Aug 20, 2010

लालू लखपती, पर परिवार करोड़पति

वेतन वृद्धि नहीं होने से नाराज राजद प्रमुख लालू यादव के पास चल संपत्ति तो नहीं है, लेकिन उनकी पत्नी राबड़ी देवी और नौ बच्चों के पास 1.2 करोड़ रुपए मूल्य की चल संपत्ति है। राबड़ी देवी का बैंक बैलेंस भी 24 लाख रुपयों का है, जबकि लालू के नाम बैंक में कुल 12.11 लाख रुपए ही जमा हैं।

पिछले साल चुनाव लड़ने के वक्‍त दायर शपथपत्र के मुताबिक लालू-राबड़ी के बच्चों के नाम बैंक में 39.58 लाख रुपए जमा हैं। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के पास 34.5 लाख रुपए मूल्य की कृषि भूमि और 28.5 लाख मूल्य की गैर कृषि भूमि है।

544 में 315 सांसद करोड़पति

अपनी तनख्‍वाह तीन गुनी किए जाने की तैयारी कर रहे सांसदों का हाल यह है कि आधे से ज्‍यादा सांसद पहले से करोड़पति हैं। 2004 में लोकसभा में करोड़पति सांसदों की संख्या 156 थी, जो मौजूदा लोकसभा में 315 हो गई है। यानी करीब 58 प्रतिशत सांसद करोड़पति हैं।

निचले सदन के इन सदस्यों की औसत संपत्ति पिछले पांच सालों में 1.86 करोड़ रुपए से बढ़कर 5.33 करोड़ रुपए हो गई है। 20 फीसदी सांसदों की संपत्ति पांच करोड़ से ज्‍यादा की है। 294 सदस्‍यों के पास 50 लाख रुपए से पांच करोड़ रुपए तक की संपत्ति है। 10 लाख रुपए मूल्य की संपत्ति वाले केवल 17 सांसद हैं।करोड़पति सांसद सबसे ज्यादा (146) सत्ताधारी कांग्रेस में हैं। बीजेपी में 59, समाजवादी पार्टी में 14 और बीएसपी व डीएमके में करोड़पति सांसदों की संख्या 13-13 है। यदि प्रदेश के हिसाब से देखें तो उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा (52) करोड़पति सांसद हैं। महाराष्ट्र में 38, आंध्रप्रदेश में 32, तमिलनाडु और कर्नाटक में 25-25, बिहार में 17, मध्य प्रदेश में 15, राजस्थान में 14, पंजाब में 13, गुजरात में 12, पश्चिम बंगाल में 11 और हरियाणा में 9 सांसद करोड़पति हैं। दिल्ली के सभी 7 सांसद करोड़पति हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) ने सदस्यों द्वारा चुनाव लड़ते समय दाखिल शपथ पत्र के आधार पर जो जानकारी जुटाई है, उसके मुताबिक तेलुगु देसम के नागेश्वर राव, जो खम्मम से सांसद हैं, सबसे रईस हैं। उनकी कुल घोषित संपत्ति 173 करोड़ रुपए की है। इसके बाद कांग्रेस के नवीन जिंदल (131 करोड़ रुपए) और एल राजगोपाल (122 करोड़ रुपए) का नंबर है।

प्रस्ताव के विरोधी मंत्रियों की संपत्ति

कैबिनेट की बैठक में सोमवार को कम से कम तीन मंत्रियों ने सांसदों के वेतन में बढ़ोतरी के प्रस्ताव का विरोध किया। इनमें से गृह मंत्री पी चिदंबरम के पास कुल 27 करोड़ रुपए की चल और अचल संपत्ति है। सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी के पास 17.7 करोड़ रुपए की और सुरक्षा मंत्री एके एंटनी के पास 16.64 लाख रुपए की कुल संपत्ति है।

हर दूसरा सांसद करोड़पति....

5वीं लोकसभा में हर दूसरा सांसद करोड़पति है। सांसदों में से 315 की संपत्ति करोड़ों में हैं। वहीं 150 सांसद ऐसे हैं, जिनके एक या एक से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं।

करोड़पति सांसदों में यूपी आगे

करोड़पति सांसदों में भी उत्तरप्रदेश (52) यूपी सबसे आगे है। इसके बाद महाराष्ट्र (37) व आंध्र प्रदेश (31) का स्थान है। मध्यप्रदेश के 15, राजस्थान के 14, पंजाब के 13, गुजरात के 12, हरियाणा के 9, दिल्ली के 7, हिमाचल प्रदेश के 3 और छत्तीसगढ़ के 2 व चंडीगढ़ का एक सांसद करोड़पति है। सबसे धनवान सांसद खम्मम से टीडीपी के नामा नागेश्वर राव (173 करोड़ रुपए) हैं। दूसरा स्थान हरियाणा के कुरुक्षेत्र से नवीन जिंदल (131 करोड़ रुपए) का है।

करोड़पति सांसद

कांग्रेस : 138

भाजपा : 58

सपा : 14

आवाज में है दम

फारुख अब्दुल्ला की तत्काल टिप्पणी- कि उनका बेटा जूते-वाले ‘इलीट समूह’ का हिस्सा बन गया- प्रकारांतर से जॉर्ज बुश की इराक में सामरिक नीतियों को सही ठहराती है और यह बताने का प्रयत्न करती है कि कश्मीर में सब ठीक-ठाक है।

हाल के वर्षो में जूता फेंकना राजकीय दमनात्मक कार्रवाई के खिलाफ प्रतिरोध के नए प्रतीक के रूप में विकसित हुआ है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर 15 अगस्त के दिन एक निलंबित पुलिसवाले ने जूता फेंका। हर बार ऐसी घटना के बाद राज्य की तरफ से यह कोशिश की जाती है कि इसे लोकप्रिय जनभावना के तहत देखे जाने से टाला जाए।

इसके लिए कुछ आसान तर्क भी जुटा लिए जाते हैं, कि विरोध का यह तरीका ‘छिछला’ है और सभ्य समाज में ऐसी हरकत व्यापक आबादी का सच नहीं हो सकती। या फिर ऐसी ‘अलोकतांत्रिक और अमर्यादित हरकत’ कुछ सनकी दिमागों द्वारा सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए की गई कवायद है।

लेकिन उमर अब्दुल्ला प्रकरण में फारुख अब्दुल्ला की तत्काल टिप्पणी- कि उनका बेटा जूते-वाले ‘इलीट समूह’ का हिस्सा बन गया- का संदेश शायद यही है कि महान लोगों के विरोधी हर समाज में पैदा होते हैं और अगर महानता को हासिल करना है, तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि विरोधी अनिवार्य तौर पर समाज के भीतर मौजूद हो।

इस तरह प्रकारांतर से वे जॉर्ज बुश की इराक में सामरिक नीतियों को भी सही ठहरा गए और यह बताने का भरसक प्रयत्न भी कर गए कि कश्मीर में सब ठीक-ठाक है। याद रहे कि जॉर्ज बुश पर भी इराक में एक पत्रकार ने जूता फेंका था।

बहुत साफ है कि कश्मीर के मौजूदा राजनीतिक हालात में नेशनल कांफ्रेंस को लेकर घाटी के भीतर असंतोष व्याप्त है। युवाओं के एक बड़े हिस्से को सामान्य स्वतंत्र जीवन जीने का शीघ्र कोई विकल्प चाहिए। यह विकल्प अगर उमर अब्दुल्ला सरकार नहीं मुहैया करा रही है, तो वे इसके जवाब में अलगाववादी धड़ों के साथ खुद को सहज महसूस करते हैं।

लगभग बीस साल बाद घाटी में इस तरह का दृश्य बन रहा है, जब सरकार के विरोध में उग्र और अंतहीन दिखने वाले प्रदर्शन हो रहे हैं। हुर्रियत के दोनों धड़े जोर देकर कह रहे हैं कि युवाओं का यह स्वत:स्फूर्त आंदोलन है जिसको वे केवल समर्थन दे रहे हैं।

पिछले एक साल में कश्मीर की राजनीति बेहद उठा-पटक भरे दौर से गुजरी है। शोपियां में दो युवतियों की बलात्कार के बाद हत्या के मामले पर जांच समितियों की परस्पर-विरोधी रिपोर्ट और सरकार द्वारा उस मामले पर नाटकीय तरीके से लिए गए फैसलों से आंदोलन शुरू हुआ।

बीते सप्ताह सईद फारुख बुखारी नामक एक 19 वर्षीय छात्र के कथित तौर पर पुलिसिया उत्पीड़न से मारे जाने के बाद हजारों लोग उसके अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए कफ्यरू को तोड़ कर निकल आए। पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने सईद की मौत के लिए सरकार को दोषी ठहराते हुए इस घटना की निंदा की। ऐसी प्रत्येक घटना के बाद मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लेकर असंतोष और भड़का है।

मीरवाइज उमर फारुख ने भारत सरकार को कश्मीर से सैन्य बल वापस बुलाने, सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम खत्म करने और कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मामला न मानते हुए इसमें कश्मीर को शामिल कर त्रिपक्षीय तरीके से हल किए जाने की अपील करने के साथ-साथ स्थानीय कश्मीरियों की भावना को समझने के लिए ‘कश्मीर की दीवारों पर लिखी इबारत’ को पढ़ने को कहा है।

कश्मीरी लोगों ने पिछले चुनाव में सहभागिता के जिस स्तर को दिखाते हुए 60 फीसदी से अधिक मतदान किया और उमर अब्दुल्ला की पार्टी को बहुमत के साथ विधानसभा में ले आए, उसके जवाब में उनके बरसों पुराने आत्मनिर्णय के अधिकार के संकट का खात्मा कहीं से भी होता नजर नहीं आया। जाहिर है, ऐसे में यहां की जनता को प्रतिरोध के रूप में पत्थर और जूते दिखते हैं, तो हर्ज क्या है?

100 में 18 आईटी ग्रेजुएट ही जॉब के काबिल

नई दिल्‍ली. आईटी के क्षेत्र में सुपरपावर बनने का सपना देख रहे भारत के लिए यह तथ्‍य बेहद चौंकाने वाला है कि तकनीकी संस्‍थानों से पढ़ाई कर निकले छात्रों में से केवल 18 फीसदी ही जॉब के काबिल होते हैं। ‘एस्‍पाइरिंग माइंड्स’ नामक कंपनी के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि अधिकतर तकनीकी ग्रेजुएट ऐसे होते हैं जिन्‍हें आईटी सेक्‍टर में जॉब के काबिल बनाने के लिए अतिरिक्‍त ट्रेनिंग की जरूरत होती है।

हाल में हुए इस सर्वे में देश के 12 राज्‍यों के 40 हजार से अधिक तकनीकी ग्रेजुएट्स को शामिल किया गया। इसमें ऐसे छात्रों के कम्‍प्‍यूर आधारित टेस्‍ट लिए गए जो इंजीनियरिंग या एमसीए अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे। सर्वे के मुताबिक आईटी प्रोडक्‍ट कंपनियों के हिसाब से इन छात्रों की ‘एम्‍प्‍लॉयबिलिटी’ महज 4.22 फीसदी थी।

सर्वे के मुताबिक 62 फीसदी छात्रों को किसी आईटी कंपनी में जॉब के काबिल होने के लिए ट्रेनिंग की जरूरत है। इसके अलावा आईटी सेक्‍टर के लिए एम्‍प्‍लॉएबल छात्रों में से 70 फीसदी ऐसे होते हैं जिन्‍होंने देश के चोटी के 100 कॉलेजों में पढ़ाई नहीं की होती है।

क्‍या होगा असर

देश में हर साल 30 लाख से ज्‍यादा ग्रेजुएट तैयार होते हैं जिसमें एक चौथाई इंजीनियरिंग ग्रेजुएट होते हैं। ऐसे में बेरोजगारी की दर भी हर साल बढ़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक देश में बेरोजगारी की दर 2008 में 7.8 प्रतिशत की तुलना में 2010 में बढ़कर 10.7 फीसदी हो गई है।

हमारे यहां मानव श्रम की संख्‍या हर साल 2.5 फीसदी की दर से बढ़ रही है जबकि ‘जॉब ग्रोथ रेट’ 2.3 फीसदी है। इस तरह बेरोजगार युवकों की संख्‍या हर साल तेजी से बढ़ रही है।

Aug 18, 2010

> O'Really

दुनियाभर में एक मिनट में बाइबल की 50 किताबों की बिक्री होती है।