Jan 12, 2013
कुंभ नहान में बनारसी अव्वल......
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Jan 10, 2013
प्रोफ़ेसर: - बुराई क्या है ?
छात्र :- - "सर , मैं समझा सकता हूँ ,
लेकिन पहले मेरे कुछ सवालों का जवाब देंगे ?
ठंड मौजूद है क्या ?
प्रोफेसर : - हाँ ............
छात्र :- गलत श्रीमान ,
ठंड की तरह का कुछ भी नहीं है , यह गर्मी का पूर्ण अभाव है .
छात्र फिर से पूछा :- क्या अंधेरा विद्यमान है ?
प्रोफेसर :- हाँ ...........
छात्र :- आप फिर गलत हैं महोदय..
अंधेरे की तरह कुछ भी नहीं है.. यह वास्तव में प्रकाश का पूर्ण अभाव है..
भौतिक विज्ञान के अनुसार हम प्रकाश और गर्मी का अध्ययन कर सकते हैं..
लेकिन अंधेरे और ठंड का नहीं..
इसी तरह श्रीमान, बुराई कुछ भी नहीं है..
" वास्तव में यह विश्वास, प्रेम, और भगवान पर सच्चे विश्वास का अभाव है.. "
यह छात्र सी. वी. रमन थे...
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नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में मुसलमानों पर इतने अत्याचार किये….
पेश किये जा रहे आँकड़े और तथ्य मनगढ़न्त नहीं हैं, बल्कि केन्द्र सरकार द्वारा गठित सच्चर कमीशन की रिपोर्ट में से लिये गये हैं। जी हाँ, “गुजरात में मुस्लिमों पर इतने ज़ुल्म ढाये गये हैं कि गुजरात के मुसलमान देश के बाकी सभी हिस्सों के मुसलमानों के मुकाबले शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के मामले में आगे निकल गये हैं…”।
1) गुजरात में मुस्लिमों का साक्षरता प्रतिशत 73%, जबकि बाकी देश में 59%।
2) ग्रामीण गुजरात में मुस्लिम लड़कियों की साक्षरता दर 57%, बाकी देश में 43%।
3) गुजरात में प्राथमिक शाला पास किये हुए मुस्लिम 74%, जबकि देश में 60%।
4) गुजरात में हायर सेकण्डरी पास किये मुस्लिमों का प्रतिशत 45%, देश में 40%।
शिक्षा सम्बन्धी सारे के सारे आँकड़े मुस्लिम हितों की कथित पैरवी करने वाले, मुस्लिम हितैषी(?) पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश और बिहार से कोसों आगे हैं।
1) गुजरात के जिन गाँवों में मुस्लिम आबादी 2000 से अधिक है वहाँ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की उपलब्धता है 89%, जबकि बाकी देश में 70%।
2) जिन गाँवों में मुस्लिम आबादी 1000 से 2000 के बीच है वहाँ स्वास्थ्य केन्द्र का प्रतिशत 66% है, जबकि देश का औसत है 43%।
3) जिन गाँवों में मुस्लिम आबादी 1000 से कम है वहाँ 53%, राष्ट्रीय औसत है सिर्फ़ 20%।
शायद राहुल गाँधी आपको बतायेंगे, कि उनके पुरखों ने बीते 60 साल में, भारत के ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लिये कितने महान कार्य किये हैं।
1) गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिमों की प्रति व्यक्ति आय 668 रुपये हैं, पश्चिम बंगाल में 501, आंध्रप्रदेश में 610, उत्तरप्रदेश में 509, मध्यप्रदेश में 475 और मीडिया के दुलारे जोकर यानी लालू द्वारा बर्बाद किये गये बिहार में 400 रुपये से भी कम।
2) गुजरात के शहरों में भी मुस्लिमों की बढ़ती आर्थिक सम्पन्नता इसी से प्रदर्शित होती है कि गुजराती मुस्लिमों के बैंक अकाउंट में औसत 32,932 रुपये की राशि है, जबकि यही औसत पश्चिम बंगाल में 13824/- तथा आसाम में 26,319/- है।
“लाल झण्डे वाले बन्दर” हों या “पंजा छाप लुटेरे’, इनकी राजनीति, रोजी-रोटी-कुर्सी इसी बात से चलती है कि किस तरह से भारत की जनता को अधिक से अधिक समय तक गरीब और अशिक्षित बनाये रखा जाये। क्योंकि उन्हें पता है कि जिस दिन जनता शिक्षित, समझदार और आत्मनिर्भर हो जायेगी, उसी दिन “लाल झण्डा” और “परिवार की चमचागिरी” दोनों को ज़मीन में दफ़ना दिया जायेगा। इसीलिये ये दोनों शक्तियाँ मीडिया को पैसा खिलाकर या उनके हित साधकर अपने पक्ष में बनाये रखती है, और नरेन्द्र मोदी जैसों के खिलाफ़ “एक बिन्दु आलोचना अभियान” सतत चलाये रखती हैं, हिन्दू आराध्य देवताओं, हिन्दू धर्मरक्षकों, संतों और शंकराचार्यों के विरुद्ध एक योजनाबद्ध घृणा अभियान चलाया जाता है, लेकिन जब गुजरात सम्बन्धी (उन्हीं की सरकार द्वारा गठित टीमों द्वारा पाये गये) आँकड़े और तथ्य उन्हें बताये जाते हैं तो वे बगलें झाँकने लगते हैं। ढीठता और बेशर्मी से बात तो ऐसे करते हैं मानो भारत के इतिहास में सिर्फ़ गुजरात में ही दंगे हुए, न पहले कभी कहीं हुए, न अब कभी होंगे।
गुजरात के विकास के लिये नरेन्द्र मोदी को क्रेडिट देते समय मीडिया वालों का मुँह ऐसा हो जाता है, मानो उन्हें किसी ने उन्हें अरंडी के बीज का तेल पिला दिया हो। तीन-तीन चुनाव जीते हुए, दस साल से एक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे किसी व्यक्ति के खिलाफ़ इतिहास में आज तक कभी ऐसी उपेक्षा-अपमान-आलोचना नहीं आई होगी, न तो 15 साल में बिहार को चरने वाले लालू के… न ही दस साल राज करके मध्यप्रदेश को अंधेरे में धकेलने वाले दिग्गी राजा के…, परन्तु नरेन्द्र मोदी की गलती सिर्फ़ एक ही है (और आजकल यही सबसे बड़ी गलती भी मानी जाती है) कि वे हिन्दुत्ववादी-राष्ट्रवादी शक्तियों के साथ हैं। मजे की बात तो यह है कि गुजरात के इन नतीजों के बावजूद सच्चर कमेटी ने मुसलमानों को पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की सिफ़ारिश कर दी है, जबकि सच्चर साहब को केन्द्र सरकार से सिफ़ारिश करना चाहिये थी कि नरेन्द्र मोदी के “थोड़े से गुण” देश के बाकी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केन्द्रीय मंत्रियों के दिमागों में भरे जायें…।
एक लड़का सदा अपनी मेज़ पर 'पी' लिख कर रखता था...
अपनी किताबों और कॉपियों पर भी सदा 'पी' लिख
दिया करता था। घर पर भी उसने जगह-
जगह पर 'पी' लिख छोड़ा था। लोग हैरान होते थे, पर वह
किसी को कुछ
नहीं बताता था। धीरे-धीरे लोगों ने पूछना छोड़ दिया।
हाई स्कूल केबाद वह
कॉलेज में दाखिल हुआ। वहांभी 'पी' लिखने का उसका वह
क्रम चालू रहा। कुछ दिनों तक लड़के आपस में चर्चा भी करते
रहे, पर कोई उसक...े रहस्य को नहीं समझ सका। आखिर में
सहपाठियों ने मज़ाक में उसका नाम ही 'पी साहब' रख
दिया। पर वह क़तई परेशान नहीं हुआ। पढ़ाई में वह खूब मन
लगाता था, अत: एमए में फर्स्ट डिविज़न पास हुआ, और उसे
अपने ही स्कूल में प्रिंसिपल की नौकरी मिल गई।
प्रिंसिपल बनकर जब वह पहले दिन स्कूल में
आया तो छात्रों को अपने'पी' लिखने का रहस्य बताया,
बचपन से ही मेरी कामना थी कि अपने स्कूल का प्रिंसिपल
बनूं। इसी को याद रखने के लिए सदा अपने सामने 'पी'
लिखा हुआ रखता था। आज मेरा वह सपना पूरा हो गया।
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एक बार एक अंग्रेज हिन्दुस्तान आया......जरुर पढ़े
पहली: सेब क्या भाव है?
दूसरी: कुछ खराब हैं?
तीसरी: मुझे नहीं लेने।
इसके बाद अंग्रेज को बताया इनके जवाब में उसको बोलना है तीस रूपए किलो। फिर कहना है कुछ-कुछ खराब हैं और जब ग्राहक जाने लगे तो कहना तुम नहीं ले जाओगे तो कोई और ले जाएगा।
थोड़ी देर बाद दुकान पर एक लड़की आई। उसने पूछा: रेलवे स्टेशन जाने को कौन सा रास्ता है? अंग्रेज ने कहा तीस रूपए किलो। लड़की ने कहा: तेरा दिमाग खराब है क्या? अंग्रेज ने कहा कुछ-कुछ खराब है। लड़की ने कहा: तुझे थाने लेकर जाना पड़ेगा। अंग्रेज ने कहा: तुम नहीं ले जाओगे तो कोई और ले जाएगा। हम तो खड़े ही है इस काम के लिए।
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