Sep 3, 2010
जानिए क्या है ‘क्यूआईबी’
क्यूआईबी या क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशन बायर्स यानि वो खरीदार जिन्हे सेबी ने रेकमेंड किया है और जिनके पास पहले से ही बड़ा फंड होता है। ये खरीदार बड़े पैमाने पर शेयर्स की खरीद करते हैं। इनमें शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंक, इरडा के पास रजिस्टर्ड इंश्योरेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड हाउस, एफआईआई आदि शामिल हैं। ये सब सेबी द्वारा लीगल रुप से रेकमेंड किए जाते हैं
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जानिए रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट का अंतर
गलवार को रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए रेपो और रिवर्स रेपो दोनो ही दरों को बढ़ा दिया है । इस नीति के अंतर्गत केन्द्रीय बैंक आगे की रणनीतिके बारे में दिशा निर्देश तय करता है। जिसके तहत वह रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट कोघटाता या बढ़ाता है। लेकिन आरबीआई के इन तकनीकी शब्दों के बारे में आम आदमी काज्ञान शून्य रहता है। आइए जानते हैं। क्या होती है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट औरक्यों जरुरत होती है इसे घटाने और बढ़ाने की।
रेपो रेट
आम आदमी कीतरह बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी कर्ज की जरुरत पड़ती है ऐसे में ये रिजर्वबैंक से शार्ट टर्म के लिए कर्ज लेते हैं। जिस ब्याज दर पर आरबीआई बैंकों औरवित्तीय संस्थानों को कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहते है। जब बाजार में लिक्विडिटीज्यादा हो जाती है तो आरबीआई रेपो रेट बढ़ा देता है जिससे आरबीआई से मिलने वालाकर्ज महंगा हो जाता है और बाजार में लिक्विडिटी में कमी आ जाती है। इससे महंगाई कोकाबू में करने में भी मदद मिलती है।
रिवर्स रेपो रेट
बैंकों औरवित्तीय संस्थानों के पास जब नगदी की अधिकता हो जाती है तो वो उसे आरबीआई को उधारदे देते हैं। जिस दर पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।महंगाई को काबू में करने के लिए भी रिवर्स रेपो रेट आरबीआई बढ़ा देता है जिससे बैंकबाजार में पैसा लगाने के बजाय आरबीआई के पास पैसा जमा करवाने में ज्यादा दिलचस्पीदिखाते हैं।
रेपो रेट
आम आदमी कीतरह बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी कर्ज की जरुरत पड़ती है ऐसे में ये रिजर्वबैंक से शार्ट टर्म के लिए कर्ज लेते हैं। जिस ब्याज दर पर आरबीआई बैंकों औरवित्तीय संस्थानों को कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहते है। जब बाजार में लिक्विडिटीज्यादा हो जाती है तो आरबीआई रेपो रेट बढ़ा देता है जिससे आरबीआई से मिलने वालाकर्ज महंगा हो जाता है और बाजार में लिक्विडिटी में कमी आ जाती है। इससे महंगाई कोकाबू में करने में भी मदद मिलती है।
रिवर्स रेपो रेट
बैंकों औरवित्तीय संस्थानों के पास जब नगदी की अधिकता हो जाती है तो वो उसे आरबीआई को उधारदे देते हैं। जिस दर पर आरबीआई उन्हें ब्याज देता है उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।महंगाई को काबू में करने के लिए भी रिवर्स रेपो रेट आरबीआई बढ़ा देता है जिससे बैंकबाजार में पैसा लगाने के बजाय आरबीआई के पास पैसा जमा करवाने में ज्यादा दिलचस्पीदिखाते हैं।
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Aug 29, 2010
तीन ओवर, और लग गया शतक
नई दिल्ली. विश्व क्रिकेट में आज कितने भी रिकार्ड बन गए हों, पर ऑस्ट्रेलिया के डॉन ब्रेडमेन के इस कीर्तिमान को अब तक कोई खिलाड़ी नहीं छू सका है। घरेलू मैच खेलते हुए ब्रेडमेन ने महज तीन ओवरों में शतक जड़ दिया था। दुनिया के तेज से तेज बल्लेबाजी करने वाले बल्लेबाज भी ऐसा नहीं कर पाए हैं।
बात उस समय की है जब एक ओवर में 8 गेंदें हुआ करती थीं। लेकिन आज तक किसी बल्लेबाज ने महज 22 गेंदों में शतक नहीं लगाया है। 3 नवंबर, 1931 को ब्लैकहीथ (ऑस्ट्रेलियाई टीम) से खेलते हुए ब्रेडमेन ने लिथगो के खिलाफ तीन ओवर और दो गेंद मे 111 रन ठोक दिए थे।
पहला ओवर - 33 रन - 6,6,4,2,4,4,6,1
दूसरा ओवर - 40 रन - 6,4,4,6,6,4,6,4
तीसरा ओवर - 27 रन - 6,6,1,4,4,6
शायद इसलिए ब्रेडमेन की क्रिकेट का महानतम बल्लेबाज कहा जाता है। आज कोई बल्लेबाज कितने भी कीर्तिमान खड़े क्यों ना कर ले, लेकिन ब्रेडमेन की बराबरी कभी नहीं कर सकता। उन्होंने महज 20 साल के करियर में बल्लेबाजी के रिकार्डों का पहाड़ खड़ा कर दिया। सचिन तेंदुलकर ने भी 20 साल से अधिक क्रिकेट खेला है, लेकिन कम मैच खेलकर ब्रेड
बात उस समय की है जब एक ओवर में 8 गेंदें हुआ करती थीं। लेकिन आज तक किसी बल्लेबाज ने महज 22 गेंदों में शतक नहीं लगाया है। 3 नवंबर, 1931 को ब्लैकहीथ (ऑस्ट्रेलियाई टीम) से खेलते हुए ब्रेडमेन ने लिथगो के खिलाफ तीन ओवर और दो गेंद मे 111 रन ठोक दिए थे।
पहला ओवर - 33 रन - 6,6,4,2,4,4,6,1
दूसरा ओवर - 40 रन - 6,4,4,6,6,4,6,4
तीसरा ओवर - 27 रन - 6,6,1,4,4,6
शायद इसलिए ब्रेडमेन की क्रिकेट का महानतम बल्लेबाज कहा जाता है। आज कोई बल्लेबाज कितने भी कीर्तिमान खड़े क्यों ना कर ले, लेकिन ब्रेडमेन की बराबरी कभी नहीं कर सकता। उन्होंने महज 20 साल के करियर में बल्लेबाजी के रिकार्डों का पहाड़ खड़ा कर दिया। सचिन तेंदुलकर ने भी 20 साल से अधिक क्रिकेट खेला है, लेकिन कम मैच खेलकर ब्रेड
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Aug 27, 2010
ट्रांसप्लांट कराने का खर्च 35 रुपए
जयपुर. अब नेचुरल बालों से भी गंजेपन का इलाज संभव है। छह से आठ घंटे में माइक्रोस्कॉप से इन्हें ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
लुक में भी ये ऑरिजनल दिखाई देते हैं। जयपुर में लेटेस्ट टेक्निक माइक्रोहेयर फोलिक्यूलर यूनिट के जरिए हेयर ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं। मेडिस्पा लेजर एंड कॉस्मेटिक सर्जरी सेंटर के संचालक डॉ. सुनीत सोनी ने प्रेस वार्ता में बताया कि अभी तक आर्टिफिशियल हेयर से ट्रांसप्लांट किया जा रहा था। इसके साइड इफेक्ट्स होने के कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही थी।
कई बार स्किन भी खराब हो जाती थी, लेकिन फ्रांस की इस टेक्निक से स्किन, आंखों और ब्रेन को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। छह से आठ घंटे में 15 से 20 हजार बालों का ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। एक ग्राफ्ट यानी एक बाल ट्रांसप्लांट करने का खर्च 35 रुपए है। ये बाल स्थायी होते हैं। इनकी नेचुरल ग्रोथ होती है। बिना साइड इफेक्ट्स के पूरी जिंदगी बढ़ते हैं। दिल्ली और मुंबई की तुलना में यहां एक तिहाई कम खर्च पर ट्रांसप्लांट होता है।
लुक में भी ये ऑरिजनल दिखाई देते हैं। जयपुर में लेटेस्ट टेक्निक माइक्रोहेयर फोलिक्यूलर यूनिट के जरिए हेयर ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं। मेडिस्पा लेजर एंड कॉस्मेटिक सर्जरी सेंटर के संचालक डॉ. सुनीत सोनी ने प्रेस वार्ता में बताया कि अभी तक आर्टिफिशियल हेयर से ट्रांसप्लांट किया जा रहा था। इसके साइड इफेक्ट्स होने के कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही थी।
कई बार स्किन भी खराब हो जाती थी, लेकिन फ्रांस की इस टेक्निक से स्किन, आंखों और ब्रेन को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। छह से आठ घंटे में 15 से 20 हजार बालों का ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। एक ग्राफ्ट यानी एक बाल ट्रांसप्लांट करने का खर्च 35 रुपए है। ये बाल स्थायी होते हैं। इनकी नेचुरल ग्रोथ होती है। बिना साइड इफेक्ट्स के पूरी जिंदगी बढ़ते हैं। दिल्ली और मुंबई की तुलना में यहां एक तिहाई कम खर्च पर ट्रांसप्लांट होता है।
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Aug 24, 2010
जानिए क्या है ”डीमैट” अकाउंट
क्या है डीमैट अकाउंट?यह वो अकाउंट है जिसके जरिए या शेयर बाजार में खरीदफरोख्त की जाती हैं। इसके जरिए इन्वेस्टर शेयरों और सिक्योरिटीज को इलेक्रॉर निक फॉफॉर्म में रख सकते हैं। सिक्योरिटीज को फिजिकल फार्मेट मे बदलने की प्रक्रिया को ‘डीमेटिरियलाइजेशन’ कहते हैं। और इसी का शार्ट फॉर्म ‘डीमैट’ है।
कैसे खुलेगा डीमैट एकाउंट?डीमैट एकाउंट खुलवाना सेविंग अकाउंट खुलवाने जितना ही आसान है। आपको बस अपने पैन नंबर, बैंक स्टेटमेंट और सैलरी स्लिप के साथ डीमैट एकाउंट खुलवाने का फॉर्म भर कर जमा करवाना पड़ेगा। एकाउंट चालू होते ही आप शेयरों की खरीद-बिक्री कर सकते हैं।
कितना खर्च आएगा?अकाउंट खुलवाने का खर्च 300-700 रुपए के बीच होता है। इसके अलावा आपको सालाना मेंटेनेन्स चार्ज भी देना पड़ेगा, जो अलग अलग कंपनियों के डीमैट पर अलग अलग होता है।
क्या एक से ज्यादा डीमैट अकाउंट रख सकते हैं?आप एक साथ कई डीमैट एकाउंट रख सकते हैं। लेकिन एक कंपनी में आप अधिकतम तीन अकाउंट खुलवा सकते हैं। कई मामलों में तो एक से ज्यादा डीमैट अकाउंट रखना अनिवार्य हो जाता है। मसलन अगर आपके नाम पर कुछ सिक्योरिटीज हैं और कुछ सिक्योरिटीज आपके परिवार के किसी दूसरे सदस्य के साथ ज्वाईंट हैं तो आपको दो डीमैट अकाउंट्स की जरूरत पड़ेगी।
अ
कैसे खुलेगा डीमैट एकाउंट?डीमैट एकाउंट खुलवाना सेविंग अकाउंट खुलवाने जितना ही आसान है। आपको बस अपने पैन नंबर, बैंक स्टेटमेंट और सैलरी स्लिप के साथ डीमैट एकाउंट खुलवाने का फॉर्म भर कर जमा करवाना पड़ेगा। एकाउंट चालू होते ही आप शेयरों की खरीद-बिक्री कर सकते हैं।
कितना खर्च आएगा?अकाउंट खुलवाने का खर्च 300-700 रुपए के बीच होता है। इसके अलावा आपको सालाना मेंटेनेन्स चार्ज भी देना पड़ेगा, जो अलग अलग कंपनियों के डीमैट पर अलग अलग होता है।
क्या एक से ज्यादा डीमैट अकाउंट रख सकते हैं?आप एक साथ कई डीमैट एकाउंट रख सकते हैं। लेकिन एक कंपनी में आप अधिकतम तीन अकाउंट खुलवा सकते हैं। कई मामलों में तो एक से ज्यादा डीमैट अकाउंट रखना अनिवार्य हो जाता है। मसलन अगर आपके नाम पर कुछ सिक्योरिटीज हैं और कुछ सिक्योरिटीज आपके परिवार के किसी दूसरे सदस्य के साथ ज्वाईंट हैं तो आपको दो डीमैट अकाउंट्स की जरूरत पड़ेगी।
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