Jan 20, 2011

अब तक की सबसे अच्छी भारतीय फिल्म है 'धोबी घाट'-राहुल बोस फिल्मकार

अलग तरह की भूमिकाएं निभाने के लिए मशहूर अभिनेता राहुल बोस फिल्मकार किरण राव के निर्देशन में बनी पहली फिल्म 'धोबी घाट' की प्रशंसा करते हुए नहीं थकते। वह इस फिल्म को विश्व-स्तरीय बताते हैं।

बोस ने ट्विटर पर लिखा है, "एक निजी प्रदर्शन में 'धोबी घाट' देखी। मैं किरण राव को नमन करता हूं, मेरे द्वारा अब तक देखी गई फिल्मों में से सबसे अच्छी भारतीय फिल्मों में यह शामिल है। यदि हम वाकई भारतीय सिनेमा में वास्तविक सिनेमा खोजें तो हमारी खोज मार्मिक और दिल को छू लेने वाली फिल्म 'धोबी घाट' पर आकर खत्म हो जाती है।"

आमिर खान के निर्माण में बनी 'धोबी घाट' शुक्रवार को प्रदर्शित होने जा रही है। इसमें आमिर के अलावा प्रतीक बब्बर, कृति मल्होत्रा और मोनिका डोगरा ने अभिनय किया है।

बोस ने 'धोबी घाट' में अभिनय के लिए प्रतीक, मोनिका, कृति व आमिर की सराहना की है। उन्होंने फिल्म का सम्पादन और संगीत भी बेहतरीन बताया है।

आपकी बात

आमिर खान की होम प्रोडक्‍शन फिल्‍म ‘धोबीघाट’ शुक्रवार को रिलीज होने वाली है। कई जानकार इसे उम्‍दा फिल्‍म मान रहे हैं तो कई इसकी आलोचना भी कर रहे हैं। आपकी नजर में कैसी होगी यह फिल्‍म, अपनी राय जाहिर करें। आप यह भी बता सकते हैं कि ‘घोबीघाट’ आप क्‍यों देखना चाहेंगे- क्‍योंकि यह आमिर खान की फिल्म है

या फिर आमिर की पत्नी ने कैसा डायरेक्शन किया है

रिव्यू पढ़ कर या दोस्तों से पूछकर तय करेंगे

सीरियस फिल्म हो सकती है, नहीं देखेंगे

हीरो-हीरोइन की नई जोड़ी है, देखेंगे

इसके लिए आप नीचे ‘आपका मत’ सेक्‍शन में जाकर वोट भी कर सकते हैं...

Jan 19, 2011

काली कमाई जमा करने वाले भारतीयों के नाम सामने आए!

नई दिल्ली. स्विस बैंक में काला धन जमा करने वाले खाताधारकों के नाम सामने शुरू हो गए हैं। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियां-अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के अलावा असद अली खान और जाहिदा अली खान के नाम सामने आ रहे हैं। हालांकि, इन नामों का खुलासा करने वाले एक निजी चैनल ने साफ कहा कि वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि सामने आ रहे खाताधारकों के नाम सही हैं या नहीं या फिर इनका भारत से कोई संबंध है या नहीं।

मीडिया में आ रही खबरों में कहा जा रहा है कि अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियों के अलावा जाहिदा और असद के नाम से स्विट्जरलैंड के जूलियस बाएर बैंक एंड ट्रस्ट लिमिटेड नाम के बैंक में खाते हैं। अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल के नाम से जूलियस बेयर बैंक में करीब ३. ८३ अरब रुपये और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के नाम ४४.६५ करोड़ रुपये स्विस बैंक में जमा हैं। रुडोल्फ एलमर ने दो हजार नामों की सूची वाली दो सीडी विकीलीक्स वेबसाइट के संस्थापक जूलियन असांजे को सौंपी है। माना जा रहा है कि इस सूची में अमेरिका, ब्रिटेन और एशिया के काफी लोगों के नाम हैं।

इस बारे में एलमर ने एक निजी चैनल से कहा कि जूलियस बाएर बैंक का भारत में बड़ा कारोबार है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जूलियस बाएर के मालिक का भारत में अच्छा खासा कारोबार है। उन्होंने तो असल में भारत में कुछ निवेश मैनेजर भी नियुक्त किए हैं जिनका मकसद भारत से पैसा जुटाना है।'

राजनीतिक सरगर्मी तेज
विकीलीक्स के हाथ स्विस बैंक के खाताधारकों की सूची जब से लगी तब से देश के राजनीतिक हलकों में खासी हलचल है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार से मांग की है कि स्विस बैंकों में पैसा जमा कराने वाले सभी लोगों के नाम उजागर किए जाएं। बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने उम्मीद जताई कि इस बारे में सुप्रीम में याचिका की सुनवाई के बाद सरकार को स्विस बैंकों से पैसा वापस लाना होगा। सीपीएम ने भी एक बयान जारी कर खाता धारकों के नाम उजागर करने की मांग की। वहीं, कांग्रेस ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, उस पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नामों को सार्वजनिक किए जाने के मामले में बुधवार को एक बार फिर सरकार की जमकर खिंचाई की। सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने अदालत को सभी जरूरी सूचनाएं मुहैया करा दी हैं। लेकिन अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले में सिर्फ अच्‍छी अच्‍छी बातें कर रही है जबकि यह मसला सीधे तौर पर कर चोरी से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि सभी देशों के सभी बैंकों की सूचनाएं जरूरी हैं। अदालत ने यहां तक कह दिया कि देश को लूटा जा रहा है।

एलमर के खिलाफ आज सुनवाई
बैंक की गोपनियता भंग करने के आरोपों का सामना कर रहे एलमर के खिलाफ स्विट्जरलैंड की एक अदालत में बुधवार को सुनवाई है। एलमर को जूलियस बाएर बैंक ने 2002 में नौकरी से निकाल दिया था।

भारत की जीडीपी से ज़्यादा धन छुपा है स्विस बैंक में
इस बैंक में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर ( करीब ७१ लाख करोड़ रुपये) के जमा होने की जानकारी सामने आ रही है जबकि भारत का सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) 50 से 55 लाख करोड़ रुपये के बीच है।

सत्यता जांचने के बाद सामने लाएंगे नाम
एल्‍मर ने विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को दो हजार स्विस खाताधारकों की सीडी तो सौंप दी है लेकिन अंसाजे ने कहा है कि इन दस्‍तावेजों की सत्‍यता जांचने के बाद जल्‍द ही वह इसे दुनिया के सामने लाएंगे। असांजे इन नामों का खुलासा किसी वक्‍त कर सकते हैं। इन सीडी में करीब 40 राजनेताओं और बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों के प्रमुखों के गोपनीय खातों की जानकारी है। ऐसी खबर है कि इन दस्तावेज में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर के जमा होने की जानकारी हो सकती है। इसमें कई भारतीयों के भी नाम हो सकते हैं।

आपकी राय
तो क्‍या अब तक छुपा स्विस बैंक में जमा भारतीयों की काली कमाई का सच सामने आ जाएगा? उन बड़े लोगों के नाम जगजाहिर हो जाएंगे, जिनके बारे में कहा जाता रहा है कि उन्‍होंने स्विस बैंक को अपनी तिजोरी बना रखी है? क्या बड़ी भारतीय कंपनियों, नेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों के बेनकाब होने का वक्‍त आ गया है? अगर ये बेनकाब हो भी गए तो क्‍या भारत सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई कर पाएगी? काली कमाई का यह पैसा सरकार अपने खजाने में वापस ला पाएगी? खबर पढ़ कर आपके दिमाग में भी ये सवाल जरूर उठ रहे होंगे। साथ ही, इनके जवाब भी आपके दिमाग में होंगे। आप अपने जवाब और सवाल भी, दुनिया भर के पाठकों से साझा कर सकते हैं। नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी बात लिख कर सबमिट करें:

ये हैं देश के बड़े पांच घोटाले जिनसे मचा सियासी तूफान

वर्ल्ड कप के लिए पाकिस्तानी टीम घोषित, कप्तान के नाम का खुलासा नहीं

कराची. पाकिस्तान ने 19 फरवरी से भारतीय उपमहाद्वीप में होने वाले विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए अपनी 15 सदस्यीय टीम की घोषणा कर दी लेकिन कप्तान के नाम का खुलासा नहीं किया। पूर्व कप्तान मोहम्मद यूसुफ को इस टीम में जगह नहीं मिली है।

शाहिद आफरीदी की कप्तानी में न्यूजीलैंड में छह एकदिवसीय मैचों की श्रृंखला खेल रही पाकिस्तानी टीम के सभी खिलाड़ियों को विश्व कप टीम में बरकरार रखा गया है। अनुभवी तेज गेंदबाज रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख्तर को पेस आक्रमण की कमान सौंपी गयी है जबकि उमर गुल, सोहेल तनवीर और वहाब रियाज की तिकड़ी उनका साथ देगी।

तीन विश्व कप खेल चुके यूसुफ ने उन्हें टीम में शामिल नहीं किये जाने पर आश्चर्य जताते हुए चयनकर्ता इस फैसले की वजह बता सकते हैं। उन्होंने कहा, यह बेहद निराशाजनक है। मैं फिट हूं और लगातार घरेलू मैचों में खेल रहा हूं फिर भी मुझे इस बड़े टूर्नामेंट के लिए चुना नहीं गया। मेरे अंदर अभी काफी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बाकी है।

पाकिस्तानी टीम-

मोहम्मद हफीज, अहमद शहजाद, यूनुस खान, मिस्बाह उल हक, उमर अकमल, अशद शफीक. कामरान अकमल, शाहिद आफरीदी, अब्दुल रज्जाक, अब्दुल रहमान, सईद अजमल, शोएब अख्तर, उमर गुल, वहाब रियाज और सोहेल तनवीर।

Jan 16, 2011

SMS jocks

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किसी लड़की को छेड़ो, उसका हाथ पकड़ो, अगर वो थप्पड़ मारे तो कहो - "तुम पहले इम्तिहान में पास हो गई हो. मुझे ऐसी ही शरीफ लड़की चाहिए थी."

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डॉ. संता मरीज बंता की जांच करने के बाद बोले- आप मन से सोचिए कि मैं अच्छा हो रहा हूं। आप सचमुच ठीक हो जाएंगे। मरीज बंता- ठीक है, अब मैं चलता हूं। डॉ. संता- अरे, पर मेरी फीस? मरीज बंता- आप भी मन में सोच लीजिए, आपकी फीस मिल जाएगी।

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एक स्कूल फंक्शन में केजी क्लास का एक लड़का अपने कान बंद करके बैठा हुआ था। जब उसे पूछा गया तो उसने कहा कि मेरी गर्ल फ्रेंड स्पीच देने वाली है और वाह अपनी स्पीच की शुरुआत में कहती है My Dear Brothers n Sisters :-)

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वीरू: गब्बर अगर तेरी मां ठाकुर को राखी बांध दे तो वो तेरा क्या लगेगा। गब्बर: कुछ नहीं। वीरू: कैसे? गब्बर: उसके हाथ तो मैंने लेलिए न। राखी बंधेगी कहां।

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पत्नी पति से: मेरी तो कोई औलाद नहीं है इसलिए सोचती हूं की अपनी सारी जायदात किसी साधू के नाम कर दूं। यह सुनकर पति उठकर जाने लगा। पत्नी: तुम कहां जा रहे हो पति: साधू बनने।

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एक युवक की सुपमार्केट में नौकरी लगी। नौकरी के पहले दिन मैनेजर ने उसे बुलाया और उससे हाथ मिलाया। हाथ मिलाने के बाद मैनेजर ने युवक को झाड़ू पकड़ा दी और स्टोर में झाड़ू लगाने को कहा। युवक इस पर नाराज होते हुए बोला सर मैं ग्रेजुएट हूं । झाड़ू कैसे लगाऊं। मैनेजर ने कहा, माफ करना, मुझे पता नहीं था। लाओ झाड़ू मुझे दो...मैं तुम्हें सिखा दूं।

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संता अपने जिगरी दोस्त बंता से- यार, कल एक ख़ूबसूरत लड़की से मेरी मुलाक़ात हुई। वह इतनी सुंदर थी कि मैं दीवाना हो गया और उससे आई लव यू कह दिया। बंता- बहुत दिलेरी दिखाई यार, वैसे लड़की ने क्या कहा? संता- लड़की बोली- मेरी चप्पल का साइज़ पता है क्या? बंता- हूं.. इन लड़कियों के साथ यही दि़क्क़त है। ज़रा सी जान-पहचान हुई नहीं कि तोहफ़ा मांगना शुरू कर देती हैं।

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बाप बेटे से- नालायक तुमने कभी अपनी कोई बुक खोल के पढ़ी है बेटा- हां पिता जी एक बुक रोज खोलता हूं। बाप: कौन सी। बेटा: फेसबुक

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अगर कोई अच्छा सा मैसेज हो तो जल्दी से उसे पेपर पर लिखकर संदूक में बंद कर दो कहीं गलती से भी सेंड न हो जाए। कनजूस

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रमन डॉक्टर के सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला- मेरी बीवी पिछले छह घंटे से एकदम खामोश है। मैं क्या करूं? कुछ समझ में नहीं आ रहा है। आप ही कुछ उपए बताएं। डॉक्टर ने कहा तो तुम मेरे पास क्यों आए हो तुम्हें तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड वालों से संपर्क करना चाहिए।

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मैंने आपको फोन किया तो आपका नेटवर्क बोला, नमस्कार, मूर्खो की दुनिया में आपका स्वागत है, आप जिस मूर्ख से इस वक्त बात करना चाहते हैं उसका दिमाग इस वक्त आउट ऑफ कवरेज है

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आपके दिल में बस जाएंगे एसएमएस की तरह, दिल में बजेंगे रिंगटोन की तरह, दोस्ती कम नहीं होगी बैलेंस की तरह,सिर्फ आप बिजी न रहें नेटवर्क की तरह

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अगर अपने दिमाग को टेस्ट करना हो तो उसको गाय के आगे रख दो। अगर वह दूर जाती है तो समझ लो गोबर है और अगर पास आती है तो समझ लो भूसा है।

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अर्ज करता हूं दबंग के प्यार में मुन्नी हुई दीवानी दबंग के प्यार में मुन्नी हुई दीवानी मुन्नी हो गई पुरानी क्योंकि अब आगई शीला की जवानी

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भिखारी: साहब एक रुपए दे दो.. साहब: तुम्हे शर्म नहीं आती क्या रोड पर खड़े हो कर भीख मांग रहे हो। भिखारी: अबे तेरे एक रुपए के लिए ऑफिस खोलूं क्या?

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एक युवक की सुपमार्केट में नौकरी लगी। नौकरी के पहले दिन मैनेजर ने उसे बुलाया और उससे हाथ मिलाया। हाथ मिलाने के बाद मैनेजर ने युवक को झाड़ू पकड़ा दी और स्टोर में झाड़ू लगाने को कहा। युवक इस पर नाराज होते हुए बोला सर मैं ग्रेजुएट हूं । झाड़ू कैसे लगाऊं। मैनेजर ने कहा, माफ करना, मुझे पता नहीं था। लाओ झाड़ू मुझे दो...मैं तुम्हें सिखा दूं।

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दसवीं का छात्र बोला: यार मैं इस बार के पेपर में फेल होना चाहता हूं। दोस्त: क्यों यार? छात्र: अरे यार पापा ने एक शर्त रखी है। दोस्त: क्या? छात्र: पापा ने कहा है कि अगर मैं फस्र्ट आया तो विज्ञान दिलवा देंगे अगर सेकण्ड आया तो आर्ट्स और अगर फेल हो गया तो शादी करवा देंगे।

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पति और पत्नी साथ घूमने गए। रास्ते में एक गधे को घास खाता देख पत्नी पति से बोली ओ,जी देखो आपका रिश्तेदार घास खा रहा है। नमस्ते करो पति:नमस्ते ससुर जी।

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पत्नी पति से: मेरी तो कोई औलाद नहीं है इसलिए सोचती हूं की अपनी सारी जायदात किसी साधू के नाम कर दूं। यह सुनकर पति उठकर जाने लगा। पत्नी: तुम कहां जा रहे हो पति: साधू बनने।

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डॉक्टर ने कहा: संता बच्चे को पानी पिलाने से पहले उबाल लेना। संता: जी डॉक्टर, वो तो सही है पर उबालने के बाद बच्चा मर तो नहीं जाएगा।

इन्फोसिस को दुनिया की सबसे चर्चित और बड़ी कंपनियों में शुमार करा देने वाले नारायण मूर्ति

शून्य से शुरुआत करके इन्फोसिस को दुनिया की सबसे चर्चित और बड़ी कंपनियों में शुमार करा देने वाले नारायण मूर्ति कुशल नेतृत्व और श्रेष्ठ सोच की मिसाल हैं। स्पष्टता उनका सबसे बड़ा औजार है। मनीषा पांडेय से हुई बातचीत के प्रस्तुत अंशों में वे बता रहे हैं जीवन में विजन की महत्ता, अपनी निजी विचारधारा, बड़े लीडर के गुण और हमारे भौतिक समय में धन के प्रति नजरिए के बारे में..

किसी बड़े काम या बड़े उद्यम की सफलता के पीछे बड़ी दृष्टि या विजन होता है। वह दृष्टि क्या है? वह कौन सी सोच, विचार और व्यक्तित्व का गुण होता है, जिससे मिलकर एक बड़ा विजन तैयार होता है?
दरअसल दृष्टि, विचार और सोच, ये सारी बातें आपस में गुंथी हुई हैं। आमतौर पर लोग कहेंगे कि बड़ी और दूर तक सोच पाने की क्षमता से ही बड़ा विजन बनता है, लेकिन यह बात अधूरी है। बुनियादी रूप से बड़ा विजन आता है सबकी बेहतरी और तरक्की की बात सोचने से। अपने हर कदम के बारे में यह सोचने से कि इससे किसको लाभ होगा। अगर कोई कदम अपने निजी हितों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, तो उसके पीछे बड़ा विजन नहीं हो सकता। बड़े विजन का फलक बड़ा होता है और वह सामूहिक हितों और उन्नति की बात सोचता है।

क्या दृष्टि की संकीर्णता की वजह से ही हम कोई बड़ा स्वप्न देख और साकार नहीं कर पाते?
ऐसा नहीं है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमने बड़े सपने नहीं देखे और उन सपनों को पूरा नहीं किया, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। पूरी दुनिया में जहां भी शून्य से कोई बड़ी चीज खड़ी हुई, जिसके बारे में बहुतों का यह विश्वास था कि यह नामुमकिन है, तो निश्चित ही उस चीज की सफलता के पीछे बड़ा और सामूहिक हितों का विजन ही था।

सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की जो बात आप कर रहे हैं, वह किस तरह मुमकिन है। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आप कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक थे। लेकिन आपने निजी उद्यम का रास्ता चुना। क्यों?
जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी हुईं कि जिनके बाद से कम्युनिज्म पर से मेरा विश्वास उठ गया और मुझे महसूस हुआ कि बहुत बड़े पैमाने पर उद्यम खड़े करके और ढेरों नौकरियां पैदा करके ही गरीबी को खत्म किया जा सकता है। देखिए, पूंजीवाद कोई बुरी या अनैतिक चीज नहीं है। हमारी दिक्कत यह है कि हमारे यहां मूल्यविहीन पूंजीवाद है। हम सारी नैतिकता और सबकी बेहतरी के मूल्यों से परे निजी हितों के बारे में सोचते हैं। अगर हम नैतिक ढंग से और ईमानदारी से काम करें, तो पूंजीवाद के रास्ते ही बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।

लेकिन उसमें तो कुछ लोग हमेशा दोयम दर्जे के श्रमिक की ही भूमिका में होंगे?
पूंजीवाद में नहीं, अनैतिक, गैर-ईमानदार पूंजीवाद में होंगे। बड़े उद्यमी और स्वप्नदर्शी का यही तो दायित्व है कि वह सबको यह भरोसा दिला सके कि यह सामूहिक श्रम है, सबके हितों के लिए किया जा रहा श्रम है। उन्हें बेहतर भविष्य की उम्मीद दे सके, यह विश्वास पैदा करके अपने कार्यस्थल पर एक निर्भय वातावरण बना सकें। कोई भी उद्यम जन के लिए, जन के द्वारा और जन का उद्यम हो।

एक बड़े लीडर में क्या गुण होने चाहिए?
बड़ा लीडर वह होता है, जो बड़ा सोचता है और सबको साथ लेकर चलता है। बड़ा लीडर वह है, जिसके कदम और फैसलों पर लोग भरोसा करें। लोगों को यह विश्वास हो कि वह उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है, न कि अपना उल्लू सीधा करने के लिए। जो उन लोगों जैसा ही सीधा, सरल और साधारण जीवन जिए, जिनके लिए वह काम कर रहा है। जिसके साथ लोग स्वयं को एकाकार महसूस कर सकें। बड़े काम में अनगिनत लोगों का श्रम और मेधा शामिल होते हैं। और लीडर ऐसा होना चाहिए, जिसकी एक आवाज पर वे अनगिनत लोग उसके पीछे चल पड़ें। वे उसका हाथ बन जाएं। उसके श्रम में शामिल हो जाएं।

क्या आपको ऐसा लीडर नजर आता है?
मौजूदा समय में निश्चित ही ऐसा कोई शख्स हमारे आसपास मौजूद नहीं है। लेकिन इतिहास में एक ऐसा शख्स हुआ है, जिसकी एक पुकार ही असंख्य लोगों को साथ बुलाने के लिए काफी थी। महात्मा गांधी ऐसे ही लीडर थे।

एक और महत्वपूर्ण सवाल, धन-संपत्ति के प्रति हमारा दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?
आज जिस तरह से पूरी दुनिया सफलता के पीछे भाग रही है, और वह सफलता भी सिर्फ भौतिक सफलता के अर्थो में है, यह सचमुच बहुत चिंतनीय है। दरअसल धन अपने आप में कोई बुरी चीज नहीं है। असल मुद्दा है उसके प्रति आपके नजरिए का। वह जीवन के लिए जरूरी है, लेकिन क्या जीवन की हर गति सिर्फ धन के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है! क्या हमें प्रेम, रिश्तों, भावनाओं, सकारात्मक ऊर्जा और रचनात्मक सपनों की कोई जरूरत नहीं! इन चीजों का धन से मोल कैसे आंकेंगे? लेकिन विडंबना देखिए कि आंका जा रहा है। सबकुछ जांचने-परखने का एक ही पैमाना बन गया है - धन। विज्ञान, तकनीक जैसी चीजें, जो मानवता के लिए बड़ा सृजन कर सकती हैं, का इस्तेमाल भी सिर्फ भौतिक विकास के लिए किया जा रहा है। ऐसे युवा नहीं मिलते, जो विज्ञान इसलिए पढ़ रहे हैं, क्योंकि यह उनका पैशन है। वे इसके और भीतर घुसना चाहते हैं, कुछ बड़ा रचना चाहते हैं। वे विज्ञान इसलिए पढ़ते हैं, क्योंकि उन्हें ऊंची तनख्वाहों वाली नौकरी मिलेगी। धन से संचालित ये लोग विज्ञान के नियम रट लेने वाली मशीन हैं, वे असल वैज्ञानिक नहीं हो सकते। वे दूसरों के खोजे नियमों और उनके आविष्कारों को अप्लाय तो कर सकते हैं, लेकिन वे खुद बड़े आविष्कार नहीं कर सकते।

एन.आर.नारायणमूर्ति
जन्म- 20 अगस्त 1946 कानपुर आईआईटी से पोस्ट ग्रेजुएट। इन्फोसिस के संस्थापक।