मैँ कहता हुँ कि इस देश में माँ तो होती ही रोने के लिए है। उन साढ़े तीन लाख किसानो की माँएं भी रोई ही होंगी जिन्होंने आत्महत्या की। सुदूर गांवों, छोटे कस्बों, जिलों में भूख, गरीबी, ठण्ड, अभाव और बिना इलाज़ के मरने वाले बच्चों की माँ भी रोती तो होंगी ही। गरीबी से तंग आ के जब पूरा का पूरा परिवार ही आत्महत्या कर लेता है तो उसमे तो माँ ही नहीं बचती है रोने के लिए। माँ को कहो की थोडा उन का भी रोना रो लें जिन जिन की माँ रोई;
Jan 21, 2013
कल "किसी" ने अपने भाषण मेँ कहा कि माँ रोई.....!!!
मैँ कहता हुँ कि इस देश में माँ तो होती ही रोने के लिए है। उन साढ़े तीन लाख किसानो की माँएं भी रोई ही होंगी जिन्होंने आत्महत्या की। सुदूर गांवों, छोटे कस्बों, जिलों में भूख, गरीबी, ठण्ड, अभाव और बिना इलाज़ के मरने वाले बच्चों की माँ भी रोती तो होंगी ही। गरीबी से तंग आ के जब पूरा का पूरा परिवार ही आत्महत्या कर लेता है तो उसमे तो माँ ही नहीं बचती है रोने के लिए। माँ को कहो की थोडा उन का भी रोना रो लें जिन जिन की माँ रोई;
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सत्य है
ReplyDeleteअच्छी बात कही है !!
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