Jan 16, 2011

किसने-कैसे रोकी हमारी 7 लाख करोड़ की राहें

नई दिल्ली. सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क को फिर से छह-लेन बनाने में कितनी लागत आएगी। और समय कितना लगेगा? लागत - 109 करोड़। समय - पता नहीं, क्योंकि एक साल पहले शुरू हुआ निर्माण अभी जारी है। हालांकि मामला दिल्ली में मेहरौली से गुड़गांव की सड़क का है, लेकिन यह पूरे देश में हाइवे निर्माण की हालात बयान करता है।

मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।

फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?

क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?

खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:

पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।

इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार

मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान

20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन

हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है

मिथक

1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है

2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है

हकीकत

1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।

2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।

सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क

नई दिल्ली. सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क को फिर से छह-लेन बनाने में कितनी लागत आएगी। और समय कितना लगेगा? लागत - 109 करोड़। समय - पता नहीं, क्योंकि एक साल पहले शुरू हुआ निर्माण अभी जारी है। हालांकि मामला दिल्ली में मेहरौली से गुड़गांव की सड़क का है, लेकिन यह पूरे देश में हाइवे निर्माण की हालात बयान करता है।

मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।

फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?

क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?

खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:

पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।

इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार

मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान

20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन

हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है

मिथक

1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है

2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है

हकीकत

1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।

2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।

'यार विकेट नहीं लेता तो मेरे गांव वाले यहीं मारते मुझे'

जोहानिसबर्ग. टीम इंडिया को 1 रन की सनसनीखेज जीत दिलाने वाले तेज गेंदबाज मुनाफ पटेल इस समय देश के हीरो बन गए हैं। मैच के 42वें ओवर में दो विकेट चटकाकर मुनाफ ने जीत को दक्षिण अफ्रीका के जबड़े से छीनकर भारत की झोली में डाल दिया।

29 पर चार विकेट का विजयी प्रदर्शन करने के लिए मुनाफ को मैन ऑफ द मैच अवार्ड से नवाजा गया। इस अवार्ड को पाने के बाद मुनाफ ने कहा, इस मैच में मेरे ऊपर अतिरिक्त दबाव था। मेरे गांव (इखर, गुजरात) के कुछ लोग इस मुकाबले को देखने यहां आए हुए हैं। यदि मैं वांडर्रस में परफार्म नहीं करता तो वो लोग मुझे नहीं छोड़ते। अब रात को उनके साथ ही जश्न मनेगा।

अपनी फिटनेस पर मुनाफ ने कहा, मैंने ट्रेनर रामजी के साथ मिलकर अपनी फिटनेस पर काम किया है और मेरी मेहनत मैदान पर रंग दिखा रही है। नेट में लगातार अभ्यास का मुझे फायदा मिला।

कुछ ऐसा था मुनाफ का वो एक ओवर

मैच के 41वें ओवर की समाप्ति के बाद दक्षिण अफ्रीका को 48 गेंदो में महज चार रन की जरूरत थी और उसके पास दो विकेट सुरक्षित थे। मोरने मोर्केल और वेयन पार्नेल क्रीज पर मोर्चा संभाले हुए थे। सबको लग रहा था कि भारत की जीत की कोई उम्मीद बाकी नहीं है।

लेकिन मुद्दतें लाख बुरा चाहें तो क्या होता है, वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है। कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अबतक के सबसे सफल और किफायती गेंदबाज रहे मुनाफ पटेल को गेंद थमाई। इसके बाद जो हुआ उसकी दास्तां कुछ इस प्रकार से थी-

पहली गेंद - पटेल की फुल लेंथ गेंद पर पार्नेल ने ऑन साइड की तरफ हल्का सा शॉट खेला और एक रन ले लिया।

दूसरी गेंद - मुनाफ ने गेंद की लेंथ में परिवर्तन करते हुए शॉर्ट पिच गेंद डाली। मोर्केल ने सोचा की एक चौका लगाकर मैच जीत लेंगे। लेकिन वो गेंद समझने में नाकाम रहे और प्वाइंट पर सचिन के स्थान पर फील्डिंग कर रहे यूसुफ पठान को कैच दे बैठे।

मोरने मोर्केल - 6 रन बनाकर आउट। द. अफ्रीका को जीत के लिए तीन रन की दरकार।

तीसरी गेंद - नए बल्लेबाज सोत्सोबे के खिलाफ मुनाफ ने पगबाधा की जोरदार अपील की। अंपायर ने ना में सिर हिलाया। कोई रन नहीं।

चौथी गेंद - पटेल की गेंद को सोत्सोबे ने थर्ड मैन की तरफ खेला और दौड़कर एक रन ले लिया। दर्शक दीर्घा में जोरदार तालियां बजीं। मेजबान जीत से दो रन दूर खड़ा था।

पांचवी गेंद - सभी की निगाहें पार्नेल पर और भारत की उम्मीदें गुजरात के तेज गेंदबाज पर। कोई रन नहीं।

छठी गेंद - कप्तान धोनी ने फील्डिंग में परिवर्तन कर प्वाइंट पर युवराज को तैनात किया। मुनाफ की गेंद पर चौका लगाने के प्रयास में पार्नेल युवी को कैच थमा बैठे, और भारत 1 रन से जीत गया।

दक्षिण अफ्रीका की पूरी टीम 188 रन पर सिमट गई थी।

जहां बनाया था 438 का रिकार्ड, वहीं हुए 188 पर ढेर

नई दिल्ली. भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच पांच वनडे मैचों की श्रृंखला का दूसरा मुकाबला मेहमान ने 1 रन से जीत लिया। ये मुकाबला विश्व के सबसे करिश्माई मैदान वांडर्रस स्टेडियम में खेला गया था। इस मैदान पर मिली ये रोमांचक हार मेजबान टीम के साथ-साथ सभी क्रिकेटप्रेमियों को भी अजूबा लग रही होगी, क्योंकि ये वही पिच थी जिस पर 434 रन के लक्ष्य को हासिल कर दक्षिण अफ्रीका ने विश्व कीर्तिमान स्थापित किया था।

12 मार्च 2006 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुए इस वनडे को हाल ही में आईसीसी ने क्रिकेट इतिहास का सबसे रोमांचक और लोकप्रिय मुकाबला घोषित किया था। 5 जनवरी को वनडे क्रिकेट की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर आईसीसी ने पब्लिक पोल करवाकर ये चयन किया था। 434 रन जैसे विशाल स्कोर को प्रोटीज टीम ने वांडर्रस के मैदान पर ही हासिल किया था।

आश्चर्य की बात ये है कि जहां दक्षिण अफ्रीका ने 434 रन की चुनौती के जवाब में एक गेंद शेष रहते ही 438 रन ठोक डाले थे, वहीं पर मेजबान टीम के लिए 190 रन का मामूली लक्ष्य भारी पड़ गया। शायद इसलिए क्रिकेट को अनिश्चितता का खेल कहा जाता है।

क्या था वांडर्रस का वंडर?

साल 2006 में 12 मार्च को दक्षिण अफ्रीका ने अपना नाम इतिहास में दर्ज करवाया था। पहले ऑस्ट्रेलिया ने वनडे इतिहास का सबसे बड़ा स्कोर खड़ा किया था। सलामी बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट और साइमन कैटिच के अर्धशतकों के बाद कप्तान रिकी पोंटिंग ने धुआंधार 164 रन की शतकीय पारी खेलकर 434 रन के विशाल स्कोर की नींव रखी थी। पोंटिंग ने महज 105 गेंदों में 13 चौकों और 9 छक्कों की मदद से 164 रन बनाए थे। माइक हसी ने भी आतिशी अर्धशतक जमाया था।

इसके जवाब में दक्षिण अफ्रीकी कप्तान ग्रीम स्मिथ ने टीम को हर्शेल गिब्स के साथ मिलकर तेज शुरुआत दी थी। स्मिथ ने 55 गेंदों में 2 छक्के और 13 चौकों की मदद से 90 रन बनाए थे। हर्शेल गिब्स का बल्ला भी उस दिन जैसे रन मशीन बन गया था। गिब्स ने 111 गेंदों में 21 चौके और 7 छक्के लगाकर 175 रन ठोके थे।

दक्षिण अफ्रीका ये मुकाबला 1 विकेट से जीता था। इस मैच का फैसला दूसरी पारी के अंतिम ओवर की पांचवी गेंद पर आया था। जिस मैदान पर दक्षिण अफ्रीका ने ऐतिहासिक मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया पर 1 विकेट से जीत दर्ज की थी, उसी वांडर्रस पर भारत ने मेजबान को 1 रन से धूल चटा दी।

Jan 14, 2011

अब नहीं होगा कंप्यूटर हैंग

कंप्यूटर हैंग होने के कई कारण हो सकते हैं। हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर में किसी खराबी के कारण कंप्यूटर हैंग हो सकता है।

- सबसे पहले अपने कंप्यूटर का पावर सोर्स चेक करवाएं। उसमें प्रॉपर अर्थिंग रहनी चाहिए।

- कंप्यूटर को किसी अच्छे ब्रैंड के UPS के जरिए लगाएं।

- कई बार धूल-मिट्टी फंस जाने से कंप्यूटर के पावर सप्लाई का फैन जाम हो जाता है जिससे सप्लाई गर्म होने के कारण आग लगने का खतरा हो जाता है। इसके अलावा कंप्यूटर की सर्विस करवाते रहें जिससे वह ठंडा रहेगा और सही काम करेगा।

- कंप्यूटर CPU कैबिनेट में मदरबोर्ड, RAM, और हार्ड डिस्क आदि होते हैं। कई बार RAM साकेट पर लूज हो जाता है। इसे किसी एक्सपर्ट से चेक कराकर फिर से साकेट में लगवा लें, साथ ही यह भी चेक करवा लें कि RAM चिप ठीक काम कर रहा हो नहीं तो इसे बदल दें। कई बार यह भी देखा गया है कि किसी वजह से कंप्यूटर प्रोसेसर का फैन बंद हो जाता है जिस कारण प्रोसेसर हीट-अप होने के बाद हैंग होने लगता है।

- हार्डवेयर के अलावा कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की वजह से भी हैंग होता है। इसके लिए आप अपने कंप्यूटर को ऑन करके जैसे ही विंडो स्क्रीन आने लगे F8 दबा दें। आपके सामने मेन्यू आ जाएगा, इस मेन्यू में आप सेफ मोड़ चुन लें। ऐसा करने से विंडो सेफ मोड़ में BOOT हो जाएगी।

- सेफ मोड़ में BOOT हो जाने पर पहले Start पर क्लिक करके Run में msconfig टाइप करें। आपके सामने System Configuration Utility Box खुल जाएगा, इसमें General Tab में Diagnostic Startup-Load basic device and drivers only पर क्लिक करके Ok दबाएं।

- कंप्यूटर को रीस्टार्ट कर लें। अब कंप्यूटर सिर्फ बेसिक सॉफ्टवेयर कंपोनेंट्स को ही लोड करेगा। इसके बाद कुछ देर तक अपना कंप्यूटर चलता रहने दें और चेक करें कि कंप्यूटर हैंग हो रहा है?

अगर अब भी आपका कंप्यूटर हैंग हो रहा हो तो अपने डाटा का बैकअप लें और कंप्यूटर में Windows OS दोबारा लोड करवा लें। लेकिन अगर ये बूट होने के बाद हैंग नहीं करता तो इसका मतलब है कि कोई सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन या सॉफ्टवेयर ड्राइवर ठीक से काम नहीं कर रहा है। इसे चेक करने के लिए आप किसी कंप्यूटर एक्सपर्ट की मदद लें। वह कंप्यूटर में लोड होने वाले सभी सॉफ्टवेयर ड्राइवर या एप्लिकेशन को चेक करके आपको बता देगा कि कौन-सा सॉफ्टवेयर कंप्यूटर को हैंग कर रहा है।

दो लड़के पार्क मे बैठे बाते कर रहे थे....

दो लड़के पार्क मे बैठे बाते कर रहे थे...

पहला- तुम रोज़ी- रोटी के लिए क्या करते हो..
...
दूसरा- सुबह के टाइम अख़बार बाँटता हूँ.., फिर 10 घंटे नोकरी.. शाम को ट्यूसन पढाता हूँ .. रात मे चोकीदारी करता हूँ.. मेरी छोड़ो तुम अपनी बताओ.. तुम्हे मैंने कभी कुछ करते हुए नही देखा..

पहला- यार.. क्या बताउँ.. आज से हज़ारो साल पहले "काँग्रेस" नाम की एक पार्टी हुआ करती थी हमारे पूर्वज उसे पार्टी के नेता हुआ करते थे वो इतना कमा कर रख गये की हमेँ आज तक कुछ करने की ज़रूरत ही नहीँ पड़ी....

आप भी बन सकते हैं ट्विटर के सुपर स्टार

ट्विटर पर सेलिब्रिटी कोई भी बन सकता है। बॉलिवुड सुपर स्टार की तरह भले ही आपके लाखों फॉलोअर न बन पाएं लेकिन कुछ समझदारी से काम लिया जाए तो हजारों का आंकड़ा आपकी पहुंच में आ सकता है। सोशल नेटवर्किंग के इस मंच पर ढेरों ऐसे लोग हैं जो रियल लाइफ में बड़े नाम नहीं हैं लेकिन अपने चतुर अंदाज से वे ट्विटर के सुपर स्टार बन गए हैं। ट्विटर पर ज्यादा फॉलोअर बनाने के क्या हैं टिप्स बता रहे हैं आशीष पांडे :

आपका प्रोफाइल आपका आइना
ट्विटर में सबसे अहम होता है आपका प्रोफाइल। इसमें भी सबसे पहले हम बात करते हैं डीपी यानी डिस्प्ले पिक्चर की, जहां आप अपनी तस्वीर लगाते हैं। याद रखें ट्विटर का अकाउंट है, कोई सरकारी फॉर्म नहीं। इसलिए जरूरी नहीं कि पासपोर्ट साइज कोई आम फोटो लगाई जाए, इसमें कुछ ट्विस्ट लाएं और कूल फोटो लगाएं। इसके बाद आपकी डिटेल्स बेहद अहम है। यहां आप 160 अक्षरों में अपने बारे में लिख सकते हैं। साधारण-सा बायोडेटा बनाने के बजाय अपने बारे में मजेदार ढंग से जानकारी दें। जिसमें आप क्या करते हैं, क्या शौक है और आपकी पर्सनैलिटी का क्या कलेवर है, इसके बारे में पता लग जाए। पूरे 160 अक्षर इस्तेमाल करने के बजाय 3-4 लाइन में आप अपनी बात पूरी कर लें क्योंकि कोई बहुत लंबी-चौड़ी कहानी नहीं पढ़ना चाहता और ट्विटर पर पूरे 160 अक्षर का प्रोफाइल कहानी बन जाता है।

जो बोलो दिल से बोलो
ट्विटर पर आपका प्रोफाइल या डीपी आपको कुछ फॉलोअर दिला सकता है या लोगों को आपकी टाइम लाइन देखने को लुभा सकता है, लेकिन कामयाबी सिर्फ इससे तय नहीं होती। आप क्या ट्वीट करते हैं वह सबसे ज्यादा अहम है। अगर आप अमिताभ बच्चन या शाहरुख खान जैसी हस्ती नहीं हैं तो मैं बाजार में हूं, टीवी देख रहा हूं, कैसे कपड़े पहने हैं जैसी बेकार की बातें कहने का कोई तुक नहीं है। किसी को आपकी डेली लाइफ में कोई रुचि नहीं है। कुछ मजेदार बात बताएं, किसी घटना या समाचार पर मजेदार कमेंट करें या कुछ अलग बताएं, तभी लोग आपकी सुनेंगे और फॉलोअर बनकर आपकी ट्वीट पढ़ना चाहेंगे।

फॉलो का फंडा : सिलेब्रिटीज
ट्विटर पर आप दो तरह के लोगों को फॉलो करते हैं। पहले जानते हैं कि सिलेब्रिटीज को फॉलो करके कैसे बनाएं ज्यादा फॉलोअर। बड़ी हस्तियां अकसर अपनी बातें ट्विटर पर बताती रहती हैं। आपको अगर उनकी किसी ट्वीट का मजेदार जवाब सूझता है तो उस पर अपना जवाब जरूर दें। लेकिन बस खाली बोलने के लिए बेमतलब की ट्वीट न करें। आप उनसे कभी कोई मजेदार सवाल भी पूछ सकते हैं। अकसर सिलेब्रिटीज अच्छे ट्वीट या सवालों का जवाब भी देते हैं। उनके ऐसा करने पर आपका नाम उनके बाकी फॉलोअर के बीच भी जाता है और आपको ऐसे में कुछ फॉलोअर जरूर मिलेंगे। वे सिलेब्रिटी जिनके बहुत ज्यादा फॉलोअर हैं वे अकसर सभी के जवाब नोटिस नहीं कर पाते। अमिताभ बच्चन के बजाय गुल पनाग से आपको जवाब मिलने के ज्यादा आसार हैं, सचिन तेंडुलकर के बजाय श्रीशांत से रिप्लाई मिल सकता है।

फॉलो का फंडा : कॉमन लोग
सिलेब्रिटीज के अलावा आप ऐसे आम लोग भी ट्विटर पर ढूंढ सकते हैं जो मजेदार ट्वीट करते हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिन्हें आप फॉलो करेंगे तो वे आपको भी फॉलो करेंगे। इसलिए कई लोगों को फॉलो करने का तरीका आपको भी फॉलोअर जरूर दिलाता है। इसी तरह जो लोग आपको फॉलो कर रहे हैं, उनका प्रोफाइल देखें, अगर वे आपको मजेदार लगते हैं तो उन्हें जरूर फॉलो करें। फॉलो नहीं कर रहे तो कम-से-कम एक डायरेक्ट मेसेज भेजकर थैंक्स तो जरूर कहें। इस तरह अगर आपके 100 के आसपास फॉलोअर हो जाते हैं और आप अच्छे ट्वीट करते हैं तो आपको एक ऑडियंस तो मिल ही जाएगी जिसके बूते आपके फॉलोअर की संख्या बढ़ती ही जाएगी।

ट्वीट करने के बेसिक्स
ट्वीट करने में आप कुछ दिलचस्प सवाल पूछें, अकसर लोग इनका जवाब देते हैं जिससे एक संवाद कायम हो जाता है। इसके अलावा आप अपने पसंद की खबरों या एक्सर्पट्स की ट्वीट को री-ट्विट करें, इससे आप लोगों की टाइम लाइन में अक्सर नजर आते रहेंगे और ज्यादा फॉलोअर बनने का चांस रहेगा। इसके अलावा ट्वीट करते रहें, बेमतलब की बातें नहीं लेकिन कुछ-न-कुछ ट्वीट करें। क्योंकि आप अगर लोगों की टाइम लाइन में नजर आते रहेंगे तो आप फॉलोअर चार्ट में भी ऊपर बनें रहेंगे।

ट्विटर की बोली
टाइम लाइन : ट्विटर पर लॉगइन करने के बाद आपके होम पेज पर जो ट्विटस नजर आती हैं उन्हें टाइम लाइन करते हैं। होम पेज पर टाइम लाइन के अलावा एक सेक्शन mention का है, इसमें अगर कोई आपकी ट्वीट के जवाब में या आपके नाम के साथ कुछ कहता है तो वह नजर आता है।

री-ट्वीट : आप अगर किसी की ट्वीट को उसके ही नाम से अपने ही फॉलोअर के बीच प्रचारित करते हैं तो इसे री-ट्वीट कहा जाता है। ट्विटर के होम पेज पर एक सेक्शन retweet का है जहां आप खुद किए री-ट्वीट मेसेज या दूसरों के द्वारा री-ट्वीट किए गए आपके मेसेज देख सकते हैं। आपका मेसेज अगर लोग री-ट्वीट करते हैं तो यह आपके लिए अच्छी बात है।

हैंडल : ट्विटर पर आपका अकाउंट नेम हैंडल कहलाता है। जब आप ट्विटर पर अपना अकाउंट बनाते हैं तो अकाउंट नेम भी तय करने को कहा जाता है। आप अगर कभी इसे बदलना चाहें तो ट्विटर आपको इसकी छूट देता है, आप अपने पुराने अकाउंट में ही नया नाम दे सकते हैं बशर्ते की वह मौजूद हो। ऐसा करने से आपके ट्विटर अकाउंट, टाइम लाइन या फॉलोअर पर असर नहीं पड़ता।

एफएफ व जीएफएफ : एफएफ का मतलब है फॉलो फ्राइडे, इसे हैश के बटन के साथ आप किसी ट्विटर अकाउंट होल्डर को प्रमोट करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब होता है कि इस शख्स को फॉलो करो। जीएफएफ का मतलब होता है गेट फॉलोअर्स फास्ट, यानी कुछ साइट्स कहती हैं कि आप अगर अपना अकाउंट और पासवर्ड उन्हें देंगे तो वे आपको ज्यादा फॉलोअर दिलाएंगी। लेकिन इनसे बचकर रहें क्योंकि ये स्पैम होते हैं।

आरटी, ओह व ट्रेंडिंग टॉपिक : आरटी यानी री-ट्वीट। जब आप किसी की ट्वीट को अपने फॉलोअर के बीच उसी के नाम से भेजते हैं तो यह आरटी कहलाता है। ओह (oh) का मतलब है ओवर हर्ड यानी लोग सुनी-सुनाई गप के लिए इस शब्द का प्रयोग करते हैं। ट्रेंडिंग टॉपिक यानी वे टॉपिक्स जिस पर सबसे ज्यादा ट्वीट हो रही हैं। इसमें आप भारत, अमेरिका, इंग्लैंड या कई अन्य मुल्कों और शहरों यानी दुनियाभर में सबसे ज्यादा ट्वीट हो रहे टॉपिक्स की टॉप लिस्ट देख सकते हैं।

मोबाइल बैंकिंग क्या है?

मोबाइल बैंकिंग का सामान्य सा मतलब यह हुआ कि आपका अकाउंट हमेशा आपके साथ-साथ गतिमान रहता है। आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में मोबाइल बैंकिंग आपकी दिक्कतों को कम करने में मददगार साबित हो रही है। खासकर कारोबारियों के लिए तो यह बहुत जरूरी है। कारोबारियों को दिनभर में बहुत सारे ट्रांजक्शन की जरूरत पड़ती है।

अगर वह बैंक जाकर सारा कामकाज करना चाहे तब उसका आधा दिन यूं ही खराब हो जाएगा। दिनभर के व्यस्त कार्यक्रम के दौरान आप कहीं भी खड़े होकर मोबाइल बैंकिंग का लाभ उठा सकते हैं। आप मोबाइल बैंकिंग का लाभ कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में और कभी भी उठा सकते हैं। मोबाइल बैंकिंग आपके मोबाइल के द्वारा एसएमएस या वैप के जरिये ऑपरेट होता है। मोबाइल बैंकिंग का ही एक छोटा सा हिस्सा एसएमएस बैंकिंग है।

आजकल ज्यादातर खाताधारी जिन्होंने मोबाइल बैंकिंग या एसएमएस बैंकिंग के विकल्प का आवेदन दिया होता है, उन्हें एटीएम या अकाउंट से किसी भी प्रकार के लेनदेन की सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिये उपलब्ध कराई जाती है। इसका सीधा फायदा यह होता है कि आपके अकाउंट में कितनी रकम शेष है और कितना पैसा कहां किस मद में निष्कासित हो रहा है, आपको उसकी पल-पल जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।

मोबाइल बैंकिं ग, बैंकिंग सेक्टर में आज की तारीख में बहुत ज्यादा मांग वाली विषयवस्तु है। यह भविष्य में क्रेडिट और डेबिट कार्ड के सिस्टम को हस्तानान्तरित कर देगा। मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करने वालों में से 85-90 फीसदी क्रेडिट कार्ड को इस्तेमाल में नहीं लाते हैं। यह ठीक-ठीक एटीएम की तरह ही होता है। यह इस्तेमाल करने में बेहद सुविधाजनक और सस्ता है।

एटीएम की तुलना में इससे बैंक के ऑपरेशनल खर्च में कमी आ जाती है। इसका लाभ बिल पैमेंट करने, फंड ट्रांसफर करने और बैलेंस चेक करने आदि में किया जाता है। कोरिया में मोबाइल फोन में दो सिम का इस्तेमाल किया जाता है। एक सिम टेलीफोन के लिए दूसरा बैंकिंग के लिए। बैंकिंग अकाउंट डाटा स्मार्ट कार्ड चिप पर उपलब्ध होता है। वर्ष 2004 में बैंक ऑफ कोरिया में 33 लाख ट्रांजक्शन मोबाइल बैंकिंग के जरिये हुआ था। जाहिर सी बात है कि इसमें बढ़ोतरी ही हुई होगी। 

Jan 13, 2011

टर्निंग 30’

कहानी

टर्निंग 30

कहानी:फिल्म की कहानी है नैना (गुल पनाग)की जिसकी लाइफ में 30 का पड़ाव पार करते ही कई बदलाव आ जाते हैं|उसका दिल टूट जाता है और दूसरी ओर उसका करियर भी डगमगाने लगता है|फिल्म एक अपरिपक्व महिला के जिम्मेदार बनने की कहानी है|इस दौरान उसकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आते हैं मगर हार न मानते हुए अंततः वह मंजिल पा ही जाती है|

रिव्यू:प्रकाश झा और अलंकृता श्रीवास्तव बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इस फिल्म के जरिए ऐसे विषय को उठाया जिसपर ज्यादा फिल्में अब तक नहीं बनी|फिल्म का पहला भाग गुल पनाग पर ही केन्द्रित है जो ढलती उम्र,ब्रेक अप और करियर में उतार चढ़ाव से परेशान है|बीच में फिल्म की रफ़्तार काफी धीमी हो जाती है मगर जीवंत संवाद फिल्म से दर्शकों को जोड़े रखता है|फिल्म का अंत काफी सुखद होता है मगर उसे काफी चलताऊ तरीके से फिल्माया गया है|इसे अगर औरपरिपक्व तरीके से फिल्माया जाता तो यह और प्रभावशाली हो सकता था|फिल्म में गुल पनाग का अभिनय जानदार है वो 30 की उम्र के पड़ाव पर पहुंच रही एक महिला की उलझन को बखूबी दर्शाने में कामयाब रही हैं|

स्टोरी ट्रीटमेंट:'टर्निंग 30 ' महत्वपूर्ण दृश्यों और संवाद का मिल जुला रूप है जिससे आप खुद को जोड़कर देख सकते हैं कि जब आप 30 साल के होंगे तो आपको किन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा| सोचिये अगर आप एक लड़की हैं और 30 की उम्र में ढलते यौवन और जॉब खो देने की वजह से जब आपको कोई साथी न मिले तो आपको कैसा लगेगा|मगर गुल को सारी परेशानियों से लड़ते हुए एक परिपक्व महिला बनते देखना काफी दिलचस्प है|

स्टार कास्ट:फिल्म में गुल पनाग का अभिनय जानदार है वो 30 की उम्र के पड़ाव पर पहुंच रही एक महिला की उलझन को बखूबी दर्शाने में कामयाब रही हैं|उनका स्टाइल सेन्स,छोटे छोटे बाल उनके केरेक्टर को और निखारने में कामयाब रहे हैं|पूरब कोहली ने जय के किरदार को सहजता से निभाया है|वह पहले तो नैना को सिर्फ एक सेक्स की पूर्ति करने का जरिया समझता है मगर बाद में उससे सच में प्यार करने लग जाता है|

निर्देशन:नयी निर्देशिका अलंकृता श्रीवास्तव ने एक नए विषय पर फिल्म बनाई है जो काबिले तारीफ है|उन्होंने फिल्म के माध्यम से एक छुपे विषय को उठाने की कोशिश की है|हालाँकि फिल्म की कहानी एक सीमित और उच्च वर्ग के दर्शकों को ही ज्यादा रास आयेगी मगर इससे अलंकृता के कमाल के निर्देशन की झलक दिख गई है|

डायलॉग्स/सिनेमाटोग्राफी/म्यूजिक:फिल्म के संवाद हार्डहिटिंग हैं खास तौर से जिस प्रकार वह एक्टर्स के द्वारा बोले गए हैं|सिनेमाटोग्राफी भी अपना ध्यान खींचती है खास तौर से जिस प्रकार से कैमरा एंगल्स लिए गए हैं वह काफी अलग और प्रभावशाली हैं|फिल्म का संगीत औसत दर्जे का है और टाइटल ट्रेक 'टर्निंग 30' अपीलिंग है|'सपने' गाना एक अच्छा साउंडट्रेक है|
अप्स और डाउन्स:एक अच्छी लिखी हुई और निर्देशित फिल्म जो 30 + महिला के जीवन के उतार चढ़ाव को बखूबी दर्शाती है|गुल पनाग की सधी हुई एक्टिंग और बेहतरीन स्क्रीनप्ले फिल्म की जान हैं|प्रकाश झा जो कि एक सीमित विषय और गंभीर विषय पर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं उनके प्रोडक्शन में एक महिला केन्द्रित फिल्म बनना काफी अलग और हटकर लगता है|मगर फिल्म सीमित और उच्च वर्ग को ध्यान में रखकर बनाई हुई ज्यादा लगती है इसलिए हर एक वर्ग को जोड़ने में नाकामयाब रहेगी|

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Jan 8, 2011

कौन खिलाड़ी कितने में बिका. ये है पूरी सूची

गौतम गंभीर- कोलकाता नाइट राइडर्स ने 11.4 करोड़ रुपए ( 2.4 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
तिलकरत्ने दिलशान- 3 करोड़ रुपए (6.5 लाख डॉलर) की कीमत में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरू ।
जहीर खान- रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू ने 4.1 करोड़ रुपए( 9 लाख डॉलर) में खरीदा।
रॉस टेलर- राजस्थान रॉयल्स ने 4.6 करोड़ रुपए (1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
यूसुफ पठान- कोलकाता नाइट राइडर्स ने 9.7 करोड़ रुपए (2.1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
केविन पीटरसन- 3 करोड़ रुपए (6.5 लाख डॉलर) में डेक्कन चार्जर्स ने खरीदा।
महेला जयवर्द्धने - 6.9 करोड़ रुपए (1.5 मिलियन डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
युवराज सिंह- 8.3 करोड़ रुपए (1.8 मिलियन डॉलर) में पुणे वारियर्स ने खरीदा
एबी डीवीलियर्स- आरसीबी ने 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
कैमरून व्हाइट- डेक्कन चार्जर्स ने 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
जैकस कैलिस- 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में केकेआर ने खरीदा।
रोहित शर्मा- मुंबई इंडियंस ने 9.2 करोड़ रुपए (2 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
कुमार संगकारा- 3.2 करोड़ रुपए ( 7 लाख डॉलर) में डेक्कन चार्जर्स ने खरीदा।
एडम गिलक्रिस्ट- किंग्स इलेवन पंजाब ने 4.1 करोड़ रुपए (9 लाख डॉलर) में खरीदा।
राहुल द्रविड़- 2.3 करोड़ रुपए ( 5 लाख डॉलर) में राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा।
ग्रीम स्मिथ- 2.3 करोड़ रुपए (5 लाख डॉलर) में पुणे ने खरीदा।
रॉबिन उथप्पा- 9.7 करोड़ रुपए (2.1 मिलियन डॉलर) में पुणे ने खरीदा।
जोहान बोथा- 4.4 करोड़ रुपए (9.5 लाख डॉलर) में राजस्थान रॉयल्स ने खरीदा।
वी वी एस लक्ष्मण- 1.84 करोड़ रुपए (4 लाख डॉलर) ने कोच्चि ने खरीदा।
डेनियल विटोरी- 2.5 करोड़ रुपए (5.5 लाख डॉलर) में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरू ने खरीदा।
ब्रेंडन मैक्कुलम- 2.2 करोड़ रुपए (4.75 लाख डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
एस श्रीसंथ- 4.1 करोड़ रुपए (9 लाख डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
इरफान पठान- 8.7 करोड़ रुपए (1.9 मिलियन डॉलर) में दिल्ली डेयरडेविल्स ने खरीदा।
आरपी सिंह - 2.3 करोड़ रुपए (5 लाख डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
माइक हसी- चेन्नई सुपर किंग्स ने 2 करोड़ रुपए (4.25 लाख डॉलर) में खरीदा।
जे पी डूमिनी- डेक्कन चार्जर्स ने 1.4 करोड़ रुपए (3 लाख डॉलर) में खरीदा।
शिखर धवन- डेक्कन चार्जर्स ने 1.4 करोड़ रुपए (3 लाख डॉलर) में खरीदा।
सौरभ तिवारी- रॉयल चैलेंजर्स बैंगलूरु ने 7.4 करोड़ रुपए (1.6 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
डेविड हसी- किंग्स इलेवन पंजाब ने 6.4 करोड़ रुपए (1.4 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
डेविड वार्नर- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 3.5 करोड़ रुपए (7.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
पार्थिव पटेल- कोच्चि ने 1.3 करोड़ रुपए (2.9 लाख डॉलर) में खरीदा।
रीद्धिमान साहा- चेन्नई सुपर किंग्स ने 46 लाख रुपए (एक लाख डॉलर) में खरीदा।
दिनेश कार्तिक- किंग्स इलेवन पंजाब ने 4.1 करोड़ रुपए ( 9 लाख डॉलर) में खरीदा।
नमन ओझा- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 1.24 करोड़ रुपए (2.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
ब्रेड हैडिन- कोलकाता नाइट राइडर्स ने 1.5 करोड़ रुपए ( 3.25 लाख डॉलर) में खरीदा।
टिम पेन- पुणे ने 1.2 करोड़ रुपए (2.7 लाख डॉलर) में खरीदा।
डेविड जैकब्स- मुंबई इंडियंस ने 87.4 लाख रुपए (1.9 लाख डॉलर) में खरीदा।
जेम्स होप्स- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 1.6 करोड़ रुपए (3.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
रवींद्र जडेजा- कोच्चि ने 4.4 करोड़ रुपए (9.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
शकीब अल हसन- केकेआर ने 2 करोड़ रुपए (4.25 लाख डॉलर) में खरीदा।
स्टुअर्ट ब्रॉड- किंग्स इलेवन पंजाब ने 1.84 करोड़ रुपए ( 4 लाख डॉलर) ने खरीदा।
अभिषेक नायर- पंजाब ने 3.7 करोड़ रुपए (8 लाख डॉलर) में खरीदा।
एंजिलो मैथ्यूज- पुणे ने 4.4 करोड़ रुपए (9.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
ड्वेन ब्रेवो- चेन्नई सुपर किंग्स ने 92 लाख रुपए (2 लाख डॉलर) में खरीदा।
स्टीवन स्मिथ- कोच्चि ने 92 लाख रुपए (2 लाख डॉलर) में खरीदा।
जेम्स फ्रेंकलिन- मुंबई इंडियंस ने 46 लाख रुपए (1 लाख डॉलर) में खरीदा।
इशांत शर्मा- डेक्कन चार्जर्स ने 2.1 करोड़ रुपए (4.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
प्रवीण कुमार- किंग्स इलेवन पंजाब ने 3.7 करोड़ रुपए (8 लाख डॉलर) में खरीदा।
आशीष नेहरा- पुणे ने 3.9 करोड़ रुपए (8.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
ब्रेट ली- कोलकाता ने 1.84 करोड़ रुपए (4 लाख डॉलर) में खरीदा।
मोर्ने मोर्कल- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 2.2 करोड़ रुपए (4.75 लाख डॉलर) में खरीदा।
डेल स्टेन- डेक्कन चार्जर्स ने 5.5 करोड़ रुपए (1.2 मिलियन डॉलर) में खरीदा।
रेयान हैरिस- किंग्स इलेवन पंजाब 3.25 लाख डॉलर में खरीदा।
डर्क नेनेस- बेंगलूरु में 3 करोड़ रुपए (6.5 लाख डॉलर) में खरीदा।
डग बोलिंगर- चेन्नई सुपर किंग्स ने 3.2 करोड़ रुपए (7 लाख डॉलर) में खरीदा।
मुथैया मुरलीधरन- 5.1 करोड़ रुपए (1.1 मिलियन डॉलर) में कोच्चि ने खरीदा।
पीयूष चावला- किंग्स इलेवन पंजाब ने 9 लाख डॉलर में खरीदा।
आर आश्विन- चेन्नई सुपर किंग्स ने 8.5 लाख डॉलर में खरीदा।
प्रज्ञान ओझा- डेक्कन चार्जर्स ने 5 लाख डॉलर में खरीदा।
अमित मिश्रा- डेक्कन चार्जर्स ने 3 लाख डॉलर में खरीदा।
नेथन मैक्कुलम- पुणे ने 1 लाख डॉलर में खरीदा।
रोमेश पवार- 1.8 लाख डॉलर में कोच्चि ने खरीदा।
एरॉन फिंच- दिल्ली डेयरडेविल्स ने 3 लाख डॉलर में खरीदा।
इऑन मोर्गन- कोलकाता नाइट राइडर्स ने 3.5 लाख डॉलर में खरीदा।
ब्रैड हॉज- कोच्चि ने 4.25 लाख डॉलर में खरीदा।
कैलम फर्ग्युसन- पुणे ने 3 लाख डॉलर में खरीदा।
मनोज तिवारी- कोलकाता ने 4.75 लाख डॉलर में खरीदा।
चितेश्वर पुजारा- बैंगलुरू ने 7 लाख डॉलर में खरीदा।
एस बद्रीनाथ- चेन्नई सुपर किंग्स ने 8 लाख डॉलर में खरीदा।
पॉल कोलिंगवुड- राजस्थान रॉयल्स ने 2.5 लाख डॉलर में खरीदा।