Feb 28, 2013

है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए....

है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए
जिस तरह से भी हो ये मौसम बदलना चाहिए
रोज़ जो चेहरे बदलते है लिबासों की तरह
अब जनाज़ा ज़ोर से उनका निकलना चाहिए
अब भी कुछ लोगो ने बेची है नअपनी आत्मा
... ये पतन का सिलसिला कुछ और चलना चाहिए
फूल बन कर जो जिया वो यहाँ मसला गया
जीस्त को फ़ौलाद के साँचे में ढलना चाहिए
छीनता हो जब तुम्हारा हक़ कोई उस वक़्त तो
आँख से आँसू नहीं शोला निकलना चाहिए
दिल जवां, सपने जवाँ, मौसम जवाँ, शब् भी जवाँ
तुझको मुझसे इस समय सूने में मिलना चाहिए

एक बार बाजार में एक तोता बेचने वाला आया। उसके पास दो तोते थे।..

एक बार बाजार में एक तोता बेचने
वाला आया। उसके पास दो तोते थे। उसने एक
तोते का कीमत पाँच सौ रूपये और दूसरे तोते
की कीमत पाँच पैसे रखी। उसने सबसे कहा,
"अगर कोई पाँच पैसे वाला तोता लेना चाहे
... तो ले जाए, लेकिन कोई पाँच सौ रूपये
वाला तोता लेना चाहेगा तो उसे
दूसरा तोता भी लेना पड़ेगा।"
वहाँ के राजा बाजार में आये। तोतेवाले
की आवाज सुनकर उन्होंने हाथी रोककर पूछा,
"इन दोनों के मूल्य में इतना अन्तर क्यों है?"
तोतेवाले ने कहा, "यह तो आप इनको ले
जायेंगे तभी आपको पता लगेगा।"
राजा ने तोते ले लिये। जब रात में वो सोने लगे
तो उन्होंने कहा कि "पाँच सौ रूपये वाले तोते
का पिंजड़ा मेरे पलंग के पास टाँग
दिया जाय।" जैसे ही सुबह चार बजे तोते ने
राम, राम, सीता-राम कहना शुरू कर दिया।
तोते ने खूब सुन्दर भजन गाये।बहुत अच्छे
श्लोक पढ़े। राजा बहुत खुश हुआ।
दुसरे दिन राजा ने दूसरे तोते का पिंजड़ा पास
में रखवाया। जैसे ही सुबह हुई उस तोते ने
गन्दी-गन्दी गालियाँ बोलनी शुरू कर दी।
राजा को बहुत जोर से गुस्सा आया। उन्होंने
अपने नौकर से कहा, "इस दुष्ट तोते को मार
डालो।"
पहले वाला तोता पास में ही सब बातें सुन
रहा था। उसने राजा से प्रार्थना की, "इसे
मत मारिये। यह मेरा सगा भाई है। हम
दोनों एक ही जाल में फँस गए थे। मुझे एक
संत ने ले लिया। उनके यहाँ में भजन सीख
गया। इसे एक चोर ने ले लिया। वहां इसने
गन्दी बातें सीख लीं। इसमें इसका कोई दोष
नहीं है। यह तो बुरी संगत का नतीजा है।"
राजा ने उस तोते को मारा नहीं बल्कि उस
संत के पास भेज दिया जहां पर रहकर वह
भी अच्छी बातें सीख गया।
सीख : बुरे लोगों की संगत से बचना चाहिए।
अच्छे लोगों की संगती करनी चाहिए।
जैसी हमारी संगती होती है वैसी ही बातें हम
सीखते है

एक बार किसी विद्वान् से एक बूढ़ी औरत ने पूछा कि क्या इश्वर सच में होता है ?

एक बार किसी विद्वान् से एक बूढ़ी औरत ने पूछा कि क्या इश्वर सच में होता है ? उस विद्वान् ने कहा कि माई आप क्या करती हो ? उसने कहा कि मै तो दिन भर घर में अपना चरखा कातती हूँ और घर के बाकि काम करती हूँ , और मेरे पति खेती करते हैं . उस विद्वान ने कहा कि माई क्या ऐसा भी कभी हुआ है कि आप का चरखा बिना आपके चलाये चला हो , या कि बिना किसी के चलाये चला हो ? उसने कहा ऐसा कैसे हो सकता है कि वो बिना किसीके चलाये चल जाये? ऐसा तो संभव ही नहीं है. विद्वान् ने फिर कहा कि माई अगर आपका चरखा बिना किसी के चलाये नहीं चल सकता तो फिर ये पूरी सृष्टि किसी के बिना चलाये कैसे चल सकतीहै ? और जो इस पूरी सृष्टि को चला रहा है वही इसका बनाने वाला भी है और उसे ही इश्वर कहते हैं.
उसी तरह किसी और ने उसी विद्वान् से पूछा कि आदमी मजबूर है या सक्षम? उन्होंने कहा कि अपना एक पैर उठाओ, उसने उठा दिया, उन्होंने कहा कि अब अपना दूसरा पैर भी उठाओ, उस व्यक्तिने कहा ऐसा कैसे हो सकता है? मै एक साथ दोनों पैर कैसे उठा सकता हूँ? तब उस विद्वान् ने कहा कि इंसान ऐसा ही है, ना पूरी तरह से मजबूर और ना ही पूरी तरह से सक्षम . उसे इश्वर ने एक हद तक सक्षम बनाया है और उसे पूरी तरह से छूट भी नहीं है . उसको इश्वर ने सही गलत को समझने कि शक्ति दी है और अब उसपर निर्भर करता है कि वो सही और गलत को समझ कर अपने कर्म को करे

ज्योतिषी : तुम्हारा नाम पप्पू है ?

ज्योतिषी : तुम्हारा नाम पप्पू है ?
पप्पू : जी हाँ ।
ज्योतिषी : तुम्हारा एक बेटा है 7 साल का ।
पप्पू : जी हाँ बिल्कुल ।
ज्योतिषी : तुमने अभी 5 किलो गेंहू लिये हैं।
... पप्पू : (हैरान होते हुये) प्रभु आप तो अंतर्यामी हैं । कुछ ज्ञान दीजिये ना ।
ज्योतिषी : अबे गधे अगली बार कुंडली लेकर आना
हम बचाते रहे दिमक से घर अपना ,
चंद कीङे कुर्सी के सारा मुल्क खा गये