Showing posts with label INTERNET. Show all posts
Showing posts with label INTERNET. Show all posts

Apr 2, 2013

अब फेसबुक में क्लिक करो और पैसे कमाओ


सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के यूजर के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है। फेसबुक की भाषा में इन ‘एडवांस्ड यूजर्स’ को अब सोशल नेटवर्किंग साइट पर की गई हर एक्टिविटी के लिए एक डॉलर मिलेगा। अभी ऐसे दुनिया में सिर्फ चार फीसदी एडवांस्ड यूजर्स ही हैं जिन्हें यह सुविधा मिल सकेगी। फिलहाल न्यूजीलैंड में इन यूजर्स के एक छोटे ग्रुप पर इस फीचर का परीक्षण किया जा रहा है। फेसबुक अपने हर प्रोग्राम को दुनिया के यूजर्स के सामने पेश करने से पहले इसी तरह इनका परीक्षण करता है। यह जानकारी एक एडवांस्ड यूजर एले फ्लड ने दी।

कितना पैसा मिल सकता है यूजर को?

फेसबुक यूजर इस साइट को कितना इस्तेमाल करता है और अथॉरिटेटव इंडेक्स पर वह फेसबुक एक्टिविटी में खुद को कहां पाता है। यह दो कारक बताएंगे कि उसे फेसबुक से कितना भुगतान मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक दुनिया के 2013 एडवांस्ड यूजर को यह सुविधा मिलेगी। इसमें एक एक्टिविटी करने के लिए एक डॉलर दिए जाएंगे। जो जितनी ज्यादा एक्टिविटी करेगा उसको उतने ज्यादा पैसे मिलेंगे।


कौन हैं एडवांस्ड फेसबुक यूजर?

एडवांस्ड फेसबुक यूजर को फेसबुक से एक नोटिफिकेशन आएगा। इसमें यह लिखा होगा कि आप एडवांस्ड फेसबुक प्रोग्राम के लिए चुने गए हैं। इसकी लिंक पर क्लिक करने के बाद यूजर को अपने क्रेडिट कार्ड और बैंक अकाउंट विवरण देना पड़ेगा। फेसबुक के मुताबिक यह एप 48 घंटे से लेकर सात दिन में एक्टिवेट होगी।

Mar 25, 2013

सूचना-प्रौद्योगिकी ( information technology )



परिचय (Introduction)

कम्प्यूटर का विकास कई दशकों पहले ही हो चुका है, परन्तु आधुनिक युग में कम्प्यूटर की क्षमता, गति, आकार एवं अन्य कई विशेषताओं में आश्चर्यजनक बदलाव हो रहे हैं। इन सभी सूचनाओं में सूचना प्रौद्योगिकी के आविष्कार ने कई असम्भव बातों को सम्भव बना दिया है। हम घर बैठे दूर स्थित अपने किसी मित्र व संबंधी के साथ चैंटिंग करना, रेलवे-वायुयान टिकट आरक्षित करा सकते हैं। कम्प्यूटर के विकास के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी भी विकास के पथ पर अग्रसर है। सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग डाटा संचार के रूप में, व्यपार, घर, बैंकों इत्यादि स्थानों पर मुख्य रूप से किया जाता है। दूसरे शब्दों में ज्ञान की नई शाखा को सूचना प्रौद्योगिकी कहते हैं।

सूचना-प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक(Fundamental Ingredient of IT)


संचार प्रक्रिया, कम्प्यूटर नेटवर्क, ई-मेल आदि सूचना-प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक हैं। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

संचार-प्रक्रिया (Communication Process)

दो विभिन्न या समान डिवाइसों के मध्य डाटा तथा सूचनाओं के आदान प्रदान को डाटा संचार एवं इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को संचार-प्रक्रिया कहते हैं।
संचार-प्रक्रिया निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा सम्पन्न होती है-

1. संदेश
2. प्राप्तकर्ता
3. प्रेषक
4. माध्यम
5. प्रोटोकॉल

कम्प्यूटर नेटवर्क (Computer Network)


सूचनाओं या अन्य संसाधनों के परस्पर आदान-प्रदान एवं साझेदारी के लिए दो या दो अधिक कम्प्यूटरों का परस्पर जुड़ाव कम्प्यूटर नेटवर्क कहलाता है। कम्प्यूटर नेटवर्क के अंतर्गत संसाधनों एवं सूचनाएं एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक समान रूप से पहुंचती है। कम्प्यूटर नेटवर्क एक कंपनी अथवा भवनों, एक कमरे तथा शहर के मध्य स्थापित किए जाते हैं।

नेटवर्क के प्रकार(Types of Network)


नेटवर्क विभिन्न प्रकार के होते हैं परन्तु मुख्यत: नेटवर्क तीन प्रकार के होते हैं-

1. लोकल एरिया नेटवर्क
- लैन (Local Area Network- LAN)
वह नेटवर्क जो केवल एक भवन, कार्यालय अथवा एक कमरे तक सीमित होते हैं, लोकल एरिया नेटवर्क कहलाते हैं। इस नेटवर्क के अंतर्गत कई कम्प्यूटर आपस में संयोजित रहते हैं। परन्तु इनका भौगोलिक क्षेत्र एक या दो किमी. से अधिक नहीं होता है। रिंग, स्टार या कम्प्लीटली कनेक्टेड नेटवर्क आदि लैन के उदाहरण हैं।

2. मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क- मैन (Metropolitan Area Network- MAN)
एक या एक से अधिक लोकल एरिया नेटवर्कों को एक साथ जोड़कर बनाए गए नेटवर्क को मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क कहते हैं। यह नेटवर्क वृहद स्तरीय नेटवर्क है, जो कई कार्पोरेटों से मिलकर बना होता है। मैन की गति अत्यधिक तीव्र होती है, परन्तु लैन की अपेक्षा धीमी होती है।

3. वाइड एरिया नेटवर्क
- वैन (Wide Area Network- WAN)
वह नेटवर्क जो मंडलीय, राष्टरीय, अंतरराष्टरीय एवं प्रादेशिक स्तर पर जोड़े जाते हैं, वाइड एरिया नेटवर्क कहलाते हैं। वैन में उपग्रह द्वारा कम्प्यूटर टर्मिनलों को आपस में जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए- मुबंई में रहकर दिल्ली से कोलकाता का आरक्षण करना या कनाडा से सिंगापुर की फ्लाइट का आरक्षण केवल वैन द्वारा ही संभव है। वैन की गति, लैन तथा मैन की अपेक्षा धीमी होती है।

ई-मेल (E-mail)
ई-मेल सूचना प्रौद्योगिकी की एक अद्भुत देन है, जिसके द्वारा दूरभाष तथा टेलीग्राम, फैक्स तथा पोस्टकार्ड इत्यादि पारंपरिक संचार सेवाओं को आसानी से केवल कुछ ही सेकेंडों में प्रेषित किया जा सकता है। ई-मेल की शुरुआत सबसे पहले हॉटमेल नामक कंपनी ने की। जिसने www.hotmail.com के जरिए सेवायें प्रारम्भ की। आज हॉटमेल विश्व की सबसे बड़ी ई-मेल इंटरनेट कंपनी है।

बैंक परीक्षा के लिए कम्प्यूटर : शब्दावली (A - D)

Abacus: Abacus गणना करने के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला अति प्राचीन यंत्र जिससे अंकों को जोड़ा व घटाया दोनों जाता है।

Accessory: यह प्रोसेसिंग के लिए एक आवश्यक संसाधन होते हैं जिन्हें सहायक यन्त्र भी कहा जाता है। जैसे- वेब कैमरा, फ्लापी डिस्क, स्कैनर, पेन ड्राइव आदि

Access Control: सूचना और संसाधनों की की सुरक्षा के लिए प्रयुक्त की गई विधि जिसके द्वारा अनाधिकृत यूजर को सूचना और निर्देशों को पहुंचने से रोकता है।

Access Time: यूजर द्वारा मेमोरी से डाटा प्राप्त करने के लिए दिए गए निर्देश और डाटा प्राप्त होने तक के बीच के समय को Access time कहते हैं।

Accumulator: एक प्रकार का रजिस्टर जो प्रोसेसिंग के दौरान डाटा और निर्देशों को संग्रहीत करता है।

Active Device: वह उपकरण है जिसमें कोई कार्य वैद्युत् प्रवाह द्वारा सम्पादित किया जाता है।

Active Cell: MS Excel में प्रयोग होने वाला वह खाना है, जिसमें यूजर डाटा लिखता है।

Active Window: कम्प्यूटर में उपस्थित वह विंडो, जो यूजर द्वारा वर्तमान समय में सक्रिय है।

Adapter: दो या दो से अधिक उपकरणों या संसाधनों के बीच सामंजस्य बनाने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली युक्ति।

Adder : एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, जिसके द्वारा दो या दो से अधिक संख्याओं को जोड़ा जा सकता है।

Address: वह पहचान चिन्ह जिसके द्वारा डाटा की स्थिति का पता चलता है।

Algorithm: कम्प्यूटर को दिया जाने वाला अनुदेशों का वह क्रम जिसके द्वारा किसी कार्य को पूरा किया जाता है।

Alignment: डाटा में पैराग्राफ को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया।

Alphanumeric: (A-Z) तक के अक्षरों और (0-9) अंकों के समूह को Alphanumeric कहते हैं।

Analog: भौतिक राशि की वह मात्रा जो लगातार तरंगीय रूप में परिवर्तित होती है।

Analog Computer: जिस कम्प्यूटर में डाटा भौतिकीय रूप से प्रयुक्त किया जाता है।

Antivirus: कम्प्यूटर का दोषपूर्ण प्रोग्राम अथवा 1द्बह्म्ह्वह्य से होने वाली क्षति को बचाने वाला प्रोग्राम।

Application Software: किसी विशेष कार्य के लिए बनाए गए एक या एक से अधिक प्रोग्रामों का समूह।

Artificial Intelligence: मानव की तरह सोचने, समझने और तर्क करने की क्षमता के विकास को कम्प्यूटर में Artificial Intelligence कहते हैं।

ASCII (American Standard Code For Information Interchange): वह कोड जिसके द्वारा अक्षरों तथा संख्याओं को 8 बिट के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

Assembler: वह प्रोग्राम जो असेम्बली भाषा को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है।

Assembly Language: एक प्रकार की कम्प्यूटर भाषा जिसमें अक्षरों और अंकों को छोटे-छोटे कोड में लिखा जाता है।

Asynchronous: डाटा भेजने की एक पद्घति, जिसमें डाटा को नियमित अन्तराल में अपनी सुविधानुसार भेजा जा सकता है।

Authentication: वह पद्घति, जिसके द्वारा कम्प्यूटर के वैद्यता की पहचान की जाती है।

Auto Cad: एक सॉफ्टवेयर जो रेखा चित्र और ग्राफ स्वत: तैयार करता है।

Audio-Visual: ऐसी सूचना और निर्देश, जिन्हें हम देख सुन सकते हैं पर प्रिंट नहीं निकाल सकते।

Automation: किसी डाटा या सूचना का स्वत: ही प्रोसेस होना।


( B )



BASIC: यह एक उच्चस्तरीय, अत्यन्त उपयोगी व सरल भाषा है, जिसका प्रयोग सभी कम्प्यूटरों में होता है।

Binary: गणना करने के लिए प्रयोग की जाने वाली संख्या प्रणाली।

Bit: बाइनरी अंक (0-1) को संयुक्त रूप से बिट कहा जाता है, यह कम्प्यूटर की सबसे छोटी इकाई है।

Bite: 8 बिटों को सम्मिलित रूप से बाइट कहा जाता है। एक किलोबाइट में 1024 बाइट होती हैं।

Biochop: जैव प्रौद्योगिकी पर आधारित व सिलिकॉन से बनी इस चिप से ही कम्प्यूटर का विकास हो पाया है।

Backbone: कम्प्यूटर नेटवर्क में अन्य कम्प्यूटरों को आपस में जोडऩे वाली मुख्य लाइन।

Background Processing: निम्न प्राथमिकता वाले प्रोग्राम को उच्च प्राथमिकता वाले प्रोग्राम में बदलने की क्रिया।

Back Up: सामान्यत: Back Up कोई भी प्रोग्राम हो सकता है, जिसके द्वारा कम्प्यूटर को खराब होने से बचाया जा सकता है।

Bad Sector: स्टोरेज डिवाइस में वह स्थान जहां पर डाटा लिखा या पढ़ा नहीं जा सकता।

Band Width: डाटा संचरण में प्रयोग की जाने वाली आवृत्ति की उच्चतम और निम्नतम सीमा का अन्तर Band Width कहलाता है।

Base: संख्या पद्वति में अंकों को व्यक्त करने वाले चिन्हों को कहा जाता है।

Batch File: Dos ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रोग्राम की वह फाइल जो स्वंय संपादित होती है।

Band: वह इकाई जो डाटा संचारण की गति को मापता है।

1 Band= 1 Bite/sec

Blinking: किसी बिंदु पर कर्सर की स्थिति को Blinking कहते हैं।

Biometric Device: वह डिवाइस जो दो व्यक्तियों के भौतिक गुणों में अंतर कर सकने में सक्षम हो।

Bernoulli Disk: वह चुम्बकीय डिस्क जो रीड व राइट दोनों में ही सक्षम है, डाटा भण्डारण के लिए प्रयोग की जाती है।

Broad Band: कम्प्यूटर नेटवर्क जिसके संचरण की गति 1 मिलियन बिट्स प्रति सेकेण्ड या इससे अधिक होती है।

Browse: जब इंटरनेट पर किसी वेबसाइट को खोजा जाता है तो उस प्रक्रिया को क्चह्म्श2ह्यद्ग कहते हैं।

Browser: वह साफ्टवेयर जिसके माध्यम से हम इंटरनेट पर अपनी पसंद की वेबसाइट को खोज कर सूचना प्राप्त करते हैं।

Bridge Ware: यह सॉफ्टवेयर हैं जिसके द्वारा कम्प्यूटरों के मध्य सामंजस्य स्थापित किया जाता है।

Bubble Memory: जिसमें डाटा को स्टोर करने के लिए चुम्बकीय माध्यमों का प्रयोग किया जाता है।

Buffer: एक प्रकार की डाटा स्टोरेज डिवाइस है, जो कम्प्यूटर के विभिन्न प्रकार के उपकरणों के बीच डाटा- स्थानन्तरण की गति को एक समान बनाता है।

Burning: वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा क्रह्ररू में डाटा लिखा जाता है।

Bus: एक प्रकार का मार्ग है जो डाटा या इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले कर जाता है।

Blue Tooth: एक लघु रेडियो ट्रांसमीटर होता है जिसके द्वारा सूचनाओं का आदान- प्रदान किया जाता है।

Boot: ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किया जाने वाला सबसे प्रारम्भिक कार्य क्चशशह्ल कहलाता है।

Bug: यह एक प्रकार का श्वह्म्ह्म्शह्म् होता है, जो कम्प्यूटर में उपस्थित प्रोग्रामों में पाया जाता है। क्चह्वद्द को हटाने की प्रक्रिया को ष्ठद्गड्ढह्वद्द कहा जाता है।

(C)



Chip : Chip सामान्यत: सिलिकॉन अथवा अन्य अद्र्घचालकों से बना छोटा टुकड़ा होता है, जिस पर विभिन्न प्रकार के कार्यों को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बने होते हैं।

Computer Program : किसी कार्य को विधिवत तरीके से पूर्ण करने के लिए कई प्रकार के प्रोग्राम बनाये जाते हैं, जिन्हें Computer Program कहा जाता हैं। सामान्यत:

Computer Program विभिन्न प्रकार की सूचनाओं का समूह होता है।

Cyber Space : Cyber Space द्वारा कम्प्यूटर नेटवर्क में उपस्थित सूचनाओं का आदान-प्रदान पूरे विश्व में किया जाता है।

CD-R/W :इसे विस्तृत रूप से Compact Disk - Read/Write कहा जाता है। यह एक Storage Device है। जिसमें डाटा को बार-बार लिखा तथा पढ़ा जा सकता है।

CD-R : इसे विस्तृत रूप से Compact Disk - Recordable कहा जाता है। इस Storage Device में डाटा केवल पढ़ा जा सकता हैं। लेकिन Store डाटा में कोई भी परिवर्तन नहीं

किया जा सकता है।

CD ROM Juke Box : इसे विस्तृत रूप से Compact Disk Read Only Memory Juke Box कहते है। इस Storage Device में अनेक प्रकार की सीडियां, ड्राइव्स, डिस्कस

आदि सम्मिलित होती है।

Cell : Row और Column से निर्मित भाग को Cell कहा जाता है।

CPU : इसका विस्तृत रूप Central Processing Unit Processing हैं। यह कम्प्यूटर में होने वाली सभी क्रियाओं की प्रोसेसिंग करता है। यह कम्प्यूटर का दिमाग कहलाता है।

Character Printer : इसकी विशेषता यह है कि यह एक बार में केवल एक ही कैरेक्टर (जैसे-अंक, अक्षर अथवा कोई भी चिन्ह) प्रिन्ट करता हैं।

Chat : इंटरनेट के द्वारा दूर स्थिर अपने मित्र या सगे-सम्बंधियों से वार्तालाप करना, Chat कहलाता हैं।

Channel Map : वह प्रोग्राम, जो अक्षरों, अंकों के समूह को दर्शाता है, Channel Map कहलाता है।

Check Box : वह प्रोग्राम, जिसके द्वारा किसी कार्य को सक्रिय या निष्क्रिय किया जाता हैं। ये प्रोग्राम विण्डोज के GUI (ग्राफिकल यूजर इंटरफेस) में प्रयुक्त किये जाते हैं।

Cladding : Cladding एक अवरोधक सतह होती है। जोकि प्रकाशीय तन्तु के ऊपर लगायी जाती है।

Click : माउस के बटन को दबाना ''क्लिक" करना कहलाता हैं।

Client Computer : वह कम्प्यूटर, जो नेटवर्क में सर्वर को सेवा प्रदान करता हैं, Client Computer कहलाता है।

Clip Art : कम्प्यूटर में उपस्थित रेखा चित्र का समूह Clip Art : कहलाता है।

Component : यूटलिटी सॉफ्टवेयर के अन्र्तगत प्रयुक्त होने वाले पुर्जे Component कहलाते हैं।

Compile : उच्च स्तरीय तथा निम्न स्तरीय भाषाओं को मशीनी भाषा में बदलना Compile करना कहलाता है।

Compiler : Compiler उच्च स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में बदलने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

Compatible : विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटरों को एक-साथ जोड़कर उनमें सामंजस्य बैठाना।

Communication Protocol : कार्य को सरल तथा सुविधाजनक बनाने के लिए कई प्रकार के नियम बनाये जाते हैं, जिन्हें कम्प्यूटर भाषा में Communication Protocol

कहते हैं।

Common Carriers : एक संस्था, जो डाटा संचरण की सुविधा प्रदान करती है।

Command : कम्प्यूटर में किसी कार्य को पूरा करने के लिए जब कोई निर्देश दिया जाता है, तो उसे Command देना कहते हैं।

Cold Fault : कम्प्यूटर पर काम करते-करते अचानक दोष उत्पन्न हो जाना, परन्तु कम्प्यूटर को दोबारा ऑन करने पर दोष का दूर हो जाना Cold Fault कहलाता हैं।

Cold Boot : दिए गए नियमों द्वारा कार्य सम्पन्न करने की विधि Cold Boot कहलाती है।

Coding : प्रोग्रामिंग भाषा में अनुदेशों को लिखने की क्रिया Coding कहलाती है।

Co-axial Cable : एक विशेष तार, जिसे डाटा संचरण के लिए प्रयुक्त किया जाता है। Co-axial Cable में एक केन्द्रीय तार तथा उसके चारों ओर तारों की जाली होती है।

Clock : मदरबोर्ड पर स्थित डिजिटल संकेतों को उत्पन्न करने वाली घड़ी।

Clip Board : Clip Board कम्प्यूटर की मेमोरी में आरक्षित वह स्थान होता हैं, जहां किसी भी कार्य को सम्पन्न करने के लिए निर्देश दिए होते हैं।

Composite Video : इसके द्वारा रंगीन आउटपुट प्राप्त होता है।

Computer : गणना करने वाला एक यन्त्र, जो ह्यद्गह्म् द्वारा प्राप्त निर्देशों की प्रोसेसिंग करके उसका उपयुक्त परिणाम आउटपुट डिवाइस के द्वारा प्रदर्शित करता है।

Computer Aided Desin (CAD) : वह सॉफ्टवेयर, जिसका प्रयोग डिजाइन बनाने अथवा डिजाइनिंग करने के लिए किया जाता है।

Computer Aided Manufacturing (CAM) : वह सॉफ्टवेयर, जिसका प्रयोग प्रबन्धक, नियन्त्रक आदि के कार्यों के लिए किया जाता है।

Computer Jargon : Computer Jargon के द्वारा हम किसी भी क्षेत्र तथा भाषा में प्रयुक्त शब्दों की शब्दावली प्राप्त कर सकते हैं।

Computer Literacy : कम्प्यूटर में होने वाले कार्य तथा उन्हें करने का ज्ञान होना Computer Literacy कहलाता है।

Computer Network : दो या दो से अधिक कम्प्यूटरों को एक साथ जोड़कर बनाये जाने वाले यन्त्र को Computer Network कहते हैं।

Computer System : उपकरणों का समूह (जैसे - मॉनीटर, माउस, की-बोर्ड आदि) Computer System कहलाता है।

Console : Console एक प्रकार का टर्मिनल हैं, जो मुख्य कम्प्यूटर से जुड़ा होता है तथा कम्प्यूटर में होने वाले कार्यों पर नियन्त्रण रखता है।

Control Panel : Control Panel एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसके ऊपर बहुत-से बटन लगे होते हैं। इसके द्वारा कार्य का दिशा- निर्देशन होता है।

Cylinder : Cylinder दो या दो से अधिक ट्रैकों का समूह होता है।

Cut : मॉनीटर पर उपस्थित डाटा को डिलीट करने के लिए प्रयुक्त कमाण्ड।

Cursor Control Key : यह की-बोर्ड में Cursor को नियंत्रित करने के लिए प्रयुक्त Key है। माउस खराब हो जाने पर इस Key का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है।

Cryptography : किसी डाटा तथा निर्देशों को Password के द्वारा संरक्षित कर देने तथा आवश्यकता पडऩे पर पुन: Save किये गये डाटा तथा निर्देश को प्राप्त करने की प्रक्रिया को

Cryptographyकहा जाता है।

Corel Draw : डिजाइन तैयार करने के लिए प्रयोग किये जाने वाले सॉफ्टवेयर को Corel Draw कहा जाता हैं। इसका प्रयोग मुख्यत: DTP (डेस्कटॉप पब्लिशिंग) के लिये किया

जाता है।

CD-ROM : यह भण्डारण युक्ति है, जो कि प्लास्टिक की बनी होती है तथा इसमें डाटा लेजर बीम की सहायता से स्टोर किया जाता है। इसकी भण्डारण क्षमता 700 MB (80 मिनट)

होती है।

Cursor : टेक्स्ट लिखते समय कम्प्यूटर स्क्रीन पर “Blink” करने वाली खड़ी रेखा को Cursor कहते है।



(D)



Data: निर्देश तथा सूचनायें, जिन्हें कम्प्यूटर में स्टोर या अन्य कार्यों को करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

Database : बहुत-सी सूचनाओं का संग्रह Database कहलाता है। Database के द्वारा वांछित सूचना को कम्प्यूटर की स्क्रीन पर प्राप्त किया जा सकता है।

Data Base Management System (DBMS): DBMS बहुत से प्रोग्रामों का समूह होता है। जिसके द्वारा डाटा को व्यवस्थित करने, सूचना देने अथवा उसमें परिवर्तन करने

आदि कार्य सरलतापूर्वक किये जाते हैं।

Data Entry : डाटा तथा निर्देशों को कम्प्यूटर में संगृहित करना Data Entry कहलाता है।

Data Processing : डाटा तथा निर्देशों को आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाकर आउटपुट प्राप्त करना अथवा डाटा को व्यवस्थित करना Data Processing कहलाता है।

Data Redundancy : एक फाइल, एक या एक से अधिक बार अलग-अलग नामों से कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में Save करना Data Redundancy कहलाता है।

Data Transfer Rate : यूजर द्वारा दिए गए डाटा तथा निर्देशों को सहायक मेमोरी से मुख्य मेमोरी अथवा एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में पहुंचाने की दर को Data Transfer

Rate (डाटा स्थानान्तरण दर) कहते हैं।

Daughter Board : Main Board के साथ जुडऩे वाला सहायक Board Daughter Board कहलाता है। Daughter Board एक सर्किट बोर्ड होता है।

Debugging : दिए गए डाटा तथा प्रोग्राम में गलतियों को ढूंढऩे तथा उन्हें सुधारने की क्रिया Debugging कहलाती है।

Debugger : Debugging को प्रयोग करने के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले सॉफ्टवेयर Debugger कहलाते हैं।

Decision Box : Decision Box का फ्लोचार्ट बनाने में किया जाता है। इसके अन्तर्गत दो Condition होती हैं - 1 हां, 2 व ना, जिनमें से एक Condition को चुनना होता है।

यह फ्लोचार्ट के मध्य में प्रयोग किया जाता है।

Decision Logic : किसी डाटा या प्रोग्राम में दो या अधिक विकल्पों को चुनना Decision Logic कहलाता है।

Decoder : यह Device कम्प्यूटर को दिये डाटा को पढ़कर उनकी प्रोसेसिंग के लिए स्वत: ही निर्देश देती है।

Dedicated Line : यह प्राइवेट टेलीफोन लाइन होती है, जो ध्वनि/डाटा के स्थानान्तरण के लिए प्रयोग की जाती है।

Delete : किसी सॉफ्टवेयर में उपस्थित डाटा में से अवांछित डाटा को हटाना।

Demodulation : इसके द्वारा मॉडुलेट किए गए डाटा माध्यम से अलग किये जाते हैं, जिससे उस डाटा का पुन: प्रयोग किया जा सके। Demodulation के द्वारा एनालॉग क्रिया को

डिजिटल में परिवर्तित किया जा सकता है।

Desk Top : कम्प्यूटर को ऑन करने के तुरन्त बाद कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखायी देने वाला आउटपुट Desk top कहलाता है।

Desk Top Publishing (DTP) : यह एक एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर है। जिसका प्रयोग आमतौर पर प्रकाशन कार्यों में किया जाता है।

Dialogue Box : इसका प्रयोग कम्प्यूटर तथा यूजर के मध्य संवाद करने के लिए किया जाता है। Dialogue Box विण्डोज सॉफ्टवेयर में प्रयोग किया जाता है।

Dial Up Line : वह लाइन, जिसके द्वारा संचार व्यवस्था स्थापित की जाती है, Dial Up Line कहलाती है।

Digit : कोई भी अंक, चिन्ह, जिसका प्रयोग संख्या पद्घति में किया जाता है।

Digital Computer : इन कम्प्यूटरों में इलेक्ट्रॉनिक संकेतों का प्रयोग किया जाता है। आधुनिक युग में प्रयुक्त कम्प्यूटर Digital Computer ही है।

Digital Signal : इसके द्वारा निर्देशों तथा डाटा को बाइनरी संख्या पद्घति में परिवर्तित किया जाता है।

Digital Video Disk : यह एक भण्डारण युक्ति है। जिसमें सूचनाओं को पढऩे तथा लिखने के लिए लेजर किरणों का प्रयोग किया जाता है। जिस कारण इसे प्रकाशीय डिस्क भी कहते

हैं।

Digitiser : रेखीय डाटा को अंकीय रूप में परिवर्तित करने के लिए Digitiser का प्रयोग किया जाता है।

Disc : एक वृत्त के आकार का यंत्र, जिसका प्रयोग डाटा तथा निर्देशों को सूचनाओं के रूप में संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।

Disk Array : हार्ड डिस्क के बहुत से समूह, उनके नियंत्रक तथा ड्राइव को सम्मिलित रूप से Disk Array कहते हैं। सम्मिलित समूह के कारण इसकी संग्रह क्षमता अत्यधिक होती है। Disk Array को RAID (रेड) भी कहा जाता है।

Disk Drive : वह डिस्क, जिसके द्वारा संगृहित डाटा पढ़ा व लिखा जा सकता है, Disk Drive कहलाता है।

Diskette : फ्लॉपी डिस्क को ही Diskette कहा जाता है। यह एक पतली, लोचदार चुम्बकीय डिस्क है। जिसे डाटा भण्डारण के लिए प्रयोग किया जाता है।

Disk Operating System (DOS): वह ऑपरेटिंग सिस्टम जिसके द्वारा कम्प्यूटर को Boot किया जाता है तथा कम्प्यूटर का नियन्त्रण किया जाता है, Disk Operating

System कहलाता है।

Disk Pack : दो या अधिक चुम्बकीय डिस्क का समूह, जिसेशॉफ्ट (Shaft) पर लगाकर, भण्डारण युक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है।

Display Unit : यह एक आउटपुट डिवाइस है। जिसे मॉनीटर भी कहा जाता है। यह अपनी स्क्रीन पर डाटा और परिणामों को प्रदर्शित करता है।

Domain Name : वह विशिष्ट नाम, जो सामान्य नियमों तथा प्रक्रियाओं द्वारा इंटरनेट पर किसी वेबसाइट का नाम बताता है।

Dots Per Inch (DPI) : Dot Printers में DPI का प्रयोग आवश्यक रूप से किया जाता है। ये प्रति एक इंच में उपस्थित बिन्दुओं की संख्या है, जो ऊध्र्वाधर तथा क्षैतिज रूप में

होती है।

Dot Pitch : कम्प्यूटर की स्क्रीन पर एक मिलीमीटर के क्षेत्र में उपस्थित कुल बिन्दुओं की संख्या को Dot Pitch कहते है।

Downloading : कम्प्यूटर नेटवर्क के प्रयोग से डाटा तथा फाइल को दूरस्थ कम्प्यूटर से स्थानीय कम्प्यूटर में लाने की क्रिया Downloading कहलाती है।

Drag : माउस द्वारा डाटा के किसी भाग को सेलेक्ट करके एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित करने की क्रिया Drag कहलाती है।

Dumb terminal : वह टर्मिनल, जिसकी स्वत: प्रोसेसिंग नहीं होती, बल्कि सहायक Terminals के द्वारा इसकी प्रोसेसिंग की जाती है।


इंटरनेट व उसके प्रयोग (internet and its uses)

इंटरनेट व उसके प्रयोग


परिचय (Introduction)

इंटरनेट से तात्पर्य एक ऐसे नेटवर्क से है जो दुनिया भर के लाखों करोड़ों कम्प्यूटरों से जुड़ा है। कहने का मतलब यह है कि किसी नेटवर्क का कोई सिस्टम किसी अन्य नेटवर्क के सिस्टम से जुड़ कर कम्यूनिकेट कर सकता है। अर्थात सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है। सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए जिस नियम का प्रयोग किया जाता है उसे ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल या इंटरनेट प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) कहा जाता है।

इंटरनेट की सेवाएं

इसकी सेवाओं में कुछ का जिक्र यहां किया जा रहा है-

फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफ टी पी)- फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल का उपयोग एक कम्प्यूटर नेटवर्क से किसी दूसरे कम्प्यूटर नेटवर्क में फाइलों को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक मेल ई-मेल- इसको संक्षिप्त रूप से ई-मेल कहा जाता है। इस माध्यम के द्वारा बड़ी से बड़ी सूचनाओं व संदेशों को इलेक्ट्रॅनिक प्रणाली द्वारा प्रकश की गति से भेजा या प्राप्त किया जा सकता है। इसके द्वारा पत्र, ग्रीटिंग या सिस्टम प्रोग्राम को दुनिया के किसी भी हिस्से में भेज सकते हं।

गोफर- यह एक यूजर फ्रैंडली इंटरफेज है। जिसके जरिए यूजर, इंटरनेट पर प्रोग्राम व सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है। गोफर के द्वारा इंटरनेट की कई सेवाएं आपस में जुड़ी होती है।

वल्र्ड वाइड वेब
(222)- इसके द्वारा यूजर अपने या अपनी संस्था आदि से सम्बंधित सूचनाएं दुनिया में कभी भी भेज सकता है, और अन्य यूजर उससे सम्बंधित जानकारियां भी प्राप्त कर सकता है।

टेलनेट- डाटा के हस्तांतरण के लिए टेलनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा यूजर को रिमोट कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। इसके बाद यूजर अपने डाटा का हस्तांतरण कर सकता है। टेलनेट पर कार्य करने के लिए यूजर नेम व पास वर्ड की जरूरत होती है।

यूजनेट- अनेक प्रकार की सूचनाओं को एकत्र करने के लिए इंटरनेट के नेटवर्क, यूजनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके माध्यम से कोई भी यूजर विभिन्न समूहों से अपने लिए जरूरी सूचनाएं एकत्र कर सकता है।

वेरोनिका- वेरोनिका प्रोटोकॉल गोफर के माध्यम से काम करता है। यूजर, गोफर व वेरोनिका का प्रयोग एक साथ करके किसी भी डाटा बेस पर आसानी से पहुंच सकता है। इनके प्रयोग से जरूरी सूचनाएं तेजी से प्राप्त की जा सकती हैं।

आर्ची- फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफटीपी) में स्टोर फाइलों को खोजने के लिए आर्ची का प्रयोग किया जाता है।

इंटरनेट से संबधित शब्दावली

प्रोटोकॉल- यह एक ऐसी मानक औपचारिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से कम्प्यूटर नेटवर्क में अंकीय संचार किया जाता है।

ब्राउजर- यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसकी मदद से यूजर सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए इंटरनेट में प्रवेश करता है।

वेब सर्वर- यह प्रोग्राम वेब ब्राउजर के द्वारा संसाधनों को प्राप्त करने के लिए यूजर द्वारा दिए गए अनुरोध को पूरा करता है।

नेटवर्क
- कई सिस्टमों को एक साथ जोड़कर बनाए गए संजाल को नेटवर्क क हते हैं। इसके द्वारा एक साथ कई जगहों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करना संभव है।

आन-लाइन- जब यूजर इंटरनेट पर जान-करियों व सेवाओं का अध्ययन करता है। तब कहा जाता है कि यूजर ऑन लाइन है।

होम पेज- यह किसी भी साइट का शुरूआती प्रदर्शित पेज है। जिसमें सूचनाएं हाईपरलिंक द्वारा जोड़ी जाती है।

ऑफ लाइन- इसमें यूजर इंटरनेट में मौजूद सूचनाओं को अपने अपने सिस्टम में संग्रहित कर इंटरनेट संपर्क काट देता है।

हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैग्वेंज (एचटीएमएल)- इसका प्रयोग वेब पेज बनाने में किया जाता है। शुरूआत में इसका प्रयोग वेब पेज डिजाइन करने में किया जाता था।

हाइपर टेक्स्ट ट्रॉसंफर प्रोटोकॉल
- इसका प्रयोग एचटीएमएल में संगृहित दस्तावेजों व दूसरे वेब संसाधनों कों स्थानांतरित करने में किया जाता है।

टीसीपी/आईपी- इसका प्रयोग सूचनाओं के आदान-प्रदान में किया जाता है।

यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर(यूआरएल)- इसका प्रयोग वेब पर किसी विशेष सूचना को संचालित करने में किया जाता है।

वेब पेज- होम पेज पर बने हाइपर लिंक पर क्लिक करने पर जो पेज हमारे सामने प्रस्तुत होता है, उसे वेब पेज कहते हैं।

वेबसाइट- वेब पेजों के समूहों को वेबसाइट कहते हैं। जिसमें आडियो, वीडियों, इमेजेस का समावेश होता है।

हाइपर लिंक- वेब पेज में मौजूद वे विशेष शब्द या चित्र जिस पर क्लिक करने पर उस शब्द या चित्र से सम्बंधित एक अलग वेब पेज पर आ जाती है। उसे वेब पेज को हाइपर लिंक कहते है।

डाउनलोड- इंटरनेट या किसी अन्य कंम्प्यूटर से प्राप्त सूचनाओं को अपने कम्प्यूटर में एकत्रित करना डाउनलोड कहलाता है।

अपलोड
- अपने कम्प्यूटर से किसी अन्य कम्प्यूटर में सूचनाएं भेजना अपलोड कहलाता है। जैसे ई-मेल भेजना।

सर्वर
- वह कम्प्यूटर जो इंटरनेट प्रयोग करने वाले सिस्टम को सूचनाएं प्रदान करने की क्षमताएं रखता है, सर्वर कहलाता है।

सर्फिंग
- इंटरनेट के नेटवर्कों में अहम सूनचाओं को खोजने का काम सर्फिंग कहलाता है।

इंटरनेट एड्रेस
- इंटरनेट में प्रयुक्त एड्रेस के मूलभूत हिस्से को डोमेन कहा जाता है। इंटरनेट से जुड़े हर कम्प्यूटर का एक अलग डोमेन होता है। जिसे डोमेन नेम सिस्टम कहते हैं। जिसे 3 भागों में बांटा जा सकता है।
1.जेनेरिक डोमेन
2.कंट्री डोमेन
3.इनवर्स डोमेन

Mar 24, 2013

बचें Facebook से ? main reasons ...

इसे बनाने वाले दुनिया के youngest billionaire Mark Zukerberg ने भी कभी नहीं सोचा था की ये इतनी जल्दी इतनी popular हो जाएगी . In fact , अगर आप Fb पे नहीं हैं तो लोग आपको आश्चर्य से देखते हैं . ..” Fb पे नहीं है ………….जी कैसे रहा है …… :) !!!” and all that.

आज Fb पे 1 billion+ registered user हैं, यानि दुनिया का हर सातवाँ आदमी Fb पे है and in all probability आप भी उन्ही में से एक होंगे . और शौक से Fb use करते होंगे . पर जो सोचने की बात है वो ये कि क्या आप Fb use करते ; overuse करते हैं …या फिर कहीं आप इसके addict तो नहीं !

Let’s say use करने का मतलब है कि आप Fb पर daily 1 घंटे से कम समय देते हैं , और overuse करने का मतलब है 1 घंटे से ज्यादा . और हाँ , use करने से बस ये मतलब नहीं है कि आप physically system के सामने या अपने smart phone को हाथ में लेकर use करते हैं even अगर आप Fb के बारे में सोचते हैं तो वो भी time usage में count होगा after all वो उतने देर के लिए आपका mind space occupy कर रहा है .

और अगर आप सोच रहे हैं कि कहीं मैं addict तो नहीं हूँ तो इन traits को देखिये , अगर ये आपमें हैं तो आप addict हो सकते हैं :

* आप का दिमाग अकसर इसी बात में लगा रहता है कि आपकी पोस्ट की गयी चीजों पर क्या कमेंट आया होगा, कितने लोगों ने लाइक किया होगा.
* आप बिना मतलब बार-बार फेसबुक स्क्रीन रिफ्रेश करते हैं कि कुछ नया दिख जाए.
* अगर थोड़ी देर आपका internet नहीं चला तो आप updates चेक करने साइबर कैफे चले जाते हैं या दोस्त को फ़ोन करके पूछते हैं.
* आप टॉयलेट में भी मोबाइल या लैपटॉप लेकर जाते हैं कि Fb use कर सकें
* आप सोने जाने से पहले सभी को Good Night करते हैं और सुबह उठ कर सबसे पहले ये देखते हैं की आपकी गुड नाईट पर क्या reactions आये.

अब मैं आपको अपने usage के बारे में बताता हूँ , on an average मैं daily 10 minutes से भी कम Fb use करता हूँ including Fb के बारे में सोचने का time. हाँ, इसे आप under usage भी कह सकते हैं . :) In my opinion ideally Fb आधे घंटे से अधिक नहीं use करना चाहिए पर फिर भी मैंने over usage को 1 घंटे से ऊपर रखा है .

और अब आपकी बात करते हैं , आप कितनी देर Fb use करते हैं ?

Well, अगर ये daily 1/2 घंटे से अधिक है तो आप अपना time waste कर रहे हैं , unless until आप purposefully ऐसा कर रहे हैं . Purposefully means आप अपना बिज़नस प्रमोट कर रहे हैं, किसी social cause के लिए campaign चला रहे हैं या कोई और meaningful काम कर रहे हैं , इन cases में अपना टाइम देना worth है .

किस तरह के लोग Fb ज़रुरत से अधिक use करते हैं :

In my opinion :

• जिनके पास कोई meaningful goal नहीं है …… the wanderers

• जो लोगोंका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं करना चाहते हैं ….the attention seekers.

• जो अपनी life से अधिक दूसरों की life में interest रखते हैं …..the peepers

क्या नुकसान कर सकता है Facebook का over usage ?

इसकी लिस्ट तो बहुत लम्बी है लेकिन आज मैं आपके साथ 7 ऐसे points share कर रहा हूँ , तो आइये देखते हैं इन्हें :

1) आप unknowingly अपनी happiness का control दूसरों को दे देते हैं ?


कैसे ? दरअसल अब आपकी happiness इस बात पर depend करने लगती है कि Fb पे आपकी बातों , आपकी pics को कितने लोग like कर रहे हैं , कितने लोग उसपर comments कर रहे हैं …कैसे comments कर रहे हैं …etc. For instance आपने एक नई watch ली और उसकी photo post की …obviously आपको watch बहुत पसंद थी इसलिए आपने ली …पर जब Fb पे उसे अधिक लोग like नहीं करते और कोई उसका मज़ाक बना देता है तो आप दुखी हो जाते हैं . और उसका उल्टा भी सही है …आप को कोई चीज पसंद नहीं है पर बाकी लोग उसको अच्छा कह देते हैं तो आप खुश हो जाते हैं …so in a way आप अपनी happiness का control अपने Fb friends को दे देते हैं . मैं ये नहीं कहता कि ये सभी के साथ होता है पर इतना ज़रूर है कि हम कहीं न कहीं इन चीजों से affect होते हैं .

And over a long period of time ये छोटे छोटे इफेक्ट्स बड़े होते जाते हैं और हमें पता भी नहीं चलता कि हम अपना real self कहाँ छोड़ आये.

2) आपको दूसरों की blessings और अपनी shortcomings दिखाई देने लगती है ?

Fb पर लोग generally अपनी life की अच्छी अच्छी बातें ही share करते हैं …लोग अपने साथ हो रही अच्छी चीजें बताते हैं , उनके status कुछ ऐसे होते हैं “ My new machine” , “ Lost in London”..etc

In reality आप भी ऐसा ही करते हैं , पर अन्दर ही अन्दर आप अपनी असलीयत भी जानते हैं , पर दूसरों के case में आप वही देखते हैं जो वो आपको दिखाते हैं , आपको उनकी नई car नज़र आती है पर उसके साथ आने वाला EMI नहीं , आपको friend का swanky office तो दीखता है पर उसके साथ मिलने वाली tension नहीं . और ऐसा होने पर आप उनकी खुशियों को अपने ग़मों से compare करने लगते हैं और ultimately low feel करने लगते हैं .

Fb की वजह से depression में जाने वालों की संख्या दिन ब दिन बढती जा रही है , just beware कि आप भी इसके शिकार न हो जाएं .

3) Real Friends और relationships suffer करते हैं :

कई बार लोग बहुत proudly बताते हैं , “ Fb पे मेरे 500 friends हैं …” I am sure उनमे से आधे अगर सामने से गुजर जाएं तो वो उन्हें पहचान भी नहीं पायंगे . हकीकत में Fb पे हमारे friends कम और acquaintances ज्यादा होते हैं . खैर ये कोई खराब बात नहीं है …लेकिन अगर हम इन more or less fake relations को ज़रुरत से अधिक time देते हैं तो कहीं न कहीं हमें अपनी family और friends को जो time देना चाहिए उससे compromise करते हैं . I know हमारे close friends और relations भी Fb पे होते हैं , but frankly speaking Fb पर वो भी हमारे लिए आम लोगों की तरह हो जाते हैं , क्योंकि Fb तो एक भीड़ की तरह है …और भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता ….जो सामने पड़ा …like किया , comment दिया और आगे बढ़ गए ….individuals को attention देना ये Fb की आत्मा में ही नहीं है .

4) आप mainly addicts से communicate करने लगते हैं :

शायद आपने Pareto principle के बारे में सुना होगा …इस principle का कहना है कि 80% चीजों के लिए 20% चीजें जिम्मेदार होती हैं .

For eg. किसी company की 80 % sales 20% customers की वजह से होती है .

ऐसा ही कुछ Fb पे भी होता है …80% updates 20% लोगों द्वारा ही की जाती है …और आप बार बार उन्ही से linkup होते रहते हैं …and basically ये वही Addict kind of लोग होते हैं जो बस Fb से चिपके ही रहते हैं . और ऐसे लोगों से interact करना शायद ही कभी आपको काम की चीजें बता पाएं . ये mostly waste of time ही होता हैं .

5) आपको Socially active होने का भ्रम हो जाता है और reality इसके उलट होती है :

Facebook पे होने से कई लोग खुद को socially active समझने लगते हैं , और friends को hi -bye कर के अपना role पूरा समझ लेते हैं . धीरे -धीरे ये बिलकुल mechanical हो जाता है …आप Fb पे तो hi करते हैं लेकिन जब उसी दोस्त से college या office में मिलते हैं तो react भी नहीं करते …it is like आपकी online presence मायने रखती हो पर आपका खुद का मौजूद होना बेमानी हो .

और जब आप ऐसे behave करते हैं तो लोग आपको avoid करने लगते हैं और कहीं न कहीं आपको fake समझने लगते हैं . यानि आपको तो लगता है कि आप सबसे touch में हैं पर इसके उलट आप अपना touch खोते जाते हैं .

6) आपकी health पर बुरा असर पड़ता है :

Fb पर लगे रहने से आपको फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की प्रॉब्लम हो सकती हैं. आपकी आँखें कमजोर पड़ सकती हैं, गलत posture में बैठने से आपको स्पॉन्डिलाइटिस हो सकता है . और डिप्रेशन में जाने का खतरा तो हमेशा ही बना रहता है.

7) आप अपनी life के सबसे energetic days lazy entertainment में लगा देते हैं :

Fb use करने वालों की demography देखी जाए तो इसे सबसे अधिक teens और twenties के young लोग use करते हैं . अगर आप इस age group से बाहर हैं तो ये point आपके लिए applicable नहीं है.

Teenage और twenties life का वो time होता है जब आपके अन्दर energy की कोई कमी नहीं होती …कभी सोचा है कि इस वक्त भगवान् आपको सबसे अधिक energy क्यों देते है ….क्योंकि ये हमारे life making years होते हैं ….इस समय आपके सामने करने को बहुत कुछ होता है …..पढाई का बोझ या घर की जिम्मेदारी उठाने का challenge…अपना career chose करने और competition beat करने की कशमकश …अपने दिल कि सुनकर कुछ कर गुजरने की चाहत …parents के सामने हाथ फैलाने की जगह उनका हाथ थामने कि जिद्द …और ये सब करने के लिए उर्जा चाहिए …energy चाहिए ; but unfortunately Fb का over usage करने वाले उसे गलत जगह invest करते हैं . जहाँ उनके पास करने को इतने ज़रूरी काम हैं वो एक कोने में बैठ कर , and in ,most of the cases लेट कर …अपनी life के ये energetic days एकदम unproductive चीज में लगा देते हैं .

Friends अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि Fb एक शोर -शाराबे से भरे mall की तरह है …यहाँ थोडा वक़्त बीतायेंगे तो अच्छा लगेगा लेकिन अगर वहीँ घर बना कर रहने लगेंगे तो आपकी ज़िन्दगी औरों की आवाज़ के शोर में बहरी हो जाएगी . उसे बहरा मत होने दीजिये ….अपना time अपनी energy कुछ बड़ा , कुछ valuable , कुछ शानदार करने में लगाइए और जब आप ऐसा करेंगे तो आपके इस काम को सिर्फ आपके friends ही नही बल्कि पूरी दुनिया Like करेगी , और ऊपर वाला comment देगा , “gr8 job my son”

Mar 23, 2013

फेसबुक सा फेस है तेरा, गूगल सी हैं आँखें.........

फेसबुक सा फेस है तेरा, गूगल सी हैं आँखें

एंटर करके सर्च करूँ तो बस मुझको ही ताकें

रेडिफ जैसे लाल गाल तेरे हॉटमेल से होंठ

बलखा के चलती है जब तू लगे जिगर पे चोट

सुराही दार गर्दन तेरी लगती ज्यों जी-मेल

... अपने दिल के इंटरनेट पर पढ़ मेरा ई-मेल

मैंने अपने प्यार का फारम कर दिया है अपलोड

लव का माउस क्लिक कर जानम कर इसे डाउनलोड

हुआ मैं तेरे प्यार में जोगी, तू बन जा मेरी जोगिन

अपने दिल की वेबसाईट पर कर ले मुझको लोगिन

तेरे दिल की हार्डडिस्क में और कोई न आये

करे कोई कोशिश भी तो पासवर्ड इनवैलिड बतलाये

गली मोहल्ले के वायरस जो तुझ पर डोरे डालें

एन्टी वायरस सा मैं बनकर नाकाम कर दूँ सब चालें

अपने मन की मेमोरी में सेव तुझे रखूँगा

तेरी यादों की पैन ड्राइव को दिल के पास रखूँगा

तेरे रूप के मॉनिटर को बुझने कभी न दूँगा

बनके तेरा यू पी एस मैं निर्बाधित पावर दूँगा

भेज रहा हूँ तुम्हें निमंत्रण फेसबुक पर आने का

तोतों को मिलता है जहाँ मौका चोंच लड़ाने का

फेसबुक की ऑनलाईन पर बत्ती हरी जलाएंगे

फेसबुक जो हुआ फेल तो याहू पर पींग बढ़ायेंगे

एक-दूजे के दिल का डाटा आपस में शेयर करायेंगे

फिर हम दोनों दूर के पंछी एक डाल के हो जायेंगे

की-बोर्ड और उँगलियों जैसा होगा हमारा प्यार

बिन तेरे मैं बिना मेरे तू होगी बस बेकार

फिर हम आजाद पंछी शादी के सी पी यू में बन्ध जायेंगे

इस दुनिया से दूर डिजिटल की धरती पे घर बनाएँगे

फिर हम दोनों प्यासे-प्रेमी नजदीक से नजदीकतर आते जायेंगे

जुड़े हुए थे अब तक सॉफ्टवेयर से अब हार्डवेयर से जुड़ जायेंगे

तेरे तन के मदरबोर्ड पर जब हम दोनों के बिट टकराएँगे

बिट से बाइट्स, फिर मेगा बाइट्स फिर गीगा बाइट्स बन जायेंगे

ऐसी आधुनिक तकनीकयुक्त बच्चे जब इस धरती पर आयेंगे

सच कहता हूँ आते ही इस दुनिया में धूम मचाएंगे

डाक्टर और नर्स सभी दांतों तले उंगली दबाएंगे

होगे हमारे 3g बच्चे और याहू-याहू चिल्लायेंगे……
by...
प्रभाकर

Feb 19, 2013

फेसबुक सोशल मीडिया से जुड़ी 10 रोचक बातें :

इंटरनेट यूज करने वाला लगभग हर व्यक्ति किसी न किसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से जुड़ा है। इन साइट्स पर नए-नए दोस्त बनाने, पुराने दोस्तों को खोजने के साथ ही अभिव्यक्ति क‍ा नया माध्यम भी दिया है। आइए जानते हैं सोशल मीडिया से जुड़ी 20 रोचक बातें :
1. फेसबुक पर बराक ओबामा की जीत संबंधी पोस्ट 4 लाख से अधिक लाइक के साथ फेसबुक पर सबसे ज्यादा पसंद किया गया फोटो बन गया।
2. फेसबुक के 25 फीसदी से ज्यादा यूजर्स किसी भी तरह के प्राइवेसी कंट्रोल को नहीं मानते।
3. इस सोशल नेटवर्किंग साइट के जुड़े हर व्यक्ति से औसत रूप से 130 लोग जुड़े हैं।
4. फेसबुक के साथ 850 मिलियनसक्रीय मासिक यूजर्स जुड़े हुए हैं।
... 5. इस नेटवर्किंग वेबसाइट के कुल यूजर्स में से 21 प्रतिशत एशिया से हैं, जो इस की महाद्वीप की कुल आबादी के चार प्रतिशत से कम है।
6. 488 मिलियन यूजर्स रोज मोबाइल पर फेसबुक चलाते हैं।
7. फेसबुक पर सबसे ज्यादा पोस्ट ब्राजील से किए जाते हैं। वहां से हर माह लगभग 86 हजार पोस्ट किए जाते हैं।
8. 23 प्रतिशत यूजर्स रोज पांच या उससे अधिक बार अपना फेसबुक अकाउंट चेक करते हैं।
9. फेसबुक पर 10 या उससे अधिक लाइक्स वाले 42 मिलियन पेज है।
10. 1 मिलियन से अधिक वेबसाइट्स अलग अलग तरह से फेसबुक से जुड़ी हुई है।

Feb 12, 2013

TOP 15 वेबसाइट, जिन्हें पोर्न साइट से भी ज्यादा देखते हैं लोग

Facebook.com – 83 करोड़ 67 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: फेसबुक एक सोशल नेट्वर्किंग साइट है। इसकी शुरुआत मार्क जुकेरबर्ग ने हार्वर्ड में अपने पढ़ाई के दौरान की थी।

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: शुरुआत में यह सिर्फ हार्वर्ड के स्टूडेंट्स के लिए थी, जिसे बाद में दूसरे यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के स्टूडेंट्स के लिए ओपन किया गया। जब कंपनी ने 13 साल की उम्र से अधिक किसी को भी इससे जोड़ना शुरू किया, तब से अब तक यह बन गई दुनिया की सबसे बड़ी वेबसाइट।

Google.com – 78 करोड़ 28 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: गूगल एक वेब सर्च इंजन है.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: इसकी शुरुआत 1998 में तब हुई जब सर्च इंजन मार्केट में और भी बहुत सारी कंपनियां थीं। लेकिन यह अपने सबसे तेज सर्च और सबसे क्लीन होम-पेज के कारण बन गया वेब सर्चिंग का बेताज बादशाह। आज इसके पास जी-मेल, गूगल मैप्स, गूगल+ आदि बहुत सारे वेब प्रोडक्ट्स


YouTube.com – 72 करोड़ 19 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: यू-ट्यूब यूजर्स के ही द्वारा वीडियो शेयरिंग, अपलोडिंग एंड वाचिंग प्लेटफ़ॉर्म है.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: गूगल ने इसे 2006 में जब से खरीदा, तब से यूजर्स में इसका क्रेज कई गुना बढ़ गया। यू-ट्यूब से आज कल बहुत सारे नए स्टार भी बन रहे हैं। जस्टिन बीबर इसके लेटेस्ट एग्जाम्पल हैं।

Yahoo.com – 46 करोड़ 99 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: याहू सर्च इंजन तो है ही, साथ ही एक ऐसा प्लेटफॉर्म भी है जिससे यूजर्स इसके दूसरे चैनल, जैसे याहू फिनांस और फ्लिकर से भी जुड़ते हैं।

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: याहू 90 के दशक के शुरुआती वेब-पोर्टल में से एक है। लोग इसका यूज न्यूज, स्पोर्ट्स, फिनांस और ई-मेल के लिए करते हैं।

Wikipedia.org – 46 करोड़ 96 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: विकिपीडिया एक फ्री वेब-बेस्ड इन्सायक्लोपीडिया है.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: विकिपीडिया किसी को भी अपने यहां कंटेंट पोस्ट और एडिट करने की छूट देता है। इस वजह से यह बन गई इतनी बड़ी एजुकेशनल कंटेंट साइट। इसका सारा ट्रैफिक गूगल के माध्यम से आता है।

Live.com – 38 करोड़ 95 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: लाइव.कॉम माइक्रोसॉफ्ट का नया ई-मेल सर्विस है.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: माइक्रोसॉफ्ट ने अपने दोनों मेल सर्विस आउटलुक और हॉटमेल को Live.com के माध्यम से एक्सेसिबल बनाया है। आप हॉटमेल या आउटलुक कहीं भी जाएं, आपको Live.com पर री-डायरेक्ट कर दिया जाता है।

QQ.com – 28 करोड़ 41 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: यह चीन में स्थित सर्च इंजन और पोर्टल है.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: QQ.com को जिस कंपनी (Tencent) ने बनाया है, वह चीन की सबसे बड़ी इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस प्रोवाइडर है। Tencent की इंस्टेंट मैसेजिंग सर्विस के पास 70 करोड़ यूजर्स हैं। इसके इसी यूजर्स बेस का फायदा QQ.com को भी मिलता है।

Microsoft.com – 27 करोड़ 17 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: यहां आप खरीद सकते हैं माइक्रोसॉफ्ट के प्रोडक्ट, इसके सॉफ्टवेयर और अपडेट्स.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: दुनिया में बहुत सारे कम्प्यूटर माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलते हैं। कस्टमर सपोर्ट और अपडेट के लिए इस साइट पर पहुंचते हैं।

Baidu – 26 करोड़ 87 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: चीन की यह साइट सर्च इंजन है जो वेबसाइट, ऑडियो और इमेज के लिए काम करती है.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: Baidu चीन की सबसे पॉपुलर सर्च इंजन है। चीन के बेस्ट इंजीनियर्स की बहुत बड़ी टीम इस सर्च इंजन को अपडेट और इसके स्पीड के लिए काम करती है।

MSN.com – 25 करोड़ 41 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: माइक्रोसॉफ्ट से जुड़े इंटरनेट प्रोडक्ट का कलेक्शन है यह साइट.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर से यह कंपनी बन गई ऑनलाइन डेस्टिनेशन। इसमें हॉटमेल और एमएसएन मैसेंजर जैसी वेब सर्विसेज हैं।

Blogger.com – 22 करोड़ 99 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: यह है ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: सैन फ्रांसिस्को में शुरू की गई इस छोटी-सी कंपनी ने डॉटकॉम बूम के समय बहुत संघर्ष किया। गूगल ने जब इसे 2002 में खरीदा, तब यह ब्लॉगर्स की पसंद बन गई।

Ask.com – 21 करोड़ 84 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: यह गूगल पावर्ड सर्च इंजन है.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: 90 के दशक में यह शुरू हुआ था AskJeeves के नाम से। इसकी पेरेंट कंपनी IAC ने जब About.com को खरीदा, तब इसके कंटेंट में काफी इजाफा हुआ। अब यह गूगल सर्च का री-ब्रांडेड वर्जन है।

Taobao.com – 20 करोड़ 70 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: चीन की वेबसाइट जहां कपड़े, एक्सेसिरिज, ज्वैलरी, फूड आइटम, इलेक्ट्रॉनिक सामान के साथ और भी बहुत कुछ बिकता है.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: इ-बे और अमेजन की तरह ही यह भी ऑनलाइन मार्केट-प्लेस है। इसकी पेरेंट कंपनी अलीबाबा ने जब 2003 में इसे पब्लिक किया तो यह बन गया दुनिया का सबसे बड़ी शॉपिंग सर्च इंजन।

Twitter.com – 18 करोड़ 98 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: ट्विटर है रियल टाइम कम्यूनिकेशन प्लेटफॉर्म.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: 2009 में लॉन्च के बाद से ही ट्विटर बन गई ऐसी साइट, जहां आप जाते हैं दुनिया भर की ख़बरों से लगातार अपडेट होने के लिए। नेता, न्यूज कंपनी, इंडस्ट्री के टॉप लोगों का यह अड्डा आपको देता है हमेशा लेटेस्ट अपडेट।

Bing.com – 18 करोड़ 40 लाख यूनीक विजिटर्स

क्या है यह: बिंग है गूगल की तरह ही एक वेब सर्च इंजन.

कैसे बना इतना बड़ा यूजर बेस: माइक्रोसॉफ्ट ने बिंग को काफी अग्रेसिव तरीके से प्रमोट किया है। सोशल साइडबार, इम्प्रूव्ड अल्गोरिदम से इसे ज्यादा से ज्यादा आसान बनाने की कोशिश की गई है। माइक्रोसॉफ्ट ने दुसरे वेबसाइट को बिंग से जुड़ने के लिए पैसे भी दिए हैं।

Jan 20, 2013

इंटरनेट यूज करते समय अगर इन बातों का नहीं रखेंगे ख्याल तो होगा भारी नुकसान...


हम ऑन लाइन और ऑफ लाइन काम करते समय सुरक्षा से जुड़ी कई चीजों को बेहद हल्के में लेते हैं, लेकिन कई बार छोटी सी लापरवाही आपको बहुत महंगी पड़ सकती है। इंटरनेट यूज करते समय हमें हरपल सावधानी बरतने की जरूरत होती है। कहीं गलती से भी चूक हो गई तो आपको बहुत बड़ी चपत लग सकती है। सबसे अधिक खतरा साइबर कैफे में होता है। हम कई बार ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिसका पता हमें भी नहीं रहता। बस, फिर क्या, उठाना पड़ता है भारी भरकम नुकसान। यही खतरा ऑफिसेस में होता है जहां ओपेन माहौल रहता है। यानी आपका सिस्टम अगर कोई दूसरा व्यक्ति भी यूज करता है तो उससे भी बहुत खतरा रहता है। अगर आपभी इंटरनेट यूज करते हैं तो स्लाइड्स के जरिए जानिए कि आखिर वे कौन सी बातें हैं जिनसे सुरक्षा में होती हैं भारी चूक और उस कारण आपको हो सकता है भारी नुकसान...

पासवर्ड नहीं बदलना :- कई लोग ऐसे होते हैं, जो पासवर्ड बनाने के बाद उसे ही लंबे समय तक इस्तेमाल करते रहते हैं। वे इसे बदलते नहीं। वे लोग जो एक ही पासवर्ड अपने सभी आईडी के लिए और उसे लगातार इस्तेमाल करते रहते हैं, उनके एकाउंट के हैक होने की आशंका अधिक होती है। अगर ऐसी संस्था में आप काम करते हैं, जहां समय-समय पर आपको पासवर्ड बदलने की जरूरत होती है, वहां भी कुछ लोग अपने वर्तमान पासवर्ड से मिलते जुलते पासवर्ड का ही इस्तेमाल करते हैं। अगर आप किसी टीम या कंपनी का नेतृत्व कर रहे हैं तो अपने साथियों को भी पासवर्ड का महत्व बताएं। उन्हें समय-समय पर बदलने के लिए प्रेरित करें। इसके आप अलावा किसी थर्ड पार्टी टूल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जो रीसेट करते समय मिलते-जुलते पासवर्ड को स्वीकार न करे।


फायरवाल का इस्तेमाल नहीं करना :- आप घर में हैं या फिर अपना आईटी बिजनेस चला रहे हैं, तो फायरवाल एक बेहद जरूरी उपकरण है। वैसे विंडोज और अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम में फायरवाल बिल्ट इन आ रहा है। अगर ऐसा न हो तो आपको एकहार्डवयेर फायरवाल का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके इस्तेमाल से आपके नेटवर्क में कोई ऐसी चीज नहीं आ पाएगी जिसे आपने ब्लॉक किया हो। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर से अलग यह नुकसान पहुंचाने वाले उन लिंक्स को एक्सेस नहीं होने देगा, जिससे हार्डवेयर फायरवाल में ब्लॉक किया गया हो।

अपडेट ऑप्शन को डिसएबल करना :- कई लोग ऐसे होते हैं जो अपने कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर अपडेट के ऑप्शन को डिसएबल कर देते हैं। कंपनियों में आमतौर पर फायरवाल होने के कारण इस पर ध्यान नहीं दिया जाता लेकिन यह अच्छी रणनीति नहीं है। आप अपने कंप्यूटर में ओरिजनल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं तो ऑटो अपडेट ऑप्शन को हमेशा एनेबल्ड रखें।

असुरक्षित डाटा स्टोर :- ऐसा माना जाता है कि अगर आपने यूएसबी ड्राइव या अपने निजी लैपटॉप में डाटा सेव कर रखा है तो वह सुरक्षित है लेकिन, यूएसबी ड्राइव के खो जाने या लैपटॉप को नुकसान पहुंचने की स्थिति में आपका डाटा खत्म हो सकता है। आपका डाटा किसी दूसरे के हाथ भी लग सकता है। ऐसे में आप अपने डाटा को अधिक से अधिक सुरक्षित बनाने के लिए किसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे उसको कोई दूसरा नहीं खोल सके। आप पोर्टेबल डिवाइसों में सीक्रेट कोडिंग के साथ डाटा रखने के लिए बिटलॉकर या बिटलॉकर टू गो जैसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं।

एंटी वायरस का न होना :- आपको एंटी वायरस के महत्व के बारे में पता होना चाहिए। अगर आपने अपने कंप्यूटर में एंटी वायरस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल नहीं किया है तो आप बहुत बड़े लापरवाह हैं। वैसे कोई भी एंटी वायरस सॉफ्टवेयर आपको सौ फीसदी सुरक्षा की गारंटी नहीं देता, लेकिन डाटा की सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है।

Jan 19, 2013

कलयुग के जमाने में काबिल और अच्छा पति मिलना मुश्किल है तो...


कलयुग के जमाने में काबिल और अच्छा पति मिलना मुश्किल है तो हैरत नहीं कि आने वाले जमाने में लड़कियां रोबोट से शादी कर लें।
रोबोट पति (जब देर से घर आया तो) - डियर अब मैं घर पर लॉग इन हो गया हूं।
पत्नी : अंगूठी लेकर आए??
रोबोट पति : उफ बेड कमांड..
पत्नी : अरे! मैंने सुबह ही तो याद दिलाया था!!
... रोबोट पति : मेमोरी लॉस, डेटा करप्ट..
पत्नी : चिढ़कर, कम से मेरे कपड़े तो ले आए ना!
रोबोट पति : सॉरी, वेरिएबल नॉट फाउंड!!
पत्नी: चलो कम से कम अपना क्रेडिट कार्ड दे दो तो मैं ही ले आऊं।
रोबोट पति : शेरिंग वॉएलेशन, एक्सेस डिनाइड
पत्नी: तुम क्या चीज हो? तुम मुझे प्यार करते हो या किसी और कंप्यूटर को या सिर्फ मजाक कर रहे हो?
रोबोट पति : टू मैनी पेरामीटर्स, ऑपरेशन अबॉर्ट!
पत्नी : मैनें सबसे बड़ी गलती कि तो तुमसे शादी की....
रोबोट पति : डेटा मिसमैच!!
पत्नी : तुम एकदम बेकार हो, टीन के डब्बे!!
रोबोट पति : डिफॉल्ट पैरामीटर
पत्नी : हद है, कम से कम इतना तो बताओ कि तुम्हारे साथ कार में वो कौन थी??
रोबोट पति : सिस्टम अनस्टेबल, प्रैस कंट्रोल + आल्ट + डिलीट टू री-बूट सिस्टम!!!..

Jan 17, 2013

बिना इंटरनेट के लैपटॉप या पीसी पर कैसे देखें फ्री में LIVE TV


लैपटॉप या पीसी पर आप कभी भी लाइव मैच और अपने फेवरेट टीवी सीरियल का मजा ले सकते हैं। वो भी बिना किसी चार्ज के। जी हां, बस इसके लिए आपको पेन ड्राइव की तरह दिखने वाले एक डिवाइस को लगाना होगा
पेन ड्राइव जैसा दिखने वाले इस डिवाइस को बाजार में टीवी टच्यूनर के नाम से भी लोग जानते हैं। हालांकि, यह टीवी टच्यूनर घर में इस्तेमाल होने वाले डिवाइस से एकदम अलग होता है। तो इंटरनेट के बिना अपने लैपटॉप पर लाइव टीवी देखने के लिए सबसे पहले इस डिवाइस को खरीदें।
मार्केट में अलग-अलग रेंज में मिलने वाले इस डिवाइस को अटैच करने के लिए आपको अपने पीसी में एक सॉफ्टवेयर डालना पड़ेगा। यह सॉफ्टवेयर सीडी डिवाइस के साथ ही मिलती है।
फीचर-
फ्री लाइव टीवी देखने के लिए यूज होने वाला यह डिवाइस मार्केट में कई फीचर्स के साथ मिलता है। किसी में एफएम रेडियो और प्रोग्राम रिकॉर्डिग की सुविधा भी होती है तो कई डिवाइस प्रोग्राम बैकअप फीचर्स भी देता है।
दिलचस्प है कि टीटी डिवाइस में एवीआई, डीआईवीएक्स और एमपीईजी 1 के साथ-साथ एमपीईजी सपोर्ट भी मौजूद रहता है। इस डिवाइस की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि इसे आप रास्ते में, कार में बैठकर या ऑफिस में कहीं भी आसानी से यूज कर सकते हैं, जो कि चुटकियों में आपके लैपटॉप को टीवी में बदल देता है
टीटी डिवाइस के साथ मिलने वाले एक्स्ट्रा एसेसरीज-
वैसे तो बाजार में अधिकतर जगह इस डिवाइस के साथ केबल, स्टीरियो ऑडियो वायर और पॉवर एडॉप्टर मिलता है, लेकिन यूएसबी की मदद से इसे यूज करने पर पॉवर एडॉप्टर की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे में यह लैपटॉप में लगे यूएसबी पोर्ट से ही पावर लेता रहता है।
वर्तमान में बाजार में मिलने वाले टीटी डिवाइस की रेंज 1000 रुपये से शुरू होकर 1 लाख रुपये तक है। वहीं, बाजार में लाइव टीवी दिखाने वाले चाइनीज डिवाइस भी आ गए हैं। तो अब देर किस बात की.. जल्द से जल्द इस डिवाइस को खरीदकर लें कहीं भी-कभी भी फ्री में लाइव टीवी का मजा।

Aug 7, 2011

साधारण मोबाइल फोनों पर वीडियो देखने की राह हुई आसान

मुम्बई. अभी तक बिना किसी विशेष सुविधा वाले मोबाइल फोन (फीचर फोन) पर वीडियो सामग्री नहीं देखी जा सकती थी। लेकिन जिग्सी नाम की एक नई प्रौद्योगिकी ने साधारण मोबाइल फोनों पर भी वीडियो सामग्री देखना सम्भव बना दिया है। यानी, अत्यधिक सस्ते मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले देश के करोड़ों ग्राहक भी अब वीडियो सामग्री देखने का लुत्फ उठा पाएंगे।


खास बात यह है कि इस सुविधा के लिए लोगों को किसी अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होगा। फोन को हालांकि इंटरनेट सुविधा से युक्त होना चाहिए।

जिग्सी एक वीडियो स्ट्रीमिंग प्रौद्योगिकी है, जिसका विकास कनाडा के टोरंटो की नई नवेली वीडियो स्ट्रीमिंग कम्पनी 'जिग्सी इंक' ने किया है। इस प्रौद्योगिकी से 50 केबीपीएस की गति वाले इंटरनेट नेटवर्क पर भी वीडियो सामग्री का प्रवाह भेजा जा सकता है,जबकि देश में उपयोग होने वाले अधिकतर जीपीआरएस सुविधा वाले फोन की इंटरनेट की गति 60 केबीपीएस होती है।

बता दें कि वीडियो स्ट्रीमिंग और वीडिया को डाउनलोड कर देखने में फर्क होता है। स्ट्रीमिंग के तहत वीडियो सामग्री प्रसारक के पास ही रहती है। आप सिर्फ बटन दबा कर कोई भी सामग्री को देख सकते हैं इसे अपने उपकरण पर डाउनलोड करने की उसी तरह जरूरत नहीं होती है जैसे टेलीविजन देखने के लिए सामग्री को डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होती है।

देश के 90 फीसदी मोबाइल ग्राहकों के पास फीचर फोन हैं। इसका मतलब यह है कि कम्पनी को लगभग 50 करोड़ ग्राहक मिल सकते हैं, जो अब तक यूट्यूब जैसी स्ट्रीमिंग सेवा अपने मोबाइल फोन पर नहीं देख पा रहे हैं।

जिग्सी बीटा नाम का यह एप्लीकेशन 15 अगस्त से ओवीआई, सेलमेनिया (टाटा डोकोमो,एयरटेल),एपिया जैसे विभिन्न स्टोरों और कम्पनी के अपनी वेबसाइट एचटीटीपी कॉलन स्लैस एम डॉट जिगसी डॉट कॉम पर उपलब्ध रहेगा।

शुरू में सिर्फ जावा पर काम करने वाले मोबाइल फोन पर ही यह एप्लीकेशन डाउनलोड किया जा सकता है,लेकिन कम्पनी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले मोबाइल फोन निर्माओं को भी अपने फोन को इस एप्लीकेशन के लिए अनुकूल बनाने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है।

इस एप्लीकेशन की खासियत यह है कि यदि आपके मोबाइल की इंटनेट गति घट कर 50 केबीपीएस भी रह जाए,तो भी इस पर बिना किसी रुकावट के वीडियो स्ट्रीमिंग देखी जा सकती है। यानी,यह रुक-रुक कर नहीं, बल्कि धारा प्रवाह चलेगा।

इस एप्लीकेशन में यह सुविधा है कि यदि कोई वीडियो सामग्री देखते वक्त मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाए या अन्य किसी वजह से मोबाइल बंद हो जाए, तो अगली बार सामग्री वहीं से चल सकती है,जहां यह बंद हुई थी।

यह एप्लीकेशन 2जी (जीपीआरएस),3जी,वाईफाई जैसे सभी तरह के इंटरनेट नेटवर्क पर काम कर सकता है।

जिग्सी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी 35 वर्षीय रे नेवल ने कहा, "जिग्सी प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर या मोबाइल एप्लीकेशन ही नहीं है, बल्कि इससे कुछ और अधिक है। जिग्सी हमारा एक ऐसा तरीका है, जिसके माध्यम से हर कोई बिना किसी भेद भाव के शिक्षा, मनोरंजन और सूचनापरक वीडियो सामग्री देख सकता है।"

जिग्सी के वेबसाइट पर यूटीवी,यूटीवी बिंदास,मुक्ता आर्ट्स,1 टेक मीडिया, स्वामी फिल्म्स,सेठिया ऑडिया वीडियो और स्पीड रिकार्डस,स्पाइस डिजिटल की एक लाख मिनट से अधिक की वीडियो सामग्री मौजूद है, जिसे इस एप्लीकेशन के सहारे जावा आधारित मोबाइल फोन पर मुफ्त देखा जा सकता है। ये सामग्री हिंदी,अंग्रेजी,तेलुगू, मराठी, तमिल और पंजाबी भाषाओं में हैं।

इन सामग्रियों में फिल्म के अंश, ट्रेलर,गीत, समाचार जैसे कई कार्यक्रम हैं। हास्य प्रधान सामग्री और बच्चों के लिए एनीमेशन कार्यक्रम भी मौजूद हैं।

कम्पनी की स्थापना रे नेवल और अरीफ रेजा ने मिलकर की है। कम्पनी की स्थापना वर्ष 2008 में कनाडा के टोरंटो में हुई। कम्पनी में सिकोइया कैपिटल और इंडियन एंजल नेटवर्क ने पूंजी लगाई है।

May 8, 2011

80 अरब डॉलर खर्च कर 10 लाख लोगों से जासूसी करवाता है अमेरिका

click here विकीलीक्‍स के ताजा खुलासे से देश के सियासी गलियारे में मचे कोहराम के बीच एक बात तो साफ हो गई है कि अमेरिका भारत में स्थित अपने राजनयिकों से जासूसी करवाता रहा है। यही नहीं, अमेरिका किसी देश के आंतरिक मामलों में दखल की भी पूरी कोशिश करता है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और वहां की सेना जासूसी के इस गोरखधंधे में शामिल होती है। खुफिया मामलों के जानकारों के मुताबिक यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि अमेरिका ने पिछले साल सिविलियन और मिलिट्री जासूसी पर कितना खर्च किया है। वैसे अमेरिका के नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्‍टर जेम्‍स क्‍लैपर ने बताया कि पिछले साल अमेरिका ने जासूसी के काम पर 80.1 अरब डॉलर खर्च किए। इसमें सिविल एजेंसियों पर 53.1 अरब डॉलर जबकि बाकी रकम रक्षा मंत्रालय पर खर्च की गई। जासूसी पर खर्च की जाने वाली यह रकम अमेरिका के होमलैंड सिक्‍योरिटी डिपार्टमेंट (42.6 अरब डॉलर) या विदेश मंत्रालय (48.9 अरब डॉलर) के बजट से अधिक है। इससे पहले अमेरिकी सरकार ने 1998 में खुफिया गतिविधियों पर खर्च की जाने वाली रकम (26.7 अरब डॉलर) का सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया था।जानकारों ने नए खुलासों के आधार पर यह दावा किया है कि अमेरिकी सरकार सिविलियन इंटेलिजेंस ऑपरेशन पर हर साल 45 अरब डॉलर और रक्षा खुफिया पर 30 अरब डॉलर खर्च करती है। इस पूरे नेटवर्क में करीब दो लाख कर्मचारी जुटे हैं। 1994 में अमेरिका खुफिया गतिविधियों पर हर साल करीब 26 अरब डॉलर खर्च करता था। कैसे काम करता है अमेरिकी खुफिया तंत्र अमेरिका में आतंकवाद विरोधी, होमलैंड सिक्‍योरिटी और खुफिया से जुड़े कामों में करीब 3200 संगठन (1271 सरकारी संगठन और 1931 प्राइवेट कंपनियां) जुटी हैं। इस नेटवर्क से जुड़े 8 लाख 54 हजार लोग अमेरिका में करीब 10 हजार ठिकानों पर फैले हैं। सितम्‍बर 2001 में हुए आतंकवादी हमलों के बाद से वाशिंगटन और आसपास के इलाकों में अति गोपनीय खुफिया कार्यों के लिए 33 इमारतें तैयार की जा रही हैं या बन गई हैं। अमेरिका में साल 2001 के आखिर तक 24 संगठन बनाए गए जिनमें होमलैंड सिक्‍योरिटी का दफ्तर और फॉरेन टेररिस्‍ट एसेट ट्रैकिंग टास्‍क फोर्स शामिल हैं। 2002 में 37 और ऐसे संगठन तैयार किए गए जिनका काम व्‍यापक विनाश के हथियारों पर नजर रखना, हमले की आशंका पर नजर रखना और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मोर्चे पर नई रणनीति तैयार करना है। इसके बाद 2004 में 36, 2005 में 26, 2006 में 31, 2007 में 32, 2008 और 2009 में 20-20 या इनसे अधिक संगठन खड़े गए। कुल मिलाकर 9/11 की घटना के बाद अमेरिका में कम से कम 263 संगठन खड़े किए गए हैं। अधिकतर सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों का काम एक जैसा ही होता है। अमेरिका के 15 शहरों फैले 51 संघीय संगठन और मिलिट्री कमान पैसे के लेन देन और आतंकवादियों के नेटवर्क पर नजर रखते हैं। जानकारों के मुताबिक विदेशी और घरेलू जासूसी से जुड़ी रिपोर्टों की संख्‍या इतनी अधिक हो जाती है कि हर साल करीब 50 हजार खुफिया रिपोर्टों को कूड़ेदान में फेंकना पड़ता है। अमेरिकी प्रशासन के मौजूदा और पूर्व अधिकारियों के हवाले से ‘वाशिंगटन पोस्‍ट’ लिखता है कि अमेरिका की राष्‍ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) द्वारा अपने नागरिकों की जासूसी के दौरान इकट्ठा की गई सूचनाओं तक संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई), रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए), सीआईए और होमलैंड सिक्‍योरिटी डिपार्टमेंट की भी पहुंच होती है। अमेरिकी प्रशासन की ओर से अपने ही नागरिकों की जासूसी करने की बात उस वक्‍त सामने आई जब इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स फ्रंटियर फाउंडेशन नामक संगठन के हाथ ऐसे दस्‍तावेज हाथ लगे जिससे साफ हो गया कि खुफिया एजेंट सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स के जरिये कई तरह के लोगों से दोस्‍ती कर मौजूदा हालात की जानकारी इकट्ठा करते हैं। यदि कोई आदमी इन एजेंटों के जाल में फंस कर वेबसाइट पर दोस्‍ती कर लेता है तो एजेंट यूजर से नजदीकी बढ़ाकर कई तरह की जानकारियां हासिल कर लेते हैं। भारतीय राजनयिकों की जासूसी खोजी वेबसाइट विकीलीक्स के खुलासे से भारत, अमेरिका सहित दुनिया के अधिकतर देशों में सियासी कोहराम मचा है। खुलासे से साफ हुआ है कि अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजनयिकों की जासूसी के आदेश दिए थे। संदेशों से साफ है कि अमेरिका ने इसके अलावा चीन और पाकिस्तान के राजनयिकों की जासूसी करवाई है। पिछले साल विकीलीक्‍स ने अमरीकी दूतावासों की ओर से भेजे गए जिन करीब ढाई लाख संदेशों को सार्वजनिक किया, उनमें से 3038 संदेश नई दिल्‍ली स्थित अमेरिकी दूतावास से भेजे गए हैं। विकीलीक्‍स के खुलासों के मुताबिक अमेरिका संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव बान की मून सहित यूएन नेतृत्‍व और सुरक्षा परिषद में शामिल चीन, रूस, फ्रांस व ब्रिटेन के प्रतिनिधियों की जासूसी में भी जुटा है। हालांकि विकिलीक्‍स के इस खुलासे पर अमेरिका भड़क गया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता पी जे क्राउले ने कहा, ‘हमारे राजनयिकों द्वारा जुटाई गई सूचनाएं हमारी नीतियों और कार्यक्रमों को अमली जामा पहनाने में मददगार होती हैं। हमारे राजनयिक ‘डिप्‍लोमैट्स’ ही हैं जासूस नहीं।’ अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने विकीलीक्‍स की हरकत को गैरजिम्‍मेदाराना करार दिया। पेंटागन ने इन सूचनाओं की गोपनीयता बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाने भी शुरू कर दिए हैं। यूएन में अमेरिकी दूत सुसान राइस ने भी क्राउले की तर्ज पर अपने राजनयिकों का बचाव किया है। उन्‍होंने कहा, ‘हमारे राजनयिक भी वही करते हैं जो दुनियाभर में अन्‍य देशों के जासूस हर दिन करते हैं। इनका काम संबंधों को मजबूत बनाने, बातचीत की प्रक्रिया जारी रखने और जटिल समस्‍याओं का हल ढूंढने में मदद करना है।’ पाकिस्‍तान में दो नागरिकों की हत्‍या के आरोप में गिरफ्तार किया गया रेमंड डेविस भी अमेरिकी जासूस बताया गया। हालांकि अमेरिका ने पाकिस्तान को यह समझाने की कोशिश की कि डेविस को राजनयिक दर्जा हासिल है इसलिए उन्हें वापस अमेरिका भेजा जाना चाहिए। आपकी राय क्‍या अमेरिका के जासूसी जाल से बचना मुमकिन नहीं रह गया है या फिर सरकारें अपना हित और अमेरिकी रौब को देखते हुए घुटने टेक कर उसके जाल में फंसने के लिए तैयार रहती हैं।

इंटरनेट के जरिए चल रहे हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट का भंडाफोड़

नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस ने इंटरनेट के जरिए चलने वाले हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया है। दिल्ली क्राइम ब्रांच ने इस मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। उसके रैकेट में देश के अलग अलग शहरों में रहने वाली एयर होस्टेस और मॉडल्स ही नहीं, बल्कि टीवी सीरियल्स की कई जानीमानी अभिनेत्रियां और कुछ उभरती हुईं या फ्लॉप अभिनेत्रियां शामिल हैं। आरोपी जोधपुर का सुधांशु गुप्ता (32) का है। पुलिस का मानना है कि वह साइबर पिंप (दलाल) और इस रैकेट का मास्टरमाइंड था। उसने दावा किया है कि इनके क्लाइंट भी कितने हाई प्रोफाइल थे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि क्लाइंट को लड़की मुहैया करवाने की एवज में उससे 1 से 10 लाख रुपये तक लिए जाते थे। डीसीपी (क्राइम ब्रांच) अशोक चांद के मुताबिक को हेड कॉन्स्टेबल अमित तोमर को सूचना मिली थी कि एक हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट चलाने वाला शख्स शालीमार बाग इलाके में आने वाला है। इसी सूचना के आधार पर पुलिस ने ट्रैप लगाकर सुधांशु को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ में कई चौंकाने वाली बातें पता चलीं। एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखने वाले सुधांशु ने 2003 में गाजियाबाद के एक मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की थी। एक साल तक दिल्ली स्थित एक मल्टी नैशनल बैंक मंे बतौर रीजनल मैनेजर नौकरी करने के बाद उसने एक शेयर ब्रोकर कंपनी में जॉब हासिल कर लिया और फिर 2005 में वह जोधपुर चला गया। वहां उसने टूर एंड ट्रैवल्स का बिजनेस शुरू किया। डीसीपी के मुताबिक पिछले साल जब वह बिजनेस के सिलसिले में दिल्ली आया था, उसी दौरान उसकी मुलाकात एक कॉलगर्ल से हुई और दोनों ने मिलकर वेब पोर्टल के जरिए एस्कॉर्ट सर्विसेज मुहैया करवाने का प्लान बनाया। सुधांशु ने इंटरनेट पर एक वेबसाइट तैयार की और इसके जरिए उसने देशभर में अपना नेटवर्क फैलाया, जिसमें कॉलगर्ल्स के साथ साथ उसके क्लाइंट्स भी शामिल थे। इंटरनेट के जरिए ही एस्कॉर्ट सर्विस देने की इच्छुक लड़कियों को अपने रैकेट में शामिल करता था और जरूरत के मुताबिक उन्हें अलग अलग शहरों में अपने क्लाइंट्स के पास भेजता था। क्लाइंट्स भी पोर्टल के जरिए ही संपर्क करते थे और बाद में फोन पर डील फाइनल होती थी। सुधांशु का चेहरा न तो कभी किसी क्लाइंट ने देखा और न कभी वह रैकेट में शामिल लड़कियों से मिला। सारा काम बस मोबाइल और इंटरनेट के जरिए ही हो जाता था। रैकेट के लिए काम करने वाली सभी लड़कियों को एक बैंक अकाउंट नंबर दिया गया था। क्लाइंट से कैश पेमेंट लेने के बाद लड़कियां पेमेंट का 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा खुद उस बैंक अकाउंट में जमा करवा देती थीं, जिसका नंबर सुधांशु उन्हें देता था। बाद में सुधांशु डेबिट कार्ड से रकम निकाल लेता था। बाकी रकम लड़की खुद रख लेती थी। पुलिस के मुताबिक मार्च में भोपाल पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एमपी नगर स्थित एक होटल में छापा मारकर वेश्यावृत्ति के आरोप में दिल्ली की एक हाई प्रोफाइल लड़की को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में लड़की ने बताया था कि वह सुधांशु के लिए काम करती है और उसी के कहने पर वह दिल्ली से फ्लाइट पकड़कर भोपाल आई थी। उसने सुधांशु द्वारा बताए गए तीन बैंक अकाउंटों में 1 लाख 48 हजार रुपये भी जमा करवाए थे। भोपाल क्राइम ब्रांच ने ये तीनों बैंक अकाउंट सीज कर दिए थे और सरगर्मी से उसे तलाश रही थी। भोपाल पुलिस की धरपकड़ के बाद सुधांशु अपने पोर्टल को बेचने की तैयारी भी कर रहा था।

Jan 14, 2011

आप भी बन सकते हैं ट्विटर के सुपर स्टार

ट्विटर पर सेलिब्रिटी कोई भी बन सकता है। बॉलिवुड सुपर स्टार की तरह भले ही आपके लाखों फॉलोअर न बन पाएं लेकिन कुछ समझदारी से काम लिया जाए तो हजारों का आंकड़ा आपकी पहुंच में आ सकता है। सोशल नेटवर्किंग के इस मंच पर ढेरों ऐसे लोग हैं जो रियल लाइफ में बड़े नाम नहीं हैं लेकिन अपने चतुर अंदाज से वे ट्विटर के सुपर स्टार बन गए हैं। ट्विटर पर ज्यादा फॉलोअर बनाने के क्या हैं टिप्स बता रहे हैं आशीष पांडे :

आपका प्रोफाइल आपका आइना
ट्विटर में सबसे अहम होता है आपका प्रोफाइल। इसमें भी सबसे पहले हम बात करते हैं डीपी यानी डिस्प्ले पिक्चर की, जहां आप अपनी तस्वीर लगाते हैं। याद रखें ट्विटर का अकाउंट है, कोई सरकारी फॉर्म नहीं। इसलिए जरूरी नहीं कि पासपोर्ट साइज कोई आम फोटो लगाई जाए, इसमें कुछ ट्विस्ट लाएं और कूल फोटो लगाएं। इसके बाद आपकी डिटेल्स बेहद अहम है। यहां आप 160 अक्षरों में अपने बारे में लिख सकते हैं। साधारण-सा बायोडेटा बनाने के बजाय अपने बारे में मजेदार ढंग से जानकारी दें। जिसमें आप क्या करते हैं, क्या शौक है और आपकी पर्सनैलिटी का क्या कलेवर है, इसके बारे में पता लग जाए। पूरे 160 अक्षर इस्तेमाल करने के बजाय 3-4 लाइन में आप अपनी बात पूरी कर लें क्योंकि कोई बहुत लंबी-चौड़ी कहानी नहीं पढ़ना चाहता और ट्विटर पर पूरे 160 अक्षर का प्रोफाइल कहानी बन जाता है।

जो बोलो दिल से बोलो
ट्विटर पर आपका प्रोफाइल या डीपी आपको कुछ फॉलोअर दिला सकता है या लोगों को आपकी टाइम लाइन देखने को लुभा सकता है, लेकिन कामयाबी सिर्फ इससे तय नहीं होती। आप क्या ट्वीट करते हैं वह सबसे ज्यादा अहम है। अगर आप अमिताभ बच्चन या शाहरुख खान जैसी हस्ती नहीं हैं तो मैं बाजार में हूं, टीवी देख रहा हूं, कैसे कपड़े पहने हैं जैसी बेकार की बातें कहने का कोई तुक नहीं है। किसी को आपकी डेली लाइफ में कोई रुचि नहीं है। कुछ मजेदार बात बताएं, किसी घटना या समाचार पर मजेदार कमेंट करें या कुछ अलग बताएं, तभी लोग आपकी सुनेंगे और फॉलोअर बनकर आपकी ट्वीट पढ़ना चाहेंगे।

फॉलो का फंडा : सिलेब्रिटीज
ट्विटर पर आप दो तरह के लोगों को फॉलो करते हैं। पहले जानते हैं कि सिलेब्रिटीज को फॉलो करके कैसे बनाएं ज्यादा फॉलोअर। बड़ी हस्तियां अकसर अपनी बातें ट्विटर पर बताती रहती हैं। आपको अगर उनकी किसी ट्वीट का मजेदार जवाब सूझता है तो उस पर अपना जवाब जरूर दें। लेकिन बस खाली बोलने के लिए बेमतलब की ट्वीट न करें। आप उनसे कभी कोई मजेदार सवाल भी पूछ सकते हैं। अकसर सिलेब्रिटीज अच्छे ट्वीट या सवालों का जवाब भी देते हैं। उनके ऐसा करने पर आपका नाम उनके बाकी फॉलोअर के बीच भी जाता है और आपको ऐसे में कुछ फॉलोअर जरूर मिलेंगे। वे सिलेब्रिटी जिनके बहुत ज्यादा फॉलोअर हैं वे अकसर सभी के जवाब नोटिस नहीं कर पाते। अमिताभ बच्चन के बजाय गुल पनाग से आपको जवाब मिलने के ज्यादा आसार हैं, सचिन तेंडुलकर के बजाय श्रीशांत से रिप्लाई मिल सकता है।

फॉलो का फंडा : कॉमन लोग
सिलेब्रिटीज के अलावा आप ऐसे आम लोग भी ट्विटर पर ढूंढ सकते हैं जो मजेदार ट्वीट करते हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिन्हें आप फॉलो करेंगे तो वे आपको भी फॉलो करेंगे। इसलिए कई लोगों को फॉलो करने का तरीका आपको भी फॉलोअर जरूर दिलाता है। इसी तरह जो लोग आपको फॉलो कर रहे हैं, उनका प्रोफाइल देखें, अगर वे आपको मजेदार लगते हैं तो उन्हें जरूर फॉलो करें। फॉलो नहीं कर रहे तो कम-से-कम एक डायरेक्ट मेसेज भेजकर थैंक्स तो जरूर कहें। इस तरह अगर आपके 100 के आसपास फॉलोअर हो जाते हैं और आप अच्छे ट्वीट करते हैं तो आपको एक ऑडियंस तो मिल ही जाएगी जिसके बूते आपके फॉलोअर की संख्या बढ़ती ही जाएगी।

ट्वीट करने के बेसिक्स
ट्वीट करने में आप कुछ दिलचस्प सवाल पूछें, अकसर लोग इनका जवाब देते हैं जिससे एक संवाद कायम हो जाता है। इसके अलावा आप अपने पसंद की खबरों या एक्सर्पट्स की ट्वीट को री-ट्विट करें, इससे आप लोगों की टाइम लाइन में अक्सर नजर आते रहेंगे और ज्यादा फॉलोअर बनने का चांस रहेगा। इसके अलावा ट्वीट करते रहें, बेमतलब की बातें नहीं लेकिन कुछ-न-कुछ ट्वीट करें। क्योंकि आप अगर लोगों की टाइम लाइन में नजर आते रहेंगे तो आप फॉलोअर चार्ट में भी ऊपर बनें रहेंगे।

ट्विटर की बोली
टाइम लाइन : ट्विटर पर लॉगइन करने के बाद आपके होम पेज पर जो ट्विटस नजर आती हैं उन्हें टाइम लाइन करते हैं। होम पेज पर टाइम लाइन के अलावा एक सेक्शन mention का है, इसमें अगर कोई आपकी ट्वीट के जवाब में या आपके नाम के साथ कुछ कहता है तो वह नजर आता है।

री-ट्वीट : आप अगर किसी की ट्वीट को उसके ही नाम से अपने ही फॉलोअर के बीच प्रचारित करते हैं तो इसे री-ट्वीट कहा जाता है। ट्विटर के होम पेज पर एक सेक्शन retweet का है जहां आप खुद किए री-ट्वीट मेसेज या दूसरों के द्वारा री-ट्वीट किए गए आपके मेसेज देख सकते हैं। आपका मेसेज अगर लोग री-ट्वीट करते हैं तो यह आपके लिए अच्छी बात है।

हैंडल : ट्विटर पर आपका अकाउंट नेम हैंडल कहलाता है। जब आप ट्विटर पर अपना अकाउंट बनाते हैं तो अकाउंट नेम भी तय करने को कहा जाता है। आप अगर कभी इसे बदलना चाहें तो ट्विटर आपको इसकी छूट देता है, आप अपने पुराने अकाउंट में ही नया नाम दे सकते हैं बशर्ते की वह मौजूद हो। ऐसा करने से आपके ट्विटर अकाउंट, टाइम लाइन या फॉलोअर पर असर नहीं पड़ता।

एफएफ व जीएफएफ : एफएफ का मतलब है फॉलो फ्राइडे, इसे हैश के बटन के साथ आप किसी ट्विटर अकाउंट होल्डर को प्रमोट करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब होता है कि इस शख्स को फॉलो करो। जीएफएफ का मतलब होता है गेट फॉलोअर्स फास्ट, यानी कुछ साइट्स कहती हैं कि आप अगर अपना अकाउंट और पासवर्ड उन्हें देंगे तो वे आपको ज्यादा फॉलोअर दिलाएंगी। लेकिन इनसे बचकर रहें क्योंकि ये स्पैम होते हैं।

आरटी, ओह व ट्रेंडिंग टॉपिक : आरटी यानी री-ट्वीट। जब आप किसी की ट्वीट को अपने फॉलोअर के बीच उसी के नाम से भेजते हैं तो यह आरटी कहलाता है। ओह (oh) का मतलब है ओवर हर्ड यानी लोग सुनी-सुनाई गप के लिए इस शब्द का प्रयोग करते हैं। ट्रेंडिंग टॉपिक यानी वे टॉपिक्स जिस पर सबसे ज्यादा ट्वीट हो रही हैं। इसमें आप भारत, अमेरिका, इंग्लैंड या कई अन्य मुल्कों और शहरों यानी दुनियाभर में सबसे ज्यादा ट्वीट हो रहे टॉपिक्स की टॉप लिस्ट देख सकते हैं।

Oct 31, 2010

ऐसे बनिए फेसबुक के उस्ताद

मेलबर्न: फेसबुक पर स्टेटस अपडेट करते हैं, मगर कोई लाइक ही नहीं करता और कॉमेंट करना तो दूर की बात! अगर आपकी प्रॉब्लम भी यही है तो आपके लि
ए फेसबुक का उस्ताद बनने का आइडिया है हमारे पास। एक स्टडी कहती है कि अगर आप फ्राइडे यानी शुक्रवार को अपनी एक फोटो फेसबुक पर पोस्ट कर दें तो फिर देखिए कि उस दिन आपके उस फोटो पर कैसे धड़ाधड़ कॉमेंट्स की बरसात होती है।

एक वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक यह स्टडी सोशल मीडिया मैनेजमेंट कंपनी वर्चू ने कराई है। इसमें कहा गया है कि फेसबुक पोस्ट पर आपको कितनी अटेंशन मिलती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने क्या पोस्ट किया है और कब पोस्ट किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सिंपल टेक्स्ट से बेहतर है कि कोई फोटो या विडियो अपलोड करें। हजार शब्दों में भी वह बात नहीं होती, जो एक पिक्चर बयान कर सकती है। विडियो अपलोड करने से कॉमेंट्स आने की 22 पर्सेंट उम्मीद बढ़ जाती है और फोटो डालने से 54 पर्सेंट।

शुक्रवार के दिन लोग फेसबुक पर सबसे ज्यादा ऐक्टिव रहते हैं, वीकेंड के मुकाबले। अगर दोपहर से पहले फोटो अपलोड करें तो कॉमेंट्स आने की 65 पर्सेंट संभावना बढ़ जाती है।

इंटरनेट से लें फोन का काम

स्काइप' के आने के बाद इंटरनेट के जरिए ऑडियो और विडियो कॉल काफी तेजी से फेमस हुए हैं। इस तरह के कॉल्स में फोन का रोल क
ंप्यूटर और फोन लाइन का रोल आपका ब्रॉडबैंड कनेक्शन निभाता है। अगर आपके कंप्यूटर में माइक्रोफोन, स्पीकर और वेब कैमरा इंस्टॉल्ड है और ठीक-ठाक इंटरनेट कनेक्शन है तो आप भी स्काइप या उस जैसी किसी दूसरी सेवा को यूज करके दुनिया में कहीं भी फ्री बात कर सकते हैं। बशर्ते, जिससे आप बात करेंगे, वह भी इंटरनेट और स्काइप से जुड़ा हो। 'स्काइप' पियर-टु-पियर नेटवर्क टेक्नॉलजी पर बेस्ड है लेकिन इससे सिर्फ दो कंप्यूटरों के बीच किए जाने वाले कॉल ही फ्री हैं।

' स्काइप' पर बेस्ड ऑडियो-विडियो कॉल्स में इसी नाम के एक सॉफ्टवेयर का अहम रोल होता है, जिसे skype.com से फ्री डाउनलोड कर कंप्यूटर में इंस्टॉल किया जा सकता है। यह एक आम इन्स्टैंट मैसेंजर सॉफ्टवेयर जैसा ही दिखता है। इसे डाउनलोड करने के बाद आपसे स्काइप की मेंबरशिप लेने को कहा जाएगा, जिसके बाद आप कभी भी लॉगिन कर स्काइप पर वीडियो चैट का मजा ले सकते हैं। बस आपको दूसरी जगह मौजूद व्यक्ति की स्काइप आईडी पता होनी चाहिए। 'स्काइप' से आप वीडियो कॉल के अलावा तीन या तीन से ज्यादा लोगों के बीच कॉन्फ्रेंस कॉल, इंस्टैंट मैसेजिंग और फाइल ट्रांसफर भी कर सकते हैं। इस तरह की सेवाओं में स्काइप सबसे ज्यादा पॉपुलर है, लेकिन इंटरनेट पर कुछ और फ्री वीडियो कॉल सेवाएं भी हैं, जिन्हें यूज किया जा सकता है।

गूगल टॉक (talk.google.com)
अगर आपके कंप्यूटर में माइक्रोफोन, वेब कैमरा, स्पीकर और इंटरनेट हैं तो आप गूगल की इस सेवा के जरिए भी अपने दोस्तों आदि से बात कर सकते हैं। इसे यूज करने के दो तरीके हैं। गूगल ने वायस और वीडियो चैट के लिए एक छोटा-सा 'प्लग इन' (इंटरनेट ब्राउजर में नया फीचर जोड़ने वाला सॉफ्टवेयर) फ्री उपलब्ध कराया है, जिसे गूगल टॉक (gtalk) की वेबसाइट से डाउनलोड कर इंस्टॉल किया जा सकता है। इसके बाद आप जी-मेल, आई-गूगल और ऑरकुट आदि में साइन-इन करके वीडियो चैट का मजा ले सकते हैं।

दूसरा तरीका है, 'गूगल टॉक' नामक इंस्टैंट मैसेंजर सॉफ्टवेयर को यूज करने का, जो कुछ-कुछ 'स्काइप' जैसा ही दिखता है। अपने गूगल अकाउंट से इस पर साइन-इन करके आप गूगल टॉक पर अपने दोस्तों से ऑडियो चैट भी कर सकते हैं। आप चाहें तो इसे फाइल ट्रांसफर, टेक्स्ट चैट और ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए भी यूज कर सकते हैं। जहां प्लगइन के जरिए आप एक-दूसरे के वीडियो भी देख सकते हैं, वहीं गूगल टॉक ऑडियो तक ही सीमित हैं। इसमें वीडियो के लिए आपको प्लग-इन को यूज करना पड़ेगा लेकिन आप मोबाइल और लैंडलाइन पर कॉल नहीं कर सकते।

साइट स्पीड (sightspeed.com)
यह वेबसाइट बिजनेसमैन कारोबारियों के लिए बेहतर क्वालिटी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सेवा देती है (जिसके लिए फीस ली जाती है) लेकिन आम यूजर्स इससे कंप्यूटर बेस्ड वीडियो कॉल कर सकते हैं। बिजनेस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सर्विस को भी एक महीने तक फ्री यूज किया जा सकता है। साइट स्पीड का दावा है कि उसकी पेटेंटेड विडियो कॉल सेवा में विडियो और साउंड की क्वॉलिटी बहुत साफ होती है। आईटी की फेम्स मैग्जीन पीसी र्वल्ड ने इसे 2007 के सबसे अच्छे सौ उत्पादों में गिना था। इसका यूज करने के लिए लोजिटेक कंपनी द्वारा डिवेलप 'लोजिटेक विड' सॉफ्टवेयर डाउनलोड (http://bitly/bnWyyQ) और इंस्टॉल करना होता है।

वीओआईपी बस्टर (voipbuster.com)
वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) टेक्नीक पर बेस्ड यह सॉफ्टवेयर भी 'स्काइप' की तरह विडियो चैट की सुविधा देता है, लेकिन सिर्फ दो कंप्यूटरों के बीच ही नहीं। आप चाहें तो इसके जरिए कुछ चुनिंदा जगहों पर लैंडलाइन टेलीफोनों और मोबाइल पर भी अपने कंप्यूटर से फ्री कॉल कर सकते हैं। कुछ अन्य जगहों के लिए यही सुविधा मामूली फीस लेकर दी जाती है। जहां ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, बेल्जियम, मलयेशिया, सिंगापुर, हांगकांग आदि देशों को किए जाने वाले कॉल फ्री कॉल्स की श्रेणी में आते हैं, वहीं भारत और चीन के लिए फ्री सुविधा नहीं है। अपने आईएसडी बिल बचाने के लिए यह एक बेहतरीन जरिया हो सकता है।

ऊवू (oovoo.com)
फ्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऊवू की सबसे बड़ी क्वॉलिटी है। साइट स्पीड पर जिन सेवाओं के लिए फीस ली जाती है, यहां पर वे भी फ्री उपलब्ध हैं। ई-मेल की तर्ज पर इसको यूज करके अपने दोस्तों को रेकॉर्डेड विडियो मैसेज भी भेजे जा सकते हैं। इसके लिए भी आपको ऊवू सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर इंस्टॉल करना होगा। यह सॉफ्टवेयर दूसरे मैसेजिंग सॉफ्टवेयरों और ई-मेल आदि के दोस्तों को भी अपनी लिस्ट में ऐड कर सकते हैं। टेक्स्ट चैट और फाइल शेयरिंग के साथ-साथ आप उन लोगों के साथ भी ब्राउजर बेस्ड वीडियो चैट का मजा ले सकते हैं, जिनके कंप्यूटर में ऊवू सॉफ्टवेयर इंस्टॉल्ड नहीं है।

जाजा (jajah.com)
यह कंप्यूटर-से-कंप्यूटर के बीच फ्री कॉल करने के साथ-साथ निश्चित संख्या में फोन पर कॉल करने की सुविधा भी देती है। जाजा को यूज कर आप हर महीने एक हजार मिनट तक की फ्री कॉल कर सकते हैं। जो लोग बिजनेसमैन हैं, उनके लिए अलग से चार्जेबल सुविधाएं उपलब्ध हैं। जाजा के काम करने का तरीका थोड़ा अलग है। इसके लिए सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना जरूरी नहीं है और न ही कानों में हैडसैट लगाने की जरूरत है। वजह, आप अपने फोन को ही इस सेवा के साथ जोड़ सकते हैं, जिससे आप फिक्स्ड लाइन फोन के साथ-साथ मोबाइल पर भी बात कर सकते हैं। जाजा के जरिए बात करने के लिए वेबसाइट पर अपना नंबर डालने के बाद मिलाया जाने वाला नंबर डाला जाता है। इसके बाद आपके फोन पर जाजा की ओर से कॉल आती है और आपको कॉल मिलाए जाने की सूचना दी जाती है। अब जाजा की ओर से दूसरे छोर पर मौजूद व्यक्ति के फोन का नंबर मिलाया जाता है और आपकी बात शुरू हो जाती है।

कंप्यूटर के जरिए कॉल करने से पहले यह जरूर पक्का कर लें कि आपने अपने स्पीकर (या साउंड कार्ड), माइक्रोफोन और वेब कैमरे के ड्राइवर आदि सही ढंग से इंस्टॉल कर लिए हैं। अगर बात करते समय ऑडियो या वीडियो संबंधी प्रॉब्लम आती है तो बहुत संभव है कि आपके सिस्टम में जरूरी ड्राइवर मौजूद नहीं हैं। ड्राइवर उस सॉफ्टवेयर को कहते हैं, जो आपके हार्डवेयर और कंप्यूटर के बीच कड़ी का काम करता है। उसके बिना कंप्यूटर नए हार्डवेयर जैसे कैमरा, स्पीकर आदि को नहीं पहचानता।