Jan 27, 2013

स्कूल में एक बच्चे को जीके के पेपर में फिल्‍म 3 इडियट्स से मिलने वाली प्रेरणा पर संक्षिप्त निबंध लिखने को कहा गया...

स्कूल में एक बच्चे को जीके के पेपर में फिल्‍म 3 इडियट्स से मिलने वाली प्रेरणा पर संक्षिप्त निबंध लिखने को कहा गया। बच्चे ने फिल्‍म 3 इडियट्स पर निंबध लिखा जिसके प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं।

1. 3 इडियट्स से हमें यह पता चलता है कि इंजीनियरिंग करते हुए भी मेडिकल कॉलेज की लड़की पटाई जा सकती है।

2. इस मूवी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कॉलेज के पहले दिन अंडरवियर जरूर पहनना चाहिए।

3. इस फिल्‍म से हमें... यह प्रेरणा मिलती है कि कॉलेज के प्राचार्य की लड़की को भी सेट कर सकते हैं।

4. 3 इडियट्स से हमें यह पता चलता है कि सिर्फ डॉक्टर ही नहीं, इंजीनियर भी महिला की डिलीवरी करवा सकता है।

5. 3 इडियट्स से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किस करते वक्त नाक बीच में नहीं आती।

6. इस फिल्म से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हिन्दी का अधूरा ज्ञान खतरनाक हो सकता है। चमत्कार कभी भी 'बलात्कार' में बदल सकते हैं।

7. इस फिल्म से हम सीखते हैं कि अगर एक्ज़ीमा क्रीम खत्म हो जाए तो खुजाने के लिए घर के बेलन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

8. इस फिल्म से हमें दोस्त की गर्लफ्रेंड पर लाइन नहीं मारने की भी प्रेरणा मिलती है।

9. अंत में हमें बड़ी शिक्षा ये मिलती है कि फिल्‍म के ये सभी आइडियाज अपना लो, लोग कहेंगे जहांपनाह तुसी ग्रेट हो, तोहफा कबूल करो।

रेगिस्तान में एक आदमी के पास यमदूत आया लेकिन आदमी उसे पहचान....

रेगिस्तान में एक आदमी के पास यमदूत आया लेकिन आदमी उसे पहचान नहीं सका और उसने उसे पानी पिलाया.

“मैं मृत्युलोक से तुम्हारे प्राण लेने आया हूँ” – यमदूत ने कहा – “लेकिन तुम अच्छे आदमी लगते हो इसलिए मैं तुम्हें पांच मिनट के लिए नियति की पुस्तक दे सकता हूँ. इतने समय में तुम जो कुछ बदलना चाहो, बदल सकते हो”.

यमदूत ने उसे नियति की पुस्तक दे दी. पुस्तक के पन्ने पलटते हुए आदमी को उसमें अपने पड़ोसियों के जीवन की झलकियाँ दिखीं. उनका खुशहाल जीवन देखकर वह ईर्ष्या और क्रोध से भर गया.
...
“ये लोग इतने अच्छे जीवन के हक़दार नहीं हैं” – उसने कहा, और कलम लेकर उनके भावी जीवन में भरपूर बिगाड़ कर दिया.

अंत में वह अपने जीवन के पन्नों तक भी पहुंचा. उसे अपनी मौत अगले ही पल आती दिखी. इससे पहले कि वह अपने जीवन में कोई फेरबदल कर पाता, मौत ने उसे अपने आगोश में ले लिया.

अपने जीवन के पन्नों तक पहुँचते-पहुँचते उसे मिले पांच मिनट पूरे हो चुके थे.

बच्चे का मस्तिष्क कोरे कागज की तरह होता है....

''वाऊ क्या मस्त आंटी है,इसकी माँ की आँख''
अपने दोस्त के छः वर्षिय बच्चे केमुँह से ये वाक्य सुनकर मैँ भौंचकरह गया।
दोस्त और उसकी पत्नी झेँप से गये।
बच्चा 'नो एंट्री'मूवी देख रहा था,
फिर सारी बाते समझ आ गई।
... दोष बच्चे से ज्यादा उसके परिवेश का था।
मूवी,टीवी के अलावा बच्चे मेँ इस नकारात्मक गुण का कारण था,
बड़ो के द्वारा बोले जाने वाले अपशब्द।
बच्चे का मस्तिष्क कोरे कागज की तरह होता है,
अच्छी या बुरी चीजो को काफी तिव्रता से ग्रहण करता है।
इसलिये बच्चो के सामने अपशब्दो का उपयोग ना करें चाहे अपना बच्चाहो या दुसरो का।
।।संयमित और मर्यादित भाषा और विचार से सभ्य समाज का उत्कर्ष होता है।।

Jan 26, 2013

वन्दे मातरम्!.......................



वन्दे मातरम्!
सुजलाम, सुफलाम् मलयज-शीतलाम्
शस्यश्यामलाम् मातरम्
वन्दे मातरम्
... शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीम् सुमधुरभाषिणीम्
सुखदाम्, वरदाम्, मातरम्!
वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम्

इस देश मे आजादी के 66साल बाद आज भी इस देश में 84 करोड़30 लाख लोगो के पास एक दिन में खर्च करने ... को 20 रुपये नहीं है ,..


आप से निवेदन है की 1 दिन बाद २६ जनवरी है |
सेना की परेड में लड़ाकू विमान,टैंक़, मिसाइल देखकर ये मत
भूल जाना कि
इस देश मे आजादी के 66साल बाद आज भी इस देश में
84 करोड़30 लाख लोगो के पास एक दिन में खर्च करने
... को 20 रुपये नहीं है ,
मत भूल जाना world hunger report जो कहती है
कि भारत मे हर 1 मिनट में 13 लोग भूख से मर जाते है और
शाम होते तक लगभग 10000 हजार लोग भूख से ही मर
जाते है ,
मत भूल जाना इस देश में 15 करोड़ लोगो के पास आज
भी तन ढकने को 2 मीटर कपड़ा नहीं है ,
मत भूल जाना आजाद होने के 66 साल बाद भी देश
की सरकार आम आदमी की जरुरत की चीजे उसे
नहीं मुहिया करवा पाई ,
मत भूल जाना की कैसे आज भी इस देश
का अन्नदाता (किसान ) आत्महत्या करता है,
मत भूल जाना की आज भी देश के राज नेता उन
शहीदों को उनका हक़ भी नहीं दिला सके जिन शहीदों ने इस
देश की अखंडता बनाये रखा ७१,६५, ९९ के लड़ाई में
अपनी जान हस्ते हस्ते दे दी,
मत भूल जाना की आज भी देश उस मजहब
की चिंगारी की आग पर बैठा है की न जाने कब इस देश के
फिर से दो टुकड़े न कर दे,
मत भूल जाना की कैसे बलात्कार पीडिता को इस देश
का कानून जीते जी तो छोडिये मरने के बाद भी इंसाफ
नहीं दिला सका है क्या उमीद की जाए इस देश के कानून
और राजनेताओ से,
.
.
.
क्या हमारे देश के सात लाख शहीदों ने इसी भारत
की कल्पना की थी जो आज हमारे सामने है राजमार्ग से
निचे उतर कर ४ किलोमीटर अन्दर वो गाँव देखिये तो भारत
आपको वही खड़ा दिखाई देगा जहाँ पर भगत सिंग
या चद्रशेखर जी छोड़ कर गए थ