बांदा से बसपा विधायक द्वारा दुष्कर्म पीड़िता जेल से रिहा होते ही विधायक को फांसी पर लटकाने की मांग की। पीड़िता जेल के दौरान बीते अपने दर्द को बताते हुए काफी गुस्से में थी। पुलिस पर आरोप लगाते हुए बताया कि पुलिस वाले उसको जेल में पिटते थे। यहां तक कि बिधायक के भाई के सामने पुलिस ने उसे मारा और धमकी दी।
सूबे की मुखिया मायावती के निर्देश के बाद पीड़िता को छोड़ दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता को जेल से रिहा करने और पर्याप्त सुरक्षा देने का आदेश दिया था।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक दलित लड़की के साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी और उनके साथियों द्वारा कथित तौर पर दुष्कर्म किए जाने से सम्बद्ध मामले में राज्य सरकार ने शनिवार को बांदा जेल में बंद लड़की की तत्काल रिहाई का आदेश दिया था।
रेप मामले में फंसे बांदा के विधायक मामले पर सूबे की मुखिया ने कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री मायावती ने कहा था लड़की पर चोरी के आरोप में जो भी पुलिस अधिकारी पर लिप्त होगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गौरतलब है कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की को आरोपित विधायक के घर कथित चोरी के आरोप में 15 दिसम्बर को अतर्रा पुलिस ने जेल भेज दिया था।
उल्लेखनीय है कि नरैनी क्षेत्र के शहबाजपुर गांव की एक लड़की ने पिछले दिनों अदालत में लिखित बयान देकर विधायक पुरूषोत्तम द्विवेदी और उनके तीन सहयोगियों पर कथित तौर पर बंधक बनाकर बलात्कार करने का आरोप लगाया था।
Jan 16, 2011
किसने-कैसे रोकी हमारी 7 लाख करोड़ की राहें
नई दिल्ली. सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क को फिर से छह-लेन बनाने में कितनी लागत आएगी। और समय कितना लगेगा? लागत - 109 करोड़। समय - पता नहीं, क्योंकि एक साल पहले शुरू हुआ निर्माण अभी जारी है। हालांकि मामला दिल्ली में मेहरौली से गुड़गांव की सड़क का है, लेकिन यह पूरे देश में हाइवे निर्माण की हालात बयान करता है।
मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।
फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?
क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?
खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:
पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।
इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार
मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान
20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन
हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है
मिथक
1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है
2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है
हकीकत
1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।
2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।
मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।
फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?
क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?
खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:
पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।
इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार
मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान
20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन
हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है
मिथक
1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है
2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है
हकीकत
1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।
2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।
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सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क
नई दिल्ली. सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क को फिर से छह-लेन बनाने में कितनी लागत आएगी। और समय कितना लगेगा? लागत - 109 करोड़। समय - पता नहीं, क्योंकि एक साल पहले शुरू हुआ निर्माण अभी जारी है। हालांकि मामला दिल्ली में मेहरौली से गुड़गांव की सड़क का है, लेकिन यह पूरे देश में हाइवे निर्माण की हालात बयान करता है।
मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।
फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?
क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?
खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:
पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।
इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार
मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान
20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन
हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है
मिथक
1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है
2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है
हकीकत
1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।
2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।
मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।
फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?
क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?
खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:
पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।
इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार
मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान
20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन
हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है
मिथक
1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है
2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है
हकीकत
1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।
2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।
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'यार विकेट नहीं लेता तो मेरे गांव वाले यहीं मारते मुझे'
जोहानिसबर्ग. टीम इंडिया को 1 रन की सनसनीखेज जीत दिलाने वाले तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल इस समय देश के हीरो बन गए हैं। मैच के 42वें ओवर में दो विकेट चटकाकर मुनाफ ने जीत को दक्षिण अफ्रीका के जबड़े से छीनकर भारत की झोली में डाल दिया।
29 पर चार विकेट का विजयी प्रदर्शन करने के लिए मुनाफ को मैन ऑफ द मैच अवार्ड से नवाजा गया। इस अवार्ड को पाने के बाद मुनाफ ने कहा, इस मैच में मेरे ऊपर अतिरिक्त दबाव था। मेरे गांव (इखर, गुजरात) के कुछ लोग इस मुकाबले को देखने यहां आए हुए हैं। यदि मैं वांडर्रस में परफार्म नहीं करता तो वो लोग मुझे नहीं छोड़ते। अब रात को उनके साथ ही जश्न मनेगा।
अपनी फिटनेस पर मुनाफ ने कहा, मैंने ट्रेनर रामजी के साथ मिलकर अपनी फिटनेस पर काम किया है और मेरी मेहनत मैदान पर रंग दिखा रही है। नेट में लगातार अभ्यास का मुझे फायदा मिला।
कुछ ऐसा था मुनाफ का वो एक ओवर
मैच के 41वें ओवर की समाप्ति के बाद दक्षिण अफ्रीका को 48 गेंदो में महज चार रन की जरूरत थी और उसके पास दो विकेट सुरक्षित थे। मोरने मोर्केल और वेयन पार्नेल क्रीज पर मोर्चा संभाले हुए थे। सबको लग रहा था कि भारत की जीत की कोई उम्मीद बाकी नहीं है।
लेकिन मुद्दतें लाख बुरा चाहें तो क्या होता है, वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अबतक के सबसे सफल और किफायती गेंदबाज रहे मुनाफ पटेल को गेंद थमाई। इसके बाद जो हुआ उसकी दास्तां कुछ इस प्रकार से थी-
पहली गेंद - पटेल की फुल लेंथ गेंद पर पार्नेल ने ऑन साइड की तरफ हल्का सा शॉट खेला और एक रन ले लिया।
दूसरी गेंद - मुनाफ ने गेंद की लेंथ में परिवर्तन करते हुए शॉर्ट पिच गेंद डाली। मोर्केल ने सोचा की एक चौका लगाकर मैच जीत लेंगे। लेकिन वो गेंद समझने में नाकाम रहे और प्वाइंट पर सचिन के स्थान पर फील्डिंग कर रहे यूसुफ पठान को कैच दे बैठे।
मोरने मोर्केल - 6 रन बनाकर आउट। द. अफ्रीका को जीत के लिए तीन रन की दरकार।
तीसरी गेंद - नए बल्लेबाज सोत्सोबे के खिलाफ मुनाफ ने पगबाधा की जोरदार अपील की। अंपायर ने ना में सिर हिलाया। कोई रन नहीं।
चौथी गेंद - पटेल की गेंद को सोत्सोबे ने थर्ड मैन की तरफ खेला और दौड़कर एक रन ले लिया। दर्शक दीर्घा में जोरदार तालियां बजीं। मेजबान जीत से दो रन दूर खड़ा था।
पांचवी गेंद - सभी की निगाहें पार्नेल पर और भारत की उम्मीदें गुजरात के तेज गेंदबाज पर। कोई रन नहीं।
छठी गेंद - कप्तान धोनी ने फील्डिंग में परिवर्तन कर प्वाइंट पर युवराज को तैनात किया। मुनाफ की गेंद पर चौका लगाने के प्रयास में पार्नेल युवी को कैच थमा बैठे, और भारत 1 रन से जीत गया।
दक्षिण अफ्रीका की पूरी टीम 188 रन पर सिमट गई थी।
29 पर चार विकेट का विजयी प्रदर्शन करने के लिए मुनाफ को मैन ऑफ द मैच अवार्ड से नवाजा गया। इस अवार्ड को पाने के बाद मुनाफ ने कहा, इस मैच में मेरे ऊपर अतिरिक्त दबाव था। मेरे गांव (इखर, गुजरात) के कुछ लोग इस मुकाबले को देखने यहां आए हुए हैं। यदि मैं वांडर्रस में परफार्म नहीं करता तो वो लोग मुझे नहीं छोड़ते। अब रात को उनके साथ ही जश्न मनेगा।
अपनी फिटनेस पर मुनाफ ने कहा, मैंने ट्रेनर रामजी के साथ मिलकर अपनी फिटनेस पर काम किया है और मेरी मेहनत मैदान पर रंग दिखा रही है। नेट में लगातार अभ्यास का मुझे फायदा मिला।
कुछ ऐसा था मुनाफ का वो एक ओवर
मैच के 41वें ओवर की समाप्ति के बाद दक्षिण अफ्रीका को 48 गेंदो में महज चार रन की जरूरत थी और उसके पास दो विकेट सुरक्षित थे। मोरने मोर्केल और वेयन पार्नेल क्रीज पर मोर्चा संभाले हुए थे। सबको लग रहा था कि भारत की जीत की कोई उम्मीद बाकी नहीं है।
लेकिन मुद्दतें लाख बुरा चाहें तो क्या होता है, वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अबतक के सबसे सफल और किफायती गेंदबाज रहे मुनाफ पटेल को गेंद थमाई। इसके बाद जो हुआ उसकी दास्तां कुछ इस प्रकार से थी-
पहली गेंद - पटेल की फुल लेंथ गेंद पर पार्नेल ने ऑन साइड की तरफ हल्का सा शॉट खेला और एक रन ले लिया।
दूसरी गेंद - मुनाफ ने गेंद की लेंथ में परिवर्तन करते हुए शॉर्ट पिच गेंद डाली। मोर्केल ने सोचा की एक चौका लगाकर मैच जीत लेंगे। लेकिन वो गेंद समझने में नाकाम रहे और प्वाइंट पर सचिन के स्थान पर फील्डिंग कर रहे यूसुफ पठान को कैच दे बैठे।
मोरने मोर्केल - 6 रन बनाकर आउट। द. अफ्रीका को जीत के लिए तीन रन की दरकार।
तीसरी गेंद - नए बल्लेबाज सोत्सोबे के खिलाफ मुनाफ ने पगबाधा की जोरदार अपील की। अंपायर ने ना में सिर हिलाया। कोई रन नहीं।
चौथी गेंद - पटेल की गेंद को सोत्सोबे ने थर्ड मैन की तरफ खेला और दौड़कर एक रन ले लिया। दर्शक दीर्घा में जोरदार तालियां बजीं। मेजबान जीत से दो रन दूर खड़ा था।
पांचवी गेंद - सभी की निगाहें पार्नेल पर और भारत की उम्मीदें गुजरात के तेज गेंदबाज पर। कोई रन नहीं।
छठी गेंद - कप्तान धोनी ने फील्डिंग में परिवर्तन कर प्वाइंट पर युवराज को तैनात किया। मुनाफ की गेंद पर चौका लगाने के प्रयास में पार्नेल युवी को कैच थमा बैठे, और भारत 1 रन से जीत गया।
दक्षिण अफ्रीका की पूरी टीम 188 रन पर सिमट गई थी।
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CRICKET
जहां बनाया था 438 का रिकार्ड, वहीं हुए 188 पर ढेर
नई दिल्ली. भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच पांच वनडे मैचों की श्रृंखला का दूसरा मुकाबला मेहमान ने 1 रन से जीत लिया। ये मुकाबला विश्व के सबसे करिश्माई मैदान वांडर्रस स्टेडियम में खेला गया था। इस मैदान पर मिली ये रोमांचक हार मेजबान टीम के साथ-साथ सभी क्रिकेटप्रेमियों को भी अजूबा लग रही होगी, क्योंकि ये वही पिच थी जिस पर 434 रन के लक्ष्य को हासिल कर दक्षिण अफ्रीका ने विश्व कीर्तिमान स्थापित किया था।
12 मार्च 2006 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए इस वनडे को हाल ही में आईसीसी ने क्रिकेट इतिहास का सबसे रोमांचक और लोकप्रिय मुकाबला घोषित किया था। 5 जनवरी को वनडे क्रिकेट की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर आईसीसी ने पब्लिक पोल करवाकर ये चयन किया था। 434 रन जैसे विशाल स्कोर को प्रोटीज टीम ने वांडर्रस के मैदान पर ही हासिल किया था।
आश्चर्य की बात ये है कि जहां दक्षिण अफ्रीका ने 434 रन की चुनौती के जवाब में एक गेंद शेष रहते ही 438 रन ठोक डाले थे, वहीं पर मेजबान टीम के लिए 190 रन का मामूली लक्ष्य भारी पड़ गया। शायद इसलिए क्रिकेट को अनिश्चितता का खेल कहा जाता है।
क्या था वांडर्रस का वंडर?
साल 2006 में 12 मार्च को दक्षिण अफ्रीका ने अपना नाम इतिहास में दर्ज करवाया था। पहले ऑस्ट्रेलिया ने वनडे इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर खड़ा किया था। सलामी बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट और साइमन कैटिच के अर्धशतकों के बाद कप्तान रिकी पोंटिंग ने धुआंधार 164 रन की शतकीय पारी खेलकर 434 रन के विशाल स्कोर की नींव रखी थी। पोंटिंग ने महज 105 गेंदों में 13 चौकों और 9 छक्कों की मदद से 164 रन बनाए थे। माइक हसी ने भी आतिशी अर्धशतक जमाया था।
इसके जवाब में दक्षिण अफ्रीकी कप्तान ग्रीम स्मिथ ने टीम को हर्शेल गिब्स के साथ मिलकर तेज शुरुआत दी थी। स्मिथ ने 55 गेंदों में 2 छक्के और 13 चौकों की मदद से 90 रन बनाए थे। हर्शेल गिब्स का बल्ला भी उस दिन जैसे रन मशीन बन गया था। गिब्स ने 111 गेंदों में 21 चौके और 7 छक्के लगाकर 175 रन ठोके थे।
दक्षिण अफ्रीका ये मुकाबला 1 विकेट से जीता था। इस मैच का फैसला दूसरी पारी के अंतिम ओवर की पांचवी गेंद पर आया था। जिस मैदान पर दक्षिण अफ्रीका ने ऐतिहासिक मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया पर 1 विकेट से जीत दर्ज की थी, उसी वांडर्रस पर भारत ने मेजबान को 1 रन से धूल चटा दी।
12 मार्च 2006 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए इस वनडे को हाल ही में आईसीसी ने क्रिकेट इतिहास का सबसे रोमांचक और लोकप्रिय मुकाबला घोषित किया था। 5 जनवरी को वनडे क्रिकेट की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर आईसीसी ने पब्लिक पोल करवाकर ये चयन किया था। 434 रन जैसे विशाल स्कोर को प्रोटीज टीम ने वांडर्रस के मैदान पर ही हासिल किया था।
आश्चर्य की बात ये है कि जहां दक्षिण अफ्रीका ने 434 रन की चुनौती के जवाब में एक गेंद शेष रहते ही 438 रन ठोक डाले थे, वहीं पर मेजबान टीम के लिए 190 रन का मामूली लक्ष्य भारी पड़ गया। शायद इसलिए क्रिकेट को अनिश्चितता का खेल कहा जाता है।
क्या था वांडर्रस का वंडर?
साल 2006 में 12 मार्च को दक्षिण अफ्रीका ने अपना नाम इतिहास में दर्ज करवाया था। पहले ऑस्ट्रेलिया ने वनडे इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर खड़ा किया था। सलामी बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट और साइमन कैटिच के अर्धशतकों के बाद कप्तान रिकी पोंटिंग ने धुआंधार 164 रन की शतकीय पारी खेलकर 434 रन के विशाल स्कोर की नींव रखी थी। पोंटिंग ने महज 105 गेंदों में 13 चौकों और 9 छक्कों की मदद से 164 रन बनाए थे। माइक हसी ने भी आतिशी अर्धशतक जमाया था।
इसके जवाब में दक्षिण अफ्रीकी कप्तान ग्रीम स्मिथ ने टीम को हर्शेल गिब्स के साथ मिलकर तेज शुरुआत दी थी। स्मिथ ने 55 गेंदों में 2 छक्के और 13 चौकों की मदद से 90 रन बनाए थे। हर्शेल गिब्स का बल्ला भी उस दिन जैसे रन मशीन बन गया था। गिब्स ने 111 गेंदों में 21 चौके और 7 छक्के लगाकर 175 रन ठोके थे।
दक्षिण अफ्रीका ये मुकाबला 1 विकेट से जीता था। इस मैच का फैसला दूसरी पारी के अंतिम ओवर की पांचवी गेंद पर आया था। जिस मैदान पर दक्षिण अफ्रीका ने ऐतिहासिक मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया पर 1 विकेट से जीत दर्ज की थी, उसी वांडर्रस पर भारत ने मेजबान को 1 रन से धूल चटा दी।
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