इसे बनाने वाले दुनिया के youngest billionaire Mark Zukerberg ने भी कभी नहीं सोचा था की ये इतनी जल्दी इतनी popular हो जाएगी . In fact , अगर आप Fb पे नहीं हैं तो लोग आपको आश्चर्य से देखते हैं . ..” Fb पे नहीं है ………….जी कैसे रहा है …… :) !!!” and all that.
आज Fb पे 1 billion+ registered user हैं, यानि दुनिया का हर सातवाँ आदमी Fb पे है and in all probability आप भी उन्ही में से एक होंगे . और शौक से Fb use करते होंगे . पर जो सोचने की बात है वो ये कि क्या आप Fb use करते ; overuse करते हैं …या फिर कहीं आप इसके addict तो नहीं !
Let’s say use करने का मतलब है कि आप Fb पर daily 1 घंटे से कम समय देते हैं , और overuse करने का मतलब है 1 घंटे से ज्यादा . और हाँ , use करने से बस ये मतलब नहीं है कि आप physically system के सामने या अपने smart phone को हाथ में लेकर use करते हैं even अगर आप Fb के बारे में सोचते हैं तो वो भी time usage में count होगा after all वो उतने देर के लिए आपका mind space occupy कर रहा है .
और अगर आप सोच रहे हैं कि कहीं मैं addict तो नहीं हूँ तो इन traits को देखिये , अगर ये आपमें हैं तो आप addict हो सकते हैं :
* आप का दिमाग अकसर इसी बात में लगा रहता है कि आपकी पोस्ट की गयी चीजों पर क्या कमेंट आया होगा, कितने लोगों ने लाइक किया होगा.
* आप बिना मतलब बार-बार फेसबुक स्क्रीन रिफ्रेश करते हैं कि कुछ नया दिख जाए.
* अगर थोड़ी देर आपका internet नहीं चला तो आप updates चेक करने साइबर कैफे चले जाते हैं या दोस्त को फ़ोन करके पूछते हैं.
* आप टॉयलेट में भी मोबाइल या लैपटॉप लेकर जाते हैं कि Fb use कर सकें
* आप सोने जाने से पहले सभी को Good Night करते हैं और सुबह उठ कर सबसे पहले ये देखते हैं की आपकी गुड नाईट पर क्या reactions आये.
अब मैं आपको अपने usage के बारे में बताता हूँ , on an average मैं daily 10 minutes से भी कम Fb use करता हूँ including Fb के बारे में सोचने का time. हाँ, इसे आप under usage भी कह सकते हैं . :) In my opinion ideally Fb आधे घंटे से अधिक नहीं use करना चाहिए पर फिर भी मैंने over usage को 1 घंटे से ऊपर रखा है .
और अब आपकी बात करते हैं , आप कितनी देर Fb use करते हैं ?
Well, अगर ये daily 1/2 घंटे से अधिक है तो आप अपना time waste कर रहे हैं , unless until आप purposefully ऐसा कर रहे हैं . Purposefully means आप अपना बिज़नस प्रमोट कर रहे हैं, किसी social cause के लिए campaign चला रहे हैं या कोई और meaningful काम कर रहे हैं , इन cases में अपना टाइम देना worth है .
किस तरह के लोग Fb ज़रुरत से अधिक use करते हैं :
In my opinion :
• जिनके पास कोई meaningful goal नहीं है …… the wanderers
• जो लोगोंका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं करना चाहते हैं ….the attention seekers.
• जो अपनी life से अधिक दूसरों की life में interest रखते हैं …..the peepers
क्या नुकसान कर सकता है Facebook का over usage ?
इसकी लिस्ट तो बहुत लम्बी है लेकिन आज मैं आपके साथ 7 ऐसे points share कर रहा हूँ , तो आइये देखते हैं इन्हें :
1) आप unknowingly अपनी happiness का control दूसरों को दे देते हैं ?
कैसे ? दरअसल अब आपकी happiness इस बात पर depend करने लगती है कि Fb पे आपकी बातों , आपकी pics को कितने लोग like कर रहे हैं , कितने लोग उसपर comments कर रहे हैं …कैसे comments कर रहे हैं …etc. For instance आपने एक नई watch ली और उसकी photo post की …obviously आपको watch बहुत पसंद थी इसलिए आपने ली …पर जब Fb पे उसे अधिक लोग like नहीं करते और कोई उसका मज़ाक बना देता है तो आप दुखी हो जाते हैं . और उसका उल्टा भी सही है …आप को कोई चीज पसंद नहीं है पर बाकी लोग उसको अच्छा कह देते हैं तो आप खुश हो जाते हैं …so in a way आप अपनी happiness का control अपने Fb friends को दे देते हैं . मैं ये नहीं कहता कि ये सभी के साथ होता है पर इतना ज़रूर है कि हम कहीं न कहीं इन चीजों से affect होते हैं .
And over a long period of time ये छोटे छोटे इफेक्ट्स बड़े होते जाते हैं और हमें पता भी नहीं चलता कि हम अपना real self कहाँ छोड़ आये.
2) आपको दूसरों की blessings और अपनी shortcomings दिखाई देने लगती है ?
Fb पर लोग generally अपनी life की अच्छी अच्छी बातें ही share करते हैं …लोग अपने साथ हो रही अच्छी चीजें बताते हैं , उनके status कुछ ऐसे होते हैं “ My new machine” , “ Lost in London”..etc
In reality आप भी ऐसा ही करते हैं , पर अन्दर ही अन्दर आप अपनी असलीयत भी जानते हैं , पर दूसरों के case में आप वही देखते हैं जो वो आपको दिखाते हैं , आपको उनकी नई car नज़र आती है पर उसके साथ आने वाला EMI नहीं , आपको friend का swanky office तो दीखता है पर उसके साथ मिलने वाली tension नहीं . और ऐसा होने पर आप उनकी खुशियों को अपने ग़मों से compare करने लगते हैं और ultimately low feel करने लगते हैं .
Fb की वजह से depression में जाने वालों की संख्या दिन ब दिन बढती जा रही है , just beware कि आप भी इसके शिकार न हो जाएं .
3) Real Friends और relationships suffer करते हैं :
कई बार लोग बहुत proudly बताते हैं , “ Fb पे मेरे 500 friends हैं …” I am sure उनमे से आधे अगर सामने से गुजर जाएं तो वो उन्हें पहचान भी नहीं पायंगे . हकीकत में Fb पे हमारे friends कम और acquaintances ज्यादा होते हैं . खैर ये कोई खराब बात नहीं है …लेकिन अगर हम इन more or less fake relations को ज़रुरत से अधिक time देते हैं तो कहीं न कहीं हमें अपनी family और friends को जो time देना चाहिए उससे compromise करते हैं . I know हमारे close friends और relations भी Fb पे होते हैं , but frankly speaking Fb पर वो भी हमारे लिए आम लोगों की तरह हो जाते हैं , क्योंकि Fb तो एक भीड़ की तरह है …और भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता ….जो सामने पड़ा …like किया , comment दिया और आगे बढ़ गए ….individuals को attention देना ये Fb की आत्मा में ही नहीं है .
4) आप mainly addicts से communicate करने लगते हैं :
शायद आपने Pareto principle के बारे में सुना होगा …इस principle का कहना है कि 80% चीजों के लिए 20% चीजें जिम्मेदार होती हैं .
For eg. किसी company की 80 % sales 20% customers की वजह से होती है .
ऐसा ही कुछ Fb पे भी होता है …80% updates 20% लोगों द्वारा ही की जाती है …और आप बार बार उन्ही से linkup होते रहते हैं …and basically ये वही Addict kind of लोग होते हैं जो बस Fb से चिपके ही रहते हैं . और ऐसे लोगों से interact करना शायद ही कभी आपको काम की चीजें बता पाएं . ये mostly waste of time ही होता हैं .
5) आपको Socially active होने का भ्रम हो जाता है और reality इसके उलट होती है :
Facebook पे होने से कई लोग खुद को socially active समझने लगते हैं , और friends को hi -bye कर के अपना role पूरा समझ लेते हैं . धीरे -धीरे ये बिलकुल mechanical हो जाता है …आप Fb पे तो hi करते हैं लेकिन जब उसी दोस्त से college या office में मिलते हैं तो react भी नहीं करते …it is like आपकी online presence मायने रखती हो पर आपका खुद का मौजूद होना बेमानी हो .
और जब आप ऐसे behave करते हैं तो लोग आपको avoid करने लगते हैं और कहीं न कहीं आपको fake समझने लगते हैं . यानि आपको तो लगता है कि आप सबसे touch में हैं पर इसके उलट आप अपना touch खोते जाते हैं .
6) आपकी health पर बुरा असर पड़ता है :
Fb पर लगे रहने से आपको फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की प्रॉब्लम हो सकती हैं. आपकी आँखें कमजोर पड़ सकती हैं, गलत posture में बैठने से आपको स्पॉन्डिलाइटिस हो सकता है . और डिप्रेशन में जाने का खतरा तो हमेशा ही बना रहता है.
7) आप अपनी life के सबसे energetic days lazy entertainment में लगा देते हैं :
Fb use करने वालों की demography देखी जाए तो इसे सबसे अधिक teens और twenties के young लोग use करते हैं . अगर आप इस age group से बाहर हैं तो ये point आपके लिए applicable नहीं है.
Teenage और twenties life का वो time होता है जब आपके अन्दर energy की कोई कमी नहीं होती …कभी सोचा है कि इस वक्त भगवान् आपको सबसे अधिक energy क्यों देते है ….क्योंकि ये हमारे life making years होते हैं ….इस समय आपके सामने करने को बहुत कुछ होता है …..पढाई का बोझ या घर की जिम्मेदारी उठाने का challenge…अपना career chose करने और competition beat करने की कशमकश …अपने दिल कि सुनकर कुछ कर गुजरने की चाहत …parents के सामने हाथ फैलाने की जगह उनका हाथ थामने कि जिद्द …और ये सब करने के लिए उर्जा चाहिए …energy चाहिए ; but unfortunately Fb का over usage करने वाले उसे गलत जगह invest करते हैं . जहाँ उनके पास करने को इतने ज़रूरी काम हैं वो एक कोने में बैठ कर , and in ,most of the cases लेट कर …अपनी life के ये energetic days एकदम unproductive चीज में लगा देते हैं .
Friends अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि Fb एक शोर -शाराबे से भरे mall की तरह है …यहाँ थोडा वक़्त बीतायेंगे तो अच्छा लगेगा लेकिन अगर वहीँ घर बना कर रहने लगेंगे तो आपकी ज़िन्दगी औरों की आवाज़ के शोर में बहरी हो जाएगी . उसे बहरा मत होने दीजिये ….अपना time अपनी energy कुछ बड़ा , कुछ valuable , कुछ शानदार करने में लगाइए और जब आप ऐसा करेंगे तो आपके इस काम को सिर्फ आपके friends ही नही बल्कि पूरी दुनिया Like करेगी , और ऊपर वाला comment देगा , “gr8 job my son”
Mar 24, 2013
Mar 23, 2013
रिक्शेवाले का बेटा बना IAS officer ...
अगर career के point of view से देखा जाए तो India में थ्री आइज़ (3 Is) का कोई मुकाबला नही:
IIT,IIM, और IAS. लेकिन इन तीनो में IAS का रुतबा सबसे अधिक है . हर साल लाखों परीक्षार्थी IAS officer बनने की चाह में Civil Services के exam में बैठते हैं पर इनमे से 0.025 percent से भी कम लोग IAS officer बन पाते हैं . आप आसानी से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि IAS beat करना कितना मुश्किल काम है , और ऐसे में जो कोई भी इस exam को clear करता है उसके लिए अपने आप ही मन में एक अलग image बन जाती है . और जब ऐसा करने वाला किसी बहुत ही साधारण background से हो तो उसके लिए मन में और भी respect आना स्वाभाविक है .
आज GUPTA JI KI DAYARI पर मैं आपके साथ ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी share कर रहा हूँ जो हज़ारो दिक्कतों के बावजूद अपने दृढ निश्चय और मेहनत के बल पर IAS officer बना .
ये कहानी है Govind Jaiswal की , गोविन्द के पिता एक रिक्शा -चालक थे , बनारस की तंग गलियों में , एक 12 by 8 के किराए के कमरे में रहने वाला गोविन्द का परिवार बड़ी मुश्किल से अपना गुजरा कर पाता था . ऊपर से ये कमरा ऐसी जगह था जहाँ शोर -गुल की कोई कमी नहीं थी , अगल-बगल मौजूद फक्ट्रियों और जनरेटरों के शोर में एक दूसरे से बात करना भी मुश्किल था .
नहाने -धोने से लेकर खाने -पीने तक का सारा काम इसी छोटी सी जगह में Govind , उनके माता -पिता और दो बहने करती थीं . पर ऐसी परिस्थिति में भी गोविन्द ने शुरू से पढाई पर पूरा ध्यान दिया .
अपनी पढाई और किताबों का खर्चा निकालने के लिए वो class 8 से ही tuition पढ़ाने लगे . बचपन से एक असैक्षिक माहौल में रहने वाले गोविन्द को पढाई लिखाई करने पर लोगों के ताने सुनने पड़ते थे . “ चाहे तुम जितना पढ़ लो चलाना तो रिक्शा ही है ” पर गोविन्द इन सब के बावजूद पढाई में जुटे रहते . उनका कहना है . “ मुझे divert करना असंभव था .अगर कोई मुझे demoralize करता तो मैं अपनी struggling family के बारे में सोचने लगता .”
आस - पास के शोर से बचने के लिए वो अपने कानो में रुई लगा लेते , और ऐसे वक़्त जब disturbance ज्यादा होती तब Maths लगाते , और जब कुछ शांती होती तो अन्य subjects पढ़ते .रात में पढाई के लिए अक्सर उन्हें मोमबत्ती, ढेबरी , इत्यादि का सहारा लेना पड़ता क्योंकि उनके इलाके में १२-१४ घंटे बिजली कटौती रहती.
चूँकि वो शुरू से school topper रहे थे और Science subjects में काफी तेज थे इसलिए Class 12 के बाद कई लोगों ने उन्हें Engineering करने की सलाह दी ,. उनके मन में भी एक बार यह विचार आया , लेकिन जब पता चला की Application form की fees ही 500 रुपये है तो उन्होंने ये idea drop कर दिया , और BHU से अपनी graduation करने लगे , जहाँ सिर्फ 10 रूपये की औपचारिक fees थी .
Govind अपने IAS अफसर बनने के सपने को साकार करने के लिए पढ़ाई कर रहे थे और final preparation के लिए Delhi चले गए लेकिन उसी दौरान उनके पिता के पैरों में एक गहरा घाव हो गया और वो बेरोजगार हो गए . ऐसे में परिवार ने अपनी एक मात्र सम्पत्ती , एक छोटी सी जमीन को 30,000 रुपये में बेच दिया ताकि Govind अपनी coaching पूरी कर सके . और Govind ने भी उन्हें निराश नहीं किया , 24 साल की उम्र में अपने पहले ही attempt में (Year 2006) 474 सफल candidates में 48 वाँ स्थान लाकर उन्होंने अपनी और अपने परिवार की ज़िन्दगी हमेशा -हमेशा के लिए बदल दी .
Maths पर command होने के बावजूद उन्होंने mains के लिए Philosophy और History choose किया , और प्रारंभ से इनका अध्यन किया ,उनका कहना है कि , “ इस दुनिया में कोई भी subject कठिन नहीं है , बस आपके अनादर उसे crack करने की will-power होनी चाहिए .”
अंग्रेजी का अधिक ज्ञान ना होने पर उनका कहना था , “ भाषा कोई परेशानी नहीं है , बस आत्मव्श्वास की ज़रुरत है . मेरी हिंदी में पढने और व्यक्त करने की क्षमता ने मुझे achiever बनाया .अगर आप अपने विचार व्यक्त करने में confident हैं तो कोई भी आपको सफल होने से नहीं रोक सकता .कोई भी भाषा inferior या superior नहीं होती . ये महज society द्वारा बनाया गया एक perception है .भाषा सीखना कोई बड़ी बात नहीं है - खुद पर भरोसा रखो . पहले मैं सिर्फ हिंदी जानता था ,IAS academy में मैंने English पर अपनी पकड़ मजबूत की . हमारी दुनिया horizontal है —ये तो लोगों का perception है जो इसे vertical बनता है , और वो किसी को inferior तो किसी को superior बना देते हैं .”
गोविन्द जी की यह सफलता दर्शाती है की कितने ही आभाव क्यों ना हो यदि दृढ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई अपने लक्ष्य -प्राप्ति में जुट जाए तो उसे सफलता ज़रूर मिलती है . आज उन्हें IAS officer बने 5 साल हो चुके हैं पर उनके संघर्ष की कहानी हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी
IIT,IIM, और IAS. लेकिन इन तीनो में IAS का रुतबा सबसे अधिक है . हर साल लाखों परीक्षार्थी IAS officer बनने की चाह में Civil Services के exam में बैठते हैं पर इनमे से 0.025 percent से भी कम लोग IAS officer बन पाते हैं . आप आसानी से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि IAS beat करना कितना मुश्किल काम है , और ऐसे में जो कोई भी इस exam को clear करता है उसके लिए अपने आप ही मन में एक अलग image बन जाती है . और जब ऐसा करने वाला किसी बहुत ही साधारण background से हो तो उसके लिए मन में और भी respect आना स्वाभाविक है .
आज GUPTA JI KI DAYARI पर मैं आपके साथ ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी share कर रहा हूँ जो हज़ारो दिक्कतों के बावजूद अपने दृढ निश्चय और मेहनत के बल पर IAS officer बना .
ये कहानी है Govind Jaiswal की , गोविन्द के पिता एक रिक्शा -चालक थे , बनारस की तंग गलियों में , एक 12 by 8 के किराए के कमरे में रहने वाला गोविन्द का परिवार बड़ी मुश्किल से अपना गुजरा कर पाता था . ऊपर से ये कमरा ऐसी जगह था जहाँ शोर -गुल की कोई कमी नहीं थी , अगल-बगल मौजूद फक्ट्रियों और जनरेटरों के शोर में एक दूसरे से बात करना भी मुश्किल था .
नहाने -धोने से लेकर खाने -पीने तक का सारा काम इसी छोटी सी जगह में Govind , उनके माता -पिता और दो बहने करती थीं . पर ऐसी परिस्थिति में भी गोविन्द ने शुरू से पढाई पर पूरा ध्यान दिया .
अपनी पढाई और किताबों का खर्चा निकालने के लिए वो class 8 से ही tuition पढ़ाने लगे . बचपन से एक असैक्षिक माहौल में रहने वाले गोविन्द को पढाई लिखाई करने पर लोगों के ताने सुनने पड़ते थे . “ चाहे तुम जितना पढ़ लो चलाना तो रिक्शा ही है ” पर गोविन्द इन सब के बावजूद पढाई में जुटे रहते . उनका कहना है . “ मुझे divert करना असंभव था .अगर कोई मुझे demoralize करता तो मैं अपनी struggling family के बारे में सोचने लगता .”
आस - पास के शोर से बचने के लिए वो अपने कानो में रुई लगा लेते , और ऐसे वक़्त जब disturbance ज्यादा होती तब Maths लगाते , और जब कुछ शांती होती तो अन्य subjects पढ़ते .रात में पढाई के लिए अक्सर उन्हें मोमबत्ती, ढेबरी , इत्यादि का सहारा लेना पड़ता क्योंकि उनके इलाके में १२-१४ घंटे बिजली कटौती रहती.
चूँकि वो शुरू से school topper रहे थे और Science subjects में काफी तेज थे इसलिए Class 12 के बाद कई लोगों ने उन्हें Engineering करने की सलाह दी ,. उनके मन में भी एक बार यह विचार आया , लेकिन जब पता चला की Application form की fees ही 500 रुपये है तो उन्होंने ये idea drop कर दिया , और BHU से अपनी graduation करने लगे , जहाँ सिर्फ 10 रूपये की औपचारिक fees थी .
Govind अपने IAS अफसर बनने के सपने को साकार करने के लिए पढ़ाई कर रहे थे और final preparation के लिए Delhi चले गए लेकिन उसी दौरान उनके पिता के पैरों में एक गहरा घाव हो गया और वो बेरोजगार हो गए . ऐसे में परिवार ने अपनी एक मात्र सम्पत्ती , एक छोटी सी जमीन को 30,000 रुपये में बेच दिया ताकि Govind अपनी coaching पूरी कर सके . और Govind ने भी उन्हें निराश नहीं किया , 24 साल की उम्र में अपने पहले ही attempt में (Year 2006) 474 सफल candidates में 48 वाँ स्थान लाकर उन्होंने अपनी और अपने परिवार की ज़िन्दगी हमेशा -हमेशा के लिए बदल दी .
Maths पर command होने के बावजूद उन्होंने mains के लिए Philosophy और History choose किया , और प्रारंभ से इनका अध्यन किया ,उनका कहना है कि , “ इस दुनिया में कोई भी subject कठिन नहीं है , बस आपके अनादर उसे crack करने की will-power होनी चाहिए .”
अंग्रेजी का अधिक ज्ञान ना होने पर उनका कहना था , “ भाषा कोई परेशानी नहीं है , बस आत्मव्श्वास की ज़रुरत है . मेरी हिंदी में पढने और व्यक्त करने की क्षमता ने मुझे achiever बनाया .अगर आप अपने विचार व्यक्त करने में confident हैं तो कोई भी आपको सफल होने से नहीं रोक सकता .कोई भी भाषा inferior या superior नहीं होती . ये महज society द्वारा बनाया गया एक perception है .भाषा सीखना कोई बड़ी बात नहीं है - खुद पर भरोसा रखो . पहले मैं सिर्फ हिंदी जानता था ,IAS academy में मैंने English पर अपनी पकड़ मजबूत की . हमारी दुनिया horizontal है —ये तो लोगों का perception है जो इसे vertical बनता है , और वो किसी को inferior तो किसी को superior बना देते हैं .”
गोविन्द जी की यह सफलता दर्शाती है की कितने ही आभाव क्यों ना हो यदि दृढ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई अपने लक्ष्य -प्राप्ति में जुट जाए तो उसे सफलता ज़रूर मिलती है . आज उन्हें IAS officer बने 5 साल हो चुके हैं पर उनके संघर्ष की कहानी हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी
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inspiral
जिस काम में मन लगे वो करना चाहिए ...
ज्यादातर लोग लाइफ में जो आसानी से मिल जाता है उसे ही अपनी किस्मत मान लेते हैं और बस यूँही सस्ते में अपनी ज़िन्दगी बिता देते हैं ?
ऐसा शायद इसलिए होता है क्योंकि दिल की सुनना आसान नहीं होता …इसमें कई challenges आते हैं , और आज मैं ऐसे ही कुछ challenges के बारे में आपसे अपनी thoughts share कर रहा हूँ . इन्हें share करने का मेरा motive ये है कि यदि आप उनमे से हैं जो अपने सपनो को पूरा करने में लगे हैं या future में लगने वाले हैं तो इन challenges से घबराएं नहीं …आप अकेले इनका सामना नहीं कर रहे हैं …आपकी gene का हर आदमी more or less in challenges को face करता है , कुछ इनके आगे निकल जाते हैं तो कुछ हार मान लेते हैं. अब ये आप पर depend करता है कि आप क्या करते हैं!!!
तो आइये जानते हैं इन 7 challenges को :
1) Society का opposition:
यदि आपका passion लीक से हटकर हो तो आप को समाज के विरोध के लिए तैयार रहना चाहिए . सबसे ज्यादा opposition तो आपकी family से ही हो सकता है …क्योंकि वही आपकी सबसे अधिक चिंता करते हैं . ख़ास तौर पर middle class families जहाँ job को ही सबसे safe माना जाता है वहां यदि आप कुछ entrepreneurial करने का सोचते हैं तो family आपके खिलाफ हो जाती है . उनका विरोध human nature के इस fact को दर्शाता है कि हम unknown या कुछ नए को accept करने से डरते हैं ….पर जब आप अपने काम में लगे रहते हैं तो धीरे धीरे वही लोग आपकी मदद में सामने आ जाते हैं . इसलिए इस initial opposition को part of process समझें और इससे घबराये नहीं . जहाँ तक हो सके बस अपनी family को confidence में लेने का प्रयास करें , बाकियों का तो सोचे भी नहीं .
2) दोस्त आगे निकल जाते हैं :
सभी का अपना -अपना friend circle होता है , मौज – मस्ती होती है .. exam की tension होती है … हम बड़े होते हैं और फिर ज़िन्दगी की so called race में लग जाते हैं …..ज्यादातर लोग conventional wisdom अपनाते हुए , doctor ,engineer, सरकारी नौकरी …etc के चक्कर में लग जाते हैं और देर -सबेर इसमें कामयाब भी हो जाते हैं . अगर सचमुच आप दिल से यही करना चाहते थे तो इसमें कोई बुराई नहीं है ….दिल की सुनना हमेशा ….singer , cricketer या actor बनना ही नहीं होता ….ये Engineer, doctor बन कर देश की सेवा करना भी हो सकता है . और एक दूसरे case में भी यह करना सही है – जब आप clear नहीं होते की आप दरअसल life में करना क्या चाहते हैं, तो भी आप यही रास्ता चुन सकते हैं ..इसमें कम से कम आप financially secure रहेंगे , जो कि बेहद ज़रूरी है .
Challenge तब आता है जब आप अपने life goals को लेकर clear होते हैं , और अपने रास्ते पर निकल पड़ते हैं . और ऐसा life की किसी भी stage में हो सकता है , पहले हो जाता है तो ठीक है , पर अधिकतर ये clarity थोड़ी देर से आती है इसलिए जब आप इस दिशा में बढ़ते हैं तो आप पाते हैं कि अभी आपने शुरुआत भर की है और आपके बाकी दोस्त conventional path follow करते हुए एक well- settled life ( society की नज़र में ) की तरफ बढ़ चुके हैं . यहाँ आपको थोड़ी उलझन हो सकती है , आपके मन में doubt आ सकता है कि आप ही की उम्र के लोग इतने पैसे कमा रहे हैं और आप अभी struggle ही कर रहे हैं …..ऐसा लग सकता है कि आप कहीं गलती तो नहीं कर रहे हैं , और यहीं पर आपको डंटे रहना है .
अपने काम में believe करिए , इन distractions की life बहुत छोटी होती है , अगर आप सचमुच अपने काम को लेकर passionate हैं तो आप जल्द ही इनसे पार पा लेंगे . जब अमिताभ बच्चन को 27-28 साल की उम्र में पहली बार फिल्मो में ब्रेक मिला था तो उस वक़्त तक उनके भी बहुत सारे classmates अच्छी नौकरियों में settle हो चुके थे , ऐसे में उनके भी अन्दर सवाल उठे होंगे , पर उन्होंने उन distractions को खुद पर हावी नहीं होने दिया और इतने महान अभिनेता बने .
आप भी औरों के आगे निकलने से परेशान मत होइए , ….लम्बी race के घोड़े शुरू में धीमे-धीमे ही दौड़ते हैं .
3) सफलता के लिए लम्बा इंतज़ार :
कई बार लोग कामयाबी के बहुत करीब पहुच कर हार मान लेते हैं . आपको ध्यान देना होगा कि आप अपने काम को अंजाम तक पहुचाएं , किसी भी काम को करने में time तो लगता ही है और जब काम बड़ा हो तो समय भी बड़ा लगता है .
Kentucky Fried Chicken (KFC) के founder Colonel Sanders ने जब अपनी business idea के लिए लोगों को convince करना चाहा तो उन्हें हज़ार से भी अधिक बार ना सुननी पड़ी. वह अपनी कार में एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे और restaurant मालिकों से मिलते रहे , और इस दौरान कई बार उन्हें अपनी कार में ही सोना पड़ता था. पर इतनी ना सुनने के बाद भी उन्हें अपनी चिकन बनाने की secret recipe पर यकीन था और देर से ही सही पर उन्हें सफलता मिली और आज KFC दुनिया भर में एक successful brand के रूप में जाना जाता है.
4) आपके दिल का काम financially rewarding ….नहीं भी हो सकता है :
May be आप जिस चीज को लेकर passionate हैं वो आपको satisfaction तो दे पर उतने पैसे ना दे . For example आप as a social activist काम करना चाहते हों , या किसी NGO के लिए अपना time देना चाहते हों . तो ऐसे में आपको पहले से अपना mind make-up कर के रखना होगा कि आप वो पा रहे हैं जो पैसे से नहीं पाया जा सकता और इसी सोच के साथ आपको अपने काम में लगे रहना होता है .
यहाँ मैं एक चीज ज़रूर कहना चाहूँगा कि ऐसी fields में भी जब आप fully involved हो कर काम करते हैं तो देर -सबेर आपको financially भी इसका reward मिलता है , आप निःस्वार्थ भाव से अपने काम में लगे रहिये आपका काम ही आपका reward है .
5) Boredom:
ऐसा भी होता है कि आप जिस चीज को करना बहुत अधिक पसंद करते हैं उसी को करने में बोरीयत होने लगे , ऐसे में आपको ये नहीं सोचना चाहिए कि आपका passion ख़तम हो गया है बल्कि अपने काम को interesting बनाने के लिए नए तरीके और ideas खोजने चाहिए . कुछ दिन में खुद -बखुद boredom ख़तम हो जायेगा और आप फिर से उसी जोशो -जूनून के साथ अपने dream को pursue कर पायेंगे .
इतना ध्यान रखिये कि अपने दिल की सुनने वाला हर एक सफल व्यक्ति कभी ना कभी इस phase से गुजरता है इसलिए अगर आप भी इस phase से गुजरें तो just be relaxed….ये भी सफलता के मार्ग में आने वाले एक पड़ाव भर है .
6) Focus loose करना :
I think ये सबसे बड़ा challenge है जो ज्यादातर सपनो को पूरा नहीं होने देता . मेरी तरह आपने भी कई बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि , “ Well begun is half done….पहला step लेना ही सबसे कठिन है उसके बाद सब हो जाता है ….etc” पर मुझे लगता है कि पहला step लेना आसान है , आप कोई भी काम कुछ effort डाल कर शुरू कर सकते हैं …कठिन तो उसे पूरा करना है, उसमे सफलता पाना है.
होता क्या है कि आप पूरी energy के साथ अपने दिल के कहे रास्ते पर बढ़ते हैं , पर कुछ दूर जाने के बाद ही आपको कई नए alternatives दिखने लगते हैं ….आपके मन में आने लगता है कि शायद ये काम छोड़ कर वो करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा … फिर आप जो कर रहे होते हैं उसमे आपका focus कम होने लगता है …आप दूसरी idea की तरफ attract होने लगते हैं …और ऐसा करने से आप जो कर रहे होते हैं उसमे भी आप अपना 100% नहीं दे पाते हैं and ultimately success से दूर रह जाते हैं . इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने आगाज़ को अंजाम तक पहुंचाएं , बीच में अपना focus ना loose करें .
स्वामी विवेकानंद ने भी सफल होने के लिए यही मन्त्र दिया है , “
“ एक विचार लो . उस विचार को अपना जीवन बना लो - उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस विचार को जियो . अपने मस्तिष्क , मांसपेशियों , नसों , शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो , और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो . यही सफल होने का तरीका है.”
7) आपको ये पता चलना कि आप जो कर रहे हैं वो आपका passion नहीं है :
Shockingggg !!! लेकिन ये एक बहुत ही common scenario है, भले ही आप खुद इसे accept करने से कतराएं .
हर दिन हर पल हम बदल रहे हैं , हम तब तक अपनी true liking नहीं जान पाते जब तक हम उस काम को practically कर के नहीं देखते . हम कोई article पढ़ के , कोई program देख के, किसी दोस्त के influence में , या किसी और वजह से किसी काम को अपना passion समझ लेते हैं और उसे करना शुरू करते हैं पर कुछ दिनों बाद ही हम उस काम से उबने लगते हैं , to the extent that हम उसे करना ही नहीं चाहते . यह कुछ कुछ Boredom जैसा ही है पर ये boredom का बहुत बड़ा और बिगड़ा हुआ रूप है जिसमे आप धीरे -धीरे उस काम को ना करने के excuses खोजने लगते हैं .
जब ऐसा हो तो क्या करें ? Simple, अपने नए passion की तालाश शुरू करें , और उसे भी practically apply करके देखें , और अगर इस बार भी आपको लगे कि ये आपके दिल की आवाज़ नहीं है तो फिर अपने असली जूनून को खोजने में जुट जाएं . ये जीवन भर बेमन का काम करने से अच्छा है कि देर से ही सही पर आप अपना passion खोज पाएं , और जब तक आपको यह नहीं मिलता तब तक खुद को financially support करने के लिए कुछ और भी करते रहे ,may be a 9 to 5 job…tuition पढ़ाना …family business….etc, पर अपने passion की तालाश को रोकें नहीं …उसे खोज निकालें …एक दिन यही खोज आपको mediocre life से निकाल कर superior life की तरफ ले जायेगी.
Friends, तो ये थे वो सात challenges जो आमतौर पर आपको दिल की आवाज़ सुनने में face करने पड़ सकते हैं , पर ध्यान रहे कि ये कोई comprehensive list नहीं है , इसके आलावा भी कई और challenges हैं जो आपके सामने आ सकते हैं , जैसे कि पैसों की कमी , परिवार की जिम्मेदारी , etc. पर इन सब के बावजूद passionate लोग वो सब कुछ कर गुजरते हैं जो वो करना चाहते हैं ….आप भी इन challenges की वजह से अपने जोश को ठंढा मत पड़ने दीजिये और अपने dreams को reality बना कर दिखाइए , तभी जीने का असली मजा है .
ऐसा शायद इसलिए होता है क्योंकि दिल की सुनना आसान नहीं होता …इसमें कई challenges आते हैं , और आज मैं ऐसे ही कुछ challenges के बारे में आपसे अपनी thoughts share कर रहा हूँ . इन्हें share करने का मेरा motive ये है कि यदि आप उनमे से हैं जो अपने सपनो को पूरा करने में लगे हैं या future में लगने वाले हैं तो इन challenges से घबराएं नहीं …आप अकेले इनका सामना नहीं कर रहे हैं …आपकी gene का हर आदमी more or less in challenges को face करता है , कुछ इनके आगे निकल जाते हैं तो कुछ हार मान लेते हैं. अब ये आप पर depend करता है कि आप क्या करते हैं!!!
तो आइये जानते हैं इन 7 challenges को :
1) Society का opposition:
यदि आपका passion लीक से हटकर हो तो आप को समाज के विरोध के लिए तैयार रहना चाहिए . सबसे ज्यादा opposition तो आपकी family से ही हो सकता है …क्योंकि वही आपकी सबसे अधिक चिंता करते हैं . ख़ास तौर पर middle class families जहाँ job को ही सबसे safe माना जाता है वहां यदि आप कुछ entrepreneurial करने का सोचते हैं तो family आपके खिलाफ हो जाती है . उनका विरोध human nature के इस fact को दर्शाता है कि हम unknown या कुछ नए को accept करने से डरते हैं ….पर जब आप अपने काम में लगे रहते हैं तो धीरे धीरे वही लोग आपकी मदद में सामने आ जाते हैं . इसलिए इस initial opposition को part of process समझें और इससे घबराये नहीं . जहाँ तक हो सके बस अपनी family को confidence में लेने का प्रयास करें , बाकियों का तो सोचे भी नहीं .
2) दोस्त आगे निकल जाते हैं :
सभी का अपना -अपना friend circle होता है , मौज – मस्ती होती है .. exam की tension होती है … हम बड़े होते हैं और फिर ज़िन्दगी की so called race में लग जाते हैं …..ज्यादातर लोग conventional wisdom अपनाते हुए , doctor ,engineer, सरकारी नौकरी …etc के चक्कर में लग जाते हैं और देर -सबेर इसमें कामयाब भी हो जाते हैं . अगर सचमुच आप दिल से यही करना चाहते थे तो इसमें कोई बुराई नहीं है ….दिल की सुनना हमेशा ….singer , cricketer या actor बनना ही नहीं होता ….ये Engineer, doctor बन कर देश की सेवा करना भी हो सकता है . और एक दूसरे case में भी यह करना सही है – जब आप clear नहीं होते की आप दरअसल life में करना क्या चाहते हैं, तो भी आप यही रास्ता चुन सकते हैं ..इसमें कम से कम आप financially secure रहेंगे , जो कि बेहद ज़रूरी है .
Challenge तब आता है जब आप अपने life goals को लेकर clear होते हैं , और अपने रास्ते पर निकल पड़ते हैं . और ऐसा life की किसी भी stage में हो सकता है , पहले हो जाता है तो ठीक है , पर अधिकतर ये clarity थोड़ी देर से आती है इसलिए जब आप इस दिशा में बढ़ते हैं तो आप पाते हैं कि अभी आपने शुरुआत भर की है और आपके बाकी दोस्त conventional path follow करते हुए एक well- settled life ( society की नज़र में ) की तरफ बढ़ चुके हैं . यहाँ आपको थोड़ी उलझन हो सकती है , आपके मन में doubt आ सकता है कि आप ही की उम्र के लोग इतने पैसे कमा रहे हैं और आप अभी struggle ही कर रहे हैं …..ऐसा लग सकता है कि आप कहीं गलती तो नहीं कर रहे हैं , और यहीं पर आपको डंटे रहना है .
अपने काम में believe करिए , इन distractions की life बहुत छोटी होती है , अगर आप सचमुच अपने काम को लेकर passionate हैं तो आप जल्द ही इनसे पार पा लेंगे . जब अमिताभ बच्चन को 27-28 साल की उम्र में पहली बार फिल्मो में ब्रेक मिला था तो उस वक़्त तक उनके भी बहुत सारे classmates अच्छी नौकरियों में settle हो चुके थे , ऐसे में उनके भी अन्दर सवाल उठे होंगे , पर उन्होंने उन distractions को खुद पर हावी नहीं होने दिया और इतने महान अभिनेता बने .
आप भी औरों के आगे निकलने से परेशान मत होइए , ….लम्बी race के घोड़े शुरू में धीमे-धीमे ही दौड़ते हैं .
3) सफलता के लिए लम्बा इंतज़ार :
कई बार लोग कामयाबी के बहुत करीब पहुच कर हार मान लेते हैं . आपको ध्यान देना होगा कि आप अपने काम को अंजाम तक पहुचाएं , किसी भी काम को करने में time तो लगता ही है और जब काम बड़ा हो तो समय भी बड़ा लगता है .
Kentucky Fried Chicken (KFC) के founder Colonel Sanders ने जब अपनी business idea के लिए लोगों को convince करना चाहा तो उन्हें हज़ार से भी अधिक बार ना सुननी पड़ी. वह अपनी कार में एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे और restaurant मालिकों से मिलते रहे , और इस दौरान कई बार उन्हें अपनी कार में ही सोना पड़ता था. पर इतनी ना सुनने के बाद भी उन्हें अपनी चिकन बनाने की secret recipe पर यकीन था और देर से ही सही पर उन्हें सफलता मिली और आज KFC दुनिया भर में एक successful brand के रूप में जाना जाता है.
4) आपके दिल का काम financially rewarding ….नहीं भी हो सकता है :
May be आप जिस चीज को लेकर passionate हैं वो आपको satisfaction तो दे पर उतने पैसे ना दे . For example आप as a social activist काम करना चाहते हों , या किसी NGO के लिए अपना time देना चाहते हों . तो ऐसे में आपको पहले से अपना mind make-up कर के रखना होगा कि आप वो पा रहे हैं जो पैसे से नहीं पाया जा सकता और इसी सोच के साथ आपको अपने काम में लगे रहना होता है .
यहाँ मैं एक चीज ज़रूर कहना चाहूँगा कि ऐसी fields में भी जब आप fully involved हो कर काम करते हैं तो देर -सबेर आपको financially भी इसका reward मिलता है , आप निःस्वार्थ भाव से अपने काम में लगे रहिये आपका काम ही आपका reward है .
5) Boredom:
ऐसा भी होता है कि आप जिस चीज को करना बहुत अधिक पसंद करते हैं उसी को करने में बोरीयत होने लगे , ऐसे में आपको ये नहीं सोचना चाहिए कि आपका passion ख़तम हो गया है बल्कि अपने काम को interesting बनाने के लिए नए तरीके और ideas खोजने चाहिए . कुछ दिन में खुद -बखुद boredom ख़तम हो जायेगा और आप फिर से उसी जोशो -जूनून के साथ अपने dream को pursue कर पायेंगे .
इतना ध्यान रखिये कि अपने दिल की सुनने वाला हर एक सफल व्यक्ति कभी ना कभी इस phase से गुजरता है इसलिए अगर आप भी इस phase से गुजरें तो just be relaxed….ये भी सफलता के मार्ग में आने वाले एक पड़ाव भर है .
6) Focus loose करना :
I think ये सबसे बड़ा challenge है जो ज्यादातर सपनो को पूरा नहीं होने देता . मेरी तरह आपने भी कई बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि , “ Well begun is half done….पहला step लेना ही सबसे कठिन है उसके बाद सब हो जाता है ….etc” पर मुझे लगता है कि पहला step लेना आसान है , आप कोई भी काम कुछ effort डाल कर शुरू कर सकते हैं …कठिन तो उसे पूरा करना है, उसमे सफलता पाना है.
होता क्या है कि आप पूरी energy के साथ अपने दिल के कहे रास्ते पर बढ़ते हैं , पर कुछ दूर जाने के बाद ही आपको कई नए alternatives दिखने लगते हैं ….आपके मन में आने लगता है कि शायद ये काम छोड़ कर वो करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा … फिर आप जो कर रहे होते हैं उसमे आपका focus कम होने लगता है …आप दूसरी idea की तरफ attract होने लगते हैं …और ऐसा करने से आप जो कर रहे होते हैं उसमे भी आप अपना 100% नहीं दे पाते हैं and ultimately success से दूर रह जाते हैं . इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने आगाज़ को अंजाम तक पहुंचाएं , बीच में अपना focus ना loose करें .
स्वामी विवेकानंद ने भी सफल होने के लिए यही मन्त्र दिया है , “
“ एक विचार लो . उस विचार को अपना जीवन बना लो - उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस विचार को जियो . अपने मस्तिष्क , मांसपेशियों , नसों , शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो , और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो . यही सफल होने का तरीका है.”
7) आपको ये पता चलना कि आप जो कर रहे हैं वो आपका passion नहीं है :
Shockingggg !!! लेकिन ये एक बहुत ही common scenario है, भले ही आप खुद इसे accept करने से कतराएं .
हर दिन हर पल हम बदल रहे हैं , हम तब तक अपनी true liking नहीं जान पाते जब तक हम उस काम को practically कर के नहीं देखते . हम कोई article पढ़ के , कोई program देख के, किसी दोस्त के influence में , या किसी और वजह से किसी काम को अपना passion समझ लेते हैं और उसे करना शुरू करते हैं पर कुछ दिनों बाद ही हम उस काम से उबने लगते हैं , to the extent that हम उसे करना ही नहीं चाहते . यह कुछ कुछ Boredom जैसा ही है पर ये boredom का बहुत बड़ा और बिगड़ा हुआ रूप है जिसमे आप धीरे -धीरे उस काम को ना करने के excuses खोजने लगते हैं .
जब ऐसा हो तो क्या करें ? Simple, अपने नए passion की तालाश शुरू करें , और उसे भी practically apply करके देखें , और अगर इस बार भी आपको लगे कि ये आपके दिल की आवाज़ नहीं है तो फिर अपने असली जूनून को खोजने में जुट जाएं . ये जीवन भर बेमन का काम करने से अच्छा है कि देर से ही सही पर आप अपना passion खोज पाएं , और जब तक आपको यह नहीं मिलता तब तक खुद को financially support करने के लिए कुछ और भी करते रहे ,may be a 9 to 5 job…tuition पढ़ाना …family business….etc, पर अपने passion की तालाश को रोकें नहीं …उसे खोज निकालें …एक दिन यही खोज आपको mediocre life से निकाल कर superior life की तरफ ले जायेगी.
Friends, तो ये थे वो सात challenges जो आमतौर पर आपको दिल की आवाज़ सुनने में face करने पड़ सकते हैं , पर ध्यान रहे कि ये कोई comprehensive list नहीं है , इसके आलावा भी कई और challenges हैं जो आपके सामने आ सकते हैं , जैसे कि पैसों की कमी , परिवार की जिम्मेदारी , etc. पर इन सब के बावजूद passionate लोग वो सब कुछ कर गुजरते हैं जो वो करना चाहते हैं ….आप भी इन challenges की वजह से अपने जोश को ठंढा मत पड़ने दीजिये और अपने dreams को reality बना कर दिखाइए , तभी जीने का असली मजा है .
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STEVE JOBS (स्टीव जोब्स) का. APPLE Company के co-founder
जब कभी दुनिया के सबसे प्रभावशाली entrepreneurs का नाम लिया जाता है तो उसमे कोई और नाम हो न हो ,एक नाम ज़रूर आता है. और वो नाम है STEVE JOBS (स्टीव जोब्स) का. APPLE Company के co-founder इस अमेरिकी को दुनिया सिर्फ एक successful entrepreneur , inventor और businessman के रूप में ही नहीं जानती है बल्कि उन्हें world के अग्रणी motivators और speakers में भी गिना जाता है. और आज आपके साथ good quality Hindi articles share करने की अपनी commitment को पूरा करते हुए हम AchhiKhabr.Com पर आपके साथ Steve Jobs की अब तक की one of the best speech “Stay Hungry Stay Foolish” Hindi में share कर रहे हैं. यह speech उन्होंने Stanford University के convocation ceremony (दीक्षांत समारोह) में 12 June 2005 को दी थी.
यह Post थोड़ी लंबी है. लगभग 2250 शब्दों की, इसलिए यदि आप चाहें तो WWW.NANDKISHOR6.BLOGSPOT.IN को Bookmark या Favourites में list कर लें . ताकि यदि आप एक बार में पूरी post न पढ़ पायें तो आसानी से फिर इस पेज पर आ सकें.
तो चलिए पढते हैं – One of the best speech ever by Steve Jobs , translated in Hindi:
STEVE JOBS CONVOCATION SPEECH AT STANFORD
“Stay Hungry Stay Foolish”
“Thank You; आज world की सबसे बहेतरीन Universities में से एक के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ. मैं आपको एक सच बता दूं ; मैं कभी किसी college से pass नहीं हुआ; और आज पहली बार मैंकिसी college graduation ceremony के इतना करीब पहुंचा हूँ. आज मैं आपको अपने जीवन की तीन कहानिया सुनाना चाहूँगा… ज्यादा कुछ नहीं बस तीन कहानिया.
मेरी पहली कहानी , dots connect करने के बारे में है. Reed College में दाखिला लेने के 6 महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी, पर मैं उसके 18 महीने बाद तक वहाँ किसी तरह आता-जाता रहा. तो सवाल उठता है कि मैंने college क्यों छोड़ा? ….Actually, इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है.
मेरी biological mother* एक young , अविवाहित graduate student थी, और वह मुझे किसी और को adoption के लिए देना चाहती थी. पर उनकी एक ख्वाईश थी की कोई college graduate ही मुझे adopt करे. सबकुछ बिलकुल set था और मैं एक वकील और उसकी wife के द्वारा adopt किया जाने वाला था कि अचानक उस couple ने अपना विचार बदल दिया और decide किया कि उन्हें एक लड़की चाहिए. इसलिए तब आधी-रात को मेरे parents, जो तब waiting list में थे,को call करके बोला गया कि , “हमारे पास एक baby-boy है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी. बाद में मेरी biological mother को पता चला कि मेरी माँ college pass नहीं हैं और पिता तो High School पास भी नहीं हैं. इसलिए उन्होंने Adoption Papers sign करने से मना कर दिया; पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले parents के मुझे college भेजने के आश्वाशनके बाद वो मान गयीं. तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई और सत्रह साल बाद मैं college गया..पर गलती से मैंने Stanford जितना ही महंगा college चुन लिया. मेरे working-class parents की सारी जमा-पूँजी मेरी पढाई में जाने लगी. 6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई value नहीं दिखी.मुझे कुछ idea नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूँ, और college मुझे किस तरह से इसमें help करेगा..और ऊपर से मैं अपनी parents की जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था. इसलिए मैंने कॉलेज drop-out करने का निर्णय लिए…और सोचा जो होगा अच्छा होगा. उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा decision था.
जैसे ही मैंने college छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी classes करने की बाध्यता खत्म हो गयी . और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने interest की classes करने लगा. ये सब कुछ इतना आसान नहीं था. मेरे पास रहने के लिए कोई room नहीं था , इसलिए मुझे दोस्तों के room में फर्श पे सोना पड़ता था.मैं coke की bottle को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खता था.,मैं हर Sunday 7 मील पैदल चल कर Hare Krishna Temple जाता था ,ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं. यह मुझे काफी अच्छा लगता था.
.मैंने अपनी life में जो भी अपनी curiosity और intuition की वजह से किया वह बाद में मेरे लिए priceless साबित हुआ. Let me give an example. उस समय Reed College शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहाँ Calligraphy* सिखाई जाती थी. पूरे campus में हर एक poster , हर एक label बड़ी खूबसूरती से हांथों से calligraph किया होता था .चूँकि मैं college से drop-out कर चुका था इसलिए मुझे normal classes करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैंने तय किया की मैं calligraphy की classes करूँगा और इसे अछ्छी तरह से सीखूंगा. मैंने serif और sans-serif type-faces के बारे में सीखा.; अलग-अलग letter-combination के बीच में space vary करना और किसी अच्छी typography को क्या चीज अच्छा बनाती है , यह भी सीखा . यह खूबसूरत था, इतना artistic था कि इसे science द्वारा capture नहीं किया जा सकता था, और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था. उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का use कभी अपनी life में करूँगा. लेकिन जब दस साल बाद हम पहला Macintosh Computer बना रहे थे तब मैंने इसे Mac में design कर दिया. और Mac खूबसूरत typography युक्त दुनिया का पहला computer बन गया.अगर मैंने college से drop-out नहीं किया होता तो Mac मैं कभी multiple-typefaces या proportionally spaced fonts नहीं होते , और चूँकि Windows ने Mac की copy की थी तो शायद ये किसी भी personal computer में ये चीजें नहीं होतीं. अगर मैंने कभी drop-out ही नहीं किया होता तो मैं कभी calligraphy की वो classes नहीं कर पाता और फिर शायद personal computers में जो fonts होते हैं , वो होते ही नहीं.
Of course, जब मैं college में था तब भविष्य में देख कर इन dots को connect करना impossible था; लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है. आप कभी भी future में झांक कर dots connect नहीं कर सकते हैं. आप सिर्फ past देखकर ही dots connect कर सकते हैं; इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके future से connect हो जायेगा. आपको किसी न किसी चीज में विश्ववास करना ही होगा —अपने guts में, अपनी destiny में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में…किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा…क्योंकि इस बात में believe करना की आगे चल कर dots connect होंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा…तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे…and that will make the difference.
मेरी दूसरी कहानी , love और loss के बारे में है. मैं जिस चीज को चाहता था वह मुझे जल्दी ही मिल गयी. Woz और मैंने अपने parents के गराज से Apple शरू की तब मैं 20 साल का था. हमने बहुत मेहनत की और 10 साल में Apple दो लोगों से बढ़ कर $2 Billion और 4000 लोगों की company हो गयी. हमने अभी एक साल पहले ही अपनी finest creation Macintosh release की , मैं तीस का हो गया था और मुझे company से fire कर दिया गया.
Young Steve Jobs
आप अपनी बनायीं हुई company से fire कैसे हो सकते हैं ? Well, जैसे-जैसे company grow की, हमने एक ऐसे talented आदमी को hire किया ,जिसे मैंने सोचा कि वो मेरे साथ company run करेगा , पहले एक साल सब-कुछ ठीक-ठाक चला…. लेकिन फिर company के future vision को लेके हम दोनों में मतभेद होने लगे. बात Board Of Directors तक पहुँच गयी, और उन लोगों ने उसका साथ दिया,so at thirty , मुझे निकाल दिया गया…publicly निकाल दिया गया. जो मेरी पूरी adult life का focus था वह अब खत्म हो चुका था, और ये बिलकुल ही तबाह करने वाला था. मुझे सचमुच अगले कुछ महीनो तक समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं.
मुझे महसूस हुआ कि ये सबकुछ इतनी आसानी से accept करके मैंने अपने पहले कि generation के entrepreneurs को नीचा दिखाया है. मैं David Packard* और Bob Noyce* से मिला और उनसे सबकुछ ऐसे हो जाने पर माफ़ी मांगी. मैं एक बहुत बड़ा public failure था, एक बार तो मैंने valley* छोड़ कर जाने की भी सोची.पर धीरे – धीरे मुझे अहसास हुआ की मैं जो काम करता हूं, उसके लिए मैं अभी भी passionate हूँ. Apple में जो कुछ हुआ उसकी वजह से मेरे passion में ज़रा भी कमी नहीं आई है….मुझे reject कर दिया गया है, पर मैं अभी भी अपने काम से प्यार करता हूँ. इसलिए मैंने एक बार फिर से शुरुआत करने की सोची. मैंने तब नहीं सोचा पर अब मुझे लगता है की Apple से fire किये जाने से अच्छी चीज मेरे साथ हो ही नहीं सकती थी. Successful होने का बोझ अब beginner होने के हल्केपन में बदल चूका था , मैं एक बार फिर खुद को बहुत free महसूस कर रहा था…इस स्वछंदता की वज़ह से मैं अपनी life की सबसे creative period में जा पाया.
अगले पांच सालों में मैंने एक company … NeXT और एक दूसरी कंपनी Pixar start की और इसी दौरान मेरी मुलाक़ात एक बहुत ही amazing lady से हुई ,जो आगे चलकर मेरी wife बनी. Pixar ने दुनिया की पहली computer animated movie , “ Toy Story” बनायीं, और इस वक्त यह दुनिया का सबसे सफल animation studio है. Apple ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए NeXT को खरीद लिया और मैं Apple में वापस चला गया. आज Apple, NeXT द्वारा develop की गयी technology use करती है….अब Lorene और मेरा एक सुन्दर सा परिवार है. मैं बिलकुल surety के साथ कह सकता हूँ की अगर मुझे Apple से नहीं निकाला गया होता तो मेरे साथ ये सब-कुछ नहीं होता. ये एक कड़वी दवा थी …पर शायद patient को इसकी ज़रूरत थी.कभी-कभी जिंदगी आपको इसी तरह ठोकर मारती है. अपना विश्वाश मत खोइए. मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ इसलिए आगे बढ़ता गया क्योंकि मैं अपने काम से प्यार करता था…I loved my work.
आप really क्या करना पसंद करते हैं यह आपको जानना होगा, जितना अपने love को find करना ज़रूरी है, उतना ही उस काम को ढूँढना ज़रूरी जिसे आप सच-मुच enjoy करते हों आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है की आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम समझते हों...और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है की आप वो करें जो करना आप enjoy करते हों.यदि आपको अभी तक वो काम नहीं मिला है तो आप रूकिये मत..उसे खोजते रहिये. जैसा कि दिल से जुडी हर चीज में होता है…वो जब आपको मिलेगा तब आपको पता चल जायेगा…और जैसा की किसी अच्छी relationship में होता है वो समय के साथ-साथ और अच्छा होता जायेगा ….इसलिए खोजते रहिये…रूकिये मत.
मेरी तीसरी कहानी death के बारे में है. जब मैं 17 साल का था तो मैंने एक quote पढ़ा , जो कुछ इस तरह था, “ यदि आप हर रोज ऐसे जियें जैसे की ये आपकी जिंदगी का आखीरी दिन है ..तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जायेंगे.” इसने मेरे दिमाग पे एक impression बना दी, और तबसे…पिछले 33 सालों से , मैंने हर सुबह उठ कर शीशे में देखा है और खुद से एक सवाल किया है , “ अगर ये मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वो करता जो मैं करने वाला हूँ?” और जब भी लगातार कई दिनों तक जवाब “नहीं” होता है , मैं समझ जाता हूँ की कुछ बदलने की ज़रूरत है. इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी life के बड़े decisions लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार death के बारे में सोचता हूँ तब सारी expectations, सारा pride, fail होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है.इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है.आप पहले से ही नंगे हैं.ऐसा कोई reason नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने.
करीब एक साल पहले पता चला की मुझे cancer है . सुबह 7:30 बजे मेरा scan हुआ, जिसमे साफ़-साफ़ दिख रहा था की मेरे pancreas में tumor है. मुझे तो पता भी नहीं था की pancreas क्या होता है. Doctor ने लग-भग यकीन के साथ बताया की मुझे एक ऐसा cancer है जिसका इलाज़ संभव नहीं है..और अब मैं बस 3 से 6 महीने का मेहमान हूँ. Doctor ने सलाह दी की मैं घर जाऊं और अपनी सारी चीजें व्यवस्थित कर लूं, जिसका indirect मतलब होता है कि , “आप मरने की तैयरी कर लीजिए.” इसका मतलब कि आप कोशिश करिये कि आप अपने बच्चों से जो बातें अगले दस साल में करते , वो अगले कुछ ही महीनों में कर लीजिए. इसका ये मतलब होता है कि आप सब-कुछ सुव्यवस्थित कर लीजिए की आपके बाद आपकी family को कम से कम परेशानी हो.इसका ये मतलब होता है की आप सबको गुड-बाय कर दीजिए.
मैंने इस diagnosis के साथ पूरा दिन बिता दिया फिर शाम को मेरी biopsy हुई जहाँ मेरे मेरे गले के रास्ते, पेट से होते हुए मेरी intestine में एक endoscope डाला गया और एक सुई से tumor से कुछ cells निकाले गए. मैं तो बेहोश था , पर मेरी wife , जो वहाँ मौजूद थी उसने बताया की जब doctor ने microscope से मेरे cells देखे तो वह रो पड़ा…दरअसल cells देखकर doctor समझ गया की मुझे एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का pancreatic cancer है जो surgery से ठीक हो सकता है. मेरी surgery हुई और सौभाग्य से अब मैं ठीक हूँ.
मौत के इतना करीब मैं इससे पहले कभी नहीं पहुंचा , और उम्मीद करता हूँ की अगले कुछ दशकों तक पहुँचूं भी नहीं. ये सब देखने के बाद मैं ओर भी विश्वाश के साथ कह सकता हूँ की death एक useful but intellectual concept है.कोई मरना नहीं चाहता है, यहाँ तक की जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं वो भी…फिर भी मौत वो मजिल है जिसे हम सब share करते हैं.आज तक इससे कोई बचा नहीं है. और ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है . ये जिंदगी को बदलती है, पुराने को हटा कर नए का रास्ता खोलती है. और इस समय नए आप हैं. पर ज्यादा नहीं… कुछ ही दिनों में आप भी पुराने हो जायेंगे और रस्ते से साफ़ हो जायेंगे. इतना dramatic होने के लिए माफ़ी चाहता हूँ पर ये सच है.आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये. बेकार की सोच में मत फंसिए,अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए. औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने intuition को मत डूबने दीजिए. वे पहले से ही जानते हैं की तुम सच में क्या बनना चाहते हो. बाकि सब गौड़ है.
जब मैं छोटा था तब एक अद्भुत publication, “The Whole Earth Catalogue” हुआ करता था, जो मेरी generations की bibles में से एक था.इसे Stuart Brand नाम के एक व्यक्ति, जो यहाँ … MelonPark से ज्यादा दूर नहीं रहता था, और उसने इसे अपना poetic touch दे के बड़ा ही जीवंत बना दिया था. ये साठ के दशक की बात है, जब computer और desktop publishing नहीं हुआ करती थीं., पूरा catalogue ..typewriters, scissors और Polaroid cameras की मदद से बनाया जाता था. वो कुछ-कुछ ऐसा था मानो Google को एक book के form में कर दिया गया हो….वो भी गूगल के आने के 35 साल पहले.वह एक आदर्श था, अच्छे tools और महान विचारों से भरा हुआ था.
Stuart और उनकी team ने “The Whole Earth Catalogue”के कई issues निकाले और अंत में एक final issue निकाला. ये सत्तर के दशक का मध्य था और तब मैं आपके जितना था. Final issue के back cover पे प्रातः काल का किसी गाँव की सड़क का द्दृश्य था…वो कुछ ऐसी सड़क थी जिसपे यदि आप adventurous हों तो किसी से lift माँगना चाहेंगे. और उस picture के नीचे लिखा था, “Stay Hungry, Stay Foolish”.. ये उनका farewell message था जब उन्होंने sign-off किया…,“Stay Hungry, Stay Foolish” और मैंने अपने लिए हमेशा यही wish किया है, और अब जब आप लोग यहाँ से graduate हो रहे हैं तो मैं आपके लिए भी यही wish करता हूँ , stay hungry, stay foolish. Thank you all very much.”
The GREAT STEVE JOBS died on 5th Oct 2011 after a years-long battle with pancreatic cancer.Such great men are born once in century, and they have no where to go but to Heaven.
Life Changing Motivational Hindi Speech Viideo
Best Motivational Video in Hindi
क्यों है न कमाल की speech!!!
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तो चलिए पढते हैं – One of the best speech ever by Steve Jobs , translated in Hindi:
STEVE JOBS CONVOCATION SPEECH AT STANFORD
“Stay Hungry Stay Foolish”
“Thank You; आज world की सबसे बहेतरीन Universities में से एक के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ. मैं आपको एक सच बता दूं ; मैं कभी किसी college से pass नहीं हुआ; और आज पहली बार मैंकिसी college graduation ceremony के इतना करीब पहुंचा हूँ. आज मैं आपको अपने जीवन की तीन कहानिया सुनाना चाहूँगा… ज्यादा कुछ नहीं बस तीन कहानिया.
मेरी पहली कहानी , dots connect करने के बारे में है. Reed College में दाखिला लेने के 6 महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी, पर मैं उसके 18 महीने बाद तक वहाँ किसी तरह आता-जाता रहा. तो सवाल उठता है कि मैंने college क्यों छोड़ा? ….Actually, इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है.
मेरी biological mother* एक young , अविवाहित graduate student थी, और वह मुझे किसी और को adoption के लिए देना चाहती थी. पर उनकी एक ख्वाईश थी की कोई college graduate ही मुझे adopt करे. सबकुछ बिलकुल set था और मैं एक वकील और उसकी wife के द्वारा adopt किया जाने वाला था कि अचानक उस couple ने अपना विचार बदल दिया और decide किया कि उन्हें एक लड़की चाहिए. इसलिए तब आधी-रात को मेरे parents, जो तब waiting list में थे,को call करके बोला गया कि , “हमारे पास एक baby-boy है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी. बाद में मेरी biological mother को पता चला कि मेरी माँ college pass नहीं हैं और पिता तो High School पास भी नहीं हैं. इसलिए उन्होंने Adoption Papers sign करने से मना कर दिया; पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले parents के मुझे college भेजने के आश्वाशनके बाद वो मान गयीं. तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई और सत्रह साल बाद मैं college गया..पर गलती से मैंने Stanford जितना ही महंगा college चुन लिया. मेरे working-class parents की सारी जमा-पूँजी मेरी पढाई में जाने लगी. 6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई value नहीं दिखी.मुझे कुछ idea नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूँ, और college मुझे किस तरह से इसमें help करेगा..और ऊपर से मैं अपनी parents की जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था. इसलिए मैंने कॉलेज drop-out करने का निर्णय लिए…और सोचा जो होगा अच्छा होगा. उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा decision था.
जैसे ही मैंने college छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी classes करने की बाध्यता खत्म हो गयी . और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने interest की classes करने लगा. ये सब कुछ इतना आसान नहीं था. मेरे पास रहने के लिए कोई room नहीं था , इसलिए मुझे दोस्तों के room में फर्श पे सोना पड़ता था.मैं coke की bottle को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खता था.,मैं हर Sunday 7 मील पैदल चल कर Hare Krishna Temple जाता था ,ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं. यह मुझे काफी अच्छा लगता था.
.मैंने अपनी life में जो भी अपनी curiosity और intuition की वजह से किया वह बाद में मेरे लिए priceless साबित हुआ. Let me give an example. उस समय Reed College शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहाँ Calligraphy* सिखाई जाती थी. पूरे campus में हर एक poster , हर एक label बड़ी खूबसूरती से हांथों से calligraph किया होता था .चूँकि मैं college से drop-out कर चुका था इसलिए मुझे normal classes करने की कोई ज़रूरत नहीं थी. मैंने तय किया की मैं calligraphy की classes करूँगा और इसे अछ्छी तरह से सीखूंगा. मैंने serif और sans-serif type-faces के बारे में सीखा.; अलग-अलग letter-combination के बीच में space vary करना और किसी अच्छी typography को क्या चीज अच्छा बनाती है , यह भी सीखा . यह खूबसूरत था, इतना artistic था कि इसे science द्वारा capture नहीं किया जा सकता था, और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था. उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का use कभी अपनी life में करूँगा. लेकिन जब दस साल बाद हम पहला Macintosh Computer बना रहे थे तब मैंने इसे Mac में design कर दिया. और Mac खूबसूरत typography युक्त दुनिया का पहला computer बन गया.अगर मैंने college से drop-out नहीं किया होता तो Mac मैं कभी multiple-typefaces या proportionally spaced fonts नहीं होते , और चूँकि Windows ने Mac की copy की थी तो शायद ये किसी भी personal computer में ये चीजें नहीं होतीं. अगर मैंने कभी drop-out ही नहीं किया होता तो मैं कभी calligraphy की वो classes नहीं कर पाता और फिर शायद personal computers में जो fonts होते हैं , वो होते ही नहीं.
Of course, जब मैं college में था तब भविष्य में देख कर इन dots को connect करना impossible था; लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है. आप कभी भी future में झांक कर dots connect नहीं कर सकते हैं. आप सिर्फ past देखकर ही dots connect कर सकते हैं; इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके future से connect हो जायेगा. आपको किसी न किसी चीज में विश्ववास करना ही होगा —अपने guts में, अपनी destiny में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में…किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा…क्योंकि इस बात में believe करना की आगे चल कर dots connect होंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा…तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे…and that will make the difference.
मेरी दूसरी कहानी , love और loss के बारे में है. मैं जिस चीज को चाहता था वह मुझे जल्दी ही मिल गयी. Woz और मैंने अपने parents के गराज से Apple शरू की तब मैं 20 साल का था. हमने बहुत मेहनत की और 10 साल में Apple दो लोगों से बढ़ कर $2 Billion और 4000 लोगों की company हो गयी. हमने अभी एक साल पहले ही अपनी finest creation Macintosh release की , मैं तीस का हो गया था और मुझे company से fire कर दिया गया.
Young Steve Jobs
आप अपनी बनायीं हुई company से fire कैसे हो सकते हैं ? Well, जैसे-जैसे company grow की, हमने एक ऐसे talented आदमी को hire किया ,जिसे मैंने सोचा कि वो मेरे साथ company run करेगा , पहले एक साल सब-कुछ ठीक-ठाक चला…. लेकिन फिर company के future vision को लेके हम दोनों में मतभेद होने लगे. बात Board Of Directors तक पहुँच गयी, और उन लोगों ने उसका साथ दिया,so at thirty , मुझे निकाल दिया गया…publicly निकाल दिया गया. जो मेरी पूरी adult life का focus था वह अब खत्म हो चुका था, और ये बिलकुल ही तबाह करने वाला था. मुझे सचमुच अगले कुछ महीनो तक समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं.
मुझे महसूस हुआ कि ये सबकुछ इतनी आसानी से accept करके मैंने अपने पहले कि generation के entrepreneurs को नीचा दिखाया है. मैं David Packard* और Bob Noyce* से मिला और उनसे सबकुछ ऐसे हो जाने पर माफ़ी मांगी. मैं एक बहुत बड़ा public failure था, एक बार तो मैंने valley* छोड़ कर जाने की भी सोची.पर धीरे – धीरे मुझे अहसास हुआ की मैं जो काम करता हूं, उसके लिए मैं अभी भी passionate हूँ. Apple में जो कुछ हुआ उसकी वजह से मेरे passion में ज़रा भी कमी नहीं आई है….मुझे reject कर दिया गया है, पर मैं अभी भी अपने काम से प्यार करता हूँ. इसलिए मैंने एक बार फिर से शुरुआत करने की सोची. मैंने तब नहीं सोचा पर अब मुझे लगता है की Apple से fire किये जाने से अच्छी चीज मेरे साथ हो ही नहीं सकती थी. Successful होने का बोझ अब beginner होने के हल्केपन में बदल चूका था , मैं एक बार फिर खुद को बहुत free महसूस कर रहा था…इस स्वछंदता की वज़ह से मैं अपनी life की सबसे creative period में जा पाया.
अगले पांच सालों में मैंने एक company … NeXT और एक दूसरी कंपनी Pixar start की और इसी दौरान मेरी मुलाक़ात एक बहुत ही amazing lady से हुई ,जो आगे चलकर मेरी wife बनी. Pixar ने दुनिया की पहली computer animated movie , “ Toy Story” बनायीं, और इस वक्त यह दुनिया का सबसे सफल animation studio है. Apple ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए NeXT को खरीद लिया और मैं Apple में वापस चला गया. आज Apple, NeXT द्वारा develop की गयी technology use करती है….अब Lorene और मेरा एक सुन्दर सा परिवार है. मैं बिलकुल surety के साथ कह सकता हूँ की अगर मुझे Apple से नहीं निकाला गया होता तो मेरे साथ ये सब-कुछ नहीं होता. ये एक कड़वी दवा थी …पर शायद patient को इसकी ज़रूरत थी.कभी-कभी जिंदगी आपको इसी तरह ठोकर मारती है. अपना विश्वाश मत खोइए. मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ इसलिए आगे बढ़ता गया क्योंकि मैं अपने काम से प्यार करता था…I loved my work.
आप really क्या करना पसंद करते हैं यह आपको जानना होगा, जितना अपने love को find करना ज़रूरी है, उतना ही उस काम को ढूँढना ज़रूरी जिसे आप सच-मुच enjoy करते हों आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है की आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम समझते हों...और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है की आप वो करें जो करना आप enjoy करते हों.यदि आपको अभी तक वो काम नहीं मिला है तो आप रूकिये मत..उसे खोजते रहिये. जैसा कि दिल से जुडी हर चीज में होता है…वो जब आपको मिलेगा तब आपको पता चल जायेगा…और जैसा की किसी अच्छी relationship में होता है वो समय के साथ-साथ और अच्छा होता जायेगा ….इसलिए खोजते रहिये…रूकिये मत.
मेरी तीसरी कहानी death के बारे में है. जब मैं 17 साल का था तो मैंने एक quote पढ़ा , जो कुछ इस तरह था, “ यदि आप हर रोज ऐसे जियें जैसे की ये आपकी जिंदगी का आखीरी दिन है ..तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जायेंगे.” इसने मेरे दिमाग पे एक impression बना दी, और तबसे…पिछले 33 सालों से , मैंने हर सुबह उठ कर शीशे में देखा है और खुद से एक सवाल किया है , “ अगर ये मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वो करता जो मैं करने वाला हूँ?” और जब भी लगातार कई दिनों तक जवाब “नहीं” होता है , मैं समझ जाता हूँ की कुछ बदलने की ज़रूरत है. इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी life के बड़े decisions लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार death के बारे में सोचता हूँ तब सारी expectations, सारा pride, fail होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है.इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है.आप पहले से ही नंगे हैं.ऐसा कोई reason नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने.
करीब एक साल पहले पता चला की मुझे cancer है . सुबह 7:30 बजे मेरा scan हुआ, जिसमे साफ़-साफ़ दिख रहा था की मेरे pancreas में tumor है. मुझे तो पता भी नहीं था की pancreas क्या होता है. Doctor ने लग-भग यकीन के साथ बताया की मुझे एक ऐसा cancer है जिसका इलाज़ संभव नहीं है..और अब मैं बस 3 से 6 महीने का मेहमान हूँ. Doctor ने सलाह दी की मैं घर जाऊं और अपनी सारी चीजें व्यवस्थित कर लूं, जिसका indirect मतलब होता है कि , “आप मरने की तैयरी कर लीजिए.” इसका मतलब कि आप कोशिश करिये कि आप अपने बच्चों से जो बातें अगले दस साल में करते , वो अगले कुछ ही महीनों में कर लीजिए. इसका ये मतलब होता है कि आप सब-कुछ सुव्यवस्थित कर लीजिए की आपके बाद आपकी family को कम से कम परेशानी हो.इसका ये मतलब होता है की आप सबको गुड-बाय कर दीजिए.
मैंने इस diagnosis के साथ पूरा दिन बिता दिया फिर शाम को मेरी biopsy हुई जहाँ मेरे मेरे गले के रास्ते, पेट से होते हुए मेरी intestine में एक endoscope डाला गया और एक सुई से tumor से कुछ cells निकाले गए. मैं तो बेहोश था , पर मेरी wife , जो वहाँ मौजूद थी उसने बताया की जब doctor ने microscope से मेरे cells देखे तो वह रो पड़ा…दरअसल cells देखकर doctor समझ गया की मुझे एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का pancreatic cancer है जो surgery से ठीक हो सकता है. मेरी surgery हुई और सौभाग्य से अब मैं ठीक हूँ.
मौत के इतना करीब मैं इससे पहले कभी नहीं पहुंचा , और उम्मीद करता हूँ की अगले कुछ दशकों तक पहुँचूं भी नहीं. ये सब देखने के बाद मैं ओर भी विश्वाश के साथ कह सकता हूँ की death एक useful but intellectual concept है.कोई मरना नहीं चाहता है, यहाँ तक की जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं वो भी…फिर भी मौत वो मजिल है जिसे हम सब share करते हैं.आज तक इससे कोई बचा नहीं है. और ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है . ये जिंदगी को बदलती है, पुराने को हटा कर नए का रास्ता खोलती है. और इस समय नए आप हैं. पर ज्यादा नहीं… कुछ ही दिनों में आप भी पुराने हो जायेंगे और रस्ते से साफ़ हो जायेंगे. इतना dramatic होने के लिए माफ़ी चाहता हूँ पर ये सच है.आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये. बेकार की सोच में मत फंसिए,अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए. औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने intuition को मत डूबने दीजिए. वे पहले से ही जानते हैं की तुम सच में क्या बनना चाहते हो. बाकि सब गौड़ है.
जब मैं छोटा था तब एक अद्भुत publication, “The Whole Earth Catalogue” हुआ करता था, जो मेरी generations की bibles में से एक था.इसे Stuart Brand नाम के एक व्यक्ति, जो यहाँ … MelonPark से ज्यादा दूर नहीं रहता था, और उसने इसे अपना poetic touch दे के बड़ा ही जीवंत बना दिया था. ये साठ के दशक की बात है, जब computer और desktop publishing नहीं हुआ करती थीं., पूरा catalogue ..typewriters, scissors और Polaroid cameras की मदद से बनाया जाता था. वो कुछ-कुछ ऐसा था मानो Google को एक book के form में कर दिया गया हो….वो भी गूगल के आने के 35 साल पहले.वह एक आदर्श था, अच्छे tools और महान विचारों से भरा हुआ था.
Stuart और उनकी team ने “The Whole Earth Catalogue”के कई issues निकाले और अंत में एक final issue निकाला. ये सत्तर के दशक का मध्य था और तब मैं आपके जितना था. Final issue के back cover पे प्रातः काल का किसी गाँव की सड़क का द्दृश्य था…वो कुछ ऐसी सड़क थी जिसपे यदि आप adventurous हों तो किसी से lift माँगना चाहेंगे. और उस picture के नीचे लिखा था, “Stay Hungry, Stay Foolish”.. ये उनका farewell message था जब उन्होंने sign-off किया…,“Stay Hungry, Stay Foolish” और मैंने अपने लिए हमेशा यही wish किया है, और अब जब आप लोग यहाँ से graduate हो रहे हैं तो मैं आपके लिए भी यही wish करता हूँ , stay hungry, stay foolish. Thank you all very much.”
The GREAT STEVE JOBS died on 5th Oct 2011 after a years-long battle with pancreatic cancer.Such great men are born once in century, and they have no where to go but to Heaven.
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क्यों है न कमाल की speech!!!
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सफलता के लिए ज़रूरी है....
ऐसा क्यों होता है कि कई बार सब कुछ होते हुए भी हम वो नहीं कर पाते जिसको करने के बारे में हमने सोचा होता है ….दृढ निश्चय किया होता ……खुद को promise किया होता है कि हमें ये काम करना ही करना है …चाहे जो हो जाए ….!!!
“सब कुछ होते हुए” से मेरा मतलब है आपके पास पर्याप्त talent, पैसा , समय , या ऐसी कोई भी चीज जो उस काम को करने के लिए ज़रूरी है ; होने से है .
Focus करने का क्या अर्थ है ?
एक idea लो . उस idea को अपनी life बना लो - उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस idea को जियो . अपने दिमाग , muscles, nerves, शरीर के हर हिस्से को उस आईडिया में डूब जाने दो , और बाकी सभी ideas को किनारे रख दो . यही सफल होने का तरीका है , यही वो तरीका है जिससे महान लोग निर्मित होते हैं .
Friends, उपरोक्त कथन Swami Vivekananda के हैं और मुझे लगता है कि Focus शब्द को शायद ही इससे अच्छे ढंग से समझा जा सकता है .
इस कथन में जहाँ स्वामी जी ने किसी एक आईडिया को अपनाना आवश्यक बताया है वहीँ दूसरी तरफ इस दौरान अन्य ideas को किनारे रखने के लिए भी कहा है. और सही मायने में यही है Focussed होना.
Focus करता क्या है ?
आपने बचपन में lens ज़रूर use किया होगा ….lens देखने में तो एक साधारण कांच का टुकड़ा लगता है …पर जब हम उसे कागज़ के किसी एक हिस्से पर focus करते हैं तो थोड़ी देर में वो कागज़ जलने लगता है …..
Focus चीजों को संभव बनाता है ….जब आप भी अपने goal पर focused रहते हैं तो मार्ग में आने वाली बाधाएं जल कर ख़ाक हो जाती हैं , आपका रास्ता साफ़ हो जाता है , और आप अपना goal achieve कर पाते हैं . Focus आपको सिर्फ यह नहीं बताता कि करना क्या है , यह भी बताता है कि क्या नहीं करना है .Focus आपको आपके goal से बांधता ही नहीं , आपको बेकार की चीजों में बंधने से बचाता भी है .
तो क्या focus करने का ये मतलब है कि हम और कोई काम करे ही नहीं ?
नहीं , आप और काम करते हुए भी अपना focus किसी एक चीज पर बनाये रख सकते हैं . For example: Mahendra Singh Dhoni Railways में TTE की job करते थे पर फिर भी उनका focus cricket था . आप रोज TV पर कितने ही singers और dancers को देखते हैं , वो भी और लोगों की तरह पढने जाते हैं या job करते हैं पर उनका focus तो singing या dancing होता है . इसी तरह मैंने आपके साथ World’s Youngest CEO , Suhas Gopinath की story share की थी , पढाई करते वक़्त भी उनका focus अपनी company establish करने का था ; और इसी एकाग्रता के दम पर उन्होंने छोटी सी उम्र में multi million dollar company खड़ी कर दी.
देखिये , जब तक आपके मन का काम आपको financially support नहीं करने लगता तब तक कुछ ना कुछ तो करते रहना होगा ….पर ध्यान देने की बात ये है कि आपको और चीजों को सिर्फ करना है …पर आपने अपने लिए जो Goal decide किया है उसे achieve करने के लिए आपको उसमे डूबना है , और यही आपकी success और failure के बीच का सबसे बड़ा differentiator होगा.
इतना याद रखिये कि अपने जीवन में एक normal focussed व्यक्ति एक talented unfocussed व्यक्ति से कहीं ज्यादा achieve कर सकता है . और सच पूछिए तो अगर हमने इस अनमोल जीवन को छोटी - मोटी चीजें करने में ही बिता दिया तो हमारे life की कोई value नहीं रहेगी …..हमारी अपनी नज़रों में भी ….इसलिए बड़े लक्ष्य बनाइये और उस पर focussed होकर उसे achieve करिए ….तभी जीने का असली मजा है .
“सब कुछ होते हुए” से मेरा मतलब है आपके पास पर्याप्त talent, पैसा , समय , या ऐसी कोई भी चीज जो उस काम को करने के लिए ज़रूरी है ; होने से है .
Focus करने का क्या अर्थ है ?
एक idea लो . उस idea को अपनी life बना लो - उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस idea को जियो . अपने दिमाग , muscles, nerves, शरीर के हर हिस्से को उस आईडिया में डूब जाने दो , और बाकी सभी ideas को किनारे रख दो . यही सफल होने का तरीका है , यही वो तरीका है जिससे महान लोग निर्मित होते हैं .
Friends, उपरोक्त कथन Swami Vivekananda के हैं और मुझे लगता है कि Focus शब्द को शायद ही इससे अच्छे ढंग से समझा जा सकता है .
इस कथन में जहाँ स्वामी जी ने किसी एक आईडिया को अपनाना आवश्यक बताया है वहीँ दूसरी तरफ इस दौरान अन्य ideas को किनारे रखने के लिए भी कहा है. और सही मायने में यही है Focussed होना.
Focus करता क्या है ?
आपने बचपन में lens ज़रूर use किया होगा ….lens देखने में तो एक साधारण कांच का टुकड़ा लगता है …पर जब हम उसे कागज़ के किसी एक हिस्से पर focus करते हैं तो थोड़ी देर में वो कागज़ जलने लगता है …..
Focus चीजों को संभव बनाता है ….जब आप भी अपने goal पर focused रहते हैं तो मार्ग में आने वाली बाधाएं जल कर ख़ाक हो जाती हैं , आपका रास्ता साफ़ हो जाता है , और आप अपना goal achieve कर पाते हैं . Focus आपको सिर्फ यह नहीं बताता कि करना क्या है , यह भी बताता है कि क्या नहीं करना है .Focus आपको आपके goal से बांधता ही नहीं , आपको बेकार की चीजों में बंधने से बचाता भी है .
तो क्या focus करने का ये मतलब है कि हम और कोई काम करे ही नहीं ?
नहीं , आप और काम करते हुए भी अपना focus किसी एक चीज पर बनाये रख सकते हैं . For example: Mahendra Singh Dhoni Railways में TTE की job करते थे पर फिर भी उनका focus cricket था . आप रोज TV पर कितने ही singers और dancers को देखते हैं , वो भी और लोगों की तरह पढने जाते हैं या job करते हैं पर उनका focus तो singing या dancing होता है . इसी तरह मैंने आपके साथ World’s Youngest CEO , Suhas Gopinath की story share की थी , पढाई करते वक़्त भी उनका focus अपनी company establish करने का था ; और इसी एकाग्रता के दम पर उन्होंने छोटी सी उम्र में multi million dollar company खड़ी कर दी.
देखिये , जब तक आपके मन का काम आपको financially support नहीं करने लगता तब तक कुछ ना कुछ तो करते रहना होगा ….पर ध्यान देने की बात ये है कि आपको और चीजों को सिर्फ करना है …पर आपने अपने लिए जो Goal decide किया है उसे achieve करने के लिए आपको उसमे डूबना है , और यही आपकी success और failure के बीच का सबसे बड़ा differentiator होगा.
इतना याद रखिये कि अपने जीवन में एक normal focussed व्यक्ति एक talented unfocussed व्यक्ति से कहीं ज्यादा achieve कर सकता है . और सच पूछिए तो अगर हमने इस अनमोल जीवन को छोटी - मोटी चीजें करने में ही बिता दिया तो हमारे life की कोई value नहीं रहेगी …..हमारी अपनी नज़रों में भी ….इसलिए बड़े लक्ष्य बनाइये और उस पर focussed होकर उसे achieve करिए ….तभी जीने का असली मजा है .
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