Mar 2, 2011

जानिए क्या होता है आयकर धारा 80जी

आयकर की धारा 80 जी के तहत कोई भी व्यक्ति किसी फंड्स या चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन को दिए गए दान पर कर का छूट ले सकता है। ऐसे मामले में सिर्फ एक ही शर्त है कि आप जिस संस्था का यह दान देते हैं वह सरकार के पास रजिस्टर्ड जरूर हो। ऐसे दान में रकम की कोई नहीं है। हालांकि कर छूट का लाभ केवल कुल दान की रकम के दस फीसदी हिस्से तक ही लिया जा सकता है। आयकर की धारा 80 जी के तहत लाभ लेने के लिए आपको दान की रसीद भी जारी करना पड़ता है। आयकर की धारा 80 की अलग-अलग उपधाराओं में आयकर में छूट मिलता है। इनमें बच्चों की शिक्षा, यूलिप या इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत अदा किया गया प्रीमियम भी है। इसके अलावा मेडिकल इंश्योरेंस में अदा किए गए प्रीमियम पर आय कर में छूट क्लेम कर सकते हैं। हालांकि इंश्योरेंस प्रीमियम की रसीदें आयकर कटौती ब्योरे में शामिल करना बेहद जरूरी होता है। बच्चों की फीस में सिर्फ ट्यूशन फीस पर आयकर में छूट मिलती है।

नाम और शोहरत दिलाती है हाथ में बनी 'यह रेखा'

आप कितने अमीर हैं... या कितने भाग्यशाली हैं... या सफलता के किस शिखर तक आप पहुंचेंगे... इन प्रश्नों के उत्तर भी आपके हाथों की लकीरों में लिखा हैं। वैसे तो काफी कुछ भाग्य रेखा पर निर्भर करता है परंतु सूर्य रेखा भी भाग्य रेखा के साथ अच्छी स्थिति में हो तो वह व्यक्ति सफलता के नए आयाम स्थापित करता है। कहां होती हैं सूर्य रेखा? ज्योतिष शस्त्र के अनुसार सूर्य रेखा व्यक्ति के यश, गौरव, मान-सम्मान, प्रसिद्धि को दर्शाती है। यह रेखा सभी के हाथों में नहीं होती, गरीबों के हाथों में तो होती ही नहीं है। सूर्य रेखा जीवन रेखा या भाग्य रेखा या चंद्र क्षेत्र या मस्तिष्क रेखा या मंगल क्षेत्र (हथेली के मध्य क्षेत्र को मंगल क्षेत्र कहते हैं) से शुरू होकर अनामिका (रिंग फिंगर) तक जाती है। यह रेखा जिसके हाथ में होती है वह व्यक्ति कलाप्रेमी होता है और खूब यश और मान-सम्मान प्राप्त करता है। - यदि सूर्य रेखा जीवन रेखा से प्रारंभ हो तो व्यक्ति सुदंरता की पूजा करने वाला होता है। अन्य रेखाएं दोष रहित तो व्यक्ति कला के क्षेत्र में यश प्राप्त करता है। - यदि यह रेखा भाग्य रेखा से प्रारंभ हो तो व्यक्ति राजा के समान सुख प्राप्त करता है। - यदि सूर्य रेखा चंद्र क्षेत्र से शुरू हो तो वह व्यक्ति सफलता अन्य लोगों की मदद से प्राप्त करता है। साथ मस्तिष्क रेखा चंद्र क्षेत्र की ओर झुकी हो तो व्यक्ति लेखन के क्षेत्र में नाम और पैसा कमाता है। - यह रेखा हथेली के प्रारंभ से जितनी दूरी से शुरू होती है व्यक्ति को यश और मान-सम्मान उतनी ही अधिक आयु के बाद प्राप्त होता है। - यह रेखा एकदम स्पष्ट हो तो व्यक्ति काफी संवेदनशील होता है। - सूर्य क्षेत्र (अनामिका उंगली के नीचे का क्षेत्र) पर अधिक रेखाएं हो तो व्यक्ति कलाप्रिय होता है और कई योजनाएं बनाता है सभी योजनाओं पर ठीक से कार्य नहीं कर पाता। - सूर्य रेखा ना होने पर व्यक्ति बहुत मेहनत करता है परंतु उसे यश प्राप्त नहीं हो पाता और ऐसा व्यक्ति हमेशा अपेक्षित सम्मान के लिए तरसता रहता है। - सूर्य रेखा वाला व्यक्ति प्रसन्नचित और उत्साही होता है।

कॉम्बीफ्लेम सहित 6 दवाओं की बिक्री पर बैन

जयपुर. औषधि नियंत्रक विभाग ने एक आदेश जारी कर निर्धारित मापदंडो पर खरा नहीं उतरने पर कॉम्बीफ्लेम, कायनिम, रेस्ट पी, बिसकोडिल, डेनिम पी, आईबूफेम की बिक्री पर प्रतिबंध किया है। औषधि एवं प्रसारण साम्रगी अधिनियम 1940 के तहत इनकी बिक्री पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगाया है। निर्माता साईकेम लेबोरेट्री प्राइवेट लिमिटेड गेगरेट की औषधि रेस्ट पी (नीमुस्लाइड व पेरासिटामोल टेबलेट बैच नंबर टी 174) का सैंपल राजकीय विश्लेषण प्रयोगशाला द्वारा अवमानक घोषित किया गया है। इसमें पेरासिटामोल की मात्रा 66 प्रतिशत मिली। औषधि नियंत्रक डी.के.श्रंगी ने बताया कि डेनवर हैल्थ केयर पंत नगर उत्तराखंड द्वारा निर्मित औषधि आईबूफेम (आईबूप्रोफेन व पेरासिटामोल) टेबलेट बेच नंबर ईआईपी 0001) में मुखय घटक आईबूप्रोफेन की मात्रा 51 प्रतिशत मिली। इसी प्रकार निर्माता गोविस फर्मा लिमिटेड सोलान की कॉम्बीफ्लेम (आईबूप्रोफेन पेरासिटामोल व क्लोरफेनिरामिन बैच नंबर सीएम 252), जेकसन लेबोरेट्री प्रा.लि. अमृतसर की बिसकोडिल टेबलेट बैच नंबर टी 4215, निर्माता एलांयस बायोटेक बद्दी की टेबलेट कायनिम (नीमुस्लाइड व पेरासिटामोल बेच नंबर एटी 1213, निर्माता डॉ.जोन्स लेब प्रा.लि. हरिद्वार की टेबलेट आथरेरिड पी बेच नंबर एआरपीटी 04 के सैंपल औषधि परीक्षण प्रयोगशाला जयपुर द्वारा जारी परीक्षण रिपोर्ट में अवमानक घोषित किया है।

Jan 30, 2011

भ्रष्‍टाचारियों का ‘राजा’? जोशी दंपती मतलब अकूत संपत्ति

भोपाल. फरवरी 4, 2010.........मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राजनितिज्ञों और अफसरों की पॉश कालोनी, 74 बंगला क्षेत्र अचानक सुर्ख़ियों में आ जाता है। एक आईएएस दंपत्ति के यहां छापा डालते ही आयकर विभाग के अधिकारियों की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं। आईएएस दंपत्ति अरविंद जोशी और टीनू जोशी के निवास पर मारे गए इस छापे में तीन करोड़ रुपए से अधिक की नकद राशि संबंधित विभाग जब्त करता है।एक साथ इतने कैश की उम्मीद शायद आयकर विभाग को भी नहीं थी सो विभाग को बाकायदा नोट गिनने की मशीन लगानी पड़ी। दिनभर चली इस कवायद में विभाग के हाथ जोशी दंपत्ति से संबंधित करोड़ों की नामी बेनामी संपत्ति का ब्योरा मिलता है। फरवरी 5,2010.......भ्रष्टाचार की इस गंगोत्री का पता लगते ही सरकार में एक अजीब सी खलबली मच जाती है। नतीजा ....चौबीस घंटे के अंदर ही इंकमटेक्स के जाल में फंसे प्रमुख सचिव अरविंद जोशी और टीनू जोशी को राज्य सरकार द्वारा सस्पेंड कर दिया जाता है। धन-कुबेर निकली आईएएस जोड़ी प्रमुख सचिव अरविंद जोशी और टीनू जोशी मामले की जांच में जुटे आयकर विभाग ने साल 2010 जाते-जाते इस दंपत्ति की 350 करोड़ की नामी बेनामी संपत्ति का खुलासा किया। आयकर विभाग की अप्रेजल रिपोर्ट बताती है कि जोशी दंपत्ति उन्होंने ने यह संपत्ति 1989 से 2010 के दौरान बनाई। 1979 बैच के आईएएस अधिकारी अरविन्द और टीनू जोशी ने 30 वर्षों के प्रशासनिक सफ़र में कई विभागों की कमान संभाली। इन पदों पर रहते हुए इस दंपत्ति ने कई बड़े ठेकों को पास कराया। माना जाता है कि ठेकों को पास कराने की आड़ में इस दंपत्ति ने कमीशन के तौर पर खासी रकम जमा कर ली थी। इसी रकम को इस दंपत्ति ने चरणबद्ध तरीके से रियल स्टेट और अन्य दीगर कामों में लगाया। मैनेजमेंट की शिक्षा प्राप्त इस दंपत्ति को काले को सफेद करने में खासी महारत हासिल थी। यही कारण था कि विभिन्न जगहों पर निवेश किए काले धन में इन्होनें फर्जी नाम और पतों का जमकर इस्तेमाल किया। आपको बता दें कि टीनू जोशी नें जहाँ बिज़नस मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया है।वहीं अरविंद जोशी ने भी ऑस्ट्रेलिया की ही यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉलोन्गॉन्ग से एमबीए किया है। आईये नज़र डालें फर्जी बाडे़ की पूरी दास्तान पर..... रक्षा मंत्रालय में रहते खरीदी 121 एकड़ जमीन: सूत्र बताते हैं कि 1999 से 2004 के बीच रक्षा मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहते हुए जोशी ने भोपाल और आसपास 121 एकड़ कृषि भूमि खरीदी। 2004-05 में उन्होंने 58 एकड़ जमीन खरीदी। यह जमीन बिलकिसगंज, मूलखेड़ी, सागोनीकला,मेंडोरी, दीवानगंज,बैरसिया,गोडावर, चिकलोद,खरमई व आसपास के गांवों में क्रय की गई। आसाम से शुरू हुआ निवेश का खेल जोशी ने जमीनों में निवेश की शुरूआत आसाम के कामरू जिला के मौजा रामचारी से की। 2001 से 2004 के बीच भोपाल में सात प्लॉट खरीदे गए। उन्होंने 2005 से 2008 के बीच रियल एस्टेट में करीब पांच करोड़ का निवेश किया। जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव रहते हुए जोशी ने तवा, बरगी, बाणसागर और हंसदेव बांधों का ठेका दिया और सवा करोड़ का लेन-देन किया। तीन करोड़ 55 लाख का प्रीमियम जोशी दंपती आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल में 3 करोड़ 55 लाख का सालाना प्रीमियम जमा करती है। इसमें 50 लाख अरविंद जोशी,70 लाक ईशान जोशी,75 लाख आसमी जोशी,51 लाख एचएम जोशी और 1 करोड़ 10 लाख निर्मला जोशी के नाम से जमा होता है। ईशान और आसमी पढ़ाई कर रहे हैं और निर्मला ग्रहणी हैं। हर बीमा पॉलिसी में खुद को छुपाने के लिए जोशी ने फर्जी पते और गलत नाम दिए। जिन पतों पर यह पॉलिसी पाई गईं वे थे ई-15/3 ,एफ-68 मिनाल रेसीडेंसी (सीमा जायसवाल का पता) एफ-95 इंद्रप्रस्थ राज होम्स (सीमा जायसवाल के भाई मिराज अली का पता)। सभी पॉलिसी में नॉमिनी या तो जोशी खुद है या उनके परिवार के सदस्य। शेयरों में भी किया निवेश जोशी ने अपने नाम से 274 करोड़ की फ्यूचर ऑप्शन शेयर ट्रेडिंग की है। अरविंद और टीनू जोशी के नाम से 3 करोड़ रुपए के शेयर मिले हैं। अरविंद जोशी के क्रेजी इंफोटेक में 50 हजार शेयर,होन्किल इंडिया लिमिटेड में 10 हजार सहित सेंचुरी,भारतीएयरटेल,आइडिया,एनडीटीवी,आईसीआईसीआई,यूटीआई बैंक,आईडीबीआई बैंक,देना बैंक,पीएनबी,केएस आइल,एचडीएफसी और टाटा स्टील कंपनी में शेयर हैं। टीनू जोशी के पास हिंडाल्को के 1500,जेपी के 1600,इंडियन होटल के 1000 और यूको बैंक के 2000 शेयर हैं। गुवाहाटी में 18 फ्लैट अरविंद जोशी के पास गुवाहाटी के कामरूप हाउसिंग प्रोजेक्ट में 18 फ्लैट हैं। 1999 से 2004 के बीच रक्षा विभाग में संयुक्त सचिव रहते हुए जोशी श्रीदेव शर्मा ग्रुप के संपर्क में आए। दोनों ने गुवाहाटी में 15 बीघा जमीन खरीदी। कामरुप हाउसिंग प्रोजेक्ट प्रा लिमिटेड, नई दिल्ली के नाम से कंपनी बनाई गई। जोशी के भोपाल में छह फ्लैट और सात प्लॉट हैं। इतना ही नहीं बेटे ईशान जोशी के नाम से इथोस एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई और 100 एकड़ कृषि भूमि खरीदी। जोशी ने भोपाल, रायसेन, सीहोर, बालाघाट, कान्हा और बांधवगढ़ में करीब 400 एकड़ जमीन खरीदी। 80 बैंक खातों में करोड़ों का लेन-देन आयकर विभाग की अप्रेजल रिपोर्ट में अरविंद जोशी के निवास से 80 बैंक खातों की जानकारी मिली थी। इन खातों से करोड़ों रुपए का लेन-देन किया गया है। आईसीआईसीआई बैंक में उनके केवल एक खाते नंबर 00551029336 के लेन-देन ने ही उनके भ्रष्टाचार के तमगे में चार चांद लगा दिए हैं। खाते में ओपनिंग बैलेंस था 38500 रुपए। इसके बाद खाते में शायद ही कभी एक लाख से कम का लेन-देन हुआ। 2006 में इस खाते के खुलने के बाद नोटों की ऐसी झड़ी लगी कि मानों इसमें खुद-ब-खुद पैसा जमा हो रहा हो। मात्र चार साल में इस बचत खाते में आए दिन हो रहे लाखों के ट्रांजेक्शन से बैंक भी इतना खुश था कि खाते को विशेष ए श्रेणी दी गई। अब हो सकती है सात साल जेल आयकर विभाग निलंबित आईएएस दंपति अरविंद और टीनू जोशी के खिलाफ प्रीवेंशन ऑफ मनी लांडरिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की अनुशंसा करने जा रहा है। इस कानून में अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है। जोशी के घर से विदेशी मुद्रा और विदेशी शराब मिलने के मामले में रिजर्व बैंक ने उन्हें हाल ही में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शर्म से झुक गया पिता का सर... अरविन्द जोशी की भ्रष्टाचार में संलिप्तता का सबसे बुरा असर उनके पिता की साख पर पड़ा। गौरतलब है कि अरविन्द जोशी के पिता एचएम जोशी मध्य प्रदेश सरकार में पुलिस महानिदेशक रह चुके है। अरविन्द जोशी से उलट उनके पिता की ईमानदार छवि के किस्से आज भी प्रदेश भर में मशहूर हैं।लेकिन अरविन्द और टीनू जोशी प्रकरण ने न सिर्फ एचएम जोशी बल्कि पूरी 'प्रशासनिक सेवा' की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया दिया है।

पूरी फिल्‍मी है हसन अली की कहानी, स्विस बैंकों में जमा कर रखे हैं ८ अरब डॉलर

विज्ञापन नई दिल्ली. पुणे के व्यवसायी हसन अली की ज़िंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक हसन अली ने स्विस बैंकों में करीब ८ अरब अमेरिकी डॉलर का काला धन जमा किया था। हालांकि, भारत सरकार ने हाल ही में दावा किया है कि उसके स्विस खाते अब खाली हो चुके हैं। जानकार मानते हैं कि पैसे कहां गए होंगे, यह पता लगाना बहुत मुश्किल नहीं है। अली के बारे में कहा जाता है कि वे देश के सबसे बड़े कर अपराधी हैं। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक हसन अली के खिलाफ जांच में शामिल एक अफसर का कहना है कि हसन अली के खिलाफ देश की सुरक्षा से जुड़े कई कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने प्रणब मुखर्जी को लिखी एक गोपनीय चिट्ठी में कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए हसन अली के खिलाफ जांच की जा सकती है। सुब्रमण्यम ने यह राय 2009 में दायर की गई याचिका के जवाब में दिया था। जांचकर्ताओं को हसन अली द्वारा हस्ताक्षर किए गए हलफनामे मिल हैं जिनमें विदेशी खातों से जुडी लेनदेन की जानकारी दी गई है। इन हलफनामों की वैधता की पुष्टि ब्रिटेन में मौजूद भारतीय दूतावास ने की थी। रक्षा सौदों में कमाया काला धन जांचकर्ताओं का कहना है कि हसन अली के खातों में मौजूद पैसा रक्षा सौदों में कमाया गया हो सकता है। उनका यह भी मानना है कि हसन अली कई राजनेताओं के काले धन को ठिकाने लगाने का काम भी करता रहा है। जांचकर्ताओं को शक है कि पिछले 15 सालों में हसन अली ने 36,000 करोड़ रुपये का काला धन विदेशी बैंकों में जमा किया है। अदनान खशोगी की मदद से खुलवाया था खाता बताया जाता है कि हथियारों की तस्करी करने वाले अदनान खशोगी की मदद से हसन अली ने स्विस बैंकों में खाता खुलवाया था। इसके अलावा अदनान के साथ अली का वित्तीय लेनदेन था। कार किराए पर देने का काम करता था प्रवर्तन निदेशालय की जांच में यह बात सामने आई है कि 1993 में हसन अली ने कार किराए पर देने का काम शुरू किया था, जिसे 1994 में उसने बंद कर दिया। इसके बाद वह अपने रिश्तेदार हैदर अली खान के साथ मिलकर हैदराबाद में कुछ बैंक धोखाधड़ी के मामलों में उसका नाम आया। क्या है कारोबार, कोई नहीं जानता करोड़ों-अरबों के मालिक हसन अली कौन सा कारोबार करते हैं, यह कोई नहीं जानता है। आजकल वह पुणे में रहते हैं। स्विस सरकार ने मांगी जानकारी कहा जाता है कि हसन अली ने हवाला कारोबार, मनी लॉन्डरिंग जैसे कामों के जरिए बहुत पैसा कमाया है। हसन अली के काले धन का मुद्दा जब भारत ने स्विट्जरलैंड सरकार के सामने उठाया तो वहां की सरकार ने कहा कि आप हसन अली के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी सबूतों के साथ दें तो वहां की सरकार मदद करने को तैयार है। लेकिन इस मामले में भारत सरकार ने आजतक कोई पहल नहीं की है। उलटे सरकार का कहना है कि अली के स्विस बैंक खाते अब खाली हैं।