Oct 1, 2010

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग: कैसे पहचाने तेज भागने और गिरने वाले शेयर को

मुंबई: शेयर बाजार के प्रत्येक कारोबारी सत्र के बाद कुछ शेयर सबसे अधिक चढ़ने वाले और कुछ सबसे अधिक नुकसान उठाने वालों की कतार में पहुंच जाते हैं। कोई भी व्यक्ति ऐसे शेयरों को पहले से खरीदकर लाखों रुपए कमा सकता है जो बाजार में सबसे अधिक लाभ कमाने वाले शेयरों में हों लेकिन सही समय पर उचित शेयर खरीदने के लिए आपकी किस्मत तेज होनी चाहिए। आप कारोबारी रणनीतियों आधार पर भी अच्छे और खराब शेयर पहचान सकते हैं।

ईटी आपको कुछ ऐसी ही कारोबारी रणनीतियों के बारे में जानकारी दे रहा है। लेकिन उससे पहले शेयरों की कीमतों का ट्रेंड समझना जरूरी है। यह ट्रेंड या तो कुछ दिनों तक जारी रहता है या फिर प्रत्येक दूसरे दिन बदल जाता है। शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के बारे में जानने के लिए अगला बटन पर क्लिक करें....

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बाजार की तेजी से धोखे न खा
हुत से मामलों में उतार या चढ़ाव का ट्रेंड कुछ दिनों तक चलता है। उदाहरण के लिए सुंदरम ब्रेक लाइनिंग्स दो जून, 2009 को एनएसई पर सबसे अधिक गिरने वाले शेयरों में शामिल था और अगले कुछ दिनों तक इसमें गिरावट जारी रही। यह चार जून को 165 रुपए पर बंद हुआ जबकि तीन दिन पहले इसका दाम 200 रुपए था। इसी तरह एसकेएम एग प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट 27 मई, 2009 को सबसे अधिक चढ़ने वाले शेयरों में शुमार था और इसमें तेजी 1 जून तक जारी रही। इस दिन यह 29 रुपए पर बंद हुआ।

टॉरस असेट मैनेजमेंट के एमडी आर के गुप्ता का कहना है कि ऐसे शेयरों को लंबी अवधि के नजरिए से नहीं खरीदना चाहिए। इनमें कम समय का निवेश बेहतर रहता है।...कीमत की चाल और वॉल्यूम का कैसे रखें ध्यान...

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किसी भी फैसले से पहले दो बातों- कीमत की चाल और ट्रेडिंग वॉल्यूम पर ध्यान देना चाहिए। अगर किसी शेयर का दाम ऊपर जा रहा है और इसमें कारोबार की मात्रा भी अधिक है तो यह चलन अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकता है। इसी तरह दाम घटने और वॉल्यूम अधिक होने से कीमत और गिरने की संभावना रहती है। अगर आप किसी शेयर में ज्यादा वॉल्यूम देखते हैं तो उसमें पोजीशन ली जा सकती है। इसका मतलब है कि अगर दाम चढ़ रहा हो तो आप उसे खरीद सकते हैं।

अगर आपके पास किसी कंपनी का शेयर मौजूद है और दाम बढ़ने की वजह से आप इसमें मुनाफावसूली करना चाहते हैं तो आपको उस शेयर की वॉल्यूम पर नजर डालनी चाहिए। अगर कीमतें चढ़ने के साथ वॉल्यूम भी अधिक है तो सभी शेयर एक साथ न बेचें। आप इसमें धीरे-धीरे मुनाफावसूली कर सकते हैं। इसी तरह अगर दाम बहुत अधिक गिर रहे हैं तो आपको मूल्यांकन आकर्षक होने के बावजूद खरीदारी को लेकर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इसके लिए दाम और गिरने और ट्रेंड बदलने का इंतजार करना चाहिए।
हुत से मामलों में साइकल बहुत कम समय का होता है। एक कंपनी अगर आज सबसे अधिक चढ़ने वाले शेयरों में शामिल है तो अगले दिन सबसे नुकसान वाले शेयरों की सूची में आ सकती है। उदाहरण के लिए रैनबैक्सी लेबोरेटरीज का शेयर 25 मई, 2009 को 21 फीसदी चढ़ा था लेकिन अगले ही दिन इसमें आठ फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 244 रुपए पर बंद हुआ था। ऐसे मामलों से बचने के लिए स्टॉप लॉस का विकल्प रामबाण का काम करता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सविर्सेज के सीएमडी मोतीलाल ओसवाल का कहना है, 'लगभग 90 फीसदी निवेशक स्टॉप लॉस नहीं लगाते। शेयर बाजार में वही विजेता होते हैं जो स्टॉप लॉस के विकल्प का इस्तेमाल करते हैं।'
शेयरों की कीमतों को लेकर फंडामेंटल और बाजार के असर को अलग रखना चाहिए। गुप्ता का कहना है, 'अगर कोई निवेशक कम अवधि में धन कमाना चाहता है तो उसे फंडामेंटल पर ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि फंडामेंटल के आधार पर लंबी अवधि में ही फायदा होता है।'

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