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Apr 8, 2013

नोकिया का नया फोन,बैटरी बैकअप 35 दिन

सस्ते फोन लांच करने वाली कंपनियों को टक्कर देने के लिए बेहद सस्ते मोबाइल नोकिया ने भारतीय बाजार में पेश किया है। कंपनी के मुताबिक नए फोन का बैटरी बैकअप 35 दिन है।

सस्ते फोन तैयार करने वाली कंपनियां से नोकिया को लगातार चुनौती मिल रही है। फिनलैंड की कंपनी ने 1,200 रुपये में कलर मोबाइल 'नोकिया 105' को भारतीय बाजार में पेश किया है।

नए फोन के आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि अब कंपनी ब्लैक-एंड-व्हाइट मोबाइल को नहीं पेश करेगी। देश और दुनिया के बाजारों के लिए नोकिया 105 को चेन्नई में तैयार किया जाएगा।

नोकिया इंडिया के रीजनल जनरल मैनेजर टीएस श्रीधर ने बताया कि भारत, अफ्रीका और चीन में इंट्री लेवल फोन का भविष्य है। इसी को ध्यान में रखकर कंपनी ने सस्ते फोन को बाजार में पेश किया है।

नोकिया 105 को पहली बार बार्सिलोना में आयोजित मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस 2013 में पेश किया गया था। नोकिया का यह फोन उन लोगों को फोकस करेगा जिनके पास अभी तक भी मोबाइली कनेक्‍शन नहीं है।

कंपनी का दावा है कि नए मोबाइल का बैटरी बैकअप 35 दिन है, जो तेजी से मोबाइल ग्राहकों का ध्यान आकर्षित करेगा। फोन में स्पीकिंग क्लॉक का भी फीचर दिया गया है।

Apr 7, 2013

सेलफोन के पहले हैंडसेट का वजन था 1 किलो


क्या आप जानते हैं कि आज हर आम और खास की जरूरत बन चुके मोबाइल का पहली बार इस्तेमाल कब हुआ था और यह कैसा दिखता होगा या इसका वजन कितना होगा?

सेलफोन का पहली बार इस्तेमाल करीब 40 साल पहले 3 अप्रैल 1973 को मोटोरोला के पूर्व उपाध्यक्ष और डिवीजन मैनेजर मार्टिन कूपर ने किया था।

उस समय कूपर ने न्यूयॉर्क के हिल्टन होटल में दुनिया के पहले सेल फोन से बात करके सबको चौंका दिया था। इस फोन का नाम मोटोरोला 'डायना टीएसी' था।

कूपर ने डायना टीएसी का इस्तेमाल बेल लेब्स के हेड ऑफ रिसर्च को कॉल करने के लिए किया था और तभी से शुरू हो गई थी कम्युनिकेशन क्रांति।

मोटोरोला डायना टीएसी की लंबाई 10 इंच और वजन एक किलो था। फोन की बैटरी 20 मिनट तक ही चलती थी। पूर्व नौसेनिक और इंजीनियर कूपर ने 1952 में मोटोरोला कंपनी ज्वाइन की थी।

अपने जीवन के 84 बसंत देख चुके कूपर अभी सिलिकॉन वैली में काम कर रहे हैं। आज मोबाइल तकनीक ने इतनी तरक्की कर ली है कि यह मिनी कंप्यूटर की तरह इस्तेमाल होने लगा है

Aug 7, 2011

साधारण मोबाइल फोनों पर वीडियो देखने की राह हुई आसान

मुम्बई. अभी तक बिना किसी विशेष सुविधा वाले मोबाइल फोन (फीचर फोन) पर वीडियो सामग्री नहीं देखी जा सकती थी। लेकिन जिग्सी नाम की एक नई प्रौद्योगिकी ने साधारण मोबाइल फोनों पर भी वीडियो सामग्री देखना सम्भव बना दिया है। यानी, अत्यधिक सस्ते मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले देश के करोड़ों ग्राहक भी अब वीडियो सामग्री देखने का लुत्फ उठा पाएंगे।


खास बात यह है कि इस सुविधा के लिए लोगों को किसी अतिरिक्त राशि का भुगतान नहीं करना होगा। फोन को हालांकि इंटरनेट सुविधा से युक्त होना चाहिए।

जिग्सी एक वीडियो स्ट्रीमिंग प्रौद्योगिकी है, जिसका विकास कनाडा के टोरंटो की नई नवेली वीडियो स्ट्रीमिंग कम्पनी 'जिग्सी इंक' ने किया है। इस प्रौद्योगिकी से 50 केबीपीएस की गति वाले इंटरनेट नेटवर्क पर भी वीडियो सामग्री का प्रवाह भेजा जा सकता है,जबकि देश में उपयोग होने वाले अधिकतर जीपीआरएस सुविधा वाले फोन की इंटरनेट की गति 60 केबीपीएस होती है।

बता दें कि वीडियो स्ट्रीमिंग और वीडिया को डाउनलोड कर देखने में फर्क होता है। स्ट्रीमिंग के तहत वीडियो सामग्री प्रसारक के पास ही रहती है। आप सिर्फ बटन दबा कर कोई भी सामग्री को देख सकते हैं इसे अपने उपकरण पर डाउनलोड करने की उसी तरह जरूरत नहीं होती है जैसे टेलीविजन देखने के लिए सामग्री को डाउनलोड करने की जरूरत नहीं होती है।

देश के 90 फीसदी मोबाइल ग्राहकों के पास फीचर फोन हैं। इसका मतलब यह है कि कम्पनी को लगभग 50 करोड़ ग्राहक मिल सकते हैं, जो अब तक यूट्यूब जैसी स्ट्रीमिंग सेवा अपने मोबाइल फोन पर नहीं देख पा रहे हैं।

जिग्सी बीटा नाम का यह एप्लीकेशन 15 अगस्त से ओवीआई, सेलमेनिया (टाटा डोकोमो,एयरटेल),एपिया जैसे विभिन्न स्टोरों और कम्पनी के अपनी वेबसाइट एचटीटीपी कॉलन स्लैस एम डॉट जिगसी डॉट कॉम पर उपलब्ध रहेगा।

शुरू में सिर्फ जावा पर काम करने वाले मोबाइल फोन पर ही यह एप्लीकेशन डाउनलोड किया जा सकता है,लेकिन कम्पनी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले मोबाइल फोन निर्माओं को भी अपने फोन को इस एप्लीकेशन के लिए अनुकूल बनाने के लिए मनाने की कोशिश कर रही है।

इस एप्लीकेशन की खासियत यह है कि यदि आपके मोबाइल की इंटनेट गति घट कर 50 केबीपीएस भी रह जाए,तो भी इस पर बिना किसी रुकावट के वीडियो स्ट्रीमिंग देखी जा सकती है। यानी,यह रुक-रुक कर नहीं, बल्कि धारा प्रवाह चलेगा।

इस एप्लीकेशन में यह सुविधा है कि यदि कोई वीडियो सामग्री देखते वक्त मोबाइल की बैटरी खत्म हो जाए या अन्य किसी वजह से मोबाइल बंद हो जाए, तो अगली बार सामग्री वहीं से चल सकती है,जहां यह बंद हुई थी।

यह एप्लीकेशन 2जी (जीपीआरएस),3जी,वाईफाई जैसे सभी तरह के इंटरनेट नेटवर्क पर काम कर सकता है।

जिग्सी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी 35 वर्षीय रे नेवल ने कहा, "जिग्सी प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर या मोबाइल एप्लीकेशन ही नहीं है, बल्कि इससे कुछ और अधिक है। जिग्सी हमारा एक ऐसा तरीका है, जिसके माध्यम से हर कोई बिना किसी भेद भाव के शिक्षा, मनोरंजन और सूचनापरक वीडियो सामग्री देख सकता है।"

जिग्सी के वेबसाइट पर यूटीवी,यूटीवी बिंदास,मुक्ता आर्ट्स,1 टेक मीडिया, स्वामी फिल्म्स,सेठिया ऑडिया वीडियो और स्पीड रिकार्डस,स्पाइस डिजिटल की एक लाख मिनट से अधिक की वीडियो सामग्री मौजूद है, जिसे इस एप्लीकेशन के सहारे जावा आधारित मोबाइल फोन पर मुफ्त देखा जा सकता है। ये सामग्री हिंदी,अंग्रेजी,तेलुगू, मराठी, तमिल और पंजाबी भाषाओं में हैं।

इन सामग्रियों में फिल्म के अंश, ट्रेलर,गीत, समाचार जैसे कई कार्यक्रम हैं। हास्य प्रधान सामग्री और बच्चों के लिए एनीमेशन कार्यक्रम भी मौजूद हैं।

कम्पनी की स्थापना रे नेवल और अरीफ रेजा ने मिलकर की है। कम्पनी की स्थापना वर्ष 2008 में कनाडा के टोरंटो में हुई। कम्पनी में सिकोइया कैपिटल और इंडियन एंजल नेटवर्क ने पूंजी लगाई है।

Jan 20, 2011

मोबाइल ऑपरेटर बदलने से पहले इन बातों पर भी करें गौर!

अगर आप अपना मोबाइल ऑपरेटर बदलना चाहते हैं तो एक बार सोच लीजिए। जरूरी नहीं है कि आपकी समस्या का समाधान हो ही जाए। हालात कहीं पहले से बदतर न हो जाएं।

आप मोबाइल ऑपरेटर इसलिए बदलना चाहते हैं कि आपको बेहतर सर्विस मिले या बेहतर टैरिफ प्लान मिले। लेकिन अगर आप ध्यान से देखेंगे तो सभी के टैरिफ प्लान एक जैसे ही हैं। इनमें बहुत कम का फर्क है और ये आपकी जरूरतों के मुताबिक कम तथा ऑपरेटर के मुनाफे को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। इनमें ग्राहक के फायदे की बात नहीं सोची जाती है। और वैसे भी अब कॉल रेट काफी घट गए हैं।

हाल में किए गए एक सर्वे के मुताबिक नंबर बदलने का कुल असर नगण्य होगा। यानी बड़े ऑपरेटरों के जितने ग्राहक जाएंगे उतने दूसरों से आ भी जाएंगे। ज़ाहिर है ऐसे में वे क्यों बड़ी धनराशि अपनी सेवा सुधारने में खर्च करेंगे। उनकी कोशिश अपने कस्टमर केयर सर्विस की सेवा सुधारने की होगी ना कि वास्तविक सेवा जिसे सुधारने पर उन्हें खर्च करना होता है। ये कुछ प्वाइंट हैं जिन्हे ध्यान में रखकर ही आप अपना मोबाइल ऑपरेटर बदलें--

1- ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक लगभग सभी ऑपरेटरों की सेवा 90 प्रतिशत संतोषजनक है। इसके मुताबिक पूरे भारत में कॉल सक्सेस रेट 97.26 प्रतिशत तक है। मुंबई में तो यह 99.99 प्रतिशत है। ट्राई के अनुसार कॉल ड्रॉप रेट पूरे देश में 3 प्रतिशत से भी कम है।

2- अब आप अपनी सेवा या टैरिफ प्लान देखकर खुद तय करें कि आपको ऑपरेटर बदलना है या नहीं। लेकिन एक परिवार के सदस्य अगर एक ही नेटवर्क में रहें तो इसका फायदा सभी को मिलेगा।

3- सभी कंपनियों के टैरिफ प्लान लगभग एक जैसे हैं।

4-ये ऑपरेटरों के मुनाफे के लिए हैं।

5- सभी कंपनियों की सर्विस में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है।

6- ट्राई के मुताबिक कॉल ड्राप रेट 3 फीसदी से कम।

7- नए ग्राहकों को कितना फायदा होगा कहना मुश्किल।