May 9, 2013

"अरे, आप दोनों झगड़ो मत... काम बांट लो न...!


घर बेहद गंदा पड़ा हुआ था और बहू साफ-सफाई
करने की जगह सजने-संवरने में लगी हुई थी,
इसलिए सास झाड़ू लगाने लगी... बेटे से
देखा नहीं गया, सो, बोला, "मां, तुम रहने
दो, झाड़ू मैं लगा देता हूं..." मां ने मौका सहीजानकर
ऊंची आवाज में बहू को सुनाते हुए जवाब दिया,"अरे, रहने दे बेटे... मैं
लगा तो रही हूं..." बहू ने लिपस्टिक लगाते हुए तपाक
से कहा,
"अरे, आप दोनों झगड़ो मत... काम बांट लो न...
एक दिन बेटा झाड़ू लगा देगा और एक दिन
मां लगा देगी...

May 6, 2013

चीन ने ..वापसी कर ली ..इस पर तरह तरह के बयान




मनमोहन सिंह ---कड़ी वाली निंदा से ...चीन डर गया और वापस चला गया

राहुल बाबा --मैंने उन्हें बताया था ..मधुमक्खी का छत्ता है ....उन्हें डर लगा कही काट-वाट लिया ..इसलिए वापस गए

सोनिया --मैंने उन्हें अपनी इटली के बार वाली तस्वीर भेजी ..उन्होंने बोल ..इंडिया में कुछ नहीं है ..अब हम इटली जायेंगे

ND तिवारी --उसमे से 2-3 का DNA चेक करवाने पर मेरे बेटे निकले ...उनको बाप की इज्जत करनी थी इसलिए चले गए

दिग्विजय सिंह --पास वाली पहाड़ी पर मैंने स्पीकर पर 2 दिन काली अँधेरी रात में भोंका ...डर के वापस चले गए

कजरी बाबु- हमने स्टील के ग्लास में एक पत्र लिख के भेजा था ..की अनशन करेंगे ..भाग गए ...

कुमार विस्वास-- मैंने अपनी 2-3 फोटो भेजी थी ..उनका इंटरेस्ट वैसा वाला नहीं था ..चले गए ...

नितिन गडकरी --मैंने उन्हें बता दिया था ..अगर भारत में कब्ज़ा किया ,...तो खाना मुझे खिलने की जिम्मेवारी आपकी ..बस फिर क्या था ....भाग गए

मायावती---मैंने उनके सेनापति से शादी की इच्छा जताई ...उसके बाद सुना है ..वापस निकल गए

भोजपुरिया भौकाल---मैंने चीन वालो को इतना पोक करवाया अपने पेज के सदस्यों से ..की भाग खड़े हुए

निर्मल बाबा--मैंने पहले ही कहा था ..राहुल बाबा को डाईपर की जगह लंगोटी पहनाओ ..किरपा बनी रहेगी

मुलायम सिंह--मैंने उन्हें फ़ोन किया ...मेरी भाषा सुन के ...फ़ोन रख दिया ,...सुना है चले गए वापस

कमाल करती हो अम्मा ,हम इतनी देर से सुई

एक बार किसी गाँव में एक बुढ़िया रात के अँधेरे में अपनी झोपडी के बहार कुछ खोज रही थी .तभी गाँव के ही एक व्यक्ति की नजर उस पर पड़ी , “अम्मा इतनी रात में रोड लाइट के नीचे क्या ढूंढ रही हो ?” , व्यक्ति ने पूछा.

” कुछ नहीं मेरी सुई गम हो गयी है बस वही खोज रही हूँ .”, बुढ़िया ने उत्तर दिया.

फिर क्या था, वो व्यक्ति भी महिला की मदद करने के लिए रुक गया और साथ में सुई खोजने लगा. कुछ देर में और भी लोग इस खोज अभियान में शामिल हो गए और देखते- देखते लगभग पूरा गाँव ही इकठ्ठा हो गया.

सभी बड़े ध्यान से सुई खोजने में लगे हुए थे कि तभी किसी ने बुढ़िया से पूछा ,” अरे अम्मा ! ज़रा ये तो बताओ कि सुई गिरी कहाँ थी?”

” बेटा , सुई तो झोपड़ी के अन्दर गिरी थी .”, बुढ़िया ने ज़वाब दिया .

ये सुनते ही सभी बड़े क्रोधित हो गए और भीड़ में से किसी ने ऊँची आवाज में कहा , ” कमाल करती हो अम्मा ,हम इतनी देर से सुई यहाँ ढूंढ रहे हैं जबकि सुई अन्दर झोपड़े में गिरी थी , आखिर सुई वहां खोजने की बजाये यहाँ बाहर क्यों खोज रही हो ?”

” क्योंकि रोड पर लाइट जल रही है…इसलिए .”, बुढ़िया बोली.

मित्रों, शायद ऐसा ही आज के युवा अपने भविष्य को लेकर सोचते हैं कि लाइट कहाँ जल रही है वो ये नहीं सोचते कि हमारा दिल क्या कह रहा है ; हमारी सुई कहाँ गिरी है . हमें चाहिए कि हम ये जानने की कोशिश करें कि हम किस फील्ड में अच्छा कर सकते हैं और उसी में अपना करीयर बनाएं ना कि भेड़ चाल चलते हुए किसी ऐसी फील्ड में घुस जाएं जिसमे बाकी लोग जा रहे हों या जिसमे हमें अधिक पैसा नज़र आ रहा हो .

May 2, 2013

एक नगर मे रहने वाले एक पंडित जी की ख्याति दूर दूर तक

एक नगर मे रहने वाले एक पंडित जी की ख्याति दूर दूर तक थी पास ही के गाँव मे स्थित मंदिर के पुजारी का आकस्मिक निधन होने की वजहसे उन्हें वहाँ का पुजारी नियुक्त किया गया था...
एक बार वह अपने गंतव्य की और जानेके लिए बस मेचढ़े उन्होंने कंडक्टर को किराए केरुपये दिएऔर सीट पर जाकर बैठ गए
कंडक्टर ने जब किराया काटकर रुपये वापस दिए तो पंडित जी ने पाया की कंडक्टर ने दस रुपये ज्यादा उन्हें दे दिए है
पंडित जी ने सोचा कि थोड़ी देर बाद कंडक्टर को रुपये वापस कर दूँगा
कुछ देर बाद मन मे विचार आया की बेवजह दस रुपये जैसी मामूली रकम को लेकर परेशान हो रहेहै आखिर ये बस कंपनी वाले भी तो लाखों कमाते है बेहतर है इन रूपयो को भगवान की भेंट समझकर अपने पास ही रख लिया जाए वह इनका सदुपयोग ही करेंगे
... मन मे चल रहे विचार के बीच उनका गंतव्य स्थल आगया बस मे उतरते ही उनके कदम अचानक ठिठके उन्होंने जेब मे हाथ डाला और दस का नोट निकाल कर कंडक्टर को देते हुए कहा भाई तुमने मुझे किराए के रुपये काटने के बाद भी दस रुपये ज्यादा दे दिए थे
कंडक्टर मुस्कराते हुए बोला क्या आप ही गाँव के मंदिर के नए पुजारी हो?
पंडित जी को हामी भरने पर कंडक्टर बोला मेरे मन मे कई दिनों से आपके प्रवचन सुनने की इच्छा है आपको बस मे देखातो ख्याल आया कि चलो देखते है कि मैं ज्यादा पैसे लौटाऊँ तो आप क्या करते हो अब मुझे पता चल गया की आपके प्रवचन जैसा ही आपका आचरण है जिससे सभी को सिख लेनी चाहिए
ये बोलकर कंडक्टर ने गाड़ी आगे बड़ा दी
पंडित जी बस से उतरकर पसीना पसीना थे उन्होंने दोनों हाथ जोड़कर भगवान से कहा है प्रभु तेरा लाख लाख शुक्र है जो तूने मुझे बचा लिया मैने तो दस रुपये के लालच मे तेरी शिक्षाओ की बोली लगा दी थी पर तूने सही समय परमुझे थाम लिया....!

Apr 30, 2013

एक जापानी अपने मकान की मरम्मत के

एक जापानी अपने मकान की मरम्मत के
लिए उसकी दीवार को खोल रहा था।
ज्यादातर जापानी घरों में लकड़ी की दीवारो के बीच जगह
होती है। जब वह लकड़ी की इस दीवार को उधेड़ रहा तो उसने
देखा कि वहां दीवार में एकछिपकली फंसी हुई थी।
... छिपकली के एक पैर में कील ठुकी हुई थी।
उसने यह देखा और उसे छिपकली पर रहम
आया। उसने इस मामले में उत्सुकता दिखाई
और गौर से उस छिपकली के पैर में ठुकी कील को देखा।
अरे यह क्या! यह तो वही कील है जो 4 साल पहले मकान
बनाते वक्त ठोकी गई थी। यह क्या !!!!
क्या यह छिपकली पिछले 4 सालों से
इसी हालत से दो चार है?
दीवार के अंधेरे हिस्से में बिना हिले-डुले
पिछले 4 सालों से!! यह नामुमकिन है।
मेरा दिमाग इसको गवारा नहीं कर
रहा। उसे हैरत हुई। यह छिपकली पिछले 4
सालों से आखिर जिंदा कैसे है!!! बिना एक
कदम हिले-डुले जबकि इसके पैर में कील ठुकी है!
उसने अपना काम रोक दिया और उस
छिपकली को गौर से देखने लगा। आखिर
यह अब तक कैसे रह पाई औरक्या और किस
तरह की खुराक इसे अब तक मिल पाई।
इस बीच एक दूसरी छिपकली ना जाने
कहां से वहां आई जिसके मुंह में खुराक थी।
अरे!!!! यह देखकर वह अंदर तक हिल गया।
यह दूसरी छिपकली पिछले 4
सालों से इस फंसी हुई छिपकली को खिलाती रही।
जरा गौर कीजिए वह दूसरी छिपकली बिना थके और अपने
साथी की उम्मीद छोड़े बिना लगातार 4 साल से उसे खिलाती रही।