थे, जो उन्होंने गर्मी की छुटिटयों में पार्टटाइम नौकरी कर के बचाए थे। अब वाजपेयी अपने कारोबारी जीवन के इस बेहतरीन अनुभव को लेकर किताब लिखने का मन बना रहे हैं।

ये है दुनिया का सबसे महंगा मोबाइल नंबर

महंगे मोबाइल फोन के चर्चे तो आपने खूब सुने होंगे लेकिन हम आपको दुनिया के सबसे महंगे मोबाइल नंबर के बारे में बता रहे हैं। यह नंबर इतना महंगा है कि इतनी कीमत में आपको दर्जनों महंगे मोबाइल फोन मिल जाएंगे। इस नंबर की कीमत है 27.5 लाख डॉलर यानी करीब 12.69 करोड़ रुपए। और यह नंबर है 6666666। दुनिया के इस सबसे महंगे मोबाइल नंबर को बेचने वाली कतर की दूरसंचार कंपनी क्यूटेल को गिनीज बुक आफ व‌र्ल्ड रिका‌र्ड्स में भी जगह मिली है। आपको बता दें कि दुनिया का दूसरा सबसे महंगा मोबाइल नंबर बेचने का खिताब का चीन की एक दूरसंचार कंपनी के नाम पर दर्ज है। यह नंबर 4.8 लाख डालर यानी करीब 2 करोड़ 22 लाख रुपये में बेचा गया था। और यह नंबर है 8888-8888।

Jan 16, 2011

इन्फोसिस को दुनिया की सबसे चर्चित और बड़ी कंपनियों में शुमार करा देने वाले नारायण मूर्ति

शून्य से शुरुआत करके इन्फोसिस को दुनिया की सबसे चर्चित और बड़ी कंपनियों में शुमार करा देने वाले नारायण मूर्ति कुशल नेतृत्व और श्रेष्ठ सोच की मिसाल हैं। स्पष्टता उनका सबसे बड़ा औजार है। मनीषा पांडेय से हुई बातचीत के प्रस्तुत अंशों में वे बता रहे हैं जीवन में विजन की महत्ता, अपनी निजी विचारधारा, बड़े लीडर के गुण और हमारे भौतिक समय में धन के प्रति नजरिए के बारे में..

किसी बड़े काम या बड़े उद्यम की सफलता के पीछे बड़ी दृष्टि या विजन होता है। वह दृष्टि क्या है? वह कौन सी सोच, विचार और व्यक्तित्व का गुण होता है, जिससे मिलकर एक बड़ा विजन तैयार होता है?
दरअसल दृष्टि, विचार और सोच, ये सारी बातें आपस में गुंथी हुई हैं। आमतौर पर लोग कहेंगे कि बड़ी और दूर तक सोच पाने की क्षमता से ही बड़ा विजन बनता है, लेकिन यह बात अधूरी है। बुनियादी रूप से बड़ा विजन आता है सबकी बेहतरी और तरक्की की बात सोचने से। अपने हर कदम के बारे में यह सोचने से कि इससे किसको लाभ होगा। अगर कोई कदम अपने निजी हितों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, तो उसके पीछे बड़ा विजन नहीं हो सकता। बड़े विजन का फलक बड़ा होता है और वह सामूहिक हितों और उन्नति की बात सोचता है।

क्या दृष्टि की संकीर्णता की वजह से ही हम कोई बड़ा स्वप्न देख और साकार नहीं कर पाते?
ऐसा नहीं है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमने बड़े सपने नहीं देखे और उन सपनों को पूरा नहीं किया, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। पूरी दुनिया में जहां भी शून्य से कोई बड़ी चीज खड़ी हुई, जिसके बारे में बहुतों का यह विश्वास था कि यह नामुमकिन है, तो निश्चित ही उस चीज की सफलता के पीछे बड़ा और सामूहिक हितों का विजन ही था।

सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की जो बात आप कर रहे हैं, वह किस तरह मुमकिन है। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आप कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक थे। लेकिन आपने निजी उद्यम का रास्ता चुना। क्यों?
जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी हुईं कि जिनके बाद से कम्युनिज्म पर से मेरा विश्वास उठ गया और मुझे महसूस हुआ कि बहुत बड़े पैमाने पर उद्यम खड़े करके और ढेरों नौकरियां पैदा करके ही गरीबी को खत्म किया जा सकता है। देखिए, पूंजीवाद कोई बुरी या अनैतिक चीज नहीं है। हमारी दिक्कत यह है कि हमारे यहां मूल्यविहीन पूंजीवाद है। हम सारी नैतिकता और सबकी बेहतरी के मूल्यों से परे निजी हितों के बारे में सोचते हैं। अगर हम नैतिक ढंग से और ईमानदारी से काम करें, तो पूंजीवाद के रास्ते ही बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।

लेकिन उसमें तो कुछ लोग हमेशा दोयम दर्जे के श्रमिक की ही भूमिका में होंगे?
पूंजीवाद में नहीं, अनैतिक, गैर-ईमानदार पूंजीवाद में होंगे। बड़े उद्यमी और स्वप्नदर्शी का यही तो दायित्व है कि वह सबको यह भरोसा दिला सके कि यह सामूहिक श्रम है, सबके हितों के लिए किया जा रहा श्रम है। उन्हें बेहतर भविष्य की उम्मीद दे सके, यह विश्वास पैदा करके अपने कार्यस्थल पर एक निर्भय वातावरण बना सकें। कोई भी उद्यम जन के लिए, जन के द्वारा और जन का उद्यम हो।

एक बड़े लीडर में क्या गुण होने चाहिए?
बड़ा लीडर वह होता है, जो बड़ा सोचता है और सबको साथ लेकर चलता है। बड़ा लीडर वह है, जिसके कदम और फैसलों पर लोग भरोसा करें। लोगों को यह विश्वास हो कि वह उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है, न कि अपना उल्लू सीधा करने के लिए। जो उन लोगों जैसा ही सीधा, सरल और साधारण जीवन जिए, जिनके लिए वह काम कर रहा है। जिसके साथ लोग स्वयं को एकाकार महसूस कर सकें। बड़े काम में अनगिनत लोगों का श्रम और मेधा शामिल होते हैं। और लीडर ऐसा होना चाहिए, जिसकी एक आवाज पर वे अनगिनत लोग उसके पीछे चल पड़ें। वे उसका हाथ बन जाएं। उसके श्रम में शामिल हो जाएं।

क्या आपको ऐसा लीडर नजर आता है?
मौजूदा समय में निश्चित ही ऐसा कोई शख्स हमारे आसपास मौजूद नहीं है। लेकिन इतिहास में एक ऐसा शख्स हुआ है, जिसकी एक पुकार ही असंख्य लोगों को साथ बुलाने के लिए काफी थी। महात्मा गांधी ऐसे ही लीडर थे।

एक और महत्वपूर्ण सवाल, धन-संपत्ति के प्रति हमारा दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?
आज जिस तरह से पूरी दुनिया सफलता के पीछे भाग रही है, और वह सफलता भी सिर्फ भौतिक सफलता के अर्थो में है, यह सचमुच बहुत चिंतनीय है। दरअसल धन अपने आप में कोई बुरी चीज नहीं है। असल मुद्दा है उसके प्रति आपके नजरिए का। वह जीवन के लिए जरूरी है, लेकिन क्या जीवन की हर गति सिर्फ धन के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है! क्या हमें प्रेम, रिश्तों, भावनाओं, सकारात्मक ऊर्जा और रचनात्मक सपनों की कोई जरूरत नहीं! इन चीजों का धन से मोल कैसे आंकेंगे? लेकिन विडंबना देखिए कि आंका जा रहा है। सबकुछ जांचने-परखने का एक ही पैमाना बन गया है - धन। विज्ञान, तकनीक जैसी चीजें, जो मानवता के लिए बड़ा सृजन कर सकती हैं, का इस्तेमाल भी सिर्फ भौतिक विकास के लिए किया जा रहा है। ऐसे युवा नहीं मिलते, जो विज्ञान इसलिए पढ़ रहे हैं, क्योंकि यह उनका पैशन है। वे इसके और भीतर घुसना चाहते हैं, कुछ बड़ा रचना चाहते हैं। वे विज्ञान इसलिए पढ़ते हैं, क्योंकि उन्हें ऊंची तनख्वाहों वाली नौकरी मिलेगी। धन से संचालित ये लोग विज्ञान के नियम रट लेने वाली मशीन हैं, वे असल वैज्ञानिक नहीं हो सकते। वे दूसरों के खोजे नियमों और उनके आविष्कारों को अप्लाय तो कर सकते हैं, लेकिन वे खुद बड़े आविष्कार नहीं कर सकते।

एन.आर.नारायणमूर्ति
जन्म- 20 अगस्त 1946 कानपुर आईआईटी से पोस्ट ग्रेजुएट। इन्फोसिस के संस्थापक।

Aug 18, 2010

> O'Really

दुनियाभर में एक मिनट में बाइबल की 50 किताबों की बिक्री होती है।