Mar 26, 2013

happy holi friends...

सर रविंद्र जडेजा! ट्विटर पर चुटकुलों की भरमार

सर रविंद्र जडेजा भले ही अपनी कामयाबी का श्रेय आर अश्विन को दे रहे हों लेकिन ट्विटर पर उनके प्रशंसक उन्हें लगान के भुवन का अवतार मान रहे हैं। फिरोजशाह कोटला में भारत की जीत के बाद ही रविंद्र जडेजा ट्वटिर पर छा गए।

रविंद्र जडेजा को लेकर चुटकुले पहले से ही ट्वटिर पर आते रहे हैं लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही ट्वीट्स उन पर किए गए। मैच के बाद लोगों ने ट्विटर पर टिप्पणियां करके एक दूसरे का मनोरंजन किया। पेश हैं कुछ चुनिंदा ट्वीट्स...


Sir Ravindra Jadeja
भारत ने एक भी ऐसा टेस्ट मैच नहीं हारा है जिसमें श्री श्री श्री रविंद्र जडेजा को अंतिम एकादश में शामिल किया गया हो।

The UnReal Times ‏

फिरोज शाह कोटला में सर ने गेंद को पिच पर टर्न नहीं कराया था बल्कि उन्होंने धरती को ही घुमा दिया था।

Tharki Doctor
सर रविंद्र जडेजा के फेसबुक फैन पेज के एडमिन रजनीकांत है।

Gautam
एक बार सर रविंद्र जडेजा मानसून में क्रिकेट खेल रहे थे, और मैच के कारण बारिश रद्द हो गई थी।

Keh Ke Peheno
सर रविंद्र जडेजा चैन्ने सुपरकिंग्स के लिए आईपीएल में खेल रहे हैं, इसलिए सीएसके को एडवांस में ही विजेता घोषित किया जाता है।

vikkkkkassss
जो लोग क्रिकेट नहीं खेल सकते उनके लिए सर रविंद्र जडेजा ने फुटबॉल का अविष्कार किया है।

Ra_Bies
एक बार अमेरिका ने सर रविंद्र जडेजा को वीजा नहीं दिया था, और तब से ही यह देश क्रिकेट नहीं खेल सकता।

Ra_Bies ‏
धरती और मंगल के बीच होने वाली क्रिकेट सीरीज के विजेता को सर रविंद्र जडेजा ट्रॉफी से सम्मानित किया जाएगा।


The UnReal Times ‏
ब्रिटेन की महारानी दूसरों को नाइटहुड के सम्मान से नवाजती हैं, जबकि रविंद्र जडेजा ने महारानी को नाइटहुड से नवाजा है।

Mr. Tippler ‏
सर रविंद्र जडेजा की घातक गेंदबाजी के कारण ही क्रिकेट एकमात्र ऐसी चीज है जिससे रजनीकांत भी डरते हैं।

Demented
एक बार सर रविंद्र जडेजा सेकंड हैंड मारूति से एफ1 रेस में उतरे थे और जीत गए थे।

Ketan Pratap ‏
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का नाम बदलकर बॉर्डर जडेजा ट्रॉफी कर दिया गया है।

Arup Roy
आस्ट्रेलिया के बैटिंग ऑर्डर में आग लगाकर सर रविंद्र जडेजा ने होली सीजन की शुरूआत कर दी है।


The Lie Lama
सिर्फ सर रविंद्र जडेजा ही द डर्टी पिक्चर को क्लीन कर सकते हैं।

Diwakar
सर जडेजा ने 80 ओवरों के बाद अंपायर को नईं गेंद दी।

sandip goswami
सर रविंद्र जडेजा लगान में अंग्रेजों को हराने वाली टीम के भुवन का अवतार हैं।

Bhaskar.N.H
अब से जिस सीरीज में भी जडेजा खेलेंगे उसे एशेज कहा जाएगा क्योंकि वह अपने विरोधियों को राख कर देंगे।

Jobless Scholar™
अब सर रविंद्र जडेजा को टी-20 मैच का इंतजार है ताकि वह तीहरा शतक लगा सकें।

स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे ......

लक्ष्य पर ध्यान लगाओ

स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा ….. फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे . ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा , ” भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?”

स्वामी जी बोले , “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब तुम कभी चूकोगे नहीं . अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो . मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है. ”

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डर का सामना

एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे की तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे . स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए, और वे उन्हें दौडाने लगे. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था , उसने स्वामी जी को रोका और बोला , ” रुको ! उनका सामना करो !”

स्वामी जी तुरन्त पलटे और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे , ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए . इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी – ” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत , पलटो और सामना करो.”

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सच बोलने की हिम्मत

स्वामी विवेकानंदा प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे. जब वो साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो उन्हें सुनते. एक दिन इंटरवल के दौरान वो कक्षा में कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे , सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आये और पढ़ाना शुरू कर दिया.

मास्टर जी ने अभी पढ़ना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी.

” कौन बात कर रहा है ?” उन्होंने तेज आवाज़ में पूछा . सभी ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों किई तरफ इशारा कर दिया.

मास्टर जी तुरंत क्रोधित हो गए, उन्होंने तुरंत उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबधित एक प्रश्न पूछने लगे. जब कोई भी उत्तर न दे सका ,तब अंत में मास्टर जी ने स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया . पर स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों , उन्होंने आसानी से उत्तर दे दिया.

यह देख उन्हें यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बात-चीत में लगे हुए थे. फिर क्या था उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी . सभी छात्र एक -एक कर बेच पर खड़े होने लगे, स्वामी जे ने भी यही किया.

तब मास्टर जी बोले, ” नरेन्द्र (स्वामी विवेकानंद )) तुम बैठ जाओ.”

” नहीं सर , मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वो मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था.”,स्वामी जी ने आग्रह किया.

Mar 25, 2013

सूचना-प्रौद्योगिकी ( information technology )



परिचय (Introduction)

कम्प्यूटर का विकास कई दशकों पहले ही हो चुका है, परन्तु आधुनिक युग में कम्प्यूटर की क्षमता, गति, आकार एवं अन्य कई विशेषताओं में आश्चर्यजनक बदलाव हो रहे हैं। इन सभी सूचनाओं में सूचना प्रौद्योगिकी के आविष्कार ने कई असम्भव बातों को सम्भव बना दिया है। हम घर बैठे दूर स्थित अपने किसी मित्र व संबंधी के साथ चैंटिंग करना, रेलवे-वायुयान टिकट आरक्षित करा सकते हैं। कम्प्यूटर के विकास के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी भी विकास के पथ पर अग्रसर है। सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग डाटा संचार के रूप में, व्यपार, घर, बैंकों इत्यादि स्थानों पर मुख्य रूप से किया जाता है। दूसरे शब्दों में ज्ञान की नई शाखा को सूचना प्रौद्योगिकी कहते हैं।

सूचना-प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक(Fundamental Ingredient of IT)


संचार प्रक्रिया, कम्प्यूटर नेटवर्क, ई-मेल आदि सूचना-प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक हैं। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

संचार-प्रक्रिया (Communication Process)

दो विभिन्न या समान डिवाइसों के मध्य डाटा तथा सूचनाओं के आदान प्रदान को डाटा संचार एवं इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को संचार-प्रक्रिया कहते हैं।
संचार-प्रक्रिया निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा सम्पन्न होती है-

1. संदेश
2. प्राप्तकर्ता
3. प्रेषक
4. माध्यम
5. प्रोटोकॉल

कम्प्यूटर नेटवर्क (Computer Network)


सूचनाओं या अन्य संसाधनों के परस्पर आदान-प्रदान एवं साझेदारी के लिए दो या दो अधिक कम्प्यूटरों का परस्पर जुड़ाव कम्प्यूटर नेटवर्क कहलाता है। कम्प्यूटर नेटवर्क के अंतर्गत संसाधनों एवं सूचनाएं एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक समान रूप से पहुंचती है। कम्प्यूटर नेटवर्क एक कंपनी अथवा भवनों, एक कमरे तथा शहर के मध्य स्थापित किए जाते हैं।

नेटवर्क के प्रकार(Types of Network)


नेटवर्क विभिन्न प्रकार के होते हैं परन्तु मुख्यत: नेटवर्क तीन प्रकार के होते हैं-

1. लोकल एरिया नेटवर्क
- लैन (Local Area Network- LAN)
वह नेटवर्क जो केवल एक भवन, कार्यालय अथवा एक कमरे तक सीमित होते हैं, लोकल एरिया नेटवर्क कहलाते हैं। इस नेटवर्क के अंतर्गत कई कम्प्यूटर आपस में संयोजित रहते हैं। परन्तु इनका भौगोलिक क्षेत्र एक या दो किमी. से अधिक नहीं होता है। रिंग, स्टार या कम्प्लीटली कनेक्टेड नेटवर्क आदि लैन के उदाहरण हैं।

2. मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क- मैन (Metropolitan Area Network- MAN)
एक या एक से अधिक लोकल एरिया नेटवर्कों को एक साथ जोड़कर बनाए गए नेटवर्क को मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क कहते हैं। यह नेटवर्क वृहद स्तरीय नेटवर्क है, जो कई कार्पोरेटों से मिलकर बना होता है। मैन की गति अत्यधिक तीव्र होती है, परन्तु लैन की अपेक्षा धीमी होती है।

3. वाइड एरिया नेटवर्क
- वैन (Wide Area Network- WAN)
वह नेटवर्क जो मंडलीय, राष्टरीय, अंतरराष्टरीय एवं प्रादेशिक स्तर पर जोड़े जाते हैं, वाइड एरिया नेटवर्क कहलाते हैं। वैन में उपग्रह द्वारा कम्प्यूटर टर्मिनलों को आपस में जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए- मुबंई में रहकर दिल्ली से कोलकाता का आरक्षण करना या कनाडा से सिंगापुर की फ्लाइट का आरक्षण केवल वैन द्वारा ही संभव है। वैन की गति, लैन तथा मैन की अपेक्षा धीमी होती है।

ई-मेल (E-mail)
ई-मेल सूचना प्रौद्योगिकी की एक अद्भुत देन है, जिसके द्वारा दूरभाष तथा टेलीग्राम, फैक्स तथा पोस्टकार्ड इत्यादि पारंपरिक संचार सेवाओं को आसानी से केवल कुछ ही सेकेंडों में प्रेषित किया जा सकता है। ई-मेल की शुरुआत सबसे पहले हॉटमेल नामक कंपनी ने की। जिसने www.hotmail.com के जरिए सेवायें प्रारम्भ की। आज हॉटमेल विश्व की सबसे बड़ी ई-मेल इंटरनेट कंपनी है।

महत्वपूर्ण प्रोग्रामिंग भाषाएं (importent programming language )


परिचय (Introduction)


कम्प्यूटर एक मशीन है और वह हमारी बोलचाल की भाषा को समझ नहीं सकता। इसके लिए प्रोग्राम, विशेष प्रकार की भाषा में लिखे जाते हैं। इन भाषाओं को प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के नाम से जानते हैं। आजकल ऐसी सैकड़ों भाषाएं प्रचलन में हैं। ये भाषाएं कम्प्यूटर और प्रोग्रामर के बीच संपर्क या फिर संवाद स्थापित करने का काम करती हैं। कम्प्यूटर उन्हीं के माध्यम से दिए गए निर्देशों को समझकर काम करता है। कम्प्यूटर द्वारा किए जाने वाले अलग अलग कार्यों के लिए अलग-अलग तरह की लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें कुछ प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इस प्रकार हैं-

लो-लेवल लैंग्वेज (Low Level Languages)

वे लैंग्वेज जो कम्प्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली को ध्यान में रखकर बनाई गई हंै लो लेवल लैंग्वेज कहलाती हैं। इसमें प्रोग्राम लिखने वाले व्यक्ति को कम्प्यूटर की आंतरिक क्रिया प्रणाली की जानकारी होना आवश्यक है। इसको निम्न स्तरीय लैंग्वेज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें प्रोग्राम लिखना पूरी तरह से उस कम्प्यूटर पर निर्भर करता है जिस पर यह लिखा जा रहा है। इस लैंग्वेज को पुन: दो अन्य भाषाओं में बांटा जा सकता है।

1. मशीन लैंग्वेज (Machine Languages) - कम्यूटर एक मशीन है जो केवल विद्युत संकेतों को ही समझ सकती है। इन विद्युत संकेतों को ऑफ या 0(शून्य) व ऑन या 1(एक) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इन अंको के बायनरी अंक कहते हैं। कम्प्यूटर केवल इन बाइनरी अंकों में दिए गए निर्देशों को समझ सकता है। इन बाइनरी अंको से बनी लैंग्वेज को हम मशीन लैंग्वेज कहते हैं। जैसे- 0100100011100110011.......

2. असेंबली लैंग्वेज (Assembly Languages)
- अंसेबली लैंग्वेज वे भाषाएं होती हैं जो पूरी तरह से मशीन लैंग्वेज पर आधारित होती हैं। लेकिन इनमें 0 व 1 की सीरीज के स्थान पर अंग्रेजी के कुछ अक्षरों व कुछ चुने हुए शब्दों का कोड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इन कोडों को नेमोनिक कोड या शाब्दिक कोड के नाम से जाना जाता है।

3. हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Languages)
- जैसा कि लो-लेवल लैंग्वेज के लिए बताया गया कि प्रोग्राम लिखने के लिए कम्प्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली का ज्ञान होना जरूरी है। दूसरा प्रत्येक कम्प्यूटर की अपनी अलग मशीनी भाषा और असेम्बली भाषा होती है। अत: एक तरह के कम्प्यूटर के लिए इन भाषाओं में लिखा गया प्रोग्राम दूसरी तरह के कम्प्यूटरों के लिए बेकार हो जाता है। अत: ऐसी प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास किया गया जो सिस्टम की आंतरिक कार्यप्रणाली पर आधारित न हो और जिनमें लिखे गए प्रोग्रामोंको किसी भी प्रकार के सिस्टम पर चलाना संभव हो। इन भाषाओं को हाई लेवल भाषा कहा जाता है। हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषा में इंग्लिश के चुने हुए शब्दों व साधारण गणित में प्रयोग किए जाने वाले चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इन भाषाओं में प्रोग्राम लिखना उनमे गलतियों का पता लगाना और उनको सुधारना लो लेवल भाषा की तुलना में आसान होता है। सभी प्रोग्राम हाई लेवल भाषा मे ही लिखे जाते हैं।

हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषाओं को भी उनकी प्रकृति के अनुसार दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है।

1. विधि अभिमुखी भाषाएं (Procedure Oriented Languages)
2. समस्या अभिमुखी भाषाएं (Problem Oriented Languages)


प्रमुख हाई लेवल लैंग्वेज:
1. बेसिक 2. फोरट्रॉन
3. लोगो 4. कोबोल
5. पास्कल 6. सी
7. सी++ 8. अल्गोल
9. कोमाल 10. पायलट
11.स्नोबॉल 12. प्रोलॉग
13. फोर्थ जेनरेशन लैग्वेज (4जीएल)