Aug 23, 2010
मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान का राज खुला
दन.मोनालिसा की विस्मयकारी मुस्कान लगभग 500 वर्षो से एक गहरा राज है। लियोनार्दो दा विंची की इस कृति को देखकर आज भी लोगों के जेहन में कई सवाल उठते हैं। आज भी यह रहस्य अनसुलझा ही है कि क्यों मोनालिसा पहले मुस्कुराती है, फिर उसकी मुस्कान फीकी हो जाती है और कहीं खो जाती है।
लेकिन, वैज्ञानिकों की मानें तो उन्होंने इस रहस्य को पूरी तरह सुलझा लिया है। उन्होंने दावा किया है कि उन प्रकाशकीय प्रभावों का पता लगा लिया गया है, जिससे दा विंची ने यह कृति बनाई थी। यूरोपीय वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा है कि दा विंची ने स्मोकी प्रभाव से इसे बनाया। इसे स्फूमैटो के नाम से जाना जाता है। महान चित्रकार दा विंची ने इस चित्रकारी के लिए 40 बेहद बारीक परतों की कलई अपनी उंगलियों से चढ़ाई थी। इससे मोनालिसा के चेहरे पर चमक आई।
चेहरे की यह आभा विभिन्न वर्णकों का मिश्रण है, जो मोनालिसा के मुख के इर्द-गिर्द धुंधला प्रकाश और छाया प्रदान करती है। यह प्रकाश और छाया लुका-छिपी के खेल की तरह है यानी एक पल में यह नजर आती है तो दूसरे में गायब। वैज्ञानिकों ने इन रहस्यों का पता लगाने के लिए तस्वीर का अध्ययन किया और इसके लिए उन्होंने एक्स-रे का इस्तेमाल किया।
इससे उन्होंने आभा की विभिन्न परतों और चेहरे के विभिन्न हिस्से पर पेंट के बदलते स्तरों का पता लगाया। संग्रहालय के रखरखाव एवं अनुसंधान के संबंध में फ्रांस की प्रयोगशाला और यूरोपीय सिंक्रोट्रॉन केंद्र ने अध्ययन किया।
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Aug 21, 2010
जानिए क्या है ‘सिबिल’
आजकल आपको बहुत से लोग सिबिल की चर्चा करते मिल जाएंगे और बातएंगे की उनका नाम सिबिल में चला गया है। और अब उन्हें लोन वगैरह नहीं मिलेगा। आइए हम आपको बताते हैं कि सिबिल क्या है और उससे आप कैसे छुटकारा पा सकते हैं।
सिबिल का पूरा फॉर्म है क्रेडिट इंफॉरमेंशन ब्यूरो( इंडिया) लिमिटेड। यह एक प्राइवेट संगठन है और इसके सद्स्य स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित भारत के सभी बड़े सरकारी और प्राइवेट बैंक हैं यह आईएसओ 27001:2005 प्राप्त संगठन है और इसका दावा है कि वह अपने डेटा को सिर्फ अपने सदस्यों को ही देता है। यह भारत का पहला इस तरह का संगठन है। और इसका रजिस्टर्ड कार्यालय नरीमन प्वाइंट मुंबई में है।
सिबिल अपने सदस्य बैंकों के लिखित आग्रह पर किसी व्यक्ति या फर्म या लिमिटेड कंपनी के कर्ज चुकाने का इतिहास आंकडे वगैरह उपलब्ध कराता है। इन आंकडों के सहारे वह बैंक या संस्था, किसी व्यक्ति या कंपनी की आर्थिक स्थिति और उसके लोन चुकाने की आदत जान लेती है। इससे वह बैंक अनावश्यक जोखिम से बच जाता है। ग्राहकों को भी इसका फायदा होता है। अगर उनका रिकार्ड क्लीन है तो उसे तुरंत लोन मिल जाता है जो ग्राहक लोन नहीं चुकाते या बराबर डिफॉल्ट करते रहते हैं उनके तमाम आंकडे सिबिल के पास जाते ही उसके सद्स्य य बैंक उसे शेयर कर लेते हैं। ज्यादातर मामलों में ऐसे लोगों को लोन या क्रेडिट कार्ड नहीं मिल पाता है।
सिबिल अपने सदस्य बैंकों को व्यक्तिगत ग्राहकों और फर्मों तथा कंपनियों वगैरह की लोन हिस्ट्री के अलावा अन्य तरह की सूचनाएं भी उपलब्ध कराता है मसलन पासपोर्ट नंबर, वोटर आईडी कार्ड, जन्मतिथि वगैरह। इसी तरह कंपनियों के मामले में उनका रजिस्ट्रेशन नंबर वगैरह उपलब्ध कराता है। इसके लिए सिबिल के पास दो सेगमेंट हैं। एक है कंज्यूमर क्रेडिट ब्यूरो और दूसरा कमर्शियल क्रेडिट ब्यूरो। ये बैंकों, वित्तीय संस्थाओं वगैरह से सूचनाएं एकत्र करते हैं और अपने सदस्यों को देते हैं।
अगर आपका नाम सिबिल में चला गया है और आपने तमाम कर्ज चुका दिए हैं तो आप कर्जदाता बैंक से कहे कि वह आपका नाम सिबिल से हटवाए। आपका नाम सिबिल में है या नहीं इसके लिए उनकी वेबसाइट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट सिबिल डॉट कॉम पर लॉग करके जान सकते हैं। पूरी रिपोर्ट लेने के लिए आपको 142 रुपए खर्च करने होंगे। आम धारणा के विपरीत सिबिल किसी को डिफॉल्टर घोषित नहीं करता है। वह व्यक्ति या कंपनी की सिर्फ फाइनेशियल हिस्ट्री बताता है। वह किसी के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करता।
कौन कौन है सिबिल के शेयर होल्डर:- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया(10%),आईसीआईसीआई बैंक (10%) एचडीएफसी बैंक लि.(10%), स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक (5%), सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (5%) सिटीकार्प फाइनेंस इंडिया लि. (5%), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (5%), पंजाब नेशनल बैंक (5%), इंडियन ओवरसीज बैंक (5%), बैंक ऑफ इंडिया 95%), बैंक ऑफ बड़ौदा (5%), जीई स्ट्रेटजिक इंवेस्टमेंट इंडिया (2.5%), सुंदरम फाइनेंस लि.(2.5%), इनऐंड ब्रैडस्ट्रीट इंफोरमेंशन सर्विसेज इंडिया प्रा. लि.(0.01) और ट्रांस इंटरनेशनल इंक (19.99%)।
सिबिल का पूरा फॉर्म है क्रेडिट इंफॉरमेंशन ब्यूरो( इंडिया) लिमिटेड। यह एक प्राइवेट संगठन है और इसके सद्स्य स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित भारत के सभी बड़े सरकारी और प्राइवेट बैंक हैं यह आईएसओ 27001:2005 प्राप्त संगठन है और इसका दावा है कि वह अपने डेटा को सिर्फ अपने सदस्यों को ही देता है। यह भारत का पहला इस तरह का संगठन है। और इसका रजिस्टर्ड कार्यालय नरीमन प्वाइंट मुंबई में है।
सिबिल अपने सदस्य बैंकों के लिखित आग्रह पर किसी व्यक्ति या फर्म या लिमिटेड कंपनी के कर्ज चुकाने का इतिहास आंकडे वगैरह उपलब्ध कराता है। इन आंकडों के सहारे वह बैंक या संस्था, किसी व्यक्ति या कंपनी की आर्थिक स्थिति और उसके लोन चुकाने की आदत जान लेती है। इससे वह बैंक अनावश्यक जोखिम से बच जाता है। ग्राहकों को भी इसका फायदा होता है। अगर उनका रिकार्ड क्लीन है तो उसे तुरंत लोन मिल जाता है जो ग्राहक लोन नहीं चुकाते या बराबर डिफॉल्ट करते रहते हैं उनके तमाम आंकडे सिबिल के पास जाते ही उसके सद्स्य य बैंक उसे शेयर कर लेते हैं। ज्यादातर मामलों में ऐसे लोगों को लोन या क्रेडिट कार्ड नहीं मिल पाता है।
सिबिल अपने सदस्य बैंकों को व्यक्तिगत ग्राहकों और फर्मों तथा कंपनियों वगैरह की लोन हिस्ट्री के अलावा अन्य तरह की सूचनाएं भी उपलब्ध कराता है मसलन पासपोर्ट नंबर, वोटर आईडी कार्ड, जन्मतिथि वगैरह। इसी तरह कंपनियों के मामले में उनका रजिस्ट्रेशन नंबर वगैरह उपलब्ध कराता है। इसके लिए सिबिल के पास दो सेगमेंट हैं। एक है कंज्यूमर क्रेडिट ब्यूरो और दूसरा कमर्शियल क्रेडिट ब्यूरो। ये बैंकों, वित्तीय संस्थाओं वगैरह से सूचनाएं एकत्र करते हैं और अपने सदस्यों को देते हैं।
अगर आपका नाम सिबिल में चला गया है और आपने तमाम कर्ज चुका दिए हैं तो आप कर्जदाता बैंक से कहे कि वह आपका नाम सिबिल से हटवाए। आपका नाम सिबिल में है या नहीं इसके लिए उनकी वेबसाइट डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू डॉट सिबिल डॉट कॉम पर लॉग करके जान सकते हैं। पूरी रिपोर्ट लेने के लिए आपको 142 रुपए खर्च करने होंगे। आम धारणा के विपरीत सिबिल किसी को डिफॉल्टर घोषित नहीं करता है। वह व्यक्ति या कंपनी की सिर्फ फाइनेशियल हिस्ट्री बताता है। वह किसी के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करता।
कौन कौन है सिबिल के शेयर होल्डर:- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया(10%),आईसीआईसीआई बैंक (10%) एचडीएफसी बैंक लि.(10%), स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक (5%), सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (5%) सिटीकार्प फाइनेंस इंडिया लि. (5%), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (5%), पंजाब नेशनल बैंक (5%), इंडियन ओवरसीज बैंक (5%), बैंक ऑफ इंडिया 95%), बैंक ऑफ बड़ौदा (5%), जीई स्ट्रेटजिक इंवेस्टमेंट इंडिया (2.5%), सुंदरम फाइनेंस लि.(2.5%), इनऐंड ब्रैडस्ट्रीट इंफोरमेंशन सर्विसेज इंडिया प्रा. लि.(0.01) और ट्रांस इंटरनेशनल इंक (19.99%)।
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एनटीसी का 8.3 एकड़ प्लॉट 1505 करोड़ में नीलाम
डियाबुल्स इन्फ्रा एस्टेट ने मुंबई में एनटीसी की 8.3 एकड़ जमीन 1,505 करोड़ रुपए में खरीद ली है। भारत मिल्स का यह प्लॉट ई ऑक्शन के जरिये बेचा गया। इस जमीन का स्वामित्व एनटीसी के पास था। इंडियाबुल्स इन्फ्रा ने एनटीसी का यह दूसरा प्लाट खरीदा है। इसके पहले उसने वरली स्थित पोद्दार मिल्स का 2.3 एकड़ का प्लाट 474 करोड़ रुपए में खरीदा था।
इंडियाबुल्स इन्फ्रा ने इस नीलामी में लोढ़ा समूह को पछाड़ा। लोढ़ा ने 1503 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। भारत मिल्स के इस प्लाट की रिजर्व प्राइस 750 करोड़ रुपए थी। इस जमीन को लेने के लिए जबर्दस्त होड़ लगी थी।
सरकारी कंपनी एनटीसी अपनी 24 बीमार मिलों के उद्धार के लिए अपने प्लॉट बेच रही है। इनके लिए उसे 3,875 करोड़ रुपए चाहिए। उसकी योजना 55 एकड़ जमीन बेचकर 5,000 करोड़ कमाने की है। जमीनों की बढ़ती दर को देखकर यह माना जा रहा है कि एनटीसी को 10,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा मिलेंगे। इन पैसों से वह अपनी बीमार कंपनियों का आधुनिकीकरण कर सकेगी।
इंडियाबुल्स इन्फ्रा ने इस नीलामी में लोढ़ा समूह को पछाड़ा। लोढ़ा ने 1503 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। भारत मिल्स के इस प्लाट की रिजर्व प्राइस 750 करोड़ रुपए थी। इस जमीन को लेने के लिए जबर्दस्त होड़ लगी थी।
सरकारी कंपनी एनटीसी अपनी 24 बीमार मिलों के उद्धार के लिए अपने प्लॉट बेच रही है। इनके लिए उसे 3,875 करोड़ रुपए चाहिए। उसकी योजना 55 एकड़ जमीन बेचकर 5,000 करोड़ कमाने की है। जमीनों की बढ़ती दर को देखकर यह माना जा रहा है कि एनटीसी को 10,000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा मिलेंगे। इन पैसों से वह अपनी बीमार कंपनियों का आधुनिकीकरण कर सकेगी।
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मुंबई में बिका 875 करोड़ का प्लॉट
मुंबई के अंधेरी ईस्ट में मरोल स्थित बोरोसिल ग्लास वर्क्स का 18 एकड़ का एक प्लॉट 875 करोड़ रुपए में बिका। यह जमीन खरीदी शेठ डेवलपर्स के अशिवन शेठ ने। यह एक इंडस्ट्रियल प्लॉट है और अब इसके पंजीकरण की तैयारी चल रही है।
शेठ डेवलपर्स इस समय खरीदारी के अभियान में है। साल की शुरुआत में उन्होंने विले पार्ले में गोल्डन टोबैकोकंपनी की जमीन 591 करोड़ रुपए में खरीदी थी। उस जमीन पर कंपनी आवासीय परियोजना की तैयारी में है।
मरोल का प्लॉट बेचने के पहले बोरोसिल ने वहां पर अपना प्लांट बपंद कर दिया था और कामगारों को 18 करोड़ रुपया मुआवजा देकर बाहर कर दिया था। कंपनी जनवरी से ही इस प्लॉट को बेचना चाह रही थी। लेकिन इसने अपना 1000 करोड़ रुपए रखा था। इस जमीन को लेने के लिए कई बड़े डेवलपर बातचीत कर रहे थे लेकिन सफलता मिली अश्विन शेठ को।
इस जमीन की खासियत यह है कि इसमें 20 लाख वर्गफुट निर्माण किया जा सकता है। इस इलाके में फ्लैटों की अच्छी मांग भी है।
शेठ डेवलपर्स इस समय खरीदारी के अभियान में है। साल की शुरुआत में उन्होंने विले पार्ले में गोल्डन टोबैकोकंपनी की जमीन 591 करोड़ रुपए में खरीदी थी। उस जमीन पर कंपनी आवासीय परियोजना की तैयारी में है।
मरोल का प्लॉट बेचने के पहले बोरोसिल ने वहां पर अपना प्लांट बपंद कर दिया था और कामगारों को 18 करोड़ रुपया मुआवजा देकर बाहर कर दिया था। कंपनी जनवरी से ही इस प्लॉट को बेचना चाह रही थी। लेकिन इसने अपना 1000 करोड़ रुपए रखा था। इस जमीन को लेने के लिए कई बड़े डेवलपर बातचीत कर रहे थे लेकिन सफलता मिली अश्विन शेठ को।
इस जमीन की खासियत यह है कि इसमें 20 लाख वर्गफुट निर्माण किया जा सकता है। इस इलाके में फ्लैटों की अच्छी मांग भी है।
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