सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी. लोकल डॉक्टर ने उसे शहरके बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया. विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया. जैसे ही उसने लड़की के कस्वे का नाम सुना, उसकी आँखों में चमक आ गयी. वहएकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया. उसने उस लड़की को देखा, एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा..उसकी मेहनत और लग्न रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी. डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया. उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी, उसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बचगयी है लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान लेलेगी. फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पेन से लिखे नोट पर गयी, जहाँ लिखा था," एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुकाहै." नीचे डॉक्टर होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे.ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालोंपर आंसूटपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा," हे भगवान! आपकाबहुत-बहुत धन्यवाद, आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका है.
Jan 7, 2013
एक गिलास दूध
सालों बाद वह लड़की गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी. लोकल डॉक्टर ने उसे शहरके बड़े अस्पताल में इलाज के लिए भेज दिया. विशेषज्ञ डॉक्टर होवार्ड केल्ली को मरीज देखने के लिए बुलाया गया. जैसे ही उसने लड़की के कस्वे का नाम सुना, उसकी आँखों में चमक आ गयी. वहएकदम सीट से उठा और उस लड़की के कमरे में गया. उसने उस लड़की को देखा, एकदम पहचान लिया और तय कर लिया कि वह उसकी जान बचाने के लिए जमीन-आसमान एक कर देगा..उसकी मेहनत और लग्न रंग लायी और उस लड़की कि जान बच गयी. डॉक्टर ने अस्पताल के ऑफिस में जा कर उस लड़की के इलाज का बिल लिया. उस बिल के कौने में एक नोट लिखा और उसे उस लड़की के पास भिजवा दिया लड़की बिल का लिफाफा देखकर घबरा गयी, उसे मालूम था कि वह बीमारी से तो वह बचगयी है लेकिन बिल कि रकम जरूर उसकी जान लेलेगी. फिर भी उसने धीरे से बिल खोला, रकम को देखा और फिर अचानक उसकी नज़र बिल के कौने में पेन से लिखे नोट पर गयी, जहाँ लिखा था," एक गिलास दूध द्वारा इस बिल का भुगतान किया जा चुकाहै." नीचे डॉक्टर होवार्ड केल्ली के हस्ताक्षर थे.ख़ुशी और अचम्भे से उस लड़की के गालोंपर आंसूटपक पड़े उसने ऊपर कि और दोनों हाथ उठा कर कहा," हे भगवान! आपकाबहुत-बहुत धन्यवाद, आपका प्यार इंसानों के दिलों और हाथों द्वारा न जाने कहाँ- कहाँ फैल चुका है.
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Jan 5, 2013
चौकीदार बोला....फाटक बंद रखना मेरी पॉवर में है....
"मै देखती हूँ सबके पास कुछ ना कुछ पॉवर होती है लेकिन तुम्हारे पास तो कोई पॉवर ही नही है !"
उसके पति को लगा जैसे उसने सीधे अहम् पर चोट मारी हो...उसने गुस्से से बोला...
... "मै चाहूं तो किसी को भी कितनी देर तक रोक कर रख सकता हूँ…"
पत्नी बोली: ठीक है, फिर मुझे भी दिखाओ अपनी पॉवर !
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उसी समय एक ट्रेन आनी थी, उसने फाटक लगा दिया...
तभी एक नेता का काफिला वहाँ आ कर रुका और फाटक खुलने का इंतज़ार करने लगा...
लेकिन ट्रेन चले जाने के काफी देर बाद भी जब फाटक नही खुला तो नेता जी ने साथ आ रहे पुलिस वाले को भेजा, ये बोलकर कि जाओ देखो क्या मामला है...
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पुलिस वाला जा कर उससे पूछा: फाटक क्यों नही खोलते ?
चौकीदार: मेरी मर्ज़ी, नही खोलता अभी....ये मेरी पॉवर में है !
पुलिस वाले ने तुरंत उसे गलियाँ देकर दो चार तमाचे जड़े और फाटक खुलवाया...
ये देखकर उसकी पत्नी चौकीदार से बोली:
तुम तो कहते थे ये तुम्हारी पॉवर है, और पुलिस वाला तुम्हे गाली देकर और पीटकर निकल गया !
चौकीदार बोला.....
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"जैसे फाटक बंद रखना मेरी पॉवर में है....गाली देना और पीटना उसकी पॉवर में है..."
"सीख: पॉवर का दुरुपयोग नुकसानदेह होता है….."
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Jan 1, 2013
बनारस वाले की एक मजेदार......
मंगरू सुलभ शौचालय की लाइन में लगा था...भीड़ काफी थी...क़रीब 20-25 लोग लाइन में खडे थे...लेकिन एक बडी अजीब चीज देखी मंगरू ने कि लोग शौचालय से सामान्य से थोडा जल्दी और मुस्कुराते हुए निकल कर आ रहे थे...माजरा कुछ समझ में नही आया...मंगरू नए सोचा चलो अपनी भी बारी आएगी...
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मंगरू की बारी आई...
... .
बैठते ही सामने दीवार पर नजर पडी...वहां लिखा था...
"जरा बाएँ देखिए..."
मंगरू ने बैठे बैठे ही बाई तरफ़ देखा...
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वहां लिखा था...
"जरा दाएँ देखिए..."
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मंगरू ने बैठे बैठे ही दाईं तरफ़ देखा...
वहां लिखा था...
"जरा पीछे देखिए..."
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मंगरू ने बैठे बैठे ही पीछे देखा...
वहां लिखा था...
"जरा ऊपर देखिए..."
.
मंगरू ने बैठे बैठे ही ऊपर देखा...
वहां लिखा था...
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अबे सा* पिछले 10 मिनट से देख रहा हूँ आगे पीछॆ दाएँ बाएँ देख रहा है...जल्दी निकल, देखता नही बाहर लम्बी लाइन लगी है...
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मंगरू भी मुस्कुराते हुए निकल लिया..
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बनारस वाले बनारसी की एक कहानी...
एक भिखारी सुबह-सुबह भीख मांगने निकला। चलते समय उसने अपनी झोली में जौ के मुट्ठी भर दाने डाल लिए। टोटके या अंधविश्वास के कारण भिक्षाटन के लिए निकलते समय भिखारी अपनी झोली खाली नहीं रखते। थैली देख कर दूसरों को लगता है कि इसे पहले से किसी ने दे रखा है।
पूर्णिमा का दिन था, भिखारी सोच रहा था कि आज ईश्वर की कृपा होगी तो मेरी यह झोली शाम से पहले ही भर जाएगी।
...
अचानक सामने से राजपथ पर उसी देश के राजा की सवारी आती दिखाई दी। भिखारी खुश हो गया। उसने सोचा, राजा के दर्शन और उनसे मिलने वाले दान से सारे दरिद्र दूर हो जाएंगे, जीवन संवर जाएगा। जैसे-जैसे राजा की सवारी निकट आती गई, भिखारी की कल्पना और उत्तेजना भी बढ़ती गई।
जैसे ही राजा का रथ भिखारी के निकट आया, राजा ने अपना रथ रुकवाया, उतर कर उसके निकट पहुंचे। भिखारी की तो मानो सांसें ही रुकने लगीं। लेकिन राजा ने उसे कुछ देने के बदले उलटे अपनी बहुमूल्य चादर उसके सामने फैला दी और भीख की याचना करने लगे। भिखारी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे। अभी वह सोच ही रहा था कि राजा ने पुन: याचना की।
भिखारी ने अपनी झोली में हाथ डाला, मगर हमेशा दूसरों से लेने वाला मन देने को राजी नहीं हो रहा था। जैसे-तैसे कर उसने दो दाने जौ के निकाले और उन्हें राजा की चादर पर डाल दिया।
उस दिन भिखारी को रोज से अधिक भीख मिली, मगर वे दो दाने देने का मलाल उसे सारे दिन रहा। शाम को जब उसने झोली पलटी तो उसके आश्चर्य की सीमा न रही। जो जौ वह ले गया था, उसके दो दाने सोने के हो गए थे। उसे समझ में आया कि यह दान की ही महिमा के कारण हुआ है।
वह पछताया कि काश! उस समय राजा को और अधिक जौ दी होती, लेकिन नहीं दे सका, क्योंकि देने की आदत जो नहीं थी।
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Dec 25, 2012
88 के अटल: अधूरी हैं ये ख्वाहिशें, टीवी देखते कटता है वक्त
टीवी देखते रहते हैं अटल : अटलजी 2004 के बाद गिने-चुने सार्वजनिक आयोजनों में ही देखे गए हैं। तीन साल से कुछ लिखा नहीं, दो साल से कुछ बोले नहीं हैं। गजब की भाषण कला ही तो उनकी पहचान रही है पर वे अब 'मौन' हैं। पैरालिसिस ने उनकी वाणी को विराम भले ही दे दिया हो मगर वे चैतन्य हैं। इशारों में संवाद करते हैं। 20 सालों में करीब दस सर्जरी हुई हैं उनकी। डॉक्टरों की मौजूदगी में नियमित फिजियोथेरेपी के बाद ज्यादा वक्त टीवी के सामने गुजरता है। संसद की कार्यवाही देखते हैं, लेकिन सांसदों का हंगामा देख उन्हें नागवार गुजरता है। ऐसे में वह तत्काल चैनल बदलवा देते हैं। उनके सबसे करीबी सहयोगी शिवकुमार बताते हैं कि ऐसे में वे गाने सुनने लगते हैं। इंडियन आयडल जैसे कार्यक्रम उन्हें खास पसंद हैं।
50 साल से अटलजी की निजी सेवा में लगे शिव कुमार कहते हैं, 'अटलजी ने कभी व्हीलचेयर पर लोगों के सामने आना गवारा नहीं किया। वे बोल नहीं सकते पर हम उनका हर इशारा समझते हैं।' 2004 के बाद अटलजी की ख्वाहिश काश्मीर पर कुछ लिखने की जरूर रही। एनडीए जब सत्ता से बाहर हुआ तो वे मनाली में थे। वहां भी उन्होंने अपनों के बीच कहा कि अब कश्मीर पर काम करने के लिए मेरे पास वक्त रहेगा। काफी पहले श्यामाप्रसाद मुखर्जी पर उन्होंने किताब भी लिखी थी-मृत्यु या हत्या। कई बार उनके करीबियों ने बायोग्राफी पर काम करने की सलाह दी लेकिन अटलजी ने हर बार मुस्कराकर टाल दिया। वे कहते,'मेरी प्राथमिकता कश्मीर पर कुछ लिखना जरूर है।'
बतौर प्रधानमंत्री उनके मीडिया सलाहकार रहे अशोक टंडन को याद है कि तीन साल पहले तक वे कश्मीर पर काम भी कर रहे थे। टंडन कहते हैं कि मुमकिन है कोई दस्तावेज बना भी हो। मध्यप्रदेश में भाजपा दूसरी दफा सत्ता में लौटी तो मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, अनिल माधव दवे, अनूप मिश्रा और संगठन के कुछ नेता आशीर्वाद के लिए आए। मोतीचूर के लड्डू लेकर आए। चौहान आधा लड्डू तोड़कर अटलजी को खिलाने लगे तो खानपान के शौकीन अटलजी ने उन्हें वहीं टोक दिया, 'आधा नहीं। पूरा खाऊंगा।' उन्होंने पूरा लड्डू ही खाया। तस्वीरें खिंचवाईं। सब चुनावी अपडेट देते रहे। वे मुस्कराते रहे बस। कुछ बोले नहीं। दवे याद करते हैं कि किसी के आने पर इससे पहले अटलजी हॉल में खुद चलकर आया करते थे। पहली बार हमने उन्हें पहले से कुर्सी पर बैठे हुए देखा।
मुंबई में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति आखिरी आयोजन था, जिसमें वे शरीक हुए। वे व्हील चेअर पर आए थे। सब उन्हें सुनने के लिए बेताब थे। सिर्फ एक पंक्ति का ही भाषण हुआ। यह पहला मौका था, जब उन्होंने इतना संक्षिप्त उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा था,'यह परिवर्तन का काल है।'
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