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टाटा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के नए उत्तराधिकारी की तलाश का काम जारी है। लेकिन पांचवें चेयरमैन के रूप में रतन नवल टाटा
ने इसे जिस ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, वह बेमिसाल है। 1991 में ग्रुप की कमान संभालने के बाद से रतन टाटा ने लगातार साबित किया कि अगर आप में प्रतिभा है, तो आप देश में रहकर भी ऐसे शिखर पर पहुंच सकते हैं, जहां हर भारतीय आप पर नाज करे।
नहीं मिला पैरंट्स का साथ
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ। उनके दादा जमशेदजी टाटा थे। रतन को अपने पैरंट्स का प्यार नहीं मिल पाया। उनके माता-पिता बचपन में ही अलग हो गए थे। उस समय उनकी उम्र सात साल और उनके भाई जिम्मी की उम्र पांच साल थी। दादी मां ने ही दोनों भाइयों का पालन-पोषण किया।
प्यार भी छोड़ना पड़ा
वह पारसी समुदाय के हैं, जहां बच्चों की पढ़ाई पर खासा ध्यान दिया जाता है। यही वजह थी कि स्कूल के दिनों में उन्हें जबरदस्ती स्कूल और ट्यूशन भेजा जाता था। बाद में उन्होंने लंदन से आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और फिर हॉर्वड यूनिवर्सिटी से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम कोर्स किया। वैसे, कैलिफॉर्निया से भी उन्हें बहुत लगाव है क्योंकि वहां का कैजुअल लाइफस्टाइल तो उन्हें पसंद था ही, उनका प्यार भी उन्हें पढ़ाई के दौरान वहीं मिला। हालांकि किसी वजह से उन्हें भारत आना पड़ा और उनका प्यार वहीं छूट गया।
कारोबार में मचा दी धूम
25 साल की उम्र में वह अपने पुश्तैनी कारोबार से जुड़ गए। शुरुआती दिनों में नेल्को और सेंट्रल इंडिया टेक्सटाइल जैसी घाटे की कंपनियों को संभाला और उन्हें कमाऊ बनाकर अपनी विलक्षण प्रतिभा का सबूत किया। इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। टाटा गुप के पास अब 98 ऑपरेटिंग कंपनियां हैं, जिनका सालाना रेवेन्यू 71 बिलियन डॉलर है। इस ग्रुप में तकरीबन 3.57 लाख कर्मचारी काम करते हैं। टाटा इंडिया के रूप में पहली ऐसी कार, जिसके डिजाइन से लेकर निर्माण तक का काम भारत में ही हुआ, का श्रेय भी रतन टाटा को ही जाता है। लखटकिया कार नैनो लाकर आम आदमी का कार का सपना भी उन्होंने ही साकार किया। बहुआयामी व्यक्त्वि के मालिक रतन टाटा को देश के साथ-साथ विदेश में भी सशक्त उद्योगपति माना जाता है। यही वजह है कि मित्सुबिशी कॉरपोरेशन, अमेरिकन इंटरनैशनल ग्रुप, इंटरनैशनल इनवेस्टमेंट काउंसिल, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज जैसे संगठनों ने भी उनकी प्रतिभा का लोहा मानते हुए उनकी सेवाएं लीं। 2000 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। उनकी उपलब्धियों में एक गौरवशाली आयाम उस वक्त जुड़ा, जब पूर्वी चीन के शहर हांगझाऊ ने उन्हें अपना आथिर्क सलाहकार मनोनीत किया ।
टैंगो और टीटो हैं चहेते
रतन टाटा के पास फरारी जैसी बेशकीमती गाडि़यां हैं, लेकिन उन्हें अपनी पुराने मॉडल की मर्सडीज को खुद ही ड्राइव करना पसंद है। इसके अलावा, उनके पास पसंदीदा प्राइवेट जेट फेलकॉन भी है, जिसे वे खुद ही ऑपरेट करते हैं। रतन टाटा को कुत्ते पालने का भी शौक है। उनके पास टैंगों और टीटो नाम के दो डॉग हैं।
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