हममें से अधिकाँश लोग इंटरनेट पर अपना अधिकाँश समय सोशल साइट्स पर बिताते हैं और फेसबुक उन साइट्स में सबसे ऊपर आती है. अगर आप गौर से देखें तो फेसबुक पर आपके जितने भी फ्रेंड्स हैं उनको (और खुद को भी) कुछ कैटेगरीज में बाँट सकते हैं. वैसे तो फेसबुक पर अनगिनत किस्म के प्राणी हैं पर सबसे ज्यादा पाए जाने वाले और सबसे घातक और खतरनाक टाइप के प्राणी निम्नलिखित 20 टाइप के होते हैं. ध्यान रखें कि आप और हम भी इनमें से कई कैटेगरीज में शामिल हैं.
1. द टैगकर्ता- ये फेसबुक पर पायी जाने वाली सबसे खतरनाक किस्म की प्रजाति है. ये फेसबुक पर पोस्ट-वोस्ट नहीं लिखते. बस हर दिन सौ-पचास फोटो अपलोड करते हैं- फूल, नदी, जानवर, सेलेब्रिटी, देवी-देवता, उपदेश इत्यादि की. गूगल इमेज सर्च को ये दुनिया के लिए वरदान मानते हैं. ये बड़े भोले किस्म के जीव होते हैं. ये हर फोटो में सौ-पचास लोगों को टैग करते हैं. इनको लगता है कि जो महान और ख़ूबसूरत फोटो इन्होने अपलोड की है उसे सबको दिखाना इनका कर्तव्य है. अब लोग लापरवाह हैं, कहीं भूल जाएँ देखना; तो इसलिए ये उनको टैग कर देते हैं. कभी-कभी तो ये अपनी पासपोर्ट साइज़ फोटो में सौ-दो सौ लोगों को टैग कर देते हैं.
उपाय: अगर टैगकर्ता आपसे उम्र, पद, प्रतिष्ठा में छोटा है तो एक बार हड़का दें, दुबारा टैग करने पर ब्लॉक या अन्फ्रेंड करें. अगर टैगकर्ता आपके वर्तमान, भूत या भविष्य को प्रभावित करने की क्षमता रखता है तो जाकर लाइक करें और लिखें. ‘दैड्स अमेजिंग. थैंक यू फॉर टैगिंग’ . बन पड़े तो फोटो को शेयर भी करें. अगर आप सीधे-साधे जीव हैं और टेंशन नहीं लेना चाहते तो चुपके से जाकर टैग हटाते रहें.
2. द रीडर- ये बड़े निरीह प्राणी होते हैं. किसी को नुकसान नहीं पहुँचाते. ये फेसबुक पर न कुछ लिखते हैं, न कमेंट करते हैं न कुछ लाइक करते हैं. कभी-कभी लोगों को पता भी नहीं चलता कि वो फेसबुक पर हैं भी. लेकिन यह फेसबुक पर सबकुछ पढ़ते हैं. आपकी हर पोस्ट, हर कमेंट. और कभी कभार बातचीत में ये बोलेंगे,”हाँ ये तो आपके फेसबुक पर देखा था”.
उपाय: कोई उपाय जरूरी नहीं. बस एक डायरी मेंटेन करें कि ये भी फेसबुक पर हैं, जिससे कि आप कभी गलती से इनके बारे में कुछ उल्टा-पुल्टा न लिख बैठें.
3. द ताकू-झाँकू- ये ख़ुफ़िया जीव हैं जो आपकी हर गतिविधि पर नज़र रखते हैं. हो सकता है कि अपनी प्रोफाइल पर उतना टाइप आप भी नहीं स्पेंड करते हों जितना ये करते हैं. ये आपकी हर पोस्ट, कमेंट और फोटो एल्बम में गहरी दिलचस्पी लेते हैं. हो सकता है कि उसको अपने अपने कम्प्यूटर में सेव करके भी रखते हों. ऐसा ये क्यों करते हैं यह डिपेंड करता है. लेकिन यह तो तय है कि उनकी आपमें गहरी दिलचस्पी है.
उपाय: कोई सेंसिटिव तस्वीर या इन्फोर्मेशन न डालें. अपने भूतपूर्व प्रेमियों/प्रेमिकाओं/आशिकों पर खास नज़र रखें.
4. द गेमर- ये फेसबुक पर उपलब्ध तमाम तरह के गेम खेलते हैं- फार्मविले, माफियाविले, गटरविले और पता नहीं क्या क्या. और दिन भर में इसके दस-बीस अपडेट आते हैं – ‘आई गॉट लेवल फाइव ऑन फ़ार्मविले’, ‘माई टोमैटोज आर रेडी, डू यू वांट सम’, बी माई नेवर ऑन माफिया विले’ वगैरह-वगैरह.
उपाय: इनके झांसे में आकार गलती से कोई गेम ज्वाइन न करें. बहुत पछताएंगे. इनके स्टेटस अपडेट्स को ब्लॉक करें.
5. द अटेंशन सीकर- जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है ये अटेंशन के भूखे होते हैं और इसके लिए कुछ भी कर सकते हैं. ये ज्यादातर एन्क्रिप्टेड कोड टाइप के मैसेज लिखते हैं जिसे इनके अलावा कोई नहीं समझ पाए. जैसे- “आई न्यू इट विल हैप्पेन.”, आई कांट बिलीव यू कैन डू दिस टू मी’, ‘यस, आई डिड इट’ वगैरह वगैरह. ये उम्मीद करते हैं कि इनका कोडेड सन्देश लोग समझेंगे नहीं और पूछेंगे कि क्या हुआ.
उपाय: भूल कर भी न पूछें कि क्या हुआ. ज्यादा खुश हैं तो बस लाइक कर दें.
6. द गुरु- इनका काम होता है इंटरनेट से बड़े-बड़े फिलोस्फर्स और विद्वानों के Quotes कॉपी करने फेसबुक पर डालना. इनको लगता है कि और लोगों को नहीं पता कि ऐसे महान उपदेश इंटरनेट पर उपलब्ध हैं. और इन्हें आम जनमानस तक पहुंचाना उनका कर्तव्य है.
उपाय: अगर आप दिन भर महान उपदेशों को पढकर इनफीरियरिटी कॉम्प्लेक्स नहीं प्राप्त करना चाहते तो इनके स्टेटस अपडेट को अनसब्सक्राइब करें.
7. द दुष्ट- आपके कमीने दोस्त इस श्रेणी में आते हैं. इनका एक ही काम होता है. जब भी आप कुछ ढंग का लिखकर भोकाली बनाने की कोशिश कर रहे हों ये वहाँ आकार रायता फैला देंगे. जैसे आपने ‘ग्लोबल वार्मिंग, न्यूक्लियर वेस्ट और इकॉनोमिक क्राइसिस के बीच रिलेशन बैठाते हुए कोई धाँसू सी पोस्ट मारी. तो वहाँ आकार ये कमेंट करेंगे,”और तेरे लूज मोशन ठीक हुए या अभी भी…?” या “ये बालकनी में लाल रंग का फटा अंडरवियर तेरा पड़ा है क्या? जाके उठा ले.. बारिश आ रही है”.
उपाय: अगर आप सरे बाज़ार अपना पोपट नहीं बनवाना चाहते तो इनको खिलाते-पिलाते रहें.
8. द दुखी आत्मा- ये रोंदू टाइप जीव होते हैं. इनको लगता है कि दुनिया में और उनकी अपनी ज़िंदगी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा. इनको लगता है कि दुनिया में हर कोई उनको परेशान करने के लिए षड्यंत्र कर रहा है. ये हर स्टेटस में रोते रहते हैं. ऐसे लोगों में धोखा खाए और गर्लफ्रेंड-ब्वायफ्रेंड के ठुकराए प्रेमी ज्यादा होते हैं.
उपाय: इनसे सौ फीट की दूरी बनाकर रखें. क्योंकि यह कम्यूनिकेबल बीमारी है.
9. द हाइजैकर- ये अजीब किस्म की प्रजाति है. ये आपके पूरे पोस्ट को ही हाइजैक कर लेंगे. ये पोस्ट के टॉपिक से हटकर कुछ अलग ही बात शुरू कर देंगे. जैसे आपने भ्रष्टाचार और पॉलिटिक्स पर कुछ लिखा तो वो आकार कमेंट करेंगे,’हाय, हाउ आर यू? सब ठीक चल रहा है?’ और फिर वो चैटिंग में बदल जाएगा. कभी-कभी उनके और दोस्त भी चैटिंग को ज्वाइन कर लेंगे और आपको लगेगा कि ये आपकी नहीं उनकी ही पोस्ट है. आपके जो मित्र आपकी पोस्ट पर कमेंट करना चाहेंगे वे वहाँ रायता फैला देखकर निकल लेंगे.
उपाय: टॉपिक से अलग कमेंट का जवाब पोस्ट पर न देकर मैसेज में या उनकी वाल पर जाकर दें जिससे रायता वहीं फैले. आपकी पोस्ट पर नहीं.
10. द लिंकचेंपू- इनका काम होता है इंटरनेट में इधर-उधर से लिंक लेकर चेपना. न्यूज, आर्टिकल, सर्वे, यूटयूब वीडियो और अन्य तरह की मनोरंजक और उपयोगी सामग्री. इनकी फेसबुक वाल एक भरे-पूरे मनोरंजन पोर्टल की तरह होती है. कभी मन न लगे तो आप इनकी वाल का इस्तेमाल एक वेबसाईट की तरह कर सकते हैं. यह प्राणी अगर ब्लॉगर भी है तो अपनी हर पोस्ट का लिंक भी चेपेंगा. सावधान रहें.
उपाय: इनके स्टेटस अपडेट को नियमित देखने के बजाये आप शाम को एक बार उनकी वाल पर जाकर दिनभर का पूरा मसाला देख लें. इससे आपके समय की बचत होगी.
"द बाबा"
- इस कैटेगरी में पत्रकार, लेखक, प्रोफ़ेसर, अफसर वगैरह लोग आते हैं. इन्हें लगता है कि ये दुनिया के सबसे बड़े इंटेलेक्चुअल हैं और पॉलिटिक्स, सोसायटी, आर्ट वगैरह से नीचे की टॉपिक्स पर लिखना इनके लिए तौहीन की बात है. कभी-कभी अच्छे मूड में होने पर ये कुछ फनी लिखने की भी कोशिश करते हैं जो जेनेरली असफल ही होता है. ये महीनों-बर्षों मेहनत करके अपने इर्द-गिर्द भक्तों और चमचों की एक फ़ौज खड़ी कर लेते हैं जो इनके हर पोस्ट पर ऐसे ताली बजाती है जैसे इससे कालजयी आज तक लिखा ही नहीं गया. ये सिर्फ पोस्ट करते हैं. दूसरों के पोस्ट्स को लाइक करना, उनपर कमेंट करना या छोटे-मोटे लोगों के कमेंट्स का जवाब देना ये समय की बर्बादी समझते हैं. अगर किसी भक्त से ज्यादा खुश हों तो कभी-कभी एक-दो शब्द लिख देते हैं जिससे वह भक्त अपने आप को धन्य मानता है.
उपाय: इन्हें अधिक भाव न दें. इस भरोसे में बिलकुल न रहें कि ये कभी आपको कहीं लगवा देंगे या आपकी किताब छपवा देंगे. इनकी बातों और तर्कों को कभी काटें नहीं चाहे वो कितनी बेवकूफों वाली क्यों न हों. वो खुद तो बाद में आयेंगे, उससे पहले उनके भक्त आप पर राशन-पानी लेकर चढ़ जायेंग
"द समाजसेवी"
-इनके स्टेटस देखकर लगता है कि समाज के उद्धार का सारा बीड़ा इन्हीं के कंधों पर है. जैसे टिटहरी पेड़ पर उलटा सोती है कि यदि आसमान गिरेगा तो वो उसे थाम लेगी वैसे ही ये फेसबुक पर डटे रहते हैं. माता-पिता का सम्मान करना चाहिए, सारे धर्मों में प्रेमभाव होना चाहिए, पेड़-पौधों और पशुओं से कैसे प्रेम करना चाहिए, कैसे मेहनत से पढकर समाज का नाम रोशन करना चाहिए.. ये सब प्रेरणा वाले सन्देश, पोस्ट इनके स्टेटस के अभिन्न अंग होते हैं. इनको लगता है कि वे खुद से ये सब प्राप्त करके ऑलरेडी इन सबसे ऊपर उठ चुके हैं और अब इनका काम समाज को सही दिशा दिखाना है.
उपाय: इनको दूर से प्रणाम करें. वरना आपकी खैर नहीं.
"द शेयरकर्ता"-
ये भी फाड़ू प्रजाति के प्राणी है. शेयर करना और करवाना ही इनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य होता है. ये कोई भी पोस्ट, फोटो, लिंक शेयर कर देते हैं बिना यह जांचे कि वह सही है भी या नहीं और आपसे भी वही उम्मीद रखते हैं. कुछ उदाहरण:- १) यह बजरंगबली की तस्वीर लाइक करें तो २ दिन में कुछ अच्छा होगा. शेयर करें तो दस मिनट में गड़ा धन मिलेगा. २) जो असली माई का लाल होगा वो इस भगत सिंह की फोटो को लाइक करेगा और जो असली बाप का लाल होगा वो शेयर करेगा. ३) किसी को खून चाहिए, फ्री में हार्ट सर्जरी कराना हो, भारत से गरीबी दूर करनी हो, या बदहजमी ठीक करनी हो इस नंबर पर फोन करें. इसे शेयर कर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचायें जिससे सबका भला हो. ४) ये है देश के शेर सचिन, शाहरुख और मंगरू की तस्वीर, एक लाइक मतलब एक सैल्यूट ५) ये देखिये एक गरीब बच्चा.. यूनिसेफ ने कहा है कि अगर दस लाख लोग इसको लाइक करेंगे तो वह इस बच्चे को एक करोड़ रुपया देगी और अगर बीस लाख लोग शेयर करेंगे तो इसको यूएन का जनरल सेक्रेटरी बना देगी.
उपाय: ऐसे लोगों को देख कर रास्ता बदल लें. उन्हें एक जाली अकाउंट से मैसेज भेजें कि कैसे दुनिया उनसे पीड़ित और त्रस्त है.
"द फोटूग्राफर"-
ये फेसबुक पर कुछ लिखते नहीं सिर्फ फोटो लगाते हैं. इनमें से ज्यादातर ने नया-नया कैमरा या कैमरे वाला मोबाइल खरीदा होता है. थ्री इडियट फिल्म आने के बाद से इस प्रजाति की जनसंख्या में भारी बढोतरी हुई है. ये जहाँ जाते हैं वहाँ की एक फोटो लेकर चेप देते हैं- फूल, टेबल, कुर्सी, खाना, चिड़िया, जानवर, बच्चा कुछ भी. कोई फंक्शन हुआ तो सौ-दो सौ फोटो की एक एल्बम के लिए तैयार रहें. कुछ न हुआ तो ये सेल्फ फोटो ले मारते हैं. आखिर ख़ूबसूरत शक्ल कभी तो काम आये. इसे प्रजाति में जो थोड़े उन्नत किस्म के प्राणी हैं वो अपनी फोटो में फोटोशॉप से ‘अ फलाना फोटोग्राफी’ का वाटरमार्क लगा देते हैं और एक फैन पेज और ब्लॉग भी बना लेते हैं. इससे उनके फोटोग्राफ्स की गुणवत्ता और फैन्स की संख्या में भयंकर वृद्धि होती देखी गयी है.
उपाय: इनकी फोटोज की तारीफ़ करते रहें. ये फोटो खीचते-खीचते सीख जाते हैं और अच्छी फोटू खेंचने लगते हैं. शादी-ब्याह-जन्मदिन वगैरह के मौके पर बड़े काम आते हैं.
"द कवि-"
इनसे कौन त्रस्त नहीं है? दरअसल फेसबुक पर कुछ असली कवियों ने अकाउंट बना रखे हैं और (असली) कविताएँ डालते हैं. उनको लोग लाइक भी करते हैं और प्रशंसा भी करते हैं. लेकिन इसका साइड इफेक्ट यह हुआ है कि फेसबुक पर हर दिन भारी संख्या में कवि और शायर पैदा हो रहे हैं. ये कवि पाँच मिनट में कविता असेम्बल कर देते हैं. जिस विषय पर कहो उसी पर. कविता ऐसी कि दिनकर और निराला पढ़ लें तो गड्ढे में कूद के प्राण त्याग दें. सुना है भारत में ऐसे कवियों की संख्या में बढोतरी को देखते हुए चाइनीज कपनियां कविता असेम्बल करने वाली मशीन भी बना रही है. उसमें आप कहीं से कुछ लिखा हुआ कॉपी मारके पेस्ट कर दो और मशीन उसको तुरंत प्रोसेसिंग करके कौमा, फुलस्टॉप सहित कविता में कन्वर्ट कर देगी. ये मशीन आये तो मैं भी एक खरीदूँगा.
उपाय: इनकी कविता को लाइक करके कमेंट जरुर कर दो नहीं तो ये आपको मेल से भेज देंगे और कहेंगे कि पढ़के बताओ कैसी लगी. फिर आप फेर में पड़ जायेंगे.
"द टाइम्स ऑफ फेसबुक"
- इनको आप न्यूजदाता भी कह सकते हैं. अगर इस श्रेणी के जीव आपकी फ्रेंड लिस्ट में हैं तो आप अख़बारों और न्यूज़ चैनलों को फ़ौरन अनसब्सक्राइब करा दें.क्योंकि आपको उनकी जरुरत ही नहीं है अब. ये सबसे तेज हैं. कभी-कभी तो न्यूज साइट्स और एजेंसीज से पहले खबर ईनके फेसबुक वाल पर आ जाती है. कहाँ तूफ़ान आया, कहाँ दुर्घटना हुई, किसने वार्द्काप जीता, किस कलाकार का निधन हुआ, आज किसका जन्मदिन और पुण्यतिथि है – सब ये फेसबुक पर अप-टू-डेट रखते हैं. देशी-विदेशी पर्व-त्यौहार-दिवस वगैरह भी सही डेट के साथ आपको मिल जायेगा यहाँ. कुल मिलाकर इनकी फेसबुक वाल एक न्यूजपेपर कम पंचांग होती है.
उपाय: ये बड़े काम के जीव हैं. सारे दुनिया की न्यूज आपके फेसबुक वाल पर अप-टू-डेट है. और क्या चाहिए?
" द लाइकर-कम-लोलर"
- ये भी निरीह जीव हैं. किसी का नुकसान नहीं करते. ये किसी भी पोस्ट पर कुछ लिखते नहीं, कोई राय नहीं देते. बस उसे लाइक कर देते हैं और LOL, ROFL, LMFAO वगैरह लिख देते हैं. या फिर स्माइली लगा देते हैं. इससे यह पता चल जाता है कि या तो आपकी पोस्ट उनके इंटेलेक्चुअल लेवल की नहीं है इसलिए वे कुछ लिखने में अपना टाइम वेस्ट नहीं करेंगे या फिर वास्तव में उन्होंने आपकी पोस्ट को समझा है और एन्जॉय किया है लेकिन समय अभाव के कारण कुछ कह नहीं पा रहे.
उपाय: इनके लाइक और लोल के लिए अपने आपको धन्य मानें और हनुमान जी को सवा रूपये का प्रसाद चढाएं.
"द इनवाईटर"-
ये आपको हर दिन पाँच इवेंट्स, दस ग्रुप्स और तेरह फैन पेज को ज्वाइन करने का इन्विटेशन भेजेंगे. बुरा न मानें. ये आपके शुभचिंतक हैं और आपके भले के लिए ऐसा करते हैं.
उपाय: इनसे आप खुद निपटें.
" द ग्रामर-तोड़ू"
ग्रामर और स्पेलिंग से इनकी जन्मजात दुश्मनी होती है. लेकिन ये लिखते हमेशा अंग्रेजी में ही हैं. इनकी अंग्रेजी पढकर अच्छे-खासे लोगों को जुकाम हो जाता है. वो तो हम इंडियंस टांग टूटी अंग्रेजी को भी जोड़-तोड़कर समझ लेते हैं पर गलती से अगर कोई अंग्रेज देख ले तो वह आत्महत्या कर लेगा.
उपाय: अगर आप अपना भला चाहते हैं तो इनको ग्रामर और स्पेलिंग की मिस्टेक्स के बारे में भूल कर भी न बताएं. ये तुरंत अपना टॉफेल का सर्टिफिकेट पोस्ट करके आपको आपकी औकात दिखा देंगे. इनसे अगर आपने हिन्दी में लिखने को बोल दिया तो आपकी खैर नहीं.
"द खुली किताब"
- इनका जीवन एक खुली किताब की तरह होता है. प्राइवेसी नाम के वर्ड को ये अपनी डिक्शनरी से नोच कर निकाल देते हैं या उसपर स्याही गिरा देते हैं. ये सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक जो भी करते हैं उसके बारे में दुनिया को बता देना अपना कर्तव्य समझते हैं. कब शौचालय गए, वहाँ कितनी देर रहे, आज किस मार्केट की किस दूकान से किस रंग का पायजामा खरीदा, किसके साथ कब, कहाँ, क्या और कैसे खाया यह सब आपको पूरी इन्फोर्मेशन के साथ बताते चलते हैं ये. कल को कोई ये न कहे कि ये नहीं बताया. अक्सर इनके दिन की शुरुआत सुबह फेसबुक पर ‘गुड मोर्निंग’ लिखने से होती है जो रात को ‘गुड नाईट’ से खत्म होती है. अगर किसी दिन ये गुड नाईट बोलना भूल जाएँ तो इनको नींद नहीं आती. लगता है लोग क्या सोच रहे होंगे. आज गुड नाईट नहीं बोला. फिर अगले दिन ये बकायदा सॉरी बोलते हैं इसके लिए.
उपाय: मैं हाथ जोड़ता हूँ. इनसे आप खुद निपटें
ReplyDeleteइन्टरनेट पर अपना अधिकाँश समय सोशल- साईट,जिन में फेस बुक सब से ऊपर आता है उस पर समय बिताने वाले २० टाईप के लोगों के बारे में आप के लेख में पढ़ा। काफी रुचिकर एंव मनोरंजक है।
विन्नी
Awesome post yarr
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