Aug 21, 2011
अन्ना ने भरी हुंकार, पीएम आएं तो भी नहीं तोडूंगा अनशन
नई दिल्ली. भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रही टीम अन्ना ने आज साफ कर दिया है कि वो सरकार से बातचीत के लिए तैयार है लेकिन जन लोकपाल बिल पर किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। अन्ना ने अनशन के मंच से आज एक बार फिर चेतावनी दी है कि जब तक जनलोकपाल बिल पारित नहीं होता उनका आंदोलन जारी रहेगा। अन्ना ने कहा, ‘बातचीत का रास्ता खुला है। लेकिन कितनी भी चर्चा हो जाए, जब तक जनलोकपाल बिल पारित नहीं होता हम अनशन से नहीं उठेंगे चाहे पीएम ही यहां क्यों न आ जाएं।’
अन्ना हजारे के अनशन का आज छठा दिन है लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता के जोश में कमी आती नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा, ‘रामलीला मैदान में हर साल रावण का दहन किया जाता है। हम भी यहां भ्रष्टाचार रुपी रावण का दहन करने के लिए रामलीला मैदान में बैठे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में सभी धर्मों के लोग हिस्सा ले रहे हैं। मीडिया ने भी दिखाया कि वह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है लेकिन अन्य तीन खंभों से भी मजबूत है। मीडिया ने ही भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को घर घर में पहुंचाया जिससे यह आंदोलन इतना बड़ा हो सका है। युवा शक्ति की हिस्सेदारी उम्मीद किरण जगाती है। यह क्रांति रक्तरंजित नहीं बल्कि शांतिपूर्ण है और इससे पूरी दुनिया सीख लेगी।’
आंदोलन की आगामी रणनीति तय करने के लिए टीम अन्ना की कोर कमेटी की बैठक में तय हुआ कि जनलोकपाल बिल पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। टीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल ने रामलीला मैदान में करीब ढाई घंटे तक चली इस बैठक में लिए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बैठक में जनलोकपाल बिल की मोटी-मोटी बातों पर दोबारा विचार किया गया। टीम अन्ना इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि जन लोकपाल बिल की सभी बातें अहम हैं और किसी भी बिंदु से समझौता नहीं किया जाएगा।
केजरीवाल ने सरकार की ओर से अब तक बातचीत की कोई पेशकश नहीं आने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, 'कल पीएम मनमोहन सिंह ने कहा था कि वो बातचीत के लिए तैयार हैं। हम पीएम से पूछना चाहते हैं कि हम किससे बात करने के लिए कहां और कितने बजे आएं।’
सरकार और सिविल सोसायटी के लोकपाल बिल पर सार्वजनिक तौर पर बहस की मांग करते हुए केजरीवाल ने कहा, 'कल अन्ना के अनशन को एक हफ्ता पूरा हो जाएगा। सभी लोगों से निवेदन है कि अपने-अपने सांसदों को पकडिए। घरों के बाहर धरना दें। उनसे सार्वजनिक तौर पर बताएं कि वो सरकारी या जनलोकपाल बिल के साथ हैं। दिल्ली में सभी मंत्रियों के घरों के बाहर धरना दिया जाए। सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं के घर के बाहर धरना दिया जाए। सभी पार्टियों से निवेदन है कि वो ये बताएं कि जनलोकपाल बिल की कौन सी बात मंजूर है और नहीं मंजूर है। यहां रामलीला मैदान में मंच पर उसका फैसला होगा। जिन्हें जनलोकपाल को लेकर आपत्ति है वो देश की जनता के सामने वाद-विवाद करें।'
उन्होंने बताया कि आज शाम पांच बजे इंडिया गेट से एक महारैली निकाली जाएगी जो रामलीला मैदान पहुंचेगी। उन्होंने यह भी कहा, 'कल मुसलमान भाईयों का रोजा है और हिंदू भाइयों की जन्माष्टमी है। ऐसे में हम कल यहां मंच पर सुबह रोजा खोलेंगे और रात को जन्माष्टमी का व्रत तोड़ेंगे।'
सेना ने बताया अन्ना को बेदाग
भ्रष्टाचार के खिलाफ छह दिनों से अनशन पर बैठे अन्ना हजारे को सेना ने भी बेदाग छवि का करार दिया है। सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में सेना में यह जवाब दिया है। आरटीआई के तहत अन्ना के कॅरियर के बारे में जानकारी मांगी गई थी। सेना में अन्ना के करियर के बारे में सवाल थे। सेना ने इस जवाब में कहा कि अन्ना का कॅरियर बेदाग रहा है। कभी भगोड़े नहीं रहे। उन्हें कॅरियर में पांच पदक मिले हैं। आरटीआई के तहत यह जानकारी मांगने वाले शख्स सुभाष अग्रवाल हैं जिनकी पहचान आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में है। सुभाष अग्रवाल ने कहा है कि उन्होंने अन्ना के बारे में छह सवाल पूछे थे जिनमें से चार के जवाब नहीं मिले हैं।
डॉक्टरों ने आज सुबह अन्ना के स्वास्थ्य की जांच की। टीम अन्ना की सदस्य किरण बेदी ने बताया है कि अन्ना का स्वास्थ्य ठीक है। ट्विटर के जरिये भेजे संदेश में बेदी ने देश से लोगों से दुआ करने की अपील की है कि अन्ना का स्वास्थ्य अच्छा ही रहे।
इससे पहले कांग्रेस के ही एक सांसद ने अन्ना के जनलोकपाल बिल को स्टैंडिंग कमेटी को भेजकर सभी को चौंका दिया है। बरेली से सांसद प्रवीण सिंह ऐरन ने कहा है कि कांग्रेस चाहती है कि इस मामले के हर पहलू पर चर्चा हो। स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन अभिषेक मनु सिंघवी को भेजे बिल में ऐरन ने कहा है कि अन्ना की टीम ने जो जन लोकपाल बिल तैयार किया है वह उससे भी सख्त जन लोकपाल बिल चाहते हैं।
सरकार और टीम अन्ना के बीच सुलह के आसार नहीं दिखाई दिख रहे हैं। अन्ना हजारे जनलोकपाल बिल संसद में पास होने तक अनशन पर अड़े हुए हैं वहीं सरकार इस आंदोलन को कमजोर करने में जुटी है। सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने सरकारी लोकपाल बिल और जनलोकपाल दोनों को खारिज करते हुए तीसरा मसौदा पेश कर मामले को और उलझा दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में बनी एनएसी की सदस्य अरुणा रॉय ने जनलोकपाल, लोकपाल और अपने मसौदे को शामिल करते हुए बेहतर विधेयक तैयार करने की वकालत की है। हालांकि अरविंद केजरीवाल ने अरुणा रॉय को भी चर्चा के लिए रामलीला मैदान आमंत्रित किया है।
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Aug 15, 2011
Cutest proposal by a nursery class
Cutest proposal by a nursery class
Boy: Kya tu meleko apna addresh degi?
Girl - Pal Kyun??
Boy - Ek din baalat lekal aaunga na!
Boy: Kya tu meleko apna addresh degi?
Girl - Pal Kyun??
Boy - Ek din baalat lekal aaunga na!
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TERI BEHEN HAI IS LIYE........!!!
BIWI : PHONE PE ITNI DHEEMI AWAZ MEIN KIS SE BAAT KAR RAHE HO ?
PATI : BEHEN HAI ?
BIWI : TO ITNI DHEEMI AWAZ MEIN KIS LIYE ?
PATI : TERI BEHEN HAI IS LIYE........!!!
PATI : BEHEN HAI ?
BIWI : TO ITNI DHEEMI AWAZ MEIN KIS LIYE ?
PATI : TERI BEHEN HAI IS LIYE........!!!
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MAIN REH LONGA APNE SASURAL MEIN..........!!!!
SANTA KANGAAL HONE PAR......!!!
SANTA KA BUSINESS MEIN BOHAT GHATA HO GAYA
AUR WOH BURI TARAH KANGAAL HO GAYA,
USNE EK FAISLA KIYA AUR JAAKAR APNI BIWI SE KAHA......!!!
"TUM BACCHON KO UNKI NAANI KE YAHAN BHEJ DO,
AUR KHUD APNI MAA KE YAHAN CHALE JAO"
PREETO : AUR AAP ?
SANTA : MERA KYA HAI ? MAIN REH LONGA
APNE SASURAL MEIN..........!!!!
SANTA KA BUSINESS MEIN BOHAT GHATA HO GAYA
AUR WOH BURI TARAH KANGAAL HO GAYA,
USNE EK FAISLA KIYA AUR JAAKAR APNI BIWI SE KAHA......!!!
"TUM BACCHON KO UNKI NAANI KE YAHAN BHEJ DO,
AUR KHUD APNI MAA KE YAHAN CHALE JAO"
PREETO : AUR AAP ?
SANTA : MERA KYA HAI ? MAIN REH LONGA
APNE SASURAL MEIN..........!!!!
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काले धन के नाम से कांग्रेस वाले के बाल खड़े हो जाते हैं
सरकारी नाइ (Barber) ने बाल काट -ते वक़्त कपिल सिब्बल से पूछा - साब ये
स्विस बैंक वाला क्या लफड़ा है ?
कपिल सिब्बल चिल्लाया - अबे तू बाल काट रहा है या इन्क्वायरी कर रहा है ?
नाइ ( Barber)- सॉरी साब ऐसे ही पूछ लिया .
अगले दिन प्रणब मुकर्जी से बल काट -के वक़्त पूछा - साब ये कला धन क्या होता है ?
प्रणब चिल्लाये - तुम हमसे ये सवाल क्यू पूछा ?
नाइ - सॉरी साब बस ऐसे ही पूछा लिया.
अगले दिन सीबीआई ने नाइ को बुलाया और पूछा - क्या तुम बाबा रामदेव के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - क्या तुम अन्ना के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - तो तुम बाल कट -ते वक़्त कांग्रेसी नेताओं से फालतू के सवाल क्यू करते हो ?
नाइ - साब न जाने क्यू स्विस बैंक और काले धन के नाम से कांग्रेस वाले के बाल खड़े हो जाते हैं और मुझको बाल काटने में आसानी हो जाती है. इसलिए पूछता रहता हूँ.
स्विस बैंक वाला क्या लफड़ा है ?
कपिल सिब्बल चिल्लाया - अबे तू बाल काट रहा है या इन्क्वायरी कर रहा है ?
नाइ ( Barber)- सॉरी साब ऐसे ही पूछ लिया .
अगले दिन प्रणब मुकर्जी से बल काट -के वक़्त पूछा - साब ये कला धन क्या होता है ?
प्रणब चिल्लाये - तुम हमसे ये सवाल क्यू पूछा ?
नाइ - सॉरी साब बस ऐसे ही पूछा लिया.
अगले दिन सीबीआई ने नाइ को बुलाया और पूछा - क्या तुम बाबा रामदेव के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - क्या तुम अन्ना के एजेंट हो ?
नाइ - नहीं साब जी.
सीबीआई - तो तुम बाल कट -ते वक़्त कांग्रेसी नेताओं से फालतू के सवाल क्यू करते हो ?
नाइ - साब न जाने क्यू स्विस बैंक और काले धन के नाम से कांग्रेस वाले के बाल खड़े हो जाते हैं और मुझको बाल काटने में आसानी हो जाती है. इसलिए पूछता रहता हूँ.
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Aug 7, 2011
साधारण मोबाइल फोनों पर वीडियो देखने की राह हुई आसान
मुम्बई. अभी तक बिना किसी विशेष सुविधा वाले मोबाइल फोन (फीचर फोन) पर वीडियो सामग्री नहीं देखी जा सकती थी। लेकिन जिग्सी नाम की एक नई प्रौद्योगिकी ने साधारण मोबाइल फोनों पर भी वीडियो सामग्री देखना सम्भव बना दिया है। यानी, अत्यधिक सस्ते मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले देश के करोड़ों ग्राहक भी अब वीडियो सामग्री देखने का लुत्फ उठा पाएंगे।
खास बात यह है कि इस सुविधा के लिए लोगों को किसी अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होगा। फोन को हालांकि इंटरनेट सुविधा से युक्त होना चाहिए।
जिग्सी एक वीडियो स्ट्रीमिंग प्रौद्योगिकी है, जिसका विकास कनाडा के टोरंटो की नई नवेली वीडियो स्ट्रीमिंग कम्पनी 'जिग्सी इंक' ने किया है। इस प्रौद्योगिकी से 50 केबीपीएस की गति वाले इंटरनेट नेटवर्क पर भी वीडियो सामग्री का प्रवाह भेजा जा सकता है,जबकि देश में उपयोग होने वाले अधिकतर जीपीआरएस सुविधा वाले फोन की इंटरनेट की गति 60 केबीपीएस होती है।
बता दें कि वीडियो स्ट्रीमिंग और वीडिया को डाउनलोड कर देखने में फर्क होता है। स्ट्रीमिंग के तहत वीडियो सामग्री प्रसारक के पास ही रहती है। आप सिर्फ बटन दबा कर कोई भी सामग्री को देख सकते हैं इसे अपने उपकरण पर डाउनलोड करने की उसी तरह जरूरत नहीं होती है जैसे टेलीविजन देखने के लिए सामग्री को डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होती है।
देश के 90 फीसदी मोबाइल ग्राहकों के पास फीचर फोन हैं। इसका मतलब यह है कि कम्पनी को लगभग 50 करोड़ ग्राहक मिल सकते हैं, जो अब तक यूट्यूब जैसी स्ट्रीमिंग सेवा अपने मोबाइल फोन पर नहीं देख पा रहे हैं।
जिग्सी बीटा नाम का यह एप्लीकेशन 15 अगस्त से ओवीआई, सेलमेनिया (टाटा डोकोमो,एयरटेल),एपिया जैसे विभिन्न स्टोरों और कम्पनी के अपनी वेबसाइट एचटीटीपी कॉलन स्लैस एम डॉट जिगसी डॉट कॉम पर उपलब्ध रहेगा।
शुरू में सिर्फ जावा पर काम करने वाले मोबाइल फोन पर ही यह एप्लीकेशन डाउनलोड किया जा सकता है,लेकिन कम्पनी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले मोबाइल फोन निर्माओं को भी अपने फोन को इस एप्लीकेशन के लिए अनुकूल बनाने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है।
इस एप्लीकेशन की खासियत यह है कि यदि आपके मोबाइल की इंटनेट गति घट कर 50 केबीपीएस भी रह जाए,तो भी इस पर बिना किसी रुकावट के वीडियो स्ट्रीमिंग देखी जा सकती है। यानी,यह रुक-रुक कर नहीं, बल्कि धारा प्रवाह चलेगा।
इस एप्लीकेशन में यह सुविधा है कि यदि कोई वीडियो सामग्री देखते वक्त मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाए या अन्य किसी वजह से मोबाइल बंद हो जाए, तो अगली बार सामग्री वहीं से चल सकती है,जहां यह बंद हुई थी।
यह एप्लीकेशन 2जी (जीपीआरएस),3जी,वाईफाई जैसे सभी तरह के इंटरनेट नेटवर्क पर काम कर सकता है।
जिग्सी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी 35 वर्षीय रे नेवल ने कहा, "जिग्सी प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर या मोबाइल एप्लीकेशन ही नहीं है, बल्कि इससे कुछ और अधिक है। जिग्सी हमारा एक ऐसा तरीका है, जिसके माध्यम से हर कोई बिना किसी भेद भाव के शिक्षा, मनोरंजन और सूचनापरक वीडियो सामग्री देख सकता है।"
जिग्सी के वेबसाइट पर यूटीवी,यूटीवी बिंदास,मुक्ता आर्ट्स,1 टेक मीडिया, स्वामी फिल्म्स,सेठिया ऑडिया वीडियो और स्पीड रिकार्डस,स्पाइस डिजिटल की एक लाख मिनट से अधिक की वीडियो सामग्री मौजूद है, जिसे इस एप्लीकेशन के सहारे जावा आधारित मोबाइल फोन पर मुफ्त देखा जा सकता है। ये सामग्री हिंदी,अंग्रेजी,तेलुगू, मराठी, तमिल और पंजाबी भाषाओं में हैं।
इन सामग्रियों में फिल्म के अंश, ट्रेलर,गीत, समाचार जैसे कई कार्यक्रम हैं। हास्य प्रधान सामग्री और बच्चों के लिए एनीमेशन कार्यक्रम भी मौजूद हैं।
कम्पनी की स्थापना रे नेवल और अरीफ रेजा ने मिलकर की है। कम्पनी की स्थापना वर्ष 2008 में कनाडा के टोरंटो में हुई। कम्पनी में सिकोइया कैपिटल और इंडियन एंजल नेटवर्क ने पूंजी लगाई है।
खास बात यह है कि इस सुविधा के लिए लोगों को किसी अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होगा। फोन को हालांकि इंटरनेट सुविधा से युक्त होना चाहिए।
जिग्सी एक वीडियो स्ट्रीमिंग प्रौद्योगिकी है, जिसका विकास कनाडा के टोरंटो की नई नवेली वीडियो स्ट्रीमिंग कम्पनी 'जिग्सी इंक' ने किया है। इस प्रौद्योगिकी से 50 केबीपीएस की गति वाले इंटरनेट नेटवर्क पर भी वीडियो सामग्री का प्रवाह भेजा जा सकता है,जबकि देश में उपयोग होने वाले अधिकतर जीपीआरएस सुविधा वाले फोन की इंटरनेट की गति 60 केबीपीएस होती है।
बता दें कि वीडियो स्ट्रीमिंग और वीडिया को डाउनलोड कर देखने में फर्क होता है। स्ट्रीमिंग के तहत वीडियो सामग्री प्रसारक के पास ही रहती है। आप सिर्फ बटन दबा कर कोई भी सामग्री को देख सकते हैं इसे अपने उपकरण पर डाउनलोड करने की उसी तरह जरूरत नहीं होती है जैसे टेलीविजन देखने के लिए सामग्री को डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होती है।
देश के 90 फीसदी मोबाइल ग्राहकों के पास फीचर फोन हैं। इसका मतलब यह है कि कम्पनी को लगभग 50 करोड़ ग्राहक मिल सकते हैं, जो अब तक यूट्यूब जैसी स्ट्रीमिंग सेवा अपने मोबाइल फोन पर नहीं देख पा रहे हैं।
जिग्सी बीटा नाम का यह एप्लीकेशन 15 अगस्त से ओवीआई, सेलमेनिया (टाटा डोकोमो,एयरटेल),एपिया जैसे विभिन्न स्टोरों और कम्पनी के अपनी वेबसाइट एचटीटीपी कॉलन स्लैस एम डॉट जिगसी डॉट कॉम पर उपलब्ध रहेगा।
शुरू में सिर्फ जावा पर काम करने वाले मोबाइल फोन पर ही यह एप्लीकेशन डाउनलोड किया जा सकता है,लेकिन कम्पनी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले मोबाइल फोन निर्माओं को भी अपने फोन को इस एप्लीकेशन के लिए अनुकूल बनाने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है।
इस एप्लीकेशन की खासियत यह है कि यदि आपके मोबाइल की इंटनेट गति घट कर 50 केबीपीएस भी रह जाए,तो भी इस पर बिना किसी रुकावट के वीडियो स्ट्रीमिंग देखी जा सकती है। यानी,यह रुक-रुक कर नहीं, बल्कि धारा प्रवाह चलेगा।
इस एप्लीकेशन में यह सुविधा है कि यदि कोई वीडियो सामग्री देखते वक्त मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाए या अन्य किसी वजह से मोबाइल बंद हो जाए, तो अगली बार सामग्री वहीं से चल सकती है,जहां यह बंद हुई थी।
यह एप्लीकेशन 2जी (जीपीआरएस),3जी,वाईफाई जैसे सभी तरह के इंटरनेट नेटवर्क पर काम कर सकता है।
जिग्सी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी 35 वर्षीय रे नेवल ने कहा, "जिग्सी प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर या मोबाइल एप्लीकेशन ही नहीं है, बल्कि इससे कुछ और अधिक है। जिग्सी हमारा एक ऐसा तरीका है, जिसके माध्यम से हर कोई बिना किसी भेद भाव के शिक्षा, मनोरंजन और सूचनापरक वीडियो सामग्री देख सकता है।"
जिग्सी के वेबसाइट पर यूटीवी,यूटीवी बिंदास,मुक्ता आर्ट्स,1 टेक मीडिया, स्वामी फिल्म्स,सेठिया ऑडिया वीडियो और स्पीड रिकार्डस,स्पाइस डिजिटल की एक लाख मिनट से अधिक की वीडियो सामग्री मौजूद है, जिसे इस एप्लीकेशन के सहारे जावा आधारित मोबाइल फोन पर मुफ्त देखा जा सकता है। ये सामग्री हिंदी,अंग्रेजी,तेलुगू, मराठी, तमिल और पंजाबी भाषाओं में हैं।
इन सामग्रियों में फिल्म के अंश, ट्रेलर,गीत, समाचार जैसे कई कार्यक्रम हैं। हास्य प्रधान सामग्री और बच्चों के लिए एनीमेशन कार्यक्रम भी मौजूद हैं।
कम्पनी की स्थापना रे नेवल और अरीफ रेजा ने मिलकर की है। कम्पनी की स्थापना वर्ष 2008 में कनाडा के टोरंटो में हुई। कम्पनी में सिकोइया कैपिटल और इंडियन एंजल नेटवर्क ने पूंजी लगाई है।
जानिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का गणित----कैसे चलता है साख का बाजार
वॉशिंगटन. एएए, बीबीबी, सीए, सीसीसी, सी, डी देखने और सुनने में स्कूली बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के ग्रेड की तरह लगते हैं। असल में ये भी एक तरह का मूल्यांकन ही हैं। लेकिन, यह स्कूली बच्चों को नहीं मिलता। यह देशों, बड़ी कंपनियों और बड़े पैमाने पर उधार लेने वालों का मूल्यांकन करती है। इस मूल्यांकन पर यह तय होता है कि उधार लेने वाले की माली हालत कैसी है? उसके उधार लौटाने की क्षमता कितनी है? ऐसे में अच्छा ग्रेड मिलने का सीधा मतलब है कम ब्याज पर आसानी से कर्ज लेने की पात्रता हासिल करना। वहीं, खराब मूल्यांकन मिलने पर ऊंची दरों पर बमुश्किल कर्ज मिलता है।
ये हैं बड़े खिलाड़ी : इस समय रेटिंग की दुनिया में तीन बड़े नाम हैं। स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच। इनमें सबसे पुरानी एजेंसी है स्टैण्डर्ड एंड पूअर। इसकी नींव १८६० में हेनरी पूअर ने रखी थी।पूअर ने अमरीका में नहरों और रेल नेटवर्क के विकास का इतिहास लिखा था। १९०६ में गैर रेल कंपनियों के वित्त की जांच शुरू होने पर स्टैण्डर्ड स्टैटस्टिक ब्यूरो की स्थापना हुई। इन दोनों कंपनियों का १९४० के दशक में विलय हो गया। १९०९ में जॉन मूडी ने मूडीज की स्थापना की। मूडीज ने भी रेल वित्त की साख का विश्लेषण और उनका मूल्यांकन करना शुरू किया। आज दुनिया के रेटिंग व्यवसाय का करीब ४० फीसदी कारोबार इन्हीं दो कंपनियों के पास हैं। फिच इन्हीं दोनों कंपनियों का छोटा रूप है। इसके अलावा भी कई कंपनियां हैं। हालांकि उनके रेटिंग को इतना महत्व नहीं दिया जाता।
महत्व का कारण : स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच की ग्रेडिंग का इतना महत्वपूर्ण होने का सबसे अहम कारण है अमरीका की वित्तीय निगरानी करने वाली एजेंसी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन।
१९७५ में इस कमीशन ने इन तीन कंपनियों को मान्यता प्राप्त सांख्यिकीय रेटिंग एजेंसी घोषित किया था। इससे उधार लेने की इच्छुक कंपनियों और देशों का जीवन आसान हो गया। इन एजेंसियों ने उनकी वित्तीय हालत और साख का आकलन कर उन्हें रेटिंग देना शुरू कर दिया। इन रेटिंग एजेंसियों की ताकत तब और बढ़ गई, जब सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने आदेश दिया कि सरकारी नियंत्रण वाले निवेश संस्थान केवल ऊंची रेटिंग वाली कंपनियों में ही निवेश करें।
कुछ निवेशकों की रेटिंग गिरने की स्थिति में उनमें किया गया निवेश बेचने का भी निर्देश दिया। इसके कारण जिन कंपनियों या देशों की रेटिंग नीचे गिरती है, उनके लिए बहुत बड़ी दिक्कत खड़ी हो जाती है।
ऐसे में बड़ी निवेश कंपनियां जब रेटिंग कम होने पर अपने निवेशों को बड़े पैमाने पर निकालना या बेचना शुरू करती है तो उनके बांड की कीमत बाज़ार में और ज्यादा गिर जाती है। इससे उनको मिलने वाले कर्ज पर ब्याज और ज्यादा बढ़ जाता है।
क्या है मतलब?
> एएए : सबसे मजबूत सबसे बेहतर
> एए : वादों को पूरा करने में सक्षम
> ए : वादों को पूरा करने की क्षमता पर विपरीत परिस्थितियों का पड़ सकता है असर
> बीबीबी : वादों को पूरा करने की क्षमता, लेकिन विपरीत परिस्थितियों से आर्थिक हालात प्रभावित होने की ज्यादा गुंजाइश।
> सीसी : वर्तमान में बहुत कमजोर
> डी : उधार लौटाने में असफल
ये हैं बड़े खिलाड़ी : इस समय रेटिंग की दुनिया में तीन बड़े नाम हैं। स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच। इनमें सबसे पुरानी एजेंसी है स्टैण्डर्ड एंड पूअर। इसकी नींव १८६० में हेनरी पूअर ने रखी थी।पूअर ने अमरीका में नहरों और रेल नेटवर्क के विकास का इतिहास लिखा था। १९०६ में गैर रेल कंपनियों के वित्त की जांच शुरू होने पर स्टैण्डर्ड स्टैटस्टिक ब्यूरो की स्थापना हुई। इन दोनों कंपनियों का १९४० के दशक में विलय हो गया। १९०९ में जॉन मूडी ने मूडीज की स्थापना की। मूडीज ने भी रेल वित्त की साख का विश्लेषण और उनका मूल्यांकन करना शुरू किया। आज दुनिया के रेटिंग व्यवसाय का करीब ४० फीसदी कारोबार इन्हीं दो कंपनियों के पास हैं। फिच इन्हीं दोनों कंपनियों का छोटा रूप है। इसके अलावा भी कई कंपनियां हैं। हालांकि उनके रेटिंग को इतना महत्व नहीं दिया जाता।
महत्व का कारण : स्टैण्डर्ड एंड पूअर, मूडीज और फिच की ग्रेडिंग का इतना महत्वपूर्ण होने का सबसे अहम कारण है अमरीका की वित्तीय निगरानी करने वाली एजेंसी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन।
१९७५ में इस कमीशन ने इन तीन कंपनियों को मान्यता प्राप्त सांख्यिकीय रेटिंग एजेंसी घोषित किया था। इससे उधार लेने की इच्छुक कंपनियों और देशों का जीवन आसान हो गया। इन एजेंसियों ने उनकी वित्तीय हालत और साख का आकलन कर उन्हें रेटिंग देना शुरू कर दिया। इन रेटिंग एजेंसियों की ताकत तब और बढ़ गई, जब सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने आदेश दिया कि सरकारी नियंत्रण वाले निवेश संस्थान केवल ऊंची रेटिंग वाली कंपनियों में ही निवेश करें।
कुछ निवेशकों की रेटिंग गिरने की स्थिति में उनमें किया गया निवेश बेचने का भी निर्देश दिया। इसके कारण जिन कंपनियों या देशों की रेटिंग नीचे गिरती है, उनके लिए बहुत बड़ी दिक्कत खड़ी हो जाती है।
ऐसे में बड़ी निवेश कंपनियां जब रेटिंग कम होने पर अपने निवेशों को बड़े पैमाने पर निकालना या बेचना शुरू करती है तो उनके बांड की कीमत बाज़ार में और ज्यादा गिर जाती है। इससे उनको मिलने वाले कर्ज पर ब्याज और ज्यादा बढ़ जाता है।
क्या है मतलब?
> एएए : सबसे मजबूत सबसे बेहतर
> एए : वादों को पूरा करने में सक्षम
> ए : वादों को पूरा करने की क्षमता पर विपरीत परिस्थितियों का पड़ सकता है असर
> बीबीबी : वादों को पूरा करने की क्षमता, लेकिन विपरीत परिस्थितियों से आर्थिक हालात प्रभावित होने की ज्यादा गुंजाइश।
> सीसी : वर्तमान में बहुत कमजोर
> डी : उधार लौटाने में असफल
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कहीं नहीं देखी ऐसी दीवानगी-दिव्या bharati
पांच अप्रैल, 1993 को मात्र उन्नीस वर्ष की आयु में चौदह हिंदी और सात दक्षिण भारतीय फिल्में पूरी करके और एक दर्जन फिल्मों के लिए अनुबंधित दिव्या भारती की मृत्यु हो गई। वर्सोवा, मुंबई स्थित पांचवें माले पर मौजूद अपने फ्लैट की खिड़की से फिसलकर गिरीं और मृत पाई गईं। उस समय उनके घर कुछ अंतरंग मित्र मौजूद थे। पुलिस ने गहन तहकीकात के बाद उसे दुर्घटना के रूप में दर्ज करके फाइल बंद कर दी।
मृत्यु के समय अनुबंधित फिल्मों में से एक थी ‘लाडला’, जिसे बाद में श्रीदेवी के साथ बनाया गया। दिव्या भारती कुछ हद तक श्रीदेवी से मिलती-जुलती थीं, पर उनके अभिनय में एक बेबाक सा चुलबुलापन नजर आता था, जो दशकों पूर्व की बिंदास गीताबाली की याद दिलाता था।
शबनम कपूर की ‘दीवाना’ (१९९२) में दिव्या के नायक ऋषि कपूर और कथा के अनुसार उनकी तथाकथित मृत्यु के बाद युवा विधवा का दिल जीतने वाले खिलंदड़ पात्र को शाहरुख ने अभिनीत किया था और इसी भूमिका में अपनी ऊर्जा और भावना की तीव्रता के कारण शाहरुख खान को खूब सराहा गया। दिव्या और शाहरुख पर फिल्मांकित किए गए गीत- ‘ये कैसी दीवानगी.’ में दिव्या और शाहरुख खान के बीच समान गति से प्रवाहित ऊर्जा के कारण उत्पन्न प्रेम का रसायन पर्दे पर जादू सा जगा देता था।
अगर दिव्या जीवित रहतीं, तो उनकी और शाहरुख की जोड़ी प्रेम फिल्मों में भावना की तीव्रता भर देती। मात्र सोलह की उम्र में वेंकटेश के साथ उसने सफल ‘बोबिला राजा’ की। दक्षिण की दो सफलताओं पर सवार दिव्या को मुंबई के निर्माताओं ने घेर लिया। माता-पिता से छुप उसने निर्माता साजिद नाडियादवाला से प्रेम विवाह किया और सफलता के नशे में प्रेम ने एक बदहवासी, दीवानगी पैदा की।
ज्ञातव्य है कि वह दौर फिल्म उद्योग में अपराध जगत के दबदबे का दौर था। और उन दिनों यह अफवाह थी कि दिव्या पर भी अनेक दबाव थे, परंतु वे मंदाकिनी की तरह डिगी नहीं और पांच अप्रैल की रात उन्हें सजा दी गई थी। पुलिस तहकीकात में यह बेबुनियाद पाया गया।
बहरहाल, यह भी संभावना है कि धन और ख्याति की वर्षा यह मध्यम वर्ग परिवार की मामूली सी शिक्षित लड़की साध नहीं पाई और हर समय वे तरंग में रहती थीं। उस रात शायद उसने ज्यादा पी ली या ड्रग्स के साथ शराब मिला ली। यह दुखद है कि इतनी सुंदर, स्वस्थ प्रतिभाशाली कलाकार जरा सी अभिव्यक्त होकर चली गई, जैसे पूर्णिमा की रात के पहले पहर ही बदलियां छा जाएं।
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1970 से अब तक वायुसेना के 999 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए
नई दिल्ली। वायुसेना के 999 विमान 1970 के बाद से दुर्घटना के शिकार हो चुके हैं। इनमें से 34 फीसदी दुर्घटना पायलटों की गलती से हुई है। यह जानकारी रक्षा मंत्रालय ने एक संसदीय समिति को दी है।
यदि मिग21 विमान की ताजा दुर्घटना को भी शामिल कर लिया जाए, तो आंकड़ा 1000 हो जाता है।
वायुसेना के 946 मिग विमानों में से आधे से अधिक अब तक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।
समिति द्वारा बजटीय मांग से सम्बंधित संसद में बुधवार को पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया, "मंत्रालय ने एक लिखित जवाब में 1970 से अब तक हुई विमान दुर्घटनाओं का ब्योरा दिया है। इसके मुताबिक अक तक 999 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुक हैं।"
उप्र: वायुसेना का जगुआर दुर्घटनाग्रस्त, दो की मौत
इन 999 मामलों में से 12 की अभी जांच चल रही है, जबकि शेष 987 में से 388 मामले में चालक दल की गलती सामने आई है।
राजस्थान में हुए मिग लड़ाकू विमान की दुर्घटना होने और पायलट के मारे जाने की घटना के अगले ही दिन रक्षा संसदीय रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि मिग बेड़े के आधे से अधिक विमान हादसों में स्वाहा हो चुके हैं।
रक्षा मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति की आज संसद में पेश रिपोर्ट में मंत्रालय के हवाले से यह स्वीकार किया गया है कि मिग विमानों की ज्यादातर दुर्घटनाएं पुरानी टेक्नोलाजी की वजह से हुई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि पुरानी पड़ चुकी टेक्नोलाजी के कारण मिग 21 और मिग 27 के इंजन में खराबी आने की घटनाएं आम हैं।
संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन विमानों की आपूर्ति करने वाले देश रूस ने भी इन्हें अपनी सेवा से बाहर कर दिया है और दुनिया में अकेली भारतीय वायुसेना ही है, जो इन विमानों पर अपना दावं लगाए हुए है।
समिति ने नए विमानों की खरीदारी की प्रक्रिया को योजनाबद्ध ढंग से पूरा करने की वकालत करते हुए मंत्रालय से कहा है कि मौजूदा विमानों के जीवनकाल को बढ़ाने तथा पायलटों की ट्रेनिंग पर नए सिरे से विचार किया जाए और मिग विमानों को जितना जल्दी संभव हो, रिटायर कर दिया जाए।
बीकानेर में मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त, पायलट की मौत
मानवीय गलतियों में सुधार के पहलू के बारे में संसदीय समिति को बताया गया कि पायलटों की ट्रेनिंग के लिए समुचित ट्रेनर विमानों की उपलब्धता की कमी चिंता का विषय है।
इस समय वायुसेना के प्रशिक्षण विमानों के बेड़े में 114 एचपीटी, 96 किरण एमके-वन ए, 41 किरण एके-दो, 42 हॉक, 35 चेतक, 19 डोर्नियर, आठ एएन-32 परिवहन विमान और छह एवरो विमान हैं। अधिकांश ट्रेनरों में एचपीटी और किरण मार्क-1 एवं मार्क दो विमान हैं जिन्हें बदला जा रहा है।
यदि मिग21 विमान की ताजा दुर्घटना को भी शामिल कर लिया जाए, तो आंकड़ा 1000 हो जाता है।
वायुसेना के 946 मिग विमानों में से आधे से अधिक अब तक दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं।
समिति द्वारा बजटीय मांग से सम्बंधित संसद में बुधवार को पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया, "मंत्रालय ने एक लिखित जवाब में 1970 से अब तक हुई विमान दुर्घटनाओं का ब्योरा दिया है। इसके मुताबिक अक तक 999 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुक हैं।"
उप्र: वायुसेना का जगुआर दुर्घटनाग्रस्त, दो की मौत
इन 999 मामलों में से 12 की अभी जांच चल रही है, जबकि शेष 987 में से 388 मामले में चालक दल की गलती सामने आई है।
राजस्थान में हुए मिग लड़ाकू विमान की दुर्घटना होने और पायलट के मारे जाने की घटना के अगले ही दिन रक्षा संसदीय रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि मिग बेड़े के आधे से अधिक विमान हादसों में स्वाहा हो चुके हैं।
रक्षा मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति की आज संसद में पेश रिपोर्ट में मंत्रालय के हवाले से यह स्वीकार किया गया है कि मिग विमानों की ज्यादातर दुर्घटनाएं पुरानी टेक्नोलाजी की वजह से हुई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि पुरानी पड़ चुकी टेक्नोलाजी के कारण मिग 21 और मिग 27 के इंजन में खराबी आने की घटनाएं आम हैं।
संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इन विमानों की आपूर्ति करने वाले देश रूस ने भी इन्हें अपनी सेवा से बाहर कर दिया है और दुनिया में अकेली भारतीय वायुसेना ही है, जो इन विमानों पर अपना दावं लगाए हुए है।
समिति ने नए विमानों की खरीदारी की प्रक्रिया को योजनाबद्ध ढंग से पूरा करने की वकालत करते हुए मंत्रालय से कहा है कि मौजूदा विमानों के जीवनकाल को बढ़ाने तथा पायलटों की ट्रेनिंग पर नए सिरे से विचार किया जाए और मिग विमानों को जितना जल्दी संभव हो, रिटायर कर दिया जाए।
बीकानेर में मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त, पायलट की मौत
मानवीय गलतियों में सुधार के पहलू के बारे में संसदीय समिति को बताया गया कि पायलटों की ट्रेनिंग के लिए समुचित ट्रेनर विमानों की उपलब्धता की कमी चिंता का विषय है।
इस समय वायुसेना के प्रशिक्षण विमानों के बेड़े में 114 एचपीटी, 96 किरण एमके-वन ए, 41 किरण एके-दो, 42 हॉक, 35 चेतक, 19 डोर्नियर, आठ एएन-32 परिवहन विमान और छह एवरो विमान हैं। अधिकांश ट्रेनरों में एचपीटी और किरण मार्क-1 एवं मार्क दो विमान हैं जिन्हें बदला जा रहा है।
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‘जूनो’ चला ‘ज्यूपिटर से मिलने, चार साल बाद पहुंचेगा
केप केनवेरल। सौरमंडल के अध्ययन के लिए विकसित किया गया अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) का खोजी यान ‘जूनो’ अपनी पांच साल की यात्रा के दौरान लगभग सोलह हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बृहस्पति ग्रह तक की टोह लेगा। यह अंतरिक्षयान मानव द्वारा निर्मित सबसे तेज चलने वाली मशीन है।
आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि चार टन वजनी जूनो भारतीय समयानुसार रात नौ बजकर चार मिनट पर एटलस-5 रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। इस रॉकेट पर पांच बूस्टर इंजन लगे हुए हैं और नासा के किसी भी मानवरहित अंतरिक्ष मिशन के लिए इसे बेहद दमदार समझा जाता है। इस अंतरिक्ष यान का नाम रोमन मिथकीय देवता ‘ज्यूपिटर’ की पत्नी ‘जूनो’ के नाम पर रखा गया है। ज्यूपिटर को ही बृहस्पति के नाम से भी जाना जाता है।
इस अंतरिक्षयान के जरिए तीन छोटी मूर्तियों को भी अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है। इसमें ‘ज्यूपिटर देवता’, उसकी पत्नी ‘जूनो’ और इस ग्रह को पहली बार टेलिस्कोप के जरिए ढूंढने वाले इतालवी खगोलशास्त्री ‘गैलेलियो गैलिली’ की मूर्तियां शामिल हैं।
गुरु के लिए रवाना हो रहा है पहला अंतरिक्षयान ‘जूनो’!
जूनो बृहस्पति ग्रह पर जानेवाला विश्व का पहला ऐसा खोजी यान है जो सौर ऊर्जा से संचालित है। चूंकि बृहस्पति ग्रह को मिलने वाली सौर ऊर्जा पृथ्वी के मुकाबले 25 फिसदी कम है, इसलिए इस यान का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि यह कम सौर ऊर्जा से भी अपनी आवश्यकतानुसार विद्युत ऊर्जा का निर्माण कर सके। खुले अंतरिक्ष में सूर्य से निकलने वाले विकिरण से बचाव का कोई उपाय नहीं है और इससे किसी भी अंतरिक्षयान के सोलर सेल और अन्य उपकरण आसानी से नष्ट हो सकते हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर जूनो के सोलर सेल इस तरह से बनाए गए हैं कि ये सौर-विकिरण को 50 फिसदी अधिक समय तक झेल पाने में सक्षम हैं।
जूनो बृहस्पति ग्रह की अपनी दो अरब 80 करोड़ किलोमीटर लंबी यात्रा को पांच बरस में पूरा करने के बाद वर्ष 2016 में बृहस्पति की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद यह उसकी परिक्रमा कर आंकड़े जुटाएगा। यह बृहस्पति की ध्रुवीय कक्षा में स्थापित होने वाला पहला अंतरिक्षयान होगा। एक वर्ष तक बृहस्पति का अध्ययन करने के बाद इसका मिशन पूरा हो जाएगा और यह 2017 में बृहस्पति की सतह पर गिरकर नष्ट हो जाएगा।
जूनो अंतरिक्षयान अपने इस मिशन के दौरान अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से लैस होगा। इस मिशन के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से जुड़े देशों इटली, बेल्जियम और फ्रांस ने भी मदद दी है। यान में इस प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं जो बृहस्पति ग्रह के रोजमर्रा के घटनाक्रम का पता लगाने के अलावा उसके अंतर को खंगालने का भी प्रयत्न करेंगे।
इस मिशन के दो प्रमुख उद्देश्यों में बृहस्पति पर पानी की मौजूदगी का पता लगाना और उसकी सतह के बारे में अधिक जानकारी जुटाना होगा। जूनो यह पता लगाने की भी कोशिश करेगा कि क्या बृहस्पति की आंतरिक संरचना ठोस पदार्थों से मिल कर बनी है अथवा वह गैस रूप में है।
इस मिशन के जरिए वैज्ञानिक बृहस्पति के उस चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाने का भी प्रयत्न करेंगे जो पृथ्वी के गुरुत्वबल के मुकाबले 20 हजार गुना अधिक शक्तिशाली है। बृहस्पति का अति शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र अपने आस-पास से गुजरती किसी भी बड़ी उल्का या क्षुद्र ग्रह को आसानी से अपने अंदर समा लेता है। इस तरह से बृहस्पति कई मायनों में अंतरिक्ष की बड़ी चट्टानों से पृथ्वी की रक्षा भी करता है।
अपने अभियान के दौरान जूनो पिछले 300 वर्षों से बृहस्पति की सतह पर चल रहे भीषण तूफानों के बारे में भी पता लगाने की कोशिश करेगा। धरती से देखने पर यह तूफ्ना बृहस्पति की सतह पर एक बड़े लाल धब्बे के रूप में दिखता है ।अंग्रेज खगोलशास्त्री राबर्ट हुक ने वर्ष 1664 में पहली बार इसका पता लगाया था।
उल्लेखनीय है कि नासा ने 1973 में ‘पायोनियर’ अंतरिक्षयान के जरिए बृहस्पति ग्रह के शोध का आगाज किया था। इसके बाद के तीन दशकों में वायजर, उल्येसिस और कैसिनी यानों ने भी इस ग्रह के वातावरण का जायजा लिया।
प्लूटो क्षुद्र ग्रह के अध्ययन के लिए जानेवाले नासा के अंतरिक्ष यान ‘न्यू होराइजन्स’ ने 2007 में आवश्यक गति प्राप्त करने के लिए इस ग्रह का चक्कर लगाया था।
जूनो के बाद नासा की ‘यूरोपा जूपिटर सिस्टम मिशन’ को 2020 में वहां भेजने की योजना है, जो बृहस्पति के तीन बड़े चंद्रमाओं यूरोपा, गैनिमेड और कैलिस्टो की बर्फीली सतहों का अध्ययन कर वहां पानी होने की संभावनाओं की तलाश करेगा।
आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि चार टन वजनी जूनो भारतीय समयानुसार रात नौ बजकर चार मिनट पर एटलस-5 रॉकेट से प्रक्षेपित किया जाएगा। इस रॉकेट पर पांच बूस्टर इंजन लगे हुए हैं और नासा के किसी भी मानवरहित अंतरिक्ष मिशन के लिए इसे बेहद दमदार समझा जाता है। इस अंतरिक्ष यान का नाम रोमन मिथकीय देवता ‘ज्यूपिटर’ की पत्नी ‘जूनो’ के नाम पर रखा गया है। ज्यूपिटर को ही बृहस्पति के नाम से भी जाना जाता है।
इस अंतरिक्षयान के जरिए तीन छोटी मूर्तियों को भी अंतरिक्ष में भेजा जा रहा है। इसमें ‘ज्यूपिटर देवता’, उसकी पत्नी ‘जूनो’ और इस ग्रह को पहली बार टेलिस्कोप के जरिए ढूंढने वाले इतालवी खगोलशास्त्री ‘गैलेलियो गैलिली’ की मूर्तियां शामिल हैं।
गुरु के लिए रवाना हो रहा है पहला अंतरिक्षयान ‘जूनो’!
जूनो बृहस्पति ग्रह पर जानेवाला विश्व का पहला ऐसा खोजी यान है जो सौर ऊर्जा से संचालित है। चूंकि बृहस्पति ग्रह को मिलने वाली सौर ऊर्जा पृथ्वी के मुकाबले 25 फिसदी कम है, इसलिए इस यान का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि यह कम सौर ऊर्जा से भी अपनी आवश्यकतानुसार विद्युत ऊर्जा का निर्माण कर सके। खुले अंतरिक्ष में सूर्य से निकलने वाले विकिरण से बचाव का कोई उपाय नहीं है और इससे किसी भी अंतरिक्षयान के सोलर सेल और अन्य उपकरण आसानी से नष्ट हो सकते हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर जूनो के सोलर सेल इस तरह से बनाए गए हैं कि ये सौर-विकिरण को 50 फिसदी अधिक समय तक झेल पाने में सक्षम हैं।
जूनो बृहस्पति ग्रह की अपनी दो अरब 80 करोड़ किलोमीटर लंबी यात्रा को पांच बरस में पूरा करने के बाद वर्ष 2016 में बृहस्पति की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद यह उसकी परिक्रमा कर आंकड़े जुटाएगा। यह बृहस्पति की ध्रुवीय कक्षा में स्थापित होने वाला पहला अंतरिक्षयान होगा। एक वर्ष तक बृहस्पति का अध्ययन करने के बाद इसका मिशन पूरा हो जाएगा और यह 2017 में बृहस्पति की सतह पर गिरकर नष्ट हो जाएगा।
जूनो अंतरिक्षयान अपने इस मिशन के दौरान अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से लैस होगा। इस मिशन के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से जुड़े देशों इटली, बेल्जियम और फ्रांस ने भी मदद दी है। यान में इस प्रकार के उपकरण लगाए गए हैं जो बृहस्पति ग्रह के रोजमर्रा के घटनाक्रम का पता लगाने के अलावा उसके अंतर को खंगालने का भी प्रयत्न करेंगे।
इस मिशन के दो प्रमुख उद्देश्यों में बृहस्पति पर पानी की मौजूदगी का पता लगाना और उसकी सतह के बारे में अधिक जानकारी जुटाना होगा। जूनो यह पता लगाने की भी कोशिश करेगा कि क्या बृहस्पति की आंतरिक संरचना ठोस पदार्थों से मिल कर बनी है अथवा वह गैस रूप में है।
इस मिशन के जरिए वैज्ञानिक बृहस्पति के उस चुंबकीय क्षेत्र का पता लगाने का भी प्रयत्न करेंगे जो पृथ्वी के गुरुत्वबल के मुकाबले 20 हजार गुना अधिक शक्तिशाली है। बृहस्पति का अति शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र अपने आस-पास से गुजरती किसी भी बड़ी उल्का या क्षुद्र ग्रह को आसानी से अपने अंदर समा लेता है। इस तरह से बृहस्पति कई मायनों में अंतरिक्ष की बड़ी चट्टानों से पृथ्वी की रक्षा भी करता है।
अपने अभियान के दौरान जूनो पिछले 300 वर्षों से बृहस्पति की सतह पर चल रहे भीषण तूफानों के बारे में भी पता लगाने की कोशिश करेगा। धरती से देखने पर यह तूफ्ना बृहस्पति की सतह पर एक बड़े लाल धब्बे के रूप में दिखता है ।अंग्रेज खगोलशास्त्री राबर्ट हुक ने वर्ष 1664 में पहली बार इसका पता लगाया था।
उल्लेखनीय है कि नासा ने 1973 में ‘पायोनियर’ अंतरिक्षयान के जरिए बृहस्पति ग्रह के शोध का आगाज किया था। इसके बाद के तीन दशकों में वायजर, उल्येसिस और कैसिनी यानों ने भी इस ग्रह के वातावरण का जायजा लिया।
प्लूटो क्षुद्र ग्रह के अध्ययन के लिए जानेवाले नासा के अंतरिक्ष यान ‘न्यू होराइजन्स’ ने 2007 में आवश्यक गति प्राप्त करने के लिए इस ग्रह का चक्कर लगाया था।
जूनो के बाद नासा की ‘यूरोपा जूपिटर सिस्टम मिशन’ को 2020 में वहां भेजने की योजना है, जो बृहस्पति के तीन बड़े चंद्रमाओं यूरोपा, गैनिमेड और कैलिस्टो की बर्फीली सतहों का अध्ययन कर वहां पानी होने की संभावनाओं की तलाश करेगा।
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