Mar 25, 2013

पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार

पिताजी कोई किताब पढने में व्यस्त थे , पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें डिस्टर्ब कर देता .

पिता के समझाने और डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ता.

तब उन्होंने सोचा कि अगर बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाए तो बात बन सकती है. उन्होंने पास ही पड़ी एक पुरानी किताब उठाई और उसके पन्ने पलटने लगे. तभी उन्हें विश्व मानचित्र छपा दिखा , उन्होंने तेजी से वो पेज फाड़ा और बच्चे को बुलाया – ” देखो ये वर्ल्ड मैप है , अब मैं इसे कई पार्ट्स में कट कर देता हूँ , तुम्हे इन टुकड़ों को फिर से जोड़ कर वर्ल्ड मैप तैयार करना होगा.”
और ऐसा कहते हुए उन्होंने ये काम बेटे को दे दिया.

बेटा तुरंत मैप बनाने में लग गया और पिता यह सोच कर खुश होने लगे की अब वो आराम से दो-तीन घंटे किताब पढ़ सकेंगे .

लेकिन ये क्या, अभी पांच मिनट ही बीते थे कि बेटा दौड़ता हुआ आया और बोला , ” ये देखिये पिताजी मैंने मैप तैयार कर लिया है .”

पिता ने आश्चर्य से देखा , मैप बिलकुल सही था, – ” तुमने इतनी जल्दी मैप कैसे जोड़ दिया , ये तो बहुत मुश्किल काम था ?”

” कहाँ पापा, ये तो बिलकुल आसान था , आपने जो पेज दिया था उसके पिछले हिस्से में एक कार्टून बना था , मैंने बस वो कार्टून कम्प्लीट कर दिया और मैप अपने आप ही तैयार हो गया.”, और ऐसा कहते हुए वो बाहर खेलने के लिए भाग गया और पिताजी सोचते रह गए .

Friends , कई बार life की problems भी ऐसी ही होती हैं, सामने से देखने पर वो बड़ी भारी-भरकम लगती हैं , मानो उनसे पार पान असंभव ही हो , लेकिन जब हम उनका दूसरा पहलु देखते हैं तो वही problems आसान बन जाती हैं, इसलिए जब कभी आपके सामने कोई समस्या आये तो उसे सिर्फ एक नजरिये से देखने की बजाये अलग-अलग दृष्टिकोण से देखिये , क्या पता वो बिलकुल आसान बन जाएं !

Mar 24, 2013

एक 8 साल के एक लडके की माँ मर जाती है..!


एक 8 साल के एक लडके की माँ मर जाती है..!

एक दिन एक आदमी ने उस लडके से पुछा कि,
बेटा, तुझे अपनी नई माँ और अपनी मरी हुई माँ मेँ
क्या फर्क लगा..?
...
तो वह लडका बोला : मेरी नई माँ सच्ची है और
मरी हुई माँ झुठी थी..!!

यह सुनकर वह आदमी अचरज मेँ पड गया,
फिर बोला : क्यु बेटा तुझे ऐसा लगता है..?

जिसने तुझे अपनी कोख से जन्म दिया वह
झुठी और कल तक आई हुई माँ सच्ची क्यु
लगती है..?

तो लडका बोला : जब मैँ मस्ती करता था तब
मेरी माँ कहती थी कि "अगर तु इस
तरह करेगा तो तुझे खाना नही दुगीँ" फिर भी मैँ
बहुत मस्ती करता रहता था.

और मुझे पुरे गाँव मेँ से ढुढँ कर घर लाती और
अपने पास बिठाकर अपने
हाथो से खाना खिलाती थी..!!

और यह नई माँ कहती है कि "अगर तु
मस्ती करेगा तो तुझे खाना नही दुँगी और सच मेँ वह
मुझे आज तीन दिन से खाना नही दिया.

बचें Facebook से ? main reasons ...

इसे बनाने वाले दुनिया के youngest billionaire Mark Zukerberg ने भी कभी नहीं सोचा था की ये इतनी जल्दी इतनी popular हो जाएगी . In fact , अगर आप Fb पे नहीं हैं तो लोग आपको आश्चर्य से देखते हैं . ..” Fb पे नहीं है ………….जी कैसे रहा है …… :) !!!” and all that.

आज Fb पे 1 billion+ registered user हैं, यानि दुनिया का हर सातवाँ आदमी Fb पे है and in all probability आप भी उन्ही में से एक होंगे . और शौक से Fb use करते होंगे . पर जो सोचने की बात है वो ये कि क्या आप Fb use करते ; overuse करते हैं …या फिर कहीं आप इसके addict तो नहीं !

Let’s say use करने का मतलब है कि आप Fb पर daily 1 घंटे से कम समय देते हैं , और overuse करने का मतलब है 1 घंटे से ज्यादा . और हाँ , use करने से बस ये मतलब नहीं है कि आप physically system के सामने या अपने smart phone को हाथ में लेकर use करते हैं even अगर आप Fb के बारे में सोचते हैं तो वो भी time usage में count होगा after all वो उतने देर के लिए आपका mind space occupy कर रहा है .

और अगर आप सोच रहे हैं कि कहीं मैं addict तो नहीं हूँ तो इन traits को देखिये , अगर ये आपमें हैं तो आप addict हो सकते हैं :

* आप का दिमाग अकसर इसी बात में लगा रहता है कि आपकी पोस्ट की गयी चीजों पर क्या कमेंट आया होगा, कितने लोगों ने लाइक किया होगा.
* आप बिना मतलब बार-बार फेसबुक स्क्रीन रिफ्रेश करते हैं कि कुछ नया दिख जाए.
* अगर थोड़ी देर आपका internet नहीं चला तो आप updates चेक करने साइबर कैफे चले जाते हैं या दोस्त को फ़ोन करके पूछते हैं.
* आप टॉयलेट में भी मोबाइल या लैपटॉप लेकर जाते हैं कि Fb use कर सकें
* आप सोने जाने से पहले सभी को Good Night करते हैं और सुबह उठ कर सबसे पहले ये देखते हैं की आपकी गुड नाईट पर क्या reactions आये.

अब मैं आपको अपने usage के बारे में बताता हूँ , on an average मैं daily 10 minutes से भी कम Fb use करता हूँ including Fb के बारे में सोचने का time. हाँ, इसे आप under usage भी कह सकते हैं . :) In my opinion ideally Fb आधे घंटे से अधिक नहीं use करना चाहिए पर फिर भी मैंने over usage को 1 घंटे से ऊपर रखा है .

और अब आपकी बात करते हैं , आप कितनी देर Fb use करते हैं ?

Well, अगर ये daily 1/2 घंटे से अधिक है तो आप अपना time waste कर रहे हैं , unless until आप purposefully ऐसा कर रहे हैं . Purposefully means आप अपना बिज़नस प्रमोट कर रहे हैं, किसी social cause के लिए campaign चला रहे हैं या कोई और meaningful काम कर रहे हैं , इन cases में अपना टाइम देना worth है .

किस तरह के लोग Fb ज़रुरत से अधिक use करते हैं :

In my opinion :

• जिनके पास कोई meaningful goal नहीं है …… the wanderers

• जो लोगोंका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं करना चाहते हैं ….the attention seekers.

• जो अपनी life से अधिक दूसरों की life में interest रखते हैं …..the peepers

क्या नुकसान कर सकता है Facebook का over usage ?

इसकी लिस्ट तो बहुत लम्बी है लेकिन आज मैं आपके साथ 7 ऐसे points share कर रहा हूँ , तो आइये देखते हैं इन्हें :

1) आप unknowingly अपनी happiness का control दूसरों को दे देते हैं ?


कैसे ? दरअसल अब आपकी happiness इस बात पर depend करने लगती है कि Fb पे आपकी बातों , आपकी pics को कितने लोग like कर रहे हैं , कितने लोग उसपर comments कर रहे हैं …कैसे comments कर रहे हैं …etc. For instance आपने एक नई watch ली और उसकी photo post की …obviously आपको watch बहुत पसंद थी इसलिए आपने ली …पर जब Fb पे उसे अधिक लोग like नहीं करते और कोई उसका मज़ाक बना देता है तो आप दुखी हो जाते हैं . और उसका उल्टा भी सही है …आप को कोई चीज पसंद नहीं है पर बाकी लोग उसको अच्छा कह देते हैं तो आप खुश हो जाते हैं …so in a way आप अपनी happiness का control अपने Fb friends को दे देते हैं . मैं ये नहीं कहता कि ये सभी के साथ होता है पर इतना ज़रूर है कि हम कहीं न कहीं इन चीजों से affect होते हैं .

And over a long period of time ये छोटे छोटे इफेक्ट्स बड़े होते जाते हैं और हमें पता भी नहीं चलता कि हम अपना real self कहाँ छोड़ आये.

2) आपको दूसरों की blessings और अपनी shortcomings दिखाई देने लगती है ?

Fb पर लोग generally अपनी life की अच्छी अच्छी बातें ही share करते हैं …लोग अपने साथ हो रही अच्छी चीजें बताते हैं , उनके status कुछ ऐसे होते हैं “ My new machine” , “ Lost in London”..etc

In reality आप भी ऐसा ही करते हैं , पर अन्दर ही अन्दर आप अपनी असलीयत भी जानते हैं , पर दूसरों के case में आप वही देखते हैं जो वो आपको दिखाते हैं , आपको उनकी नई car नज़र आती है पर उसके साथ आने वाला EMI नहीं , आपको friend का swanky office तो दीखता है पर उसके साथ मिलने वाली tension नहीं . और ऐसा होने पर आप उनकी खुशियों को अपने ग़मों से compare करने लगते हैं और ultimately low feel करने लगते हैं .

Fb की वजह से depression में जाने वालों की संख्या दिन ब दिन बढती जा रही है , just beware कि आप भी इसके शिकार न हो जाएं .

3) Real Friends और relationships suffer करते हैं :

कई बार लोग बहुत proudly बताते हैं , “ Fb पे मेरे 500 friends हैं …” I am sure उनमे से आधे अगर सामने से गुजर जाएं तो वो उन्हें पहचान भी नहीं पायंगे . हकीकत में Fb पे हमारे friends कम और acquaintances ज्यादा होते हैं . खैर ये कोई खराब बात नहीं है …लेकिन अगर हम इन more or less fake relations को ज़रुरत से अधिक time देते हैं तो कहीं न कहीं हमें अपनी family और friends को जो time देना चाहिए उससे compromise करते हैं . I know हमारे close friends और relations भी Fb पे होते हैं , but frankly speaking Fb पर वो भी हमारे लिए आम लोगों की तरह हो जाते हैं , क्योंकि Fb तो एक भीड़ की तरह है …और भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता ….जो सामने पड़ा …like किया , comment दिया और आगे बढ़ गए ….individuals को attention देना ये Fb की आत्मा में ही नहीं है .

4) आप mainly addicts से communicate करने लगते हैं :

शायद आपने Pareto principle के बारे में सुना होगा …इस principle का कहना है कि 80% चीजों के लिए 20% चीजें जिम्मेदार होती हैं .

For eg. किसी company की 80 % sales 20% customers की वजह से होती है .

ऐसा ही कुछ Fb पे भी होता है …80% updates 20% लोगों द्वारा ही की जाती है …और आप बार बार उन्ही से linkup होते रहते हैं …and basically ये वही Addict kind of लोग होते हैं जो बस Fb से चिपके ही रहते हैं . और ऐसे लोगों से interact करना शायद ही कभी आपको काम की चीजें बता पाएं . ये mostly waste of time ही होता हैं .

5) आपको Socially active होने का भ्रम हो जाता है और reality इसके उलट होती है :

Facebook पे होने से कई लोग खुद को socially active समझने लगते हैं , और friends को hi -bye कर के अपना role पूरा समझ लेते हैं . धीरे -धीरे ये बिलकुल mechanical हो जाता है …आप Fb पे तो hi करते हैं लेकिन जब उसी दोस्त से college या office में मिलते हैं तो react भी नहीं करते …it is like आपकी online presence मायने रखती हो पर आपका खुद का मौजूद होना बेमानी हो .

और जब आप ऐसे behave करते हैं तो लोग आपको avoid करने लगते हैं और कहीं न कहीं आपको fake समझने लगते हैं . यानि आपको तो लगता है कि आप सबसे touch में हैं पर इसके उलट आप अपना touch खोते जाते हैं .

6) आपकी health पर बुरा असर पड़ता है :

Fb पर लगे रहने से आपको फिजिकल और मेंटल दोनों तरह की प्रॉब्लम हो सकती हैं. आपकी आँखें कमजोर पड़ सकती हैं, गलत posture में बैठने से आपको स्पॉन्डिलाइटिस हो सकता है . और डिप्रेशन में जाने का खतरा तो हमेशा ही बना रहता है.

7) आप अपनी life के सबसे energetic days lazy entertainment में लगा देते हैं :

Fb use करने वालों की demography देखी जाए तो इसे सबसे अधिक teens और twenties के young लोग use करते हैं . अगर आप इस age group से बाहर हैं तो ये point आपके लिए applicable नहीं है.

Teenage और twenties life का वो time होता है जब आपके अन्दर energy की कोई कमी नहीं होती …कभी सोचा है कि इस वक्त भगवान् आपको सबसे अधिक energy क्यों देते है ….क्योंकि ये हमारे life making years होते हैं ….इस समय आपके सामने करने को बहुत कुछ होता है …..पढाई का बोझ या घर की जिम्मेदारी उठाने का challenge…अपना career chose करने और competition beat करने की कशमकश …अपने दिल कि सुनकर कुछ कर गुजरने की चाहत …parents के सामने हाथ फैलाने की जगह उनका हाथ थामने कि जिद्द …और ये सब करने के लिए उर्जा चाहिए …energy चाहिए ; but unfortunately Fb का over usage करने वाले उसे गलत जगह invest करते हैं . जहाँ उनके पास करने को इतने ज़रूरी काम हैं वो एक कोने में बैठ कर , and in ,most of the cases लेट कर …अपनी life के ये energetic days एकदम unproductive चीज में लगा देते हैं .

Friends अंत में मैं यही कहना चाहूँगा कि Fb एक शोर -शाराबे से भरे mall की तरह है …यहाँ थोडा वक़्त बीतायेंगे तो अच्छा लगेगा लेकिन अगर वहीँ घर बना कर रहने लगेंगे तो आपकी ज़िन्दगी औरों की आवाज़ के शोर में बहरी हो जाएगी . उसे बहरा मत होने दीजिये ….अपना time अपनी energy कुछ बड़ा , कुछ valuable , कुछ शानदार करने में लगाइए और जब आप ऐसा करेंगे तो आपके इस काम को सिर्फ आपके friends ही नही बल्कि पूरी दुनिया Like करेगी , और ऊपर वाला comment देगा , “gr8 job my son”

Mar 23, 2013

रिक्शेवाले का बेटा बना IAS officer ...

अगर career के point of view से देखा जाए तो India में थ्री आइज़ (3 Is) का कोई मुकाबला नही:

IIT,IIM, और IAS. लेकिन इन तीनो में IAS का रुतबा सबसे अधिक है . हर साल लाखों परीक्षार्थी IAS officer बनने की चाह में Civil Services के exam में बैठते हैं पर इनमे से 0.025 percent से भी कम लोग IAS officer बन पाते हैं . आप आसानी से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि IAS beat करना कितना मुश्किल काम है , और ऐसे में जो कोई भी इस exam को clear करता है उसके लिए अपने आप ही मन में एक अलग image बन जाती है . और जब ऐसा करने वाला किसी बहुत ही साधारण background से हो तो उसके लिए मन में और भी respect आना स्वाभाविक है .

आज GUPTA JI KI DAYARI पर मैं आपके साथ ऐसे ही एक व्यक्ति की कहानी share कर रहा हूँ जो हज़ारो दिक्कतों के बावजूद अपने दृढ निश्चय और मेहनत के बल पर IAS officer बना .

ये कहानी है Govind Jaiswal की , गोविन्द के पिता एक रिक्शा -चालक थे , बनारस की तंग गलियों में , एक 12 by 8 के किराए के कमरे में रहने वाला गोविन्द का परिवार बड़ी मुश्किल से अपना गुजरा कर पाता था . ऊपर से ये कमरा ऐसी जगह था जहाँ शोर -गुल की कोई कमी नहीं थी , अगल-बगल मौजूद फक्ट्रियों और जनरेटरों के शोर में एक दूसरे से बात करना भी मुश्किल था .

नहाने -धोने से लेकर खाने -पीने तक का सारा काम इसी छोटी सी जगह में Govind , उनके माता -पिता और दो बहने करती थीं . पर ऐसी परिस्थिति में भी गोविन्द ने शुरू से पढाई पर पूरा ध्यान दिया .

अपनी पढाई और किताबों का खर्चा निकालने के लिए वो class 8 से ही tuition पढ़ाने लगे . बचपन से एक असैक्षिक माहौल में रहने वाले गोविन्द को पढाई लिखाई करने पर लोगों के ताने सुनने पड़ते थे . “ चाहे तुम जितना पढ़ लो चलाना तो रिक्शा ही है ” पर गोविन्द इन सब के बावजूद पढाई में जुटे रहते . उनका कहना है . “ मुझे divert करना असंभव था .अगर कोई मुझे demoralize करता तो मैं अपनी struggling family के बारे में सोचने लगता .”

आस - पास के शोर से बचने के लिए वो अपने कानो में रुई लगा लेते , और ऐसे वक़्त जब disturbance ज्यादा होती तब Maths लगाते , और जब कुछ शांती होती तो अन्य subjects पढ़ते .रात में पढाई के लिए अक्सर उन्हें मोमबत्ती, ढेबरी , इत्यादि का सहारा लेना पड़ता क्योंकि उनके इलाके में १२-१४ घंटे बिजली कटौती रहती.

चूँकि वो शुरू से school topper रहे थे और Science subjects में काफी तेज थे इसलिए Class 12 के बाद कई लोगों ने उन्हें Engineering करने की सलाह दी ,. उनके मन में भी एक बार यह विचार आया , लेकिन जब पता चला की Application form की fees ही 500 रुपये है तो उन्होंने ये idea drop कर दिया , और BHU से अपनी graduation करने लगे , जहाँ सिर्फ 10 रूपये की औपचारिक fees थी .

Govind अपने IAS अफसर बनने के सपने को साकार करने के लिए पढ़ाई कर रहे थे और final preparation के लिए Delhi चले गए लेकिन उसी दौरान उनके पिता के पैरों में एक गहरा घाव हो गया और वो बेरोजगार हो गए . ऐसे में परिवार ने अपनी एक मात्र सम्पत्ती , एक छोटी सी जमीन को 30,000 रुपये में बेच दिया ताकि Govind अपनी coaching पूरी कर सके . और Govind ने भी उन्हें निराश नहीं किया , 24 साल की उम्र में अपने पहले ही attempt में (Year 2006) 474 सफल candidates में 48 वाँ स्थान लाकर उन्होंने अपनी और अपने परिवार की ज़िन्दगी हमेशा -हमेशा के लिए बदल दी .

Maths पर command होने के बावजूद उन्होंने mains के लिए Philosophy और History choose किया , और प्रारंभ से इनका अध्यन किया ,उनका कहना है कि , “ इस दुनिया में कोई भी subject कठिन नहीं है , बस आपके अनादर उसे crack करने की will-power होनी चाहिए .”

अंग्रेजी का अधिक ज्ञान ना होने पर उनका कहना था , “ भाषा कोई परेशानी नहीं है , बस आत्मव्श्वास की ज़रुरत है . मेरी हिंदी में पढने और व्यक्त करने की क्षमता ने मुझे achiever बनाया .अगर आप अपने विचार व्यक्त करने में confident हैं तो कोई भी आपको सफल होने से नहीं रोक सकता .कोई भी भाषा inferior या superior नहीं होती . ये महज society द्वारा बनाया गया एक perception है .भाषा सीखना कोई बड़ी बात नहीं है - खुद पर भरोसा रखो . पहले मैं सिर्फ हिंदी जानता था ,IAS academy में मैंने English पर अपनी पकड़ मजबूत की . हमारी दुनिया horizontal है —ये तो लोगों का perception है जो इसे vertical बनता है , और वो किसी को inferior तो किसी को superior बना देते हैं .”

गोविन्द जी की यह सफलता दर्शाती है की कितने ही आभाव क्यों ना हो यदि दृढ संकल्प और कड़ी मेहनत से कोई अपने लक्ष्य -प्राप्ति में जुट जाए तो उसे सफलता ज़रूर मिलती है . आज उन्हें IAS officer बने 5 साल हो चुके हैं पर उनके संघर्ष की कहानी हमेशा हमें प्रेरित करती रहेगी

जिस काम में मन लगे वो करना चाहिए ...

ज्यादातर लोग लाइफ में जो आसानी से मिल जाता है उसे ही अपनी किस्मत मान लेते हैं और बस यूँही सस्ते में अपनी ज़िन्दगी बिता देते हैं ?

ऐसा शायद इसलिए होता है क्योंकि दिल की सुनना आसान नहीं होता …इसमें कई challenges आते हैं , और आज मैं ऐसे ही कुछ challenges के बारे में आपसे अपनी thoughts share कर रहा हूँ . इन्हें share करने का मेरा motive ये है कि यदि आप उनमे से हैं जो अपने सपनो को पूरा करने में लगे हैं या future में लगने वाले हैं तो इन challenges से घबराएं नहीं …आप अकेले इनका सामना नहीं कर रहे हैं …आपकी gene का हर आदमी more or less in challenges को face करता है , कुछ इनके आगे निकल जाते हैं तो कुछ हार मान लेते हैं. अब ये आप पर depend करता है कि आप क्या करते हैं!!!

तो आइये जानते हैं इन 7 challenges को :

1) Society का opposition:

यदि आपका passion लीक से हटकर हो तो आप को समाज के विरोध के लिए तैयार रहना चाहिए . सबसे ज्यादा opposition तो आपकी family से ही हो सकता है …क्योंकि वही आपकी सबसे अधिक चिंता करते हैं . ख़ास तौर पर middle class families जहाँ job को ही सबसे safe माना जाता है वहां यदि आप कुछ entrepreneurial करने का सोचते हैं तो family आपके खिलाफ हो जाती है . उनका विरोध human nature के इस fact को दर्शाता है कि हम unknown या कुछ नए को accept करने से डरते हैं ….पर जब आप अपने काम में लगे रहते हैं तो धीरे धीरे वही लोग आपकी मदद में सामने आ जाते हैं . इसलिए इस initial opposition को part of process समझें और इससे घबराये नहीं . जहाँ तक हो सके बस अपनी family को confidence में लेने का प्रयास करें , बाकियों का तो सोचे भी नहीं .

2) दोस्त आगे निकल जाते हैं :


सभी का अपना -अपना friend circle होता है , मौज – मस्ती होती है .. exam की tension होती है … हम बड़े होते हैं और फिर ज़िन्दगी की so called race में लग जाते हैं …..ज्यादातर लोग conventional wisdom अपनाते हुए , doctor ,engineer, सरकारी नौकरी …etc के चक्कर में लग जाते हैं और देर -सबेर इसमें कामयाब भी हो जाते हैं . अगर सचमुच आप दिल से यही करना चाहते थे तो इसमें कोई बुराई नहीं है ….दिल की सुनना हमेशा ….singer , cricketer या actor बनना ही नहीं होता ….ये Engineer, doctor बन कर देश की सेवा करना भी हो सकता है . और एक दूसरे case में भी यह करना सही है – जब आप clear नहीं होते की आप दरअसल life में करना क्या चाहते हैं, तो भी आप यही रास्ता चुन सकते हैं ..इसमें कम से कम आप financially secure रहेंगे , जो कि बेहद ज़रूरी है .

Challenge तब आता है जब आप अपने life goals को लेकर clear होते हैं , और अपने रास्ते पर निकल पड़ते हैं . और ऐसा life की किसी भी stage में हो सकता है , पहले हो जाता है तो ठीक है , पर अधिकतर ये clarity थोड़ी देर से आती है इसलिए जब आप इस दिशा में बढ़ते हैं तो आप पाते हैं कि अभी आपने शुरुआत भर की है और आपके बाकी दोस्त conventional path follow करते हुए एक well- settled life ( society की नज़र में ) की तरफ बढ़ चुके हैं . यहाँ आपको थोड़ी उलझन हो सकती है , आपके मन में doubt आ सकता है कि आप ही की उम्र के लोग इतने पैसे कमा रहे हैं और आप अभी struggle ही कर रहे हैं …..ऐसा लग सकता है कि आप कहीं गलती तो नहीं कर रहे हैं , और यहीं पर आपको डंटे रहना है .

अपने काम में believe करिए , इन distractions की life बहुत छोटी होती है , अगर आप सचमुच अपने काम को लेकर passionate हैं तो आप जल्द ही इनसे पार पा लेंगे . जब अमिताभ बच्चन को 27-28 साल की उम्र में पहली बार फिल्मो में ब्रेक मिला था तो उस वक़्त तक उनके भी बहुत सारे classmates अच्छी नौकरियों में settle हो चुके थे , ऐसे में उनके भी अन्दर सवाल उठे होंगे , पर उन्होंने उन distractions को खुद पर हावी नहीं होने दिया और इतने महान अभिनेता बने .

आप भी औरों के आगे निकलने से परेशान मत होइए , ….लम्बी race के घोड़े शुरू में धीमे-धीमे ही दौड़ते हैं .

3) सफलता के लिए लम्बा इंतज़ार :


कई बार लोग कामयाबी के बहुत करीब पहुच कर हार मान लेते हैं . आपको ध्यान देना होगा कि आप अपने काम को अंजाम तक पहुचाएं , किसी भी काम को करने में time तो लगता ही है और जब काम बड़ा हो तो समय भी बड़ा लगता है .

Kentucky Fried Chicken (KFC) के founder Colonel Sanders ने जब अपनी business idea के लिए लोगों को convince करना चाहा तो उन्हें हज़ार से भी अधिक बार ना सुननी पड़ी. वह अपनी कार में एक शहर से दूसरे शहर घूमते रहे और restaurant मालिकों से मिलते रहे , और इस दौरान कई बार उन्हें अपनी कार में ही सोना पड़ता था. पर इतनी ना सुनने के बाद भी उन्हें अपनी चिकन बनाने की secret recipe पर यकीन था और देर से ही सही पर उन्हें सफलता मिली और आज KFC दुनिया भर में एक successful brand के रूप में जाना जाता है.

4) आपके दिल का काम financially rewarding ….नहीं भी हो सकता है :

May be आप जिस चीज को लेकर passionate हैं वो आपको satisfaction तो दे पर उतने पैसे ना दे . For example आप as a social activist काम करना चाहते हों , या किसी NGO के लिए अपना time देना चाहते हों . तो ऐसे में आपको पहले से अपना mind make-up कर के रखना होगा कि आप वो पा रहे हैं जो पैसे से नहीं पाया जा सकता और इसी सोच के साथ आपको अपने काम में लगे रहना होता है .

यहाँ मैं एक चीज ज़रूर कहना चाहूँगा कि ऐसी fields में भी जब आप fully involved हो कर काम करते हैं तो देर -सबेर आपको financially भी इसका reward मिलता है , आप निःस्वार्थ भाव से अपने काम में लगे रहिये आपका काम ही आपका reward है .

5) Boredom:

ऐसा भी होता है कि आप जिस चीज को करना बहुत अधिक पसंद करते हैं उसी को करने में बोरीयत होने लगे , ऐसे में आपको ये नहीं सोचना चाहिए कि आपका passion ख़तम हो गया है बल्कि अपने काम को interesting बनाने के लिए नए तरीके और ideas खोजने चाहिए . कुछ दिन में खुद -बखुद boredom ख़तम हो जायेगा और आप फिर से उसी जोशो -जूनून के साथ अपने dream को pursue कर पायेंगे .

इतना ध्यान रखिये कि अपने दिल की सुनने वाला हर एक सफल व्यक्ति कभी ना कभी इस phase से गुजरता है इसलिए अगर आप भी इस phase से गुजरें तो just be relaxed….ये भी सफलता के मार्ग में आने वाले एक पड़ाव भर है .

6) Focus loose करना :


I think ये सबसे बड़ा challenge है जो ज्यादातर सपनो को पूरा नहीं होने देता . मेरी तरह आपने भी कई बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि , “ Well begun is half done….पहला step लेना ही सबसे कठिन है उसके बाद सब हो जाता है ….etc” पर मुझे लगता है कि पहला step लेना आसान है , आप कोई भी काम कुछ effort डाल कर शुरू कर सकते हैं …कठिन तो उसे पूरा करना है, उसमे सफलता पाना है.

होता क्या है कि आप पूरी energy के साथ अपने दिल के कहे रास्ते पर बढ़ते हैं , पर कुछ दूर जाने के बाद ही आपको कई नए alternatives दिखने लगते हैं ….आपके मन में आने लगता है कि शायद ये काम छोड़ कर वो करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा … फिर आप जो कर रहे होते हैं उसमे आपका focus कम होने लगता है …आप दूसरी idea की तरफ attract होने लगते हैं …और ऐसा करने से आप जो कर रहे होते हैं उसमे भी आप अपना 100% नहीं दे पाते हैं and ultimately success से दूर रह जाते हैं . इसलिए ज़रूरी है कि आप अपने आगाज़ को अंजाम तक पहुंचाएं , बीच में अपना focus ना loose करें .

स्वामी विवेकानंद ने भी सफल होने के लिए यही मन्त्र दिया है , “

“ एक विचार लो . उस विचार को अपना जीवन बना लो - उसके बारे में सोचो उसके सपने देखो , उस विचार को जियो . अपने मस्तिष्क , मांसपेशियों , नसों , शरीर के हर हिस्से को उस विचार में डूब जाने दो , और बाकी सभी विचार को किनारे रख दो . यही सफल होने का तरीका है.”

7) आपको ये पता चलना कि आप जो कर रहे हैं वो आपका passion नहीं है :


Shockingggg !!! लेकिन ये एक बहुत ही common scenario है, भले ही आप खुद इसे accept करने से कतराएं .

हर दिन हर पल हम बदल रहे हैं , हम तब तक अपनी true liking नहीं जान पाते जब तक हम उस काम को practically कर के नहीं देखते . हम कोई article पढ़ के , कोई program देख के, किसी दोस्त के influence में , या किसी और वजह से किसी काम को अपना passion समझ लेते हैं और उसे करना शुरू करते हैं पर कुछ दिनों बाद ही हम उस काम से उबने लगते हैं , to the extent that हम उसे करना ही नहीं चाहते . यह कुछ कुछ Boredom जैसा ही है पर ये boredom का बहुत बड़ा और बिगड़ा हुआ रूप है जिसमे आप धीरे -धीरे उस काम को ना करने के excuses खोजने लगते हैं .

जब ऐसा हो तो क्या करें ? Simple, अपने नए passion की तालाश शुरू करें , और उसे भी practically apply करके देखें , और अगर इस बार भी आपको लगे कि ये आपके दिल की आवाज़ नहीं है तो फिर अपने असली जूनून को खोजने में जुट जाएं . ये जीवन भर बेमन का काम करने से अच्छा है कि देर से ही सही पर आप अपना passion खोज पाएं , और जब तक आपको यह नहीं मिलता तब तक खुद को financially support करने के लिए कुछ और भी करते रहे ,may be a 9 to 5 job…tuition पढ़ाना …family business….etc, पर अपने passion की तालाश को रोकें नहीं …उसे खोज निकालें …एक दिन यही खोज आपको mediocre life से निकाल कर superior life की तरफ ले जायेगी.

Friends, तो ये थे वो सात challenges जो आमतौर पर आपको दिल की आवाज़ सुनने में face करने पड़ सकते हैं , पर ध्यान रहे कि ये कोई comprehensive list नहीं है , इसके आलावा भी कई और challenges हैं जो आपके सामने आ सकते हैं , जैसे कि पैसों की कमी , परिवार की जिम्मेदारी , etc. पर इन सब के बावजूद passionate लोग वो सब कुछ कर गुजरते हैं जो वो करना चाहते हैं ….आप भी इन challenges की वजह से अपने जोश को ठंढा मत पड़ने दीजिये और अपने dreams को reality बना कर दिखाइए , तभी जीने का असली मजा है .