Jan 14, 2011

अब नहीं होगा कंप्यूटर हैंग

कंप्यूटर हैंग होने के कई कारण हो सकते हैं। हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर में किसी खराबी के कारण कंप्यूटर हैंग हो सकता है।

- सबसे पहले अपने कंप्यूटर का पावर सोर्स चेक करवाएं। उसमें प्रॉपर अर्थिंग रहनी चाहिए।

- कंप्यूटर को किसी अच्छे ब्रैंड के UPS के जरिए लगाएं।

- कई बार धूल-मिट्टी फंस जाने से कंप्यूटर के पावर सप्लाई का फैन जाम हो जाता है जिससे सप्लाई गर्म होने के कारण आग लगने का खतरा हो जाता है। इसके अलावा कंप्यूटर की सर्विस करवाते रहें जिससे वह ठंडा रहेगा और सही काम करेगा।

- कंप्यूटर CPU कैबिनेट में मदरबोर्ड, RAM, और हार्ड डिस्क आदि होते हैं। कई बार RAM साकेट पर लूज हो जाता है। इसे किसी एक्सपर्ट से चेक कराकर फिर से साकेट में लगवा लें, साथ ही यह भी चेक करवा लें कि RAM चिप ठीक काम कर रहा हो नहीं तो इसे बदल दें। कई बार यह भी देखा गया है कि किसी वजह से कंप्यूटर प्रोसेसर का फैन बंद हो जाता है जिस कारण प्रोसेसर हीट-अप होने के बाद हैंग होने लगता है।

- हार्डवेयर के अलावा कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की वजह से भी हैंग होता है। इसके लिए आप अपने कंप्यूटर को ऑन करके जैसे ही विंडो स्क्रीन आने लगे F8 दबा दें। आपके सामने मेन्यू आ जाएगा, इस मेन्यू में आप सेफ मोड़ चुन लें। ऐसा करने से विंडो सेफ मोड़ में BOOT हो जाएगी।

- सेफ मोड़ में BOOT हो जाने पर पहले Start पर क्लिक करके Run में msconfig टाइप करें। आपके सामने System Configuration Utility Box खुल जाएगा, इसमें General Tab में Diagnostic Startup-Load basic device and drivers only पर क्लिक करके Ok दबाएं।

- कंप्यूटर को रीस्टार्ट कर लें। अब कंप्यूटर सिर्फ बेसिक सॉफ्टवेयर कंपोनेंट्स को ही लोड करेगा। इसके बाद कुछ देर तक अपना कंप्यूटर चलता रहने दें और चेक करें कि कंप्यूटर हैंग हो रहा है?

अगर अब भी आपका कंप्यूटर हैंग हो रहा हो तो अपने डाटा का बैकअप लें और कंप्यूटर में Windows OS दोबारा लोड करवा लें। लेकिन अगर ये बूट होने के बाद हैंग नहीं करता तो इसका मतलब है कि कोई सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन या सॉफ्टवेयर ड्राइवर ठीक से काम नहीं कर रहा है। इसे चेक करने के लिए आप किसी कंप्यूटर एक्सपर्ट की मदद लें। वह कंप्यूटर में लोड होने वाले सभी सॉफ्टवेयर ड्राइवर या एप्लिकेशन को चेक करके आपको बता देगा कि कौन-सा सॉफ्टवेयर कंप्यूटर को हैंग कर रहा है।

दो लड़के पार्क मे बैठे बाते कर रहे थे....

दो लड़के पार्क मे बैठे बाते कर रहे थे...

पहला- तुम रोज़ी- रोटी के लिए क्या करते हो..
...
दूसरा- सुबह के टाइम अख़बार बाँटता हूँ.., फिर 10 घंटे नोकरी.. शाम को ट्यूसन पढाता हूँ .. रात मे चोकीदारी करता हूँ.. मेरी छोड़ो तुम अपनी बताओ.. तुम्हे मैंने कभी कुछ करते हुए नही देखा..

पहला- यार.. क्या बताउँ.. आज से हज़ारो साल पहले "काँग्रेस" नाम की एक पार्टी हुआ करती थी हमारे पूर्वज उसे पार्टी के नेता हुआ करते थे वो इतना कमा कर रख गये की हमेँ आज तक कुछ करने की ज़रूरत ही नहीँ पड़ी....

आप भी बन सकते हैं ट्विटर के सुपर स्टार

ट्विटर पर सेलिब्रिटी कोई भी बन सकता है। बॉलिवुड सुपर स्टार की तरह भले ही आपके लाखों फॉलोअर न बन पाएं लेकिन कुछ समझदारी से काम लिया जाए तो हजारों का आंकड़ा आपकी पहुंच में आ सकता है। सोशल नेटवर्किंग के इस मंच पर ढेरों ऐसे लोग हैं जो रियल लाइफ में बड़े नाम नहीं हैं लेकिन अपने चतुर अंदाज से वे ट्विटर के सुपर स्टार बन गए हैं। ट्विटर पर ज्यादा फॉलोअर बनाने के क्या हैं टिप्स बता रहे हैं आशीष पांडे :

आपका प्रोफाइल आपका आइना
ट्विटर में सबसे अहम होता है आपका प्रोफाइल। इसमें भी सबसे पहले हम बात करते हैं डीपी यानी डिस्प्ले पिक्चर की, जहां आप अपनी तस्वीर लगाते हैं। याद रखें ट्विटर का अकाउंट है, कोई सरकारी फॉर्म नहीं। इसलिए जरूरी नहीं कि पासपोर्ट साइज कोई आम फोटो लगाई जाए, इसमें कुछ ट्विस्ट लाएं और कूल फोटो लगाएं। इसके बाद आपकी डिटेल्स बेहद अहम है। यहां आप 160 अक्षरों में अपने बारे में लिख सकते हैं। साधारण-सा बायोडेटा बनाने के बजाय अपने बारे में मजेदार ढंग से जानकारी दें। जिसमें आप क्या करते हैं, क्या शौक है और आपकी पर्सनैलिटी का क्या कलेवर है, इसके बारे में पता लग जाए। पूरे 160 अक्षर इस्तेमाल करने के बजाय 3-4 लाइन में आप अपनी बात पूरी कर लें क्योंकि कोई बहुत लंबी-चौड़ी कहानी नहीं पढ़ना चाहता और ट्विटर पर पूरे 160 अक्षर का प्रोफाइल कहानी बन जाता है।

जो बोलो दिल से बोलो
ट्विटर पर आपका प्रोफाइल या डीपी आपको कुछ फॉलोअर दिला सकता है या लोगों को आपकी टाइम लाइन देखने को लुभा सकता है, लेकिन कामयाबी सिर्फ इससे तय नहीं होती। आप क्या ट्वीट करते हैं वह सबसे ज्यादा अहम है। अगर आप अमिताभ बच्चन या शाहरुख खान जैसी हस्ती नहीं हैं तो मैं बाजार में हूं, टीवी देख रहा हूं, कैसे कपड़े पहने हैं जैसी बेकार की बातें कहने का कोई तुक नहीं है। किसी को आपकी डेली लाइफ में कोई रुचि नहीं है। कुछ मजेदार बात बताएं, किसी घटना या समाचार पर मजेदार कमेंट करें या कुछ अलग बताएं, तभी लोग आपकी सुनेंगे और फॉलोअर बनकर आपकी ट्वीट पढ़ना चाहेंगे।

फॉलो का फंडा : सिलेब्रिटीज
ट्विटर पर आप दो तरह के लोगों को फॉलो करते हैं। पहले जानते हैं कि सिलेब्रिटीज को फॉलो करके कैसे बनाएं ज्यादा फॉलोअर। बड़ी हस्तियां अकसर अपनी बातें ट्विटर पर बताती रहती हैं। आपको अगर उनकी किसी ट्वीट का मजेदार जवाब सूझता है तो उस पर अपना जवाब जरूर दें। लेकिन बस खाली बोलने के लिए बेमतलब की ट्वीट न करें। आप उनसे कभी कोई मजेदार सवाल भी पूछ सकते हैं। अकसर सिलेब्रिटीज अच्छे ट्वीट या सवालों का जवाब भी देते हैं। उनके ऐसा करने पर आपका नाम उनके बाकी फॉलोअर के बीच भी जाता है और आपको ऐसे में कुछ फॉलोअर जरूर मिलेंगे। वे सिलेब्रिटी जिनके बहुत ज्यादा फॉलोअर हैं वे अकसर सभी के जवाब नोटिस नहीं कर पाते। अमिताभ बच्चन के बजाय गुल पनाग से आपको जवाब मिलने के ज्यादा आसार हैं, सचिन तेंडुलकर के बजाय श्रीशांत से रिप्लाई मिल सकता है।

फॉलो का फंडा : कॉमन लोग
सिलेब्रिटीज के अलावा आप ऐसे आम लोग भी ट्विटर पर ढूंढ सकते हैं जो मजेदार ट्वीट करते हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिन्हें आप फॉलो करेंगे तो वे आपको भी फॉलो करेंगे। इसलिए कई लोगों को फॉलो करने का तरीका आपको भी फॉलोअर जरूर दिलाता है। इसी तरह जो लोग आपको फॉलो कर रहे हैं, उनका प्रोफाइल देखें, अगर वे आपको मजेदार लगते हैं तो उन्हें जरूर फॉलो करें। फॉलो नहीं कर रहे तो कम-से-कम एक डायरेक्ट मेसेज भेजकर थैंक्स तो जरूर कहें। इस तरह अगर आपके 100 के आसपास फॉलोअर हो जाते हैं और आप अच्छे ट्वीट करते हैं तो आपको एक ऑडियंस तो मिल ही जाएगी जिसके बूते आपके फॉलोअर की संख्या बढ़ती ही जाएगी।

ट्वीट करने के बेसिक्स
ट्वीट करने में आप कुछ दिलचस्प सवाल पूछें, अकसर लोग इनका जवाब देते हैं जिससे एक संवाद कायम हो जाता है। इसके अलावा आप अपने पसंद की खबरों या एक्सर्पट्स की ट्वीट को री-ट्विट करें, इससे आप लोगों की टाइम लाइन में अक्सर नजर आते रहेंगे और ज्यादा फॉलोअर बनने का चांस रहेगा। इसके अलावा ट्वीट करते रहें, बेमतलब की बातें नहीं लेकिन कुछ-न-कुछ ट्वीट करें। क्योंकि आप अगर लोगों की टाइम लाइन में नजर आते रहेंगे तो आप फॉलोअर चार्ट में भी ऊपर बनें रहेंगे।

ट्विटर की बोली
टाइम लाइन : ट्विटर पर लॉगइन करने के बाद आपके होम पेज पर जो ट्विटस नजर आती हैं उन्हें टाइम लाइन करते हैं। होम पेज पर टाइम लाइन के अलावा एक सेक्शन mention का है, इसमें अगर कोई आपकी ट्वीट के जवाब में या आपके नाम के साथ कुछ कहता है तो वह नजर आता है।

री-ट्वीट : आप अगर किसी की ट्वीट को उसके ही नाम से अपने ही फॉलोअर के बीच प्रचारित करते हैं तो इसे री-ट्वीट कहा जाता है। ट्विटर के होम पेज पर एक सेक्शन retweet का है जहां आप खुद किए री-ट्वीट मेसेज या दूसरों के द्वारा री-ट्वीट किए गए आपके मेसेज देख सकते हैं। आपका मेसेज अगर लोग री-ट्वीट करते हैं तो यह आपके लिए अच्छी बात है।

हैंडल : ट्विटर पर आपका अकाउंट नेम हैंडल कहलाता है। जब आप ट्विटर पर अपना अकाउंट बनाते हैं तो अकाउंट नेम भी तय करने को कहा जाता है। आप अगर कभी इसे बदलना चाहें तो ट्विटर आपको इसकी छूट देता है, आप अपने पुराने अकाउंट में ही नया नाम दे सकते हैं बशर्ते की वह मौजूद हो। ऐसा करने से आपके ट्विटर अकाउंट, टाइम लाइन या फॉलोअर पर असर नहीं पड़ता।

एफएफ व जीएफएफ : एफएफ का मतलब है फॉलो फ्राइडे, इसे हैश के बटन के साथ आप किसी ट्विटर अकाउंट होल्डर को प्रमोट करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब होता है कि इस शख्स को फॉलो करो। जीएफएफ का मतलब होता है गेट फॉलोअर्स फास्ट, यानी कुछ साइट्स कहती हैं कि आप अगर अपना अकाउंट और पासवर्ड उन्हें देंगे तो वे आपको ज्यादा फॉलोअर दिलाएंगी। लेकिन इनसे बचकर रहें क्योंकि ये स्पैम होते हैं।

आरटी, ओह व ट्रेंडिंग टॉपिक : आरटी यानी री-ट्वीट। जब आप किसी की ट्वीट को अपने फॉलोअर के बीच उसी के नाम से भेजते हैं तो यह आरटी कहलाता है। ओह (oh) का मतलब है ओवर हर्ड यानी लोग सुनी-सुनाई गप के लिए इस शब्द का प्रयोग करते हैं। ट्रेंडिंग टॉपिक यानी वे टॉपिक्स जिस पर सबसे ज्यादा ट्वीट हो रही हैं। इसमें आप भारत, अमेरिका, इंग्लैंड या कई अन्य मुल्कों और शहरों यानी दुनियाभर में सबसे ज्यादा ट्वीट हो रहे टॉपिक्स की टॉप लिस्ट देख सकते हैं।

मोबाइल बैंकिंग क्या है?

मोबाइल बैंकिंग का सामान्य सा मतलब यह हुआ कि आपका अकाउंट हमेशा आपके साथ-साथ गतिमान रहता है। आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में मोबाइल बैंकिंग आपकी दिक्कतों को कम करने में मददगार साबित हो रही है। खासकर कारोबारियों के लिए तो यह बहुत जरूरी है। कारोबारियों को दिनभर में बहुत सारे ट्रांजक्शन की जरूरत पड़ती है।

अगर वह बैंक जाकर सारा कामकाज करना चाहे तब उसका आधा दिन यूं ही खराब हो जाएगा। दिनभर के व्यस्त कार्यक्रम के दौरान आप कहीं भी खड़े होकर मोबाइल बैंकिंग का लाभ उठा सकते हैं। आप मोबाइल बैंकिंग का लाभ कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में और कभी भी उठा सकते हैं। मोबाइल बैंकिंग आपके मोबाइल के द्वारा एसएमएस या वैप के जरिये ऑपरेट होता है। मोबाइल बैंकिंग का ही एक छोटा सा हिस्सा एसएमएस बैंकिंग है।

आजकल ज्यादातर खाताधारी जिन्होंने मोबाइल बैंकिंग या एसएमएस बैंकिंग के विकल्प का आवेदन दिया होता है, उन्हें एटीएम या अकाउंट से किसी भी प्रकार के लेनदेन की सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिये उपलब्ध कराई जाती है। इसका सीधा फायदा यह होता है कि आपके अकाउंट में कितनी रकम शेष है और कितना पैसा कहां किस मद में निष्कासित हो रहा है, आपको उसकी पल-पल जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।

मोबाइल बैंकिं ग, बैंकिंग सेक्टर में आज की तारीख में बहुत ज्यादा मांग वाली विषयवस्तु है। यह भविष्य में क्रेडिट और डेबिट कार्ड के सिस्टम को हस्तानान्तरित कर देगा। मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करने वालों में से 85-90 फीसदी क्रेडिट कार्ड को इस्तेमाल में नहीं लाते हैं। यह ठीक-ठीक एटीएम की तरह ही होता है। यह इस्तेमाल करने में बेहद सुविधाजनक और सस्ता है।

एटीएम की तुलना में इससे बैंक के ऑपरेशनल खर्च में कमी आ जाती है। इसका लाभ बिल पैमेंट करने, फंड ट्रांसफर करने और बैलेंस चेक करने आदि में किया जाता है। कोरिया में मोबाइल फोन में दो सिम का इस्तेमाल किया जाता है। एक सिम टेलीफोन के लिए दूसरा बैंकिंग के लिए। बैंकिंग अकाउंट डाटा स्मार्ट कार्ड चिप पर उपलब्ध होता है। वर्ष 2004 में बैंक ऑफ कोरिया में 33 लाख ट्रांजक्शन मोबाइल बैंकिंग के जरिये हुआ था। जाहिर सी बात है कि इसमें बढ़ोतरी ही हुई होगी। 

Jan 13, 2011

टर्निंग 30’

कहानी

टर्निंग 30

कहानी:फिल्म की कहानी है नैना (गुल पनाग)की जिसकी लाइफ में 30 का पड़ाव पार करते ही कई बदलाव आ जाते हैं|उसका दिल टूट जाता है और दूसरी ओर उसका करियर भी डगमगाने लगता है|फिल्म एक अपरिपक्व महिला के जिम्मेदार बनने की कहानी है|इस दौरान उसकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आते हैं मगर हार न मानते हुए अंततः वह मंजिल पा ही जाती है|

रिव्यू:प्रकाश झा और अलंकृता श्रीवास्तव बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इस फिल्म के जरिए ऐसे विषय को उठाया जिसपर ज्यादा फिल्में अब तक नहीं बनी|फिल्म का पहला भाग गुल पनाग पर ही केन्द्रित है जो ढलती उम्र,ब्रेक अप और करियर में उतार चढ़ाव से परेशान है|बीच में फिल्म की रफ़्तार काफी धीमी हो जाती है मगर जीवंत संवाद फिल्म से दर्शकों को जोड़े रखता है|फिल्म का अंत काफी सुखद होता है मगर उसे काफी चलताऊ तरीके से फिल्माया गया है|इसे अगर औरपरिपक्व तरीके से फिल्माया जाता तो यह और प्रभावशाली हो सकता था|फिल्म में गुल पनाग का अभिनय जानदार है वो 30 की उम्र के पड़ाव पर पहुंच रही एक महिला की उलझन को बखूबी दर्शाने में कामयाब रही हैं|

स्टोरी ट्रीटमेंट:'टर्निंग 30 ' महत्वपूर्ण दृश्यों और संवाद का मिल जुला रूप है जिससे आप खुद को जोड़कर देख सकते हैं कि जब आप 30 साल के होंगे तो आपको किन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा| सोचिये अगर आप एक लड़की हैं और 30 की उम्र में ढलते यौवन और जॉब खो देने की वजह से जब आपको कोई साथी न मिले तो आपको कैसा लगेगा|मगर गुल को सारी परेशानियों से लड़ते हुए एक परिपक्व महिला बनते देखना काफी दिलचस्प है|

स्टार कास्ट:फिल्म में गुल पनाग का अभिनय जानदार है वो 30 की उम्र के पड़ाव पर पहुंच रही एक महिला की उलझन को बखूबी दर्शाने में कामयाब रही हैं|उनका स्टाइल सेन्स,छोटे छोटे बाल उनके केरेक्टर को और निखारने में कामयाब रहे हैं|पूरब कोहली ने जय के किरदार को सहजता से निभाया है|वह पहले तो नैना को सिर्फ एक सेक्स की पूर्ति करने का जरिया समझता है मगर बाद में उससे सच में प्यार करने लग जाता है|

निर्देशन:नयी निर्देशिका अलंकृता श्रीवास्तव ने एक नए विषय पर फिल्म बनाई है जो काबिले तारीफ है|उन्होंने फिल्म के माध्यम से एक छुपे विषय को उठाने की कोशिश की है|हालाँकि फिल्म की कहानी एक सीमित और उच्च वर्ग के दर्शकों को ही ज्यादा रास आयेगी मगर इससे अलंकृता के कमाल के निर्देशन की झलक दिख गई है|

डायलॉग्स/सिनेमाटोग्राफी/म्यूजिक:फिल्म के संवाद हार्डहिटिंग हैं खास तौर से जिस प्रकार वह एक्टर्स के द्वारा बोले गए हैं|सिनेमाटोग्राफी भी अपना ध्यान खींचती है खास तौर से जिस प्रकार से कैमरा एंगल्स लिए गए हैं वह काफी अलग और प्रभावशाली हैं|फिल्म का संगीत औसत दर्जे का है और टाइटल ट्रेक 'टर्निंग 30' अपीलिंग है|'सपने' गाना एक अच्छा साउंडट्रेक है|
अप्स और डाउन्स:एक अच्छी लिखी हुई और निर्देशित फिल्म जो 30 + महिला के जीवन के उतार चढ़ाव को बखूबी दर्शाती है|गुल पनाग की सधी हुई एक्टिंग और बेहतरीन स्क्रीनप्ले फिल्म की जान हैं|प्रकाश झा जो कि एक सीमित विषय और गंभीर विषय पर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं उनके प्रोडक्शन में एक महिला केन्द्रित फिल्म बनना काफी अलग और हटकर लगता है|मगर फिल्म सीमित और उच्च वर्ग को ध्यान में रखकर बनाई हुई ज्यादा लगती है इसलिए हर एक वर्ग को जोड़ने में नाकामयाब रहेगी|

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