इसका कोई ठोस या बुनियादी कारण नहीं बताया जा सकता। एक ओर तो बोनस जारी करने वाली कंपनी के बारे में निवेशकों की यह धारणा बनती है कि कंपनी नकद रिजर्व के मामले में बहुत मजबूत है और दूसरा लाभांश के तौर पर मिलने वाली रकम दोगुनी हो जाती है। इन सबसे कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ जाती है।
साथ ही बोनस के बाद क्योंकि कंपनी के शेयरों की कीमत उसी अनुपात में कम हो जाती है, तो उनका दैनिक कारोबार भी काफी बढ़ जाता है।
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