वॉशिंगटन. एएए, बीबीबी, सीए, सीसीसी, सी, डी देखने और सुनने में स्कूली बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के ग्रेड की तरह लगते हैं। असल में ये भी एक तरह का मूल्यांकन ही हैं। लेकिन, यह स्कूली बच्चों को नहीं मिलता। यह देशों, बड़ी कंपनियों और बड़े पैमाने पर उधार लेने वालों का मूल्यांकन करती है। इस मूल्यांकन पर यह तय होता है कि उधार लेने वाले की माली हालत कैसी है? उसके उधार लौटाने की क्षमता कितनी है? ऐसे में अच्छा ग्रेड मिलने का सीधा मतलब है कम ब्याज पर आसानी से कर्ज लेने की पात्रता हासिल करना। वहीं, खराब मूल्यांकन मिलने पर ऊंची दरों पर बमुश्किल कर्ज मिलता है।
ये हैं बड़े खिलाड़ी : इस समय रेटिंग की दुनिया में तीन बड़े नाम हैं। स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच। इनमें सबसे पुरानी एजेंसी है स्टैण्डर्ड एंड पूअर। इसकी नींव १८६० में हेनरी पूअर ने रखी थी।पूअर ने अमरीका में नहरों और रेल नेटवर्क के विकास का इतिहास लिखा था। १९०६ में गैर रेल कंपनियों के वित्त की जांच शुरू होने पर स्टैण्डर्ड स्टैटस्टिक ब्यूरो की स्थापना हुई। इन दोनों कंपनियों का १९४० के दशक में विलय हो गया। १९०९ में जॉन मूडी ने मूडीज की स्थापना की। मूडीज ने भी रेल वित्त की साख का विश्लेषण और उनका मूल्यांकन करना शुरू किया। आज दुनिया के रेटिंग व्यवसाय का करीब ४० फीसदी कारोबार इन्हीं दो कंपनियों के पास हैं। फिच इन्हीं दोनों कंपनियों का छोटा रूप है। इसके अलावा भी कई कंपनियां हैं। हालांकि उनके रेटिंग को इतना महत्व नहीं दिया जाता।
महत्व का कारण : स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच की ग्रेडिंग का इतना महत्वपूर्ण होने का सबसे अहम कारण है अमरीका की वित्तीय निगरानी करने वाली एजेंसी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन।
१९७५ में इस कमीशन ने इन तीन कंपनियों को मान्यता प्राप्त सांख्यिकीय रेटिंग एजेंसी घोषित किया था। इससे उधार लेने की इच्छुक कंपनियों और देशों का जीवन आसान हो गया। इन एजेंसियों ने उनकी वित्तीय हालत और साख का आकलन कर उन्हें रेटिंग देना शुरू कर दिया। इन रेटिंग एजेंसियों की ताकत तब और बढ़ गई, जब सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने आदेश दिया कि सरकारी नियंत्रण वाले निवेश संस्थान केवल ऊंची रेटिंग वाली कंपनियों में ही निवेश करें।
कुछ निवेशकों की रेटिंग गिरने की स्थिति में उनमें किया गया निवेश बेचने का भी निर्देश दिया। इसके कारण जिन कंपनियों या देशों की रेटिंग नीचे गिरती है, उनके लिए बहुत बड़ी दिक्कत खड़ी हो जाती है।
ऐसे में बड़ी निवेश कंपनियां जब रेटिंग कम होने पर अपने निवेशों को बड़े पैमाने पर निकालना या बेचना शुरू करती है तो उनके बांड की कीमत बाज़ार में और ज्यादा गिर जाती है। इससे उनको मिलने वाले कर्ज पर ब्याज और ज्यादा बढ़ जाता है।
क्या है मतलब?
> एएए : सबसे मजबूत सबसे बेहतर
> एए : वादों को पूरा करने में सक्षम
> ए : वादों को पूरा करने की क्षमता पर विपरीत परिस्थितियों का पड़ सकता है असर
> बीबीबी : वादों को पूरा करने की क्षमता, लेकिन विपरीत परिस्थितियों से आर्थिक हालात प्रभावित होने की ज्यादा गुंजाइश।
> सीसी : वर्तमान में बहुत कमजोर
> डी : उधार लौटाने में असफल
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