Jul 11, 2009

एक दस साल का बच्चा बहुत ध्यान से एक किताब पढ़ रहा था, जिसका शीर्षक था बच्चों का पालन पोषण कैसे करें।
मां - तुम ये किताब क्यों पढ़ रहे हो।
बच्चा- मैं ये देखना चाहता हूं कि मेरा पालन पोषण ठीक तरह से हो रहा है या नही।

एक आदमी कब्र पर बैठा था.. मुसाफिर ने पूछा, डर नही लगता?
आदमी- डरने की क्या बात है, अंदर गरमी लग रही थी थोड़ी देर बाहर आ गया।

डॉक्टर (मरीज से)- मुझे तुम्हारा ऑपरेशन दोबारा करना पड़ेगा।
मरीज (डॉक्टर से)- क्यूं???
डॉक्टर- मेरे रबड़ के दास्ताने तुम्हारे पेट में रह गये हैं।
मरीज- अगर ये बात है तो मुझे जाने दो, मैं तुम्हारे दास्ताने के पैसे दे दूंगा।

पत्नी (पति से)- मुझे भिखारियों से नफरत है!
पति (पत्नी से)- क्यों??
पत्नी - कल मैंने एक भिखारी को खाना दिया था, आज उस भिखारी ने मुझे एक किताब उपहार में दी है खाना कैसे बनाए!!



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लुभावना हुआ क्रिकेट पर गिर रही गरिमा: सनी


मुंबई। क्रिकेट जगत में भारत को बुलंदी तक पहुंचाने वाले महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने शुक्रवार को अपना 60वां जन्मदिन बेंगलूर के पास पुट्टपर्थी में सत्य साई बाबा के आश्रम में मनाया। जन्मदिन के मौके पर लिटिल मास्टर ने कहा कि आज के तारीख में क्रिकेट बहुत लुभावना हो गया है लेकिन इसकी गरिमा में गिरावट आ रही है।
टेस्ट क्रिकेट में दस हजार का आंकड़ा छूने वाले दुनिया के पहले क्रिकेटर गावस्कर ने कहा, मैं सोचता हूं कि इस खेल की रुमानियत खत्म हो रही है जो कि खुद की अपनी टीम या विपक्षी टीम के द्वारा होता था अब ऐसा नहीं होता। उन्होंने कहा, आपको मुश्किल से दिखेगा कि किसी बल्लेबाज के शानदार प्रदर्शन करने के बाद भी कोई क्षेत्ररक्षक उसे प्रोत्साहित करता हो। खिलाडि़यों का ध्यान टीवी कैमरों की ओर होता है। इसलिए वे सिर्फ एक बार ताली बजाकर औपचारिकता पूरी कर देते हैं। अब कहा जाने लगा है कि विपक्षी खिलाडि़यों के लिए दो या तीन बार ताली बजाना कमजोरी की निशानी है। मैं नहीं समझता कि यह सही है।
गावस्कर के साथ सत्य साई बाबा के आश्रम में उनका पूरा परिवार और बहनोई गुंडप्पा विश्वनाथ भी थे। भारत के पूर्व कप्तान गावस्कर भी सचिन तेंदुलकर की ही तरह सत्य साई बाबा के भक्तों में शुमार हैं। गावस्कर ने अपने कैरियर में कई उपलब्धियों को छुआ। उन्होंने 125 टेस्ट में 34 शतक के साथ 10,122 रन बनाए। विश्वनाथ के साथ भारतीय बल्लेबाजी की रीढ रहे गावस्कर ने उस जमाने में रनों का अंबार लगाया जब बल्लेबाज हेलमेट नहीं पहनते थे और एक ओवर में फेंके जाने वाले बाउंसरों की संख्या पर भी कोई अंकुश
लंदन। ट्वंटी-20 क्रिकेट की बढ़ती लोकप्रियता के साथ आईसीसी के टेस्ट क्रिकेट को चार दिन तक सीमित करने पर विचार-विमर्श करने के बीच दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान कैपलर वेसेल्स का मानना है कि संकट से जूझे रहे क्रिकेट के इस लंबे प्रारूप के लिए उबाऊ एशेज खतरनाक होगा।
वेसेल्स ने कहा, टेस्ट क्रिकेट को जिस अंतिम चीज की जरूरत है वह उबाऊ एशेज है। क्रिकेट का लंबा प्रारूप पहले ही संकट में घिरा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद [आईसीसी] ने चार दिन के टेस्ट मैचों के बारे में सोचना शुरू कर दिया है और हर जगह खेल का ट्वंटी-20 प्रारूप छा रहा है। टेस्ट क्रिकेट को जिंदा रखने के लिए इस एशेज सीरीज को आग मुहैया करानी ही होगी। वेसेल्स का मानना है कि टी-20 विश्व कप जैसी बड़ी प्रतियोगिता के आसपास एशेज का कार्यक्रम तय करना भी आस्ट्रेलिया-इंग्लैंड सीरीज में कम रुचि का एक अन्य कारण है।
उन्होंने वीकेंड पोस्ट में लिखा है, मुझे याद नहीं आता जब एशेज सीरीज की शुरुआत इतनी कम दिलचस्पी के साथ हुई हो। शायद हाल में ट्वंटी-20 विश्व कप का समाप्त होना इसका एक कारण हो। वेसेल्स ने कहा, टेस्ट क्रिकेट की प्रतिष्ठित सीरीज को किसी हाई प्रोफाइल प्रतियोगिता के बाद उसी देश में आयोजित कराना शायद बहुत अच्छा विचार नहीं है। बाएं हाथ के इस पूर्व बल्लेबाज ने कहा कि कार्डिफ में स्टेडियम दर्शकों से खचाखच शायद इसलिए भरा है क्योंकि इस मैदान पर पहली बार टेस्ट मैच का आयोजन हो रहा है। उन्होंने कहा, यह इस मैदान पर पहला और एशेज सीरीज का शुरुआती मैच है इसलिए इसके सभी टिकट बिकने ही थे। लेकिन अब तक क्रिकेट काफी सामान्य रहा है। उन्होंने कहा कि बाकी

Jul 4, 2009

इस साल जनवरी में मुम्बई शेयर सूचकांक जब 21,000 ...

इस साल जनवरी में मुम्बई शेयर सूचकांक जब 21,000 अंकों की सीमा पारकर 22,000 की चढ़ाई चढ़ रहा था कि अचानक तेजड़ियों का स्वाद बिगड़ गया और गिरावट का दौर शुरू हो गया। बीते सप्ताह एक समय यह 13,000 से भी नीचे चला गया। सप्ताहांत यह 13,454 अंक पर बंद हुआ, जो कि वर्ष के सर्वोच्च स्तर 21,150 अंक की तुलना में 36.35 प्रतिशत नीचे आ चुका है।
रिलायंस समूह के मुकेश अम्बानी, अनिल अम्बानी, डीएलएफ के के.पी.सिंह, सॉफ्टवेयर कम्पनी विप्रो के अजीम प्रेमजी और दूरसंचार क्षेत्र में कीर्तिमान बनाने वाले सुनील भारती मित्तल की दौलत पिछले पाँच-छह महीनों की मंदी से 50 से 55 खरब रुपये घट चुकी है। शेयर बाजार जब पूरे उफान पर था तो इन पाँचों धनपतियों की शेयर दौलत 130 खरब रुपये के शीर्ष पर थी, जो कि अब घटकर 80 से 85 खरब रुपये के आस-पास रह गई है।
पूँजी बाजार पर नजर रखने वाली संस्था प्राइम डाटा बेस के प्रमुख पृथ्वी हल्दिया कहते हैं, `बाजार तो नीचे आना ही था, जिस रफ्तार से तेजी बनी हुई थी वह सामान्य नहीं थी।' बाजार अपनी वास्तविक स्थिति में आ गया। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भी बाजार से हाथ खींच लिए। पिछले चार-पाँच महीनों से विदेशी निवेशक लगातार बिकवाल बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि कम्पनियों का मुनाफा बढ़ा 20 प्रतिशत, लेकिन उसके शेयरों के दाम चढ़ गए 40 प्रतिशत तक, ऐसी स्थिति ज्यादा दिन नहीं चल सकती। `मोटी रकम लगाने वाले मुनाफा तो काटेंगे ही।'
पिछले छह महीनों में संवेदी सूचकांक में 7,500 से अधिक अंक की गिरावट आ चुकी है। कई जानी-मानी कम्पनियों के शेयर 70 से 75 प्रतिशत तक नीचे लुढ़क चुके हैं। इसकी वजह चाहे कुछ भी हो, लेकिन आम निवेशक इस मंदी में तेजड़ियों और विदेशी निवेशकों द्वारा बुने जाल में फँसकर बाजार सूचकांक की गिरावट रुकने और उसके ऊपर उठने की आस लगाए बैठ गया है। यहाँ तक म्युचुअल फंड में निवेश करने वाले छोटे निवेशकों की उम्मीदों पर भी कुठाराघात हुआ है।
निवेशकों को सबसे ज्यादा नुकसान अनिल अम्बानी समूह की कम्पनी रिलायंस पॉवर लिमिटेड में हुआ। रिलायंस पॉवर लिमिटेड इस साल की शुरुआत में सबसे बड़ा पब्लिक इश्यू बाजार में लेकर आई। छोटे निवेशकों को कम्पनी ने दस रुपये का शेयर 430 रुपये में दिया। बाद में बाजार की मंदी को देखते हुए कम्पनी ने निवेशकों को प्रत्येक पाँच शेयर पर तीन बोनस शेयर दिए। इस लिहाज से औसत शेयर मूल्य 270 रुपये तक आ गया, लेकिन कम्पनी का बाजार भाव 127 रुपये पर धक्के खा रहा है। पिछले एक साल के उच्चतम भाव की तुलना में इसमें 66 प्रतिशत तक गिरावट आ चुकी है।
रिलायंस कैपिटल 70 प्रतिशत घटकर 874 रुपये पर आ गई, जबकि एक साल में इसका ऊँचा भाव 2,925 रुपये तक पहुँच चुका था। इसी समूह की रिलायंस कम्युनिकेशंस का शेयर मूल्य 844 रुपये के उच्चतम भाव से 53 प्रतिशत घटकर 396 रुपये पर चल रहा है।
मुकेश अम्बानी समूह की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का शेयर एक साल के उच्चतम स्तर की तुलना में 37 प्रतिशत घटकर 2,045 रुपये पर बोला जा रहा है, जबकि रिलायंस पेट्रोलियम उच्चतम स्तर से 43 प्रतिशत घटकर 166 रुपये पर है, लेकिन इसी समूह की रिलायंस इंडस्ट्रियल इंफास्ट्रक्चर लि. 76 प्रतिशत तक घटकर 767 रुपये रह गया है।
सुनील भारती मित्तल की भारती एयरटेल का शेयर मूल्य, जो कि पिछले एक साल में 1,149 रुपये की ऊँचाई नाप चुका था अब 688 रुपये के आस-पास चल रहा है। के.पी.सिंह की कम्पनी डीएलएफ बड़े जोर-शोर के साथ पूँजी बाजार में उतरी थी। कम्पनी ने निवेशकों को 530 रुपये का शेयर दिया था अब यह 368 रुपये के आस-पास चल रहा है। डीएलएफ का शेयर 1,225 रुपये तक चढ़ने के बाद 70 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ अब 368 रुपये पर बोला जा रहा है।
यही नहीं, सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों के शेयर मूल्य भी भारी गिरावट में चल रहे हैं। एचडीएफसी 3,255 रुपये की ऊँचाई छूने के बाद फिलहाल 1,835 रुपये रह गया है। आईएफसीआई 140 रुपये तक चढ़ चुका था इन दिनों 31 रुपये पर धक्का खा रहा है। जिंदल स्टील 3,355 रुपये की ऊँचाई छूने के बाद फिलहाल 1,640 रुपये के आस-पास चल रहा है। तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम का शेयर मूल्य 1,400 रुपये तक चढ़ने के बाद अब 800 रुपये से नीचे चल रहा है। टाटा पावर साल के ऊँचे भाव से 38 प्रतिशत, टाटा स्टील और टाटा कंसल्टेंसी क्रमश 28 और 29 प्रतिशत नीचे आ गए। हल्दिया के मुताबिक, बाजार के बारे में कभी भी कोई निश्चित भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। एक ही समय में बाजार तेजी की चाल भी चल सकता है और मंदी की वजह बताकर गिर भी सकता है। उन्होंने कहा कि इस समय बाजार में चारों तरफ मंदी की अनेक वजह गिनाई जा सकती हैं।
अमेरिका के साथ परमाणु करार को लेकर सरकार खतरे में है। दुनियाभर में मंदी की आशंका बनी है। ब्याज दरें बढ़ने से कम्पनियों के कारोबार पर असर पड़ने की बातें हो रही हैं। महँगाई का मुद्दा लोगों के