Mar 28, 2013
Bank of Baroda (BOB) Has Announced their Dates for Joining
Recruitment of -1530- Probationary Officers - Project 2013
Selected candidates allotted to Bank of Baroda can join the Bank on one of the following four dates:
* 22-04-2013
* 06-05-2013
* 20-05-2013
* 15-07-2013
These candidates will be required to submit their preferred date of joining among the four dates mentioned above on or before 30-03-2013. However, Bank reserves the right to give any specific date based on merit and the decision of the Bank in this regard will be final and binding.
Roll Number
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IBPS PO
Mar 27, 2013
एक कुंवारी लड़की मंदिर गई।
भगवान के आगे हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगी...
'हे प्रभु, मैं अपने लिए आपसे कभी कुछ नहीं मांगती, लेकिन कृपा करके मेरी मां को एक अच्छा-सा दामाद दे दो!'
'हे प्रभु, मैं अपने लिए आपसे कभी कुछ नहीं मांगती, लेकिन कृपा करके मेरी मां को एक अच्छा-सा दामाद दे दो!'
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BEST JOKES
Mar 26, 2013
सर रविंद्र जडेजा! ट्विटर पर चुटकुलों की भरमार
सर रविंद्र जडेजा भले ही अपनी कामयाबी का श्रेय आर अश्विन को दे रहे हों लेकिन ट्विटर पर उनके प्रशंसक उन्हें लगान के भुवन का अवतार मान रहे हैं। फिरोजशाह कोटला में भारत की जीत के बाद ही रविंद्र जडेजा ट्वटिर पर छा गए।
रविंद्र जडेजा को लेकर चुटकुले पहले से ही ट्वटिर पर आते रहे हैं लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही ट्वीट्स उन पर किए गए। मैच के बाद लोगों ने ट्विटर पर टिप्पणियां करके एक दूसरे का मनोरंजन किया। पेश हैं कुछ चुनिंदा ट्वीट्स...
Sir Ravindra Jadeja
भारत ने एक भी ऐसा टेस्ट मैच नहीं हारा है जिसमें श्री श्री श्री रविंद्र जडेजा को अंतिम एकादश में शामिल किया गया हो।
The UnReal Times
फिरोज शाह कोटला में सर ने गेंद को पिच पर टर्न नहीं कराया था बल्कि उन्होंने धरती को ही घुमा दिया था।
Tharki Doctor
सर रविंद्र जडेजा के फेसबुक फैन पेज के एडमिन रजनीकांत है।
Gautam
एक बार सर रविंद्र जडेजा मानसून में क्रिकेट खेल रहे थे, और मैच के कारण बारिश रद्द हो गई थी।
Keh Ke Peheno
सर रविंद्र जडेजा चैन्ने सुपरकिंग्स के लिए आईपीएल में खेल रहे हैं, इसलिए सीएसके को एडवांस में ही विजेता घोषित किया जाता है।
vikkkkkassss
जो लोग क्रिकेट नहीं खेल सकते उनके लिए सर रविंद्र जडेजा ने फुटबॉल का अविष्कार किया है।
Ra_Bies
एक बार अमेरिका ने सर रविंद्र जडेजा को वीजा नहीं दिया था, और तब से ही यह देश क्रिकेट नहीं खेल सकता।
Ra_Bies
धरती और मंगल के बीच होने वाली क्रिकेट सीरीज के विजेता को सर रविंद्र जडेजा ट्रॉफी से सम्मानित किया जाएगा।
The UnReal Times
ब्रिटेन की महारानी दूसरों को नाइटहुड के सम्मान से नवाजती हैं, जबकि रविंद्र जडेजा ने महारानी को नाइटहुड से नवाजा है।
Mr. Tippler
सर रविंद्र जडेजा की घातक गेंदबाजी के कारण ही क्रिकेट एकमात्र ऐसी चीज है जिससे रजनीकांत भी डरते हैं।
Demented
एक बार सर रविंद्र जडेजा सेकंड हैंड मारूति से एफ1 रेस में उतरे थे और जीत गए थे।
Ketan Pratap
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का नाम बदलकर बॉर्डर जडेजा ट्रॉफी कर दिया गया है।
Arup Roy
आस्ट्रेलिया के बैटिंग ऑर्डर में आग लगाकर सर रविंद्र जडेजा ने होली सीजन की शुरूआत कर दी है।
The Lie Lama
सिर्फ सर रविंद्र जडेजा ही द डर्टी पिक्चर को क्लीन कर सकते हैं।
Diwakar
सर जडेजा ने 80 ओवरों के बाद अंपायर को नईं गेंद दी।
sandip goswami
सर रविंद्र जडेजा लगान में अंग्रेजों को हराने वाली टीम के भुवन का अवतार हैं।
Bhaskar.N.H
अब से जिस सीरीज में भी जडेजा खेलेंगे उसे एशेज कहा जाएगा क्योंकि वह अपने विरोधियों को राख कर देंगे।
Jobless Scholar™
अब सर रविंद्र जडेजा को टी-20 मैच का इंतजार है ताकि वह तीहरा शतक लगा सकें।
रविंद्र जडेजा को लेकर चुटकुले पहले से ही ट्वटिर पर आते रहे हैं लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही ट्वीट्स उन पर किए गए। मैच के बाद लोगों ने ट्विटर पर टिप्पणियां करके एक दूसरे का मनोरंजन किया। पेश हैं कुछ चुनिंदा ट्वीट्स...
Sir Ravindra Jadeja
भारत ने एक भी ऐसा टेस्ट मैच नहीं हारा है जिसमें श्री श्री श्री रविंद्र जडेजा को अंतिम एकादश में शामिल किया गया हो।
The UnReal Times
फिरोज शाह कोटला में सर ने गेंद को पिच पर टर्न नहीं कराया था बल्कि उन्होंने धरती को ही घुमा दिया था।
Tharki Doctor
सर रविंद्र जडेजा के फेसबुक फैन पेज के एडमिन रजनीकांत है।
Gautam
एक बार सर रविंद्र जडेजा मानसून में क्रिकेट खेल रहे थे, और मैच के कारण बारिश रद्द हो गई थी।
Keh Ke Peheno
सर रविंद्र जडेजा चैन्ने सुपरकिंग्स के लिए आईपीएल में खेल रहे हैं, इसलिए सीएसके को एडवांस में ही विजेता घोषित किया जाता है।
vikkkkkassss
जो लोग क्रिकेट नहीं खेल सकते उनके लिए सर रविंद्र जडेजा ने फुटबॉल का अविष्कार किया है।
Ra_Bies
एक बार अमेरिका ने सर रविंद्र जडेजा को वीजा नहीं दिया था, और तब से ही यह देश क्रिकेट नहीं खेल सकता।
Ra_Bies
धरती और मंगल के बीच होने वाली क्रिकेट सीरीज के विजेता को सर रविंद्र जडेजा ट्रॉफी से सम्मानित किया जाएगा।
The UnReal Times
ब्रिटेन की महारानी दूसरों को नाइटहुड के सम्मान से नवाजती हैं, जबकि रविंद्र जडेजा ने महारानी को नाइटहुड से नवाजा है।
Mr. Tippler
सर रविंद्र जडेजा की घातक गेंदबाजी के कारण ही क्रिकेट एकमात्र ऐसी चीज है जिससे रजनीकांत भी डरते हैं।
Demented
एक बार सर रविंद्र जडेजा सेकंड हैंड मारूति से एफ1 रेस में उतरे थे और जीत गए थे।
Ketan Pratap
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का नाम बदलकर बॉर्डर जडेजा ट्रॉफी कर दिया गया है।
Arup Roy
आस्ट्रेलिया के बैटिंग ऑर्डर में आग लगाकर सर रविंद्र जडेजा ने होली सीजन की शुरूआत कर दी है।
The Lie Lama
सिर्फ सर रविंद्र जडेजा ही द डर्टी पिक्चर को क्लीन कर सकते हैं।
Diwakar
सर जडेजा ने 80 ओवरों के बाद अंपायर को नईं गेंद दी।
sandip goswami
सर रविंद्र जडेजा लगान में अंग्रेजों को हराने वाली टीम के भुवन का अवतार हैं।
Bhaskar.N.H
अब से जिस सीरीज में भी जडेजा खेलेंगे उसे एशेज कहा जाएगा क्योंकि वह अपने विरोधियों को राख कर देंगे।
Jobless Scholar™
अब सर रविंद्र जडेजा को टी-20 मैच का इंतजार है ताकि वह तीहरा शतक लगा सकें।
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BEST JOKES,
CRICKET
स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे ......
लक्ष्य पर ध्यान लगाओ
स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा ….. फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे . ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा , ” भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?”
स्वामी जी बोले , “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब तुम कभी चूकोगे नहीं . अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो . मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है. ”
—————————————
डर का सामना
एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे की तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे . स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए, और वे उन्हें दौडाने लगे. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था , उसने स्वामी जी को रोका और बोला , ” रुको ! उनका सामना करो !”
स्वामी जी तुरन्त पलटे और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे , ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए . इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी – ” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत , पलटो और सामना करो.”
———————————————–
सच बोलने की हिम्मत
स्वामी विवेकानंदा प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे. जब वो साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो उन्हें सुनते. एक दिन इंटरवल के दौरान वो कक्षा में कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे , सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आये और पढ़ाना शुरू कर दिया.
मास्टर जी ने अभी पढ़ना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी.
” कौन बात कर रहा है ?” उन्होंने तेज आवाज़ में पूछा . सभी ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों किई तरफ इशारा कर दिया.
मास्टर जी तुरंत क्रोधित हो गए, उन्होंने तुरंत उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबधित एक प्रश्न पूछने लगे. जब कोई भी उत्तर न दे सका ,तब अंत में मास्टर जी ने स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया . पर स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों , उन्होंने आसानी से उत्तर दे दिया.
यह देख उन्हें यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बात-चीत में लगे हुए थे. फिर क्या था उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी . सभी छात्र एक -एक कर बेच पर खड़े होने लगे, स्वामी जे ने भी यही किया.
तब मास्टर जी बोले, ” नरेन्द्र (स्वामी विवेकानंद )) तुम बैठ जाओ.”
” नहीं सर , मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वो मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था.”,स्वामी जी ने आग्रह किया.
स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा ….. फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे . ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा , ” भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?”
स्वामी जी बोले , “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब तुम कभी चूकोगे नहीं . अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो . मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है. ”
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डर का सामना
एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे की तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे . स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए, और वे उन्हें दौडाने लगे. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था , उसने स्वामी जी को रोका और बोला , ” रुको ! उनका सामना करो !”
स्वामी जी तुरन्त पलटे और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे , ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए . इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी – ” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत , पलटो और सामना करो.”
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सच बोलने की हिम्मत
स्वामी विवेकानंदा प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे. जब वो साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो उन्हें सुनते. एक दिन इंटरवल के दौरान वो कक्षा में कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे , सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आये और पढ़ाना शुरू कर दिया.
मास्टर जी ने अभी पढ़ना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी.
” कौन बात कर रहा है ?” उन्होंने तेज आवाज़ में पूछा . सभी ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों किई तरफ इशारा कर दिया.
मास्टर जी तुरंत क्रोधित हो गए, उन्होंने तुरंत उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबधित एक प्रश्न पूछने लगे. जब कोई भी उत्तर न दे सका ,तब अंत में मास्टर जी ने स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया . पर स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों , उन्होंने आसानी से उत्तर दे दिया.
यह देख उन्हें यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बात-चीत में लगे हुए थे. फिर क्या था उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी . सभी छात्र एक -एक कर बेच पर खड़े होने लगे, स्वामी जे ने भी यही किया.
तब मास्टर जी बोले, ” नरेन्द्र (स्वामी विवेकानंद )) तुम बैठ जाओ.”
” नहीं सर , मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वो मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था.”,स्वामी जी ने आग्रह किया.
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