एक बार बाजार में एक तोता बेचने
वाला आया। उसके पास दो तोते थे। उसने एक
तोते का कीमत पाँच सौ रूपये और दूसरे तोते
की कीमत पाँच पैसे रखी। उसने सबसे कहा,
"अगर कोई पाँच पैसे वाला तोता लेना चाहे
... तो ले जाए, लेकिन कोई पाँच सौ रूपये
वाला तोता लेना चाहेगा तो उसे
दूसरा तोता भी लेना पड़ेगा।"
वहाँ के राजा बाजार में आये। तोतेवाले
की आवाज सुनकर उन्होंने हाथी रोककर पूछा,
"इन दोनों के मूल्य में इतना अन्तर क्यों है?"
तोतेवाले ने कहा, "यह तो आप इनको ले
जायेंगे तभी आपको पता लगेगा।"
राजा ने तोते ले लिये। जब रात में वो सोने लगे
तो उन्होंने कहा कि "पाँच सौ रूपये वाले तोते
का पिंजड़ा मेरे पलंग के पास टाँग
दिया जाय।" जैसे ही सुबह चार बजे तोते ने
राम, राम, सीता-राम कहना शुरू कर दिया।
तोते ने खूब सुन्दर भजन गाये।बहुत अच्छे
श्लोक पढ़े। राजा बहुत खुश हुआ।
दुसरे दिन राजा ने दूसरे तोते का पिंजड़ा पास
में रखवाया। जैसे ही सुबह हुई उस तोते ने
गन्दी-गन्दी गालियाँ बोलनी शुरू कर दी।
राजा को बहुत जोर से गुस्सा आया। उन्होंने
अपने नौकर से कहा, "इस दुष्ट तोते को मार
डालो।"
पहले वाला तोता पास में ही सब बातें सुन
रहा था। उसने राजा से प्रार्थना की, "इसे
मत मारिये। यह मेरा सगा भाई है। हम
दोनों एक ही जाल में फँस गए थे। मुझे एक
संत ने ले लिया। उनके यहाँ में भजन सीख
गया। इसे एक चोर ने ले लिया। वहां इसने
गन्दी बातें सीख लीं। इसमें इसका कोई दोष
नहीं है। यह तो बुरी संगत का नतीजा है।"
राजा ने उस तोते को मारा नहीं बल्कि उस
संत के पास भेज दिया जहां पर रहकर वह
भी अच्छी बातें सीख गया।
सीख : बुरे लोगों की संगत से बचना चाहिए।
अच्छे लोगों की संगती करनी चाहिए।
जैसी हमारी संगती होती है वैसी ही बातें हम
सीखते है
Good story.
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
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