Jan 13, 2013

एक प्रेमी और प्रेमिका शादी के पहले ...


एक प्रेमी और प्रेमिका शादी के पहले आपस में बहुत प्यार करते थे।
थोड़ी नोक झोक उनमें होती रहती थी। फिर प्यार से मान जाते थे वे।
शादी के बाद तो उनमें हर छोटी- मोटी बात को लेकर नोक- झोक होती थी।
कई कई दिन तक उनमें बातचित बन्द रहती थी।
आज दोनो की सालगिरह थी। लेकिन लड़की ने जानबूझ कर नहीं बताया।
... वो देखना चाहती थी की उसके पति को याद है की नहीं।
पर आज पति सुबह ही उठा और नहा धो कर जल्दी ही बाहर चला गया।
बिवि रुआँसी हो गई। थोड़ी देर बाद दरवाजे पर घण्टी बजी,वो दरवाजा खोली। देखा पति गुलदस्ते और उपहारो के साथ एनिवर्सरि सरप्राईज
लाया था। उसने उपहार लेकर पति को गले से लगा लिया फिर पति घर के अन्दर चला गया।
तभी बिवि के मोबाईल पे पुलिस वाले का कॉल आया की, उसके पति की लाश मिलि है। उसके पति का एक्सिडेंट हो चूका है।
वो सोचने लगी की उसका पति अभी तो गिफ्ट देकर अन्दर ही गया है।
फिर उसे वो बात याद आ गई जो उसने सुना था की मरने के बाद अन्तिम इच्छा पूरी करने के लिये इंसान कीआत्मा एक बार आती है। वो दहाड़ मार के रोते हुये कमरे में गई। सच में उसका पति वहाँ पर नहिं था।
वो रोने लगी उसे अपने किये गये सारे नोक झोंक याद आने लगे। वो चिल्लाने लगी प्लीज कमबैक,प्लीज कमबैक। मैं कभी नहीं लड़ुँगी।
तभी बाथरूम से उसका पति निकला और रोने का कारण पूछा।
बिवि उसके सीने से लिपट गई और रोने लगी फिर सारी बात
बताई। तब पति ने बताया की आज सुबह उसका पर्स चोरी हो गया था।
ऐसे ही जिन्दगी में कई अहम रिश्ते और दोस्ती होते है, जिनका महत्व हमें तब समझ आता है।जब वो नहीं होते। प्यार बाँटिये नफरत कहाँ तक ढ़ो पायेंगे।
रिश्तो की अहमियत को समझिये।।।

Jan 12, 2013

सरकारी नाई ने बाल काटते समय कपिल सिब्बल से पूछा .....


सरकारी नाई ने बाल काटते समय कपिल सिब्बल से पूछा -"साहब यह स्विस बैंक वाला क्या... लफड़ा है"...???? .
सिब्बल चिल्लाये -"अबे तू बाल काट रहा है या इन्क्वारी कर रहा है"..?? ... .
नाई बोला -"सॉरी अब नहीं पूछूँगा...".
अगली बार नाई ने चिदम्बरम साहब से पूछा -"यह काला धन क्या होता है"..?? .
चिदम्बरम चिल्लाये और बोल...-"तुम हमसे ये सावल क्यूँ पूछता है"..?? .
... अगले दिन नाई से सी बी आई कीटीम ने पूछताछ की -"क्या तुम बाबा या अन्ना के एजेंट हो"..?? .
नाई बोला -"नहीं साबजी..".
सी बी आई -"तो फिर तुम बाल काटते वक़्त काग्रेस के नेताओं से फालतू के सवाल क्यूँ करते हो"..?? .
नाई बोला -"साहब , ना जाने क्यूँ स्विस बैंक और काले धन के नाम पर इन कांग्रेसियों के बाल खड़े हो जाते है और मुझे बाल काटने में आसानी हो जाती है....इसलिए पूछता रहता हूँ"...!!!!!!

'हम दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं, वे गर्दन काट रहे हैं'


'सरकार शहीद पति का सिर गांव लेकर आए, तब ही मुझे संतुष्टि मिलेगी, उनकी आत्मा को भी शांति मिलेगी।'पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बरता के कारण अपने पति के अंतिम दर्शन नहीं कर पाईं शहीद हेमराज की पत्नी धर्मवती रोते हुए बार-बार यही शब्द दोहरा रही थीं। उन्होंने कहा,'सरकार पाकिस्तान के साथ दोस्ती की बात करती है। हम दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं और वह गर्दन काट रहे हैं।'

गुरुवार को वह एक तरफ रोती रहतीं और दूसरी तरफ पति के अंतिम दर्शन नहीं कर पाने की दुहाई देती जातीं। परिजन और गांव की महिलाएं उनको संभालने की कोशिश करते पर वे भी हार मान लेते। बस एक ही वाक्य उनके मुंह से निकलता,'मैं उनका आखिरी बार चेहरा भी नहीं देख पाई।'
...
'अंतिम दर्शन नहीं कराए'
रुंधे गले से धर्मवती बोलीं कि गांव में बुधवार की रात जब उनके पति का शव आया तो सेना के जवानों ने उनको और बच्चों को अंतिम दर्शन नहीं कराए। वह गुहार करती रहीं लेकिन उनको पति के पार्थिव शरीर से अलग कर अंतिम संस्कार कर दिया गया। तीन माह से बच्चों ने पिता को नहीं देखा था। बच्चे भी पिता के दर्शन करने के लिए हो-हल्ला मचाते रहे। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं था।'कहकर गए थे कि सात फरवरी को आएंगे, लेकिन उससे पहले उनका शव गांव आ गया। मैं उनके अंतिम दर्शन भी नहीं कर सकी।'

'शहीद पति का सिर लाए सरकार, तभी मिलेगी शांति'
आंसुओं के बीच धर्मवती की आंखों में आक्रोश भी झलका। उन्होंने एका एक कहा,'सरकार पाकिस्तान के साथ दोस्ती की बात करती है। हम दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं और वह गर्दन काट रहे हैं। क्या सरकार ऐसा ही करती रहेगी। उनकी आत्मा को शांति तो तभी मिलेगी जब केंद्र सरकार और सेना के जवान ईंट का जवाब पत्थर से दें, उसके पति का सिर गांव लाएं और उनका दर्शन कराएं।'
सरकारी रवैये से गांव वालों में गुस्सा
खैरार गांव के लोगों के दिलों में यही टीस है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव क्यों नहीं आए? गांव ही नहीं पूरी तलहटी में इस बात को लेकर आक्रोश है कि एक शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए सरकार की ओर से कोई नहीं आया। बुधवार रात शहीद हेमराज का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अफसर भी एक-एक कर चले गए। अधिकारियों में से किसी ने परिजनों को सांत्वना के दो शब्द नहीं कहे। गुरुवार को शासन और प्रशासन की इस उपेक्षा से आक्रोश पनप उठा। आनन-फानन में मुख्यमंत्री का पुतला तैयार किया और फूंक दिया।

कुंभ नहान में बनारसी अव्वल......


कुंभनगरी : संगम पर पवित्र स्नान करने वालों में बनारस के श्रद्धालुओं का कोई सानी नहीं। यह अंग्रेजी हुकूमत के समय जुटाए गए एक आंकड़े से स्पष्ट हुआ है। 1882 के कुंभ में अंग्रेजों ने संगम आने वाले सभी प्रमुख रास्तों पर बैरियर लगाकर आने वालों की गिनती की थी। इसके अलावा रेलवे टिकट की बिक्री के आंकड़ों को भी आधार बनाकर कुल स्नान करने वालों की संख्या का अनुमान लगाया गया था। आंकडों के अनुसार बनारस से 34821, कानपुर से 31275 व जबलपुर से 24876 लोग कुंभ में पहुंचे थे। देश के अन्य हिस्सों को मिलाकर लगभग दस लाख लोगों ने कुंभ स्नान किया था। दस्तावेजों के अनुसार 1882 के कुंभ में आठ लाख 39 हजार लोग सड़क के रास्ते से प्रयाग पहुंचे थे। जीटी रोड से 39 हजार, सराय अकिल रोड से 25 हजार, लिंक रोड से 50 हजार ने प्रयाग की धरती पर कदम रखा था। इसके अतिरिक्त तकरीबन एक लाख लोग विभिन्न छोटे रास्तों से पहुंचे थे। स्नान करने वालों में लगभग 50 हजार लोग स्थानीय थे। बनारस स्थित राजघाट और फाफामऊ पुल पर टोल टैक्स भी वसूले जाने का जिक्र किया गया है। 1882 में बिके थे सवा लाख टिकट : 1882 की एक जनवरी से 19 जनवरी तक देश के विभिन्न स्टेशनों से प्रयाग के लिए एक लाख 25 हजार टिकट बेचे गए थे। बेचे गए टिकटों के अनुसार दिल्ली से 1817, लखनऊ से 1538, हावड़ा से 1737, पटना से 3092, गया 2230, आगरा 7538, इटावा 1446, जसवंत नगर 1773, हाथरस 1374, गाजियाबाद 1924 लोग प्रयाग आए थे। इसके अतिरिक्त मथुरा से 1114, मिर्जापुर से 19638, मानिकपुर से 6779, सतना से 3889, मैहर से 1084, कटनी से 2003 तीर्थयात्री स्नान करने आए।

Jan 10, 2013

प्रोफ़ेसर: - बुराई क्या है ?


प्रोफ़ेसर: - बुराई क्या है ?
छात्र :- - "सर , मैं समझा सकता हूँ ,
लेकिन पहले मेरे कुछ सवालों का जवाब देंगे ?
ठंड मौजूद है क्या ?
प्रोफेसर : - हाँ ............

छात्र :- गलत श्रीमान ,
ठंड की तरह का कुछ भी नहीं है , यह गर्मी का पूर्ण अभाव है .

छात्र फिर से पूछा :- क्या अंधेरा विद्यमान है ?
प्रोफेसर :- हाँ ...........

छात्र :- आप फिर गलत हैं महोदय..
अंधेरे की तरह कुछ भी नहीं है.. यह वास्तव में प्रकाश का पूर्ण अभाव है..

भौतिक विज्ञान के अनुसार हम प्रकाश और गर्मी का अध्ययन कर सकते हैं..
लेकिन अंधेरे और ठंड का नहीं..
इसी तरह श्रीमान, बुराई कुछ भी नहीं है..
" वास्तव में यह विश्वास, प्रेम, और भगवान पर सच्चे विश्वास का अभाव है.. "

यह छात्र सी. वी. रमन थे...