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Jun 26, 2013

"तुम्हारा मनपसंद केक बनाकर खिलाती हूँ"

एक लड़की अपनी माँ के पास अपनी परेशानियों का बखान
कर रही थी l वो परीक्षा में फेल हो गई थी l
सहेली से झगड़ा हो गया l
मनपसंद ड्रेस प्रैस कर रही थी वो जल गई l रोते हुए बोली,
मम्मी ,देखो ना , मेरी जिन्दगी के साथ
... सब कुछ उलटा -पुल्टा हो रहा है l माँ ने मुस्कराते हुए कहा,
यह उदासी और रोना छोड़ो,
चलो मेरे साथ रसोई में ,
"तुम्हारा मनपसंद केक बनाकर खिलाती हूँ"l
लड़की का रोना बंद हो गया और हंसते हुये बोली,"केक
तो मेरी मनपसंद मिठाई है"l कितनी देर में बनेगा, कन्या ने
चहकते हुए पूछा l
माँ ने सबसे पहले मैदे का डिब्बा उठाया और प्यार से कहा,
ले पहले मैदा खा ले l लड़की मुंह बनाते हुए बोली, इसे कोई
खाता है भला l माँ ने फिर मुस्कराते हुये कहा,"तो ले
सौ ग्राम
चीनी ही खा ले"l
एसेंस और मिल्कमेड का डिब्बा दिखाया और
कहा लो इसका भी स्वाद चख लो "माँ"आज तुम्हें
क्या हो गया है ? जो मुझे इस तरह की चीजें
खाने को दे रही हो ? माँ ने बड़े प्यार और शांति से जवाब
दिया,"बेटा"केक इन
सभी बेस्वादी चीजों से ही बनता है और ये सभी मिलकर
ही तो केक को स्वादिष्ट बनाती हैं . मैं तुम्हें सिखाना चाह
रही थी कि"जिंदगी का केक"भी इसी प्रकार
की बेस्वाद घटनाओं को मिलाकर बनाया जाता है l फेल
हो गई हो तो इसे चुनौती समझो मेहनत करके पास
हो जाओ l सहेली से झगड़ा हो गया है तो अपना व्यवहार
इतना मीठा बनाओ कि फिर कभी किसी से झगड़ा न
हो l यदि मानसिक तनाव के कारण"ड्रेस"जल गई तो आगे से
सदा ध्यान रखो कि
मन की स्थिति हर परिस्थिति में अच्छी हो l बिगड़े मन से
काम भी तो बिगड़ेंगे l कार्यों को कुशलता से करने के लिए मन
के चिंतन
को कुशल बनाना अनिवार्य ह

Jun 16, 2013

मौत रिश्वत नही लेती लेकिन, रिश्वत मौत ले लेती है.....

1) अगर लगातार दौडने से लक्ष्मी मिलती तो,आज
कुत्ता लक्ष्मीपति होता.....

2) मौत रिश्वत नही लेती लेकिन, रिश्वत
मौत ले लेती है.....
...
3) काम मेँ ईश्वर का साथ मांगो लेकिन,ईश्वर
काम कर दे ऐसा मत मांगो......

4) कडवा सत्य-एक गरीब पेट के लिए सुबह
जल्दी उठकर दोडता है और एक अमीर पेट कम
करने के लिए सुबह जल्दी उठकर दौडता है..

5) 50 रुपए मेँ 1 लीटर कोल्डंड्रीक आती है..जिसमे स्वाद और पोषण जीरो..

6) सबंध भले थोडा रखो लेकिन,ऐसा रखो कि शरम
किसी की झेलनी ना पडे मौत के मुह से
जिदंगी बरस पडे और मरने के बाद शमशान
की राख भी रो पडे.

7) जब तालाब भरता है तब,मछलीया चीटीँयो को खाती है और जब
तालाब खाली होता है तब चीटींया मछलियो को खाती है
मौका सबको मिलता है बस अपनी बारी का इन्तजार करो..

8)दुनिया मेँ दो तरह के लोग होते है.. एक जो दुसरो का नाम याद रखते है और
दुसरा जिसका नाम दुसरे याद रखते है..

9) सुख मेँ सुखी हो तो दु:ख भोगना सीखो जिसको खबर नही दु:ख
की तो सुख का क्या मजा.?

10) जीवन मेँ कुछ बडा मिल जाए तो छोटे को मत भुलना.. क्योकिँ जहा सुई काम आती हो वहा तलवार काम नही आती..

11) माँ-बाप का दिल दुखाकर आज तक दुनिया मेँ कोई सुखी नही हुआ..

12) भगवान का उपकार है कि आँसुऔ को रंग
नही दिया वरना रात को भींगा तकिया सवेरे कुछ ना कुछ भैद खोल देता..

13) जो इंसान प्रेम मेँ निष्फल होता है वो जिदगी मे सफल होता है..

14) दुनिया का सबसे कीमती प्रवाही कौन सा है? आँसु जिसमेँ 1% पानी
और 99% भावनाए होती है..

15) दुनिया का सबसे अमीर आदमी भी माँ के बिना गरीब है..

16) गुस्से मे आदमी कभी कभी व्यर्थ बाते करता है, तो कभी मन की बात भी बोल देता है..

17) भगवान खडा है तुझे सब कुछ देने के लिए लेकिन तु चम्मच
लेकर खडा है पुरा सागर माँगने के लिए..

May 18, 2013

एक हीरा व्यापारी था जो हीरे का बहुत बड़ा विशेषज्ञ माना जाता था ।

एक हीरा व्यापारी था जो हीरे का बहुत बड़ा विशेषज्ञ माना जाता था । किन्तु किसी गंभीर बीमारी के चलते अल्प आयु में ही उसकी मृत्युहो गयी । अपने पीछे वह अपनी पत्नी और बेटा छोड़ गया ।

जब बेटा बड़ा हुआ तो उसकी माँ ने कहा, “बेटा , मरने से पहले तुम्हारे पिताजी ये पत्थर छोड़ गए थे, तुम इसे लेकर बाज़ार जाओ और इसकी कीमतका पता लगाओ | लेकिन ध्यान रहे कि तुम्हे केवल कीमत पता करनी है, इसे बेचना नहीं है |”

युवक पत्थर लेकर निकला, सबसे पहले उसे एक सब्जी बेचने वाली महिला मिली |

”अम्मा, तुम इस पत्थर के बदले मुझे क्या दे सकती हो ?”, युवक ने पूछा |

”देना ही है तो दो गाजरों के बदले मुझे ये दे दो | तौलने के काम आएगा |”- सब्जी वाली बोली ।

युवक आगे बढ़ गया । इस बार वो एक दुकानदार के पास गया और उससे पत्थर की कीमत जानना चाही ।

दुकानदार बोला, ” इसके बदले मैं अधिक से अधिक 500 रूपये दे सकता हूँ, देना हो तो दो नहीं तो आगे बढ़ जाओ” |

युवक इस बार एक सुनार के पास गया, सुनार ने पत्थर के बदले 20 हज़ार देने की बात की |

फिर वह हीरे की एक प्रतिष्ठित दुकान पर गया वहां उसे पत्थर के बदले 1 लाख रूपये का प्रस्ताव मिला |

और अंत में युवक शहर के सबसेबड़े हीरा विशेषज्ञ के पास पहुंचा और बोला,” श्रीमान , कृपया इस पत्थर की कीमत बताने का कष्ट करें” |

विशेषज्ञ ने ध्यान से पत्थर का निरीक्षण किया और आश्चर्य से युवक की तरफ देखते हुए बोला, ”यह तो एक अमूल्य हीरा है | करोड़ों रूपये देकर भी ऐसा हीरा मिलना मुश्किल है” |

यदि हम गहराई से सोचें तो ऐसा ही मूल्यवान हमारा मानव जीवन भी है | यह अलग बात है कि हम में से बहुत से लोग इसकी कीमत नहीं जानते और सब्जी बेचने वाली महिला की तरह इसे मामूली समझ तुच्छ कामो में लगा देते हैं ।

आइये हम प्रार्थना करें कि परमेश्वर सभी को इस मूल्यवान जीवन को समझने की सद्बुद्धि दे और हम हीरे के विशेषज्ञ की तरह इस जीवन का मूल्य आंक सकें ॥

Apr 18, 2013

आपात आपरेशन के लिए एक फोन के बाद डाक्टर जल्दी जल्दी अस्पताल ....

एक लड़के के आपात आपरेशन के लिए एक फोन के बाद डाक्टर जल्दी जल्दी अस्पताल में प्रवेश करते हैं....उन्होंने तुरंत अपने कपडे बदल कर सर्जिकल गाउन पहना, ऑपरेशन के लिए खुद को तैयार किया और ऑपरेशन थियेटर की तरफ चल पड़े...हॉल में प्रवेश करते ही उनकी नज़र लड़के की माँ पर जाती है...जो उनका इंतज़ार करती जान पड़ती थी और बहुत व्याकुल भी लग रही थी....

डॉक्टर को देखते ही लड़के की माँ एक दम गुस्से से बोली : आपने आने इतनी
देर क्यों कर दी..? आपको पता नहीं है कि मेरे बेटे की हालत बहुत गंभीर है..? आपको अपनी जिम्मेदारी का अहसास है की नहीं..??
डॉक्टर मंद मंद मुस्कुराते हुए कहता है : मैं अपनी गलती के लिए आपसे माफ़ी मांगता हूँ...फोन आया तब मैं अस्पताल में नहीं था,जैसे ही खबर मिली मैं तुरंत अस्पताल के लिए निकल पड़ा..रास्ते में ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से थोड़ी देर हो गयी. अब आप निश्चिन्त रहो मैं आ गया हूँ भ
गवान की मर्ज़ी से
सब ठीक हो जाएगा..अब आप विलाप करना छोड़ दो..''

इस पर लड़के की माँ और ज्यादा गुस्से से : विलाप करना छोड़ दूं मतलब..? आपके कहने का मतलब क्या है..? मेरे बच्चे को कुछ हो गया होता तो.?" इसकी जगह आपका बच्चा होता तो आप क्या करते"..?? डॉक्टर फिर मंद मंद मुस्कुराते हुए : शांत हो जाओ बहन, जीवन और मरण वो तो भगवान के हाथ में है, मैं तो बस एक मनुष्य हूँ, फिर भी मैं मेरे से जितना अच्छा प्रयास हो सकेगा वो मैं करूँगा..बाकी आपकी दुआ और भगवान की मर्ज़ी..! क्या अब आप मुझे ऑपरेशन थियेटर में जाने देंगीं.?? डॉक्टर ने फिर नर्स को कुछ सलाह दी और ऑपरेशन रूम में चले गए..

कुछ घंटे बाद डॉक्टर प्रफुल्लित मुस्कान लिए ऑपरेशन रूम से बाहर आकर लड़के की माँ से कहते हैं : भगवान का लाख लाख शुक्र है की आपका लड़का सही सलामत है, अब वो जल्दी से ठीक हो जाएगा और आपको ज्यादा जानकारी मेरा साथी डॉक्टर दे देगा..ऐसा कह कर डॉक्टर तुरंत वहां से चल पड़ते हैं..

लड़के की माँ ने तुरंत नर्स से पुछा : ये डॉक्टर साहब को इतनी जल्दी भी क्या थी.? मेरा लड़का होश में आ जाता तब तक तो रूक जाते तो क्या बिगड़ जाता उनका..? डॉक्टर तो बहुत घमंडी लगते हैं''
ये सुनकर नर्स की आँखों में आंसू आ गए और कहा :''मैडम ! ये वही डॉक्टर हैं जिनका इकलौता लड़का आपके लड़के की अंधाधुंध ड्राइविंग की चपेट में आकर मारा गया है..उनको पता था की आपके लड़के के कारण ही उनके इकलौते लड़के की जान गयी है फिर भी उन्होंने तुम्हारे लड़के की जान बचाई है...और जल्दी वो इसलिए चले गए क्योंकि वे अपने लड़के की अंतिम क्रिया अधूरी छोड़ कर आ गए थे...

Apr 6, 2013

नेता जी मुझे लगता है मुझसे ज्यादा गरीब तो आप हैं ..!


उस छोटे कस्बे के चौराहे पर 1 भिखारी इसी आश में बैठा था
की कोई आये और उसके कटोरे में कुछ पैसे डाले
तो उसके आज के खाने का जुगाड़ बने
तभी एक गाड़ी वहाँ आ के रुकी।।गाड़ी से नेता जी का उतरना हुआ ..
भिखारी की तो मनो किस्मत ही खुल गई ,
... नेता जी सुखा प्रभावित क्षेत्र में निरीक्षणके लिए आये थे-
वो अपने सहायक से कुछ बात कर रहे थे
भिखारी बैठा उन्हें सुन रहा था
नेता जी :-
“आपको पता ही है कि मैं कल मिनाली जा रहा हूँ।
सुना है,वहाँ अच्छी ठंड पड़ रही है।
सहायक - "हाँ सर"
नेता जी - तो सुखा पीड़ितों के लिए जो बजट हमें मिला था,
उसमें अभी पचास हज़ार शेष हैं। इसी से आप मेरे लिए दस्ताने,
टोपी, सन ग्लासेस, जैकेट, स्लीपिंग बैग
और दौरे में खाना गर्म रखने के लिए कैसेरोल का
एक सैट खरीद लें।”
“सर!...” सहायक ने सकुचाने का सुंदर अभिनय करतेहुए कहा -
अगर आपकी आज्ञा है तो मैं भी अपने लिए
उसी में ‘एडजस्ट’ करवा लूँ।”
“ठीक है---ठीक है--नेता जी ने मुस्कराते हुए कहा ..
और वहा से चलने लगे !!
तो भिखारी ने अपना कटोरा उठाया
और नेता जी के पास आ पहुँचा ..
नेता जी ने तुरंत तत्परता दिखाते हुए कटोरे में
पाँच का सिक्का डाल दिया ..
भिखारी - साहब मुझे आप से कुछ नहीं चाहिए
मैं आप को कुछ देने आया हूँ
क्या ...? नेता जी ने आश्चर्यचकित हो कर पूंछा
भिखारी- साहब इस कटोरे की जरुरत मुझे नहीं आप को है ..
मैंने आप की सारी बाते सुनी ..
मुझे लगता है मुझसे ज्यादा गरीब तो आप हैं ..!
अब नेता जी का चेहरा देखने लायक था .... !!

Apr 5, 2013

मौजुदा कानुन महिलाओँ के सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीँ हैँ।


लड़की अपनी धुन में मस्त चली जा रही थी।
रात के सन्नाटे में उस आधुनिका के सैंडिलों से उठती खट्–खट् की आवाज काफी दूर तक सुनाई दे रही थी।
जैसे ही वह उस पॉश कालोनी के बीचों बीच बनेपार्क के नजदीक पहुंची,
वहां पहले से छिपे बैठे दो बदमाश उससे छेड़छाड़ करने लगे।
लड़की ने कान्वेंटी अन्दाज में ‘‘शट अप! यू.....बास्टर्ड ­ !!’’ वगैरह–वगैरह कहकर अपना बचाव करना चाहा, पर जब वे अश्लील हरकतें करते हुए उसके कपड़े नोचने लगे तो वह‘‘बचाओ...बचाओ ­....’’ कहकर चिल्लाने लगी।
... उसकी चीख पुकार पार्क के चारों ओर कतार से बनी कोठियों से टकरा कर लौट आई। कोई बाहर नहीं निकला।
वे लड़की को पार्क में झुरमुट की ओर खींच रहे थे। उनके चंगुल से मुक्त होने के लिए वह बुरी तरह छटपटा रही थी।
तभी वहां से गुजर रहे एक लावारिस कुत्ते की नजर उन पर पड़ी। वह जोर–जोर से भौंकने लगा। जब उसके भौंकने का बदमाशों पर कोई असर नहीं हुआ तो वह बौखलाकर इद्दर–उधर दौड़ने लगा।
कभी घटना स्थल की ओर आता तो कभी किसी कोठी के गेट के पास जाकर भौंकने लगता मानो वहां रहने वालों को इस घटना के बारे में सूचित करना चाहता हो।
उसके इस प्रयास पर लोहे के बड़े–बड़े गेटों के उस पार तैनात विदेशी नस्ल के पालतू कुत्तेउसे हिकारत से देखने लगे। संघर्षरत लड़की के कपड़े तार–तार हो गए थे, हाथ–पैर शिथिल पड़तेजारहे थे। बदमाशों को अपने मकसद में
कामयाबी मिलती नजर आ रही थी। यह देखकर गली का कुत्ता मुंह उठाकर
जोर–जोर से रोने लगा। कुत्ते के रोने की आवाजइस
बार कोठियों से टकराकर वापस नहीं लौटी
क्योंकि वहां रहने वालों कोअच्छी तरह मालूम था कि कुत्ते के रोने से घर में अशुभ होता है।देखते ही देखते तमाम कोठियों में चहल– पहल दिखाई देनेलगी। छतों पर बालकनियों पर बहुत से लोग दिखाई देने लगे।
उनके आदेश पर बहुत से वाचमैन लाठियां–डंडें लेकर कोठियों से बाहर निकले और उस कुत्ते पर पिल पड़े।
लेकिन उस संघर्षरत अबला लड़की की किसी ने मददनहीँ की अततः बबरर्तापुर्वक ब्लात्कार कि शिकार उस मासुम अबला ने दम तोड़ दिया
अगले दिन शहर के पाश कलोनी के तथाकथित
सभ्य व्यक्तियोँ ने गैँग रेप के विरोध मेँ कैँडल मार्च निकाला कुछ लोग इंडिया गेट पर प्रर्दशन करते हुये सरकार से कानुन मेँ बदलाव की माँग की
क्योँकी इन सभ्य व्यक्तियोँ के अनुसार -:
"मौजुदा कानुन महिलाओँ के सुरक्षा के लिए पर्याप्त नहीँ हैँ।"
(वैधानिक चेतावनी : यह कहानी एक काल्पनिक कहानी हैँ इसका किसी भी घटना से कोई संबंध नहीँ हैँ , इस कहानी का एकमात्र उद्येश्य समान्य जनोँ को जागरुक करना हैँ)

Mar 26, 2013

स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे ......

लक्ष्य पर ध्यान लगाओ

स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा ….. फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे . ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा , ” भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?”

स्वामी जी बोले , “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब तुम कभी चूकोगे नहीं . अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो . मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है. ”

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डर का सामना

एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे की तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे . स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए, और वे उन्हें दौडाने लगे. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था , उसने स्वामी जी को रोका और बोला , ” रुको ! उनका सामना करो !”

स्वामी जी तुरन्त पलटे और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे , ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए . इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी – ” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत , पलटो और सामना करो.”

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सच बोलने की हिम्मत

स्वामी विवेकानंदा प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे. जब वो साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो उन्हें सुनते. एक दिन इंटरवल के दौरान वो कक्षा में कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे , सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आये और पढ़ाना शुरू कर दिया.

मास्टर जी ने अभी पढ़ना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी.

” कौन बात कर रहा है ?” उन्होंने तेज आवाज़ में पूछा . सभी ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों किई तरफ इशारा कर दिया.

मास्टर जी तुरंत क्रोधित हो गए, उन्होंने तुरंत उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबधित एक प्रश्न पूछने लगे. जब कोई भी उत्तर न दे सका ,तब अंत में मास्टर जी ने स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया . पर स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों , उन्होंने आसानी से उत्तर दे दिया.

यह देख उन्हें यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बात-चीत में लगे हुए थे. फिर क्या था उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी . सभी छात्र एक -एक कर बेच पर खड़े होने लगे, स्वामी जे ने भी यही किया.

तब मास्टर जी बोले, ” नरेन्द्र (स्वामी विवेकानंद )) तुम बैठ जाओ.”

” नहीं सर , मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वो मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था.”,स्वामी जी ने आग्रह किया.

Mar 23, 2013

रिक्शेवाले का बेटा बना IAS officer ...

अगर career के point of view से देखा जाए तो India में थ्री आइज़ (3 Is) का कोई मुकाबला नही:

IIT,IIM, और IAS. लेकिन इन तीनो में IAS का रुतबा सबसे अधिक है . हर साल लाखों परीक्षार्थी IAS officer बनने की चाह में Civil Services के exam में बैठते हैं पर इनमे से 0.025 percent से भी कम लोग IAS officer बन पाते हैं . आप आसानी से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि IAS beat करना कितना मुश्किल काम है , और ऐसे में जो कोई भी इस exam को clear करता है उसके लिए अपने आप ही मन में एक अलग image बन जाती है . और जब ऐसा करने वाला किसी बहुत ही साधारण background से हो तो उसके लिए मन में और भी respect आना स्वाभाविक है .

आज GUPTA JI KI DAYARI पर मैं आपके साथ ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी share कर रहा हूँ जो हज़ारो दिक्कतों के बावजूद अपने दृढ निश्चय और मेहनत के बल पर IAS officer बना .

ये कहानी है Govind Jaiswal की , गोविन्द के पिता एक रिक्शा -चालक थे , बनारस की तंग गलियों में , एक 12 by 8 के किराए के कमरे में रहने वाला गोविन्द का परिवार बड़ी मुश्किल से अपना गुजरा कर पाता था . ऊपर से ये कमरा ऐसी जगह था जहाँ शोर -गुल की कोई कमी नहीं थी , अगल-बगल मौजूद फक्ट्रियों और जनरेटरों के शोर में एक दूसरे से बात करना भी मुश्किल था .

नहाने -धोने से लेकर खाने -पीने तक का सारा काम इसी छोटी सी जगह में Govind , उनके माता -पिता और दो बहने करती थीं . पर ऐसी परिस्थिति में भी गोविन्द ने शुरू से पढाई पर पूरा ध्यान दिया .

अपनी पढाई और किताबों का खर्चा निकालने के लिए वो class 8 से ही tuition पढ़ाने लगे . बचपन से एक असैक्षिक माहौल में रहने वाले गोविन्द को पढाई लिखाई करने पर लोगों के ताने सुनने पड़ते थे . “ चाहे तुम जितना पढ़ लो चलाना तो रिक्शा ही है ” पर गोविन्द इन सब के बावजूद पढाई में जुटे रहते . उनका कहना है . “ मुझे divert करना असंभव था .अगर कोई मुझे demoralize करता तो मैं अपनी struggling family के बारे में सोचने लगता .”

आस - पास के शोर से बचने के लिए वो अपने कानो में रुई लगा लेते , और ऐसे वक़्त जब disturbance ज्यादा होती तब Maths लगाते , और जब कुछ शांती होती तो अन्य subjects पढ़ते .रात में पढाई के लिए अक्सर उन्हें मोमबत्ती, ढेबरी , इत्यादि का सहारा लेना पड़ता क्योंकि उनके इलाके में १२-१४ घंटे बिजली कटौती रहती.

चूँकि वो शुरू से school topper रहे थे और Science subjects में काफी तेज थे इसलिए Class 12 के बाद कई लोगों ने उन्हें Engineering करने की सलाह दी ,. उनके मन में भी एक बार यह विचार आया , लेकिन जब पता चला की Application form की fees ही 500 रुपये है तो उन्होंने ये idea drop कर दिया , और BHU से अपनी graduation करने लगे , जहाँ सिर्फ 10 रूपये की औपचारिक fees थी .

Govind अपने IAS अफसर बनने के सपने को साकार करने के लिए पढ़ाई कर रहे थे और final preparation के लिए Delhi चले गए लेकिन उसी दौरान उनके पिता के पैरों में एक गहरा घाव हो गया और वो बेरोजगार हो गए . ऐसे में परिवार ने अपनी एक मात्र सम्पत्ती , एक छोटी सी जमीन को 30,000 रुपये में बेच दिया ताकि Govind अपनी coaching पूरी कर सके . और Govind ने भी उन्हें निराश नहीं किया , 24 साल की उम्र में अपने पहले ही attempt में (Year 2006) 474 सफल candidates में 48 वाँ स्थान लाकर उन्होंने अपनी और अपने परिवार की ज़िन्दगी हमेशा -हमेशा के लिए बदल दी .

Maths पर command होने के बावजूद उन्होंने mains के लिए Philosophy और History choose किया , और प्रारंभ से इनका अध्यन किया ,उनका कहना है कि , “ इस दुनिया में कोई भी subject कठिन नहीं है , बस आपके अनादर उसे crack करने की will-power होनी चाहिए .”

अंग्रेजी का अधिक ज्ञान ना होने पर उनका कहना था , “ भाषा कोई परेशानी नहीं है , बस आत्मव्श्वास की ज़रुरत है . मेरी हिंदी में पढने और व्यक्त करने की क्षमता ने मुझे achiever बनाया .अगर आप अपने विचार व्यक्त करने में confident हैं तो कोई भी आपको सफल होने से नहीं रोक सकता .कोई भी भाषा inferior या superior नहीं होती . ये महज society द्वारा बनाया गया एक perception है .भाषा सीखना कोई बड़ी बात नहीं है - खुद पर भरोसा रखो . पहले मैं सिर्फ हिंदी जानता था ,IAS academy में मैंने English पर अपनी पकड़ मजबूत की . हमारी दुनिया horizontal है —ये तो लोगों का perception है जो इसे vertical बनता है , और वो किसी को inferior तो किसी को superior बना देते हैं .”

गोविन्द जी की यह सफलता दर्शाती है की कितने ही आभाव क्यों ना हो यदि दृढ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई अपने लक्ष्य -प्राप्ति में जुट जाए तो उसे सफलता ज़रूर मिलती है . आज उन्हें IAS officer बने 5 साल हो चुके हैं पर उनके संघर्ष की कहानी हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी

जिस काम में मन लगे वो करना चाहिए ...

ज्यादातर लोग लाइफ में जो आसानी से मिल जाता है उसे ही अपनी किस्मत मान लेते हैं और बस यूँही सस्ते में अपनी ज़िन्दगी बिता देते हैं ?

ऐसा शायद इसलिए होता है क्योंकि दिल की सुनना आसान नहीं होता …इसमें कई challenges आते हैं , और आज मैं ऐसे ही कुछ challenges के बारे में आपसे अपनी thoughts share कर रहा हूँ . इन्हें share करने का मेरा motive ये है कि यदि आप उनमे से हैं जो अपने सपनो को पूरा करने में लगे हैं या future में लगने वाले हैं तो इन challenges से घबराएं नहीं …आप अकेले इनका सामना नहीं कर रहे हैं …आपकी gene का हर आदमी more or less in challenges को face करता है , कुछ इनके आगे निकल जाते हैं तो कुछ हार मान लेते हैं. अब ये आप पर depend करता है कि आप क्या करते हैं!!!

तो आइये जानते हैं इन 7 challenges को :

1) Society का opposition:

यदि आपका passion लीक से हटकर हो तो आप को समाज के विरोध के लिए तैयार रहना चाहिए . सबसे ज्यादा opposition तो आपकी family से ही हो सकता है …क्योंकि वही आपकी सबसे अधिक चिंता करते हैं . ख़ास तौर पर middle class families जहाँ job को ही सबसे safe माना जाता है वहां यदि आप कुछ entrepreneurial करने का सोचते हैं तो family आपके खिलाफ हो जाती है . उनका विरोध human nature के इस fact को दर्शाता है कि हम unknown या कुछ नए को accept करने से डरते हैं ….पर जब आप अपने काम में लगे रहते हैं तो धीरे धीरे वही लोग आपकी मदद में सामने आ जाते हैं . इसलिए इस initial opposition को part of process समझें और इससे घबराये नहीं . जहाँ तक हो सके बस अपनी family को confidence में लेने का प्रयास करें , बाकियों का तो सोचे भी नहीं .

2) दोस्त आगे निकल जाते हैं :


सभी का अपना -अपना friend circle होता है , मौज – मस्ती होती है .. exam की tension होती है … हम बड़े होते हैं और फिर ज़िन्दगी की so called race में लग जाते हैं …..ज्यादातर लोग conventional wisdom अपनाते हुए , doctor ,engineer, सरकारी नौकरी …etc के चक्कर में लग जाते हैं और देर -सबेर इसमें कामयाब भी हो जाते हैं . अगर सचमुच आप दिल से यही करना चाहते थे तो इसमें कोई बुराई नहीं है ….दिल की सुनना हमेशा ….singer , cricketer या actor बनना ही नहीं होता ….ये Engineer, doctor बन कर देश की सेवा करना भी हो सकता है . और एक दूसरे case में भी यह करना सही है – जब आप clear नहीं होते की आप दरअसल life में करना क्या चाहते हैं, तो भी आप यही रास्ता चुन सकते हैं ..इसमें कम से कम आप financially secure रहेंगे , जो कि बेहद ज़रूरी है .

Challenge तब आता है जब आप अपने life goals को लेकर clear होते हैं , और अपने रास्ते पर निकल पड़ते हैं . और ऐसा life की किसी भी stage में हो सकता है , पहले हो जाता है तो ठीक है , पर अधिकतर ये clarity थोड़ी देर से आती है इसलिए जब आप इस दिशा में बढ़ते हैं तो आप पाते हैं कि अभी आपने शुरुआत भर की है और आपके बाकी दोस्त conventional path follow करते हुए एक well- settled life ( society की नज़र में ) की तरफ बढ़ चुके हैं . यहाँ आपको थोड़ी उलझन हो सकती है , आपके मन में doubt आ सकता है कि आप ही की उम्र के लोग इतने पैसे कमा रहे हैं और आप अभी struggle ही कर रहे हैं …..ऐसा लग सकता है कि आप कहीं गलती तो नहीं कर रहे हैं , और यहीं पर आपको डंटे रहना है .

अपने काम में believe करिए , इन distractions की life बहुत छोटी होती है , अगर आप सचमुच अपने काम को लेकर passionate हैं तो आप जल्द ही इनसे पार पा लेंगे . जब अमिताभ बच्चन को 27-28 साल की उम्र में पहली बार फिल्मो में ब्रेक मिला था तो उस वक़्त तक उनके भी बहुत सारे classmates अच्छी नौकरियों में settle हो चुके थे , ऐसे में उनके भी अन्दर सवाल उठे होंगे , पर उन्होंने उन distractions को खुद पर हावी नहीं होने दिया और इतने महान अभिनेता बने .

आप भी औरों के आगे निकलने से परेशान मत होइए , ….लम्बी race के घोड़े शुरू में धीमे-धीमे ही दौड़ते हैं .

3) सफलता के लिए लम्बा इंतज़ार :


कई बार लोग कामयाबी के बहुत करीब पहुच कर हार मान लेते हैं . आपको ध्यान देना होगा कि आप अपने काम को अंजाम तक पहुचाएं , किसी भी काम को करने में time तो लगता ही है और जब काम बड़ा हो तो समय भी बड़ा लगता है .

Kentucky Fried Chicken (KFC) के founder Colonel Sanders ने जब अपनी business idea के लिए लोगों को convince करना चाहा तो उन्हें हज़ार से भी अधिक बार ना सुननी पड़ी. वह अपनी कार में एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे और restaurant मालिकों से मिलते रहे , और इस दौरान कई बार उन्हें अपनी कार में ही सोना पड़ता था. पर इतनी ना सुनने के बाद भी उन्हें अपनी चिकन बनाने की secret recipe पर यकीन था और देर से ही सही पर उन्हें सफलता मिली और आज KFC दुनिया भर में एक successful brand के रूप में जाना जाता है.

4) आपके दिल का काम financially rewarding ….नहीं भी हो सकता है :

May be आप जिस चीज को लेकर passionate हैं वो आपको satisfaction तो दे पर उतने पैसे ना दे . For example आप as a social activist काम करना चाहते हों , या किसी NGO के लिए अपना time देना चाहते हों . तो ऐसे में आपको पहले से अपना mind make-up कर के रखना होगा कि आप वो पा रहे हैं जो पैसे से नहीं पाया जा सकता और इसी सोच के साथ आपको अपने काम में लगे रहना होता है .

यहाँ मैं एक चीज ज़रूर कहना चाहूँगा कि ऐसी fields में भी जब आप fully involved हो कर काम करते हैं तो देर -सबेर आपको financially भी इसका reward मिलता है , आप निःस्वार्थ भाव से अपने काम में लगे रहिये आपका काम ही आपका reward है .

5) Boredom:

ऐसा भी होता है कि आप जिस चीज को करना बहुत अधिक पसंद करते हैं उसी को करने में बोरीयत होने लगे , ऐसे में आपको ये नहीं सोचना चाहिए कि आपका passion ख़तम हो गया है बल्कि अपने काम को interesting बनाने के लिए नए तरीके और ideas खोजने चाहिए . कुछ दिन में खुद -बखुद boredom ख़तम हो जायेगा और आप फिर से उसी जोशो -जूनून के साथ अपने dream को pursue कर पायेंगे .

इतना ध्यान रखिये कि अपने दिल की सुनने वाला हर एक सफल व्यक्ति कभी ना कभी इस phase से गुजरता है इसलिए अगर आप भी इस phase से गुजरें तो just be relaxed….ये भी सफलता के मार्ग में आने वाले एक पड़ाव भर है .

6) Focus loose करना :


I think ये सबसे बड़ा challenge है जो ज्यादातर सपनो को पूरा नहीं होने देता . मेरी तरह आपने भी कई बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि , “ Well begun is half done….पहला step लेना ही सबसे कठिन है उसके बाद सब हो जाता है ….etc” पर मुझे लगता है कि पहला step लेना आसान है , आप कोई भी काम कुछ effort डाल कर शुरू कर सकते हैं …कठिन तो उसे पूरा करना है, उसमे सफलता पाना है.

होता क्या है कि आप पूरी energy के साथ अपने दिल के कहे रास्ते पर बढ़ते हैं , पर कुछ दूर जाने के बाद ही आपको कई नए alternatives दिखने लगते हैं ….आपके मन में आने लगता है कि शायद ये काम छोड़ कर वो करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा … फिर आप जो कर रहे होते हैं उसमे आपका focus कम होने लगता है …आप दूसरी idea की तरफ attract होने लगते हैं …और ऐसा करने से आप जो कर रहे होते हैं उसमे भी आप अपना 100% नहीं दे पाते हैं and ultimately success से दूर रह जाते हैं . इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने आगाज़ को अंजाम तक पहुंचाएं , बीच में अपना focus ना loose करें .

स्वामी विवेकानंद ने भी सफल होने के लिए यही मन्त्र दिया है , “

“ एक विचार लो . उस विचार को अपना जीवन बना लो - उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस विचार को जियो . अपने मस्तिष्क , मांसपेशियों , नसों , शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो , और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो . यही सफल होने का तरीका है.”

7) आपको ये पता चलना कि आप जो कर रहे हैं वो आपका passion नहीं है :


Shockingggg !!! लेकिन ये एक बहुत ही common scenario है, भले ही आप खुद इसे accept करने से कतराएं .

हर दिन हर पल हम बदल रहे हैं , हम तब तक अपनी true liking नहीं जान पाते जब तक हम उस काम को practically कर के नहीं देखते . हम कोई article पढ़ के , कोई program देख के, किसी दोस्त के influence में , या किसी और वजह से किसी काम को अपना passion समझ लेते हैं और उसे करना शुरू करते हैं पर कुछ दिनों बाद ही हम उस काम से उबने लगते हैं , to the extent that हम उसे करना ही नहीं चाहते . यह कुछ कुछ Boredom जैसा ही है पर ये boredom का बहुत बड़ा और बिगड़ा हुआ रूप है जिसमे आप धीरे -धीरे उस काम को ना करने के excuses खोजने लगते हैं .

जब ऐसा हो तो क्या करें ? Simple, अपने नए passion की तालाश शुरू करें , और उसे भी practically apply करके देखें , और अगर इस बार भी आपको लगे कि ये आपके दिल की आवाज़ नहीं है तो फिर अपने असली जूनून को खोजने में जुट जाएं . ये जीवन भर बेमन का काम करने से अच्छा है कि देर से ही सही पर आप अपना passion खोज पाएं , और जब तक आपको यह नहीं मिलता तब तक खुद को financially support करने के लिए कुछ और भी करते रहे ,may be a 9 to 5 job…tuition पढ़ाना …family business….etc, पर अपने passion की तालाश को रोकें नहीं …उसे खोज निकालें …एक दिन यही खोज आपको mediocre life से निकाल कर superior life की तरफ ले जायेगी.

Friends, तो ये थे वो सात challenges जो आमतौर पर आपको दिल की आवाज़ सुनने में face करने पड़ सकते हैं , पर ध्यान रहे कि ये कोई comprehensive list नहीं है , इसके आलावा भी कई और challenges हैं जो आपके सामने आ सकते हैं , जैसे कि पैसों की कमी , परिवार की जिम्मेदारी , etc. पर इन सब के बावजूद passionate लोग वो सब कुछ कर गुजरते हैं जो वो करना चाहते हैं ….आप भी इन challenges की वजह से अपने जोश को ठंढा मत पड़ने दीजिये और अपने dreams को reality बना कर दिखाइए , तभी जीने का असली मजा है .

STEVE JOBS (स्टीव जोब्स) का. APPLE Company के co-founder

जब कभी दुनिया के सबसे प्रभावशाली entrepreneurs का नाम लिया जाता है तो उसमे कोई और नाम हो न हो ,एक नाम ज़रूर आता है. और वो नाम है STEVE JOBS (स्टीव जोब्स) का. APPLE Company के co-founder इस अमेरिकी को दुनिया सिर्फ एक successful entrepreneur , inventor और businessman के रूप में ही नहीं जानती है बल्कि उन्हें world के अग्रणी motivators और speakers में भी गिना जाता है. और आज आपके साथ good quality Hindi articles share करने की अपनी commitment को पूरा करते हुए हम AchhiKhabr.Com पर आपके साथ Steve Jobs की अब तक की one of the best speech “Stay Hungry Stay Foolish” Hindi में share कर रहे हैं. यह speech उन्होंने Stanford University के convocation ceremony (दीक्षांत समारोह) में 12 June 2005 को दी थी.

यह Post थोड़ी लंबी है. लगभग 2250 शब्दों की, इसलिए यदि आप चाहें तो WWW.NANDKISHOR6.BLOGSPOT.IN को Bookmark या Favourites में list कर लें . ताकि यदि आप एक बार में पूरी post न पढ़ पायें तो आसानी से फिर इस पेज पर आ सकें.

तो चलिए पढते हैं – One of the best speech ever by Steve Jobs , translated in Hindi:
STEVE JOBS CONVOCATION SPEECH AT STANFORD
“Stay Hungry Stay Foolish”



“Thank You; आज world की सबसे बहेतरीन Universities में से एक के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ. मैं आपको एक सच बता दूं ; मैं कभी किसी college से pass नहीं हुआ; और आज पहली बार मैंकिसी college graduation ceremony के इतना करीब पहुंचा हूँ. आज मैं आपको अपने जीवन की तीन कहानिया सुनाना चाहूँगा… ज्यादा कुछ नहीं बस तीन कहानिया.

मेरी पहली कहानी , dots connect करने के बारे में है. Reed College में दाखिला लेने के 6 महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी, पर मैं उसके 18 महीने बाद तक वहाँ किसी तरह आता-जाता रहा. तो सवाल उठता है कि मैंने college क्यों छोड़ा? ….Actually, इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है.

मेरी biological mother* एक young , अविवाहित graduate student थी, और वह मुझे किसी और को adoption के लिए देना चाहती थी. पर उनकी एक ख्वाईश थी की कोई college graduate ही मुझे adopt करे. सबकुछ बिलकुल set था और मैं एक वकील और उसकी wife के द्वारा adopt किया जाने वाला था कि अचानक उस couple ने अपना विचार बदल दिया और decide किया कि उन्हें एक लड़की चाहिए. इसलिए तब आधी-रात को मेरे parents, जो तब waiting list में थे,को call करके बोला गया कि , “हमारे पास एक baby-boy है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी. बाद में मेरी biological mother को पता चला कि मेरी माँ college pass नहीं हैं और पिता तो High School पास भी नहीं हैं. इसलिए उन्होंने Adoption Papers sign करने से मना कर दिया; पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले parents के मुझे college भेजने के आश्वाशनके बाद वो मान गयीं. तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई और सत्रह साल बाद मैं college गया..पर गलती से मैंने Stanford जितना ही महंगा college चुन लिया. मेरे working-class parents की सारी जमा-पूँजी मेरी पढाई में जाने लगी. 6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई value नहीं दिखी.मुझे कुछ idea नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूँ, और college मुझे किस तरह से इसमें help करेगा..और ऊपर से मैं अपनी parents की जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था. इसलिए मैंने कॉलेज drop-out करने का निर्णय लिए…और सोचा जो होगा अच्छा होगा. उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा decision था.

जैसे ही मैंने college छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी classes करने की बाध्यता खत्म हो गयी . और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने interest की classes करने लगा. ये सब कुछ इतना आसान नहीं था. मेरे पास रहने के लिए कोई room नहीं था , इसलिए मुझे दोस्तों के room में फर्श पे सोना पड़ता था.मैं coke की bottle को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खता था.,मैं हर Sunday 7 मील पैदल चल कर Hare Krishna Temple जाता था ,ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं. यह मुझे काफी अच्छा लगता था.

.मैंने अपनी life में जो भी अपनी curiosity और intuition की वजह से किया वह बाद में मेरे लिए priceless साबित हुआ. Let me give an example. उस समय Reed College शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहाँ Calligraphy* सिखाई जाती थी. पूरे campus में हर एक poster , हर एक label बड़ी खूबसूरती से हांथों से calligraph किया होता था .चूँकि मैं college से drop-out कर चुका था इसलिए मुझे normal classes करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैंने तय किया की मैं calligraphy की classes करूँगा और इसे अछ्छी तरह से सीखूंगा. मैंने serif और sans-serif type-faces के बारे में सीखा.; अलग-अलग letter-combination के बीच में space vary करना और किसी अच्छी typography को क्या चीज अच्छा बनाती है , यह भी सीखा . यह खूबसूरत था, इतना artistic था कि इसे science द्वारा capture नहीं किया जा सकता था, और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था. उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का use कभी अपनी life में करूँगा. लेकिन जब दस साल बाद हम पहला Macintosh Computer बना रहे थे तब मैंने इसे Mac में design कर दिया. और Mac खूबसूरत typography युक्त दुनिया का पहला computer बन गया.अगर मैंने college से drop-out नहीं किया होता तो Mac मैं कभी multiple-typefaces या proportionally spaced fonts नहीं होते , और चूँकि Windows ने Mac की copy की थी तो शायद ये किसी भी personal computer में ये चीजें नहीं होतीं. अगर मैंने कभी drop-out ही नहीं किया होता तो मैं कभी calligraphy की वो classes नहीं कर पाता और फिर शायद personal computers में जो fonts होते हैं , वो होते ही नहीं.

Of course, जब मैं college में था तब भविष्य में देख कर इन dots को connect करना impossible था; लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है. आप कभी भी future में झांक कर dots connect नहीं कर सकते हैं. आप सिर्फ past देखकर ही dots connect कर सकते हैं; इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके future से connect हो जायेगा. आपको किसी न किसी चीज में विश्ववास करना ही होगा —अपने guts में, अपनी destiny में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में…किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा…क्योंकि इस बात में believe करना की आगे चल कर dots connect होंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा…तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे…and that will make the difference.

मेरी दूसरी कहानी , love और loss के बारे में है. मैं जिस चीज को चाहता था वह मुझे जल्दी ही मिल गयी. Woz और मैंने अपने parents के गराज से Apple शरू की तब मैं 20 साल का था. हमने बहुत मेहनत की और 10 साल में Apple दो लोगों से बढ़ कर $2 Billion और 4000 लोगों की company हो गयी. हमने अभी एक साल पहले ही अपनी finest creation Macintosh release की , मैं तीस का हो गया था और मुझे company से fire कर दिया गया.

Young Steve Jobs

आप अपनी बनायीं हुई company से fire कैसे हो सकते हैं ? Well, जैसे-जैसे company grow की, हमने एक ऐसे talented आदमी को hire किया ,जिसे मैंने सोचा कि वो मेरे साथ company run करेगा , पहले एक साल सब-कुछ ठीक-ठाक चला…. लेकिन फिर company के future vision को लेके हम दोनों में मतभेद होने लगे. बात Board Of Directors तक पहुँच गयी, और उन लोगों ने उसका साथ दिया,so at thirty , मुझे निकाल दिया गया…publicly निकाल दिया गया. जो मेरी पूरी adult life का focus था वह अब खत्म हो चुका था, और ये बिलकुल ही तबाह करने वाला था. मुझे सचमुच अगले कुछ महीनो तक समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं.

मुझे महसूस हुआ कि ये सबकुछ इतनी आसानी से accept करके मैंने अपने पहले कि generation के entrepreneurs को नीचा दिखाया है. मैं David Packard* और Bob Noyce* से मिला और उनसे सबकुछ ऐसे हो जाने पर माफ़ी मांगी. मैं एक बहुत बड़ा public failure था, एक बार तो मैंने valley* छोड़ कर जाने की भी सोची.पर धीरे – धीरे मुझे अहसास हुआ की मैं जो काम करता हूं, उसके लिए मैं अभी भी passionate हूँ. Apple में जो कुछ हुआ उसकी वजह से मेरे passion में ज़रा भी कमी नहीं आई है….मुझे reject कर दिया गया है, पर मैं अभी भी अपने काम से प्यार करता हूँ. इसलिए मैंने एक बार फिर से शुरुआत करने की सोची. मैंने तब नहीं सोचा पर अब मुझे लगता है की Apple से fire किये जाने से अच्छी चीज मेरे साथ हो ही नहीं सकती थी. Successful होने का बोझ अब beginner होने के हल्केपन में बदल चूका था , मैं एक बार फिर खुद को बहुत free महसूस कर रहा था…इस स्वछंदता की वज़ह से मैं अपनी life की सबसे creative period में जा पाया.

अगले पांच सालों में मैंने एक company … NeXT और एक दूसरी कंपनी Pixar start की और इसी दौरान मेरी मुलाक़ात एक बहुत ही amazing lady से हुई ,जो आगे चलकर मेरी wife बनी. Pixar ने दुनिया की पहली computer animated movie , “ Toy Story” बनायीं, और इस वक्त यह दुनिया का सबसे सफल animation studio है. Apple ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए NeXT को खरीद लिया और मैं Apple में वापस चला गया. आज Apple, NeXT द्वारा develop की गयी technology use करती है….अब Lorene और मेरा एक सुन्दर सा परिवार है. मैं बिलकुल surety के साथ कह सकता हूँ की अगर मुझे Apple से नहीं निकाला गया होता तो मेरे साथ ये सब-कुछ नहीं होता. ये एक कड़वी दवा थी …पर शायद patient को इसकी ज़रूरत थी.कभी-कभी जिंदगी आपको इसी तरह ठोकर मारती है. अपना विश्वाश मत खोइए. मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ इसलिए आगे बढ़ता गया क्योंकि मैं अपने काम से प्यार करता था…I loved my work.

आप really क्या करना पसंद करते हैं यह आपको जानना होगा, जितना अपने love को find करना ज़रूरी है, उतना ही उस काम को ढूँढना ज़रूरी जिसे आप सच-मुच enjoy करते हों आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है की आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम समझते हों...और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है की आप वो करें जो करना आप enjoy करते हों.यदि आपको अभी तक वो काम नहीं मिला है तो आप रूकिये मत..उसे खोजते रहिये. जैसा कि दिल से जुडी हर चीज में होता है…वो जब आपको मिलेगा तब आपको पता चल जायेगा…और जैसा की किसी अच्छी relationship में होता है वो समय के साथ-साथ और अच्छा होता जायेगा ….इसलिए खोजते रहिये…रूकिये मत.

मेरी तीसरी कहानी death के बारे में है. जब मैं 17 साल का था तो मैंने एक quote पढ़ा , जो कुछ इस तरह था, “ यदि आप हर रोज ऐसे जियें जैसे की ये आपकी जिंदगी का आखीरी दिन है ..तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जायेंगे.” इसने मेरे दिमाग पे एक impression बना दी, और तबसे…पिछले 33 सालों से , मैंने हर सुबह उठ कर शीशे में देखा है और खुद से एक सवाल किया है , “ अगर ये मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वो करता जो मैं करने वाला हूँ?” और जब भी लगातार कई दिनों तक जवाब “नहीं” होता है , मैं समझ जाता हूँ की कुछ बदलने की ज़रूरत है. इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी life के बड़े decisions लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार death के बारे में सोचता हूँ तब सारी expectations, सारा pride, fail होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है.इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है.आप पहले से ही नंगे हैं.ऐसा कोई reason नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने.

करीब एक साल पहले पता चला की मुझे cancer है . सुबह 7:30 बजे मेरा scan हुआ, जिसमे साफ़-साफ़ दिख रहा था की मेरे pancreas में tumor है. मुझे तो पता भी नहीं था की pancreas क्या होता है. Doctor ने लग-भग यकीन के साथ बताया की मुझे एक ऐसा cancer है जिसका इलाज़ संभव नहीं है..और अब मैं बस 3 से 6 महीने का मेहमान हूँ. Doctor ने सलाह दी की मैं घर जाऊं और अपनी सारी चीजें व्यवस्थित कर लूं, जिसका indirect मतलब होता है कि , “आप मरने की तैयरी कर लीजिए.” इसका मतलब कि आप कोशिश करिये कि आप अपने बच्चों से जो बातें अगले दस साल में करते , वो अगले कुछ ही महीनों में कर लीजिए. इसका ये मतलब होता है कि आप सब-कुछ सुव्यवस्थित कर लीजिए की आपके बाद आपकी family को कम से कम परेशानी हो.इसका ये मतलब होता है की आप सबको गुड-बाय कर दीजिए.

मैंने इस diagnosis के साथ पूरा दिन बिता दिया फिर शाम को मेरी biopsy हुई जहाँ मेरे मेरे गले के रास्ते, पेट से होते हुए मेरी intestine में एक endoscope डाला गया और एक सुई से tumor से कुछ cells निकाले गए. मैं तो बेहोश था , पर मेरी wife , जो वहाँ मौजूद थी उसने बताया की जब doctor ने microscope से मेरे cells देखे तो वह रो पड़ा…दरअसल cells देखकर doctor समझ गया की मुझे एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का pancreatic cancer है जो surgery से ठीक हो सकता है. मेरी surgery हुई और सौभाग्य से अब मैं ठीक हूँ.

मौत के इतना करीब मैं इससे पहले कभी नहीं पहुंचा , और उम्मीद करता हूँ की अगले कुछ दशकों तक पहुँचूं भी नहीं. ये सब देखने के बाद मैं ओर भी विश्वाश के साथ कह सकता हूँ की death एक useful but intellectual concept है.कोई मरना नहीं चाहता है, यहाँ तक की जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं वो भी…फिर भी मौत वो मजिल है जिसे हम सब share करते हैं.आज तक इससे कोई बचा नहीं है. और ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है . ये जिंदगी को बदलती है, पुराने को हटा कर नए का रास्ता खोलती है. और इस समय नए आप हैं. पर ज्यादा नहीं… कुछ ही दिनों में आप भी पुराने हो जायेंगे और रस्ते से साफ़ हो जायेंगे. इतना dramatic होने के लिए माफ़ी चाहता हूँ पर ये सच है.आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये. बेकार की सोच में मत फंसिए,अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए. औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने intuition को मत डूबने दीजिए. वे पहले से ही जानते हैं की तुम सच में क्या बनना चाहते हो. बाकि सब गौड़ है.

जब मैं छोटा था तब एक अद्भुत publication, “The Whole Earth Catalogue” हुआ करता था, जो मेरी generations की bibles में से एक था.इसे Stuart Brand नाम के एक व्यक्ति, जो यहाँ … MelonPark से ज्यादा दूर नहीं रहता था, और उसने इसे अपना poetic touch दे के बड़ा ही जीवंत बना दिया था. ये साठ के दशक की बात है, जब computer और desktop publishing नहीं हुआ करती थीं., पूरा catalogue ..typewriters, scissors और Polaroid cameras की मदद से बनाया जाता था. वो कुछ-कुछ ऐसा था मानो Google को एक book के form में कर दिया गया हो….वो भी गूगल के आने के 35 साल पहले.वह एक आदर्श था, अच्छे tools और महान विचारों से भरा हुआ था.

Stuart और उनकी team ने “The Whole Earth Catalogue”के कई issues निकाले और अंत में एक final issue निकाला. ये सत्तर के दशक का मध्य था और तब मैं आपके जितना था. Final issue के back cover पे प्रातः काल का किसी गाँव की सड़क का द्दृश्य था…वो कुछ ऐसी सड़क थी जिसपे यदि आप adventurous हों तो किसी से lift माँगना चाहेंगे. और उस picture के नीचे लिखा था, “Stay Hungry, Stay Foolish”.. ये उनका farewell message था जब उन्होंने sign-off किया…,“Stay Hungry, Stay Foolish” और मैंने अपने लिए हमेशा यही wish किया है, और अब जब आप लोग यहाँ से graduate हो रहे हैं तो मैं आपके लिए भी यही wish करता हूँ , stay hungry, stay foolish. Thank you all very much.”

The GREAT STEVE JOBS died on 5th Oct 2011 after a years-long battle with pancreatic cancer.Such great men are born once in century, and they have no where to go but to Heaven.
Life Changing Motivational Hindi Speech Viideo

Best Motivational Video in Hindi

क्यों है न कमाल की speech!!!

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Mar 17, 2013

आप हाथी नहीं इंसान हैं !...

एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे
बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने
देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे
इस बात का बड़ा अचरज हुआ कि हाथी जैसे विशालकाय
... जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से
बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ट था कि हाथी जब चाहते तब अपने
बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से
वो ऐसा नहीं कर रहे थे.
,
उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस
प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास
नही कर रहे हैं ? तब महावत ने कहा, ” इन
हाथियों को छोटे से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है,
उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती कि इस बंधन
को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर
भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन
होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते, और
बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए
वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”
,
आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ
इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में
यकीन करते हैं!!
,
इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले
मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये
काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई
मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं.
,
,
याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है और निरंतर
प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे
किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक
रहा है तो उसे तोड़ डालिए….. आप हाथी नहीं इंसान हैं.

Mar 16, 2013

जब हवा चलती है तो मैं सोता हूँ...


बहुत समय पहले की बात है, आइस्लैंड के उत्तरी छोर पर एक
किसान रहता था. उसे अपने खेत में काम करने
वालों की बड़ी ज़रुरत रहती थी लेकिन ऐसी खतरनाक
जगह, जहाँ आये दिन आंधी–तूफ़ान आते रहते हों , कोई काम
... करने को तैयार नहीं होता था.
किसान ने एक दिन शहर के अखबार में इश्तहार
दिया कि उसे खेत में काम करने वाले एक मजदूर की ज़रुरत
है. किसान से मिलने कई लोग आये लेकिन जो भी उस जगह के
बारे में सुनता, वो काम करने से मन कर देता. अंततः एक
सामान्य कद का पतला -दुबला अधेड़ व्यक्ति किसान के
पास पहुंचा.
किसान ने उससे पूछा , “ क्या तुम इन परिस्थितयों में काम
कर सकते हो ?”
“ ह्म्म्म, बस जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ .” व्यक्ति ने
उत्तर दिया .
किसान को उसका उत्तर थोडा अजीब लगा लेकिन
चूँकि उसे कोई और काम करने वाला नहीं मिल
रहा था इसलिए उसने व्यक्ति को काम पर रख लिया.
मजदूर मेहनती निकला, वह सुबह से शाम तक खेतों में मेहनत
करता, किसान भी उससे काफी संतुष्ट था. कुछ ही दिन
बीते थे कि एक रात अचानक ही जोर-जोर से हवा बहने
लगी, किसान अपने अनुभव से समझ गया कि अब तूफ़ान आने
वाला है. वह तेजी से उठा, हाथ में लालटेन ली और मजदूर के
झोपड़े की तरफ दौड़ा.
“ जल्दी उठो, देखते नहीं तूफ़ान आने वाला है, इससे पहले
की सबकुछ तबाह हो जाए कटी फसलों को बाँध कर ढक
दो और बाड़े के गेट को भी रस्सियों से कस दो.” किसान
चीखा .
मजदूर बड़े आराम से पलटा और बोला, “ नहीं जनाब, मैंने
आपसे पहले ही कहा था कि जब हवा चलती है तो मैं
सोता हूँ !!!.”
यह सुन किसान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया,
जी में आया कि उस मजदूर को गोली मार दे, पर
अभी वो आने वाले तूफ़ान से चीजों को बचाने के लिए भागा.
किसान खेत में पहुंचा और उसकी आँखें आश्चर्य से खुली रह
गयी, फसल की गांठें अच्छे से बंधी हुई थीं और तिरपाल से
ढकी भी थी, उसके गाय -बैल सुरक्षित बंधे हुए थे और
मुर्गियां भी अपने दडबों में थीं … बाड़े
का दरवाज़ा भी मजबूती से बंधा हुआ था. सारी चीजें
बिलकुल व्यवस्थित थी …नुक्सान होने की कोई
संभावना नहीं बची थी. किसान अब मजदूर की ये बात
कि “जब हवा चलती है तब मैं सोता हूँ ”…समझ चुका था,
और अब वो भी चैन से सो सकता था .
मित्रों , हमारी ज़िन्दगी में भी कुछ ऐसे तूफ़ान आने तय हैं,
ज़रुरत इस बात की है कि हम उस मजदूर की तरह पहले से
तैयारी करके रखें ताकि मुसीबत आने पर हम भी चैन से
सो सकें. जैसे कि यदि कोई विद्यार्थी शुरू से पढ़ाई करे
तो परीक्षा के समय वह आराम से रह सकता है, हर महीने
बचत करने वाला व्यक्ति पैसे की ज़रुरत पड़ने पर निश्चिंत
रह सकता है, इत्यादि.
तो चलिए हम भी कुछ ऐसा करें कि कह सकें –
"जब हवा चलती है तो मैं सोता हू"

Mar 14, 2013

एक 17 साल का लडका सोचता है कि वह खुब मेहनत करेगा करेगा डा होकर करोडपति बनेगा...

और बएक 17 साल का लडका सोचता है कि वह खुब मेहनत करेगा डा होकर करोडपति बनेगा..!
लडका कोलेज पुरी करके नौकरी लगता है लेकिन उस छोटी सी नौकरी से घर का गुजारा नही होता है..!
इसलिए उसने एक छोटा सा धन्धा चालुकरने की सोची..!
लगातार मेहनत के बावजुद भी धंधा बराबर नही चलता है..!
फिर 3-4 धंधे बदलकर देखता है लेकिन उसमे मेँ भी मुँह की खानी पडती है..!
...
उसको लगता है कि उसके नसीब मेँ कभी भी करोडपति बनना नही लिखा है,
ऐसे करते करते उसकी उम्र 35 साल हो जाती है..!

पैसे कमाने के लालच मेँ वह जुगार खेलने की आदत लग जाती है..!
और जितना कमाया था वह सब कुछ जुगार मेँ हार जाता है और रस्ते पर आ जाता है..!
और एक गरीब भिखारी बन जाता है और भीख माँगकर खाता है और रास्ते पर ही सो जाता था..!

ऐसे करते करते उसकी उम्र 55 साल की हो जाती है..!
सब उसको पागल बोलने लगे, वह पागलो की तरह गाने गाता रहता था..!

एक रात जब वह गाना गा रहा था तब वहा से चेनल V का रिपोर्टर निकलता है और उसका एक विडियो बनाकर YOUTUBE पर अपलोड करता है..!
उस विडियो को अच्छा रिस्पोनस मिलता है तो, चेनल वालो ने पुरा एलबम बनाने का विचार किया..!

ओर उस भिखारी को एक साल के लिए साईन करके एक करोड का दिया जाता है

आखिर 56 साल का होता है तब वह करोडपति बनता है

(अमेरिका की सच्ची घटना )

नशीब से ज्यादा और समय से पहले
ना किसी को मिला है और ना ही मिलेगा..

Mar 9, 2013

आप अपना बेहतर दीजिये, फिर देखिये सारी दुनिया आपकी प्रशंसा करेगी"...

एक छोटा बच्चा एक बड़ी दूकान पर लगे टेलीफोन बूथ पर
जाता हैं और मालिक से छुट्टे पैसे लेकर एक नंबर डायल करता हैं|
दूकान का मालिक उस लड़के को ध्यान से देखते हुए
उसकी बातचीत पर ध्यान देता हैं लड़का- मैडम क्याआप मुझे अपने बगीचे की साफ़ सफाई
का काम देंगी? औरत- (दूसरीतरफ से) नहीं, मैंने एक दुसरे लड़के को अपने
... बगीचे का काम देखने के लिए रख लिया हैं| लड़का- मैडम मैं आपके बगीचे का काम उस लड़के से आधे वेतन में
करने को तैयार हूँ! औरत- मगर जो लड़का मेरे बगीचे का काम कर रहा हैं उससे मैं
पूरी तरह संतुष्ट हूँ| लड़का- ( और ज्यादा विनती करते हुए) मैडम मैं आपके घर
की सफाई भी फ्री में कर दिया करूँगा!! औरत- माफ़ करना मुझे फिर भी जरुरत नहीं हैं धन्यवाद| लड़के के चेहरे पर एक मुस्कान उभरी और उसने फोन
का रिसीवर रख दिया| दूकान का मालिक जो छोटे लड़के
की बात बहुत ध्यान से सुन रहा था वह लड़के के पास आयाऔर
बोला- " बेटा मैं तुम्हारी लगन और व्यवहारसे बहुत खुश हूँ, मैं
तुम्हे अपने स्टोर में नौकरी दे सकता हूँ" लड़का- नहीं सर मुझे जॉब की जरुरत नहीं हैं आपका धन्यवाद| दुकानमालिक- (आश्चर्य से) अरे अभी तो तुम उस लेडी से
जॉब के लिए इतनी विनती कर रहे थे !! लड़का- नहीं सर, मैं अपना काम ठीक से कर रहा हूँ की नहीं बस
मैं ये चेक कर रहा था, मैं जिससे बात कर रहा था, उन्ही के
यहाँ पर जॉब करता हूँ| *"Thisis called Self Appraisal"
"आप अपना बेहतर दीजिये, फिर देखिये
सारी दुनिया आपकी प्रशंसा करेगी"

मेरी गुड़िया को अपने सपने पूरे करने दीजिये .....

गुड़िया दुखी थी। पास मे बैठी माँ भी चुप। बबलू ना जाने क्या सोच रहा था।
अभी-अभी पिताजी फरमान जो सुना गए थे की गुड़िया ने दसवीं कर ली है, आगे पढ़ने की जरूरत नहीं। “हमने कौन सा बेटी से नौकरी करवानी है ? देखा नहीं है आज-कल की पढ़ी-लिखी मेमों को। बस गिटर –पिटर अँग्रेजी बोली और आता- जाता कुछ नहीं। ये घर बसाती नहीं, बर्बाद करती है !! एक तो इनकी पढ़ाई-लिखाई पर पैसे लगाओ ऊपर से हमे ही ज्ञान देंगी। पैसे कोई पेड़ पर उगते है ? बस, अब गुड़िया की शादी कर देंगे, अच्छा लड़का देखकर।“
वैसे, बबलू का मोटरसाइकल का टेंडर पास हो गया था। “यही बुढ़ापे का सहारा है। आज इसको देखेंगे, कल ये हमे संभालेगा।“
बबलू की प्यारी बहन थी गुड़िया। और अच्छी तरह समझता था की पिताजी गलत कर रहे है।

... शाम को पिताजी से वह बोला,’ आप गुड़िया को पढ़ाइए, मुझे मोटरसाइकल नहीं चाहिए। पापा, कुछ लड़के भी पढ़-लिख कर गधे ही रहते है। इसमे पढ़ाई का दोष नहीं है। क्यूंकी परिवार, समाज, देश या विश्व मे अगर कोई जागृति और उन्नति हुई है तो वो पढे-लिखों की वजह से। और वैसे भी शिक्षा गुड़िया का अधिकार है। अगर आप, जन्मदाता हो कर उसके अधिकारों का सम्मान नहीं करेंगे तो दूसरे घरवालों से क्या अपेक्षा !! एक पढ़ी-लिखी लड़की परिवार की एक पूरी पीढ़ी को शिक्षा दे प्रग्रतिशील बना सकती है। अपने स्वाभिमान के लिए खड़ी हो सकती है और जरूरत पड़े तो आत्मनिर्भर भी हो सकती है। मेरी गुड़िया को अपने सपने पूरे करने दीजिये ..... में उसके टूटे सपनों पर मोटरसाइकल नहीं चला सकता।‘

पिताजी की स्वीकृति मे मुस्कान भी थी और गर्व भी। गुड़िया और माँ की आँखों मे वो अच्छे वाले आँसू।

पिता का आशीर्वाद

एक बार एक युवक अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने वाला था। उसकी बहुत दिनों से एक शोरूम में रखी स्पोर्टस कार लेने की इच्छा थी। उसने अपने पिता से कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने पर उपहारस्वरूप वह कार लेने की बात कही क्योंकि वह जानता था कि उसके पिता उसकी इच्छा पूरी करने में समर्थ हैं। कॉलेज के आखिरी दिन उसके पिता ने उसे अपने कमरे में बुलाया और कहा कि वे उसे बहुत प्यार करते हैं तथा उन्हें उस पर गर्व है। फिर उन्होंने उसे एक सुंदर कागज़ में लिपटा उपहार दिया । उत्सुकतापूर्वक जब युवक ने उस कागज़ को खोला तो उसे उसमें एक आकर्षक जिल्द वाली ‘भगवद् गीता’ मिली जिसपर उसका नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखा था। यह देखकर वह युवक आगबबूला हो उठा और अपने पिता से बोला कि इतना पैसा होने पर भी उन्होंने उसे केवल एक ‘भगवद् गीता’ दी। यह कहकर वह गुस्से से गीता वहीं पटककर घर छोड़कर निकल गया।

बहुत वर्ष बीत गए और वह युवक एक सफल व्यवसायी बन गया। उसके पास बहुत धन-दौलत और भरापूरा परिवार था। एक दिन उसने सोचा कि उसके पिता तो अब काफी वृद्ध हो गए होंगे। उसने ...अपने पिता से मिलने जाने का निश्चय किया क्योंकि उस दिन के बाद से वह उनसे मिलने कभी नहीं गया था। अभी वह अपने पिता से मिलने जाने की तैयारी कर ही रहा था कि अचानक उसे एक तार मिला जिसमें लिखा था कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है और वे अपनी सारी संपत्ति उसके नाम कर गए हैं। उसे तुरंत वहाँ बुलाया गया था जिससे वह सारी संपत्ति संभाल सके।

वह उदासी और पश्चाताप की भावना से भरकर अपने पिता के घर पहुँचा। उसे अपने पिता की महत्वपूर्ण फाइलों में वह ‘भगवद् गीता’ भी मिली जिसे वह वर्षों पहले छोड़कर गया था। उसने भरी आँखों से उसके पन्ने पलटने शुरू किए। तभी उसमें से एक कार की चाबी नीचे गिरी जिसके साथ एक बिल भी था। उस बिल पर उसी शोरूम का नाम लिखा था जिसमें उसने वह स्पोर्टस कार पसंद की थी तथा उस पर उसके घर छोड़कर जाने से पिछले दिन की तिथि भी लिखी थी। उस बिल में लिखा था कि पूरा भुगतान कर दिया गया है।

कई बार हम भगवान की आशीषों और अपनी प्रार्थनाओं के उत्तरों को अनदेखा कर जाते हैं क्योंकि वे उस रूप में हमें प्राप्त नहीं होते जिस रूप में हम उनकी आशा करते हैं।

Mar 7, 2013

ये बात समझ में आई नही, और मम्मी ने समझाई नही..

ये बात समझ में आई नही,
और मम्मी ने समझाई नही..

मैं कैसे मीठी बात करू,
जब मीठी चीज़ कोई खाई नही..

ये चाँद कैसे मामू है,
जब मम्मी का वो भाई नही..

क्यूँ लंबे बॉल हैं भालू के,
... क्यूँ उसने कटिंग कराई नहीं..

क्या वो भी गंदा बच्चा है,
या जंगल में कोई नाई नहीं..

नाना की बीवी जब नानी है,
दादा की बीवी जब दादी है,
पापा की बीवी क्यूँ पापी नहीं..

समुंदर का रंग क्यूँ नीला है,
जब नील किसी ने मिलाई नहीं..

जब स्कूल में इतनी नींद आती है,
तो बेड वहाँ क्यू रखवाई नहीं..

ये बात समझ में आई नहीं,
और मम्मी ने समझाई नहीं..!

Mar 4, 2013

एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया...

एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया. उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछ...ा.

संत ने किसान से कहा , ”तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो, और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो.” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया.

तब संत ने कहा, ”अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ”

किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है, तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते.

इस कहानी से क्या सीख मिलती है:

कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कि भला-बुरा कहने के बाद कुछ भी कर के अपने शब्द वापस नहीं लिए जा सकते. हाँ, आप उस व्यक्ति से जाकर क्षमा ज़रूर मांग सकते हैं, और मांगनी भी चाहिए, पर human nature कुछ ऐसा होता है की कुछ भी कर लीजिये इंसान कहीं ना कहीं hurt हो ही जाता है.

जब आप किसी को बुरा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुंचाने के लिए होता है पर बाद में वो आप ही को अधिक कष्ट देता है. खुद को कष्ट देने से क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चुप रहा जाए.

Mar 2, 2013

महात्मा को एक बार रास्ते में पड़ा धन मिल गया।....

महात्मा को एक बार रास्ते में पड़ा धन मिल गया। उन्होंने निश्चय किया कि वे इस सबसे गरीब आदमी को दान कर देंगे। निर्धन आदमी की तलाश में वे खूब घूमे। उन्हें कोई सुपात्र नहीं मिला। एक दिन उन्होंने देखा राजमार्ग पर राजा के साथ अस्त्र-शस्त्रों से सजी विशाल सेना चली आ रही है। राजा महात्मा को पहचानता था।

हाथी से उतरकर उसने महात्मा को प्रणाम किया। महात्मा ने अपनी झोली से धन निकाला और राजा को थमा दिया। राजा ने विनीत स्वर में कहा महाराज! यह क्या? आपके आशीर्वाद से मेरे खजाने में हीरे-जवाहरात का भंडार है। महात्मा ने उत्तर दिया राजन! मैं गरीब आदमी की तलाश में था। तुम सबसे गरीब हो। यदि तुम्हारे खजाने में धन का अंबार है तो सेना लेकर कहां जा रहे हो? अगर तुम्हें किसी बात की कमी नहीं तो यह सब किसलिए? राज्य का विस्तार और धन के लिए। महात्मा की बातों ने असर किया। राजा ने तत्काल अपनी सेना को लौटने का आदेश दिया। वह ऐसे जा रहा था मानो में अनमोल खजाना जीतकर लौट रहा हो।

Mar 1, 2013

बचपन में मेरी एक गन्दी आदत थी, मैं पापा के पर्स से चुपके से कभी कभी पैसे निकाल लेता था। जब दूसरी कक्षा में था तो पापा के पर्स के सिक्के वाले हिस्से से हर सोमवार को एक रुपैया चुरा के स्कूल के बाहर खोमचे वाले से WWF के पोस्ट-कार्ड खरीदता था।

धीरे धीरे मेरी आदत थोड़ी और बिगड़ी, जब पांचवी कक्षा में था तो बगल में बैठने वाली लड़की को महीने में एक बार कैंटीन में फाउंटेन पेप्सी और समोसा खिलने के लिए नियमित तरीके से 11 रुपये चुराने लगा।
...
पिता जी भी इतना ध्यान नहीं देते थे, उनका पर्स कभी ढंग से नहीं रखा रहता था। नोट टेढ़े मेढे पड़े रहते थे, पापा कभी गिनते भी नहीं थे की कितने पैसे हैं पर्स में। मेरी ये आदत इस वजह से कभी टूटी नहीं।

जब मैं दसवी कक्षा में पहुंचा तो मेरे शहर में पहली बार मल्टीप्लेक्स खुला। सारे दोस्त लार्ड ऑफ़ द रिंग्स देखने जा रहे थे। उस दिन मैंने पिता जी के पर्स से सीधे दो सौ रुपैये मारे। फिल्म तो बहुत अच्छी थी, पर उस दिन अचानक मुझे लगा की मैं क्या गलत करता जा रहा हूँ।

तीन दिन तक मैंने पापा से नज़र तक नहीं मिलायी।

पिता जी आज भी इतना ध्यान नहीं देते, पर्स अभी भी अस्तव्यस्त रहता है। आज मेरी नौकरी लग गयी है, पिता जी के पर्स से आखिरी बार पैसा चुराए हुए मुझे दस साल से ऊपर हो गए हैं।

अब मेरी नौकरी लग गयी है, और कभी कभार पापा की पर्स में चुपके से एक पांच सौ का नोट डाल देता हूँ . पापा को पता नहीं चलता, पर मुझे मन ही मन बहुत सुकून मिलता है।
by-saan durg