महात्मा को एक बार रास्ते में पड़ा धन मिल गया। उन्होंने निश्चय किया कि वे इस सबसे गरीब आदमी को दान कर देंगे। निर्धन आदमी की तलाश में वे खूब घूमे। उन्हें कोई सुपात्र नहीं मिला। एक दिन उन्होंने देखा राजमार्ग पर राजा के साथ अस्त्र-शस्त्रों से सजी विशाल सेना चली आ रही है। राजा महात्मा को पहचानता था।
हाथी से उतरकर उसने महात्मा को प्रणाम किया। महात्मा ने अपनी झोली से धन निकाला और राजा को थमा दिया। राजा ने विनीत स्वर में कहा महाराज! यह क्या? आपके आशीर्वाद से मेरे खजाने में हीरे-जवाहरात का भंडार है। महात्मा ने उत्तर दिया राजन! मैं गरीब आदमी की तलाश में था। तुम सबसे गरीब हो। यदि तुम्हारे खजाने में धन का अंबार है तो सेना लेकर कहां जा रहे हो? अगर तुम्हें किसी बात की कमी नहीं तो यह सब किसलिए? राज्य का विस्तार और धन के लिए। महात्मा की बातों ने असर किया। राजा ने तत्काल अपनी सेना को लौटने का आदेश दिया। वह ऐसे जा रहा था मानो में अनमोल खजाना जीतकर लौट रहा हो।
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