Jan 22, 2013

हर इंसान की पांच मां होती हैं......


एक अपनी मां

दूसरी दादी मां
...
तीसरी नानी मां

चौथी सासू मां

और एक वो जिसके बारे में मम्मी कहती है, ये हर रोज़ रात 11 बजे तेरी कौन सी मां का फ़ोन आता है?

भगवान ने स्वर्ग में आए सारे पतियों और पत्नियों को एक जगह इकठ्ठा होने को कहा...


भगवान ने स्वर्ग में आए सारे पतियों और पत्नियों को एक जगह इकठ्ठा होने को कहा।
फिर भगवान ने पतियों से दो पंक्तियों में खड़े होने को कहा। पहली पंक्ति में उन पतियों को आना था जो अपनी पत्नी के नियंत्रण में रहते थे और दूसरी पंक्ति में उन पतियों को आना था जो अपनी पत्नियों को नियंत्रण में रखते थे।.
सारे पति पहली पंक्ति में खड़े हो गए....... दूसरी पंक्ति में केवल एक पति खड़ा हुआ
भगवान ने उस एक पति से पूछा, “तुम पत्नी को नियंत्रण में रखते हो?!!!... मुझे भी बताओ! कैसे?!!!”

... उस पति ने कहा, “मालूम नहीं भगवान , मुझे तो मेरी पत्नी ने इस पंक्ति में खड़ा होने को कहा था”

भिखारी को देना पुण्य है। मैंने उसे अधिक रुपए देकर पुण्य कमाया है...एक कहानी...


'ओ... रिक्शे वाले, आजाद नगर चलोगे?' सज्जन व्यक्ति जोर से चिल्लाया।

'हाँ-हाँ क्यों नहीं?' रिक्शे वाला बोला।
...
'कितने पैसे लोगे?'

'बाबू जी दस रुपए।'

'अरे दस रुपए बहुत ज्यादा हैं मैं पाँच रुपए दूँगा।'

रिक्शे वाला बोला, 'साहब चलो आठ...'

'अरे नहीं मैं पाँच रुपए ही दूँगा।' रिक्शेवाला सोचने लगा, दोपहर हो रही है जेब में केवल बीस रुपए हैं, इनसे बच्चों के लिए एक समय का भरपेट खाना भी पूरा नहीं होगा।

मजबूर होकर बोला ठीक है साब बैठो। रास्ते में रिक्शेवाला सोचता जा रहा था, आज का इंसान दूसरे इंसान को इंसान तो क्या जानवर भी नहीं समझता। ये भी नहीं सोचा यहाँ से आजाद नगर कितनी दूर है, पाँच रुपए कितने कम हैं। मैं भी क्या करूँ? मुझे भी रुपयों की जरूरत है इसलिए इसे पाँच रुपए में पहियों की गति के साथ उसका दिमाग भी गतिशील था।

आजाद नगर पहुँचने के बाद जैसे ही वह रिक्शे से नीचे उतरा। एक भिखारी उसके सामने आ गया। सज्जन व्यक्ति ने अपने पर्स से दस रुपए उस भिखारी को दे दिए और पाँच रुपए रिक्शे वाले को।

रिक्शेवाला बोला, साहब मेरे से अच्छा तो यह भिखारी रहा जिसे आपने दस रुपए दिए। मैं इतनी दूर से लेकर आया और मेरी मेहनत के सिर्फ पाँच रुपए?'
सज्जन व्यक्ति बोला, 'भिखारी को देना पुण्य है। मैंने उसे अधिक रुपए देकर पुण्य कमाया है।'

'और जो मेरी मेहनत की पूरी मजदूरी नहीं दी ऐसा करके क्या तुम पाप के भागीदार नहीं?' रिक्शेवाले ने कहा। उसकी बात सुनते ही सज्जन व्यक्ति को क्रोध आ गया। वह बोला - 'तुम नीच लोगों से मुँह लगाना ही फिजूल है।

इस पर कवी अशोक चक्रधर जी ने क्या खूब कहा हैं
आवाज़ देकर
रिक्शेवाले को बुलाया
वो कुछ
लंगड़ाता हुआ आया।

मैंने पूछा—
यार, पहले ये तो बताओगे,
पैर में चोट है कैसे चलाओगे ?

रिक्शेवाला कहता है—
बाबू जी,
रिक्शा पैर से नहीं
पेट से चलता है।

Jan 21, 2013

जब करोडो के घोटाले हुए - सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया ...


जब करोडो के घोटाले हुए - सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब महंगाई बढ़ी - सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब दामिनी दुनिया से गयी - सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब हमारे जवानों के सर काटे गए- सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
जब डीज़ल महंगा हुआ- सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
... जब रेल किराया बढ़ा- सारा देश रोया कोई कांग्रेसी नहीं रोया
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पर कांग्रेसी रोये भी तो "Rahul gandhi" के भाषण को सुनकर !!

कल "किसी" ने अपने भाषण मेँ कहा कि माँ रोई.....!!!


कल "किसी" ने अपने भाषण मेँ कहा कि माँ रोई!!!

मैँ कहता हुँ कि इस देश में माँ तो होती ही रोने के लिए है। उन साढ़े तीन लाख किसानो की माँएं भी रोई ही होंगी जिन्होंने आत्महत्या की। सुदूर गांवों, छोटे कस्बों, जिलों में भूख, गरीबी, ठण्ड, अभाव और बिना इलाज़ के मरने वाले बच्चों की माँ भी रोती तो होंगी ही। गरीबी से तंग आ के जब पूरा का पूरा परिवार ही आत्महत्या कर लेता है तो उसमे तो माँ ही नहीं बचती है रोने के लिए। माँ को कहो की थोडा उन का भी रोना रो लें जिन जिन की माँ रोई;