नई दिल्ली. आईटी के क्षेत्र में सुपरपावर बनने का सपना देख रहे भारत के लिए यह तथ्य बेहद चौंकाने वाला है कि तकनीकी संस्थानों से पढ़ाई कर निकले छात्रों में से केवल 18 फीसदी ही जॉब के काबिल होते हैं। ‘एस्पाइरिंग माइंड्स’ नामक कंपनी के एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि अधिकतर तकनीकी ग्रेजुएट ऐसे होते हैं जिन्हें आईटी सेक्टर में जॉब के काबिल बनाने के लिए अतिरिक्त ट्रेनिंग की जरूरत होती है।
हाल में हुए इस सर्वे में देश के 12 राज्यों के 40 हजार से अधिक तकनीकी ग्रेजुएट्स को शामिल किया गया। इसमें ऐसे छात्रों के कम्प्यूर आधारित टेस्ट लिए गए जो इंजीनियरिंग या एमसीए अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे। सर्वे के मुताबिक आईटी प्रोडक्ट कंपनियों के हिसाब से इन छात्रों की ‘एम्प्लॉयबिलिटी’ महज 4.22 फीसदी थी।
सर्वे के मुताबिक 62 फीसदी छात्रों को किसी आईटी कंपनी में जॉब के काबिल होने के लिए ट्रेनिंग की जरूरत है। इसके अलावा आईटी सेक्टर के लिए एम्प्लॉएबल छात्रों में से 70 फीसदी ऐसे होते हैं जिन्होंने देश के चोटी के 100 कॉलेजों में पढ़ाई नहीं की होती है।
क्या होगा असर
देश में हर साल 30 लाख से ज्यादा ग्रेजुएट तैयार होते हैं जिसमें एक चौथाई इंजीनियरिंग ग्रेजुएट होते हैं। ऐसे में बेरोजगारी की दर भी हर साल बढ़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक देश में बेरोजगारी की दर 2008 में 7.8 प्रतिशत की तुलना में 2010 में बढ़कर 10.7 फीसदी हो गई है।
हमारे यहां मानव श्रम की संख्या हर साल 2.5 फीसदी की दर से बढ़ रही है जबकि ‘जॉब ग्रोथ रेट’ 2.3 फीसदी है। इस तरह बेरोजगार युवकों की संख्या हर साल तेजी से बढ़ रही है।
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