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Mar 2, 2011

कॉम्बीफ्लेम सहित 6 दवाओं की बिक्री पर बैन

जयपुर. औषधि नियंत्रक विभाग ने एक आदेश जारी कर निर्धारित मापदंडो पर खरा नहीं उतरने पर कॉम्बीफ्लेम, कायनिम, रेस्ट पी, बिसकोडिल, डेनिम पी, आईबूफेम की बिक्री पर प्रतिबंध किया है। औषधि एवं प्रसारण साम्रगी अधिनियम 1940 के तहत इनकी बिक्री पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लगाया है। निर्माता साईकेम लेबोरेट्री प्राइवेट लिमिटेड गेगरेट की औषधि रेस्ट पी (नीमुस्लाइड व पेरासिटामोल टेबलेट बैच नंबर टी 174) का सैंपल राजकीय विश्लेषण प्रयोगशाला द्वारा अवमानक घोषित किया गया है। इसमें पेरासिटामोल की मात्रा 66 प्रतिशत मिली। औषधि नियंत्रक डी.के.श्रंगी ने बताया कि डेनवर हैल्थ केयर पंत नगर उत्तराखंड द्वारा निर्मित औषधि आईबूफेम (आईबूप्रोफेन व पेरासिटामोल) टेबलेट बेच नंबर ईआईपी 0001) में मुखय घटक आईबूप्रोफेन की मात्रा 51 प्रतिशत मिली। इसी प्रकार निर्माता गोविस फर्मा लिमिटेड सोलान की कॉम्बीफ्लेम (आईबूप्रोफेन पेरासिटामोल व क्लोरफेनिरामिन बैच नंबर सीएम 252), जेकसन लेबोरेट्री प्रा.लि. अमृतसर की बिसकोडिल टेबलेट बैच नंबर टी 4215, निर्माता एलांयस बायोटेक बद्दी की टेबलेट कायनिम (नीमुस्लाइड व पेरासिटामोल बेच नंबर एटी 1213, निर्माता डॉ.जोन्स लेब प्रा.लि. हरिद्वार की टेबलेट आथरेरिड पी बेच नंबर एआरपीटी 04 के सैंपल औषधि परीक्षण प्रयोगशाला जयपुर द्वारा जारी परीक्षण रिपोर्ट में अवमानक घोषित किया है।

Jan 30, 2011

भ्रष्‍टाचारियों का ‘राजा’? जोशी दंपती मतलब अकूत संपत्ति

भोपाल. फरवरी 4, 2010.........मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राजनितिज्ञों और अफसरों की पॉश कालोनी, 74 बंगला क्षेत्र अचानक सुर्ख़ियों में आ जाता है। एक आईएएस दंपत्ति के यहां छापा डालते ही आयकर विभाग के अधिकारियों की आंखें फटी की फटी रह जाती हैं। आईएएस दंपत्ति अरविंद जोशी और टीनू जोशी के निवास पर मारे गए इस छापे में तीन करोड़ रुपए से अधिक की नकद राशि संबंधित विभाग जब्त करता है।एक साथ इतने कैश की उम्मीद शायद आयकर विभाग को भी नहीं थी सो विभाग को बाकायदा नोट गिनने की मशीन लगानी पड़ी। दिनभर चली इस कवायद में विभाग के हाथ जोशी दंपत्ति से संबंधित करोड़ों की नामी बेनामी संपत्ति का ब्योरा मिलता है। फरवरी 5,2010.......भ्रष्टाचार की इस गंगोत्री का पता लगते ही सरकार में एक अजीब सी खलबली मच जाती है। नतीजा ....चौबीस घंटे के अंदर ही इंकमटेक्स के जाल में फंसे प्रमुख सचिव अरविंद जोशी और टीनू जोशी को राज्य सरकार द्वारा सस्पेंड कर दिया जाता है। धन-कुबेर निकली आईएएस जोड़ी प्रमुख सचिव अरविंद जोशी और टीनू जोशी मामले की जांच में जुटे आयकर विभाग ने साल 2010 जाते-जाते इस दंपत्ति की 350 करोड़ की नामी बेनामी संपत्ति का खुलासा किया। आयकर विभाग की अप्रेजल रिपोर्ट बताती है कि जोशी दंपत्ति उन्होंने ने यह संपत्ति 1989 से 2010 के दौरान बनाई। 1979 बैच के आईएएस अधिकारी अरविन्द और टीनू जोशी ने 30 वर्षों के प्रशासनिक सफ़र में कई विभागों की कमान संभाली। इन पदों पर रहते हुए इस दंपत्ति ने कई बड़े ठेकों को पास कराया। माना जाता है कि ठेकों को पास कराने की आड़ में इस दंपत्ति ने कमीशन के तौर पर खासी रकम जमा कर ली थी। इसी रकम को इस दंपत्ति ने चरणबद्ध तरीके से रियल स्टेट और अन्य दीगर कामों में लगाया। मैनेजमेंट की शिक्षा प्राप्त इस दंपत्ति को काले को सफेद करने में खासी महारत हासिल थी। यही कारण था कि विभिन्न जगहों पर निवेश किए काले धन में इन्होनें फर्जी नाम और पतों का जमकर इस्तेमाल किया। आपको बता दें कि टीनू जोशी नें जहाँ बिज़नस मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया है।वहीं अरविंद जोशी ने भी ऑस्ट्रेलिया की ही यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉलोन्गॉन्ग से एमबीए किया है। आईये नज़र डालें फर्जी बाडे़ की पूरी दास्तान पर..... रक्षा मंत्रालय में रहते खरीदी 121 एकड़ जमीन: सूत्र बताते हैं कि 1999 से 2004 के बीच रक्षा मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी रहते हुए जोशी ने भोपाल और आसपास 121 एकड़ कृषि भूमि खरीदी। 2004-05 में उन्होंने 58 एकड़ जमीन खरीदी। यह जमीन बिलकिसगंज, मूलखेड़ी, सागोनीकला,मेंडोरी, दीवानगंज,बैरसिया,गोडावर, चिकलोद,खरमई व आसपास के गांवों में क्रय की गई। आसाम से शुरू हुआ निवेश का खेल जोशी ने जमीनों में निवेश की शुरूआत आसाम के कामरू जिला के मौजा रामचारी से की। 2001 से 2004 के बीच भोपाल में सात प्लॉट खरीदे गए। उन्होंने 2005 से 2008 के बीच रियल एस्टेट में करीब पांच करोड़ का निवेश किया। जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव रहते हुए जोशी ने तवा, बरगी, बाणसागर और हंसदेव बांधों का ठेका दिया और सवा करोड़ का लेन-देन किया। तीन करोड़ 55 लाख का प्रीमियम जोशी दंपती आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल में 3 करोड़ 55 लाख का सालाना प्रीमियम जमा करती है। इसमें 50 लाख अरविंद जोशी,70 लाक ईशान जोशी,75 लाख आसमी जोशी,51 लाख एचएम जोशी और 1 करोड़ 10 लाख निर्मला जोशी के नाम से जमा होता है। ईशान और आसमी पढ़ाई कर रहे हैं और निर्मला ग्रहणी हैं। हर बीमा पॉलिसी में खुद को छुपाने के लिए जोशी ने फर्जी पते और गलत नाम दिए। जिन पतों पर यह पॉलिसी पाई गईं वे थे ई-15/3 ,एफ-68 मिनाल रेसीडेंसी (सीमा जायसवाल का पता) एफ-95 इंद्रप्रस्थ राज होम्स (सीमा जायसवाल के भाई मिराज अली का पता)। सभी पॉलिसी में नॉमिनी या तो जोशी खुद है या उनके परिवार के सदस्य। शेयरों में भी किया निवेश जोशी ने अपने नाम से 274 करोड़ की फ्यूचर ऑप्शन शेयर ट्रेडिंग की है। अरविंद और टीनू जोशी के नाम से 3 करोड़ रुपए के शेयर मिले हैं। अरविंद जोशी के क्रेजी इंफोटेक में 50 हजार शेयर,होन्किल इंडिया लिमिटेड में 10 हजार सहित सेंचुरी,भारतीएयरटेल,आइडिया,एनडीटीवी,आईसीआईसीआई,यूटीआई बैंक,आईडीबीआई बैंक,देना बैंक,पीएनबी,केएस आइल,एचडीएफसी और टाटा स्टील कंपनी में शेयर हैं। टीनू जोशी के पास हिंडाल्को के 1500,जेपी के 1600,इंडियन होटल के 1000 और यूको बैंक के 2000 शेयर हैं। गुवाहाटी में 18 फ्लैट अरविंद जोशी के पास गुवाहाटी के कामरूप हाउसिंग प्रोजेक्ट में 18 फ्लैट हैं। 1999 से 2004 के बीच रक्षा विभाग में संयुक्त सचिव रहते हुए जोशी श्रीदेव शर्मा ग्रुप के संपर्क में आए। दोनों ने गुवाहाटी में 15 बीघा जमीन खरीदी। कामरुप हाउसिंग प्रोजेक्ट प्रा लिमिटेड, नई दिल्ली के नाम से कंपनी बनाई गई। जोशी के भोपाल में छह फ्लैट और सात प्लॉट हैं। इतना ही नहीं बेटे ईशान जोशी के नाम से इथोस एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई और 100 एकड़ कृषि भूमि खरीदी। जोशी ने भोपाल, रायसेन, सीहोर, बालाघाट, कान्हा और बांधवगढ़ में करीब 400 एकड़ जमीन खरीदी। 80 बैंक खातों में करोड़ों का लेन-देन आयकर विभाग की अप्रेजल रिपोर्ट में अरविंद जोशी के निवास से 80 बैंक खातों की जानकारी मिली थी। इन खातों से करोड़ों रुपए का लेन-देन किया गया है। आईसीआईसीआई बैंक में उनके केवल एक खाते नंबर 00551029336 के लेन-देन ने ही उनके भ्रष्टाचार के तमगे में चार चांद लगा दिए हैं। खाते में ओपनिंग बैलेंस था 38500 रुपए। इसके बाद खाते में शायद ही कभी एक लाख से कम का लेन-देन हुआ। 2006 में इस खाते के खुलने के बाद नोटों की ऐसी झड़ी लगी कि मानों इसमें खुद-ब-खुद पैसा जमा हो रहा हो। मात्र चार साल में इस बचत खाते में आए दिन हो रहे लाखों के ट्रांजेक्शन से बैंक भी इतना खुश था कि खाते को विशेष ए श्रेणी दी गई। अब हो सकती है सात साल जेल आयकर विभाग निलंबित आईएएस दंपति अरविंद और टीनू जोशी के खिलाफ प्रीवेंशन ऑफ मनी लांडरिंग एक्ट के तहत कार्रवाई की अनुशंसा करने जा रहा है। इस कानून में अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है। जोशी के घर से विदेशी मुद्रा और विदेशी शराब मिलने के मामले में रिजर्व बैंक ने उन्हें हाल ही में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शर्म से झुक गया पिता का सर... अरविन्द जोशी की भ्रष्टाचार में संलिप्तता का सबसे बुरा असर उनके पिता की साख पर पड़ा। गौरतलब है कि अरविन्द जोशी के पिता एचएम जोशी मध्य प्रदेश सरकार में पुलिस महानिदेशक रह चुके है। अरविन्द जोशी से उलट उनके पिता की ईमानदार छवि के किस्से आज भी प्रदेश भर में मशहूर हैं।लेकिन अरविन्द और टीनू जोशी प्रकरण ने न सिर्फ एचएम जोशी बल्कि पूरी 'प्रशासनिक सेवा' की साख पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया दिया है।

पूरी फिल्‍मी है हसन अली की कहानी, स्विस बैंकों में जमा कर रखे हैं ८ अरब डॉलर

विज्ञापन नई दिल्ली. पुणे के व्यवसायी हसन अली की ज़िंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक हसन अली ने स्विस बैंकों में करीब ८ अरब अमेरिकी डॉलर का काला धन जमा किया था। हालांकि, भारत सरकार ने हाल ही में दावा किया है कि उसके स्विस खाते अब खाली हो चुके हैं। जानकार मानते हैं कि पैसे कहां गए होंगे, यह पता लगाना बहुत मुश्किल नहीं है। अली के बारे में कहा जाता है कि वे देश के सबसे बड़े कर अपराधी हैं। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक हसन अली के खिलाफ जांच में शामिल एक अफसर का कहना है कि हसन अली के खिलाफ देश की सुरक्षा से जुड़े कई कानूनों के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने प्रणब मुखर्जी को लिखी एक गोपनीय चिट्ठी में कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए हसन अली के खिलाफ जांच की जा सकती है। सुब्रमण्यम ने यह राय 2009 में दायर की गई याचिका के जवाब में दिया था। जांचकर्ताओं को हसन अली द्वारा हस्ताक्षर किए गए हलफनामे मिल हैं जिनमें विदेशी खातों से जुडी लेनदेन की जानकारी दी गई है। इन हलफनामों की वैधता की पुष्टि ब्रिटेन में मौजूद भारतीय दूतावास ने की थी। रक्षा सौदों में कमाया काला धन जांचकर्ताओं का कहना है कि हसन अली के खातों में मौजूद पैसा रक्षा सौदों में कमाया गया हो सकता है। उनका यह भी मानना है कि हसन अली कई राजनेताओं के काले धन को ठिकाने लगाने का काम भी करता रहा है। जांचकर्ताओं को शक है कि पिछले 15 सालों में हसन अली ने 36,000 करोड़ रुपये का काला धन विदेशी बैंकों में जमा किया है। अदनान खशोगी की मदद से खुलवाया था खाता बताया जाता है कि हथियारों की तस्करी करने वाले अदनान खशोगी की मदद से हसन अली ने स्विस बैंकों में खाता खुलवाया था। इसके अलावा अदनान के साथ अली का वित्तीय लेनदेन था। कार किराए पर देने का काम करता था प्रवर्तन निदेशालय की जांच में यह बात सामने आई है कि 1993 में हसन अली ने कार किराए पर देने का काम शुरू किया था, जिसे 1994 में उसने बंद कर दिया। इसके बाद वह अपने रिश्तेदार हैदर अली खान के साथ मिलकर हैदराबाद में कुछ बैंक धोखाधड़ी के मामलों में उसका नाम आया। क्या है कारोबार, कोई नहीं जानता करोड़ों-अरबों के मालिक हसन अली कौन सा कारोबार करते हैं, यह कोई नहीं जानता है। आजकल वह पुणे में रहते हैं। स्विस सरकार ने मांगी जानकारी कहा जाता है कि हसन अली ने हवाला कारोबार, मनी लॉन्डरिंग जैसे कामों के जरिए बहुत पैसा कमाया है। हसन अली के काले धन का मुद्दा जब भारत ने स्विट्जरलैंड सरकार के सामने उठाया तो वहां की सरकार ने कहा कि आप हसन अली के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी सबूतों के साथ दें तो वहां की सरकार मदद करने को तैयार है। लेकिन इस मामले में भारत सरकार ने आजतक कोई पहल नहीं की है। उलटे सरकार का कहना है कि अली के स्विस बैंक खाते अब खाली हैं।

Jan 28, 2011

हर साल 100 करोड़ लीटर केरोसीन की तस्करी

केंद्र सरकार गरीबों को केरोसीन पर 20 हजार करोड़ की सब्सिडी दे रही है। देश में हर साल 1116 करोड़ लीटर केरोसीन बिकता है। इसमें से 40 फीसदी यानी लगभग 450 करोड़ लीटर हर साल माफिया के पास पहुंच जाता है। तेल माफिया सस्ते केरोसीन को महंगे पेट्रोल-़डीजल में मिलाकर बेचते हैं और जमकर मुनाफा कमाते हैं। इस बेखौफ धंधे के बीच फिर जो भी आता है मारा जाता है। फिर चाहे षणमुगम मंजुनाथ हों या यशवंत सोनवणो। केरोसीन के काले बाजार, उसकी अर्थव्यवस्था और राजनीति पर देश भर से भास्कर संवाददाताओं की खोजपरक खबर- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिए सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा लगभग आधा केरोसीन कालाबाजारियों के पास चला जाता है। सरकार हर साल केरोसीन पर सब्सिडी के रूप में जो 20 हजार करोड़ रुपए देती है वह वही है जो हम टैक्स के रूप में सरकार को चुकाते हैं। चोरी, कालाबाजारी और तस्करी के कारण सरकार को हर साल 17 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। लेकिन फिर भी घाटे का यह सौदा जारी है।



मनमाड़ से आठ किलोमीटर दूर जिस पानेवाड़ी में यह घटना हुई वह महाराष्ट्र में केरोसीन की कालाबाजारी का गढ़ माना जाता है।सरकार सस्ता केरोसीन मुहैया कराने के लिए भारी भरकम राशि सब्सिडी पर खर्च कर रही है। नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकानॉमिक रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक इस छूट का सबसे ज्यादा फायदा तेल माफिया उठा रहे हैं। क्योंकि मात्र साढ़े 12 रुपए में मिलने वाला एक लीटर केरोसीन को वे कई गुना महंगे पेट्रोल-डीजल में मिलाकर भारी मुनाफा कमा लेते हैं। देश में हर महीने 93 करोड़ लीटर केरोसीन बिकता है। देश के हर व्यक्ति को करीब एक लीटर यानी साल में 12 लीटर। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार द्वारा मुहैया 40 फीसदी केरोसीन कालाबाजारियों के हाथों में चला जाता है। नेपाल, पाकिस्तान व बांग्लादेश जैसे हमारे पड़ोसी देशों में केरोसीन की कीमतें पेट्रोल-डीजल की कीमतों के लगभग बराबर है। इसलिए सरकारी तेल डिपो व टैंकरों से चुराया गया केरोसीन तस्करी के जरिए इन देशों में महंगे दाम पर बेच दिया जाता है। एसोचेम के एक सर्वे के अनुसार हर साल सौ करोड़ लीटर केरोसीन की तस्करी हो रही है। इससे सरकार को हर साल 3395 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। कालाबाजारी इसलिए राशन की दुकानों से मिलने वाला केरोसीन 12.50 रुपए लीटर है। सरकार इसमें एक केमिकल मिलाकर नीला बनाती है। इसमें दस मिलीलीटर की मिलावट भी एक लीटर पेट्रोल या डीजल को नीला बना देती है। वहीं, सफेद केरोसीन का सरकारी रेट 30 रुपए से अधिक है। चूंकि सफेद केरोसीन खुले बाजार में मिलता ही नहीं है और इसकी मिलावट करने से मिलावटखोरों को ज्यादा मुनाफा नहीं होता इसलिए कालाबाजारी करने वाले नीले केरोसीन को हाइड्रोजन परॉक्साइड मिलाकर सफेद बना लेते हैं। इसे वह 35 से 45 रुपए प्रति लीटर में बेचकर जबरदस्त मुनाफा कमाते हैं। वहीं, सफेद केरोसीन को डीजल और पेट्रोल में मिलाने करने से उसका रंग नहीं बदलता और मिलावट का पता नहीं चलता। केंद्र सरकार में पेट्रोलियम सचिव रहे सुशील चंद्र त्रिपाठी के मुताबिक तेल कंपनियां केरोसीन का भंडारण जिला स्तर पर करती हैं और वहीं वह कालाबाजारियों के हाथ लग जाता है। त्रिपाठी कहते हैं कि कालाबाजारी रोकने का एक तरीका केरोसीन का भंडारण गांव या ब्लॉक स्तर पर करना हो सकता है जहां इसे डीलर के नहीं बल्कि पंचायत की निगरानी में रखा जाए। लेकिन परिवहन की कीमत बढ़ने के डर से तेल कंपनियां इसके लिए राजी नहीं होती। मिलावटखोरों का सबसे बड़ा अड्डा है मनमाड़ मुंबई : नासिक रोड पर तेल टैंकरों का ट्रैफिक कम करने के लिए 13 साल पहले मनमाड़ से आठ किलोमीटर दूर पानेवाड़ी गांव में भारत पेट्रोलियम कापरेरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने पाइपलाइन से पेट्रोलियम पदार्थ लाने की योजना शुरू की। वहां 225 एकड़ जमीन पर बड़ा सा डिपो भी बनाया गया। बाद में अन्य तेल कंपनियों ने भी अपने-अपने डिपो वहां बनाए। इससे आसपास के सात-आठ जिलों में पेट्रोलियम पदार्थो की सप्लाई शुरू हुई। पर इसके साथ ही केरोसीन की कालाबाजारी व मिलावटखोरी भी शुरू हो गई।



इसमें तेल कंपनियों के अधिकारियों-कर्मचारियों से लेकर पुलिस तक शामिल है। इलाके के कई पुलिस अफसर तो ‘मिलावट माफिया’ तक कहलाते हैं। ऐसे होती है केरोसीन की चोरी ऑइल कंपनियां पीडीएस के तहत मिलने वाला केरोसीन जिला मुख्यालयों में बने डिपो में लाती हैं। फिर टैंकरों और ड्रमों के जरिए वह कस्बों व गांवों तक पहुंचता है। पुणो के ऑटोमोबाइल रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया में प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. एस जुट्टू के मुताबिक इन्हीं टैंकरों से चोरी की शुरुआत होती है जो गांव में राशन की दुकान तक चलती है। कहीं तो टैंकर के टैंकर ही मिलावट के लिए पेट्रोल पम्प पर लाए जाते हैं। कई बार डीलर ही टैंकर ब्लैक में बेच देता है। यशवंत सिन्हा पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री केरोसीन पर सब्सिडी खत्म कर बीपीएल परिवारों के खाते में पैसा जमा करे सरकार जब तक बाजार में किसी चीज की दो कीमते होंगी तो स्मगलिंग और कालाबाजारी तो होगी ही। एक जमाने में सोने की स्मगलिंग बहुत मुनाफे का सौदा होता था। उसे रोकने के लिए हमने उसका आयात आसान कर दिया। जब घरेलू बाजार में सोना सुलभ है तो उसकी स्मगलिंग बंद हो गई। आश्चर्य की बात है कि अभी तक हमने इससे कोई सबक नहीं लिया। पूरी व्यवस्था किसी ठेलेगाड़ी की तरह धक्का मार-मार कर चल रही र्है। सरकार को केरोसीन पर सब्सिडी खत्म कर बीपीएल परिवार के खाते में पैसा जमा कर देने चाहिए। न रहेगी सब्सिडी न होगी केरोसीन की कालाबाजारी। प्रोफे सर अरुण कुमार , दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक बैंक खातों में पैसा जमा कराने से तो भ्रष्टाचार और बढ़ेगा, सब्सिडी नहीं, प्रशासनिक तंत्र फेल हुआ है हमारा प्रशासनिक तंत्र फेल हुआ है न कि सब्सिडी की नीति। सरकार को सबसे पहले अमीर और गरीब को नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत है। सरकार इस जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रही है। सब्सिडी ऐसे लोगों के लिए है जिनके पास तन ढकने को कपड़े नहीं है और न ही रोटी और दवाई के पैसे। इसलिए रियायत तो जरूरी है।


लेकिन उनके बैंक खाते में पैसा देने से भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलेगा। इसलिए सरकार को ऐसा तंत्र विकसित करना होगा कि सब्सिडी तो जारी रहे लेकिन केरोसीन की कालाबाजारी पर रोक लग जाए। इसी से मिलावटखोरों पर भी लगाम कसेगी। सार्थक बेहुरिया इंडियन ऑयल कारपोरेशन के पूर्व चेयरमैन हत्या की जड़ सब्सिडी है, पर फैसला सरकार को लेना है कि इसे जारी रखा जाए या नहीं? षणमुगम मंजुनाथ और यशवंत सोनवणो की हत्या की जड़ में केरोसीन और रसोई गैस पर दी जाने वाली भारी सब्सिडी है। इसी वजह से इनकी चोरी और कालाबाजारी होती है। चूंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बाजार मूल्य के मुताबिक निर्धारित हो रही हैं इसलिए कालाबाजारी के बारे में कहीं सुनाई नहीं देता। केरोसीन और रसोई गैस की कालाबाजारी बड़ी समस्या है। लेकिन यह सरकार को ही तय करना है कि उसे सब्सिडी जारी रखनी है या खत्म कर देनी है। दिल्ली के लोनी, बिजवासन, असम में सिलीगुड़ी, गुजरात में कांडला, उत्तरप्रदेश में मथुरा में सबसे बड़े तेल डिपो हैं, जहां इस तरह के माफियाओं के सक्रिय होने की आशंका है। गुरुचरण दास जानेमाने अर्थशास्त्री सब्सिडी का दुरुपयोग होता ही है, इसे खत्म कर स्मार्ट कार्ड के जरिये गरीबों को मदद दी जाए सब्सिडी जहां भी दी जाती है उसका दुरुपयोग होता ही है। इसलिए हर क्षेत्र में सब्सिडी तुरंत खत्म कर दिया जाना चाहिए। हमारे सामने पंजाब में मुफ्त बिजली दिए जाने का अच्छा उदाहरण है। चूंकि बिजली मुफ्त मिल रही थी, इसलिए वहां दिन-दिन भर पंपसेट चलाए गए। फसल तो जरूर अच्छी हुई लेकिन अंधाधुंध पानी निकाले जाने के कारण वहां का भूजल स्तर इतना गिर गया है कि सिचांई की लागत बढ़ गई है और पैदावार गिर रही है। सब्सिडी के विकल्प के रूप में सरकार को किसानों को सीधे आर्थिक सहायता देनी चाहिए। वह चाहे उनके खाते में पैसा जमा कर हो या स्मार्ट कार्ड के जरिए हो।

Jan 20, 2011

ये हैं 2010 की हॉलीवुड की सबसे अमीर हस्ती

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हॉलीवुड की सबसे अमीर हस्ती के तौर पर किसी प्रोड्यूसर, डायरेक्टर या फिर एक्टर नहीं बल्कि एक टॉक शो की क्वीन कही जाने वाली ओपरा विनफ्रे का नाम सामने आया है। ओपरा विनफ्रे ने फोर्ब्स मैगजीन की हॉलीवुड की सबसे अमीर हस्तियों की लिस्ट में टॉप पर जगह बनाई है। और यहां तक पहुंचने के लिए विनफ्रे ने मशहूर फिल्म 'अवतार' के डायरेक्टर जेम्स कैमरन को भी पीछे छोड़ दिया है।


फोर्ब्स के मुताबिक मीडिया जगत की बड़ी हस्ती के तौर पर मशहूर विनफ्रे ने इस साल अपने बैंक बैलेंस में 315 मिलियन डॉलर का इजाफा किया, जबकि साइंस फिक्शन पर बनी अपनी फिल्म अवतार की पूरी दुनिया में जबर्दस्त कामयाबी की बदौलत जेम्स कैमरन 210 मिलियन डॉलर की अनुमानित दौलत के साथ हॉलिवुड की दूसरी सबसे अमीर हस्ती रहे। आपको यह भी बता दें कि विनफ्रे का नाम फोर्ब्स की सबसे पावरफुल सेलिब्रिटी की लिस्ट में भी टॉप पर रहा था।

तो ये हैं भारत के सबसे गरीब और अमीर मुख्यमंत्री

अगर भारत के सबसे अमीर और सबसे गरीब सीएम की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती देश की सबसे अमीर सीएम है जबकि पश्चिम बंगाल के सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य सबसे गरीब मुख्यमंत्री हैं।

मायावती-- भारत के सबसे अमीर मुख्यमंत्री का ताज जाता है उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बहन मायावती को। बहनजी के पास 86 करोड़ रुपए की संपत्ति है। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के पास 75 करोड़ रुपए की निजी संपत्ति है जिसमें ओखला में एक 15.5 करोड़ रुपए का कर्मशल सेंटर और सरदार पटेल रोड़ पर एक 54 करोड़ रुपए का एक प्लॉट शामिल है। इसके अलावा बहनजी के पास 90 लाख रुपए की ज्वैलरी भी है।

प्रकाश सिंह बादल—पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल देश के दूसरे सबसे अमीर मुख्यमंत्री हैं। बादल के पास 8.6 करोड़ रुपए की संपत्ति है। इनके पास 4 करोड़ रुपए के फार्मलैंड और तकरीबन 2 करोड़ रुपए की निजी संपत्ति है। इसके अलावा 38 लाख रुपए की ज्वैलरी भी बादल की संपत्ति में शामिल है।

एन किरन कुमार रेड्डी—आन्ध्र प्रदेश के सीएम किरन कुमार रेड्डी भी इस लिस्ट में शामिल हैं रेड्डी देश के तीसरे सबसे अमीर मुख्य मंत्री है इनके पास 8.1 करोड़ रुपए की संपत्ति है। जिसमें 2.7 करोड़ रुपए तो इनके घर की ही कीमत है। बीएस येदुरप्पा- कर्नाटक के सीएम बीएस येदुरप्पा बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाते हैं। इनके पास 5.38 करोड़ रुपए की संपत्ति है। येदुरप्पा के पास 31.5 लाख रुपए का सोना और 15.9 लाख रुपए कीमत की चांदी है। जबकि 3 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी है।



नवीन पटनायक— नवीन पटनायक उडीसा के मुख्यमंत्री है इनकी कुल संपत्ति 4.7 करोड़ रुपए है। इनके पास भुवनेश्वर में 1.5 करोड़ रुपए का फार्महाउस है साथ ही 3 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी दिल्ली और भुवनेश्वर में है। आपको बता दें नवीन पटनायक कुंवारे है और फिर भी इनके पास 1.5 लाख रुपए की ज्वैलरी है।

भूपेन्द्र सिंह हुड्डा- हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के पास तकरीबन 3.5 करोड़ रुपए की संपत्ति है। हुड्डा के पास तकरीबन 65 लाख रुपए का सोना है।

उमर अब्दुल्ला-- जम्मू कश्मीर क मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पास 2 करोड़ रुपए की संपत्ति है जिसमें हिमाचल में उनकी एक फैक्ट्री और दिल्ली में एक फ्लैट शामिल है। इसके अलावा उमर अब्दुल्ला के पास 40 लाख की ज्वैलरी है।



नरेन्द्र मोदी-- गुजरात के सुपर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास 1.78 करोड़ रुपए की संपत्ति है। उनका गांधी नगर में 1.65 करोड़ रुपए का एक फ्लैट हैजबकि आठ लाख रुपए बैंक डिपॉजिट है।


यह तो थे देश के सबसे अमीर सीएम अब हम आपको बतातें है देश के सबसे गरीब मुख्यमंत्री के बारे में यह हैं पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य इनकी कुल संपत्ति केवल 15.2 लाख रुपए है। इनके बैंक डिपॉजिट 6.42 लाख, एलआईसी 2.6 लाख रुपए की है।

Jan 19, 2011

काली कमाई जमा करने वाले भारतीयों के नाम सामने आए!

नई दिल्ली. स्विस बैंक में काला धन जमा करने वाले खाताधारकों के नाम सामने शुरू हो गए हैं। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियां-अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के अलावा असद अली खान और जाहिदा अली खान के नाम सामने आ रहे हैं। हालांकि, इन नामों का खुलासा करने वाले एक निजी चैनल ने साफ कहा कि वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि सामने आ रहे खाताधारकों के नाम सही हैं या नहीं या फिर इनका भारत से कोई संबंध है या नहीं।

मीडिया में आ रही खबरों में कहा जा रहा है कि अन्नपूर्णा नाम से दो कंपनियों के अलावा जाहिदा और असद के नाम से स्विट्जरलैंड के जूलियस बाएर बैंक एंड ट्रस्ट लिमिटेड नाम के बैंक में खाते हैं। अन्नपूर्णा कन्वर्टिबल के नाम से जूलियस बेयर बैंक में करीब ३. ८३ अरब रुपये और अन्नपूर्णा इन्वेस्टमेंट के नाम ४४.६५ करोड़ रुपये स्विस बैंक में जमा हैं। रुडोल्फ एलमर ने दो हजार नामों की सूची वाली दो सीडी विकीलीक्स वेबसाइट के संस्थापक जूलियन असांजे को सौंपी है। माना जा रहा है कि इस सूची में अमेरिका, ब्रिटेन और एशिया के काफी लोगों के नाम हैं।

इस बारे में एलमर ने एक निजी चैनल से कहा कि जूलियस बाएर बैंक का भारत में बड़ा कारोबार है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि जूलियस बाएर के मालिक का भारत में अच्छा खासा कारोबार है। उन्होंने तो असल में भारत में कुछ निवेश मैनेजर भी नियुक्त किए हैं जिनका मकसद भारत से पैसा जुटाना है।'

राजनीतिक सरगर्मी तेज
विकीलीक्स के हाथ स्विस बैंक के खाताधारकों की सूची जब से लगी तब से देश के राजनीतिक हलकों में खासी हलचल है। मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार से मांग की है कि स्विस बैंकों में पैसा जमा कराने वाले सभी लोगों के नाम उजागर किए जाएं। बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने उम्मीद जताई कि इस बारे में सुप्रीम में याचिका की सुनवाई के बाद सरकार को स्विस बैंकों से पैसा वापस लाना होगा। सीपीएम ने भी एक बयान जारी कर खाता धारकों के नाम उजागर करने की मांग की। वहीं, कांग्रेस ने सरकार का बचाव करते हुए कहा है कि जो मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, उस पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फिर फटकारा
सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नामों को सार्वजनिक किए जाने के मामले में बुधवार को एक बार फिर सरकार की जमकर खिंचाई की। सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उसने अदालत को सभी जरूरी सूचनाएं मुहैया करा दी हैं। लेकिन अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले में सिर्फ अच्‍छी अच्‍छी बातें कर रही है जबकि यह मसला सीधे तौर पर कर चोरी से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि सभी देशों के सभी बैंकों की सूचनाएं जरूरी हैं। अदालत ने यहां तक कह दिया कि देश को लूटा जा रहा है।

एलमर के खिलाफ आज सुनवाई
बैंक की गोपनियता भंग करने के आरोपों का सामना कर रहे एलमर के खिलाफ स्विट्जरलैंड की एक अदालत में बुधवार को सुनवाई है। एलमर को जूलियस बाएर बैंक ने 2002 में नौकरी से निकाल दिया था।

भारत की जीडीपी से ज़्यादा धन छुपा है स्विस बैंक में
इस बैंक में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर ( करीब ७१ लाख करोड़ रुपये) के जमा होने की जानकारी सामने आ रही है जबकि भारत का सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) 50 से 55 लाख करोड़ रुपये के बीच है।

सत्यता जांचने के बाद सामने लाएंगे नाम
एल्‍मर ने विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को दो हजार स्विस खाताधारकों की सीडी तो सौंप दी है लेकिन अंसाजे ने कहा है कि इन दस्‍तावेजों की सत्‍यता जांचने के बाद जल्‍द ही वह इसे दुनिया के सामने लाएंगे। असांजे इन नामों का खुलासा किसी वक्‍त कर सकते हैं। इन सीडी में करीब 40 राजनेताओं और बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों के प्रमुखों के गोपनीय खातों की जानकारी है। ऐसी खबर है कि इन दस्तावेज में करीब 1.4 खरब अमेरिकी डॉलर के जमा होने की जानकारी हो सकती है। इसमें कई भारतीयों के भी नाम हो सकते हैं।

आपकी राय
तो क्‍या अब तक छुपा स्विस बैंक में जमा भारतीयों की काली कमाई का सच सामने आ जाएगा? उन बड़े लोगों के नाम जगजाहिर हो जाएंगे, जिनके बारे में कहा जाता रहा है कि उन्‍होंने स्विस बैंक को अपनी तिजोरी बना रखी है? क्या बड़ी भारतीय कंपनियों, नेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों के बेनकाब होने का वक्‍त आ गया है? अगर ये बेनकाब हो भी गए तो क्‍या भारत सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई कर पाएगी? काली कमाई का यह पैसा सरकार अपने खजाने में वापस ला पाएगी? खबर पढ़ कर आपके दिमाग में भी ये सवाल जरूर उठ रहे होंगे। साथ ही, इनके जवाब भी आपके दिमाग में होंगे। आप अपने जवाब और सवाल भी, दुनिया भर के पाठकों से साझा कर सकते हैं। नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी बात लिख कर सबमिट करें:

ये हैं देश के बड़े पांच घोटाले जिनसे मचा सियासी तूफान

Jan 16, 2011

इन्फोसिस को दुनिया की सबसे चर्चित और बड़ी कंपनियों में शुमार करा देने वाले नारायण मूर्ति

शून्य से शुरुआत करके इन्फोसिस को दुनिया की सबसे चर्चित और बड़ी कंपनियों में शुमार करा देने वाले नारायण मूर्ति कुशल नेतृत्व और श्रेष्ठ सोच की मिसाल हैं। स्पष्टता उनका सबसे बड़ा औजार है। मनीषा पांडेय से हुई बातचीत के प्रस्तुत अंशों में वे बता रहे हैं जीवन में विजन की महत्ता, अपनी निजी विचारधारा, बड़े लीडर के गुण और हमारे भौतिक समय में धन के प्रति नजरिए के बारे में..

किसी बड़े काम या बड़े उद्यम की सफलता के पीछे बड़ी दृष्टि या विजन होता है। वह दृष्टि क्या है? वह कौन सी सोच, विचार और व्यक्तित्व का गुण होता है, जिससे मिलकर एक बड़ा विजन तैयार होता है?
दरअसल दृष्टि, विचार और सोच, ये सारी बातें आपस में गुंथी हुई हैं। आमतौर पर लोग कहेंगे कि बड़ी और दूर तक सोच पाने की क्षमता से ही बड़ा विजन बनता है, लेकिन यह बात अधूरी है। बुनियादी रूप से बड़ा विजन आता है सबकी बेहतरी और तरक्की की बात सोचने से। अपने हर कदम के बारे में यह सोचने से कि इससे किसको लाभ होगा। अगर कोई कदम अपने निजी हितों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, तो उसके पीछे बड़ा विजन नहीं हो सकता। बड़े विजन का फलक बड़ा होता है और वह सामूहिक हितों और उन्नति की बात सोचता है।

क्या दृष्टि की संकीर्णता की वजह से ही हम कोई बड़ा स्वप्न देख और साकार नहीं कर पाते?
ऐसा नहीं है कि एक राष्ट्र के तौर पर हमने बड़े सपने नहीं देखे और उन सपनों को पूरा नहीं किया, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। पूरी दुनिया में जहां भी शून्य से कोई बड़ी चीज खड़ी हुई, जिसके बारे में बहुतों का यह विश्वास था कि यह नामुमकिन है, तो निश्चित ही उस चीज की सफलता के पीछे बड़ा और सामूहिक हितों का विजन ही था।

सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय की जो बात आप कर रहे हैं, वह किस तरह मुमकिन है। अपने जीवन के शुरुआती दिनों में आप कम्युनिस्ट विचारधारा के समर्थक थे। लेकिन आपने निजी उद्यम का रास्ता चुना। क्यों?
जीवन में कुछ घटनाएं ऐसी हुईं कि जिनके बाद से कम्युनिज्म पर से मेरा विश्वास उठ गया और मुझे महसूस हुआ कि बहुत बड़े पैमाने पर उद्यम खड़े करके और ढेरों नौकरियां पैदा करके ही गरीबी को खत्म किया जा सकता है। देखिए, पूंजीवाद कोई बुरी या अनैतिक चीज नहीं है। हमारी दिक्कत यह है कि हमारे यहां मूल्यविहीन पूंजीवाद है। हम सारी नैतिकता और सबकी बेहतरी के मूल्यों से परे निजी हितों के बारे में सोचते हैं। अगर हम नैतिक ढंग से और ईमानदारी से काम करें, तो पूंजीवाद के रास्ते ही बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।

लेकिन उसमें तो कुछ लोग हमेशा दोयम दर्जे के श्रमिक की ही भूमिका में होंगे?
पूंजीवाद में नहीं, अनैतिक, गैर-ईमानदार पूंजीवाद में होंगे। बड़े उद्यमी और स्वप्नदर्शी का यही तो दायित्व है कि वह सबको यह भरोसा दिला सके कि यह सामूहिक श्रम है, सबके हितों के लिए किया जा रहा श्रम है। उन्हें बेहतर भविष्य की उम्मीद दे सके, यह विश्वास पैदा करके अपने कार्यस्थल पर एक निर्भय वातावरण बना सकें। कोई भी उद्यम जन के लिए, जन के द्वारा और जन का उद्यम हो।

एक बड़े लीडर में क्या गुण होने चाहिए?
बड़ा लीडर वह होता है, जो बड़ा सोचता है और सबको साथ लेकर चलता है। बड़ा लीडर वह है, जिसके कदम और फैसलों पर लोग भरोसा करें। लोगों को यह विश्वास हो कि वह उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहा है, न कि अपना उल्लू सीधा करने के लिए। जो उन लोगों जैसा ही सीधा, सरल और साधारण जीवन जिए, जिनके लिए वह काम कर रहा है। जिसके साथ लोग स्वयं को एकाकार महसूस कर सकें। बड़े काम में अनगिनत लोगों का श्रम और मेधा शामिल होते हैं। और लीडर ऐसा होना चाहिए, जिसकी एक आवाज पर वे अनगिनत लोग उसके पीछे चल पड़ें। वे उसका हाथ बन जाएं। उसके श्रम में शामिल हो जाएं।

क्या आपको ऐसा लीडर नजर आता है?
मौजूदा समय में निश्चित ही ऐसा कोई शख्स हमारे आसपास मौजूद नहीं है। लेकिन इतिहास में एक ऐसा शख्स हुआ है, जिसकी एक पुकार ही असंख्य लोगों को साथ बुलाने के लिए काफी थी। महात्मा गांधी ऐसे ही लीडर थे।

एक और महत्वपूर्ण सवाल, धन-संपत्ति के प्रति हमारा दृष्टिकोण क्या होना चाहिए?
आज जिस तरह से पूरी दुनिया सफलता के पीछे भाग रही है, और वह सफलता भी सिर्फ भौतिक सफलता के अर्थो में है, यह सचमुच बहुत चिंतनीय है। दरअसल धन अपने आप में कोई बुरी चीज नहीं है। असल मुद्दा है उसके प्रति आपके नजरिए का। वह जीवन के लिए जरूरी है, लेकिन क्या जीवन की हर गति सिर्फ धन के इर्द-गिर्द ही सिमटी हुई है! क्या हमें प्रेम, रिश्तों, भावनाओं, सकारात्मक ऊर्जा और रचनात्मक सपनों की कोई जरूरत नहीं! इन चीजों का धन से मोल कैसे आंकेंगे? लेकिन विडंबना देखिए कि आंका जा रहा है। सबकुछ जांचने-परखने का एक ही पैमाना बन गया है - धन। विज्ञान, तकनीक जैसी चीजें, जो मानवता के लिए बड़ा सृजन कर सकती हैं, का इस्तेमाल भी सिर्फ भौतिक विकास के लिए किया जा रहा है। ऐसे युवा नहीं मिलते, जो विज्ञान इसलिए पढ़ रहे हैं, क्योंकि यह उनका पैशन है। वे इसके और भीतर घुसना चाहते हैं, कुछ बड़ा रचना चाहते हैं। वे विज्ञान इसलिए पढ़ते हैं, क्योंकि उन्हें ऊंची तनख्वाहों वाली नौकरी मिलेगी। धन से संचालित ये लोग विज्ञान के नियम रट लेने वाली मशीन हैं, वे असल वैज्ञानिक नहीं हो सकते। वे दूसरों के खोजे नियमों और उनके आविष्कारों को अप्लाय तो कर सकते हैं, लेकिन वे खुद बड़े आविष्कार नहीं कर सकते।

एन.आर.नारायणमूर्ति
जन्म- 20 अगस्त 1946 कानपुर आईआईटी से पोस्ट ग्रेजुएट। इन्फोसिस के संस्थापक।

इस विधायक ने मेरा रेप किया है इसे फांसी पर लटका

बांदा से बसपा विधायक द्वारा दुष्कर्म पीड़िता जेल से रिहा होते ही विधायक को फांसी पर लटकाने की मांग की। पीड़िता जेल के दौरान बीते अपने दर्द को बताते हुए काफी गुस्से में थी। पुलिस पर आरोप लगाते हुए बताया कि पुलिस वाले उसको जेल में पिटते थे। यहां तक कि बिधायक के भाई के सामने पुलिस ने उसे मारा और धमकी दी।

सूबे की मुखिया मायावती के निर्देश के बाद पीड़िता को छोड़ दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता को जेल से रिहा करने और पर्याप्त सुरक्षा देने का आदेश दिया था।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में एक दलित लड़की के साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी और उनके साथियों द्वारा कथित तौर पर दुष्कर्म किए जाने से सम्बद्ध मामले में राज्य सरकार ने शनिवार को बांदा जेल में बंद लड़की की तत्काल रिहाई का आदेश दिया था।

रेप मामले में फंसे बांदा के विधायक मामले पर सूबे की मुखिया ने कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री मायावती ने कहा था लड़की पर चोरी के आरोप में जो भी पुलिस अधिकारी पर लिप्त होगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली लड़की को आरोपित विधायक के घर कथित चोरी के आरोप में 15 दिसम्बर को अतर्रा पुलिस ने जेल भेज दिया था।

उल्लेखनीय है कि नरैनी क्षेत्र के शहबाजपुर गांव की एक लड़की ने पिछले दिनों अदालत में लिखित बयान देकर विधायक पुरूषोत्तम द्विवेदी और उनके तीन सहयोगियों पर कथित तौर पर बंधक बनाकर बलात्कार करने का आरोप लगाया था।

किसने-कैसे रोकी हमारी 7 लाख करोड़ की राहें

नई दिल्ली. सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क को फिर से छह-लेन बनाने में कितनी लागत आएगी। और समय कितना लगेगा? लागत - 109 करोड़। समय - पता नहीं, क्योंकि एक साल पहले शुरू हुआ निर्माण अभी जारी है। हालांकि मामला दिल्ली में मेहरौली से गुड़गांव की सड़क का है, लेकिन यह पूरे देश में हाइवे निर्माण की हालात बयान करता है।

मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।

फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?

क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?

खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:

पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।

इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार

मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान

20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन

हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है

मिथक

1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है

2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है

हकीकत

1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।

2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।

सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क

नई दिल्ली. सिर्फ सात किलोमीटर लंबी पहले से छह-लेन बनी सड़क को फिर से छह-लेन बनाने में कितनी लागत आएगी। और समय कितना लगेगा? लागत - 109 करोड़। समय - पता नहीं, क्योंकि एक साल पहले शुरू हुआ निर्माण अभी जारी है। हालांकि मामला दिल्ली में मेहरौली से गुड़गांव की सड़क का है, लेकिन यह पूरे देश में हाइवे निर्माण की हालात बयान करता है।

मजे की बात यह है कि जब पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस रोड का टैंडर निकाला तब दिल्ली मेट्रो रेल कॉपरेरेशन (डीएमआरसी) इस सड़क को छह-लेन बना रहा था। उसकी लागत आई थी 8.4 करोड़ रुपए। समय लगा था 8 महीने। काम खत्म हुआ अप्रैल 2010 में। डीएमआरसी का काम अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि एनएचएआई ने 19 फरवरी को इस रोड को नेशनल हाइवे घोषित कर दिया। नाम दिया एनएच-236, लेकिन इसको छह लेन बनाने, साथ में फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने के लिए टैंडर तो उसने जनवरी में ही बुला लिए थे। सड़क के दोनों ओर सड़क परिवहन मंत्री कमलनाथ जैसे मुल्क के असरदार लोगों के फार्महाउस हैं।

फुटपाथ और साइकिल ट्रैक बनाने की जगह नहीं है, इसलिए काम ठप पड़ा है। ऐसी ही विचित्र बातों के कारण भास्कर ने जानने की कोशिश की कि कहां पर रुकी हैं हमारी राहें? किसने रोका है उन्हें? क्यों नहीं बन पा रही हैं हमारी सड़कें? क्यों कई प्रोजेक्ट छह से सात साल देरी से चल रहे हैं? क्या यह देरी भ्रष्टाचार की वजह से है? या देरी की वजह से भ्रष्टाचार पनप रहा है? कितना पैसा कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है?

क्यों गिरफ्तार हुए एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सीबीआई के हाथों? और क्या कह रहे हैं मंत्री और अधिकारी आपके सवालों पर?

खरबों का खर्च लेकिन न ऑडिट, न रेग्यूलेटर:

पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव और एनएचएआई के पूर्व चेयरमैन योगेंद्र नारायण के मुताबिक हाइवे सेक्टर को सीएजी और सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत होना ही चाहिए। इस क्षेत्र में विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय स्वतंत्र रेग्यूलेटरी अथॉरिटी की सख्त जरूरत है।केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री कमलनाथ ने बताया कि हाइवे का काम अभी तक ठप पड़ा था। अभी तक हाईवे को लेकर न तो कोई योजना थी, न डैडलाइन, न टारगेट और न ही काम अवार्ड हो रहे थे। अब मैं काम में तेजी लाया हूं। पिछले साल 10 हजार किलोमीटर के काम अवार्ड हुए हैं। इस साल भी लक्ष्य 10 हजार किमी काम देने का है। आपको जल्द ही नतीजे दिखने लगेंगे।

इंजीनियरों की ठेकेदारों से साठगांठ से भ्रष्टाचार

मंत्रालय व एनएचएआई के इंजीनियरों की कंसलटेट्स और ठेकेदारों के साथ गहरी साठगांठ है। इससे हाइवे के काम में देरी और भ्रष्टाचार फैल रहा है। - ब्रह्मा दत्त, पूर्व केंद्रीय परिवहन सचिव का सड़क परिवहन पर बनी संसदीय समिति के सामने बयान

20 नहीं सिर्फ 5 किमी प्रतिदिन

हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पांच वर्षो में 35 हजार किमी. राजमार्ग निर्माण का लक्ष्य रखा है - हर दिन 20 किमी, लेकिन फिलहाल 5 किमी प्रति दिन निर्माण हो रहा है। अब इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निवेश घाटे का सौदा नहीं, खरबों की कमाई है

मिथक

1. कोई इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पैसा नहीं लगाना चाहता क्योंकि यह लाभ का सौदा नहीं है

2. सड़क बनाने जैसी कल्याणकारी योजनाओं में सरकार का पैसा डूब जाता है

हकीकत

1. कुछ कंपनियां सात-आठ सालों में अरबपति हो गईं क्योंकि रेट ऑफ रिटर्न 90 प्रतिशत है।

2. हाइवे पर टोल और सेस के जरिए 10 हजार करोड़ से ज्यादा की कमाई।

Jan 14, 2011

मोबाइल बैंकिंग क्या है?

मोबाइल बैंकिंग का सामान्य सा मतलब यह हुआ कि आपका अकाउंट हमेशा आपके साथ-साथ गतिमान रहता है। आज की दौड़ती-भागती जिंदगी में मोबाइल बैंकिंग आपकी दिक्कतों को कम करने में मददगार साबित हो रही है। खासकर कारोबारियों के लिए तो यह बहुत जरूरी है। कारोबारियों को दिनभर में बहुत सारे ट्रांजक्शन की जरूरत पड़ती है।

अगर वह बैंक जाकर सारा कामकाज करना चाहे तब उसका आधा दिन यूं ही खराब हो जाएगा। दिनभर के व्यस्त कार्यक्रम के दौरान आप कहीं भी खड़े होकर मोबाइल बैंकिंग का लाभ उठा सकते हैं। आप मोबाइल बैंकिंग का लाभ कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में और कभी भी उठा सकते हैं। मोबाइल बैंकिंग आपके मोबाइल के द्वारा एसएमएस या वैप के जरिये ऑपरेट होता है। मोबाइल बैंकिंग का ही एक छोटा सा हिस्सा एसएमएस बैंकिंग है।

आजकल ज्यादातर खाताधारी जिन्होंने मोबाइल बैंकिंग या एसएमएस बैंकिंग के विकल्प का आवेदन दिया होता है, उन्हें एटीएम या अकाउंट से किसी भी प्रकार के लेनदेन की सूचना मोबाइल पर एसएमएस के जरिये उपलब्ध कराई जाती है। इसका सीधा फायदा यह होता है कि आपके अकाउंट में कितनी रकम शेष है और कितना पैसा कहां किस मद में निष्कासित हो रहा है, आपको उसकी पल-पल जानकारी उपलब्ध कराई जाती है।

मोबाइल बैंकिं ग, बैंकिंग सेक्टर में आज की तारीख में बहुत ज्यादा मांग वाली विषयवस्तु है। यह भविष्य में क्रेडिट और डेबिट कार्ड के सिस्टम को हस्तानान्तरित कर देगा। मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करने वालों में से 85-90 फीसदी क्रेडिट कार्ड को इस्तेमाल में नहीं लाते हैं। यह ठीक-ठीक एटीएम की तरह ही होता है। यह इस्तेमाल करने में बेहद सुविधाजनक और सस्ता है।

एटीएम की तुलना में इससे बैंक के ऑपरेशनल खर्च में कमी आ जाती है। इसका लाभ बिल पैमेंट करने, फंड ट्रांसफर करने और बैलेंस चेक करने आदि में किया जाता है। कोरिया में मोबाइल फोन में दो सिम का इस्तेमाल किया जाता है। एक सिम टेलीफोन के लिए दूसरा बैंकिंग के लिए। बैंकिंग अकाउंट डाटा स्मार्ट कार्ड चिप पर उपलब्ध होता है। वर्ष 2004 में बैंक ऑफ कोरिया में 33 लाख ट्रांजक्शन मोबाइल बैंकिंग के जरिये हुआ था। जाहिर सी बात है कि इसमें बढ़ोतरी ही हुई होगी। 

Dec 28, 2010

ओह ! ये हैं साल की तीन सबसे विवादित महिलाएं

गुजरे साल में विवाद खड़े करने में महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। नीरा राडिया ऐसी महिला के रूप में सामने आई जो देश के कई बड़े नेताओं, नौकरशाहों, संपादकों और उद्योगपतियों को अपने इशारे पर नचा रही थी। वह किसी को मंत्री बनवा रही थी तो किसी को मंत्रिमंडल में आने से रोक रही थी। उसके कहने पर ही उद्योगपति एक दूसरे से दोस्ती या दुश्मनी कर रहे थे तो संपादक उसके बताए सवाल पूछ रहे थे। यही नहीं बड़े संपादक तो अपने लेख भी उसके बताए अनुसार ही लिख रहे थे। आयकर विभाग द्वारा टैप किए गए उसके फोन से तो पूरे देश में बवंडर ही खड़ा हो गया।

वहीं दूसरी ओर इस्लामाबाद में तैनात भारतीय विदेश सेवा की अफसर माधुरी गुप्ता अपने देश की खुफिया जानकारियां पाकिस्तानी अधिकारियों को देती हुई पकड़ी गईं। बोलीं कि वे अपने सीनियर अधिकारियों द्वारा अपनी उपेक्षा किए जाने से नाराज थीं। जस्टिस निर्मल यादव पर रिश्वत लेने का आरोप लगा। वे पकड़ीं तब गइर्ं जब उन्हें पांच लाख रुपए पहुंचाने गया व्यक्ति उनके पड़ोस में रहने वाली जज जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर पैसे दे आया। करेले पर नीम चढ़े की कहावत तब याद आई जब उस समय देश के मुख्य न्यायाधीश के पद पर बैठे जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन ने निर्मल यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया।

Dec 5, 2010

गडकरी के बेटे की शानदार शादी


नागपुर। देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अपने बेटे निखिल गडकरी की शादी को यादगार बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए। कल नागपुर के स्टेडियम में रिसेप्शन के दौरान कई दिग्गज शामिल हुए।

गडकरी के बेटे की शादी पर पूरा शहर दुल्हन की तरह सजा था। नागपुर का जामाता स्टेडियम और रेशम बाग में ग्रांड पार्टी रखी गई थी। बड़े-बड़े उद्योगपति, राजनेता, फिल्मी हस्तियां और कई आला अफसर शादी के बाद होने वाले रिसेप्शन में शरीक हुए।

गडकरी ने खरीदा नौ करोड़ का घर, सजावट पर भी फूंके नौ करोड़?


दरअसल 72 साल में पहली बार नागपुर एयरपोर्ट पर 50 से ज्यादा चार्टर्ड प्लेन उतरे। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, राहुल बजाज, कुमारमंगलम बिड़ला और विजय माल्या जैसी देश की कई जानी-मानी हस्तियां गडकरी के ग्रांड शो का हिस्सा बनीं। 270 सीटों वाले एयरबस से 320 भाजपा के बड़े नेता और सांसद नागपुर पहुंचे। एयरबस 319 से लेकर एमब्रेयर जेट विमान तक नागपुर में उतरे।

कल करीब डेढ़ लाख लोग रिसेप्शन में शामिल हुए। शादी के न्योते के लिए एक करोड़ रुपए के तो सिर्फ कार्ड छापे गए। अकेले नागपुर शहर में 1 लाख 36 हजार कार्ड बांटे गए। किसानों की मौत के कारण सुर्खियों में आए महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में अपने खास मेहमानों को गडकरी ने 80 हजार कार्ड बांटे। देश भर में चुनिंदा 76 हजार लोगों को भी शादी का न्योता भेजा गया था।

खाने के शौकीन नितिन गडकरी ने मेहमानों के लिए बेहद लजीज पकवानों का इंतजाम किया गया। इसमें मालवा का खास दाल-बाटी-चूरमा, पंजाब

शाही भोज में 300 लोगों को चांदी की थाली में भोजन परोसा जाएगा। खाना परोसने वाले बैरे खास राजस्थानी ड्रेस में थे। खाने के बाद पेड़ा पान का इंतजाम करना भी नितिन गडकरी नहीं भूले।



भाजपा अध्यक्ष ने मेहमानों का इतना खयाल रखा और उनकी आवभगत में करोड़ों खर्च कर दिए तो भला उसके लिए कुछ करना कैसे भूलेंगे जिसकी शादी है।

पापा गडकरी ने अपने दूल्हे बेटे के लिए भी एक शानदार तोहफे का इंतजाम किया है। अपने बिजनेसमैन बेटे निखिल को नागपुर के हिल रोड पर गडकरी ने एक बंगला तोहफे में दिया है।

बंगला नंबर 46 की कीमत 9 करोड़ रुपए है और माना जा रहा है कि बंगले की साज-सज्जा में ही चार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसके साथ ही गडकरी ने अपने दूल्हे राजा बेटे को एक बीएमडब्ल्यू कार भी तोहफे में दी है।

Oct 31, 2010

वेबसाइट्स कुछ काम की कुछ कमाल की

http://www.funtoosh.com?mclips/plays.php?id=sharp_up_dude
चालू दोस्त : दो दोस्तों के बीच मजाक-मजाक में खेला जा रहा एक रोचक खेल कैसे एक दोस्त के लिए
बुरे अनुभव में तब्दील हो जाता है, जरा देखिए इस फन विडियो में। हां एक बात और, मजा न आए, तो पैसे मत दीजिएगा।

http://in.youtube.com/watch?v=_OBlgSz8sSM
वाह क्या डांस है : मिस्टर बीन की कारगुजारियों से तो आप वाकिफ होंगे ही, लेकिन हो सकता है कि आपने उनका मजेदार डांस न देखा हो। डांस देखना चाहते हैं, तो क्लिक कीजिए इस लिंक पर।

http://in.youtube.com/watch?v=_OBlgSz8sSM
बच्चों की दुनिया : क्या आपको पता है कि बच्चों के मुंह में उंगली देने से क्या होता है? अगर नहीं, तो यू ट्यूब के इस फन विडियो को जरूर देखें। बच्चों की शैतानियों को इंजॉय करने वालों को भरपूर मजा आएगा।

www.itbusinessedge.com
अगर आप आईटी फील्ड से जुड़े हैं और इस क्षेत्र से जुड़ी लेटेस्ट टेक्नॉलजी व खबरों के टच में रहना चाहते हैं, तो यह साइट आपके लिए बेहद उपयोगी हो सकती है। लॉग इन कीजिए www.itbusinessedge.com पर और जानिए आईटी फील्ड में हो रही ताजातरीन हलचल के बारे में।

www.babycenter.com
क्या आप अपने बच्चे के दिन-प्रतिदिन के विकास पर नजर रखते हैं? क्या आपको पता है कि किस उम्र में नन्हे-मुन्नों को क्या-क्या काम करना शुरू कर देना चाहिए? अगर नहीं, तो www.babycenter.com पर लॉग इन कीजिए और रखिए अपने बच्चे के विकास का ट्रैक। साइट आपको प्रेग्नेंसी से जुड़ी जानकारी भी उपलब्ध कराती है।

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50 देशों से विभिन्न अखबारों के 495 पन्ने देखें एक साथ। यह बेहद दिलचस्प है कि किस तरह एक ही खबर को अलग-अलग अखबार ने अपने तरीके से लिखा और रिप्रजेंट किया है। यह बेहद दिलचस्प है कि किस तरह एक ही खबर को अलग-अलग अखबार ने अपने तरीके से लिखा और रिप्रजेंट किया है।

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http://www.indiaplaza.com/
इंडियन प्लाजा ऑनलाइन शॉपिंग करवाता है खास इंडियन स्टाइल में यानी हर चीज में तोल मोल के बोल बोलने का मौका। यहां 35 लाख से भी ज्यादा प्रॉडक्ट मौजूद हैं। हर तरह के प्रॉडक्ट में डिफरेंट वैरायटी भी हैं ताकि अपनी जरूरत के हिसाब से चुनाव किया जा सके। ज्यादातर चीजें मार्केट रेट से काफी कम कीमत पर उपलब्ध हैं, मसलन तंत्रा की तीन टी शर्ट का सेट महज 199 रुपये में या फिर हिंदी फिल्मों की डीवीडी एक रुपये की कीमत पर। इस साइबर शॉपिंग में किताबें, फिल्में, किचेन में इस्तेमाल होने वाले एप्लांयसेस, कपड़े, मोबाइल और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स तो खरीदे ही जा सकते हैं इसके साथ ही टिपिकल इंडियन प्रॉडक्ट्स मसलन हैंडीक्राफ्ट का सामन, जूलरी और नवरात्र की पूजा का सामान भी मौजूद है। कंपनी भारत और अमेरिका में सीधे आपके दरवाजे पर सामान की डिलीवरी करती है। लीजिए इस खास साइबर बाजार में शॉपिंग का मजा।

http://www.futurebazaar.com
इस ऑनलाइन शॉपिंग साइट को डिवेलप किया है भारत की सबसे बड़ी रिटेल चेन पैंटालून ने। यानी अगर नहीं है बिग बाजार जाने का मन तो घर बैठे भी किया जा सकता है सबसे सस्ते और अच्छे प्रॉडक्ट के लिए ऑर्डर। कंपनी ऑथराइज्ड डीलर्स से ही सामान लेती है, इसलिए हर प्रॉडक्ट पर वारंटी भी दी जाती है। अगर डिलीवरी के दौरान आपको लगता है कि गलत या खराब प्रॉडक्ट मिल गया है तो उसे एक्सचेंज करने का भी ऑप्शन रहता है। ऑनलाइन शॉपिंग के फेर में बैंक डिटेल्स का मिसयूज होने के डर को दूर करने के लिए कंपनी ने खास तौर पर अपना सिस्टम डिवेलप किया है। अगर मंगाया गया सामान पसंद नहीं आता तो उसे 15 दिन के अंदर वापस भी किया जा सकता है।

http://lifeinlines.com
यह वेबसाइट आपको अपनी जिंदगी के हर कदम का दस्तावेज तैयार करने में मदद करती है। इसके जरिए प्रोफाइल बनाकर न सिर्फ पिक्चर बल्कि एसएमएस,एमएमएस और तमाम दूसरी चीजें स्टोर कर सकते हैं। इस वेबसाइट में फोन कॉल, जी टॉक मैसेंजर के जरिए भी अपने ख्याल दर्ज किए जा सकते हैं। जब भी आप अपना स्टेटस मैसेज चेंज करेंगे, वेबसाइट उस चेंज को स्टोर कर लेगी। आखिर स्टेटज मैसेज भी तो मूड या कहें लाइफ के अप्स एंड डाउन का नोटिस लेने का एक बेहतरीन तरीका है। आप अपने प्रोफाइल में विडियो, ऑडियो, पिक्चर के अलावा आवाज भी दर्ज करा सकते हैं।

Oct 15, 2010

टीआरपी में केबीसी-4 ने बिग बॉस को पीछे छोड़ा

नई दिल्ली.सोनी टीवी पर शुरू हुए कौन बनेगा करोड़पति के चौथे संस्करण ने शानदार शुरूआती रेटिंग हासिल की है। एक मीडिया रिसर्च और टेलीविजन रेटिंग कम्पनी के आकलन के अनुसार केबीसी-4 ने सोमवार के दिन करीब 5 टीआरपी हासिल की है जो काफी अच्छी कही जा सकती है।

केबीसी-4 की यह शुरूआती रेटिंग पिछले कुछ समयावधि के दौरान शुरू हुए किसी भी रियलिटी शो से अधिक है। उदाहरण के लिए प्रियंका चोपड़ा के शो खतरों के खिलाड़ी-3 के पहले एपीसोड को 3.2 की रेटिंग मिली थी तो बिग बॉस-4 के शुरूआती एपिसोड को भी 3.6 की रेटिंग मिली थी।

हालाँकि बतौर होस्ट शाहरूख खान के साथ शुरू हुए केबीसी-3 को 5.3 की रेटिंग मिली थी, जो केबीसी-4 की शुरूआती रेटिंग से थोड़ी अधिक थी। केबीसी-4 ने शुरूआती सफलता अर्जित कर ली है और इससे नम्बर चार पर चल रहे सोनी को लाभ पहुँचने की सम्भावना है।

केबीसी-4 प्राइम टाइम पर यानी कि रात 9 बजे सोमवार से गुरूवार तक टेलीकास्ट होगा और इससे कलर्स के बिग बॉस-4 सहित स्टार प्लस और जी टीवी के धारावाहिकों को भी असर हो रहा है.केबीसी-4 के शुरू होने के बाद से बिग बॉस - 4 की रेटिंग गिर गई है.

Oct 2, 2010

जहीर ने लक्ष्मण से कहा था- बुजुर्ग हो गए हैं पोंटिंग, इसी पर भड़क गए थे कप्तान

नई दिल्ली. भारतीय ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने खुलासा किया है कि किस बात पर पोंटिंग इतना भड़के थे। हुआ यह था कि गेंदबाज जहीर खान ने अपने साथी वीवीएस लक्ष्मण से कहा कि अब पोंटिंग बुजुर्ग दिखने लगे हैं। लेकिन पोंटिंग को लगा कि जहीर ने यह बात सीधे उनसे कही है, जिस पर उन्होंने बल्ला उठाकर जहीर को धमकाया। पूर्व भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी अरुणलाल ने भी कहा कि जहीर वीवीएस लक्ष्मण से बात कह रहे थे और पोंटिंग को गलतफहमी हो गई।

हरभजन ने कहा कि दरअसल यह पूरा मामला पोंटिंग को हुई गलतफहमी के कारण हुआ। उनके 71 रन पर आउट होने के बाद सभी भारतीय खिलाड़ी जश्न मना रहे थे। इसी बीच जहीर ने यह टिप्पणी लक्ष्मण से चर्चा के दौरान की। और पोंटिंग यह जानने के लिए लौटे कि जहीर ने वास्तव में क्या कहा। आपको बता दें कि पोंटिंग अभी 36 साल के हैं।

पूर्व भारतीय खिलाड़ी और वर्तमान कमेंटेटर अरुणलाल ने भी इस प्रकरण को साफ करते हुए कहा कि जहीर रिकी पोंटिंग को नहीं बल्कि साथी खिलाड़ी वीवीएस लक्ष्मण से कुछ कह रहे थे। लेकिन पोंटिंग इसे गलत समझ बैठे और जहीर से उलझ पड़े।

शुक्रवार को मोहाली में खेले जा रहे भारत ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टेस्ट मैच के पहले दिन ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग और भारतीय गेंदबाज जहीर खान में बहस हो गई थी। अब खुलासा हुआ है कि जहीर, लक्ष्मण से बात कर रहे थे। इस पर आउट होकर मैदान से पवेलियन लौट रहे पोंटिंग वापस आए और जानना चाहा कि जहीर ने क्या कहा। इसके बाद उन्होंने धमकी भरे अंदाज में बल्ला भी दिखाया।

Sep 28, 2010

TV channels bet on mega stars to garner Rs 270 crore

Three big-budget celebrity reality shows that will hit the idiot box this festive season are expected to garner over Rs 270 crore of advertising revenue — nearly 10 per cent of the total revenues that Hindi general entertainment channels (GECs) normally get in a year.

The three are Kaun Banega Crorepati 4 on Sony, anchored by Amitabh Bachchan; Bigg Boss 4 on Colors, starring Salman Khan; and Masterchef India on STAR Plus with Akshay Kumar. Hindi GEC channels, according to an Ficci-KPMG study, garner Rs 2,200 crore of ad revenues annually.



The channels have together forked out a little over Rs 100 crore just to get the celebrities to anchor the mega programmes. For them, the success or failure of these will determine who is on the top in viewership. Which will depend on whether these stars — who have not always set viewers on fire in anchoring earlier programmes — can show their earlier magic.

Amitabh Bachchan, hosting KBC 4, is charging around Rs 1.5 crore per episode, according to industry sources. At 36 episodes, he would pocket Rs 54 crore from the show. Akshay Kumar, donning the cook's cap in Masterchef India, would make around Rs 30 crore from the show, at between Rs 1.2 crore and Rs 1.5 crore per episode. Salman Khan in Bigg Boss 4 will earn Rs 17 crore, at Rs 1.2 crore per episode of appearance. While Bigg Boss 4 will be on air for 96 episodes, Salman is expected to make only 14 appearances.

The three stars have not only raised their fee but also swapped channels this season. While Bachchan will be seeing a completing his multiple channel tour with Sony (he had earlier appeared in STAR Plus and Colors as show host), Salman has moved from Sony (where he hosted Dus Ka Dum) to Colors. Akshay Kumar has moved to STAR Plus from Colors, where he hosted Khatron Ke Khiladi.

STAR POWER
Show Anchor Number of
episodes to
appear in Fee
charged
(Rs crore)
KBC 4 (Sony) Amitabh Bachchan 36 54
Big Boss 4
(Colors) Salman Khan 14 17
Masterchef
India (Star Plus) Akshay Kumar 22 30

The fees of these three have jumped by almost 50 per cent since they made their TV debut. When KBC was launched in 2000, Bachchan used to get Rs 75-80 lakh per episode; it went up to Rs 1 crore each for KBC2. When he hosted Bigg Boss last year, he charged Rs 1 crore per episode. Akshay Kumar made his TV debut with Rs 80 lakh per episode for the first season of KKK, which went up to Rs 1 crore in the second season of the show. Salman Khan charged Rs 80 lakh per episode for the first season of Dus ka Dum, which went up to Rs 1 crore per episode in the second season.

Ratings drop
However, the TV ratings (TVR) of the shows have not grown in proportion. During the first season in 2000, KBC clocked an average TVR of 9.8 and the second one of 10.6 — a feat not repeated on Indian television. The third season, with Shah Rukh Khan as host, recorded an average of just 6.8. Considering that a show with a TRP of 5 is considered a hit today, due to the increase since in the number of channels, there is still steam left in the show, say industry observers.

Salman Khan’s Dus Ka Dum had seen a fall in ratings from an average TVR of 2.35 in the first season to 1.96 in the second one. Fear Factor I, hosted by Akshay Kumar, had an average TVR of 2.48 and the second season scored a higher one of 3.3.

Madison World’s chairman and managing director, Sam Balsara, attributes the drop in TVRs to the growing fragmentation in TV space. “As the number of channels available to viewers has gone up manifold, there has been a general downward trend in ratings,” he says.

Media planners said for advertisers there will not be a viewership fragmentation, as these shows will be aired on different timings. Master Chef will be aired on Saturday and Sunday at 9 pm from October 16. KBC 4 will be aired from October 11 at 9 pm, Monday to Thursday. Big Boss 4 begins on October 3 and will be aired at 9 pm.

Industry sources say 10-second ad slots for KBC 4 have been sold for Rs 3.5 lakh each and ad time on Colors and STAR Plus have been sold in a similar range.

“Although Salman Khan is pitted against Amitabh Bachchan, there will not be a fragmentation in viewership, as both stars have a huge fan following,” a media planner said.

Sep 27, 2010

बाजार में ये छोटी कंपनियां कर सकती हैं बड़ा कमाल

कामयाबी
छोटी हो या बड़ी, उसकी खुशी मनाने की जरूरत होती है। इसी बात पर विश्वास करते हुए ईटी इंटेलीजेंस गुप हर साल भारतीय उद्योग जगत की 100 सबसे तेजी से बढ़ती छोटी कंपनियों की सूची जारी करता है। यह आज की तेज रफ्तार छोटी कंपनियां ही हैं, जो कल के दिग्गजों में उभरने का दमखम रखती हैं।

लेकिन इसके साथ एक चेतावनी भी आती है। निश्चित रूप से यह कहना मुश्किल है कि इंडिया इंक के इन छोटे उस्तादों में से कौन से आने वाले वक्त की ग्रां प्री में शामिल होंगे। जैसा कि कहा जाता है कि अतीत का प्रदर्शन इस बात की गारंटी नहीं होता कि भविष्य में किस तरह का प्रदर्शन रहेगा। लेकिन ऐतिहासिक चलन के आधार पर हम यह पता लगा सकते हैं कि किस तरह की कंपनियां बड़ा बनने की संभावनाएं रखती हैं।

अतीत के निरंतर ठोस प्रदर्शन की वजह से ईटीआईजी की 100 तेजी से बढ़ती छोटी कंपनियों की हालिया सूची में शामिल खिलाड़ी इस दौड़ में अव्वल आने के मजबूत दावेदार हैं। निवेशकों को और अध्ययन करने के आधार पर सूची से बेहतरीन दिखने वाले शेयर चुनने चाहिए या फिर बाजारों में अगली पंक्ति में खड़े होने के लिए हमारे चयन के आधार पर पोर्टफोलियो तैयार करना चाहिए।

शेयर बाजार के दिग्गज

धमाकेदार वित्तीय प्रदर्शन, निवेशकों का भरोसा जीतने के लिहाज से काफी अहम चीज है। यह इस बात से साबित होता है कि 100 तेजी रफ्तार छोटी कंपनियों की ईटीआईजी की 2009 की सूची में से 77 कंपनियों ने बीते एक साल के दौरान बेंचमार्क इंडेक्स को अपने प्रदर्शन से पीछे छोड़ दिया है। इसके अलावा 27 कंपनियों के शेयर भाव इस अवधि में बढ़कर दोगुने स्तर पर पहुंच चुके हैं।

सूची की शीर्ष 10 कंपनियां शामिल कर बनाए जाने वाले पोर्टफोलियो ने निवेशकों को 59 फीसदी रिटर्न दिया होता, जबकि बाजार ने इस दौरान 21 फीसदी का मुनाफा दिया है। शीर्ष 25 कंपनियों के पोर्टफोलियो ने 61 फीसदी रिटर्न कमाया है। और इन सभी 100 कंपनियों के समान वेटेज से बना पोर्टफोलियो वैल्यू के लिहाज से आज 73 फीसदी ऊपर होता। वास्तव में यह धमाकेदार प्रदर्शन है।

नए नायक

ईटीआईजी 2010 की 100 तेजी से बढ़ती छोटी कंपनियों की फेहरिस्त में जाइडस वेलनेस ने सभी को पीछे छोड़ दिया है। यह पिछले साल चौथे पायदान से शीर्ष स्तर तक पहुंची है। इस शेयर को कैडिला हेल्थकेयर के कंज्यूमर हेल्थकेयर कारोबार के विलय से काफी फायदा हुआ है और यह कंपनी कर्ज-मुक्त और नकदी के मामले में अमीर खिलाड़ी बनी हुई है।

हाल में सूचीबद्ध होने वाली टेकनेफैब इंजीनियरिंग दूसरे स्थान पर है, जिसका श्रेय बीते तीन साल के दौरान मुनाफे में प्रभावशाली बढ़त को जाता है। लेकिन वह कंपनी हॉकिंग कूकर्स है, जिसने सूची के शीर्ष पांच दिग्गजों में सबसे ज्यादा हैरत में डाला है। पिछले साल फेहरिस्त में 19वें पायदान तक गिरने के बाद कंपनी ने इस बार शीर्ष तीन में जगह बनाई है।

कारोबारी साल 2010 के दौरान मुनाफे में बढ़िया ग्रोथ ने कंपनी को मैन इंफ्राकंस्ट्रक्शंस, विनाती ऑगेर्निक्स और वीएसटी टिलर्स ट्रैक्टर्स के आगे पहुंचा दिया। विनाती ऑर्गेनिक्स पिछले साल के 14वें रैंक से इस साल आठवें नम्बर तक आई है, जबकि वीएसटी टिलर्स 27वें पर थी, लेकिन इस बार 12वें पायदान पर है।

हालांकि, कुछ कंपनियों ने पिछले साल की तुलना में जमीन भी खोई है। 2009 की सूची में तीसरे नम्बर पर खड़ी टाटा स्पॉन्ज आयरन इस साल 20वें पायदान तक लुढ़क गई है। इसी तरह प्राज इंडस्ट्रीज पिछले साल 10वें नम्बर पर खड़ी थी, लेकिन इस साल हैरानी में डालते हुए सूची में 83वें पायदान तक पहुंच गई है। पिछले साल टॉपर रही सुल्जर इंडिया हाल में डीलिस्ट हो गई है और इसलिए इस बार सूची में जगह बनाने में कामयाब नहीं हुई।

अन्य कंपनियों में ब्लिस जीवीएस फार्मा ने चौथे नम्बर पर सीट कब्जाते हुए सूची में बढ़िया एंट्री की है। हाल में सूचीबद्ध हुई एक अन्य कंपनी मैन इंफ्रा सीधे तौर पर सूची में दाखिल होकर पांचवें पायदान पर पहुंच गई है। अतीत में कमजोर इंटरेस्ट कवरेज रेशियो की वजह से पिछले साल सूची में शामिल होने में नाकाम रही प्लास्टिक उत्पाद बनाने वाली मयूर यूनिकोटर्स इस बार प्रतिष्ठित फेहरिस्त तक पहुंच गई है। कंपनी सूची में सातवें स्थान पर है। हाल में लिस्टेड हुई कंपनियों के बारे में और जानने के लिए ईटी इनवेस्टर्स गाइड के आगामी संस्करणों पर निगाहें बनाए रखें।

हमने कैसे तैयार की सूची?

कंपनियों की सूची तैयार करने के लिए हमने कारोबारी साल 2010 के दौरान 1,000 करोड़ रुपए से कम शुद्ध बिक्री रखने वाली फर्मों को इसमें शामिल किया है। संदेहास्पद विश्वसनीयता रखने वाली छोटी कंपनियों को इसके दायरे से बाहर रखने के उद्देश्य से हमने उन कंपनियों को फेहरिस्त से बाहर कर दिया, जिनका माकेर्ट कैपिटलाइजेशन 50 करोड़ रुपए से कम है।

अंतिम सूची में ऐसी कंपनियां शामिल हैं, जो बीते तीन साल के दौरान आरओसीई 15 फीसदी से ज्यादा, बीते तीन साल में डीईआर 1.5 से कम और आईसीआर 5 से ऊपर रखने में कामयाब रही हैं। पिछले तीन साल के दौरान एकबार से ज्यादा लाभांश न देने वाली या चूकने वाली कंपनियों और एक साल से ज्यादा वक्त तक नेगेटिव ऑपरेटिंग कैश फ्लो वाले खिलाडि़यों को भी बाहर का दरवाजा दिखा दिया गया। इसके बाद हमारे पास मजबूत वित्तीय स्थिति वाली केवल 140 कंपनियां बचीं। क्योंकि हम सबसे तेज बढ़ती छोटी कंपनियों को चिन्हित करने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए हमने इन सभी कंपनियों के लिए बिक्री और मुनाफे की वेटेड औसत बढ़त दरों का आकलन किया।

सबसे ज्यादा अहमियत कारोबारी साल 2010 की ग्रोथ को दी गई। आखिरकार, तीन साल की बिक्री और मुनाफे की बढ़त और आरओसीई को 30:30:40 का वेटेज दिया गया, जिसके बाद अंतिम रैंकिंग का फैसला किया गया।

हमने ऐसी कंपनियों को भी न चुनने का फैसला किया, जिन्होंने तेज ग्रोथ तक पहुंचने के लिए अपनी बैलेंस शीट पर अतिरिक्त दबाव झेला। हमारी सूची में नकदी जुटाने में मजबूती रखने वाली, नियमित लाभांश देने वाली और बैलेंस शीट पर कर्ज का बोझ कम रखने वाली कंपनियां शामिल हैं। ये कंपनियां फंड के खर्च की तुलना में कारोबार में निवेश की गई रकम पर कहीं ज्यादा पूंजी कमाने में कामयाब हो रही हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कर्जदाताओं और इक्विटी साझेदारों को भुगतान करने के बाद भी उनके पास कारोबार में दोबारा निवेश करने के लिए रकम बची रहेगी। कम कर्ज और ज्यादा इंटरेस्ट कवरेज गाढ़े वक्त में उनका सतत प्रदर्शन सुनिश्चित करेगा।

इन कंपनियों ने सूची में जगह बनाने के लिए निरंतर बेहतरीन प्रदर्शन किया है। लेकिन याद रखिए कि हमारी 100 सबसे तेजी से बढ़ती छोटी कंपनियों की सूची, कोई अकेला निवेश ट्रिगर नहीं है। यह निवेश से जुड़ा अध्ययन शुरू करने के लिए प्रवेश बिंदु जरूर मुहैया कराता है। इसलिए निवेश करते रहिए...

1,400 करोड़ रुपए से ज्यादा में बिका दुनिया का सबसे कीमती फ्लैट

लंदन : मोनैको स्थित दुनिया के सबसे कीमती फ्लैट 20 करोड़ पाउंड में बिक्री हो गई है।
फ्लैट के मुख्य कमरे में पूर्व मालिक की रहस्यमय हत्या के बावजूद इसकी इतनी अधिक कीमत मिली है।

अखबार 'डेली मेल' के मुताबिक खाड़ी देश के एक निवेशक ने 97 सालों की लीज पर 24 करोड़ यूरो (19.9 करोड़ पाउंड) में इस फ्लैट को खरीदा है। माना जा रहा है कि यह निवेशक अरब का एक शेख है।

इस फ्लैट में एक लाइब्रेरी, स्वीमिंग पूल और सिनेमा स्क्रीन सहित सभी कुछ है। ऐसा माना जा रहा है कि संपत्ति विक्रेता क्रिश्चन और निक कैंडी को इस सौदे में कम से कम 19 लाख पाउंड का फायदा हुआ है। उन्होंने वर्ष 2000 की शुरुआत में एक ब्रिटिश महिला लिली साफ्रा से 17,500 वर्ग फीट का तीन बेडरूम वाला यह फ्लैट खरीदा था। बैंक में काम करने वाले साफ्रा के पति एडमंड की इस फ्लैट में लगी रहस्यपूर्ण आग में मौत हो गई थी। उस समय इसकी कीमत मुश्किल से एक करोड़ पाउंड थी।