Aug 16, 2010

मिट्टी का रंग ही है भारत का रंग

हर शख्स की जिंदगी का विस्तार ही उसका देश है। कोई एक विचार नहीं है। हर व्यक्ति देश को अपने तरीके से परिभाषित करता है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जो देश था, उसमें विभाजन बिलकुल साफ था। लेकिन आज आजादी के ६३ सालों के बाद भी बहुत से लोगों के लिए देश की परिभाषा बहुत नहीं बदली है।

हजारों सालों में हमने जो सभ्यता ईजाद की है, बेशक उसमें बहुत सारे रंग हैं, इतनी विविधता है कि किसी एक रंग से आज के हिंदुस्तान के नक्शे को भरा नहीं जा सकता। इस विविधता को देखने की भी कई नजर हो सकती है। एक नजर इतने रंगों में इंद्रधनुष का सौंदर्य देख सकती है, लेकिन एक नजर यह भी हो सकती है, जो देख पाए कि ये सारे रंग आपस में उस तरह घुले-मिले नहीं हैं, जैसा किताबों में लिखा जाता है।

आज के भारत में जो साथ होकर भी साथ नहीं हैं, वे सब अपने ही हैं और अपनों के बीच विभाजन की लंबी खाई है। ग्लोबलाइजेशन और पूंजीवाद का समर्थन करने वालों का तर्क है कि पूंजीवाद एक तालाब की तरह है, जिसमें फेंके गए हर पत्थर का प्रभाव तालाब के आखिरी सिरे तक होता है।

बेशक जहां पत्थर फेंका गया है, वहां लहरें ज्यादा होंगी और आखिरी सिरे तक पहुंचते-पहुंचते उसका असर कम हो जाएगा, लेकिन होगा जरूर। मुमकिन है यह तर्क किसी और देश पर लागू होता हो, जहां एकीकृत समाज है, लेकिन हिंदुस्तान पर लागू नहीं होता क्योंकि यहां सिर्फ एक तालाब नहीं है।

यहां अनेकों तालाब हैं और सिर्फ तालाब ही नहीं, तलैया, पोखर, बावड़ियां और जाने क्या-क्या हैं। ऐसे में सिर्फ एक पत्थर इस देश की तस्वीर नहीं बदल सकता। लेकिन अब भी कुछ उम्मीद है, जो यकीन दिलाती है कि दुनिया अब भी खूबसूरत है और वह उम्मीद है आज के हिंदुस्तान के युवा। वे ज्यादा ईमानदार, सक्षम और राजनीतिक रूप से जागरूक हैं। उनका एक्सपोजर ज्यादा है और दृष्टि भी व्यापक है। आज का युवा देश के बारे में सोचता है, क्षुद्रताओं पर दुखी होता है और दुनिया को बदलने का जज्बा रखता है।

आज हिंदुस्तान का सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि हमारे पास एक ठोस और स्थाई सरकार है। सबसे मजबूत लोकतंत्र है। हमारे पास चुनने की आजादी है। मेरी आंखों के सामने भारत का एक नक्शा है। इसमें बहुत से रंग हैं, लेकिन जो रंग सबसे मुखर है, वह है मिट्टी का रंग, इस देश की धरती का रंग। और कुछ चटख रंग उभर आते हैं, ऐसे रंग जो विभाजन की लकीर खींचते जान पड़ते हैं, जो मिट्टी के रंग को दबा देते हैं। फिर भी क्या असली रंग को दबाया जा सकता है? मिट्टी का रंग हर रंग पर भारी है और हमेशा रहेगा। यह रंग और रंगों को ढंक ले, बांटने वाले तमाम रंगों को मिटा दे और बस एक रंग बचा रहे - एकता का रंग, अमन का रंग और उन्नति का रंग। - nandkishor gupta

टाटा समूह बना देश का सबसे बड़ा ओद्योगिक समूह


ई दिल्ली. टाटा ग्रुप का अगले चैयरमेन और रतन टाटा का उत्तराधिकारी बनने के लिए उम्मीदवार की खोज के बीच ही टाटा समूह 3 लाख 71 हजार करोड़ की मार्केट वेल्यू के साथ भारत का सबसे बड़ा ओद्योगिक समूह बन गया है। इसी के साथ ही टाटा समूह की बाजार वेल्यू अंबानी बंधुओं की कंपनियों से भी ज्यादा हो गई है।

टाटा समूह के बाद देश की सबसे बड़ी कंपनी मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज (3,21,750 करोड़ रुपए) है। रिलायंस इंडस्ट्रीज को देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी माना गया है। मुकेश अंबानी के बाद 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपए मार्केट वेल्यू की अनिल अग्रवाल की स्टरलाइट ग्रप आती है। अनिल अंबानी ग्रुप 1 लाख 25 हजार करोड़ रुपए की मार्केट वेल्यू के साथ चौथे नंबर पर है। ताजा बाजार के मुतबिक सुनील मित्तल की भार्ती ग्रुप 1 लाख 20 हजार करोड़ की मार्केट वेल्यू के साथ इस सूची में पांचवे नंबर पर है।

हालाकि अगर मुकेश और अनिल अंबानी की संपत्ति को एक साथ माना जाए तो टाटा समूह दूसरे नंबर पर आ जाएगा और अंबानी बंधुओ का समूह देश का सबसे बड़ा ओद्योग समूह हो जाएगा। पिछले कुछ महीनों में अंबानी बंधुओ की बढ़ती नजदीकी से भी संकेत मिले है कि दोनो भाई फिर से एक हो सकते हैं।

इस समय दोनों अंबानी बंधुओ की मार्केट वेल्यु करीब 4 लाख 47 हजार करोड़ रुपए है जो टाटा समूह से लगभग 77 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है।

गौरतलब है कि टाटा समूह ने देश के सबसे बड़े ओद्योगिक घराने के रूप में मुकेश अंबानी समूह का स्थान उस समय लिया है जब टाटा समूह ने रतन टाटा के उत्तराधिकारी की खोज तेज कर दी है। रतन टाटा 1991 में टाटा समूह के चैयरमेन बने थे और वो 2012 में अपने पद से रिटायर हो रहे हैं।

Aug 13, 2010

पीपली लाइव-फिल्म REVIEW


फिल्म पीपली लाइव देश में किसानों की बढ़ती आत्महत्या के मामलों पर एक व्यंग है कि कैसे भ्रष्ट नेता सिर्फ वोट बटोरने में लगे रहते हैं और किस तरह इलेक्ट्रोनिक मीडिया एक आम आदमी के दर्द और तकलीफ मिर्च मसाला लगाकर अपने चैनल की टीआरपी बढ़ने के लिए इस्तेमाल करते हैं|


फिल्म की कहानी है एक आम किसान नत्था की जो आत्महत्या करना चाहता है ताकि उसके मरने पर उसके गरीब परिवार को सर्कार से मुआवजा मिल जाये और उनपर से कर्ज का बोझ उतर जाए|नत्था का परिवार अपनी पुश्तैनी ज़मीन से हाथ धो बैठेगा अगर उसने बैंक को गिरवी रखी ज़मीन को नहीं छुड़ाया|अपनी पुश्तैनी ज़मीन को बचने के लिए नत्था कुछ भी करने को तैयार है क्योंकि उसके भाइयों के लिए यह ज़मीन बहुत मायने रखती है|


ऐसे में नत्था का बड़ा भाई नत्था को आत्महत्या करने के लिए उकसाता है और कहता है कि अगर वह आत्महत्या कर ले तो उसके मरने पर सरकार परिवार को मुआवजा देगी|सरकार ने ऐसा प्रावधान किया है कि अगर किसान परिवार का मुखिया आत्महत्या कर लेता है तो बदले में सरकार उसके परिवार को जीवन यापन के लिए उसके बदले में मुआवजा देती है|इस बात को आजकल हर इंसान के बेद रूम तक अपनी घुसपैठ रखने वाले मीडिया का एक आदमी सुन लेता है और फिर क्या उसके बाद नत्था आगे आगे मीडिया पीछेपीछे|


फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है जब नत्था को निशाना बनाकर नेता और मीडिया आपने अपने हितों की पूर्ति के लिए नत्था की आत्महत्या के मामले को भुनाते हैं| नत्था की आत्महत्या पर राजनितिक पार्टियां आपस में भीड़ जाती हैं|पीपली गांव में सत्ता पर काबिज पार्टी नत्था को टेलीविजन,हैंड पंप जैसे उपहार देती है और उसे मरने से पहले ही मुआवजे तक का एलान कर देती है|इससे विपक्षी पार्टी इस मामले को अपने हाथ से जाता देख नए दांवपेंच दिखाने में जुट जाती है|


फिल्म को काफी रियलिस्टिक अप्रोच से बनाया गया है|लोकेशंस और किरदारों का लुक तथा कपड़े एक गरीब गांव के निवासी की व्यथा को बखूबी दर्शाते हैं|निराश नत्था, स्वार्थी भाई बुधिया,नत्था की माँ और पत्नी सब किरदार इतने रियल लगते हैंमानो आप सच में एक आम किसान परिवार की कहानी को देख रहे हैं|मलाईका शिनॉय ने एक टी वी रिपोर्टर की भूमिका बखूबी निभाई है|


नत्था मरेगा या नहीं और उसके परिवार को मुआवजा मिलेगा या नहीं फिल्म में यह सस्पेंस अंत तक बरक़रार रहता है और यही दर्शकों को फिल्म से बांधे रखता है|सटीक कहानी और गांव देहात में अक्सर बोले जाने जुमले फिल्म के डायलॉग्स को और मजेदार बनाते हैं|पहली बार डायरेक्शन की कमान संभालने वाली अनुषा रिज़वी ने गंभीर मुद्दे को काफी बेहतरीन तरीके से पेश करने में सफलता पाई है |


आमिर खान के प्रो दक्षण में बन्ने की वजह से पहले से ही इस फिल्म से काफी उम्मीदें की जा रही थी| फिल्म की सरलता ही इस फिल्म की जान है और यह उन लोगों को भी आकर्षित करेगी जो गंभीर विषयों पर बनने वाली फिल्मों को ज्यादा पसंद नहीं करते|महंगाई डायन और चोला माटी का जैसे गाने बहुत ही बढ़िया हैं|फिल्म का अंत बेहद साधारण तरीके से हो जाता है और किसानों की आत्महत्या की व्यथा को दर्शा जाता है|

Aug 6, 2010

cricket

कोलंबो, एजेंसी : अपनी बल्लेबाजी से रोमांच पैदा करने के लिए मशहूर वीरेंद्र सहवाग ने श्रीलंका की दूसरी पारी में दो विकेट चटकाकर तीसरे व अंतिम टेस्ट मैच के तीसरे दिन मुकाबला रोमांचक दौर में पहुंचा दिया है। गुरुवार को अपना 21वां टेस्ट शतक लगाने वाले वीरू ने श्रीलंकाई सलामी बल्लेबाजों परानाविताना (16) व दिलशान (13) को पवेलियन भेजकर मेजबानों का स्कोर 2 विकेट पर 45 रन कर दिया। वीरू ने अपने पहले ओवर में ही परानाविताना को आउट किया। उनकी ऑफ स्टंप से टर्न लेती गेंद परानाविताा के बल्ले का बाहरी किनारा लेकर विकेटकीपर महेंद्र सिंह धौनी के दस्तानों में समा गई। सहवाग के अगले ओवर में गेंद फिर से तेजी से अंदर की तरफ घूमी जिस पर दिलशान ने एलबीडब्ल्यू होने से बचने के लिए बल्ला भिड़ा दिया और इस बार शॉर्ट लेग पर खड़े मुरली विजय ने डाइव लगाकर बेहतरीन कैच लिया। श्रीलंका की कुल बढ़त 34 रन हो गई है। दिन का खेल खत्म होने पर कप्तान कुमार संगकारा (12) व सूरज रणदीव (0) क्रीज पर मौजूद हैं। तीन मैचों की सीरीज में यह पहला मौका है जब श्रीलंकाई टीम कुछ संकट में नजर आ रही है। सहवाग (109), वीवीएस लक्ष्मण (56), सुरेश रैना (62), अभिमन्यु मिथुन (46) और अमित मिश्रा (40) की साहसिक पारियों से भारत, श्रीलंका के 425 रन के जवाब में अपनी पहली पारी में 436 रन बनाकर 11 रन की बढ़त हासिल करने में सफल रहा। इससे पहले सचिन तेंदुलकर (41) और सहवाग ने श्रीलंका को अपने विकेट इनाम में दिए, लेकिन लक्ष्मण और रैना ने पांचवें विकेट के लिए 105 रन की साझेदारी करके स्थिति संभाली जबकि मिथुन और मिश्रा की आठवें की 64 रन की साझेदारी ने रही-सही कसर पूरी कर दी। तेंदुलकर ने सुबह 40 रन से अपनी पारी आगे बढ़ाई। लसिथ मलिंगा के दिन के पहले ओवर में ही उन्होंने ऑफ स्टंप से बहुत बाहर जाती गेंद पर कदमों का इस्तेमाल किए बिना छेड़खानी करने की कोशिश में विकेट कीपर प्रसन्ना जयव‌र्द्धने को आसान कैच थमाया। सहवाग ने 97 रन से आगे खेलते हुए मलिंगा की गेंद पर चौका जड़कर अपना शतक पूरा किया लेकिन जल्द ही उन्होंने रणदीव की गेंद पर मिड ऑफ पर आसान कैच देकर अपना विकेट गंवाया। भारत का स्कोर तब चार विकेट पर 199 रन था। लक्ष्मण और रैना ने दबाव की इन परिस्थितियों में क्रीज पर पांव जमाने में समय लगाया, लेकिन दोनों ने आत्मविश्वास हासिल करने के बाद खुलकर बल्लेबाजी की। लक्ष्मण ने मलिंगा पर थर्ड मैन क्षेत्र में चौका लगाकर अपना 45वां अ‌र्द्धशतक पूरा किया लेकिन फिर से वह मेंडिस के शिकार बने। यह सातवां अवसर है कि मेंडिस ने इस हैदराबादी बल्लेबाज को आउट