Jan 28, 2013
भीख माँगने के तरीके और वेरायटी....
॰शनि महाराज की जय!
॰बेटा दो दिन से कुछ नहीँ खाया दो रूपया दे दो।
...
॰पैर पकड़ता हुआ बच्चा मुँह से कुछ नहीँ पर इशारो से भोजन और पैसा माँगता हुआ।
॰मेरा पर्स चोरी हो गया फलाने जगह जाना है बीस रुपया दे दीजिये,कभी मिलियेगा तो लौटा देंगे।
॰डॉक्टर की ये पुर्जी देखिये दवा के लिये पैसे चाहिये।
॰आप लोग प्लीज मुझे ही वोट किजियेगा,
आगे हम आपका ख्याल रखेंगे।
भुलियेगा नहीं(स्टैण्डर्ड भिखारी जो है)
॰मेरी माँ भी रोई थी,दादी भी रोई थी अब हमारे खानदान से सारा देश रो रहा है।(भावनात्मक भिखारी)
॰अगर आप सच्चे भारतीय है तो मेरा पेज लाईक करे!
अगर आप माँ को प्यार करते है तो ये फोटो लाईक करे।
अगर आप सैनिको को पसंद करते है तो लाईक करे।(फेसबुकिया भिखारी भीख में लाईक दे दे रे बाबा)
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एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया...
एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि-
” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”
... तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”
बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.
दोस्तों , हममें से बहुत से लोग उस बाज की तरह ही अपना असली potential जाने बिना एक second-class ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की mediocrity हमें भी mediocre बना देती है.हम में ये भूल जाते हैं कि हम आपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है,पर फिर भी बस एक औसत जीवन जी के हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.
आप चूजों की तरह मत बनिए , अपने आप पर ,अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए. आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर दिखाइए क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है.
” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?”
... तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!”
बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.
दोस्तों , हममें से बहुत से लोग उस बाज की तरह ही अपना असली potential जाने बिना एक second-class ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की mediocrity हमें भी mediocre बना देती है.हम में ये भूल जाते हैं कि हम आपार संभावनाओं से पूर्ण एक प्राणी हैं. हमारे लिए इस जग में कुछ भी असंभव नहीं है,पर फिर भी बस एक औसत जीवन जी के हम इतने बड़े मौके को गँवा देते हैं.
आप चूजों की तरह मत बनिए , अपने आप पर ,अपनी काबिलियत पर भरोसा कीजिए. आप चाहे जहाँ हों, जिस परिवेश में हों, अपनी क्षमताओं को पहचानिए और आकाश की ऊँचाइयों पर उड़ कर दिखाइए क्योंकि यही आपकी वास्तविकता है.
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Jan 27, 2013
स्कूल में एक बच्चे को जीके के पेपर में फिल्म 3 इडियट्स से मिलने वाली प्रेरणा पर संक्षिप्त निबंध लिखने को कहा गया...
स्कूल में एक बच्चे को जीके के पेपर में फिल्म 3 इडियट्स से मिलने वाली प्रेरणा पर संक्षिप्त निबंध लिखने को कहा गया। बच्चे ने फिल्म 3 इडियट्स पर निंबध लिखा जिसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं।
1. 3 इडियट्स से हमें यह पता चलता है कि इंजीनियरिंग करते हुए भी मेडिकल कॉलेज की लड़की पटाई जा सकती है।
2. इस मूवी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कॉलेज के पहले दिन अंडरवियर जरूर पहनना चाहिए।
3. इस फिल्म से हमें... यह प्रेरणा मिलती है कि कॉलेज के प्राचार्य की लड़की को भी सेट कर सकते हैं।
4. 3 इडियट्स से हमें यह पता चलता है कि सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, इंजीनियर भी महिला की डिलीवरी करवा सकता है।
5. 3 इडियट्स से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किस करते वक्त नाक बीच में नहीं आती।
6. इस फिल्म से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हिन्दी का अधूरा ज्ञान खतरनाक हो सकता है। चमत्कार कभी भी 'बलात्कार' में बदल सकते हैं।
7. इस फिल्म से हम सीखते हैं कि अगर एक्ज़ीमा क्रीम खत्म हो जाए तो खुजाने के लिए घर के बेलन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
8. इस फिल्म से हमें दोस्त की गर्लफ्रेंड पर लाइन नहीं मारने की भी प्रेरणा मिलती है।
9. अंत में हमें बड़ी शिक्षा ये मिलती है कि फिल्म के ये सभी आइडियाज अपना लो, लोग कहेंगे जहांपनाह तुसी ग्रेट हो, तोहफा कबूल करो।
1. 3 इडियट्स से हमें यह पता चलता है कि इंजीनियरिंग करते हुए भी मेडिकल कॉलेज की लड़की पटाई जा सकती है।
2. इस मूवी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कॉलेज के पहले दिन अंडरवियर जरूर पहनना चाहिए।
3. इस फिल्म से हमें... यह प्रेरणा मिलती है कि कॉलेज के प्राचार्य की लड़की को भी सेट कर सकते हैं।
4. 3 इडियट्स से हमें यह पता चलता है कि सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, इंजीनियर भी महिला की डिलीवरी करवा सकता है।
5. 3 इडियट्स से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किस करते वक्त नाक बीच में नहीं आती।
6. इस फिल्म से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हिन्दी का अधूरा ज्ञान खतरनाक हो सकता है। चमत्कार कभी भी 'बलात्कार' में बदल सकते हैं।
7. इस फिल्म से हम सीखते हैं कि अगर एक्ज़ीमा क्रीम खत्म हो जाए तो खुजाने के लिए घर के बेलन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
8. इस फिल्म से हमें दोस्त की गर्लफ्रेंड पर लाइन नहीं मारने की भी प्रेरणा मिलती है।
9. अंत में हमें बड़ी शिक्षा ये मिलती है कि फिल्म के ये सभी आइडियाज अपना लो, लोग कहेंगे जहांपनाह तुसी ग्रेट हो, तोहफा कबूल करो।
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रेगिस्तान में एक आदमी के पास यमदूत आया लेकिन आदमी उसे पहचान....
रेगिस्तान में एक आदमी के पास यमदूत आया लेकिन आदमी उसे पहचान नहीं सका और उसने उसे पानी पिलाया.
“मैं मृत्युलोक से तुम्हारे प्राण लेने आया हूँ” – यमदूत ने कहा – “लेकिन तुम अच्छे आदमी लगते हो इसलिए मैं तुम्हें पांच मिनट के लिए नियति की पुस्तक दे सकता हूँ. इतने समय में तुम जो कुछ बदलना चाहो, बदल सकते हो”.
यमदूत ने उसे नियति की पुस्तक दे दी. पुस्तक के पन्ने पलटते हुए आदमी को उसमें अपने पड़ोसियों के जीवन की झलकियाँ दिखीं. उनका खुशहाल जीवन देखकर वह ईर्ष्या और क्रोध से भर गया.
...
“ये लोग इतने अच्छे जीवन के हक़दार नहीं हैं” – उसने कहा, और कलम लेकर उनके भावी जीवन में भरपूर बिगाड़ कर दिया.
अंत में वह अपने जीवन के पन्नों तक भी पहुंचा. उसे अपनी मौत अगले ही पल आती दिखी. इससे पहले कि वह अपने जीवन में कोई फेरबदल कर पाता, मौत ने उसे अपने आगोश में ले लिया.
अपने जीवन के पन्नों तक पहुँचते-पहुँचते उसे मिले पांच मिनट पूरे हो चुके थे.
“मैं मृत्युलोक से तुम्हारे प्राण लेने आया हूँ” – यमदूत ने कहा – “लेकिन तुम अच्छे आदमी लगते हो इसलिए मैं तुम्हें पांच मिनट के लिए नियति की पुस्तक दे सकता हूँ. इतने समय में तुम जो कुछ बदलना चाहो, बदल सकते हो”.
यमदूत ने उसे नियति की पुस्तक दे दी. पुस्तक के पन्ने पलटते हुए आदमी को उसमें अपने पड़ोसियों के जीवन की झलकियाँ दिखीं. उनका खुशहाल जीवन देखकर वह ईर्ष्या और क्रोध से भर गया.
...
“ये लोग इतने अच्छे जीवन के हक़दार नहीं हैं” – उसने कहा, और कलम लेकर उनके भावी जीवन में भरपूर बिगाड़ कर दिया.
अंत में वह अपने जीवन के पन्नों तक भी पहुंचा. उसे अपनी मौत अगले ही पल आती दिखी. इससे पहले कि वह अपने जीवन में कोई फेरबदल कर पाता, मौत ने उसे अपने आगोश में ले लिया.
अपने जीवन के पन्नों तक पहुँचते-पहुँचते उसे मिले पांच मिनट पूरे हो चुके थे.
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बच्चे का मस्तिष्क कोरे कागज की तरह होता है....
''वाऊ क्या मस्त आंटी है,इसकी माँ की आँख''
अपने दोस्त के छः वर्षिय बच्चे केमुँह से ये वाक्य सुनकर मैँ भौंचकरह गया।
दोस्त और उसकी पत्नी झेँप से गये।
बच्चा 'नो एंट्री'मूवी देख रहा था,
फिर सारी बाते समझ आ गई।
... दोष बच्चे से ज्यादा उसके परिवेश का था।
मूवी,टीवी के अलावा बच्चे मेँ इस नकारात्मक गुण का कारण था,
बड़ो के द्वारा बोले जाने वाले अपशब्द।
बच्चे का मस्तिष्क कोरे कागज की तरह होता है,
अच्छी या बुरी चीजो को काफी तिव्रता से ग्रहण करता है।
इसलिये बच्चो के सामने अपशब्दो का उपयोग ना करें चाहे अपना बच्चाहो या दुसरो का।
।।संयमित और मर्यादित भाषा और विचार से सभ्य समाज का उत्कर्ष होता है।।
अपने दोस्त के छः वर्षिय बच्चे केमुँह से ये वाक्य सुनकर मैँ भौंचकरह गया।
दोस्त और उसकी पत्नी झेँप से गये।
बच्चा 'नो एंट्री'मूवी देख रहा था,
फिर सारी बाते समझ आ गई।
... दोष बच्चे से ज्यादा उसके परिवेश का था।
मूवी,टीवी के अलावा बच्चे मेँ इस नकारात्मक गुण का कारण था,
बड़ो के द्वारा बोले जाने वाले अपशब्द।
बच्चे का मस्तिष्क कोरे कागज की तरह होता है,
अच्छी या बुरी चीजो को काफी तिव्रता से ग्रहण करता है।
इसलिये बच्चो के सामने अपशब्दो का उपयोग ना करें चाहे अपना बच्चाहो या दुसरो का।
।।संयमित और मर्यादित भाषा और विचार से सभ्य समाज का उत्कर्ष होता है।।
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