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Feb 24, 2013

एक स्त्री एक दिन एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ के पास के गई और बोली...

एक स्त्री एक दिन एक स्त्रीरोग विशेषज्ञ के पास के गई और बोली,
" डाक्टर मैँ एक गंभीर समस्या मेँ हुँ और मेँ आपकीमदद चाहती हुँ । मैं गर्भवती हूँ,
आप किसी को बताइयेगा नही मैने एक जान पहचान के सोनोग्राफी लैब से यह जान लिया है कि मेरे गर्भ में एक बच्ची है । मै पहले से एकबेटी की माँ हूँ और मैं किसी भी दशा मे दो बेटियाँ नहीं चाहती ।"
डाक्टर ने कहा ,"ठीक है, तो मेँ आपकी क्या सहायता कर सकता हु ?"
तो वो स्त्री बोली," मैँ यह चाहती हू कि इस गर्भ को गिराने मेँ मेरी मदद करें ।"
... डाक्टर अनुभवी और समझदार था। थोडा सोचा और फिर बोला,"मुझे लगता है कि मेरे पास एक और सरल रास्ता है जो आपकी मुश्किल को हल कर देगा।" वो स्त्री बहुत खुश हुई..
डाक्टर आगे बोला, " हम एक काम करते है
आप दो बेटियां नही चाहती ना ?? ?
तो पहली बेटी को मार देते है जिससे आप इस अजन्मी बच्ची को जन्मदे सके और आपकी समस्या का हल भी हो जाएगा. वैसे भी हमको एक बच्ची को मारना है तो पहले वाली को ही मार देते है ना.?"
तो वो स्त्री तुरंत बोली"ना ना डाक्टर.".!!!
हत्या करनागुनाह है पाप है और वैसे भी मैं अपनी बेटी को बहुत चाहती हूँ । उसको खरोंच भी आती है तो दर्द का अहसास मुझे होता है
डाक्टर तुरंत बोला, "पहले कि हत्या करो या अभी जो जन्मा नही उसकी हत्या करो दोनो गुनाह है पाप हैं ।"
यह बात उस स्त्री को समझ आ गई । वह स्वयं की सोच पर लज्जित हुई और पश्चाताप करते हुए घर चली गई । क्या आपको समझ मेँ आयी ? अगर आई हो तो SHARE करके दुसरे लोगो को भी समझाने मे मदद कीजिये ना महेरबानी. बडी कृपा होगी ।
हो सकता है आपका ही एक shareकिसी की सोच बदल दे..
और एक कन्या भ्रूण सुरक्षित, पूर्ण विकसित होकर इस संसारमें जन्म ले.....

Feb 21, 2013

वाह! चायवाले ने गरीब बच्चों के लिए खोल डाला स्कूल:.....

वाह! चायवाले ने गरीब बच्चों के लिए
खोल डाला स्कूल:-
कटक के एक छोटे से टी-स्टॉल
का मालिक गरीब बच्चों की मदद करत
करते उनके लिए एक शिक्षक भी बन
... गया।हर सुबह चाय के ठेला चलाने
वा प्रकाश राव कुछ गरीब
बच्चों को दूध बेचता है जो उसके स्टॉल
के करीब आते हैं। अगर यह 55 साल
का चायवाला इस ओर कदम
नहीं बढ़ाता तो शायद यह बच्चे
कभी पढ़ ही नहीं पाते।
प्रकाश को 11 कक्षा में छात्रवृत्ति के
बाद भी पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी जिसके
कारण वह शिक्षा की अहमियत जान
चुका था। इसके कारण ही प्रकाश ने
बस्ती में रहने वाले बच्चों को स्कूल
भेजने के लिए प्रेरित किया गया। इस
गांव के 2 किमी के आस पास 4
सरकारी स्कूल हैं पर ज्यादातर मां बाप
बेहद गरीब परिवार से हैं और वह अपने
बच्चों को इस कारण वहां नहीं भेज
सकते।
ऐसे बच्चों की मदद प्रकाश ने
करी जिससे वह पास में
ही अच्छी शिक्षा मुफ्त में ले पाएं।राव
ने सभी बच्चों को कक्षा 3 तक
पढ़ाता है और इसको पास करने वाले
छात्रों को वह सरकारी स्कूल भेजने में
भी मदद करता है।बस्ती में रहने
वाली एक मां बी नागरातनम के मुताबिक
स्कूल से बच्चों का मन पढ़ने में लग
गया।इससे पहले सभी बच्चे
आवारा घूमते रहते थे अब पढ़ाई में
अपना ध्यान लगाकर वह
अपना भविष्य बना रहे हैं।
हालांकि स्कूल बनाने का यह
सपना इतना आसान नहीं था। प्रकाश
को किसी वित्तीय संस्थान से कोई मदद
नहीं मिली और उसने अपने बल पर यह
काम पूरा किया। स्कूल के लिए पूरे
महीने के किराया 10,000 रुपए
होता है जिसमें 4 शिक्षकों का वेतन
अलग होता है। प्रकाश अपने टी स्टॉल
से 20,000 रुपए का फायदा महीने में
कमाता है और कभी किसी बिल के
भुगतान में देरी नहीं करता।
by: gurudip

99% लोग धर्म के नाम पर अपना बुद्धि , विवेक खो देते हैँ ...

आज हर तरफ नफरत , धार्मिक असहिष्णुता फैली हुई है ।
इस बीच एक बयान इंडियन प्रेस कौँसिल के अध्यक्ष मारकंडे काटजुके तरफ से आया था ।
भारत के 90 % लोग मुर्ख है ।
पहली नजर मेँ मुझे अटपटा सा लगा ये बयान पर इस बात पर जब मैँने गौरकिया तो मुझे उनके बातोँ मेँ 101% सच्चाई लगी ।
... देखिये कैसे ?
1. हिन्दु - अपने को हिन्दु और गाय को माता कहने वाले लोग कितने अपनेधर्म को सही ढंग से निभाते हैँ यु पी के एक मँत्री ने तो अपनी गाय माता की दलाली तक कर दी ।
आम हिन्दु भी पैसो के खातिर गाय कसाइयोँ के हाथो बेचते दिख जाएंगे ।
मंदिर के पुजारी पैसे लेकर अपना उल्लु सीधा करने मेँ लगे हैँ ।
मंदिर मठो मेँ हजारोँ करोङो ये ढोगी दबाए बैठे हैँ जबकि इन्हीँ के धर्म को मानने वाले हाथो मेँ कटोरा लिए भीख मांगते मिल जाएंगे ।
इन ढोंगियोँ के खिलाफ कोई हिन्दु आंदोलन नहीँ करता ।
2. मुस्लिम- अपने को मुस्लिम मानने वाले आज अपना इमान बेचे बैठे हैँ अल्लाह के नाम पर मासुमोँ का कत्लेआम करते फिरते हैँ अपनी हीँ जाति के सिया भाईयोँका आए दिन कत्ल करते रहते हैँ ।
तब कोई मुस्लिम आंदोलन नहीँ करता उन तालीबानियोँ , उन सुन्नी नेताओँ के खिलाफ ।
क्युं भाई क्युँ नहीँ करते उनका विरोध करते ?
इन मुर्खो के पास अपना खुद का दिमाग नहीँ ।
कौन ऐसा भगवान , अल्लाह , खुदा , मुसा है जो अपने बेटोँ का खुन बहता देखेँ या कहता है कि मासुमोँका खुन बहाओँ ।
अगर कोई भगवान , अल्लाह कहता है ऐसा करने के लिए तो मैँ उसे अपना खुदा , भगवान नहीँ मानुंगा ।
ईसाई - अपने को ईसाई मानने वाले आजकल दुसरोँ को मुर्ख बनाने मेँ लगे हैँ ये आदिवासी इलाकोँ मेँ जाते हैँ और अंधविश्वास को बढावा दे रहे हैँ तबियत खराब होने पर प्राथना करने के लिए बोलते हैँ येमुर्ख ।
क्या सिर्फ प्राथना करने से कौई ठीक हो जाएगा ?
आज धर्म की आङ ले के लोगो को बहकाया जा रहा है ।
99% लोग धर्म के नाम पर अपना बुद्धि , विवेक खो देते हैँ । एक इंसान से तुरंत हिन्दु मुसलिम सिख इसाई बन जाते हैँ ।
अरे मुर्खो भेङ ना बनोँ , बनना है तो एक इंसान बनो ।

बहुत समय पहले की बात है.....

बहुत समय पहले की बात है एक सरोवर में बहुत सारे
मेंढक रहते थे . सरोवर के बीचों -बीच एक बहुत
पुराना धातु का खम्भा भी लगा हुआ था जिसे
उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने
लगवाया था . खम्भा काफी ऊँचाथा और
... उसकी सतह भी बिलकुल चिकनी थी .
एक दिन मेंढकों के दिमाग में आया कि क्यों ना एक
रेस करवाई जाए . रेस में भागलेने
वाली प्रतियोगीयों को खम्भे पर चढ़ना होगा ,
और जो सबसे पहले एक ऊपर पहुच
जाएगा वही विजेता माना जाएगा .
रेस का दिन आ पंहुचा , चारो तरफ बहुत भीड़ थी ;
आस -पास के इलाकों से भी कई मेंढक इस रेस में
हिस्सा लेने पहुचे . माहौल में सरगर्मी थी , हर
तरफ
शोर ही शोर था .
रेस शुरू हुई …
…लेकिन खम्भे को देखकर भीड़ में एकत्र हुए
किसी भी मेंढक को ये यकीन नहीं हुआकि कोई
भी मेंढक ऊपर तक पहुंच पायेगा …
हर तरफ यही सुनाई देता …
“ अरे ये बहुत कठिन है ”
“ वो कभी भी ये रेस पूरी नहीं कर पायंगे ”
“ सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं , इतने
चिकने खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता ”
और यही हो भी रहा था , जो भी मेंढक कोशिश
करता , वो थोडा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता ,
कई मेंढक दो -तीन बार गिरनेके बावजूद अपने
प्रयास
में लगे हुए थे …
पर भीड़ तो अभी भी चिल्लायेजा रही थी , “ ये
नहीं हो सकता , असंभव ”, और वो उत्साहित मेंढक
भी ये सुन-सुनकर हताश हो गएऔर अपना प्रयास
छोड़ दिया .
लेकिन उन्ही मेंढकों के बीचएक छोटा सा मेंढक
था , जो बार -बार गिरने पर भी उसी जोश के
साथ ऊपर चढ़ने में लगा हुआ था ….वो लगातार
ऊपर
की ओर बढ़ता रहा ,और अंततः वह खम्भे के ऊपर
पहुच
गया और इस रेस का विजेता बना .
उसकी जीत पर सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ ,
सभी मेंढक उसे घेर कर खड़े हो गए और पूछने लगे ,”
तुमने
ये असंभव काम कैसे कर दिखाया , भला तुम्हे
अपना लक्ष्य प्राप्त करने की शक्ति कहाँ से
मिली, ज़रा हमें भी तो बताओ कि तुमने ये विजय
कैसे प्राप्त की ?”
तभी पीछे से एक आवाज़ आई … “अरे उससे क्या पूछते
हो , वो तो बहरा है ”
Friends, अक्सर हमारे अन्दर अपना लक्ष्य
प्राप्त
करने की काबीलियत होती है, पर हम अपने
चारों तरफ मौजूद नकारात्मकता की वजह से खुद
को कम आंक बैठते हैं और हमने जो बड़े-बड़े सपने देखे
होते हैं उन्हें पूरा किये
बिना ही अपनी ज़िन्दगी गुजार देते हैं .
आवश्यकता इस बात की है हम हमें कमजोर बनाने
वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे हर एक
दृश्य
के प्रति अंधे हो जाएं. और तब हमें सफलता के शिखर
पर पहुँचने से कोई नहीं रोकपायेगा.
....... पोस्ट अच्छा लगे तो blog को अवश्य follow करे

Feb 18, 2013

आज का सच - ....!!!!


पति : फोन आया था । कल सुबह मां आ रही है।
उनकी ट्रेन सुबह 4 बजे पहुंच जाएगी ।
पत्नी : अभी 4 माह पहले
ही तो तुम्हारी मां यहां से गई हैं।
फिर अचानक कैसे आ रही हैं? कल रविवार है,
मैंने सोचा था,
कल थोड़ा आराम से उठूंगी, लेकिन
तुम्हारी मां को रविवार
को ही आना है और वह भी सुबह 4 बजे।
... इतनी सुबह taxi
कहां से ..... ?
पति : मेरी... नहीं तुम्हारी मां आ रही है।
पत्नी : अरे वाह... मम्मी......? ..... 2 माह
हो गये उनसे
मिले हुए। सुनो ना मेरे पास taxi वाले का नंबर
भी है उसे फोन कर
लेते हैं कल सुबह ठीक टाईम पर आ जाएगा।
चलो अच्छा है
कल सण्डे है बच्चों का स्कूल भी नहीं है वे
भी नानी को लेने
स्टेशन जा सकेंगे।

Feb 17, 2013

ये देश की तरक्की नही कि 15 रुपये मेँ पानी की बोतल मिलती है ।...

ये देश की तरक्की नही कि 15 रुपये मेँ पानी की बोतल मिलती है ।
.
.
.
.
... .
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बल्कि प्रजातंत्र के गाल पर करारा तमाचा है कि आजादी के इतने सालोँ बाद भी सरकार देश की जनता को शुद्द पानी फ्री मेँ उपलब्ध नहीँ करा पायी ।

दो सहेलियाँ वर्षों बाद मिलीं...एक ने दूसरी से पूछा....

दो सहेलियाँ वर्षों बाद मिलीं. औपचारिक कुशल
क्षेम के बाद
एक ने दूसरी से पूछा.
.
'कितने बच्चे हैं तुम्हारे ?
... '
दो बेटियाँ हैं 'दूसरी ने हर्ष के साथ कहा.
पहली सहेली ने चेहरे पर सिकन लाते हुए कहा -:
'हे भगवान, इस जमाने में दो बेटियाँ. मेरे
तो दो बेटे हैं.
मुझे भी दो बार पता चला था गर्भ में बेटी है,
मैंने तो छुटकारा पा लिया. ...
अब देखो कितनी निश्चिन्त हूँ.'
पहली ने कहा. 'काश, तीस वर्ष पहले
तेरी माँ ने भी तेरे जन्म से पहले ऐसा किया होता
तब आज तू दो हत्याओं की दोषी न होती.
तेरी माँ को एक ही ह्त्या का पाप लगता'.
पास में खड़ी सहेली की इस बात पर घिग्गी बन्ध
गई ..!!
उसके पास सर नीचे झुकाने के आलावा कोई
चारा ना था ..!!

एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति नाव में सवार हुआ। वह घमंड से भरकर नाविक से पूछने लगा,....

एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति नाव में सवार हुआ।
वह घमंड से भरकर नाविक
से पूछने लगा,
‘‘क्या तुमने व्याकरण पढ़ा है, नाविक?’’
नाविक बोला, ‘‘नहीं।’’
... व्यक्ति ने कहा, ‘‘अफसोस है कि तुमने अपनी आधी उम्र
यों ही गँवा दी!’’
थोड़ी देर में उसने फिर नाविक से पूछा,
“तुमने इतिहास वभूगोल पढ़ा?”
नाविक ने फिर सिर हिलाते हुए ‘नहीं’
कहा।
व्यक्ति ने कहा, “फिर
तो तुम्हारा पूरा जीवन ही बेकार गया।“
मांझी को बड़ा क्रोध आया। लेकिन उस
समय वह कुछ नहीं बोला। दैवयोग से
वायु के प्रचंड झोंकों ने नाव को भंवर में
डाल दिया।
नाविक ने ऊंचे स्वर में उस व्यक्ति से
पूछा, ‘‘महाराज,
आपको तैरना भी आता है कि नहीं?’’
सवारी ने कहा, ‘‘नहीं, मुझे
तैरना नही आता।’’
“फिर तो आपको अपने इतिहास, भूगोल
को सहायता के लिए
बुलाना होगा वरना आपकी सारी उम्र
बरबाद होने वाली है क्योंकि नाव अब
भंवर मेंडूबने वाली है।’’ यह कहकर
नाविक नदी में कूद तैरता हुआ किनारे
की ओर बढ़ गया।
मनुष्य को किसी एक विद्या या कला में
दक्ष हो जाने परगर्व नहीं करना चाहिए।

एक शेर, एक गाय, एक नेता और एक गधा मरने के बाद यमलोक पहुँचे....

एक शेर, एक गाय, एक नेता और एक गधा मरने
के बाद यमलोक पहुँचे । यमदूत ने तीनोँ से उनके
मरने का कारण पूँछा ।
पहले शेर बोला"अब धरती पर जंगल तो बचे
नहीँ हैँ इसलिए मैँ खाने की तलाश मेँ भटकता-
... भटकता शहर पहुँच गया । वहाँ लोगोँ नेमुझे देखते
ही गोली मार दी और मैँ मर गया ।"
गाय ने कहा"हमारे
यहाँ सारा चारा तो नेता खा गये इसलिए हम भूख
के कारण मर गये ।"
नेताजी बोले"मैँने ढ़ेर सारेघोटाले किए जैसे
चारा घोटाला, मनरेगा घोटाला, एन आर एच एम
घोटाला और दूरसंचार घोटाला । इन घोटालोँ से
ढ़ेर सारा रुपया पैसा इकट्ठा किया लेकिन एक
दिन आयकर विभाग का छापा पड़ा और
सारा रुपया जब्त कर लिया गया । इस सदमेँसे
मुझे दिल का दौरा पड़ा और मेरी मृत्यु हो गयी ।
अब मेरी बीवी और बच्चे भी जेल मेँ सड़रहे हैँ
और दिन- रात मुझे गंदी-गंदी गालियाँ देकर
कोसते रहते हैँ ।"
गधा बोला "धरती पर लोग नेताओँ को गधा बोलने
लगे हैँ इसलिए शरम के मारे मैँने आत्महत्या कर
ली ।"

Feb 2, 2013

एक छोटा सा लड़का जिस की उम्र कोई 6 या 7 साल थी. एक खिलोने की दूकान ....

एक छोटा सा लड़का जिस की उम्र कोई 6 या 7
साल थी. एक खिलोने की दूकान पर खड़ा दुकानदार
से कुछ बात कर रहा था, दुकानदार ने न जाने उससे
क्या कहा की वो वह से थोडा सा दूर हट गया और
वहां से खड़े खड़े वो कभी दुकान पर रखी एक सुन्दर
सी गुडिया को देखता और कभी अपनी जेब में हाथ
डालता. वो फिर आँख बंद करके कुछ सोचता और
फिर दुबारा गुडिया को देखने और अपनी जेब टटोलने
का क्रम दुहराने लगता.
वही कुछ दूर पर खड़ा एक आदमी बहुत देर से
उसकी और देख रहा था. वो आदमी जैसे ही आगे
को बढ़ा वो बच्चा दुकानदार के पास गया और कुछ
बोला फिर दुकानदार की आवाज सुने
पड़ी की नहीं तुम ये गुडिया नहीं खरीद सकते
क्योकि तुम्हारे पास जो पैसे है वो काफी कम है.
.
वो बच्चा उस आदमी की और मुड़ा और उसनेउस
आदमी से पूछा अंकल क्या आपको लगताहै की मेरे
पास वास्तव में कम पैसे है. उस आदमी ने पैसे गिने
और बोला हां बेटा ये वास्तव में कम है. तुम इतने
पैसो से वो गुडिया नहीं खरीद सकते. उसलड़के ने
आह भरी और फिर उदास मन से उस गुडिया को घूरने
लगा.
अब उस आदमी ने उस लड़के से पूछा ” तुम ये
गुडिया ही क्यों लेना चाहते हो”. लड़के ने उत्तर
दिया ये गुडिया मेरी बहिन को बहुत पसंद है. और में
ये गुडिया उसको उसके जन्मदिन पर गिफ्ट
करना चाहता हु. मुझे ये
गुडिया अपनी माँ को देनी है, ताकि वो ये
गुडिया मेरे बहिन को दे दें जब वो उसके पास जाये.
.
उस आदमी ने पूछा कहा रहती है तुम्हारी बहिन.
छोटा लड़का बोला मेरे बहिन भगवान के पास
चली गयी है. और पापा कहते है
जल्दी ही मेरी माँ भी उससे मिलने भगवान के पास
जाने वाली है. और मै चाहता हु की मेरी माँ जब
भगवान के पास जाये तो वो ये गुडिया मेरी बहीन के
लिए ले जाये. उस आदमी की आखों से आंसू छलकने
लगे थे. पर लड़का अभी बोल ही रहा था.
.
वो कह रहा था की मै पापा से
कहूँगा की वो माँ को कहे की कुछ और तक दिन
भगवान के पास न जाये. ताकि मै कुछ और पैसे
जमा कर लूँ और ये गुडिया ले कर अपनी बहिन के
लिए भेज दू. फिर उसने अपनी एक फोटो जेब से
निकली इस फोटो में वो हँसता हुआ बहुत सुन्दर दिख
रहा था.
.
फोटो दिखाकर वो बोला ये फोटो भी मै
अपनी माँ को दे दूंगा, ताकि वो इसे भी मेरी बहिन
को दे ताकि वो हमेशा मुझे याद रख सके…………. मै
जानता हु की मेरी माँ इतनी जल्दी मुझे छोड़ कर
मेरी बहिन से मिलने नहीं जाएगी. लेकिनपापा कहते
है की वो 2 -1 दिन में चली जाएगी.
उस आदमी ने झट से अपनी जेब से पर्स निकला और
उसमे से एक 100 रुपए का नोटनिकल कर
कहा……….. लाओ अपने पैसे दो मै दुकानदार से
कहता हु शायद वो इतने पैसे में ही दे दे. और उसने उस
लड़के केसामने रुपये गिनने का अभिनय किया और
बोला…….. अरे तुम्हारे पास तो उस
गुडिया की कीमत से अधिक पैसे है. उस लड़के ने
आकाश की और देख कर कहा भगवान
तेरा धन्यवाद….
.
अब वो लड़का उस आदमी से बोला कल रात को मैंने
भगवान से कहा था की हे भगवानमुझे इतने पैसे दे
देना की मै वो गुडिया ले सकू. वैसे मै एक सफ़ेद
गुलाबभी लेना चाहता था किन्तु भगवान से
ज्यादा मांगना मुझे ठीक नहीं लगा. पर उसने मुझे
खुद ही इतना दे दिया की मै गुडिया और गुलाब
दोनों ले सकता हु. मेरी माँ को सफ़ेद गुलाब बहुत
पसंद है.
उस आदमी की आँखों से आंसू नीचे गिरने लगे. फिर
उसने उन्हें संभलते हुए उस लड़के से कहा ठीक है बच्चे
अपना ख्याल रखना. और वो वहा से चला गया.
रस्ते भर उस आदमी के दिमाग मै
वो लड़का छाया रहा. फिर अचानक उसे 2 दिन पहले
अख़बारमै छपी खबर याद आयी जिस में एक
हादसा छपा था की किसी युवक ने शराब के नशे में
एक दूसरी गाड़ी को टक्कर मार दी.
गाड़ी में सवार एक लडकी की मौके पर ही मौत
हो गयी और महिला गंभीर रूप से घायल थी. अब
उसके मन में सवाल आया कही ये उस लड़के
की माँ और बहिन ही तो नहीं थे.
अगले दिन अख़बार में खबर आयी की उस
महिला की भी मौत हो गयी है.
वो आदमी उसमहिला के घर सफ़ेद गुलाब के फूल ले कर
गया. उस महिला की लाश आँगन में
रखी थी.उसकी छाती पर वो सुन्दर
सी गुडिया थी जो उस लड़के ने ली थी और उस
महिला के एकहाथ में उस लड़के की वो फोटो थी और
दुसरे में वो सफ़ेद गुलाब का फूल था.
वो आदमी रोता हुआ बाहर निकला. उसके मनमै एक
ही बात थी एक शराब के नशे मै चूरएक युवक के कारन
एक छोटा सा बच्चा अपनी माँ और बहिन से दूर
हो गया जिन्हें वो बहुत प्यार करता था. इस
कहानी को पढ़कर और इस समय लिखते हुए भी मेरे
आँखों मै भी पानी है. और शायद आपकी आँखों में
भी आ जाये मगर उसपानी को आँशु मत समझ लेना.
वो पानी बेशक नमकीन हो सकता है जैसे आँशु होते
है. पर वो आँशु नहीं होंगे.
अगर ये कहानी पढने के बाद आपकी आँखों में आँशु
आते है जो आपको बदलने को मजबूर कर दे
तो ही उनको आँशु
मानना नहीं तो वो पानी ही होगा.और अगर
आपकी आँखों में वास्तव में आँशु है
पानी नहीं तो प्रण करे की आजके बाद कभी न
तो शराब पी कर गाड़ी चलाएंगे, न कानो में एयर
फ़ोन लगा कर गाने सुनते हुए गाडी मोटर साइकिल
या कोई वाहन चलाएंगे न गाड़ी चलते समय फ़ोन पे
बात करेंगे ना ही कभी तेज़ रफ़्तार में
गाड़ी चलाएंगे.

एक रोटी की कहानी...

डाइनिंग टेबल पर खाना देखकर
बच्चा भड़का
...
फिर वही सब्जी,रोटी और दाल में
तड़का....?

मैंने कहा था न कि मैं
पिज्जा खाऊंगा

रोटी को बिलकुल हाथ
नहीं लगाउंगा

बच्चे ने थाली उठाई और बाहर
गिराई.......?
-------

बाहर थे कुत्ता और आदमी
दोनों रोटी की तरफ लपके .......?

कुत्ता आदमी पर भोंका

आदमी ने रोटी में खुद को झोंका

और हाथों से दबाया
कुत्ता कुछ भी नहीं समझ पाया

उसने भी रोटी के दूसरी तरफ मुहं
लगाया दोनों भिड़े
जानवरों की तरह लड़े

एक तो था ही जानवर,

दूसरा भी बन गया था जानवर.....

आदमी ज़मीन पर गिरा,

कुत्ता उसके ऊपर चढ़ा

कुत्ता गुर्रा रहा था
और अब आदमी कुत्ता है
या कुत्ता आदमी है कुछ
भी नहीं समझ आ रहा था

नीचे पड़े आदमी का हाथ लहराया,

हाथ में एक पत्थर आया

कुत्ता कांय-कांय करता भागा........

आदमी अब जैसे नींद से जागा हुआ खड़ा

और लड़खड़ाते कदमों से चल पड़ा.....

वह कराह रहा था रह-रह कर
हाथों से खून टपक रहा था
बह-बह कर आदमी एक झोंपड़ी पर पहुंचा.......

झोंपड़ी से एक बच्चा बाहर आया और
ख़ुशी से चिल्लाया

आ जाओ, सब आ जाओ
बापू रोटी लाया, देखो बापू
रोटी लाया, देखो बापू
रोटी लाया.........!!!

Jan 31, 2013

एक अमेरिकन बोला भाई साहब बताइये अगर आपका भारत महान है तो सँसार के इतने आविष्कारों में आपके देश का क्या योगदान है ??

एक अमेरिकन बोला भाई साहब बताइये अगर आपका भारत महान है तो सँसार के इतने आविष्कारों में आपके देश का क्या योगदान है ??
हिन्दुस्तानी - अरे अमरीकन सुन !!
१. संसार की पहली फायर प्रूफ लेडी भारत में हुई !! नाम था "होलिका" आगमें जलती नही थी !! इसीलिए उस वक्त फायर ब्रिगेड चलती नही थी!!
२. संसार की पहली वाटर प्रूफ बिल्डिँग भारत में हुई !! नाम था भगवान विष्णु का"शेषनाग" !! काम तोऐसे जैसे"विशेषनाग" !!
३. दुनिया के पहले पत्रकार भारत में हुए!! "नारदजी" जो किसी राजव्यवस्था से
... नही डरते थे !! तीनों लोक की सनसनी खेज रिपोर्टिँग करते थे !!
४. दुनिया के पहले कॉँमेन्टेटर"संज ­ ­­य" हुये, जिन्होंने नया इतिहास बनाया!!महाभारत के युद्ध का आँखो देखा हाल अँधे "ध्रतराष्ट" को उन्ही ने सुनाया !!
५. दादागिरी करना भी दुनिया हमने सिखाया क्योंकि वर्षो पहले हमारे"शनिदेव" ने ऐसा आतँक मचाया कि"हफ्ता" वसूली का रिवाज उन्ही के शिष्यो ने चलाया !! आज भी उनके शिष्य हर शनिवार को आते है ! उनका फोटो दिखाकर हफ्ता ले जाते है !!
अमेरिकन बोला दोस्त फालतू की बातें मत बनाओ ! कोई ढ़ंग का आविष्कार हो तो बताओ!! जैसे हमने इँसान की किडनी बदल दी, बाईपास सर्जरी कर दी आदि !!
हिन्दुस्तानी बोला रे अमरीकन
सर्जरी का तो आइडिया ही दुनिया कोहमने दिया था !! तू ही बता "गणेशजी"का ऑपरेशनक्या तेरे बाप ने किया था !!
अमरीकन हडबडाया !! गुस्से मेँ बडबडाया!! देखते ही देखते चलता फिरता नजर आया !! तब से पूरी दुनिया को हम पर मान है!!! दुनिया में देश कितने ही हो पर सबमें मेरा "भारत" महान है

Jan 29, 2013

एक सुनार था। उसकी दुकान से मिली हुई एक लुहार की दुकान थी.....


एक सुनार था। उसकी दुकान से मिली हुई एक लुहार की दुकान थी। सुनार जब काम करता, उसकी दुकान से बहुत ही धीमी आवाज होती, पर जब लुहार काम करतातो उसकी दुकान से कानो के पर्दे फाड़ देने वाली आवाज सुनाई पड़ती।

एक दिन सोने का एक कण छिटककर लुहार की दुकान में आ गिरा। वहां उसकी भेंट लोहे के एक कण के साथ हुई।
...
सोने के कण ने लोहे के कण से कहा, "भाई, हम दोनों का दु:ख समान है। हम दोनों को एक ही तरह आग में तपाया जाता है और समान रुप से हथौड़े की चोटें सहनी पड़ती हैं। मैं यह सब यातना चुपचाप सहन करता हूं, पर तुम...?"

"तुम्हारा कहना सही है, लेकिन तुम पर चोट करने वाला लोहे का हथौड़ा तुम्हारा सगा भाई नहीं है, पर वह मेरा सगा भाई है।" लोहे के कण ने दु:ख भरे स्वर में उत्तर दिया। फिर कुछ रुककर बोला, "पराये की अपेक्षा अपनों के द्वारा गई चोट की पीड़ा अधिक असह्म होती है।"

Jan 28, 2013

एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया...

एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि-
” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”
... तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”
बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.
दोस्तों , हममें से बहुत से लोग उस बाज की तरह ही अपना असली potential जाने बिना एक second-class ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की mediocrity हमें भी mediocre बना देती है.हम में ये भूल जाते हैं कि हम आपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है,पर फिर भी बस एक औसत जीवन जी के हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.
आप चूजों की तरह मत बनिए , अपने आप पर ,अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए. आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर दिखाइए क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है.

Jan 27, 2013

रेगिस्तान में एक आदमी के पास यमदूत आया लेकिन आदमी उसे पहचान....

रेगिस्तान में एक आदमी के पास यमदूत आया लेकिन आदमी उसे पहचान नहीं सका और उसने उसे पानी पिलाया.

“मैं मृत्युलोक से तुम्हारे प्राण लेने आया हूँ” – यमदूत ने कहा – “लेकिन तुम अच्छे आदमी लगते हो इसलिए मैं तुम्हें पांच मिनट के लिए नियति की पुस्तक दे सकता हूँ. इतने समय में तुम जो कुछ बदलना चाहो, बदल सकते हो”.

यमदूत ने उसे नियति की पुस्तक दे दी. पुस्तक के पन्ने पलटते हुए आदमी को उसमें अपने पड़ोसियों के जीवन की झलकियाँ दिखीं. उनका खुशहाल जीवन देखकर वह ईर्ष्या और क्रोध से भर गया.
...
“ये लोग इतने अच्छे जीवन के हक़दार नहीं हैं” – उसने कहा, और कलम लेकर उनके भावी जीवन में भरपूर बिगाड़ कर दिया.

अंत में वह अपने जीवन के पन्नों तक भी पहुंचा. उसे अपनी मौत अगले ही पल आती दिखी. इससे पहले कि वह अपने जीवन में कोई फेरबदल कर पाता, मौत ने उसे अपने आगोश में ले लिया.

अपने जीवन के पन्नों तक पहुँचते-पहुँचते उसे मिले पांच मिनट पूरे हो चुके थे.

बच्चे का मस्तिष्क कोरे कागज की तरह होता है....

''वाऊ क्या मस्त आंटी है,इसकी माँ की आँख''
अपने दोस्त के छः वर्षिय बच्चे केमुँह से ये वाक्य सुनकर मैँ भौंचकरह गया।
दोस्त और उसकी पत्नी झेँप से गये।
बच्चा 'नो एंट्री'मूवी देख रहा था,
फिर सारी बाते समझ आ गई।
... दोष बच्चे से ज्यादा उसके परिवेश का था।
मूवी,टीवी के अलावा बच्चे मेँ इस नकारात्मक गुण का कारण था,
बड़ो के द्वारा बोले जाने वाले अपशब्द।
बच्चे का मस्तिष्क कोरे कागज की तरह होता है,
अच्छी या बुरी चीजो को काफी तिव्रता से ग्रहण करता है।
इसलिये बच्चो के सामने अपशब्दो का उपयोग ना करें चाहे अपना बच्चाहो या दुसरो का।
।।संयमित और मर्यादित भाषा और विचार से सभ्य समाज का उत्कर्ष होता है।।

Jan 22, 2013

भिखारी को देना पुण्य है। मैंने उसे अधिक रुपए देकर पुण्य कमाया है...एक कहानी...


'ओ... रिक्शे वाले, आजाद नगर चलोगे?' सज्जन व्यक्ति जोर से चिल्लाया।

'हाँ-हाँ क्यों नहीं?' रिक्शे वाला बोला।
...
'कितने पैसे लोगे?'

'बाबू जी दस रुपए।'

'अरे दस रुपए बहुत ज्यादा हैं मैं पाँच रुपए दूँगा।'

रिक्शे वाला बोला, 'साहब चलो आठ...'

'अरे नहीं मैं पाँच रुपए ही दूँगा।' रिक्शेवाला सोचने लगा, दोपहर हो रही है जेब में केवल बीस रुपए हैं, इनसे बच्चों के लिए एक समय का भरपेट खाना भी पूरा नहीं होगा।

मजबूर होकर बोला ठीक है साब बैठो। रास्ते में रिक्शेवाला सोचता जा रहा था, आज का इंसान दूसरे इंसान को इंसान तो क्या जानवर भी नहीं समझता। ये भी नहीं सोचा यहाँ से आजाद नगर कितनी दूर है, पाँच रुपए कितने कम हैं। मैं भी क्या करूँ? मुझे भी रुपयों की जरूरत है इसलिए इसे पाँच रुपए में पहियों की गति के साथ उसका दिमाग भी गतिशील था।

आजाद नगर पहुँचने के बाद जैसे ही वह रिक्शे से नीचे उतरा। एक भिखारी उसके सामने आ गया। सज्जन व्यक्ति ने अपने पर्स से दस रुपए उस भिखारी को दे दिए और पाँच रुपए रिक्शे वाले को।

रिक्शेवाला बोला, साहब मेरे से अच्छा तो यह भिखारी रहा जिसे आपने दस रुपए दिए। मैं इतनी दूर से लेकर आया और मेरी मेहनत के सिर्फ पाँच रुपए?'
सज्जन व्यक्ति बोला, 'भिखारी को देना पुण्य है। मैंने उसे अधिक रुपए देकर पुण्य कमाया है।'

'और जो मेरी मेहनत की पूरी मजदूरी नहीं दी ऐसा करके क्या तुम पाप के भागीदार नहीं?' रिक्शेवाले ने कहा। उसकी बात सुनते ही सज्जन व्यक्ति को क्रोध आ गया। वह बोला - 'तुम नीच लोगों से मुँह लगाना ही फिजूल है।

इस पर कवी अशोक चक्रधर जी ने क्या खूब कहा हैं
आवाज़ देकर
रिक्शेवाले को बुलाया
वो कुछ
लंगड़ाता हुआ आया।

मैंने पूछा—
यार, पहले ये तो बताओगे,
पैर में चोट है कैसे चलाओगे ?

रिक्शेवाला कहता है—
बाबू जी,
रिक्शा पैर से नहीं
पेट से चलता है।

Jan 16, 2013

एक बार एक दम्पति ने भ्रूण परिक्षण के उद्येश्य से आपसी विचार विमर्श के बाद...


शुभ-प्रभात मित्रो


"एक बार एक दम्पति ने भ्रूण परिक्षण के उद्येश्य से आपसी विचार विमर्श के बाद, शहर के एक नामी क्लिनिक मेंजाने का फैसला लिया l
एक रिक्शे पर सवार होकर उन्होंने उसे सम्बंधित क्लिनिक में चलने का निर्देश दिया l
क्लिनिक आने ही वाला था कि तभी रिक्शेवाले के मोबाइल कि घंटी बज गई l
रिक्शेवाले ने दम्पति से थोड़ा रूककर बात करने कि इजाजत मांगी l दम्पति ने सहमति दे दी l दोनों पति-पत्नी एकाग्र होकर रिक्शेवाले का वार्तालाप सुनने लगे l
... जब रिक्शेवाले कि बात समाप्त हो गई तो दम्पति ने उससे पूछा कि किससे बात हो रही थी ! रिक्शेवाले ने बड़ीही सहजता से कहा कि वह मेरी एक मात्र बेटी है जो विदेश में एक मल्टीनैशनल कंपनी में २० लाख प्रति वर्ष के वेतन पर काम करतीहै l उसके पास गाड़ी, बंगला, नौकर चाकर सब हैं ! वह मुझसे साथ रहने का अनुरोध कर रही थी मगर इस रिक्शे की कमाई से मैंने उसे आजइस काबिल बनाया है तोमुझे इस पेशे पर बहुत गर्व है l इसलिए मैं उसके पास विदेश नहीं जाना चाहता हूँ !बस वह यही अनुरोध कर रही थी! पति-पत्नी ने एक दूसरे की आँखों में देखा ! मन ही मन इशारे किये और रिक्शेवाले को वापिस घर लेकर चलने को कहा !
रिक्शेवाला बोला बाबूजी ! क्लिनिक तो आ ही गया है फिर घर क्यूँ ? बाबूजी बोले अब हमारी तबियत ठीक हो गई है ! चलो वापिस ! रिक्शेवाला मन ही मन सोचने लगा की आखिर एक फ़ोन आने से इनकी तबियत कैसे ठीक हो गयी अचानक !

कहानी..........दो नगीने...


किसी शहर में एक रब्बाई (यहूदी पुजारी) अपनी गुणवती पत्नी और दो प्यारे बच्चों के साथ रहता था. एक बार उसे किसी काम से बहुत दिनों के लिए शहर से बाहर जाना पड़ा. जब वह दूर था तब एक त्रासद दुर्घटना में उसके दोनों पुत्र मारे गये.
...
ऐसी दुःख की घड़ी में रब्बाई की पत्नी ने खुद को बड़ी मुश्किल से संभाला. वह बहुत हिम्मती थी और ईश्वर में उसकी आस्था अटूट थी. लेकिन उसे यह चिंता थी कि रब्बाई के लौटने पर वह उसे यह दुखद समाचार किस प्रकार देगी. रब्बाई स्वयं बहुत आस्थावान व्यक्ति था लेकिन वह दिल का मरीज़ था और पूर्व में अस्पताल में भी भर्ती रह चुका था. पत्नी को यह आशंका थी कि वह यह सदमा नहीं झेल पायेगा.

पति के आगमन की पूर्व संध्या को उसने दृढ़तापूर्वक प्रार्थना की और शायद उसे अपनी समस्या का कोई समाधान मिल गया.

अगली सुबह रब्बाई घर पहुँच गया. बड़े दिनों के बाद घर वापसी पर वह पत्नी से गर्मजोशी से मिला और लड़कों के बारे में पूछा.

पत्नी ने कहा, "उनकी चिंता मत कीजिये. आप नहा-धोकर आराम करिए".

कुछ समय के बाद वे भोजन करने के लिए बैठे. पत्नी ने उससे यात्रा के बारे में पूछा. रब्बाई ने उसे इस बीच घटी बातों की जानकारी दी और कहा कि ईश्वर की दया से सब ठीक हुआ. फिर उसने बच्चों के बारे में पूछा.

पत्नी कुछ असहज तो थी ही, फिर भी उसने कहा, "उनके बारे में सोचकर परेशान मत होइए. हम उनकी बात बाद में करेंगे. मैं इस वक़्त किसी और उलझन में हूँ, आप मुझे उसका उपाय बताइए".

रब्बाई समझ रहा था कि कोई-न-कोई बात ज़रूर थी. उसने पूछा, "क्या हुआ? कोई बात तो है जो तुम्हें भीतर-ही-भीतर खाए जा रही है. मुझे बेखटके सब कुछ सच-सच बता दो और हम साथ बैठकर ईश्वर की मदद से उसका हल ज़रूर निकाल लेंगे".

पत्नी ने कहा, "आप जब बाहर थे तब हमारे एक मित्र ने मुझे दो बेशकीमती नगीने अहतियात से सहेजकर रखने के लिए दिए. वे वाकई बहुत कीमती और नायाब नगीने हैं! मैंने उन जैसी अनूठी चीज़ और कहीं नहीं देखी है. अब वह उन्हें लेने के लिए आनेवाला है और मैं उन्हें लौटाना नहीं चाहती. मैं चाहती हूँ कि वे हमेशा मेरे पास ही रहें. अब आप क्या कहेंगे?"

"तुम कैसी बातें कर रही हो? ऐसी तो तुम नहीं थीं? तुममें यह संसारिकता कहाँ से आ गयी?", रब्बाई ने आश्चर्य से कहा.

"सच यही है कि मैं उन्हें अपने से दूर होते नहीं देखना चाहती. अगर मैं उन्हें अपने ही पास रख सकूं तो इसमें क्या बुरा है?", पत्नी ने कहा.

रब्बाई बोला, "जो हमारा है ही नहीं उसके खोने का दुःख कैसा? उन्हें अपने पास रख लेना तो उन्हें चुराना ही कहलायेगा न? हम उन्हें लौटा देंगे और मैं यह कोशिश करूंगा कि तुम्हें उनसे बिछुड़ने का अफ़सोस नहीं सताए. हम आज ही यह काम करेंगे, एक साथ".

"ठीक है. जैसा आप चाहें. हम वह संपदा लौटा देंगे. और सच यह है कि हमने वह लौटा ही दी है. हमारे बच्चे ही वे बेशकीमती नगीने थे. ईश्वर ने उन्हें सहेजने के लिए हमारे सुपुर्द किया था और आपकी गैरहाजिरी में उसने उन्हें हमसे वापस ले लिया. वे जा चुके हैं...".

रब्बाई ने अपनी पत्नी को भींच लिया और वे दोनों अपनी आंसुओं की धारा में भीगते रहे. रब्बाई को अपनी पत्नी की कहानी के मर्म का बोध हो गया था. उस दिन के बाद वे साथ-साथ उस दुःख से उबरने का प्रयास करने लगे.

Jan 13, 2013

एक प्रेमी और प्रेमिका शादी के पहले ...


एक प्रेमी और प्रेमिका शादी के पहले आपस में बहुत प्यार करते थे।
थोड़ी नोक झोक उनमें होती रहती थी। फिर प्यार से मान जाते थे वे।
शादी के बाद तो उनमें हर छोटी- मोटी बात को लेकर नोक- झोक होती थी।
कई कई दिन तक उनमें बातचित बन्द रहती थी।
आज दोनो की सालगिरह थी। लेकिन लड़की ने जानबूझ कर नहीं बताया।
... वो देखना चाहती थी की उसके पति को याद है की नहीं।
पर आज पति सुबह ही उठा और नहा धो कर जल्दी ही बाहर चला गया।
बिवि रुआँसी हो गई। थोड़ी देर बाद दरवाजे पर घण्टी बजी,वो दरवाजा खोली। देखा पति गुलदस्ते और उपहारो के साथ एनिवर्सरि सरप्राईज
लाया था। उसने उपहार लेकर पति को गले से लगा लिया फिर पति घर के अन्दर चला गया।
तभी बिवि के मोबाईल पे पुलिस वाले का कॉल आया की, उसके पति की लाश मिलि है। उसके पति का एक्सिडेंट हो चूका है।
वो सोचने लगी की उसका पति अभी तो गिफ्ट देकर अन्दर ही गया है।
फिर उसे वो बात याद आ गई जो उसने सुना था की मरने के बाद अन्तिम इच्छा पूरी करने के लिये इंसान कीआत्मा एक बार आती है। वो दहाड़ मार के रोते हुये कमरे में गई। सच में उसका पति वहाँ पर नहिं था।
वो रोने लगी उसे अपने किये गये सारे नोक झोंक याद आने लगे। वो चिल्लाने लगी प्लीज कमबैक,प्लीज कमबैक। मैं कभी नहीं लड़ुँगी।
तभी बाथरूम से उसका पति निकला और रोने का कारण पूछा।
बिवि उसके सीने से लिपट गई और रोने लगी फिर सारी बात
बताई। तब पति ने बताया की आज सुबह उसका पर्स चोरी हो गया था।
ऐसे ही जिन्दगी में कई अहम रिश्ते और दोस्ती होते है, जिनका महत्व हमें तब समझ आता है।जब वो नहीं होते। प्यार बाँटिये नफरत कहाँ तक ढ़ो पायेंगे।
रिश्तो की अहमियत को समझिये।।।