नई दिल्ली। दुनियाभर के तमाम मुल्कों में जहां एक ओर मौत की सजा को समाप्त करने की मांग बढ़ती जा रही है। लेकिन, सऊदी अरब में मंगलवार को सात नाबालिग दोषियों को सिर कलम कर मौत की सजा देने की तैयारी पूरी कर ली गई है। जब इन्होंने अपराध को अंजाम दिया था, उस वक्त उनकी उम्र 18 वर्ष से भी कम थी। जिसके बाद उनकी सजा को लेकर काफी बहस भी हुई। लेकिन सऊदी अरब के राजा अब्दुल्लाह ने उनकी मौत की सजा पर मुहर लगा दी है।
गौरतलब है कि इन सात लोगों ने वर्ष 2006 में एक बैंक को लूटा था। जिसके बाद उन पर मुकदमा चला और वर्ष 2009 में सभी को मौत की सजा सुनाई गई। जबकि, दुनिया की सबसे ख्यात मानवाधिकार एजेंसी एमनेस्टी का कहना है कि सभी आरोपियों को डंडा के बल पर और भूखे प्यासे रखकर जूर्म कबूलने के लिए मजबूर किया गया था। इन्हें न तो सोने दिया जाता और न बैठने। 24 घंटे उन्हें भूखा प्यासा खड़ा कर के मारा जाता था। इतना शोषण होने के बाद सभी ने हार मान ली।
हालांकि, सऊदी अरब के आतंरिक मंत्री पहले कह चुके हैं कि सऊदी अरब में किसी को सताया नहीं जाता है। सऊदी अरब में इस्लामिक कानून के अनुसार शासन चलता है। जिसका कई देशों ने विरोध भी जताया है। सऊदी अरब में बड़ी संख्या में लोगों को मौत की सजा दी जाती है। इतना ही नहीं, कई बार तो पब्लिक लोगों को सड़क पर पीट पीटकर मौत की सजा पर मुहर लगाती है। वर्ष 2011 में सऊदी अरब में 8 बांग्लादेशियों को मौत की सजा दी गई थी।
वहीं, हिंदुस्तान में दिल्ली गैंग रेप की पीडि़ता दामिनी (पढें- प्रत्यक्षदर्शी की आंखों देखी) की मां चाहती हैं कि उनकी बेटी के साथ सबसे अधिक हैवानियत करने वाले नाबालिग आरोपी को किसी भी हाल में मौत की ही सजा मिलनी चाहिए। लेकिन हमारे देश का कानून इस मां की भावना को पूरा नहीं कर सकता है। मीडिया का एक तबका और देश की बहुत बड़ी आबादी नाबालिग को मौत के घाट उतारना चाहती है लेकिन ऐसा संभव नहीं है। भले ही इस नाबालिग ने दामिनी के साथ
सबसे ज्यादा बर्बरता दिखाई हो।
Mar 5, 2013
Mar 4, 2013
मिर्ज़ा ग़ालिब गरीबी से तंग आकर डाकू बन गए और डकैती करने एक बैंक गए और कहा,
" अर्ज़ किया है"।
तक़दीर में जो है वही मिलेगा,
हैंड्स-अप कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा...
फिर कैशियर से कहा,
... कुछ ख्वाब मेरी आँखों से निकाल दे,
जो कुछ भी है, इस बैग में डाल दे...
बहुत कोशिश करता हूँ उसकी याद भुलाने की,
ध्यान रहे कोई कोशिश न करना पुलिस बुलाने की...
भुला दे मुझको क्या जाता है तेरा,
मार दूँगा गोली जो किसी ने पीछा किया मेरा...
" अर्ज़ किया है"।
तक़दीर में जो है वही मिलेगा,
हैंड्स-अप कोई अपनी जगह से नहीं हिलेगा...
फिर कैशियर से कहा,
... कुछ ख्वाब मेरी आँखों से निकाल दे,
जो कुछ भी है, इस बैग में डाल दे...
बहुत कोशिश करता हूँ उसकी याद भुलाने की,
ध्यान रहे कोई कोशिश न करना पुलिस बुलाने की...
भुला दे मुझको क्या जाता है तेरा,
मार दूँगा गोली जो किसी ने पीछा किया मेरा...
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एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया...
एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया. उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछ...ा.
संत ने किसान से कहा , ”तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो, और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो.” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया.
तब संत ने कहा, ”अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ”
किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है, तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते.
इस कहानी से क्या सीख मिलती है:
कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कि भला-बुरा कहने के बाद कुछ भी कर के अपने शब्द वापस नहीं लिए जा सकते. हाँ, आप उस व्यक्ति से जाकर क्षमा ज़रूर मांग सकते हैं, और मांगनी भी चाहिए, पर human nature कुछ ऐसा होता है की कुछ भी कर लीजिये इंसान कहीं ना कहीं hurt हो ही जाता है.
जब आप किसी को बुरा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुंचाने के लिए होता है पर बाद में वो आप ही को अधिक कष्ट देता है. खुद को कष्ट देने से क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चुप रहा जाए.
संत ने किसान से कहा , ”तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो, और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो.” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया.
तब संत ने कहा, ”अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ”
किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है, तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते.
इस कहानी से क्या सीख मिलती है:
कुछ कड़वा बोलने से पहले ये याद रखें कि भला-बुरा कहने के बाद कुछ भी कर के अपने शब्द वापस नहीं लिए जा सकते. हाँ, आप उस व्यक्ति से जाकर क्षमा ज़रूर मांग सकते हैं, और मांगनी भी चाहिए, पर human nature कुछ ऐसा होता है की कुछ भी कर लीजिये इंसान कहीं ना कहीं hurt हो ही जाता है.
जब आप किसी को बुरा कहते हैं तो वह उसे कष्ट पहुंचाने के लिए होता है पर बाद में वो आप ही को अधिक कष्ट देता है. खुद को कष्ट देने से क्या लाभ, इससे अच्छा तो है की चुप रहा जाए.
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Mar 2, 2013
महाराज ! मैं पाप बेचती हूँ | ...........
एक बार घूमते-घूमते कालिदास बाजार गये | वहाँ एक महिला बैठी मिली | उसके पास एक मटका था और कुछ प्यालियाँ पड़ी थी | कालिदास ने उस महिला से पूछा : ” क्या बेच रही हो ? “
महिला ने जवाब दिया : ” महाराज ! मैं पाप बेचती हूँ | “
कालिदास ने आश्चर्यचकित होकर पूछा : ” पाप और मटके में ? “
महिला बोली : ” हाँ , महाराज ! मटके में पाप है | “
... कालिदास : ” कौन-सा पाप है ? “
महिला : ” आठ पाप इस मटके में है | मैं चिल्लाकर कहती हूँ की मैं पाप बेचती हूँ पाप … और लोग पैसे देकर पाप ले जाते है |”
अब महाकवि कालिदास को और आश्चर्य हुआ : ” पैसे देकर लोग पाप ले जाते है ? “
महिला : ” हाँ , महाराज ! पैसे से खरीदकर लोग पाप ले जाते है | “
कालिदास : ” इस मटके में आठ पाप कौन-कौन से है ? “
महिला : ” क्रोध ,बुद्धिनाश , यश का नाश , स्त्री एवं बच्चों के साथ अत्याचार और अन्याय , चोरी , असत्य आदि दुराचार , पुण्य का नाश , और स्वास्थ्य का नाश … ऐसे आठ प्रकार के पाप इस घड़े में है | “
कालिदास को कौतुहल हुआ की यह तो बड़ी विचित्र बात है | किसी भी शास्त्र में नहीं आया है की मटके में आठ प्रकार के पाप होते है | वे बोले : ” आखिरकार इसमें क्या है ? ”
महिला : ” महाराज ! इसमें शराब है शराब ! “
कालिदास महिला की कुशलता पर प्रसन्न होकर बोले : ” तुझे धन्यवाद है ! शराब में आठ प्रकार के पाप है यह तू जानती है और ‘ मैं पाप बेचती हूँ ‘ ऐसा कहकर बेचती है फिर भी लोग ले जाते है | धिक्कार है ऐसे लोगों को !
महिला ने जवाब दिया : ” महाराज ! मैं पाप बेचती हूँ | “
कालिदास ने आश्चर्यचकित होकर पूछा : ” पाप और मटके में ? “
महिला बोली : ” हाँ , महाराज ! मटके में पाप है | “
... कालिदास : ” कौन-सा पाप है ? “
महिला : ” आठ पाप इस मटके में है | मैं चिल्लाकर कहती हूँ की मैं पाप बेचती हूँ पाप … और लोग पैसे देकर पाप ले जाते है |”
अब महाकवि कालिदास को और आश्चर्य हुआ : ” पैसे देकर लोग पाप ले जाते है ? “
महिला : ” हाँ , महाराज ! पैसे से खरीदकर लोग पाप ले जाते है | “
कालिदास : ” इस मटके में आठ पाप कौन-कौन से है ? “
महिला : ” क्रोध ,बुद्धिनाश , यश का नाश , स्त्री एवं बच्चों के साथ अत्याचार और अन्याय , चोरी , असत्य आदि दुराचार , पुण्य का नाश , और स्वास्थ्य का नाश … ऐसे आठ प्रकार के पाप इस घड़े में है | “
कालिदास को कौतुहल हुआ की यह तो बड़ी विचित्र बात है | किसी भी शास्त्र में नहीं आया है की मटके में आठ प्रकार के पाप होते है | वे बोले : ” आखिरकार इसमें क्या है ? ”
महिला : ” महाराज ! इसमें शराब है शराब ! “
कालिदास महिला की कुशलता पर प्रसन्न होकर बोले : ” तुझे धन्यवाद है ! शराब में आठ प्रकार के पाप है यह तू जानती है और ‘ मैं पाप बेचती हूँ ‘ ऐसा कहकर बेचती है फिर भी लोग ले जाते है | धिक्कार है ऐसे लोगों को !
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