Jun 27, 2013

आप का संकल्प सही हो तो अपने भाग्य को खुद बना सकते है !

एक बार की बात है की किसी स्कूल में एक बालक पढ़ने जाता था । जैसे दूसरे बालक भी जाते थे ।
यह बालक पढ़ने में थोड़ा कमजोर किस्म का था सो रोज ही मास्टर जी,के डंडों से मार खाता था । यह सिलसिला चलता- रहा, चलता- रहा !

एक दिनकी बात है की मास्टर जी, ने एक-एक बालक की सीट पर जा कर दिया हुआ कार्य चेक किया ।

... इस बालक ने अपने आदतानुसार काम नहीं किया था और अपने आप ही हथेली मास्टर जी के आगे कर दी मार खाने के लिए ।

मास्टर जी ने डंडा उठाया और हथेली की तरफ देखते ही डंडा रख दिया और कहा बेटे मै तुझे नाहक रोज ही मारता रहा हूँ, तेरे तो हाथ में तो विद्या की रेखा है ही नहीं ।

बस फिर क्या था बालक को यह बात चुभ गयी और उसने मास्टर जी से पूछा- मास्टर जी, मुझे बताईये की हाथ में विद्या- रेखा कहा होती है? मास्टर जी ,ने उसे विद्या- रेखा का स्थान बता दिया ।

बालक उसी क्षण गया और ब्लेड ले कर उस स्थान पर चीरा लगा कर वापिस कक्षा में आया । मास्टर जी, ने उसकी लहू-लुहान हथेली देखकर पूछा की यह कैसे हो गया ?

बालक ने बताया की मास्टर जी मैंने अपने हाथ में खुद ही विद्या की रेखा खींच
ली है ,अब आप मुझे पढ़ाईये, मै पढूंगा !

यही बालक बताते है की आगे चलकर संस्कृत का ‘पाणिनि’ बना जिसकी व्याकरण ” अष्टाध्यायी ” आज तक महाग्रन्थ माना जाता है! विश्व के विदेशी विद्वान् आज भी इस ग्रन्थ की कद्र करते है!

तो कहने का मतलब है की आप का संकल्प सही हो तो अपने भाग्य को खुद बना सकते है ! जैसा कक्षा के कमजोर बालक ने अपने ही संकल्प से महानता हासिल कर ली ।

Jun 26, 2013

"तुम्हारा मनपसंद केक बनाकर खिलाती हूँ"

एक लड़की अपनी माँ के पास अपनी परेशानियों का बखान
कर रही थी l वो परीक्षा में फेल हो गई थी l
सहेली से झगड़ा हो गया l
मनपसंद ड्रेस प्रैस कर रही थी वो जल गई l रोते हुए बोली,
मम्मी ,देखो ना , मेरी जिन्दगी के साथ
... सब कुछ उलटा -पुल्टा हो रहा है l माँ ने मुस्कराते हुए कहा,
यह उदासी और रोना छोड़ो,
चलो मेरे साथ रसोई में ,
"तुम्हारा मनपसंद केक बनाकर खिलाती हूँ"l
लड़की का रोना बंद हो गया और हंसते हुये बोली,"केक
तो मेरी मनपसंद मिठाई है"l कितनी देर में बनेगा, कन्या ने
चहकते हुए पूछा l
माँ ने सबसे पहले मैदे का डिब्बा उठाया और प्यार से कहा,
ले पहले मैदा खा ले l लड़की मुंह बनाते हुए बोली, इसे कोई
खाता है भला l माँ ने फिर मुस्कराते हुये कहा,"तो ले
सौ ग्राम
चीनी ही खा ले"l
एसेंस और मिल्कमेड का डिब्बा दिखाया और
कहा लो इसका भी स्वाद चख लो "माँ"आज तुम्हें
क्या हो गया है ? जो मुझे इस तरह की चीजें
खाने को दे रही हो ? माँ ने बड़े प्यार और शांति से जवाब
दिया,"बेटा"केक इन
सभी बेस्वादी चीजों से ही बनता है और ये सभी मिलकर
ही तो केक को स्वादिष्ट बनाती हैं . मैं तुम्हें सिखाना चाह
रही थी कि"जिंदगी का केक"भी इसी प्रकार
की बेस्वाद घटनाओं को मिलाकर बनाया जाता है l फेल
हो गई हो तो इसे चुनौती समझो मेहनत करके पास
हो जाओ l सहेली से झगड़ा हो गया है तो अपना व्यवहार
इतना मीठा बनाओ कि फिर कभी किसी से झगड़ा न
हो l यदि मानसिक तनाव के कारण"ड्रेस"जल गई तो आगे से
सदा ध्यान रखो कि
मन की स्थिति हर परिस्थिति में अच्छी हो l बिगड़े मन से
काम भी तो बिगड़ेंगे l कार्यों को कुशलता से करने के लिए मन
के चिंतन
को कुशल बनाना अनिवार्य ह

Jun 25, 2013

आज कल की बहू..

नई बहू जब ससुराल आई तो उसका जोरदार स्वागत किया गया..
स्वागत के बाद नई बहू ने निवेदन किया,
“मेरे प्यारे ससुराल वालो, आप लोगो ने मेरा जिस प्यार और आत्मीयता से स्वागत किया, उसके लिए आप सबका धन्यवाद! मैं आप सभी से कहना चाहती हूँ कि आज मैं इस घर में आई हूँ तो कभी ऐसा मत सोचना कि मैं आप लोगो की जिंदगी में कोई बदलाव लाऊंगी! विश्वास रखिये, सब कुछ जैसे अब तक चलता था, ठीक वैसे ही चलता रहेगा.”
...
ससुर ने पूछा – “तुम्हारे कहने का क्या मतलब है, बेटी ?”

बहू ने जवाब दिया – “मेरा मतलब है कि जो खाना पकाता है वो वैसे ही खाना पकाए, जो बर्तन साफ़ करता है वह वैसे ही बर्तन साफ़ करे, जो कपड़े धोता है वो वैसे ही कपड़े धोये, जो घर की साफ़-सफाई करता है वो वैसे ही सफाई करे और बाकी जो भी काम घर में होते है वो वैसे ही होते रहें जैसे मेरे आने से पहले होते थे!
सास ने पूछ लिया – “तो फिर तुम्हें किसलिए लाये हैं बहू??

बहू – “मैं तो बस …. आपके बेटे के मनोरंजन के लिए आई हूँ!!!”

जो अपनी शर्तों पर जीते हैं बल्कि खुशहाल वे हैं जो, जिन्हें वे प्यार करते हैं, उनके लिए बदल जाते हैं

पत्नी ने पति से कहा, "कितनी देर तक
समाचार पत्र पढ़ते रहोगे? यहाँ आओ और
अपनी प्यारी बेटी को खाना खिलाओ". पति ने समाचार पत्र
एक
तरफ़ फेका और
... बेटी की ध्यान दिया. बेटी की आंखों में आँसू
थे और सामने खाने की प्लेट. बेटी एक
अच्छी लड़की है और अपनी उम्र के बच्चों से
ज्यादा समझदार. पति ने खाने की प्लेट को हाथ में लिया और
बेटी से बोला,
"बेटी खाना क्यों नहीं खा रही हो? आओ
बेटी मैं खिलाऊँ." बेटी जिसे खाना नहीं भा रहा था, सुबक
सुबक
कर रोने लगी और कहने लगी, "मैं
पूरा खाना खा लूँगी पर एक
वादा करना पड़ेगा आपको." "वादा", पति ने बेटी को समझाते
हुआ
कहा,
"इस प्रकार कोई महँगी चीज खरीदने के लिए
जिद नहीं करते." "नहीं पापा, मैं कोई महँगी चीज के लिए जिद
नहीं कर रही हूँ." फिर बेटी ने धीरे धीरे
खाना खाते हुये कहा, "मैं अपने सभी बाल
कटवाना चाहती हूँ." पति और पत्नी दोनों अचंभित रह गए
और
बेटी को बहुत समझाया कि लड़कियों के
लिए सिर के सारे बाल कटवा कर
गंजा होना अच्छा नहीं लगता है. पर बेटी ने
जवाब दिया, "पापा आपके कहने पर मैंने
सड़ा खाना, जो कि मुझे अच्छा नहीं लग रहा था,
खा लिया और
अब वादा पूरा करने
की आपकी बारी है." अंततः बेटी की जिद के
आगे पति पत्नी को उसकी बात
माननी ही पड़ी. अगले दिन पति बेटी को स्कूल छोड़ने
गया....
बेटी गंजी बहुत ही अजीब लग रही थे.
स्कूल में एक महिला ने पति से कहा, "आपकी बेटी ने
एक बहुत ही बड़ा काम किया है. मेरा बेटा कैंसर
से पीड़ित है और इलाज में उसके सारे बाल
खत्म हो गए हैं. वह् इस हालत में स्कूल
नहीं आना चाहता था क्योंकि स्कूल में लड़के
उसे चिढ़ाते हैं. पर आपकी बेटी ने कहा कि वह्
भी गंजी होकर स्कूल आयेगी और वह् आ गई.
इस कारण देखिये मेरा बेटा भी स्कूल आ गया.
आप धनाया हैं कि आपके ऐसी बेटी है"
पति को यह सब सुनकर
रोना आ गया और
उसने मन ही मन सोचा कि आज बेटी ने
सीखा दिया कि प्यार क्या होता है. इस पृथ्वी पर खुशहाल वह्
नहीं हैं
जो अपनी शर्तों पर जीते हैं बल्कि खुशहाल वे
हैं जो, जिन्हें वे प्यार करते हैं, उनके लिए बदल
जाते हैं....

Jun 24, 2013

* सच्चा हिरा *


सायंकाल का समय था |
सभी पक्षी अपने अपने
घोसले में जा रहे थे |
तभी गाव कि चार ओरते
... कुए पर पानी भरने आई
और
अपना अपना मटका भरकर
बतयाने बैठ गई |
इस पर पहली ओरत
बोली अरे ! भगवान मेरे
जैसा लड़का सबको दे |
उसका कंठ
इतना सुरीला हें कि सब
उसकी आवाज सुनकर मुग्ध
हो जाते हें |
इसपर दूसरी ओरत
बोली कि मेरा लड़का इतन
हें कि सब उसे आज के युग
का भीम कहते हें |
इस पर तीसरी ओरत
कहाँ चुप रहती वह
बोली अरे !
मेरा लड़का एक बार
जो पढ़ लेता हें वह
उसको उसी समय कंठस्थ
हो जाता हें |
यह सब बात सुनकर
चोथी ओरत कुछ
नहीं बोली
तो इतने में दूसरी ओरत ने
कहाँ “ अरे ! बहन
आपका भी तो एक लड़का हें
ना आप उसके बारे में कुछ
नहीं बोलना चाहती हो”
|
इस पर से उसने कहाँ मै
क्या कहू वह
ना तो बलवान हें और
ना ही अच्छा गाता हें |
यह सुनकर
चारो स्त्रियों ने
मटके उठाए और अपने गाव
कि और चल दी |
तभी कानो में कुछ
सुरीला सा स्वर सुनाई
दिया | पहली स्त्री ने
कहाँ “देखा ! मेरा पुत्र आ
रहा हें | वह
कितना सुरीला गान
गा रहा हें |” पर उसने
अपनी माँ को नही देखा औ
उनके सामने से निकल
गया |
अब दूर जाने पर एक
बलवान लड़का वहाँ से
गुजरा उस पर दूसरी ओरत
ने कहाँ | “देखो !
मेरा बलिष्ट पुत्र आ
रहा हें |” पर उसने
भी अपनी माँ को नही देख
सामने से निकल गया |
तभी दूर जाकर
मंत्रो कि ध्वनि उनके
कानो में
पड़ी तभी तीसरी ओरत ने
कहाँ “देखो !
मेरा बुद्धिमान पुत्र आ
रहा हें |” पर वह
भी श्लोक कहते हुए वहाँ से
उन
दोनों कि भाति निकल
गया |
तभी वहाँ से एक और
लड़का निकला वह उस
चोथी स्त्री का पूत्र
था |
वह अपनी माता के पास
आया और माता के सर पर
से पानी का घड़ा ले
लिया और गाव कि और
गाव कि और निकल पढ़ा |
यह देख
तीनों स्त्रीयां चकित रह
गई | मानो उनको साप
सुंघ गया हो | वे
तीनों उसको आश्चर्य से
देखने लगी तभी वहाँ पर
बैठी एक वृद्ध महिला ने
कहाँ “देखो इसको कहते हें
सच्चा हिरा”
“ सबसे पहला और सबसे
बड़ा ज्ञान संस्कार
का होता हें जो किसे और
से नहीं बल्कि स्वयं हमारे
माता-पिता से प्राप्त
होता हें | फिर भले
ही हमारे माता-
पिता शिक्षित
हो या ना हो यह ज्ञान
उनके
अलावा दुनिया का कोई
भी व्यक्ति नहीं दे
सकता ह