मंगरू सुलभ शौचालय की लाइन में लगा था...भीड़ काफी थी...क़रीब 20-25 लोग लाइन में खडे थे...लेकिन एक बडी अजीब चीज देखी मंगरू ने कि लोग शौचालय से सामान्य से थोडा जल्दी और मुस्कुराते हुए निकल कर आ रहे थे...माजरा कुछ समझ में नही आया...मंगरू नए सोचा चलो अपनी भी बारी आएगी...
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मंगरू की बारी आई...
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बैठते ही सामने दीवार पर नजर पडी...वहां लिखा था...
"जरा बाएँ देखिए..."
मंगरू ने बैठे बैठे ही बाई तरफ़ देखा...
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वहां लिखा था...
"जरा दाएँ देखिए..."
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मंगरू ने बैठे बैठे ही दाईं तरफ़ देखा...
वहां लिखा था...
"जरा पीछे देखिए..."
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मंगरू ने बैठे बैठे ही पीछे देखा...
वहां लिखा था...
"जरा ऊपर देखिए..."
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मंगरू ने बैठे बैठे ही ऊपर देखा...
वहां लिखा था...
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अबे सा* पिछले 10 मिनट से देख रहा हूँ आगे पीछॆ दाएँ बाएँ देख रहा है...जल्दी निकल, देखता नही बाहर लम्बी लाइन लगी है...
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मंगरू भी मुस्कुराते हुए निकल लिया..