कुंभनगरी : संगम पर पवित्र स्नान करने वालों में बनारस के श्रद्धालुओं का कोई सानी नहीं। यह अंग्रेजी हुकूमत के समय जुटाए गए एक आंकड़े से स्पष्ट हुआ है। 1882 के कुंभ में अंग्रेजों ने संगम आने वाले सभी प्रमुख रास्तों पर बैरियर लगाकर आने वालों की गिनती की थी। इसके अलावा रेलवे टिकट की बिक्री के आंकड़ों को भी आधार बनाकर कुल स्नान करने वालों की संख्या का अनुमान लगाया गया था। आंकडों के अनुसार बनारस से 34821, कानपुर से 31275 व जबलपुर से 24876 लोग कुंभ में पहुंचे थे। देश के अन्य हिस्सों को मिलाकर लगभग दस लाख लोगों ने कुंभ स्नान किया था। दस्तावेजों के अनुसार 1882 के कुंभ में आठ लाख 39 हजार लोग सड़क के रास्ते से प्रयाग पहुंचे थे। जीटी रोड से 39 हजार, सराय अकिल रोड से 25 हजार, लिंक रोड से 50 हजार ने प्रयाग की धरती पर कदम रखा था। इसके अतिरिक्त तकरीबन एक लाख लोग विभिन्न छोटे रास्तों से पहुंचे थे। स्नान करने वालों में लगभग 50 हजार लोग स्थानीय थे। बनारस स्थित राजघाट और फाफामऊ पुल पर टोल टैक्स भी वसूले जाने का जिक्र किया गया है। 1882 में बिके थे सवा लाख टिकट : 1882 की एक जनवरी से 19 जनवरी तक देश के विभिन्न स्टेशनों से प्रयाग के लिए एक लाख 25 हजार टिकट बेचे गए थे। बेचे गए टिकटों के अनुसार दिल्ली से 1817, लखनऊ से 1538, हावड़ा से 1737, पटना से 3092, गया 2230, आगरा 7538, इटावा 1446, जसवंत नगर 1773, हाथरस 1374, गाजियाबाद 1924 लोग प्रयाग आए थे। इसके अतिरिक्त मथुरा से 1114, मिर्जापुर से 19638, मानिकपुर से 6779, सतना से 3889, मैहर से 1084, कटनी से 2003 तीर्थयात्री स्नान करने आए।
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