नई दिल्ली. स्विस बैंक में काला धन जमा करने वाले खाताधारकों के नाम सामने शुरू हो गए हैं। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियां-अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के अलावा असद अली खान और जाहिदा अली खान के नाम सामने आ रहे हैं। हालांकि, इन नामों का खुलासा करने वाले एक निजी चैनल ने साफ कहा कि वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि सामने आ रहे खाताधारकों के नाम सही हैं या नहीं या फिर इनका भारत से कोई संबंध है या नहीं।
मीडिया में आ रही खबरों में कहा जा रहा है कि अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियों के अलावा जाहिदा और असद के नाम से स्विट्जरलैंड के जूलियस बाएर बैंक एंड ट्रस्ट लिमिटेड नाम के बैंक में खाते हैं। अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल के नाम से जूलियस बेयर बैंक में करीब ३. ८३ अरब रुपये और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के नाम ४४.६५ करोड़ रुपये स्विस बैंक में जमा हैं। रुडोल्फ एलमर ने दो हजार नामों की सूची वाली दो सीडी विकीलीक्स वेबसाइट के संस्थापक जूलियन असांजे को सौंपी है। माना जा रहा है कि इस सूची में अमेरिका, ब्रिटेन और एशिया के काफी लोगों के नाम हैं।
इस बारे में एलमर ने एक निजी चैनल से कहा कि जूलियस बाएर बैंक का भारत में बड़ा कारोबार है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जूलियस बाएर के मालिक का भारत में अच्छा खासा कारोबार है। उन्होंने तो असल में भारत में कुछ निवेश मैनेजर भी नियुक्त किए हैं जिनका मकसद भारत से पैसा जुटाना है।'
राजनीतिक सरगर्मी तेज
विकीलीक्स के हाथ स्विस बैंक के खाताधारकों की सूची जब से लगी तब से देश के राजनीतिक हलकों में खासी हलचल है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार से मांग की है कि स्विस बैंकों में पैसा जमा कराने वाले सभी लोगों के नाम उजागर किए जाएं। बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने उम्मीद जताई कि इस बारे में सुप्रीम में याचिका की सुनवाई के बाद सरकार को स्विस बैंकों से पैसा वापस लाना होगा। सीपीएम ने भी एक बयान जारी कर खाता धारकों के नाम उजागर करने की मांग की। वहीं, कांग्रेस ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, उस पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नामों को सार्वजनिक किए जाने के मामले में बुधवार को एक बार फिर सरकार की जमकर खिंचाई की। सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने अदालत को सभी जरूरी सूचनाएं मुहैया करा दी हैं। लेकिन अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले में सिर्फ अच्छी अच्छी बातें कर रही है जबकि यह मसला सीधे तौर पर कर चोरी से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि सभी देशों के सभी बैंकों की सूचनाएं जरूरी हैं। अदालत ने यहां तक कह दिया कि देश को लूटा जा रहा है।
एलमर के खिलाफ आज सुनवाई
बैंक की गोपनियता भंग करने के आरोपों का सामना कर रहे एलमर के खिलाफ स्विट्जरलैंड की एक अदालत में बुधवार को सुनवाई है। एलमर को जूलियस बाएर बैंक ने 2002 में नौकरी से निकाल दिया था।
भारत की जीडीपी से ज़्यादा धन छुपा है स्विस बैंक में
इस बैंक में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर ( करीब ७१ लाख करोड़ रुपये) के जमा होने की जानकारी सामने आ रही है जबकि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 50 से 55 लाख करोड़ रुपये के बीच है।
सत्यता जांचने के बाद सामने लाएंगे नाम
एल्मर ने विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को दो हजार स्विस खाताधारकों की सीडी तो सौंप दी है लेकिन अंसाजे ने कहा है कि इन दस्तावेजों की सत्यता जांचने के बाद जल्द ही वह इसे दुनिया के सामने लाएंगे। असांजे इन नामों का खुलासा किसी वक्त कर सकते हैं। इन सीडी में करीब 40 राजनेताओं और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रमुखों के गोपनीय खातों की जानकारी है। ऐसी खबर है कि इन दस्तावेज में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर के जमा होने की जानकारी हो सकती है। इसमें कई भारतीयों के भी नाम हो सकते हैं।
आपकी राय
तो क्या अब तक छुपा स्विस बैंक में जमा भारतीयों की काली कमाई का सच सामने आ जाएगा? उन बड़े लोगों के नाम जगजाहिर हो जाएंगे, जिनके बारे में कहा जाता रहा है कि उन्होंने स्विस बैंक को अपनी तिजोरी बना रखी है? क्या बड़ी भारतीय कंपनियों, नेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों के बेनकाब होने का वक्त आ गया है? अगर ये बेनकाब हो भी गए तो क्या भारत सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई कर पाएगी? काली कमाई का यह पैसा सरकार अपने खजाने में वापस ला पाएगी? खबर पढ़ कर आपके दिमाग में भी ये सवाल जरूर उठ रहे होंगे। साथ ही, इनके जवाब भी आपके दिमाग में होंगे। आप अपने जवाब और सवाल भी, दुनिया भर के पाठकों से साझा कर सकते हैं। नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी बात लिख कर सबमिट करें:
ये हैं देश के बड़े पांच घोटाले जिनसे मचा सियासी तूफान
"...तो क्या अब तक छुपा स्विस बैंक में जमा भारतीयों की काली कमाई का सच सामने आ जाएगा?..."
ReplyDeleteसंभवतः कभी नहीं. बहुत सी स्विस बैंकें हैं, और जो एक्सपोज हो रहा है वो एक प्रतिशत भी न हो!