Jan 17, 2013

भारत के मुसलमानों ... तथाकथित धूर्त मुस्लिम नेताओ को पहचानो .. ये ओबैसी जैसे लोग कभी सच्चे मुसलमान हो ही नही सकते ...


आज अदालत में धूर्त ओबैसी ने अदालती परम्परा के अनुसार कुरान की शपथ ली .."मै कुराने पाक की कसम खाकर कहता हूँ मै जो कुछ कहूँगा सच कहूँगा और सच के सिवाय कुछ नही कहूँगा" | सब जानते है की अदालतों में हिन्दुओ को गीता और मुसलमानों को कुरान की कसम खिलाई जाती है |

फिर इसने कहा की भाषण में उसकी आवाज है ही नही ये मुझे फसाने की चाल है | इस बात पर कोर्ट में मौजूद तमाम मुस्लिम लोग हक्के बक्के रह गये क्योकि उनमे से सैकड़ो लोग उस जलसे में मौजूद थे जिसमे उसने ये भाषण दिया था | बहार निकलकर कई मुस्लिम लोग इस ओबैसी को लानत भेज रहे थे की इसने कुरान-ए-पाक की झूठी कसम सिर्फ इसलिए खाई है ताकि ये जेल न जाए ..
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ओबैसी के इस सफेद झूठ पर जज भी भौचक्के रह गये उन्होंने कहा की आप मुसलमानों के रहनुमा बनते हो फिर कुरान की कसम खाकर झूठ बोलते हो ? फिर भी धूर्त ओबैसी ने कहा की भाषण में उसकी आवाज नही है .. इस पर अदालत ने कहा की सोच लो तुम्हारी आवाज के सैम्पल को अदालत फोरेंसिक जाँच के लिए भेजेगी फिर तुम मुसलमान कहने के लायक नही रहोगे क्योकि कोई भी मुसलमान सिर्फ चंद महीनों के सजा के लिए कुरान की झूठी कसम नही खायेगा |

फिर अदालत ने धूर्त ओबैसी के आवाज के सैम्पल को फोरेंसिक जाँच के लिए भेजने के आदेश दे दिए |

ये खबर जैसे ही हैदराबाद में फैली ओबैसी के समर्थक ओबैसी से नाराज हो गये ..और जो लोग इसकी गिरफ्तारी के खिलाफ आन्दोलन चला रहे थे वो लोग चुपचाप अपने घरो को चले गये .. एक समर्थक ने कहा की मै खुद उस सभा में मौजूद था ओबैसी ने कुरान की झूठी कसम खाकर मेरा दिल तोड़ दिया है ..

मुझे ताज्जुब है की आज कोई भी मुस्लिम नेता ने कुरान की झूठी कसम खाने वाले धूर्त ओबैसी के खिलाफ कोई फतवा जारी नही किया | दारुल उलूम क्यों खामोश है ?
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[ याद करो कल्याण सिंह को जिन्होंने कोर्ट में कहा की मैंने बाबरी मस्जिद गिराई मुझे जो सजा कोर्ट देगी मंजूर है .. याद करो बालठाकरे को जिन्होंने जेल जाना स्वीकार किया लेकिन झूठ नही बोला ... ]

सुखी जीवन के 10 सूत्र .....


1)जीवन में पैसा ही सब कुछ नही होता .....मास्टर कार्ड और visa की भी कोई वैल्यू है
2)जानवरों से प्यार करो ......वो स्वादिष्ट भी होते हैं
3) पानी बचाओ ....दारू पियो
4) फल और सलाद बहुत स्वास्थ्य प्रद होते हैं ..... उन्हें बीमारों के लिए रहने दो
... 5) किताबें पवित्र होती हैं ..... उन्हें मत छुओ
6) कक्षा में हंगामा नहीं करना चाहिए ........ जो सो रहे हैं वो जाग सकते हैं
7)पड़ोसियों से प्यार करो ......... लेकिन पकडे मत जाओ
8) मेहनत करने से कोई नहीं मरता .......... लेकिन रिस्क क्यूँ लेना भला
9) जो काम कल किसी और के द्वारा किया जा सकता हो ...... उसे भला आज क्यूँ करना
10)सबको शादी जरूर करनी चाहिए ........
क्यूंकि जिन्दगी में खुशियाँ ही सब कुछ नही होती
(दिल पे ना लें ) ......
सुप्रभात दोस्तों , आपका दिन शुभ हो :))

Jan 16, 2013

एक बार एक दम्पति ने भ्रूण परिक्षण के उद्येश्य से आपसी विचार विमर्श के बाद...


शुभ-प्रभात मित्रो


"एक बार एक दम्पति ने भ्रूण परिक्षण के उद्येश्य से आपसी विचार विमर्श के बाद, शहर के एक नामी क्लिनिक मेंजाने का फैसला लिया l
एक रिक्शे पर सवार होकर उन्होंने उसे सम्बंधित क्लिनिक में चलने का निर्देश दिया l
क्लिनिक आने ही वाला था कि तभी रिक्शेवाले के मोबाइल कि घंटी बज गई l
रिक्शेवाले ने दम्पति से थोड़ा रूककर बात करने कि इजाजत मांगी l दम्पति ने सहमति दे दी l दोनों पति-पत्नी एकाग्र होकर रिक्शेवाले का वार्तालाप सुनने लगे l
... जब रिक्शेवाले कि बात समाप्त हो गई तो दम्पति ने उससे पूछा कि किससे बात हो रही थी ! रिक्शेवाले ने बड़ीही सहजता से कहा कि वह मेरी एक मात्र बेटी है जो विदेश में एक मल्टीनैशनल कंपनी में २० लाख प्रति वर्ष के वेतन पर काम करतीहै l उसके पास गाड़ी, बंगला, नौकर चाकर सब हैं ! वह मुझसे साथ रहने का अनुरोध कर रही थी मगर इस रिक्शे की कमाई से मैंने उसे आजइस काबिल बनाया है तोमुझे इस पेशे पर बहुत गर्व है l इसलिए मैं उसके पास विदेश नहीं जाना चाहता हूँ !बस वह यही अनुरोध कर रही थी! पति-पत्नी ने एक दूसरे की आँखों में देखा ! मन ही मन इशारे किये और रिक्शेवाले को वापिस घर लेकर चलने को कहा !
रिक्शेवाला बोला बाबूजी ! क्लिनिक तो आ ही गया है फिर घर क्यूँ ? बाबूजी बोले अब हमारी तबियत ठीक हो गई है ! चलो वापिस ! रिक्शेवाला मन ही मन सोचने लगा की आखिर एक फ़ोन आने से इनकी तबियत कैसे ठीक हो गयी अचानक !

KBC मेँ 5 करोङ जितने वाली पहली महिला को पुछे गये सवाल...


1. छोले के साथ परोसे जाते है?-भटुरे

3.पंजाब की पारम्परीक कसीदाकारी है?-
फुलवारी

... 5. शरीर का सबसे लम्बा आँरगन है?- त्वचा
6. किसने कहा था 'उनका सपना मुंबई को शंघाई
बनाना है?- विलासराव देशमुख

7. सीरस, स्ट्रटस, क्युमूल्स किसके प्रकार है?- बादल

8. किस खेल का नाम एक जगह के नाम पर पङा है? -
मेराथन

9. 1610 मेँ सबसे पहले शनी ग्रह को टेलिस्कोप
की सहायता से किसने देखा था?-
गैलीलियो गैलीली

10. कौनसे नेता सबसे अधिक समय तक कांग्रेस
पार्टी के अध्यक्ष रहे है- सोनिया गाँधी
11. 1846 मेँ गुलाब सिँह ने अंग्रेजो से 75 लाख रुपए मेँ
क्या खरीदा था?- कश्मीर

12.डाँ. सुभाष मुखर्जी द्वारा IVF तकनीक से
विकसीत भारत की पहली टेस्ट ट्युब बेबी का नाम है
- दुर्गा

13. दुनिया की दुसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी K2 पर
सफलतापूर्वक चढने वाली पहली महिला है।-
वांडा रुत्कीविच

कहानी..........दो नगीने...


किसी शहर में एक रब्बाई (यहूदी पुजारी) अपनी गुणवती पत्नी और दो प्यारे बच्चों के साथ रहता था. एक बार उसे किसी काम से बहुत दिनों के लिए शहर से बाहर जाना पड़ा. जब वह दूर था तब एक त्रासद दुर्घटना में उसके दोनों पुत्र मारे गये.
...
ऐसी दुःख की घड़ी में रब्बाई की पत्नी ने खुद को बड़ी मुश्किल से संभाला. वह बहुत हिम्मती थी और ईश्वर में उसकी आस्था अटूट थी. लेकिन उसे यह चिंता थी कि रब्बाई के लौटने पर वह उसे यह दुखद समाचार किस प्रकार देगी. रब्बाई स्वयं बहुत आस्थावान व्यक्ति था लेकिन वह दिल का मरीज़ था और पूर्व में अस्पताल में भी भर्ती रह चुका था. पत्नी को यह आशंका थी कि वह यह सदमा नहीं झेल पायेगा.

पति के आगमन की पूर्व संध्या को उसने दृढ़तापूर्वक प्रार्थना की और शायद उसे अपनी समस्या का कोई समाधान मिल गया.

अगली सुबह रब्बाई घर पहुँच गया. बड़े दिनों के बाद घर वापसी पर वह पत्नी से गर्मजोशी से मिला और लड़कों के बारे में पूछा.

पत्नी ने कहा, "उनकी चिंता मत कीजिये. आप नहा-धोकर आराम करिए".

कुछ समय के बाद वे भोजन करने के लिए बैठे. पत्नी ने उससे यात्रा के बारे में पूछा. रब्बाई ने उसे इस बीच घटी बातों की जानकारी दी और कहा कि ईश्वर की दया से सब ठीक हुआ. फिर उसने बच्चों के बारे में पूछा.

पत्नी कुछ असहज तो थी ही, फिर भी उसने कहा, "उनके बारे में सोचकर परेशान मत होइए. हम उनकी बात बाद में करेंगे. मैं इस वक़्त किसी और उलझन में हूँ, आप मुझे उसका उपाय बताइए".

रब्बाई समझ रहा था कि कोई-न-कोई बात ज़रूर थी. उसने पूछा, "क्या हुआ? कोई बात तो है जो तुम्हें भीतर-ही-भीतर खाए जा रही है. मुझे बेखटके सब कुछ सच-सच बता दो और हम साथ बैठकर ईश्वर की मदद से उसका हल ज़रूर निकाल लेंगे".

पत्नी ने कहा, "आप जब बाहर थे तब हमारे एक मित्र ने मुझे दो बेशकीमती नगीने अहतियात से सहेजकर रखने के लिए दिए. वे वाकई बहुत कीमती और नायाब नगीने हैं! मैंने उन जैसी अनूठी चीज़ और कहीं नहीं देखी है. अब वह उन्हें लेने के लिए आनेवाला है और मैं उन्हें लौटाना नहीं चाहती. मैं चाहती हूँ कि वे हमेशा मेरे पास ही रहें. अब आप क्या कहेंगे?"

"तुम कैसी बातें कर रही हो? ऐसी तो तुम नहीं थीं? तुममें यह संसारिकता कहाँ से आ गयी?", रब्बाई ने आश्चर्य से कहा.

"सच यही है कि मैं उन्हें अपने से दूर होते नहीं देखना चाहती. अगर मैं उन्हें अपने ही पास रख सकूं तो इसमें क्या बुरा है?", पत्नी ने कहा.

रब्बाई बोला, "जो हमारा है ही नहीं उसके खोने का दुःख कैसा? उन्हें अपने पास रख लेना तो उन्हें चुराना ही कहलायेगा न? हम उन्हें लौटा देंगे और मैं यह कोशिश करूंगा कि तुम्हें उनसे बिछुड़ने का अफ़सोस नहीं सताए. हम आज ही यह काम करेंगे, एक साथ".

"ठीक है. जैसा आप चाहें. हम वह संपदा लौटा देंगे. और सच यह है कि हमने वह लौटा ही दी है. हमारे बच्चे ही वे बेशकीमती नगीने थे. ईश्वर ने उन्हें सहेजने के लिए हमारे सुपुर्द किया था और आपकी गैरहाजिरी में उसने उन्हें हमसे वापस ले लिया. वे जा चुके हैं...".

रब्बाई ने अपनी पत्नी को भींच लिया और वे दोनों अपनी आंसुओं की धारा में भीगते रहे. रब्बाई को अपनी पत्नी की कहानी के मर्म का बोध हो गया था. उस दिन के बाद वे साथ-साथ उस दुःख से उबरने का प्रयास करने लगे.