त्रिपोली. लीबिया में 42 साल तक हुकूमत करने वाला 69 वर्षीय तानाशाह कर्नल मुअम्मर गद्दाफी आखिरकार मारा गया। उसकी मौत गृहनगर सिर्ते में सिर और पैर में गोली लगने से हुई है। लीबिया की सेना और अमेरिका ने मौत की पुष्टि की है। गुरुवार को हुए इस हमले में उसके बेटे मुतस्सिम और सेना प्रमुख अबु बकर यूसुफ जबर समेत कई साथी भी मारे गए हैं। दिसंबर से अरब देशों में शुरू हुई क्रांति के बाद गद्दाफी की हुकूमत के खिलाफ भी आवाजें उठने लगी थीं। लेकिन उसने उसे बलपूर्वक दबाने की कोशिश की। विरोधियों को नाटो देशों का समर्थन मिलने के बाद वह छिपता फिर रहा था।
अपने शासनकाल के दौरान ही गद्दाफी क्रांतिकारी हीरो से अंतरराष्ट्रीय जगत में अछूत की तौर पर देखा जाने लगा। फिर उसे एक अहम पार्टनर बताया जाने लगा। गद्दाफी ने अपना एक राजनीतिक चिंतन विकसित किया था, जिस पर उसने एक किताब भी लिखी, जो उसकी नजर में इस क्षेत्र में प्लेटो, लॉक और मार्क्स के चिंतन से भी कहीं आगे थी। गद्दाफी का जन्म वर्ष 1942 में एक कबायली परिवार में हुआ था।
वर्ष 1969 में जब गद्दाफी ने फौजी अफसरों को साथ लेकर राजा इद्रीस का तख्ता-पलट कर सत्ता हासिल की थी। तो वह एक करिश्माई युवा फौजी अधिकारी था। स्वयं को मिस्र के जमाल अब्दुल नासिर का शिष्य बतानेवाले गद्दाफी ने सत्ता हासिल करने के बाद खुद को कर्नल के खिताब से नवाजा। देश के आर्थिक सुधारों की तरफ तवज्जो दी। इससे पहले देश की अर्थव्यवस्था विदेशी अधीनता के चलते जर्जर हालत में थी।
बताया जाता है कि गद्दाफी के पास ७ बिलियन डॉलर (३.५० खरब रुपए) मूल्य का सोना है। अमेरिका ने गद्दाफी परिवार के ३० बिलियन डॉलर के निवेशों को जब्त किया है। कनाडा में २.४ बिलियन डॉलर(१.१९ खरब रुपए), आस्ट्रीया में १.७ बिलियन डॉलर(८४ अरब रुपए), ब्रिटेन में १ बिलियन डॉलर(४९ अरब रुपए) लीबिया क्रांति के शुरू होने के बाद जब्त किए गए हैं। ६ माह चले विद्रोह में लीबिया को 15 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। लीबिया सेंट्रल बैंक के पूर्व गवर्नर फरहत बंगदारा के मुताबिक, यदि विदेशी सरकारें लीबिया की जब्त संपत्ति को मुक्तकर दें तो यह बड़ा संकट नहीं है।
168 अरब डॉलर लीबिया की संपत्ति
दुनिया भर के बैंकों में लीबिया की 168 अरब डॉलर की संपत्ति जमा है। इनमें 50 अरब डॉलर ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, पुर्तगाल, स्पेन और स्वीडन जैसे देशों में जमा हैं। वहीं अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के पास 40 अरब डॉलर जमा हैं। बंगदारा के मुताबिक, सब कुछ इस गृह युद्ध से पहले यहां का आर्थिक उत्पादन 80 अरब डॉलर था। अगले 10 सालों में इसे दोगुना किया जा सकता है।
तेल के भंडार मुक्त कराए
अगर नासिर ने स्वेज नहर को मिस्र की बेहतरी का रास्ता बनाया था, तो कर्नल गद्दाफी ने तेल के भंडार को इसके लिए चुना। लीबिया में 1950 के दशक में तेल के बड़े भंडार का पता चल गया था। लेकिन उसके खनन का काम पूरी तरह से विदेशी कंपनियों के हाथ में था। वही उसकी ऐसी कीमत तय करते थीं। गद्दाफी ने तेल कंपनियों से कहा कि या तो वो पुराने करार पर पुनर्विचार करें या उनके हाथ से खनन का काम वापस ले लिया जाएगा। लीबिया वो पहला विकासशील देश था, जिसने तेल के खनन से मिलनेवाली आमदनी में बड़ा हिस्सा हासिल किया। दूसरे अरब देशों ने भी उसका अनुसरण किया।
खत्म कर दी आजादी
1970 के आसपास उन्होंने विश्व के संबंध में एक तीसरा सिद्धांत विकसित करने का दावा किया। दावा किया कि इसके माध्यम से पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच का मतभेद खत्म हो जाएगा। दबे-कुचले लोगों बराबरी का हक मिलेगा। लेकिन जिस विचारधारा में लोगों को आजाद करने का दावा किया गया था, उसी के नाम पर उनकी सारी आजादी छीन ली गई।
अमेरिका विरोधी
2010 में टयूनीशिया से अरब जगत में बदलाव की क्रांति का प्रारंभ हुआ, तो उस संदर्भ में जिन देशों का नाम लिया गया, उसमें लीबिया को पहली पंक्ति में नहीं रखा गया था। क्योंकि गद्दाफी को पश्चिमी देशों का पिट्ठू नहीं समझा जाता था, जो क्षेत्र में जनता की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण समझा जाता था। उन्होंने तेल से मिले धन को भी दिल खोलकर बांटा था। ये अलग बात है कि इस प्रक्रिया में उनका परिवार भी बहुत अमीर हुआ था।
अमेरिकी हमले में बच गया था गद्दाफी
गद्दाफी ने बाद में चरमपंथी संगठनों को भी समर्थन देना शुरू कर दिया था। बर्लिन के एक नाइट क्लब पर साल 1986 में हुआ हमला इसी श्रेणी में था, जहां अमरीकी फौजी जाया करते थे। इस हमले का आरोप गद्दाफी के माथे मढ़ा गया। हालांकि इसके कोई ठोस सबूत नहीं थे। घटना से नाराज अमेरिकी राष्ट्रपति रोनल्ड रीगन ने त्रिपोली और बेनगाजी पर हवाई हमलों का हुक्म दिया। हालांकि गद्दाफ़ी हमले में बच गए, लेकिन कहा गया कि उनकी गोद ली बेटी हवाई हमलों में मारी गई।
यूएन की पाबंदी
लॉकरबी शहर के पास पैनएम जहाज में बम विस्फोट, जिसमें 270 लोग मारे गए। कर्नल गद्दाफी ने हमले के दो संदिग्धों को स्कॉटलैंड के हवाले करने से मना कर दिया, जिसके बाद लीबिया के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए जो दोनों लोगों के आत्मसमर्पण के बाद 1999 में हटाया गया। उनमें से एक मेगराही को उम्रकैद हुई। बाद में गद्दाफी ने अपने परमाणु कार्यक्रम और रासायनिक हथियार कार्यक्रमों पर रोक लगाने की बात कही और पश्चिमी देशों से उनके संबंध सुधर गए।
Oct 21, 2011
गद्दाफी के अंत पर रहस्य के चलते आज नहीं दफन होगा शव
त्रिपोली. कर्नल मुअम्मर गद्दाफी के खात्मे के साथ ही लीबिया में 42 साल लंबे तानाशाही शासन के अंत के साथ ही शनिवार को लीबिया को आज़ाद मुल्क घोषित कर दिया जाएगा। लीबिया की अंतरिम सरकार चला रही नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल (राष्ट्रीय अंतरिम परिषद) लीबिया को आज़ाद मुल्क घोषित करेगी। इसके साथ ही लीबिया में पूरी तरह से लोकतांत्रिक सरकार बनने की उलटी गिनती भी शुरू हो गई है।
लेकिन गद्दाफी की मौत कैसे हुई, इस पर अब भी रहस्य बरकरार है। इसी वजह से गद्दाफी को आज नहीं दफनाया जाएगा। बताया जा रहा है कि गद्दाफी की मौत, किन हालात में की जाएगी, इसकी जांच की जा रही है। ब्रिटिश अख़बार गार्जियन के मुताबिक गद्दाफी को दफनाने में हो रही देर की दूसरी वजह यह आशंका है कि अगर गद्दाफी के शव को सार्वजनिक तौर पर दफन किया जाएगा तो उसकी मजार पर लोग इकट्ठा होंगे और उसे शहीद का दर्जा दे सकते हैं। गौरतलब है कि इस साल मई में ओसामा बिन लादेन को भी इसी डर से अमेरिका ने मारने के बाद समुद्र में दफन कर दिया था।
वहीं, दूसरी ओर शनिवार को मुस्तफा अब्दुल जलील बेनगाजी से लीबिया की आजादी का ऐलान करेंगे। लेकिन लीबिया में इस बात को लेकर चिंता भी जाहिर की जा रही है कि लीबिया के स्वतंत्र देश होने का ऐलान राजधानी त्रिपोली की जगह लीबिया के बेनगाजी से क्यों की जा रही है।
लीबिया के अंतरिम प्रधानमंत्री और एनटीसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले महमूद जिबरिल ने गद्दाफी की मौत के बाद ऐलान किया, 'अब लीबिया के लिए नई शुरुआत का समय आ गया है। नया और एकता के सूत्र में बंधा लीबिया।' गद्दाफी की मौत के बाद लीबिया में जश्न का माहौल है। दुनिया के अलग-अलग इलाकों में रह रहे लीबियाई नागरिक भी तानाशाही शासन के अंत पर खुशी मना रहे हैं। लेकिन दुनिया के कई देश लीबिया के भविष्य को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं जाहिर कर रहे हैं। दुनिया के कई मुल्क लीबिया को शुभकामनाएं देने के साथ आशंका भी जाहिर कर रहे हैं कि इस देश में अराजकता का माहौल जल्द खत्म हो पाएगा।
खबरों के मुताबिक अपने आखिरी समय में अपने गृह नगर सिरते में छुपा गद्दाफी वहां से भागने की फिराक में था। वह अपने काफिले के साथ वहां से जैसे ही निकला, फ्रेंच लडा़कू विमानों ने उस पर हमला कर दिया। हवाई हमले के बाद गद्दाफी का काफिला नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल की फौज के साथ झड़प में फंस गया। माना जा रहा है कि इस दौरान हुई गोलीबारी में गद्दाफी ज़ख़्मी हो गया। इसके बाद वह जमीन पर घिसटते हुए एक पाइप के पास जाकर छुप गया। कुछ घंटों बाद एनटीसी के लड़ाकों ने गद्दाफी को पानी की निकासी के लिए बने एक पाइप के पास से खोज निकाला।
बताया जा रहा है कि इनमें से एक ने अपने जूते से गद्दाफी की पिटाई की। चश्मदीदों के मुताबिक गद्दाफी दया की भीख मांग रहा था। वहीं, गद्दाफी के शव के साथ एंबुलेंस में सवार अब्दल-जलील अब्दल अजीज नाम के डॉक्टर का दावा है कि गद्दाफी को दो गोलियां लगी थीं। अजीज के मुताबिक एक गोली गद्दाफी सिर में और सीने पर लगी थी।
वहीं, एनटीसी के फील्ड कमांडर मोहम्मद लीत ने बताया, 'गद्दाफी को जब एनटीसी के लड़ाकों ने ललकार कर जब फायरिंग शुरू की तो वह एक जीप पर सवार था। इसके बाद वह जीप से उतरकर भागने लगा। गद्दाफी भागकर एक गंदे पानी की निकासी के लिए बने पाइप में छुप गया। लीबियाई लड़ाकों ने उसका पीछा किया और उसे वहां जाकर चुनौती दी। इसके बाद गद्दाफी पाइप से बाहर आ गया। चश्मदीदों के मुताबिक गद्दाफी पाइप से बाहर आते ही गद्दाफी के एक हाथ में कैलेशनिकोव राइफल तो दूसरे हाथ में सोने की पिस्तौल थी।'
लीत के मुताबिक, 'गद्दाफी ने बाहर आकर दायें और बायें देखा और पूछा कि क्या हो रहा है? इसके बाद एनटीसी के लड़ाकों ने फिर से गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में गद्दाफी के पैर और कंधे ज़ख़्मी हो गए।' लेकिन लीबिया के अंतरिम प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि गद्दाफी के सिर में चोट लगी थी।
हालांकि, अभी तक पूरी तरह से यह साफ नहीं हो पाया है कि गद्दाफी का अंत कैसे हुआ। नाटो ने भी एक बयान में कहा कि उसके जंगी विमानों ने सिरते के नजदीक सेना की दो गाड़ियों पर बमबारी की थी। लेकिन नाटो इस बात पुष्टि नहीं कर पाया कि इन गाड़ियों में गद्दाफी था या नहीं।
इस बीच, लीबियाई अधिकारियों का कहना है कि पूर्व शासक कर्नल मुअम्मर गद्दाफ़ी सिरते में उनके वफ़ादारों और अंतरिम सरकार के सैनिकों के बीच हुई गोलीबारी में मारे गए। लीबिया के कार्यवाहक प्रधानमंत्री और एनटीसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले महमूद जिबरिल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गद्दाफी की मौत की पुष्टि करते हुए कहा है कि अंतरिम सरकार के सैनिकों और गद्दाफ़ी के वफ़ादारों के बीच गोलीबारी हुई जिसमें गद्दाफी के सिर में गोली लगी। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि कर्नल गद्दाफ़ी को ज़िंदा पकड़ा गया था, मगर अस्पताल पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गई।
जिबरिल ने मीडिया को जानकारी दी कि फ़ोरेंसिक जांच में इस बात की पुष्टि हो गई है कि कर्नल गद्दाफ़ी की पकड़े जाने के बाद ले जाए जाते समय गोलियों की चोट से मौत हो गई। जिब्रील ने रिपोर्टों के हवाले से कहा, 'जब कार जा रही थी तो क्रांतिकारियों और गद्दाफ़ी के सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई जिसमें एक गोली उनके सिर में लगी।' हालांकि, जिबरिल के अनुसार डॉक्टर ये नहीं बता सके कि गोली क्रांतिकारियों की ओर से लगी या गद्दाफ़ी के किसी सैनिक की गोली ने ही उनकी जान ली। इससे पहले एनटीसी के कुछ सैनिकों ने कर्नल की मौत का अलग क़िस्सा बयान किया था, जहां उनका कहना था कि जब वह भागने की कोशिश कर रहे थे तो उन्हें पकड़ने वालों ने ही उन्हें गोली मार दी। मिसराता की मस्जिद में रखे गए गद्दाफी के शव को सिरते से मिसराता एक जुलूस की शक्ल में ले जाया गया।
दूसरी तरफ, लीबिया में लंबे समय से बमबारी कर रहे नाटो के संचालक अगले कुछ घंटों में बैठक करके लीबिया में बम हमले को खत्म करने की घोषणा कर सकते हैं। नाटो महासचिवन ऐंडर्स फ़ॉग रैसमूसन ने कहा कि कर्नल गद्दाफ़ी की मौत के साथ अब वह मौक़ा आ गया है। उन्होंने कहा, 'कर्नल गद्दाफ़ी का 42 साल का खौफ का राज आख़िरकार खत्म हो गया है। मैं सभी लीबियाई लोगों से अपील करता हूं कि वे आपसी मतभेद भुलाकर एक उज्ज्वल भविष्य के लिए मिलकर काम करें।'
इस बीच, खबरें हैं कि गद्दाफी के एक बेटे सैफ अल-इस्लाम बानी वालिद नाम के शहर में देखा गया था। इसके बाद वह बानी वालिद के आसपास के रेगिस्तान में भाग गया है। वहीं, गद्दाफी के दूसरे बेटे मुत्तसिम गद्दाफी की मौत हो गई है।
दुनिया भर में खुशी की लहर
गद्दाफी की मौत से लीबिया सहित दुनिया के कई अन्य देशों में खुशी की लहर दौड़ गई है। दुनिया के कई देशों ने गद्दाफी की मौत का स्वागत किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लीबियाई तानाशाह की मौत को मध्य-पूर्व के तमाम कठोर शासकों के लिए सबक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे शासकों का ऐसा अंत एक तरह से निश्चित है। वहीं, हिलेरी क्लिंटन ने गद्दाफी की मौत को लीबिया के इतिहास में एक काले अध्याय की समाप्ति बताया है।
फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने गद्दाफी की मौत को लीबिया के इतिहास में मील का पत्थर बताते हुए कहा है कि चार दशकों से ज़्यादा लंबे चले तानाशाही शासन के खिलाफ जंग में जनता की जीत हुई है। लेकिन सरकोजी ने इस बात की आशंका जताई है कि कहीं सद्दाम हुसैन की मौत के बाद इराक जैसे माहौल लीबिया में न पैदा हो जाएं। उन्होंने कहा, 'सिरते की आज़ादी, एक नई प्रक्रिया की शुरुआत है, जिसमें लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थापना होगी।' डेविड कैमरन ने भी इसी तरह के भाव जाहिर किए हैं। मिस्र और अरब लीग ने भी लीबिया को नई शुरुआत के लिए शुभकामनाएं दी हैं। लीबिया की अंतरिम एनटीसी की सरकार के साथ कड़वे रिश्ते के बावजूद चीन ने लीबिया में लोकतंत्र और एकता पर जोर दिए जाने की अपील की है।
लेकिन गद्दाफी की मौत कैसे हुई, इस पर अब भी रहस्य बरकरार है। इसी वजह से गद्दाफी को आज नहीं दफनाया जाएगा। बताया जा रहा है कि गद्दाफी की मौत, किन हालात में की जाएगी, इसकी जांच की जा रही है। ब्रिटिश अख़बार गार्जियन के मुताबिक गद्दाफी को दफनाने में हो रही देर की दूसरी वजह यह आशंका है कि अगर गद्दाफी के शव को सार्वजनिक तौर पर दफन किया जाएगा तो उसकी मजार पर लोग इकट्ठा होंगे और उसे शहीद का दर्जा दे सकते हैं। गौरतलब है कि इस साल मई में ओसामा बिन लादेन को भी इसी डर से अमेरिका ने मारने के बाद समुद्र में दफन कर दिया था।
वहीं, दूसरी ओर शनिवार को मुस्तफा अब्दुल जलील बेनगाजी से लीबिया की आजादी का ऐलान करेंगे। लेकिन लीबिया में इस बात को लेकर चिंता भी जाहिर की जा रही है कि लीबिया के स्वतंत्र देश होने का ऐलान राजधानी त्रिपोली की जगह लीबिया के बेनगाजी से क्यों की जा रही है।
लीबिया के अंतरिम प्रधानमंत्री और एनटीसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले महमूद जिबरिल ने गद्दाफी की मौत के बाद ऐलान किया, 'अब लीबिया के लिए नई शुरुआत का समय आ गया है। नया और एकता के सूत्र में बंधा लीबिया।' गद्दाफी की मौत के बाद लीबिया में जश्न का माहौल है। दुनिया के अलग-अलग इलाकों में रह रहे लीबियाई नागरिक भी तानाशाही शासन के अंत पर खुशी मना रहे हैं। लेकिन दुनिया के कई देश लीबिया के भविष्य को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं जाहिर कर रहे हैं। दुनिया के कई मुल्क लीबिया को शुभकामनाएं देने के साथ आशंका भी जाहिर कर रहे हैं कि इस देश में अराजकता का माहौल जल्द खत्म हो पाएगा।
खबरों के मुताबिक अपने आखिरी समय में अपने गृह नगर सिरते में छुपा गद्दाफी वहां से भागने की फिराक में था। वह अपने काफिले के साथ वहां से जैसे ही निकला, फ्रेंच लडा़कू विमानों ने उस पर हमला कर दिया। हवाई हमले के बाद गद्दाफी का काफिला नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल की फौज के साथ झड़प में फंस गया। माना जा रहा है कि इस दौरान हुई गोलीबारी में गद्दाफी ज़ख़्मी हो गया। इसके बाद वह जमीन पर घिसटते हुए एक पाइप के पास जाकर छुप गया। कुछ घंटों बाद एनटीसी के लड़ाकों ने गद्दाफी को पानी की निकासी के लिए बने एक पाइप के पास से खोज निकाला।
बताया जा रहा है कि इनमें से एक ने अपने जूते से गद्दाफी की पिटाई की। चश्मदीदों के मुताबिक गद्दाफी दया की भीख मांग रहा था। वहीं, गद्दाफी के शव के साथ एंबुलेंस में सवार अब्दल-जलील अब्दल अजीज नाम के डॉक्टर का दावा है कि गद्दाफी को दो गोलियां लगी थीं। अजीज के मुताबिक एक गोली गद्दाफी सिर में और सीने पर लगी थी।
वहीं, एनटीसी के फील्ड कमांडर मोहम्मद लीत ने बताया, 'गद्दाफी को जब एनटीसी के लड़ाकों ने ललकार कर जब फायरिंग शुरू की तो वह एक जीप पर सवार था। इसके बाद वह जीप से उतरकर भागने लगा। गद्दाफी भागकर एक गंदे पानी की निकासी के लिए बने पाइप में छुप गया। लीबियाई लड़ाकों ने उसका पीछा किया और उसे वहां जाकर चुनौती दी। इसके बाद गद्दाफी पाइप से बाहर आ गया। चश्मदीदों के मुताबिक गद्दाफी पाइप से बाहर आते ही गद्दाफी के एक हाथ में कैलेशनिकोव राइफल तो दूसरे हाथ में सोने की पिस्तौल थी।'
लीत के मुताबिक, 'गद्दाफी ने बाहर आकर दायें और बायें देखा और पूछा कि क्या हो रहा है? इसके बाद एनटीसी के लड़ाकों ने फिर से गोलीबारी शुरू कर दी। इस गोलीबारी में गद्दाफी के पैर और कंधे ज़ख़्मी हो गए।' लेकिन लीबिया के अंतरिम प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि गद्दाफी के सिर में चोट लगी थी।
हालांकि, अभी तक पूरी तरह से यह साफ नहीं हो पाया है कि गद्दाफी का अंत कैसे हुआ। नाटो ने भी एक बयान में कहा कि उसके जंगी विमानों ने सिरते के नजदीक सेना की दो गाड़ियों पर बमबारी की थी। लेकिन नाटो इस बात पुष्टि नहीं कर पाया कि इन गाड़ियों में गद्दाफी था या नहीं।
इस बीच, लीबियाई अधिकारियों का कहना है कि पूर्व शासक कर्नल मुअम्मर गद्दाफ़ी सिरते में उनके वफ़ादारों और अंतरिम सरकार के सैनिकों के बीच हुई गोलीबारी में मारे गए। लीबिया के कार्यवाहक प्रधानमंत्री और एनटीसी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले महमूद जिबरिल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गद्दाफी की मौत की पुष्टि करते हुए कहा है कि अंतरिम सरकार के सैनिकों और गद्दाफ़ी के वफ़ादारों के बीच गोलीबारी हुई जिसमें गद्दाफी के सिर में गोली लगी। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि कर्नल गद्दाफ़ी को ज़िंदा पकड़ा गया था, मगर अस्पताल पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गई।
जिबरिल ने मीडिया को जानकारी दी कि फ़ोरेंसिक जांच में इस बात की पुष्टि हो गई है कि कर्नल गद्दाफ़ी की पकड़े जाने के बाद ले जाए जाते समय गोलियों की चोट से मौत हो गई। जिब्रील ने रिपोर्टों के हवाले से कहा, 'जब कार जा रही थी तो क्रांतिकारियों और गद्दाफ़ी के सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई जिसमें एक गोली उनके सिर में लगी।' हालांकि, जिबरिल के अनुसार डॉक्टर ये नहीं बता सके कि गोली क्रांतिकारियों की ओर से लगी या गद्दाफ़ी के किसी सैनिक की गोली ने ही उनकी जान ली। इससे पहले एनटीसी के कुछ सैनिकों ने कर्नल की मौत का अलग क़िस्सा बयान किया था, जहां उनका कहना था कि जब वह भागने की कोशिश कर रहे थे तो उन्हें पकड़ने वालों ने ही उन्हें गोली मार दी। मिसराता की मस्जिद में रखे गए गद्दाफी के शव को सिरते से मिसराता एक जुलूस की शक्ल में ले जाया गया।
दूसरी तरफ, लीबिया में लंबे समय से बमबारी कर रहे नाटो के संचालक अगले कुछ घंटों में बैठक करके लीबिया में बम हमले को खत्म करने की घोषणा कर सकते हैं। नाटो महासचिवन ऐंडर्स फ़ॉग रैसमूसन ने कहा कि कर्नल गद्दाफ़ी की मौत के साथ अब वह मौक़ा आ गया है। उन्होंने कहा, 'कर्नल गद्दाफ़ी का 42 साल का खौफ का राज आख़िरकार खत्म हो गया है। मैं सभी लीबियाई लोगों से अपील करता हूं कि वे आपसी मतभेद भुलाकर एक उज्ज्वल भविष्य के लिए मिलकर काम करें।'
इस बीच, खबरें हैं कि गद्दाफी के एक बेटे सैफ अल-इस्लाम बानी वालिद नाम के शहर में देखा गया था। इसके बाद वह बानी वालिद के आसपास के रेगिस्तान में भाग गया है। वहीं, गद्दाफी के दूसरे बेटे मुत्तसिम गद्दाफी की मौत हो गई है।
दुनिया भर में खुशी की लहर
गद्दाफी की मौत से लीबिया सहित दुनिया के कई अन्य देशों में खुशी की लहर दौड़ गई है। दुनिया के कई देशों ने गद्दाफी की मौत का स्वागत किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लीबियाई तानाशाह की मौत को मध्य-पूर्व के तमाम कठोर शासकों के लिए सबक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे शासकों का ऐसा अंत एक तरह से निश्चित है। वहीं, हिलेरी क्लिंटन ने गद्दाफी की मौत को लीबिया के इतिहास में एक काले अध्याय की समाप्ति बताया है।
फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने गद्दाफी की मौत को लीबिया के इतिहास में मील का पत्थर बताते हुए कहा है कि चार दशकों से ज़्यादा लंबे चले तानाशाही शासन के खिलाफ जंग में जनता की जीत हुई है। लेकिन सरकोजी ने इस बात की आशंका जताई है कि कहीं सद्दाम हुसैन की मौत के बाद इराक जैसे माहौल लीबिया में न पैदा हो जाएं। उन्होंने कहा, 'सिरते की आज़ादी, एक नई प्रक्रिया की शुरुआत है, जिसमें लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थापना होगी।' डेविड कैमरन ने भी इसी तरह के भाव जाहिर किए हैं। मिस्र और अरब लीग ने भी लीबिया को नई शुरुआत के लिए शुभकामनाएं दी हैं। लीबिया की अंतरिम एनटीसी की सरकार के साथ कड़वे रिश्ते के बावजूद चीन ने लीबिया में लोकतंत्र और एकता पर जोर दिए जाने की अपील की है।
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LATEST NEWS
Oct 15, 2011
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बैठे-बैठे गम में गिरफ्तार हो गए किसी के प्यार में आबाद हो गए। दो गज जमीन मिल ही गई मुझ गरीब को मरने के बाद हम भी जमींदार हो गए।
अर्ज किया है … … … उनकी गली से गुजरे तो उनका चौबारा नज़र आया … … … … उनका बाप बाहर आकर बोला - “हाथ-पैर तोड़ दूंगा जो दोबारा नज़र आया !!!”
Sonia Gandhi in Dabaang style - “हज़ारों” से डर नहीं लगता साहब… … … … … … “हजारे” से लगता है !!!
लड़के ने भगवान से पूछा "Why she loves a rose which dies in a day. But doesn't love me who dies for her every day..??" भगवान ने जवाब दिया :- "मस्त है रे ! फेसबुक पर डाल ...
लड़के ने भगवन से पूछा "Why she loves a rose which dies in a day. But doesn't love me who dies for her every day..??" भगवन ने जवाब दिया :- "मस्त है रे ! फेसबुक पर डाल ...
प्यार हुआ इकरार हुआ है … प्यार से फिर क्यूँ डरता है दिल … … … … क्यूँ न डरे दिल ? … … … क्योंकि आजकल के प्यार से बढ़ता है, सिर्फ मोबाइल और रेस्टौरेंट का बिल !!!
जब question paper हो out of control … … answer sheet को करके गोल … … answer sheet को करके गोल … … aeroplane उड़ा के बोल … … … … ALL IS FAIL …….. !
गोलू 8 बजे स्कूल पहुंचा. टीचर – स्कूल 7 बजे शुरू होता है. इतने लेट क्यूँ आये ? गोलू - मिस, प्लीज आप मेरी इतनी फिकर मत किया करो. लोग गलत समझते हैं …. !
हवा चली, उड़ गया पप्पू … वाह ! वाह ! हवा चली, उड़ गया पप्पू … फिर क्या हुआ ? ? ? ? फिर क्या होना था … हवा रुकी, गिर गया पप्पू !!!
आज कुछ कमी है तेरे बगैर न रंग न रोशनी है तेरे बगैर वक्त अपनी रफ्तार से चल रहा है बस धड़कन मेरी थमी है तेरे बगैर।
अर्ज किया है … … … उनकी गली से गुजरे तो उनका चौबारा नज़र आया … … … … उनका बाप बाहर आकर बोला - “हाथ-पैर तोड़ दूंगा जो दोबारा नज़र आया !!!”
Sonia Gandhi in Dabaang style - “हज़ारों” से डर नहीं लगता साहब… … … … … … “हजारे” से लगता है !!!
लड़के ने भगवान से पूछा "Why she loves a rose which dies in a day. But doesn't love me who dies for her every day..??" भगवान ने जवाब दिया :- "मस्त है रे ! फेसबुक पर डाल ...
लड़के ने भगवन से पूछा "Why she loves a rose which dies in a day. But doesn't love me who dies for her every day..??" भगवन ने जवाब दिया :- "मस्त है रे ! फेसबुक पर डाल ...
प्यार हुआ इकरार हुआ है … प्यार से फिर क्यूँ डरता है दिल … … … … क्यूँ न डरे दिल ? … … … क्योंकि आजकल के प्यार से बढ़ता है, सिर्फ मोबाइल और रेस्टौरेंट का बिल !!!
जब question paper हो out of control … … answer sheet को करके गोल … … answer sheet को करके गोल … … aeroplane उड़ा के बोल … … … … ALL IS FAIL …….. !
गोलू 8 बजे स्कूल पहुंचा. टीचर – स्कूल 7 बजे शुरू होता है. इतने लेट क्यूँ आये ? गोलू - मिस, प्लीज आप मेरी इतनी फिकर मत किया करो. लोग गलत समझते हैं …. !
हवा चली, उड़ गया पप्पू … वाह ! वाह ! हवा चली, उड़ गया पप्पू … फिर क्या हुआ ? ? ? ? फिर क्या होना था … हवा रुकी, गिर गया पप्पू !!!
आज कुछ कमी है तेरे बगैर न रंग न रोशनी है तेरे बगैर वक्त अपनी रफ्तार से चल रहा है बस धड़कन मेरी थमी है तेरे बगैर।
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BEST JOKES
एक कंजूस आदमी का बेटा अपनी गर्ल-फ्रेंड के साथ घूमने गया
एक कंजूस आदमी का बेटा अपनी गर्ल-फ्रेंड के साथ घूमने गया.
लौटकर आया तो कंजूस ने पूछा – “कितने रुपए उड़ा आए ?”
बेटा - “ढाई सौ.”
यह सुनकर कंजूस नाराज़ होकर गालियाँ देने लगा.
बेटा – “और क्या करता बापू….. उसके पास इतने ही थे … ?”
लौटकर आया तो कंजूस ने पूछा – “कितने रुपए उड़ा आए ?”
बेटा - “ढाई सौ.”
यह सुनकर कंजूस नाराज़ होकर गालियाँ देने लगा.
बेटा – “और क्या करता बापू….. उसके पास इतने ही थे … ?”
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नन्ही शिवानी , और डरावनी चुड़ैल जैसी शक्ल..
नन्ही शिवानी बेहद ज़ोर-ज़ोर से रो रही थी... मां ने देखा, दौड़कर पास आई और सिर पर हाथ फिराते हुए पूछा, "क्या हुआ मेरी गुड़िया-सी बेटी को, रो क्यों रही है...?" शिवानी ने सुबकते हुए सवाल किया, "मम्मी, क्या मैं डरावनी चुड़ैल जैसी लगती हूं...?" मम्मी ने कहा, "नहीं बेटी, बिल्कुल नहीं..." शिवानी ने फिर पूछा, "क्या मेरी आंखें मेंढकी जैसी हैं...?" मम्मी ने कहा, "अरे, कौन कहता है... मेरी गुड़िया तो मृगनयनी है. शिवानी :"क्या मेरी नाक भैंस जैसी है...?" मम्मी: "हरगिज़ नहीं, मेरी बच्ची, तेरी नाक तो बिल्कुल सुतवां और बहुत सुन्दर है..." शिवानी : "क्या मैं गैण्डे की तरह बेडौल हूं...?" मम्मी: "ऐसा कतई नहीं है, शिवानी... तू तो बार्बी डॉल जैसी प्यारी है..." अब शिवानी के चेहरे पर गुस्से के भाव आए, और ज़ोर से बोली, "अब नहीं छोड़ूंगी उस पड़ोसन को... वह कह रही थी, मैं बिल्कुल अपनी मम्मी जैसी दिखती हूं..."
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