Oct 21, 2011

गद्दाफी के पास सात अरब डॉलर का सोना, लीबिया की संपत्ति 168 अरब डॉलar

त्रिपोली. लीबिया में 42 साल तक हुकूमत करने वाला 69 वर्षीय तानाशाह कर्नल मुअम्मर गद्दाफी आखिरकार मारा गया। उसकी मौत गृहनगर सिर्ते में सिर और पैर में गोली लगने से हुई है। लीबिया की सेना और अमेरिका ने मौत की पुष्टि की है। गुरुवार को हुए इस हमले में उसके बेटे मुतस्सिम और सेना प्रमुख अबु बकर यूसुफ जबर समेत कई साथी भी मारे गए हैं। दिसंबर से अरब देशों में शुरू हुई क्रांति के बाद गद्दाफी की हुकूमत के खिलाफ भी आवाजें उठने लगी थीं। लेकिन उसने उसे बलपूर्वक दबाने की कोशिश की। विरोधियों को नाटो देशों का समर्थन मिलने के बाद वह छिपता फिर रहा था।

अपने शासनकाल के दौरान ही गद्दाफी क्रांतिकारी हीरो से अंतरराष्ट्रीय जगत में अछूत की तौर पर देखा जाने लगा। फिर उसे एक अहम पार्टनर बताया जाने लगा। गद्दाफी ने अपना एक राजनीतिक चिंतन विकसित किया था, जिस पर उसने एक किताब भी लिखी, जो उसकी नजर में इस क्षेत्र में प्लेटो, लॉक और मार्क्स के चिंतन से भी कहीं आगे थी। गद्दाफी का जन्म वर्ष 1942 में एक कबायली परिवार में हुआ था।

वर्ष 1969 में जब गद्दाफी ने फौजी अफसरों को साथ लेकर राजा इद्रीस का तख्ता-पलट कर सत्ता हासिल की थी। तो वह एक करिश्माई युवा फौजी अधिकारी था। स्वयं को मिस्र के जमाल अब्दुल नासिर का शिष्य बतानेवाले गद्दाफी ने सत्ता हासिल करने के बाद खुद को कर्नल के खिताब से नवाजा। देश के आर्थिक सुधारों की तरफ तवज्जो दी। इससे पहले देश की अर्थव्यवस्था विदेशी अधीनता के चलते जर्जर हालत में थी।

बताया जाता है कि गद्दाफी के पास ७ बिलियन डॉलर (३.५० खरब रुपए) मूल्य का सोना है। अमेरिका ने गद्दाफी परिवार के ३० बिलियन डॉलर के निवेशों को जब्त किया है। कनाडा में २.४ बिलियन डॉलर(१.१९ खरब रुपए), आस्ट्रीया में १.७ बिलियन डॉलर(८४ अरब रुपए), ब्रिटेन में १ बिलियन डॉलर(४९ अरब रुपए) लीबिया क्रांति के शुरू होने के बाद जब्त किए गए हैं। ६ माह चले विद्रोह में लीबिया को 15 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। लीबिया सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर फरहत बंगदारा के मुताबिक, यदि विदेशी सरकारें लीबिया की जब्त संपत्ति को मुक्तकर दें तो यह बड़ा संकट नहीं है।

168 अरब डॉलर लीबिया की संपत्ति
दुनिया भर के बैंकों में लीबिया की 168 अरब डॉलर की संपत्ति जमा है। इनमें 50 अरब डॉलर ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, पुर्तगाल, स्पेन और स्वीडन जैसे देशों में जमा हैं। वहीं अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के पास 40 अरब डॉलर जमा हैं। बंगदारा के मुताबिक, सब कुछ इस गृह युद्ध से पहले यहां का आर्थिक उत्पादन 80 अरब डॉलर था। अगले 10 सालों में इसे दोगुना किया जा सकता है।


तेल के भंडार मुक्त कराए
अगर नासिर ने स्वेज नहर को मिस्र की बेहतरी का रास्ता बनाया था, तो कर्नल गद्दाफी ने तेल के भंडार को इसके लिए चुना। लीबिया में 1950 के दशक में तेल के बड़े भंडार का पता चल गया था। लेकिन उसके खनन का काम पूरी तरह से विदेशी कंपनियों के हाथ में था। वही उसकी ऐसी कीमत तय करते थीं। गद्दाफी ने तेल कंपनियों से कहा कि या तो वो पुराने करार पर पुनर्विचार करें या उनके हाथ से खनन का काम वापस ले लिया जाएगा। लीबिया वो पहला विकासशील देश था, जिसने तेल के खनन से मिलनेवाली आमदनी में बड़ा हिस्सा हासिल किया। दूसरे अरब देशों ने भी उसका अनुसरण किया।

खत्म कर दी आजादी
1970 के आसपास उन्होंने विश्व के संबंध में एक तीसरा सिद्धांत विकसित करने का दावा किया। दावा किया कि इसके माध्यम से पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच का मतभेद खत्म हो जाएगा। दबे-कुचले लोगों बराबरी का हक मिलेगा। लेकिन जिस विचारधारा में लोगों को आजाद करने का दावा किया गया था, उसी के नाम पर उनकी सारी आजादी छीन ली गई।

अमेरिका विरोधी
2010 में टयूनीशिया से अरब जगत में बदलाव की क्रांति का प्रारंभ हुआ, तो उस संदर्भ में जिन देशों का नाम लिया गया, उसमें लीबिया को पहली पंक्ति में नहीं रखा गया था। क्योंकि गद्दाफी को पश्चिमी देशों का पिट्ठू नहीं समझा जाता था, जो क्षेत्र में जनता की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण समझा जाता था। उन्होंने तेल से मिले धन को भी दिल खोलकर बांटा था। ये अलग बात है कि इस प्रक्रिया में उनका परिवार भी बहुत अमीर हुआ था।

अमेरिकी हमले में बच गया था गद्दाफी
गद्दाफी ने बाद में चरमपंथी संगठनों को भी समर्थन देना शुरू कर दिया था। बर्लिन के एक नाइट क्लब पर साल 1986 में हुआ हमला इसी श्रेणी में था, जहां अमरीकी फौजी जाया करते थे। इस हमले का आरोप गद्दाफी के माथे मढ़ा गया। हालांकि इसके कोई ठोस सबूत नहीं थे। घटना से नाराज अमेरिकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ने त्रिपोली और बेनगाजी पर हवाई हमलों का हुक्म दिया। हालांकि गद्दाफ़ी हमले में बच गए, लेकिन कहा गया कि उनकी गोद ली बेटी हवाई हमलों में मारी गई।

यूएन की पाबंदी
लॉकरबी शहर के पास पैनएम जहाज में बम विस्फोट, जिसमें 270 लोग मारे गए। कर्नल गद्दाफी ने हमले के दो संदिग्धों को स्कॉटलैंड के हवाले करने से मना कर दिया, जिसके बाद लीबिया के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए जो दोनों लोगों के आत्मसमर्पण के बाद 1999 में हटाया गया। उनमें से एक मेगराही को उम्रकैद हुई। बाद में गद्दाफी ने अपने परमाणु कार्यक्रम और रासायनिक हथियार कार्यक्रमों पर रोक लगाने की बात कही और पश्चिमी देशों से उनके संबंध सुधर गए।

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