Oct 31, 2010

ऐसे बनिए फेसबुक के उस्ताद

मेलबर्न: फेसबुक पर स्टेटस अपडेट करते हैं, मगर कोई लाइक ही नहीं करता और कॉमेंट करना तो दूर की बात! अगर आपकी प्रॉब्लम भी यही है तो आपके लि
ए फेसबुक का उस्ताद बनने का आइडिया है हमारे पास। एक स्टडी कहती है कि अगर आप फ्राइडे यानी शुक्रवार को अपनी एक फोटो फेसबुक पर पोस्ट कर दें तो फिर देखिए कि उस दिन आपके उस फोटो पर कैसे धड़ाधड़ कॉमेंट्स की बरसात होती है।

एक वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक यह स्टडी सोशल मीडिया मैनेजमेंट कंपनी वर्चू ने कराई है। इसमें कहा गया है कि फेसबुक पोस्ट पर आपको कितनी अटेंशन मिलती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने क्या पोस्ट किया है और कब पोस्ट किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, सिंपल टेक्स्ट से बेहतर है कि कोई फोटो या विडियो अपलोड करें। हजार शब्दों में भी वह बात नहीं होती, जो एक पिक्चर बयान कर सकती है। विडियो अपलोड करने से कॉमेंट्स आने की 22 पर्सेंट उम्मीद बढ़ जाती है और फोटो डालने से 54 पर्सेंट।

शुक्रवार के दिन लोग फेसबुक पर सबसे ज्यादा ऐक्टिव रहते हैं, वीकेंड के मुकाबले। अगर दोपहर से पहले फोटो अपलोड करें तो कॉमेंट्स आने की 65 पर्सेंट संभावना बढ़ जाती है।

इंटरनेट से लें फोन का काम

स्काइप' के आने के बाद इंटरनेट के जरिए ऑडियो और विडियो कॉल काफी तेजी से फेमस हुए हैं। इस तरह के कॉल्स में फोन का रोल क
ंप्यूटर और फोन लाइन का रोल आपका ब्रॉडबैंड कनेक्शन निभाता है। अगर आपके कंप्यूटर में माइक्रोफोन, स्पीकर और वेब कैमरा इंस्टॉल्ड है और ठीक-ठाक इंटरनेट कनेक्शन है तो आप भी स्काइप या उस जैसी किसी दूसरी सेवा को यूज करके दुनिया में कहीं भी फ्री बात कर सकते हैं। बशर्ते, जिससे आप बात करेंगे, वह भी इंटरनेट और स्काइप से जुड़ा हो। 'स्काइप' पियर-टु-पियर नेटवर्क टेक्नॉलजी पर बेस्ड है लेकिन इससे सिर्फ दो कंप्यूटरों के बीच किए जाने वाले कॉल ही फ्री हैं।

' स्काइप' पर बेस्ड ऑडियो-विडियो कॉल्स में इसी नाम के एक सॉफ्टवेयर का अहम रोल होता है, जिसे skype.com से फ्री डाउनलोड कर कंप्यूटर में इंस्टॉल किया जा सकता है। यह एक आम इन्स्टैंट मैसेंजर सॉफ्टवेयर जैसा ही दिखता है। इसे डाउनलोड करने के बाद आपसे स्काइप की मेंबरशिप लेने को कहा जाएगा, जिसके बाद आप कभी भी लॉगिन कर स्काइप पर वीडियो चैट का मजा ले सकते हैं। बस आपको दूसरी जगह मौजूद व्यक्ति की स्काइप आईडी पता होनी चाहिए। 'स्काइप' से आप वीडियो कॉल के अलावा तीन या तीन से ज्यादा लोगों के बीच कॉन्फ्रेंस कॉल, इंस्टैंट मैसेजिंग और फाइल ट्रांसफर भी कर सकते हैं। इस तरह की सेवाओं में स्काइप सबसे ज्यादा पॉपुलर है, लेकिन इंटरनेट पर कुछ और फ्री वीडियो कॉल सेवाएं भी हैं, जिन्हें यूज किया जा सकता है।

गूगल टॉक (talk.google.com)
अगर आपके कंप्यूटर में माइक्रोफोन, वेब कैमरा, स्पीकर और इंटरनेट हैं तो आप गूगल की इस सेवा के जरिए भी अपने दोस्तों आदि से बात कर सकते हैं। इसे यूज करने के दो तरीके हैं। गूगल ने वायस और वीडियो चैट के लिए एक छोटा-सा 'प्लग इन' (इंटरनेट ब्राउजर में नया फीचर जोड़ने वाला सॉफ्टवेयर) फ्री उपलब्ध कराया है, जिसे गूगल टॉक (gtalk) की वेबसाइट से डाउनलोड कर इंस्टॉल किया जा सकता है। इसके बाद आप जी-मेल, आई-गूगल और ऑरकुट आदि में साइन-इन करके वीडियो चैट का मजा ले सकते हैं।

दूसरा तरीका है, 'गूगल टॉक' नामक इंस्टैंट मैसेंजर सॉफ्टवेयर को यूज करने का, जो कुछ-कुछ 'स्काइप' जैसा ही दिखता है। अपने गूगल अकाउंट से इस पर साइन-इन करके आप गूगल टॉक पर अपने दोस्तों से ऑडियो चैट भी कर सकते हैं। आप चाहें तो इसे फाइल ट्रांसफर, टेक्स्ट चैट और ऑडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए भी यूज कर सकते हैं। जहां प्लगइन के जरिए आप एक-दूसरे के वीडियो भी देख सकते हैं, वहीं गूगल टॉक ऑडियो तक ही सीमित हैं। इसमें वीडियो के लिए आपको प्लग-इन को यूज करना पड़ेगा लेकिन आप मोबाइल और लैंडलाइन पर कॉल नहीं कर सकते।

साइट स्पीड (sightspeed.com)
यह वेबसाइट बिजनेसमैन कारोबारियों के लिए बेहतर क्वालिटी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सेवा देती है (जिसके लिए फीस ली जाती है) लेकिन आम यूजर्स इससे कंप्यूटर बेस्ड वीडियो कॉल कर सकते हैं। बिजनेस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सर्विस को भी एक महीने तक फ्री यूज किया जा सकता है। साइट स्पीड का दावा है कि उसकी पेटेंटेड विडियो कॉल सेवा में विडियो और साउंड की क्वॉलिटी बहुत साफ होती है। आईटी की फेम्स मैग्जीन पीसी र्वल्ड ने इसे 2007 के सबसे अच्छे सौ उत्पादों में गिना था। इसका यूज करने के लिए लोजिटेक कंपनी द्वारा डिवेलप 'लोजिटेक विड' सॉफ्टवेयर डाउनलोड (http://bitly/bnWyyQ) और इंस्टॉल करना होता है।

वीओआईपी बस्टर (voipbuster.com)
वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) टेक्नीक पर बेस्ड यह सॉफ्टवेयर भी 'स्काइप' की तरह विडियो चैट की सुविधा देता है, लेकिन सिर्फ दो कंप्यूटरों के बीच ही नहीं। आप चाहें तो इसके जरिए कुछ चुनिंदा जगहों पर लैंडलाइन टेलीफोनों और मोबाइल पर भी अपने कंप्यूटर से फ्री कॉल कर सकते हैं। कुछ अन्य जगहों के लिए यही सुविधा मामूली फीस लेकर दी जाती है। जहां ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, बेल्जियम, मलयेशिया, सिंगापुर, हांगकांग आदि देशों को किए जाने वाले कॉल फ्री कॉल्स की श्रेणी में आते हैं, वहीं भारत और चीन के लिए फ्री सुविधा नहीं है। अपने आईएसडी बिल बचाने के लिए यह एक बेहतरीन जरिया हो सकता है।

ऊवू (oovoo.com)
फ्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऊवू की सबसे बड़ी क्वॉलिटी है। साइट स्पीड पर जिन सेवाओं के लिए फीस ली जाती है, यहां पर वे भी फ्री उपलब्ध हैं। ई-मेल की तर्ज पर इसको यूज करके अपने दोस्तों को रेकॉर्डेड विडियो मैसेज भी भेजे जा सकते हैं। इसके लिए भी आपको ऊवू सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर इंस्टॉल करना होगा। यह सॉफ्टवेयर दूसरे मैसेजिंग सॉफ्टवेयरों और ई-मेल आदि के दोस्तों को भी अपनी लिस्ट में ऐड कर सकते हैं। टेक्स्ट चैट और फाइल शेयरिंग के साथ-साथ आप उन लोगों के साथ भी ब्राउजर बेस्ड वीडियो चैट का मजा ले सकते हैं, जिनके कंप्यूटर में ऊवू सॉफ्टवेयर इंस्टॉल्ड नहीं है।

जाजा (jajah.com)
यह कंप्यूटर-से-कंप्यूटर के बीच फ्री कॉल करने के साथ-साथ निश्चित संख्या में फोन पर कॉल करने की सुविधा भी देती है। जाजा को यूज कर आप हर महीने एक हजार मिनट तक की फ्री कॉल कर सकते हैं। जो लोग बिजनेसमैन हैं, उनके लिए अलग से चार्जेबल सुविधाएं उपलब्ध हैं। जाजा के काम करने का तरीका थोड़ा अलग है। इसके लिए सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना जरूरी नहीं है और न ही कानों में हैडसैट लगाने की जरूरत है। वजह, आप अपने फोन को ही इस सेवा के साथ जोड़ सकते हैं, जिससे आप फिक्स्ड लाइन फोन के साथ-साथ मोबाइल पर भी बात कर सकते हैं। जाजा के जरिए बात करने के लिए वेबसाइट पर अपना नंबर डालने के बाद मिलाया जाने वाला नंबर डाला जाता है। इसके बाद आपके फोन पर जाजा की ओर से कॉल आती है और आपको कॉल मिलाए जाने की सूचना दी जाती है। अब जाजा की ओर से दूसरे छोर पर मौजूद व्यक्ति के फोन का नंबर मिलाया जाता है और आपकी बात शुरू हो जाती है।

कंप्यूटर के जरिए कॉल करने से पहले यह जरूर पक्का कर लें कि आपने अपने स्पीकर (या साउंड कार्ड), माइक्रोफोन और वेब कैमरे के ड्राइवर आदि सही ढंग से इंस्टॉल कर लिए हैं। अगर बात करते समय ऑडियो या वीडियो संबंधी प्रॉब्लम आती है तो बहुत संभव है कि आपके सिस्टम में जरूरी ड्राइवर मौजूद नहीं हैं। ड्राइवर उस सॉफ्टवेयर को कहते हैं, जो आपके हार्डवेयर और कंप्यूटर के बीच कड़ी का काम करता है। उसके बिना कंप्यूटर नए हार्डवेयर जैसे कैमरा, स्पीकर आदि को नहीं पहचानता।

वेबसाइट्स कुछ काम की कुछ कमाल की

http://www.funtoosh.com?mclips/plays.php?id=sharp_up_dude
चालू दोस्त : दो दोस्तों के बीच मजाक-मजाक में खेला जा रहा एक रोचक खेल कैसे एक दोस्त के लिए
बुरे अनुभव में तब्दील हो जाता है, जरा देखिए इस फन विडियो में। हां एक बात और, मजा न आए, तो पैसे मत दीजिएगा।

http://in.youtube.com/watch?v=_OBlgSz8sSM
वाह क्या डांस है : मिस्टर बीन की कारगुजारियों से तो आप वाकिफ होंगे ही, लेकिन हो सकता है कि आपने उनका मजेदार डांस न देखा हो। डांस देखना चाहते हैं, तो क्लिक कीजिए इस लिंक पर।

http://in.youtube.com/watch?v=_OBlgSz8sSM
बच्चों की दुनिया : क्या आपको पता है कि बच्चों के मुंह में उंगली देने से क्या होता है? अगर नहीं, तो यू ट्यूब के इस फन विडियो को जरूर देखें। बच्चों की शैतानियों को इंजॉय करने वालों को भरपूर मजा आएगा।

www.itbusinessedge.com
अगर आप आईटी फील्ड से जुड़े हैं और इस क्षेत्र से जुड़ी लेटेस्ट टेक्नॉलजी व खबरों के टच में रहना चाहते हैं, तो यह साइट आपके लिए बेहद उपयोगी हो सकती है। लॉग इन कीजिए www.itbusinessedge.com पर और जानिए आईटी फील्ड में हो रही ताजातरीन हलचल के बारे में।

www.babycenter.com
क्या आप अपने बच्चे के दिन-प्रतिदिन के विकास पर नजर रखते हैं? क्या आपको पता है कि किस उम्र में नन्हे-मुन्नों को क्या-क्या काम करना शुरू कर देना चाहिए? अगर नहीं, तो www.babycenter.com पर लॉग इन कीजिए और रखिए अपने बच्चे के विकास का ट्रैक। साइट आपको प्रेग्नेंसी से जुड़ी जानकारी भी उपलब्ध कराती है।

www.phixr.com
अब आपके फोटो की काट-छांट और तराश बस एक क्लिक दूर है। यह ऑनलाइन फोटो एडिटर इस्तेमाल करने में बेहद आसान है। बस फोटो अपलोड करें और बेहद आसान टूल्स के साथ उसे अपने मुताबिक शेप, साइज, कलर आदि दें। इसके बाद फोटो सेव कर लें, या ईमेल करें या फिर फोटो साइट पर अपलोड कर लें।

www.newseum.com
50 देशों से विभिन्न अखबारों के 495 पन्ने देखें एक साथ। यह बेहद दिलचस्प है कि किस तरह एक ही खबर को अलग-अलग अखबार ने अपने तरीके से लिखा और रिप्रजेंट किया है। यह बेहद दिलचस्प है कि किस तरह एक ही खबर को अलग-अलग अखबार ने अपने तरीके से लिखा और रिप्रजेंट किया है।

www.goodgadgets.com
गजेट्स की दुनिया की पूरी जानकारी पाएं। छोटी से बड़ी हर चीज के बारे में विस्तार से जानें और अपनी उत्सुकता शांत करें। यह गजेट्स के चाहनेवालों के लिए बेहद कारगर हो सकती है। नया क्या है मार्केट में, उसकी क्या खासियतें हैं, क्या कीमत है और किस तरह उसे हैंडल किया जैसी तमाम जानकारियां इस साइट पर उपलब्ध हैं।

www.wobzip.com
कभी भी और कहीं भी फाइलें ऑनलाइन करें तैयार। यह ऑनलाइन फोटो एडिटर इस्तेमाल करने में बेहद आसान है। बस फोटो अपलोड करें और बेहद आसान टूल्स के साथ उसे अपने मुताबिक शेप, साइज, कलर आदि दें। इसके बाद फोटो सेव कर लें, या ईमेल करें या फिर फोटो साइट पर अपलोड कर लें।

http://www.indiaplaza.com/
इंडियन प्लाजा ऑनलाइन शॉपिंग करवाता है खास इंडियन स्टाइल में यानी हर चीज में तोल मोल के बोल बोलने का मौका। यहां 35 लाख से भी ज्यादा प्रॉडक्ट मौजूद हैं। हर तरह के प्रॉडक्ट में डिफरेंट वैरायटी भी हैं ताकि अपनी जरूरत के हिसाब से चुनाव किया जा सके। ज्यादातर चीजें मार्केट रेट से काफी कम कीमत पर उपलब्ध हैं, मसलन तंत्रा की तीन टी शर्ट का सेट महज 199 रुपये में या फिर हिंदी फिल्मों की डीवीडी एक रुपये की कीमत पर। इस साइबर शॉपिंग में किताबें, फिल्में, किचेन में इस्तेमाल होने वाले एप्लांयसेस, कपड़े, मोबाइल और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स तो खरीदे ही जा सकते हैं इसके साथ ही टिपिकल इंडियन प्रॉडक्ट्स मसलन हैंडीक्राफ्ट का सामन, जूलरी और नवरात्र की पूजा का सामान भी मौजूद है। कंपनी भारत और अमेरिका में सीधे आपके दरवाजे पर सामान की डिलीवरी करती है। लीजिए इस खास साइबर बाजार में शॉपिंग का मजा।

http://www.futurebazaar.com
इस ऑनलाइन शॉपिंग साइट को डिवेलप किया है भारत की सबसे बड़ी रिटेल चेन पैंटालून ने। यानी अगर नहीं है बिग बाजार जाने का मन तो घर बैठे भी किया जा सकता है सबसे सस्ते और अच्छे प्रॉडक्ट के लिए ऑर्डर। कंपनी ऑथराइज्ड डीलर्स से ही सामान लेती है, इसलिए हर प्रॉडक्ट पर वारंटी भी दी जाती है। अगर डिलीवरी के दौरान आपको लगता है कि गलत या खराब प्रॉडक्ट मिल गया है तो उसे एक्सचेंज करने का भी ऑप्शन रहता है। ऑनलाइन शॉपिंग के फेर में बैंक डिटेल्स का मिसयूज होने के डर को दूर करने के लिए कंपनी ने खास तौर पर अपना सिस्टम डिवेलप किया है। अगर मंगाया गया सामान पसंद नहीं आता तो उसे 15 दिन के अंदर वापस भी किया जा सकता है।

http://lifeinlines.com
यह वेबसाइट आपको अपनी जिंदगी के हर कदम का दस्तावेज तैयार करने में मदद करती है। इसके जरिए प्रोफाइल बनाकर न सिर्फ पिक्चर बल्कि एसएमएस,एमएमएस और तमाम दूसरी चीजें स्टोर कर सकते हैं। इस वेबसाइट में फोन कॉल, जी टॉक मैसेंजर के जरिए भी अपने ख्याल दर्ज किए जा सकते हैं। जब भी आप अपना स्टेटस मैसेज चेंज करेंगे, वेबसाइट उस चेंज को स्टोर कर लेगी। आखिर स्टेटज मैसेज भी तो मूड या कहें लाइफ के अप्स एंड डाउन का नोटिस लेने का एक बेहतरीन तरीका है। आप अपने प्रोफाइल में विडियो, ऑडियो, पिक्चर के अलावा आवाज भी दर्ज करा सकते हैं।

Oct 15, 2010

टीआरपी में केबीसी-4 ने बिग बॉस को पीछे छोड़ा

नई दिल्ली.सोनी टीवी पर शुरू हुए कौन बनेगा करोड़पति के चौथे संस्करण ने शानदार शुरूआती रेटिंग हासिल की है। एक मीडिया रिसर्च और टेलीविजन रेटिंग कम्पनी के आकलन के अनुसार केबीसी-4 ने सोमवार के दिन करीब 5 टीआरपी हासिल की है जो काफी अच्छी कही जा सकती है।

केबीसी-4 की यह शुरूआती रेटिंग पिछले कुछ समयावधि के दौरान शुरू हुए किसी भी रियलिटी शो से अधिक है। उदाहरण के लिए प्रियंका चोपड़ा के शो खतरों के खिलाड़ी-3 के पहले एपीसोड को 3.2 की रेटिंग मिली थी तो बिग बॉस-4 के शुरूआती एपिसोड को भी 3.6 की रेटिंग मिली थी।

हालाँकि बतौर होस्ट शाहरूख खान के साथ शुरू हुए केबीसी-3 को 5.3 की रेटिंग मिली थी, जो केबीसी-4 की शुरूआती रेटिंग से थोड़ी अधिक थी। केबीसी-4 ने शुरूआती सफलता अर्जित कर ली है और इससे नम्बर चार पर चल रहे सोनी को लाभ पहुँचने की सम्भावना है।

केबीसी-4 प्राइम टाइम पर यानी कि रात 9 बजे सोमवार से गुरूवार तक टेलीकास्ट होगा और इससे कलर्स के बिग बॉस-4 सहित स्टार प्लस और जी टीवी के धारावाहिकों को भी असर हो रहा है.केबीसी-4 के शुरू होने के बाद से बिग बॉस - 4 की रेटिंग गिर गई है.

Oct 2, 2010

जहीर ने लक्ष्मण से कहा था- बुजुर्ग हो गए हैं पोंटिंग, इसी पर भड़क गए थे कप्तान

नई दिल्ली. भारतीय ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने खुलासा किया है कि किस बात पर पोंटिंग इतना भड़के थे। हुआ यह था कि गेंदबाज जहीर खान ने अपने साथी वीवीएस लक्ष्मण से कहा कि अब पोंटिंग बुजुर्ग दिखने लगे हैं। लेकिन पोंटिंग को लगा कि जहीर ने यह बात सीधे उनसे कही है, जिस पर उन्होंने बल्ला उठाकर जहीर को धमकाया। पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी अरुणलाल ने भी कहा कि जहीर वीवीएस लक्ष्मण से बात कह रहे थे और पोंटिंग को गलतफहमी हो गई।

हरभजन ने कहा कि दरअसल यह पूरा मामला पोंटिंग को हुई गलतफहमी के कारण हुआ। उनके 71 रन पर आउट होने के बाद सभी भारतीय खिलाड़ी जश्न मना रहे थे। इसी बीच जहीर ने यह टिप्पणी लक्ष्मण से चर्चा के दौरान की। और पोंटिंग यह जानने के लिए लौटे कि जहीर ने वास्तव में क्या कहा। आपको बता दें कि पोंटिंग अभी 36 साल के हैं।

पूर्व भारतीय खिलाड़ी और वर्तमान कमेंटेटर अरुणलाल ने भी इस प्रकरण को साफ करते हुए कहा कि जहीर रिकी पोंटिंग को नहीं बल्कि साथी खिलाड़ी वीवीएस लक्ष्मण से कुछ कह रहे थे। लेकिन पोंटिंग इसे गलत समझ बैठे और जहीर से उलझ पड़े।

शुक्रवार को मोहाली में खेले जा रहे भारत ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टेस्ट मैच के पहले दिन ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग और भारतीय गेंदबाज जहीर खान में बहस हो गई थी। अब खुलासा हुआ है कि जहीर, लक्ष्मण से बात कर रहे थे। इस पर आउट होकर मैदान से पवेलियन लौट रहे पोंटिंग वापस आए और जानना चाहा कि जहीर ने क्या कहा। इसके बाद उन्होंने धमकी भरे अंदाज में बल्ला भी दिखाया।

Oct 1, 2010

वायदा कारोबार क्या होता है?

आपने कभी किसी को कुछ देने का वादा तो किया ही होगा। यह वादा ही इस कारोबार का आधार है। मान लीजिए आपके
पास शेयर खरीदने के लिए पूरे पैसे नहीं हैं, मगर शेयर के दाम काफी नीचे चल रहे हैं। आप क्या करेंगे? आप शेयर बेचने वाले से वादा करते हैं कि कुछ पैसे अभी ले लो, बाकी कुछ दिनों बाद ले लेना। पूरा पैसा देकर, पूरे शेयर ले लूंगा। यही वादा कारोबार है।

आपने 100 शेयर खरीदे। कुल कीमत करीब 10 हजार रुपये है। आपने 10 या 15 फीसदी मार्जिन मनी शेयर बेचने वाले को दे दी। तय हुआ कि 30 दिन बाद आप बाकी रकम दे देंगे। आप जैसे ही पूरी रकम देंगे, शेयर आपके नाम हो जाएगा। इस तरह का कारोबार ही वायदा कारोबार कहलाता है। अब शेयरों के साथ उपभोक्ता वस्तुओं और अमेरिकी डॉलरों का भी वायदा कारोबार शुरू हो गया है। डॉलर का वायदा कारोबार शेयर बाजार में होता है, जबकि उपभोक्ता वस्तुओं का कमोडिटी एक्सचेंजों में।

वायदा का फायदा: पूरा पैसा न होने के बावजूद भी खरीदारी संभव है। इससे बाजार में मनी फ्लो बना रहता है, जिसे तकनीकी भाषा में लिक्विडिटी कहा जाता है। पैसे की कमी के कारण बाजार में कारोबार नहीं रुकता। प्लानिंग करने में आसानी होती है। शेयर अगर नीचे गिर रहे हैं, तो वायदा कारोबार काफी फायदेमंद होता है। आप निचले दामों पर शेयर खरीदकर बाद में बेचने की प्लानिंग कर सकते हैं। अगर आपको तीन माह बाद कारोबार या विदेश जाने के लिए डॉलर की जरूरत है, तो पहले से वायदा कारोबार के जरिए उसे बुक कर सकते हैं। उपभोक्ता वस्तुओं में भी ऐसा किया जा सकता है।

लॉट क्या होता है और क्या होती है मार्जिन कॉल?

लॉट क्या होता है?


दरअसल नकद बाजार की तरह वायदा बाजार में कोई भी शेयर मनमानी संख्या में नहीं खरीदा जा सकता। एक्सचेंज यह तय करता है कि कौन सा शेयर कम से कम कितनी संख्या में खरीदा जा सकता है। इसी संख्या को लॉट कहते हैं। वायदा बाजार में कोई भी शेयर लॉट में ही खरीदा जाता है। वैसे तो इस बारे में कोई पक्का नियम नहीं है, लेकिन आम तौर पर एक लॉट शेयरों की कीमत 2 लाख रुपए के आसपास होती है। अभी हाल ही में एनएसई ने शेयरों के लॉट की समीक्षा की और लॉट में संख्या पहले के मुकाबले काफी कम की गई। इसका कारण यही था कि पिछले कुछ सालों की बढ़त के कारण एक-एक लॉट के शेयरों की कीमत 6-7 लाख रुपए तक पहुंच गई थी।

वायदा कारोबार में मार्जिन क्या होता है?

लॉट में शेयर खरीदना जाहिर है काफी महंगा होता है। इसलिए शेयर ब्रोकर अपने ग्राहकों को मार्जिन की सुविधा देते हैं। मार्जिन के तहत शेयरों की साख के लिहाज से एक खास प्रतिशत रकम निवेशक को देनी होती है, जबकि बाकी रकम ब्रोकर निवेशक को देता है। आम तौर पर निवेशकों को अलग-अलग शेयरों के लिहाज से 20-30 फीसदी मार्जिन रखना होता है, जबकि 70-80 फीसदी कर्ज ब्रोकर देता है।

लॉन्ग और शॉर्ट किसे कहते हैं?

लॉन्ग होना यानी कोई शेयर में खरीदारी करना और शॉर्ट करना यानी कोई शेयर आपके पास न हो, लेकिन ब्रोकर से कर्ज लेकर उसे बेचना।

मार्जिन कॉल क्या होती है?

मान लीजिए आपने 5,000 पर एक लॉट निफ्टी अप्रैल लॉन्ग किया। निफ्टी के एक लॉट में 50 इकाइयां होती हैं। यानी आपको पूरे लॉट के लिए 2,50,000 रुपए देने होंगे। अब आपका ब्रोकर आपको 30 फीसदी मार्जिन जमा करने को कहता है यानी आप 50 हजार रुपए जमा करते हैं। दो लाख रुपए ब्रोकर आपके पोजिशन पर आपको कर्ज देता है। अब बाजार गिरने लगा और निफ्टी अप्रैल पहुंच गया 4,000 हजार पर। यानी आपकी पोजिशन रह गई 2,00,000 रुपए की। अब यहां से अगर निफ्टी थोड़ा भी नीचे गया और आपने मार्जिन बढ़ाने से इंकार कर दिया, तो सौदा काटने के बाद भी घाटा ब्रोकर का होगा। ऐसे में जहां निफ्टी 4,100 से नीचे फिसलेगा, आपका ब्रोकर आपको तुरंत मार्जिन जमा कराने को कहेगा। अगर निफ्टी के 4,000 तक आने तक आप रकम नहीं जमा करा सके, तो वह 4,000 पहुंचते ही सौदा काट देगा ताकि उसे दिए गए कर्ज की रकम वापस मिल जाए।

बायबैक का फंडा

किसी कंपनी के अपने शेयर दोबारा खरीदने के कदम को बायबैक कहा जाता है। ऐसा कर कंपनी खुले बाजार में उपलब्ध अपने शेयरों की संख्या घटाती है। इस कदम से आय प्रति शेयर (ईपीएस) में इजाफा होने के अलावा कंपनी की संपत्ति पर मिलने वाला रिटर्न भी बढ़ता है।

इनके असर से कंपनी की बैलेंस शीट भी बेहतर होती है। निवेशक के लिए बायबैक का मतलब है, कंपनी में उसकी हिस्सेदारी बढ़ना। शेयर बायबैक करने को कभी-कभार शेयर खरीदना कहा जाता है और आम तौर पर इसे शेयर की कीमत में उछाल का संकेत माना जाता है।

कैसा होता है बायबैक?

कंपनी टेंडर ऑफर या खुले बाजार में बायबैक से अपने शेयर वापस खरीद सकती है। पहले तरीके में कंपनी शेयरों की उन संख्या से जुड़े ब्योरे के साथ टेंडर ऑफर जारी करती है जिन्हें खरीदने की उसकी योजना है और प्राइस रेंज का संकेत देती है। ऑफर को स्वीकार करने में दिलचस्पी रखने वाले निवेशक को एक आवेदन भरकर जमा कराना होता है, जिसमें इसकी जानकारी होती है कि वह कितने शेयर टेंडर करना चाहता है और वांछित कीमत क्या है।

इस फॉर्म को कंपनी के पास वापस भेजना होता है। ज्यादातर मामलों में टेंडर ऑफर बायबैक की कीमत ओपन माकेर्ट में शेयर के दाम से ज्यादा होती है। सेबी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक अगर कंपनी आपके शेयरों को स्वीकार करती है तो उसे आपको ऑफर क्लोज होने के 15 दिन के भीतर जानकारी देनी होगी। कंपनी के समक्ष दूसरा रूट यह होगा कि वह सीधे बाजार से धीरे-धीरे शेयरों को खरीदे।

कहां से मिली जानकारी?

बायबैक से जुड़ी तमाम जानकारी स्टॉक एक्सचेंज से मिल सकती है क्योंकि कंपनियों को ऐसे प्रस्तावों के बारे में सूचित करने की जरूरत होती है।

कंपनियां क्यों चुन रही है बायबैक का रास्ता?

इसकी कई वजह हो सकती हैं। कभी-कभी कंपनियां तब बायबैक में शामिल होती हैं जब उन्हें लगता है कि बाजार में शेयरों की कीमत काफी टूट रही है। दूसरे हालात में ज्यादा नकदी का इस्तेमाल कर ऐसा किया जा सकता है। हालांकि ऐसा कोई उदाहरण नहीं दिखता कि कंपनी के टेकओवर से बचने के लिए ऐसा किया गया हो।

शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग: कैसे पहचाने तेज भागने और गिरने वाले शेयर को

मुंबई: शेयर बाजार के प्रत्येक कारोबारी सत्र के बाद कुछ शेयर सबसे अधिक चढ़ने वाले और कुछ सबसे अधिक नुकसान उठाने वालों की कतार में पहुंच जाते हैं। कोई भी व्यक्ति ऐसे शेयरों को पहले से खरीदकर लाखों रुपए कमा सकता है जो बाजार में सबसे अधिक लाभ कमाने वाले शेयरों में हों लेकिन सही समय पर उचित शेयर खरीदने के लिए आपकी किस्मत तेज होनी चाहिए। आप कारोबारी रणनीतियों आधार पर भी अच्छे और खराब शेयर पहचान सकते हैं।

ईटी आपको कुछ ऐसी ही कारोबारी रणनीतियों के बारे में जानकारी दे रहा है। लेकिन उससे पहले शेयरों की कीमतों का ट्रेंड समझना जरूरी है। यह ट्रेंड या तो कुछ दिनों तक जारी रहता है या फिर प्रत्येक दूसरे दिन बदल जाता है। शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के बारे में जानने के लिए अगला बटन पर क्लिक करें....

ये मुमकिन है: 3 महीने में 100 रुपए से बनाए जा सकते हैं 2 करोड़ रु

इन 10 शेयरों में काटी जा सकती है मलाई

बाजार की तेजी से धोखे न खा
हुत से मामलों में उतार या चढ़ाव का ट्रेंड कुछ दिनों तक चलता है। उदाहरण के लिए सुंदरम ब्रेक लाइनिंग्स दो जून, 2009 को एनएसई पर सबसे अधिक गिरने वाले शेयरों में शामिल था और अगले कुछ दिनों तक इसमें गिरावट जारी रही। यह चार जून को 165 रुपए पर बंद हुआ जबकि तीन दिन पहले इसका दाम 200 रुपए था। इसी तरह एसकेएम एग प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट 27 मई, 2009 को सबसे अधिक चढ़ने वाले शेयरों में शुमार था और इसमें तेजी 1 जून तक जारी रही। इस दिन यह 29 रुपए पर बंद हुआ।

टॉरस असेट मैनेजमेंट के एमडी आर के गुप्ता का कहना है कि ऐसे शेयरों को लंबी अवधि के नजरिए से नहीं खरीदना चाहिए। इनमें कम समय का निवेश बेहतर रहता है।...कीमत की चाल और वॉल्यूम का कैसे रखें ध्यान...

ये मुमकिन है: 3 महीने में 100 रुपए से बनाए जा सकते हैं 2 करोड़ रु

इन 10 शेयरों में काटी जा सकती है मलाई

किसी भी फैसले से पहले दो बातों- कीमत की चाल और ट्रेडिंग वॉल्यूम पर ध्यान देना चाहिए। अगर किसी शेयर का दाम ऊपर जा रहा है और इसमें कारोबार की मात्रा भी अधिक है तो यह चलन अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकता है। इसी तरह दाम घटने और वॉल्यूम अधिक होने से कीमत और गिरने की संभावना रहती है। अगर आप किसी शेयर में ज्यादा वॉल्यूम देखते हैं तो उसमें पोजीशन ली जा सकती है। इसका मतलब है कि अगर दाम चढ़ रहा हो तो आप उसे खरीद सकते हैं।

अगर आपके पास किसी कंपनी का शेयर मौजूद है और दाम बढ़ने की वजह से आप इसमें मुनाफावसूली करना चाहते हैं तो आपको उस शेयर की वॉल्यूम पर नजर डालनी चाहिए। अगर कीमतें चढ़ने के साथ वॉल्यूम भी अधिक है तो सभी शेयर एक साथ न बेचें। आप इसमें धीरे-धीरे मुनाफावसूली कर सकते हैं। इसी तरह अगर दाम बहुत अधिक गिर रहे हैं तो आपको मूल्यांकन आकर्षक होने के बावजूद खरीदारी को लेकर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। इसके लिए दाम और गिरने और ट्रेंड बदलने का इंतजार करना चाहिए।
हुत से मामलों में साइकल बहुत कम समय का होता है। एक कंपनी अगर आज सबसे अधिक चढ़ने वाले शेयरों में शामिल है तो अगले दिन सबसे नुकसान वाले शेयरों की सूची में आ सकती है। उदाहरण के लिए रैनबैक्सी लेबोरेटरीज का शेयर 25 मई, 2009 को 21 फीसदी चढ़ा था लेकिन अगले ही दिन इसमें आठ फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 244 रुपए पर बंद हुआ था। ऐसे मामलों से बचने के लिए स्टॉप लॉस का विकल्प रामबाण का काम करता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सविर्सेज के सीएमडी मोतीलाल ओसवाल का कहना है, 'लगभग 90 फीसदी निवेशक स्टॉप लॉस नहीं लगाते। शेयर बाजार में वही विजेता होते हैं जो स्टॉप लॉस के विकल्प का इस्तेमाल करते हैं।'
शेयरों की कीमतों को लेकर फंडामेंटल और बाजार के असर को अलग रखना चाहिए। गुप्ता का कहना है, 'अगर कोई निवेशक कम अवधि में धन कमाना चाहता है तो उसे फंडामेंटल पर ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि फंडामेंटल के आधार पर लंबी अवधि में ही फायदा होता है।'

बीएसई पर शेयरों के कितने समूह हैं?

बीएसई पर कारोबार करने वाले शेयरों को ए, बी, टी, एस, टीएस और जेड समूहों में बांटा गया है। इनके अलावा
सिक्योरिटीज के वर्गीकरण के लिए कुछ समूह बनाए गए हैं, जिनमें एफ और जी शामिल हैं।

शेयरों को समूहों में क्यों बांटा जाता है?
आम तौर पर निवेशकों को हर शेयर के बारे पूरी जानकारी नहीं होती। उनकी मदद के लिए ही एक्सचेंज शेयरों को कुछ खास खूबियों या कमियों के आधार पर श्रेणियों में बांट देते हैं, ताकि निवेशकों को निवेश या ट्रेड करते समय उनके बारे में कुछ आधारभूत बातें समझ में आ जाएं।

समूहों में शेयरों का वर्गीकररण किस आधार पर किया जाता है?
शेयरों के वर्गीकरण के लिए उनकी बाजार पूंजी (एम कैप), ट्रेडिंग वॉल्यूम, नतीजे, इतिहास, मुनाफा, लाभांश, हिस्सेदारी और इसी तरह के कुछ मानकों का सहारा लिया जाता है। फरवरी 2008 में बीएसई ने शेयरों के वगीर्करण के लिए तय मानकों को अपडेट किया है।ए समूह के शेयरों को निवेशक और विश्लेषक सबसे भरोसेमंद मानते हैं। इस वर्ग में शामिल किए जाने के लिए जरूरी मानकों में सबसे महत्वपूर्ण बाजार पूंजीकरण है। इस समय ए समूह में कुल 216 शेयर शामिल हैं। एस समूह में बीएसई इंडोनेक्स्ट सूचकांक के शेयरों को शामिल किया गया है। इस सूचकांक का गठन बीएसई ने 7 जनवरी 2005 को किया था। एस ग्रुप में बी समूह के शेयर शामिल होते हैं और इसके अलावा 3 करोड़ रुपए से 30 करोड़ रुपए के बीच की पूंजी वाली कंपनियों, जो केवल क्षेत्रीय एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होती हैं, के शेयर भी एस का हिस्सा होते हैं।

जेड समूह में किस तरह के शेयर शामिल हैं?
जेड समूह के शेयर सबसे ज्यादा गैर भरोसेमंद होते हैं। बीएसई ने यह समूह 1999 में बनाया था। इसमें ऐसी कंपनियों के शेयरों को शामिल किया जाता है, जो सूचीबद्ध होते समय एक्सचेंज द्वारा तय नियमों का पालन करने में असफल रहती हैं। इसमें शेयरधारकों की समस्याओं के प्रति उदासीन और अपने शेयरों के डीमैटेरियलाइजेशन के लिए जरूरी प्रबंध करने में नाकाम रहने वाली कंपनियों को भी शामिल किया जाता है। जो शेयर ए, एस और जेड में शामिल नहीं होते, वे बी समूह में होते हैं। मार्च 2008 से पहले इस समूह के शेयर दो समूहों, बी1 और बी2 में बंटे थे, लेकिन अब इन्हें एक ग्रुप बना दिया गया है। टी समूह में वे शेयर होते हैं, जिन्हें ट्रेड-टू-ट्रेड आधार पर ही खरीदा-बेचा जा सकता है। टीएस समूह में उन्हें रखा गया है जो इंडोनेक्स्ट इंडेक्स में शामिल हैं और जिनमें ट्रेड-टू-ट्रेड आधार पर कारोबार होता है। एफ समूह के तहत तय आय वाले सिक्योरिटीज को रखा गया है और जी ग्रुप में सरकारी सिक्योरिटीज रखे जाते हैं।

क्या है पीई रेश्यो?

मूल्य-आय अनुपात का मतलब प्राइस अर्निंग(पीई ) अनुपात से है । यह दरअसल किसी भी शेयर का वैल्यूएशन जानने के लिए सबसे प्राथमिक स्तर का मानक है। दूसरे शब्दों में इसे इस तरह समझा जा सकता है कि यह अनुपात बताता है कि निवेशक किसी शेयर के लिए उसकी सालाना आय का कितना गुना खर्च करने के लिए तैयार हैं। सीधे शब्दों में किसी शेयर का पीई अनुपात दरअसल वर्षों की संख्या है, जिनमें शेयर का मूल्य लागत का दोगुना हो जाता है। जैसे अगर किसी शेयर का मूल्य किसी खास समय में 100 रुपए है और उसकी आय प्रति शेयर 5 रुपए है, तो इसका मतलब यह है कि उसका पीई अनुपात 20 होगा। यानी अगर सारी परिस्थितियां समान हों तो 100 रुपए के शेयर का दाम 20 साल में दोगुना हो जाएगा। यानी उस शेयर का पीई अनुपात उस खास समय में 20 है।

किसी कंपनी के वैल्यूएशन में पीई का क्या महत्व है?

पीई हमें केवल यह बताता है कि बाजार किसी शेयर पर कितना बुलिश या सकारात्मक है। पीई से अपने आप में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। किसी भी नतीजे पर पहुंचने के लिए कुछ दूसरे पीई अनुपातों से इसकी तुलना जरूरी होती है। पहला, तो खुद उस कंपनी का पिछले 5-7 साल का ऐतिहासिक पीई। दूसरा, उसी के क्षेत्र में काम करने वाली दूसरी कंपनियों के पीई अनुपात और तीसरा, बेंचमार्क सूचकांक जैसे सेंसेक्स का पीई अनुपात। किसी कंपनी का पीई बहुत ज्यादा होने से दो निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। पहला, कंपनी को उसके सही मूल्य से बहुत ज्यादा भाव मिल रहा है और इसलिए शेयर महंगा है। दूसरा, बाजार को यह पता है कि आने वाले दिनों में इस कंपनी की वृद्घि दर काफी अधिक रहने वाली है और इसलिए उसके लिए ऊंचे भाव पर भी बोली लगाई जा रही है।

ट्रेलिंग पीई और अनुमानित पीई क्या हैं?

ट्रेलिंग पीई किसी शेयर की कीमत और पिछले 12 महीनों की उसकी आय के अनुपात को कहते हैं। इसी तरह अनुमानित पीई अगले 12 महीने की अनुमानित आय प्रति शेयर के आधार पर निकाला जाता है।

पीई से किसी शेयर की सही कीमत कैसे तय करें?

अक्सर किसी कंपनी के लिए सारी परिस्थितियां समान नहीं होतीं। कंपनी की आय हर साल या तो बढ़ती है या घटती है। इसके अलावा कंपनी अगर एफपीओ के जरिए नए शेयर बाजार में लाती है तो उससे शेयरों की कुल संख्या में भी बढ़ोतरी होती है। इन सभी का उसकी आय प्रति शेयर पर असर पड़ता है। अगर किसी कंपनी का ऐतिहासिक पीई पिछले पांच साल से 30 रहा हो और एकाएक बाजार की गिरावट के कारण वह 20 के पीई पर मिल रहा हो, तो वह शेयर सस्ता कहा जाएगा। लेकिन अगर वह कंपनी इंफोसिस हो जिसकी आय पर अमेरिका में संभावित मंदी के कारण असमंजस का माहौल बना हो, तो फिर एक नजर में आप 20 के पीई को सस्ता नहीं कह सकते।

इक्विटी निवेशकों के लिए क्यों महत्वपूर्ण होते हैं तिमाही नतीजे?

कंपनियों के तिमाही नतीजे घोषित करने का समय फिर आ गया है। इस बार जनवरी से मार्च की चौथी तिमाही का बही-खाता पेश किया जाएगा। इस वित्त वर्ष की तीन तिमाहियां बीत चुकी हैं और इस बार के नतीजे 2008-09 में मंदी के दौरान कंपनियों की आर्थिक स्थिति का लेखा-जोखा होंगे। विश्लेषक और निवेशक इनकी बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं क्योंकि कॉरपोरेट जगत पर मंदी के असर की जानकारी इनसे मिलेगी। इसके साथ ही यह भी पता चलेगा कि चुनौती के समय में प्रबंधन ने कितनी कुशलता से कारोबार को आगे बढ़ाया है।

क्या होते हैं तिमाही नतीजे?

तिमाही नतीजों के जरिए कंपनियां तीन महीनों के अपने प्रदर्शन की रिपोर्ट पेश करती हैं। स्टॉक एक्सचेंजों के साथ लिस्टिंग समझौते के तहत नतीजों की घोषणा करना कंपनियों के लिए जरूरी होता है। ये नतीजे जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में सार्वजनिक किए जाते हैं।

तिमाही आमदनी की घोषणाओं में आमतौर पर गैर ऑडिटेड वित्तीय नतीजे, तिमाही में कारोबार की स्थितियां और भविष्य में कारोबारी संभावनाओं का जिक्र होता है। आमदनी की रिपोर्ट में शुद्ध आय, प्रति शेयर आय, जारी कारोबार से आमदनी और शुद्ध बिक्री जैसी मद शामिल होती हैं। इससे कंपनी की वित्तीय स्थिति और कारोबारी माहौल को समझने में मदद मिलती है।

अगली तिमाहियों के अनुमान

कुछ कंपनियां इन नतीजों के साथ भविष्य के लिए अपने अनुमान भी जाहिर करती हैं। इन्हें गाइडेंस कहा जाता है। यह अगली तिमाही और वित्त वर्ष के लिए कारोबार के बारे में प्रबंधन का अनुमान होता है। कंपनी से वित्तीय उम्मीदें तय करने के लिए गाइडेंस हत्वपूर्ण होती है। अगर कंपनी की पिछली गाइडेंस और तिमाही नतीजे मेल खाते हैं तो इससे प्रबंधन की कुशलता का पता चलता है। अगर कंपनी के अनुमान और उसके नतीजों में बड़ा अंतर होता है तो इसका मतलब है कि प्रबंधन पर आप आगे भी ज्यादा भरोसा नहीं कर सकते। इन्हीं अनुमानों के आधार पर छोटी अवधि के निवेशक कई बार किसी कंपनी के शेयर खरीदने या बेचने का फैसला भी करते हैं।

कंपनी के प्रदर्शन का अक्स

तिमाही नतीजे कंपनी के प्रदर्शन का बड़ा संकेत देते हैं। इसी वजह से विश्लेषक और निवेशक इनका इंतजार करते हैं। आमतौर पर विश्लेषक अनुमानों के आधार पर अपनी उम्मीदें जाहिर करते हैं। इन सभी अनुमानों को मिलाकर कंपनी के प्रदर्शन को देखा जाता है। सच्चाई यह है कि आमदनी का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल होता है। कंपनी की आय को लेकर ब्रोकरेज हाउस के अनुमान हकीकत से कुछ अधिक हो सकते हैं। कंपनियों के लिए खुद भी इनकी सही भविष्यवाणी करना आसान नहीं होता।

नतीजों के सीजन के लिए निवेश की रणनीति

कंपनियों के नतीजे आने के साथ ही उनके शेयर के दाम पर भी इनका असर दिखने लगता है। अगर नतीजे उम्मीद से बेहतर रहते हैं तो शेयर की कीमत चढ़ती है लेकिन अगर ये अनुमानों से कम या करीब रहते हैं तो इनमें गिरावट भी आ सकती है। अगर किसी कंपनी के आंकड़े लगातार कई तिमाहियों तक उम्मीद से कम रहते हैं तो हो सकता है कि कंपनी समस्याओं का सामना कर रही हो। छोटी अवधि के निवेशक तिमाही नतीजों के आधार पर निवेश की रणनीति तैयार कर सकते हैं।

लंबी अवधि के निवेशक इन्हें देखकर यह अंदाजा लगा सकते हैं कि उनकी कंपनी कैसा कारोबार कर रही है। किसी शेयर को आंकने के लिए उसके पिछले नतीजों को देखना भी जरूरी होता है। अगर प्रबंधन ने वित्त वर्ष की अपनी कारोबारी योजना का खुलासा पहले ही कर दिया है तो तिमाही नतीजों से निवेशक को यह पता चलता है कि योजना किस दिशा में और कितनी गति से बढ़ रही है। निवेशकों को यह भी देखना चाहिए कि कहीं कंपनी ने आंकड़ों में कोई हेरफेर तो नहीं की है। उदाहरण के लिए कोई कंपनी मौजूदा तिमाही की आमदनी को जोड़कर उससे जुड़े खर्चों को अगली तिमाही में दिखाने के साथ अपना अधिक मुनाफा दिखाने की कोशिश कर सकती है। इसके अलावा वह अनुमानों पर पूरा उतरने के लिए तिमाही के अंत में उत्पादों को कम दाम पर भी बेच सकती है। ऐसा होने से कंपनी के वास्तविक प्रदर्शन का संकेत मिल पाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

निवेशकों को तिमाही आंकड़ों की जानकारी समाचार पत्रों, बिजनेस चैनलों और कंपनी के वेबसाइट पर मिल सकती है।

क्या होता है राइट्स इश्यू, शेयर विभाजन और ओपन ऑफर?

राइट्स इश्यू


राइट्स इश्यू के तहत कंपनी रकम जुटाने के लिए मौजूदा शेयरधारकों को नए शेयर जारी करती है। आम तौर पर ये शेयर डिस्काउंट (मौजूदा भाव से कम) पर दिए जाते हैं। शेयरधारकों को उनके पास पहले से मौजूद शेयरों के अनुपात में नए शेयर जारी किए जाते हैं। जैसे, अगर कोई कंपनी 2:5 में राइट्स इश्यू देने की घोषणा करती है, तो शेयरधारक को उस कंपनी के हर पांच शेयर पर दो शेयर खरीदने का अधिकार होगा। राइट्स इश्यू में जारी शेयर सूचीबद्ध होने के बाद आम शेयरों की तरह ही खरीदे-बेचे जा सकते हैं।

शेयर विभाजन

इस प्रक्रिया के तहत एक शेयर को कई शेयरों में विभाजित कर दिया जाता है, जिससे शेयरों का बाजार भाव विभाजन के अनुपात में कम हो जाता है। साथ ही उसका फेस वैल्यू भी उसी अनुपात में कम हो जाता है। जैसे 10 रुपए फेस वैल्यू वाले शेयर को कंपनी अगर 5:1 में शेयर विभाजित करने की घोषणा करती है और उसका बाजार भाव 2,000 रुपए चल रहा हो, तो एक्स स्प्लिट होने के बाद उसके शेयर का भाव लगभग 400 रुपए पर आ जाएगा और उसका फेस वैल्यू घटकर 2 रुपए हो जाएगा। आम तौर पर कंपनियां अपने शेयरों का कारोबार बढ़ाने के लिए ही शेयर विभाजन का सहारा लेती हैं।

शेयरों की पुनर्खरीद

प्रमोटर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए दो तरीके अपनाते हैं। या तो वे खुले बाजार से धीरे-धीरे कर अपनी कंपनी के शेयर खरीदते हैं या फिर मौजूदा शेयरधारकों को एक खास भाव पर अपने शेयर प्रमोटर को बेचने को कहते हैं। दूसरी प्रक्रिया को पुनर्खरीद यानी बाय बैक कहा जाता है। बाय बैक में प्रमोटर एक खास तारीख तक शेयरधारकों को अपने शेयर बेचने का प्रस्ताव करता है। इससे कंपनी में एक ओर तो प्रमोटर की हिस्सेदारी बढ़ती है और दूसरी ओर आम जनता की हिस्सेदारी घटती है। इससे शेयर के भाव पर सकारात्मक दबाव पड़ता है। आम तौर पर बाय बैक को कंपनी के लिए काफी अच्छा माना जाता है क्योंकि इससे पता चलता है कि उसके प्रमोटरों को अपनी योजनाओं और कंपनी के भविष्य पर पूरा भरोसा है।

ओपन ऑफर

यह राइट्स इश्यू की ही तरह किसी कंपनी के लिए रकम जुटाने का एक जरिया है, जिसमें कंपनी अपने शेयरधारकों को मौजूदा बाजार भाव से कम पर शेयरों की खरीद के लिए प्रस्ताव करती है। राइट्स इश्यू से यह इस मायने में अलग होता है कि शेयरधारक राइट्स में मिले शेयरों को तुरंत बाजार में बेच सकते हैं, लेकिन ओपन ऑफर में मिले शेयरों को तुरंत नहीं बेचा जा सकता

टेक्निकल एनालिसिस किस तरह होता है?

टेक्निकल एनालिसिस समझने के लिए सबसे पहले चार्ट को समझने की जरूरत है। चार्ट चार तरह के होते हैं,
लाइन चार्ट, बार चार्ट, कैंडलस्टिक चार्ट और पॉइंट एंड फिगर चार्ट। इनमें बार चार्ट सबसे ज्यादा लोकप्रिय है और ज्यादातर चार्टिस्ट इसी का इस्तेमाल करते हैं।

बार कैसे तैयार होता है?

बार चार्ट में बहुत सारी लंबवत (वर्टिकल) लकीरें होती हैं, जिन्हें बार कहते हैं। इनमें हर लकीर के दोनों ओर 2 बहुत छोटी-छोटी क्षैतिज लकीरें होती हैं। एक बार में चार सूचनाएं होती हैं। बार का सबसे ऊपरी सिरा, किसी खास दिन पर शेयर का अधिकतम भाव बताता है, जबकि निचला सिरा उसी दिन शेयर के न्यूनतम भाव बताता है। बार के बाईं ओर जो क्षैतिज छोटी रेखा होती है, वह शेयर के खुलने का भाव बताती है और दाईं ओर की क्षैतिज छोटी रेखा शेयर का क्लोजिंग भाव बताती है।

बार चार्ट कैसे तैयार होता है?

दिनों को एक्स अक्ष और भाव को वाई अक्ष पर रख कर हर दिन के लिए एक बार खींचा जाता है और फिर बहुत से बार मिलकर एक चार्ट तैयार करते हैं। इस चार्ट में गिरावट वाले दिनों (यानी जब बाईं ओर की क्षैतिज रेखा ऊपर हो और दाईं ओर की नीचे) को लाल या काले रंग में दिखाया जाता है और बढ़त वाले दिनों (यानी जब बाईं ओर की क्षैतिज रेखा, दाईं के मुकाबले नीचे हो) को हरा या सफेद दिखाया जाता है।

टेक्निकल एनालिसिस में वॉल्यूम का क्या महत्व है?

वॉल्यूम यानी कारोबार किए गए शेयरों की संख्या। जैसा कि 18 जून को तकनीकी विश्लेषण की पहली कड़ी में बताया गया था कि टेक्निकल एनालिसिस दरअसल पूरे बाजार के मनोविज्ञान को पढ़ने का एक विज्ञान है। तो स्वाभाविक है कि इस मनोविज्ञान का सही निष्कर्ष केवल तभी निकाला जा सकेगा अगर ज्यादा से ज्यादा लोग भागीदारी कर रहे हों। क्योंकि कम वॉल्यूम वाले शेयरों में अक्सर कीमतों का नियंत्रण कुछ ऑपरेटरों के हाथ में होता है।

शेयर के फेस वैल्यू पर इसका क्या असर होता है

बोनस के बाद कंपनी का फेस वैल्यू वही रहता है। दरअसल शेयर विभाजन यानी स्टॉक स्प्लिट और बोनस का मुख्य अंतर यही है कि बोनस में शेयर के दाम तो गिर जाते हैं, लेकिन इसके फेस वैल्यू में कोई बदलाव नहीं होता, दूसरी ओर स्प्लिट में फेस वैल्यू का भाव भी उसी अनुपात में कम हो जाता है।

घोषणा के बाद शेयर चढ़ता क्यों है?

इसका कोई ठोस या बुनियादी कारण नहीं बताया जा सकता। एक ओर तो बोनस जारी करने वाली कंपनी के बारे में निवेशकों की यह धारणा बनती है कि कंपनी नकद रिजर्व के मामले में बहुत मजबूत है और दूसरा लाभांश के तौर पर मिलने वाली रकम दोगुनी हो जाती है। इन सबसे कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ जाती है।

साथ ही बोनस के बाद क्योंकि कंपनी के शेयरों की कीमत उसी अनुपात में कम हो जाती है, तो उनका दैनिक कारोबार भी काफी बढ़ जाता है।

बोनस इश्यू से शेयरधारकों को क्या फायदा होता है?

एक तरह से कुछ भी नहीं। आम धारणा है कि बोनस शेयरधारकों के लिए काफी फायदेमंद होता है, लेकिन अगर कीमत के लिहाज से देखा जाए तो इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ता। मान लें कि आपके पास 100 शेयर हैं और कंपनी ने एक पर एक शेयर के बोनस की घोषणा की तो आपके पास कुल शेयरों की संख्या बढ़कर 200 हो गई। इसी तरह अगर बाजार में कंपनी के एक करोड़ शेयर हैं तो उनकी संख्या दो करोड़ हो जाएगी। लेकिन इसी अनुपात में कंपनी की बाजार पूंजी में बढ़त नहीं हो सकती।

इसलिए एक्स-बोनस यानी बोनस शेयरों के बाजार में आने के साथ ही सैद्धांतिक रूप से शेयरों के न भाव गिरकर आधे हो जाते हैं, यह अलग बात है कि व्यवहारिक तौर पर भाव बिल्कुल आधे नहीं होते, बल्कि उसी के आस-पास होते हैं।

बोनस इश्यू क्या होता है?

जब शेयरधारकों को अपने पास मौजूद शेयरों के एक खास अनुपात में मुफ्त शेयर मिलते हैं, तो उसे बोनस इश्यू कहते हैं। जैसे अगर कोई कंपनी 2:5 का बोनस जारी करती है तो इसका मतलब आपके पास मौजूद हर पांच शेयर पर आपको 2 मुफ्त शेयर मिलेंगे।

कंपनिया क्यों जारी करती हैं बोनस इश्यू?:

जब कंपनियों के पास नकद रिजर्व बहुत ज्यादा हो जाता है, तो कंपनियां बोनस इश्यू जारी करती हैं। इससे कंपनी डिविडेंड के तौर पर अपने शेयरधारकों को ज्यादा रकम देती है। दूसरे शब्दों में कंपनी के नकद रिजर्व का बड़ा हिस्सा कंपनी के बही-खाते से निकलकर प्रमोटर के निजी खाते में आ जाता है, क्योंकि कंपनी का सबसे बड़ा शेयरधारक अमूमन उसका प्रमोटर ही होता है।