Jan 27, 2013

बच्चे का मस्तिष्क कोरे कागज की तरह होता है....

''वाऊ क्या मस्त आंटी है,इसकी माँ की आँख''
अपने दोस्त के छः वर्षिय बच्चे केमुँह से ये वाक्य सुनकर मैँ भौंचकरह गया।
दोस्त और उसकी पत्नी झेँप से गये।
बच्चा 'नो एंट्री'मूवी देख रहा था,
फिर सारी बाते समझ आ गई।
... दोष बच्चे से ज्यादा उसके परिवेश का था।
मूवी,टीवी के अलावा बच्चे मेँ इस नकारात्मक गुण का कारण था,
बड़ो के द्वारा बोले जाने वाले अपशब्द।
बच्चे का मस्तिष्क कोरे कागज की तरह होता है,
अच्छी या बुरी चीजो को काफी तिव्रता से ग्रहण करता है।
इसलिये बच्चो के सामने अपशब्दो का उपयोग ना करें चाहे अपना बच्चाहो या दुसरो का।
।।संयमित और मर्यादित भाषा और विचार से सभ्य समाज का उत्कर्ष होता है।।

Jan 26, 2013

वन्दे मातरम्!.......................



वन्दे मातरम्!
सुजलाम, सुफलाम् मलयज-शीतलाम्
शस्यश्यामलाम् मातरम्
वन्दे मातरम्
... शुभ्र ज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीम् सुमधुरभाषिणीम्
सुखदाम्, वरदाम्, मातरम्!
वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम्

इस देश मे आजादी के 66साल बाद आज भी इस देश में 84 करोड़30 लाख लोगो के पास एक दिन में खर्च करने ... को 20 रुपये नहीं है ,..


आप से निवेदन है की 1 दिन बाद २६ जनवरी है |
सेना की परेड में लड़ाकू विमान,टैंक़, मिसाइल देखकर ये मत
भूल जाना कि
इस देश मे आजादी के 66साल बाद आज भी इस देश में
84 करोड़30 लाख लोगो के पास एक दिन में खर्च करने
... को 20 रुपये नहीं है ,
मत भूल जाना world hunger report जो कहती है
कि भारत मे हर 1 मिनट में 13 लोग भूख से मर जाते है और
शाम होते तक लगभग 10000 हजार लोग भूख से ही मर
जाते है ,
मत भूल जाना इस देश में 15 करोड़ लोगो के पास आज
भी तन ढकने को 2 मीटर कपड़ा नहीं है ,
मत भूल जाना आजाद होने के 66 साल बाद भी देश
की सरकार आम आदमी की जरुरत की चीजे उसे
नहीं मुहिया करवा पाई ,
मत भूल जाना की कैसे आज भी इस देश
का अन्नदाता (किसान ) आत्महत्या करता है,
मत भूल जाना की आज भी देश के राज नेता उन
शहीदों को उनका हक़ भी नहीं दिला सके जिन शहीदों ने इस
देश की अखंडता बनाये रखा ७१,६५, ९९ के लड़ाई में
अपनी जान हस्ते हस्ते दे दी,
मत भूल जाना की आज भी देश उस मजहब
की चिंगारी की आग पर बैठा है की न जाने कब इस देश के
फिर से दो टुकड़े न कर दे,
मत भूल जाना की कैसे बलात्कार पीडिता को इस देश
का कानून जीते जी तो छोडिये मरने के बाद भी इंसाफ
नहीं दिला सका है क्या उमीद की जाए इस देश के कानून
और राजनेताओ से,
.
.
.
क्या हमारे देश के सात लाख शहीदों ने इसी भारत
की कल्पना की थी जो आज हमारे सामने है राजमार्ग से
निचे उतर कर ४ किलोमीटर अन्दर वो गाँव देखिये तो भारत
आपको वही खड़ा दिखाई देगा जहाँ पर भगत सिंग
या चद्रशेखर जी छोड़ कर गए थ

जब अटल जी देश के प्रधानमंत्री थे, तब उन्हें घुटने में कुछ प्रॉब्लम था ....


जब अटल जी देश के प्रधानमंत्री थे, तब उन्हें घुटने में कुछ प्रॉब्लम था और दिल्ली के एम्स के डॉक्टरों ने उन्हें अमरीका मे इलाज कराने की सलाह दी थी, तब अटल जी ने साफ मना कर दिया और कहा की -

"मैं देश का प्रधानमंत्री हूँ और विश्व में देश को रिप्रजेंट करता हूँ अगर मैं ही अमरीका जाकर अपना इलाज करवाऊंगा तो पूरे विश्व में यह सन्देश जायेगा की भारत मे अच्छी चिकित्सा सुविधा नहीं है, अत: मै भारत में ही अपना इलाज करवाऊंगा"..!!!!

और फिर अटल जी ने मुंबई के बीचकैंडी हॉस्पिटल में अपनी सर्जरी करवाई... यह है देश के सम्मान के बारे मे सोचना.....

Jan 25, 2013

कौन कहता है दुनिया पुरुषों की है, ये दुनिया महिलाओं की है!!!!!!


¤ अगर एक आदमी देर करे तो उसे सुनना पड़ता है "समय किसी का इंतेज़ार नहीं करता", लेकिन एक महिला बस के देर होने की वजह से देर से पहुँचती है।

¤ अगर एक महिला लड़को के कपड़े पहने तो वह मार्डन है, और अगर आदमी लड़कीय़ों के कपड़े पहन ले तो वह पागल या चिड़ियाघर से भागा हुआ प्रानी हो जाता है।
...
¤ अगर एक लड़का किसी लड़की से बात करने की कोशिश करे तो वह फ़्लर्ट कर रहा होता है और अगर लड़की किसी लड़के से बात करने की कोशिश करे तो वह दोस्ती का प्रयास होता है।

¤ अगर एक महिला रोये तो पुरी दुनिया उसके साथ होता है और अगर एक आदमी रोये तो सुनना होगा "क्या औरतों की तरह रो रहे हो, मर्द बनो"।

¤ अगर एक महिला का एक्सीडेंट हो तो गलती दुसरे वाहन चालक की होती है और एक आदमी का एक्सीडेंट हो तो उसे दुनिया कहेगी "तुम पिये हुये हो" या "तुम्हे ड्राइविंग नहीं आती"।

¤ इंटरव्यु के समय महिला जवाब ना दे पाये तो उसकी एक मुस्कुराहट से ही उसे नौकरी मिल जाती है और आदमी सभी सवालो के सही जवाब दे कर भी नहीं चुना जाता।

¤ हर जगह हम सुनते है महिलाओं की इज़्ज़त करें, लेकिन कभी किसी ने नहीं सुना की आदमी की इज़्ज़त करें।

¤ "लेडिज फ़र्स्ट" का नारा तो खुद में साबित करता है कि ये दुनिया महिलाओं की है।

¤ सार्वजनिक स्थलो अथवा बस पर सुनने को मिलेगा "महिलाओं के लिये सीट छोड़ दे", कभी ऐसा कोई किसी आदमी के लिये नहीं कहता।

दोस्तो ये मात्र महिलाओं द्वारा बनाया हुआ भ्रम है कि दुनिया मर्दों की है, वास्तव में दुनिया औरतो की है और राज भी उन्ही का चलता है।

मगर आप इस पर ध्यान न दें क्यूंकि शायद ये भी किसी महिला ने ही लिखा हो क्यूंकि दुनिया महिलाओं की है मर्दों की नहीं