BIWI : PHONE PE ITNI DHEEMI AWAZ MEIN KIS SE BAAT KAR RAHE HO ?
PATI : BEHEN HAI ?
BIWI : TO ITNI DHEEMI AWAZ MEIN KIS LIYE ?
PATI : TERI BEHEN HAI IS LIYE........!!!
Aug 15, 2011
MAIN REH LONGA APNE SASURAL MEIN..........!!!!
SANTA KANGAAL HONE PAR......!!!
SANTA KA BUSINESS MEIN BOHAT GHATA HO GAYA
AUR WOH BURI TARAH KANGAAL HO GAYA,
USNE EK FAISLA KIYA AUR JAAKAR APNI BIWI SE KAHA......!!!
"TUM BACCHON KO UNKI NAANI KE YAHAN BHEJ DO,
AUR KHUD APNI MAA KE YAHAN CHALE JAO"
PREETO : AUR AAP ?
SANTA : MERA KYA HAI ? MAIN REH LONGA
APNE SASURAL MEIN..........!!!!
SANTA KA BUSINESS MEIN BOHAT GHATA HO GAYA
AUR WOH BURI TARAH KANGAAL HO GAYA,
USNE EK FAISLA KIYA AUR JAAKAR APNI BIWI SE KAHA......!!!
"TUM BACCHON KO UNKI NAANI KE YAHAN BHEJ DO,
AUR KHUD APNI MAA KE YAHAN CHALE JAO"
PREETO : AUR AAP ?
SANTA : MERA KYA HAI ? MAIN REH LONGA
APNE SASURAL MEIN..........!!!!
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काले धन के नाम से कांग्रेस वाले के बाल खड़े हो जाते हैं
सरकारी नाइ (Barber) ने बाल काट -ते वक़्त कपिल सिब्बल से पूछा - साब ये
स्विस बैंक वाला क्या लफड़ा है ?
कपिल सिब्बल चिल्लाया - अबे तू बाल काट रहा है या इन्क्वायरी कर रहा है ?
नाइ ( Barber)- सॉरी साब ऐसे ही पूछ लिया .
अगले दिन प्रणब मुकर्जी से बल काट -के वक़्त पूछा - साब ये कला धन क्या होता है ?
प्रणब चिल्लाये - तुम हमसे ये सवाल क्यू पूछा ?
नाइ - सॉरी साब बस ऐसे ही पूछा लिया.
अगले दिन सीबीआई ने नाइ को बुलाया और पूछा - क्या तुम बाबा रामदेव के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - क्या तुम अन्ना के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - तो तुम बाल कट -ते वक़्त कांग्रेसी नेताओं से फालतू के सवाल क्यू करते हो ?
नाइ - साब न जाने क्यू स्विस बैंक और काले धन के नाम से कांग्रेस वाले के बाल खड़े हो जाते हैं और मुझको बाल काटने में आसानी हो जाती है. इसलिए पूछता रहता हूँ.
स्विस बैंक वाला क्या लफड़ा है ?
कपिल सिब्बल चिल्लाया - अबे तू बाल काट रहा है या इन्क्वायरी कर रहा है ?
नाइ ( Barber)- सॉरी साब ऐसे ही पूछ लिया .
अगले दिन प्रणब मुकर्जी से बल काट -के वक़्त पूछा - साब ये कला धन क्या होता है ?
प्रणब चिल्लाये - तुम हमसे ये सवाल क्यू पूछा ?
नाइ - सॉरी साब बस ऐसे ही पूछा लिया.
अगले दिन सीबीआई ने नाइ को बुलाया और पूछा - क्या तुम बाबा रामदेव के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - क्या तुम अन्ना के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - तो तुम बाल कट -ते वक़्त कांग्रेसी नेताओं से फालतू के सवाल क्यू करते हो ?
नाइ - साब न जाने क्यू स्विस बैंक और काले धन के नाम से कांग्रेस वाले के बाल खड़े हो जाते हैं और मुझको बाल काटने में आसानी हो जाती है. इसलिए पूछता रहता हूँ.
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Aug 7, 2011
साधारण मोबाइल फोनों पर वीडियो देखने की राह हुई आसान
मुम्बई. अभी तक बिना किसी विशेष सुविधा वाले मोबाइल फोन (फीचर फोन) पर वीडियो सामग्री नहीं देखी जा सकती थी। लेकिन जिग्सी नाम की एक नई प्रौद्योगिकी ने साधारण मोबाइल फोनों पर भी वीडियो सामग्री देखना सम्भव बना दिया है। यानी, अत्यधिक सस्ते मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले देश के करोड़ों ग्राहक भी अब वीडियो सामग्री देखने का लुत्फ उठा पाएंगे।
खास बात यह है कि इस सुविधा के लिए लोगों को किसी अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होगा। फोन को हालांकि इंटरनेट सुविधा से युक्त होना चाहिए।
जिग्सी एक वीडियो स्ट्रीमिंग प्रौद्योगिकी है, जिसका विकास कनाडा के टोरंटो की नई नवेली वीडियो स्ट्रीमिंग कम्पनी 'जिग्सी इंक' ने किया है। इस प्रौद्योगिकी से 50 केबीपीएस की गति वाले इंटरनेट नेटवर्क पर भी वीडियो सामग्री का प्रवाह भेजा जा सकता है,जबकि देश में उपयोग होने वाले अधिकतर जीपीआरएस सुविधा वाले फोन की इंटरनेट की गति 60 केबीपीएस होती है।
बता दें कि वीडियो स्ट्रीमिंग और वीडिया को डाउनलोड कर देखने में फर्क होता है। स्ट्रीमिंग के तहत वीडियो सामग्री प्रसारक के पास ही रहती है। आप सिर्फ बटन दबा कर कोई भी सामग्री को देख सकते हैं इसे अपने उपकरण पर डाउनलोड करने की उसी तरह जरूरत नहीं होती है जैसे टेलीविजन देखने के लिए सामग्री को डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होती है।
देश के 90 फीसदी मोबाइल ग्राहकों के पास फीचर फोन हैं। इसका मतलब यह है कि कम्पनी को लगभग 50 करोड़ ग्राहक मिल सकते हैं, जो अब तक यूट्यूब जैसी स्ट्रीमिंग सेवा अपने मोबाइल फोन पर नहीं देख पा रहे हैं।
जिग्सी बीटा नाम का यह एप्लीकेशन 15 अगस्त से ओवीआई, सेलमेनिया (टाटा डोकोमो,एयरटेल),एपिया जैसे विभिन्न स्टोरों और कम्पनी के अपनी वेबसाइट एचटीटीपी कॉलन स्लैस एम डॉट जिगसी डॉट कॉम पर उपलब्ध रहेगा।
शुरू में सिर्फ जावा पर काम करने वाले मोबाइल फोन पर ही यह एप्लीकेशन डाउनलोड किया जा सकता है,लेकिन कम्पनी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले मोबाइल फोन निर्माओं को भी अपने फोन को इस एप्लीकेशन के लिए अनुकूल बनाने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है।
इस एप्लीकेशन की खासियत यह है कि यदि आपके मोबाइल की इंटनेट गति घट कर 50 केबीपीएस भी रह जाए,तो भी इस पर बिना किसी रुकावट के वीडियो स्ट्रीमिंग देखी जा सकती है। यानी,यह रुक-रुक कर नहीं, बल्कि धारा प्रवाह चलेगा।
इस एप्लीकेशन में यह सुविधा है कि यदि कोई वीडियो सामग्री देखते वक्त मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाए या अन्य किसी वजह से मोबाइल बंद हो जाए, तो अगली बार सामग्री वहीं से चल सकती है,जहां यह बंद हुई थी।
यह एप्लीकेशन 2जी (जीपीआरएस),3जी,वाईफाई जैसे सभी तरह के इंटरनेट नेटवर्क पर काम कर सकता है।
जिग्सी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी 35 वर्षीय रे नेवल ने कहा, "जिग्सी प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर या मोबाइल एप्लीकेशन ही नहीं है, बल्कि इससे कुछ और अधिक है। जिग्सी हमारा एक ऐसा तरीका है, जिसके माध्यम से हर कोई बिना किसी भेद भाव के शिक्षा, मनोरंजन और सूचनापरक वीडियो सामग्री देख सकता है।"
जिग्सी के वेबसाइट पर यूटीवी,यूटीवी बिंदास,मुक्ता आर्ट्स,1 टेक मीडिया, स्वामी फिल्म्स,सेठिया ऑडिया वीडियो और स्पीड रिकार्डस,स्पाइस डिजिटल की एक लाख मिनट से अधिक की वीडियो सामग्री मौजूद है, जिसे इस एप्लीकेशन के सहारे जावा आधारित मोबाइल फोन पर मुफ्त देखा जा सकता है। ये सामग्री हिंदी,अंग्रेजी,तेलुगू, मराठी, तमिल और पंजाबी भाषाओं में हैं।
इन सामग्रियों में फिल्म के अंश, ट्रेलर,गीत, समाचार जैसे कई कार्यक्रम हैं। हास्य प्रधान सामग्री और बच्चों के लिए एनीमेशन कार्यक्रम भी मौजूद हैं।
कम्पनी की स्थापना रे नेवल और अरीफ रेजा ने मिलकर की है। कम्पनी की स्थापना वर्ष 2008 में कनाडा के टोरंटो में हुई। कम्पनी में सिकोइया कैपिटल और इंडियन एंजल नेटवर्क ने पूंजी लगाई है।
खास बात यह है कि इस सुविधा के लिए लोगों को किसी अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होगा। फोन को हालांकि इंटरनेट सुविधा से युक्त होना चाहिए।
जिग्सी एक वीडियो स्ट्रीमिंग प्रौद्योगिकी है, जिसका विकास कनाडा के टोरंटो की नई नवेली वीडियो स्ट्रीमिंग कम्पनी 'जिग्सी इंक' ने किया है। इस प्रौद्योगिकी से 50 केबीपीएस की गति वाले इंटरनेट नेटवर्क पर भी वीडियो सामग्री का प्रवाह भेजा जा सकता है,जबकि देश में उपयोग होने वाले अधिकतर जीपीआरएस सुविधा वाले फोन की इंटरनेट की गति 60 केबीपीएस होती है।
बता दें कि वीडियो स्ट्रीमिंग और वीडिया को डाउनलोड कर देखने में फर्क होता है। स्ट्रीमिंग के तहत वीडियो सामग्री प्रसारक के पास ही रहती है। आप सिर्फ बटन दबा कर कोई भी सामग्री को देख सकते हैं इसे अपने उपकरण पर डाउनलोड करने की उसी तरह जरूरत नहीं होती है जैसे टेलीविजन देखने के लिए सामग्री को डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होती है।
देश के 90 फीसदी मोबाइल ग्राहकों के पास फीचर फोन हैं। इसका मतलब यह है कि कम्पनी को लगभग 50 करोड़ ग्राहक मिल सकते हैं, जो अब तक यूट्यूब जैसी स्ट्रीमिंग सेवा अपने मोबाइल फोन पर नहीं देख पा रहे हैं।
जिग्सी बीटा नाम का यह एप्लीकेशन 15 अगस्त से ओवीआई, सेलमेनिया (टाटा डोकोमो,एयरटेल),एपिया जैसे विभिन्न स्टोरों और कम्पनी के अपनी वेबसाइट एचटीटीपी कॉलन स्लैस एम डॉट जिगसी डॉट कॉम पर उपलब्ध रहेगा।
शुरू में सिर्फ जावा पर काम करने वाले मोबाइल फोन पर ही यह एप्लीकेशन डाउनलोड किया जा सकता है,लेकिन कम्पनी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले मोबाइल फोन निर्माओं को भी अपने फोन को इस एप्लीकेशन के लिए अनुकूल बनाने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है।
इस एप्लीकेशन की खासियत यह है कि यदि आपके मोबाइल की इंटनेट गति घट कर 50 केबीपीएस भी रह जाए,तो भी इस पर बिना किसी रुकावट के वीडियो स्ट्रीमिंग देखी जा सकती है। यानी,यह रुक-रुक कर नहीं, बल्कि धारा प्रवाह चलेगा।
इस एप्लीकेशन में यह सुविधा है कि यदि कोई वीडियो सामग्री देखते वक्त मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाए या अन्य किसी वजह से मोबाइल बंद हो जाए, तो अगली बार सामग्री वहीं से चल सकती है,जहां यह बंद हुई थी।
यह एप्लीकेशन 2जी (जीपीआरएस),3जी,वाईफाई जैसे सभी तरह के इंटरनेट नेटवर्क पर काम कर सकता है।
जिग्सी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी 35 वर्षीय रे नेवल ने कहा, "जिग्सी प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर या मोबाइल एप्लीकेशन ही नहीं है, बल्कि इससे कुछ और अधिक है। जिग्सी हमारा एक ऐसा तरीका है, जिसके माध्यम से हर कोई बिना किसी भेद भाव के शिक्षा, मनोरंजन और सूचनापरक वीडियो सामग्री देख सकता है।"
जिग्सी के वेबसाइट पर यूटीवी,यूटीवी बिंदास,मुक्ता आर्ट्स,1 टेक मीडिया, स्वामी फिल्म्स,सेठिया ऑडिया वीडियो और स्पीड रिकार्डस,स्पाइस डिजिटल की एक लाख मिनट से अधिक की वीडियो सामग्री मौजूद है, जिसे इस एप्लीकेशन के सहारे जावा आधारित मोबाइल फोन पर मुफ्त देखा जा सकता है। ये सामग्री हिंदी,अंग्रेजी,तेलुगू, मराठी, तमिल और पंजाबी भाषाओं में हैं।
इन सामग्रियों में फिल्म के अंश, ट्रेलर,गीत, समाचार जैसे कई कार्यक्रम हैं। हास्य प्रधान सामग्री और बच्चों के लिए एनीमेशन कार्यक्रम भी मौजूद हैं।
कम्पनी की स्थापना रे नेवल और अरीफ रेजा ने मिलकर की है। कम्पनी की स्थापना वर्ष 2008 में कनाडा के टोरंटो में हुई। कम्पनी में सिकोइया कैपिटल और इंडियन एंजल नेटवर्क ने पूंजी लगाई है।
जानिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का गणित----कैसे चलता है साख का बाजार
वॉशिंगटन. एएए, बीबीबी, सीए, सीसीसी, सी, डी देखने और सुनने में स्कूली बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के ग्रेड की तरह लगते हैं। असल में ये भी एक तरह का मूल्यांकन ही हैं। लेकिन, यह स्कूली बच्चों को नहीं मिलता। यह देशों, बड़ी कंपनियों और बड़े पैमाने पर उधार लेने वालों का मूल्यांकन करती है। इस मूल्यांकन पर यह तय होता है कि उधार लेने वाले की माली हालत कैसी है? उसके उधार लौटाने की क्षमता कितनी है? ऐसे में अच्छा ग्रेड मिलने का सीधा मतलब है कम ब्याज पर आसानी से कर्ज लेने की पात्रता हासिल करना। वहीं, खराब मूल्यांकन मिलने पर ऊंची दरों पर बमुश्किल कर्ज मिलता है।
ये हैं बड़े खिलाड़ी : इस समय रेटिंग की दुनिया में तीन बड़े नाम हैं। स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच। इनमें सबसे पुरानी एजेंसी है स्टैण्डर्ड एंड पूअर। इसकी नींव १८६० में हेनरी पूअर ने रखी थी।पूअर ने अमरीका में नहरों और रेल नेटवर्क के विकास का इतिहास लिखा था। १९०६ में गैर रेल कंपनियों के वित्त की जांच शुरू होने पर स्टैण्डर्ड स्टैटस्टिक ब्यूरो की स्थापना हुई। इन दोनों कंपनियों का १९४० के दशक में विलय हो गया। १९०९ में जॉन मूडी ने मूडीज की स्थापना की। मूडीज ने भी रेल वित्त की साख का विश्लेषण और उनका मूल्यांकन करना शुरू किया। आज दुनिया के रेटिंग व्यवसाय का करीब ४० फीसदी कारोबार इन्हीं दो कंपनियों के पास हैं। फिच इन्हीं दोनों कंपनियों का छोटा रूप है। इसके अलावा भी कई कंपनियां हैं। हालांकि उनके रेटिंग को इतना महत्व नहीं दिया जाता।
महत्व का कारण : स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच की ग्रेडिंग का इतना महत्वपूर्ण होने का सबसे अहम कारण है अमरीका की वित्तीय निगरानी करने वाली एजेंसी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन।
१९७५ में इस कमीशन ने इन तीन कंपनियों को मान्यता प्राप्त सांख्यिकीय रेटिंग एजेंसी घोषित किया था। इससे उधार लेने की इच्छुक कंपनियों और देशों का जीवन आसान हो गया। इन एजेंसियों ने उनकी वित्तीय हालत और साख का आकलन कर उन्हें रेटिंग देना शुरू कर दिया। इन रेटिंग एजेंसियों की ताकत तब और बढ़ गई, जब सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने आदेश दिया कि सरकारी नियंत्रण वाले निवेश संस्थान केवल ऊंची रेटिंग वाली कंपनियों में ही निवेश करें।
कुछ निवेशकों की रेटिंग गिरने की स्थिति में उनमें किया गया निवेश बेचने का भी निर्देश दिया। इसके कारण जिन कंपनियों या देशों की रेटिंग नीचे गिरती है, उनके लिए बहुत बड़ी दिक्कत खड़ी हो जाती है।
ऐसे में बड़ी निवेश कंपनियां जब रेटिंग कम होने पर अपने निवेशों को बड़े पैमाने पर निकालना या बेचना शुरू करती है तो उनके बांड की कीमत बाज़ार में और ज्यादा गिर जाती है। इससे उनको मिलने वाले कर्ज पर ब्याज और ज्यादा बढ़ जाता है।
क्या है मतलब?
> एएए : सबसे मजबूत सबसे बेहतर
> एए : वादों को पूरा करने में सक्षम
> ए : वादों को पूरा करने की क्षमता पर विपरीत परिस्थितियों का पड़ सकता है असर
> बीबीबी : वादों को पूरा करने की क्षमता, लेकिन विपरीत परिस्थितियों से आर्थिक हालात प्रभावित होने की ज्यादा गुंजाइश।
> सीसी : वर्तमान में बहुत कमजोर
> डी : उधार लौटाने में असफल
ये हैं बड़े खिलाड़ी : इस समय रेटिंग की दुनिया में तीन बड़े नाम हैं। स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच। इनमें सबसे पुरानी एजेंसी है स्टैण्डर्ड एंड पूअर। इसकी नींव १८६० में हेनरी पूअर ने रखी थी।पूअर ने अमरीका में नहरों और रेल नेटवर्क के विकास का इतिहास लिखा था। १९०६ में गैर रेल कंपनियों के वित्त की जांच शुरू होने पर स्टैण्डर्ड स्टैटस्टिक ब्यूरो की स्थापना हुई। इन दोनों कंपनियों का १९४० के दशक में विलय हो गया। १९०९ में जॉन मूडी ने मूडीज की स्थापना की। मूडीज ने भी रेल वित्त की साख का विश्लेषण और उनका मूल्यांकन करना शुरू किया। आज दुनिया के रेटिंग व्यवसाय का करीब ४० फीसदी कारोबार इन्हीं दो कंपनियों के पास हैं। फिच इन्हीं दोनों कंपनियों का छोटा रूप है। इसके अलावा भी कई कंपनियां हैं। हालांकि उनके रेटिंग को इतना महत्व नहीं दिया जाता।
महत्व का कारण : स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच की ग्रेडिंग का इतना महत्वपूर्ण होने का सबसे अहम कारण है अमरीका की वित्तीय निगरानी करने वाली एजेंसी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन।
१९७५ में इस कमीशन ने इन तीन कंपनियों को मान्यता प्राप्त सांख्यिकीय रेटिंग एजेंसी घोषित किया था। इससे उधार लेने की इच्छुक कंपनियों और देशों का जीवन आसान हो गया। इन एजेंसियों ने उनकी वित्तीय हालत और साख का आकलन कर उन्हें रेटिंग देना शुरू कर दिया। इन रेटिंग एजेंसियों की ताकत तब और बढ़ गई, जब सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने आदेश दिया कि सरकारी नियंत्रण वाले निवेश संस्थान केवल ऊंची रेटिंग वाली कंपनियों में ही निवेश करें।
कुछ निवेशकों की रेटिंग गिरने की स्थिति में उनमें किया गया निवेश बेचने का भी निर्देश दिया। इसके कारण जिन कंपनियों या देशों की रेटिंग नीचे गिरती है, उनके लिए बहुत बड़ी दिक्कत खड़ी हो जाती है।
ऐसे में बड़ी निवेश कंपनियां जब रेटिंग कम होने पर अपने निवेशों को बड़े पैमाने पर निकालना या बेचना शुरू करती है तो उनके बांड की कीमत बाज़ार में और ज्यादा गिर जाती है। इससे उनको मिलने वाले कर्ज पर ब्याज और ज्यादा बढ़ जाता है।
क्या है मतलब?
> एएए : सबसे मजबूत सबसे बेहतर
> एए : वादों को पूरा करने में सक्षम
> ए : वादों को पूरा करने की क्षमता पर विपरीत परिस्थितियों का पड़ सकता है असर
> बीबीबी : वादों को पूरा करने की क्षमता, लेकिन विपरीत परिस्थितियों से आर्थिक हालात प्रभावित होने की ज्यादा गुंजाइश।
> सीसी : वर्तमान में बहुत कमजोर
> डी : उधार लौटाने में असफल
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