Mar 2, 2013

महात्मा को एक बार रास्ते में पड़ा धन मिल गया।....

महात्मा को एक बार रास्ते में पड़ा धन मिल गया। उन्होंने निश्चय किया कि वे इस सबसे गरीब आदमी को दान कर देंगे। निर्धन आदमी की तलाश में वे खूब घूमे। उन्हें कोई सुपात्र नहीं मिला। एक दिन उन्होंने देखा राजमार्ग पर राजा के साथ अस्त्र-शस्त्रों से सजी विशाल सेना चली आ रही है। राजा महात्मा को पहचानता था।

हाथी से उतरकर उसने महात्मा को प्रणाम किया। महात्मा ने अपनी झोली से धन निकाला और राजा को थमा दिया। राजा ने विनीत स्वर में कहा महाराज! यह क्या? आपके आशीर्वाद से मेरे खजाने में हीरे-जवाहरात का भंडार है। महात्मा ने उत्तर दिया राजन! मैं गरीब आदमी की तलाश में था। तुम सबसे गरीब हो। यदि तुम्हारे खजाने में धन का अंबार है तो सेना लेकर कहां जा रहे हो? अगर तुम्हें किसी बात की कमी नहीं तो यह सब किसलिए? राज्य का विस्तार और धन के लिए। महात्मा की बातों ने असर किया। राजा ने तत्काल अपनी सेना को लौटने का आदेश दिया। वह ऐसे जा रहा था मानो में अनमोल खजाना जीतकर लौट रहा हो।

Mar 1, 2013

बचपन में मेरी एक गन्दी आदत थी, मैं पापा के पर्स से चुपके से कभी कभी पैसे निकाल लेता था। जब दूसरी कक्षा में था तो पापा के पर्स के सिक्के वाले हिस्से से हर सोमवार को एक रुपैया चुरा के स्कूल के बाहर खोमचे वाले से WWF के पोस्ट-कार्ड खरीदता था।

धीरे धीरे मेरी आदत थोड़ी और बिगड़ी, जब पांचवी कक्षा में था तो बगल में बैठने वाली लड़की को महीने में एक बार कैंटीन में फाउंटेन पेप्सी और समोसा खिलने के लिए नियमित तरीके से 11 रुपये चुराने लगा।
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पिता जी भी इतना ध्यान नहीं देते थे, उनका पर्स कभी ढंग से नहीं रखा रहता था। नोट टेढ़े मेढे पड़े रहते थे, पापा कभी गिनते भी नहीं थे की कितने पैसे हैं पर्स में। मेरी ये आदत इस वजह से कभी टूटी नहीं।

जब मैं दसवी कक्षा में पहुंचा तो मेरे शहर में पहली बार मल्टीप्लेक्स खुला। सारे दोस्त लार्ड ऑफ़ द रिंग्स देखने जा रहे थे। उस दिन मैंने पिता जी के पर्स से सीधे दो सौ रुपैये मारे। फिल्म तो बहुत अच्छी थी, पर उस दिन अचानक मुझे लगा की मैं क्या गलत करता जा रहा हूँ।

तीन दिन तक मैंने पापा से नज़र तक नहीं मिलायी।

पिता जी आज भी इतना ध्यान नहीं देते, पर्स अभी भी अस्तव्यस्त रहता है। आज मेरी नौकरी लग गयी है, पिता जी के पर्स से आखिरी बार पैसा चुराए हुए मुझे दस साल से ऊपर हो गए हैं।

अब मेरी नौकरी लग गयी है, और कभी कभार पापा की पर्स में चुपके से एक पांच सौ का नोट डाल देता हूँ . पापा को पता नहीं चलता, पर मुझे मन ही मन बहुत सुकून मिलता है।
by-saan durg

JO डर गया , WO मर गया

जापान में दो दोस्त थे .
1 एक का नाम था “jo” और दूसरे का
नाम था “wo”
एक दिन “jo” के पास जिन आ गया
“jo” ने डर कर “wo” को आवाज दी
... “wo” भाग कर आया जिन को देख
कर “wo” का इन्तकाल हो गया
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बस उसी दिन से कहते हैं …
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. JO डर गया , WO मर गया

एक लड़की इलेक्ट्रॉनिक शोरूम के अंदर जाते ही चिल्लाने....

एक लड़की इलेक्ट्रॉनिक शोरूम के अंदर जाते
ही चिल्लाने
लगी और बोली कि आपने मुझे धोखा दिया है।
आपका यह लैपटॉप बेकार है। मालिक ने लड़की के
शांत होने
... के बाद समस्या बताने को कहा...
लड़की बोली कि इसमें पुराने कंप्यूटर से फाइल
सेव
नहीं हो रही है...
दुकानदार ने कहा ऐसा नहीं हो सकता। यह एक
लेटेस्ट
लैपटॉप है, आप फाइल कैसे सेव कर रही हैं,
ज़रा कर के
दिखाइए...
लड़की ने पुराने कंप्यूटर में माउस कनेक्ट किया।
उसने राइट
क्लिक कर फाइल को कट किया।
इसके बाद माउस को निकालकर नए लैपटॉप में
लगाया और
माउस से लेफ्ट क्लिक कर पेस्ट बटन दबाया।
यह देख कर दुकान का मालिक बेहोश होकर गिर
पड़ा..!!!

साहब यह गाँव का बैल है कोई शहरी दफ्तर का बाबू नही ...

एक काँलेज के प्रोफेसर साहब गाँव घूमने गये ।
वहां उन्होने देखा कि कोल्हू से बधा
बैल चक्कर काटे जा रहा है
और पास ही पडा उसका मालिक
सो रहा है
... उसने कोल्हू के मालिक ग्रांमीण को उठाकर
पूछा ,
तुम तो सो रहे हो,
तुम्हे कैसे पता चलेगा कि बैल चलते चलते रूक
तो नही गया ?
ग्रामीण ने बताया उसके गले मे घंटिया बंधी है।
जब रूकेगा तो घंटियो की आवाज आनी बंद
हो जायेगी
और मुझे पता चल जायेगा ।।
प्रोफेसर साहब ने फिर पूछा ,
मान लो वह एक स्थान पर खडे खडे ही गर्दन
हिलाता रहे तो ?
ग्रामीण ने समझाया ,
साहब यह गाँव का बैल है
कोई शहरी दफ्तर का बाबू नही ।।
बात समझो.....